27-01-16 मुरली कविता


जो हम करते कर्म उसका मिलता फल अवश्य
बाप ही एक जो करते सेवा निष्काम
यह पाठशाला है वन्डरफुल ,बच्चे बूढ़े पढ़ते साथ
साधू ,अहिलाये ,कुब्जाये भी आयेंगे जरूर
यहाँ होती मुख्य याद की मेहनत
जिससे आत्मा और शरीर का होता नेचर क्योर
बाप कल्याणकारी करते सबका कल्याण
सत्तोप्रधान सच्चा सोना बनने का रखना फुरना
यह शरीर है ईश्वरीय सेवा अर्थ अमानत
अमानत समझने से ही आती रूहानियत
वानप्रस्थी स्थिति में होना स्थित तो
दृष्टि- वृति में पवित्रता को करो अंडरलाइन

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!