07-11-16
मुरली कविता
एक बाप का होकर सबको दो उसकी पहचान
हिसाब बताओ कितना हुआ फायदा नुकसान
योग में कच्चापन बच्चों से भूलें बहुत करवाता
जिस्मानी प्यार में फंसने से योग नहीं लग पाता
बाबा हमारा लेकर आता है वैकुण्ठ की सौगात
बच्चों पर करता है बाबा सर्व सुखों की बरसात
कोई नहीं कर सकता जितना बाबा करता प्यार
एक जन्म के लिए बच्चों मेरे छोड़ो पांच विकार
अपनी सारी जिन्दगी केवल सेवा में ही बितानी
नहीं छोड़ना सेवा तुम बच्चों बनकर लून पानी
मुझे याद करने में बच्चों जोड़ो शब्द निरन्तर
बाप और बच्चों के गुणों में ना रहे कोई अन्तर
महाभारत के युद्ध में घमासान अब होने वाला
इसके तुरंत बाद ही गेट स्वर्ग का खुलने वाला
परिवर्तन की तीव्र गति से संपूर्णता को पाओ
मास्टर रचयिता बनकर समय को समीप लाओ
योग में रहकर कर्म किया तो बनोगे कर्मयोगी
बचे रहोगे पांच विकारों से बनकर तुम निरोगी
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!