06-02-16 मुरली कविता


अभी है तुम्हारा ईश्वरीय सम्प्रदाय
तुम्हें मिला है ज्ञान सूर्य बाप
तो जाग कर, दूसरों को भी जगाना
देह-अभिमान से आते अनेक टकराव
माया ग्रहचारी दे देती बैठा
देहि-अभिमानी बनो
याद की यात्रा से ग्रहचारी मिटाओ
भारत को श्रीमत पर बनाओ स्वर्ग
करो ज्ञान का विचार -सागर -मंथन
एक की मत पर चलो
एकमत हो कर रहो
सामने की शक्ति से आएगी एकता
भिन्नता को करो समाप्त
संकल्प,वाणी और कर्म में लाओ रूहानियत
तब आयेगी सर्विस में रौनक

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!