10-11-16
मुरली कविता
मेरे पास बनाने आए तुम अपनी बिगड़ी तकदीर
तो देना ध्यान पढ़ाई पर याद की बढ़ाकर तदबीर
मेहनत करके जिसने स्वयं को निर्विकारी बनाया
श्रेष्ठ तकदीरवान का वरदान उसने बाबा से पाया
उमंग जगाओ दिल में हम नई दुनिया में जाते हैं
इसीलिए हम अपने आपको निर्विकारी बनाते हैं
जन्म मरण में आकर हमने 84 का चक्र लगाया
5 विकार अपनाकर खुद को पूरा कंगाल बनाया
मैले तन मन के कारण ही मैला हुआ सारा संसार
शुद्ध स्वर्ण बनेगी आत्मा जब छोड़ेगी पांच विकार
उड़ना सिखाने आया बाबा हमें अपने घर की ओर
पावन बनकर ही उड़ पाओगे कर लो इस पर गौर
बनाता हूँ बच्चों के लिए सतयुग रूपी नया मकान
जल्दी से तुम बांधो अब कर्म रूपी अपना सामान
देवता बनने के लिए छोड़ो झूठ बोलने का संस्कार
माया के तूफानों में तुमको नहीं सताए कोई विकार
रहता है बाबा के संग जो तन और आत्मा के समान
बनकर सहयोगी से सहजयोगी बनता सर्वशक्तिमान
हर पल जो करता ही रहता आत्मा का अनुसन्धान
वही निकाल सकता है सर्व समस्याओं का समाधान
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!