18-01-16 मुरली कविता


यह मनुष्य तन है बहुत वैल्यूबुल
बाप का बन समय ,श्वांश को व्यर्थ नही गंवाना
कल्याण की भावना रख ,आत्माओं के संस्कारों को करो परिवर्तन
निश्चयबुद्धि बनो ब्रह्मा बाप समान
कोई गाली दे,इन्सलट करे... नही होना डगमग
अधैर्य नही बनो,कल्याण का भाव रखो
पवित्रता की शक्ति से संकल्पों को शुद्ध ,
ज्ञान स्वरुप बना कर... कमज़ोरियों को करो समाप्त

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!