18-07-16 मुरली कविता


बाप और एक दो को कहना ॐ शांति
यह भी है देना रिगार्ड
शिव बाबा है अभोक्ता फिर भी लगाते भोग
क्योंकि जिसके भंडारे से होती है पालना
तो पहले उसे स्वीकार कराना जरूर
आत्मा और शरीर दोनों को बनाना पावन
खुदाई खिदमतगार बनना
अधिकारीपन की स्मृति से सर्वशक्तियों
की प्राप्ति का होता अनुभव
अधिकारीपन से अधीनता हो जाती समाप्त
स्वयं के साथ प्रकृति को बनाना पावन
तो बनो सम्पूर्ण लगाव मुक्त

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!