08-03-16
मुरली कविता
तुम हो सौभाग्यशाली ब्राह्मण
कुल-भूषण
तुम्हें भगवान देते स्वयं बधाईयाँ
सृष्टि के आदि -मद्य -अंत का सुनाते समाचार
संगम पर आकर देते ज्ञान का तीसरा नेत्र
देवताओं से भी हो तुम ऊँच ब्राह्मण
ज्ञान-योग से आत्मा को बनाते स्वच्छ
बाप का परिचय दे बनाना पतितों को पावन
स्वयं को रावण से करना मुक्त
प्यूरिटी और पॉवर...लाइट और माईट का धारण करना ताज
यह देता डबल फ़ोर्स जिससे होती सफलता प्राप्त
दिव्य-गुणों के आधार पर मन -वचन और कर्म करना है दिव्यता
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!