16-09-16 मुरली कविता


कमल फूल है पवित्र गृहस्थी की सुन्दर मिसाल

बाप को याद करेंगे तो कभी नहीं खाएगा काल

बाबा ने आकर हम सबको बना दिया है त्रिनेत्री

कोई नहीं रहा शत्रु सबसे हमारी हो गई है मैत्री

भटक रही हैं दर दर ना जाने कितनी आत्माएं

सोच रहे हैं कैसे इनको भी बाबा का हम बनाएं

योगाभ्यास करो विकारों पर जीत पाने के लिए

बाबा आया सबको अपने घर ले जाने के लिए

शत्रु नहीं कोई देश किसी का ना कोई रिश्तेदार

हम सबका एक ही शत्रु माया रूपी पांच विकार

पांच विकारों में फंसकर हो गए हम सब काले

भुखमरी ऐसी फैली है कि पुरे पड़ते नहीं निवाले

ड्रामा को बुद्धि में रखकर न देना किसी को दोष

पुरुषोत्तम बनने के लिए मन में रखना पूरा जोश

क्रोध की ज्वाला बुझाकर देते जाना सबको प्यार

बाप से वर्सा मिलेगा जब बन जाओगे बिंदू सार

जो हैं दिल के सीधे सच्चे वो रहते बाप के समीप

ज्ञान प्रकाश फैलाते दुनिया में बनकर आत्म दीप

बिगड़े हुए को सुधारे जो शुभकामनाओं के बल से

ऐसे सेवाधारी को सबकी दुआएं मिलती है दिल से

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!