15-09-16 मुरली कविता


माया की चम्बे में आकर बने पूज्य से पुजारी

जो थी इन्द्रियजीत आत्मा वही माया से हारी

पुजारी पूज्य पूज्य पुजारी की सुंदर है कहानी

सुन ली बाबा से हमने अब सबको हमें सुनानी

दुनिया समझे कठिन जिसे हम करते हैं धारण

हमें पवित्रता लगती सदा सहज और साधारण

हम भारतवासी जाने जाते थे बुद्धि से धनवान

पवित्रता जब तक थी तब तक ही थे गुणवान

पतितपना अपनाते ही बुद्धि से हो गए कंगाल

भक्ति कर करके और भी कर लिया बुरा हाल

प्रकट हुआ है ज्ञान सूर्य दूर हुआ अज्ञान अँधेरा

माया का राज्य मिटा जिसने डाल रखा था डेरा

बाबा के प्रति जिसने अपनी निश्चय बुद्धि बनाई

उसने ही क्षण भर में बाबा से जीवनमुक्ति पाई

सुना हुआ सब भूलकर बाबा से सत्यकथा सुनो

स्वर्ग की राजाई के लिए एक जन्म पवित्र बनो

हद से मुक्ति पाकर बेहद की सेवा करते जाना

अपनी अमूल्य शक्तियां व्यर्थ में खोने से बचाना

सबको देते जाना अपनी शुद्ध वाणी से सम्मान

सेवा में सफलता पाना हो जाएगा बहुत आसान

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!