29-04-16
मुरली कविता
बाप समान लवली बनना तो
बिंदी बन बिंदी बाप को करो याद
याद की करनी गुप्त मेहनत
याद से होते विकर्म विनाश
पाप-आत्मा से बनते पुण्य-आत्मा
धर्म-राज की सज़ाओं से बचने का यही साधन
एक-रस अवस्था बनाने का करना अभ्यास
बाप के फरमान का करना पालन
सोचने और करने का अंतर करो समाप्त
तब बनेंगे स्व-परिवर्तक सो विश्व परिवर्तक
लक्की वो जिसके पास है अनुभूति की गिफ्ट
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!