11-04-16 मुरली कविता


बाप सच्ची बातें सुना तुम्हें सोझरे में लाया
तुम्हारा कर्तव्य है अब सबको अंधियारे से सोझरे में लाना
मुख से कहते रहो बाबा -बाबा
तो सर्वव्यापी का ज्ञान हो जायेगा खत्म
क्योंकि बाप किसी के अंदर कैसे हो सकता
योग अग्नि से पाप करने भस्म
स्वयं को आत्मा निश्चय करना
देह-अभिमान के शब्द 'मैं' और 'मेरा' नही कहना
अकल्याण के बोल को कल्याण में बदलना
अवगुण को गुण में बदलना
निंदा को स्तुति में बदलना
व्यक्त भाव को समां लेना
संकल्प में भी आंशिक रूप नही हो
तीव्र पुरुषार्थी वो जो विस्तार में भी सार को देख सामने वाले हो
 

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!