24-05-16 मुरली कविता


हम है ईश्वरीय फॅमिली के, रहे यह रूहानी नशा
हम अपनी गुप्त दैवी राजधानी कर रहे स्थापना
अमृतवेले उठ बाप से मीठी-मीठी करनी बातें
विचार-सागर-मंथन करो तो सारा दिन अपार ख़ुशी रहे
किसी भी देह-धारी को नही करना प्यार
माया की विकल्पों से नही घबराना, पानी जीत
हर संकल्प, बोल, कर्म में रहे बाप की याद
याद और सेवा में बिज़ी रहो तो डबल-लॉक लग जायेगा
माया से रहेंगे सेफ, सदा होगी ख़ुशी और संतुष्टता का होगा अनुभव
'बाबा' शब्द की डायमंड चाबी साथ हो
तो खज़ानों की अनुभूति होती रहेगी

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!