01-09-16 मुरली कविता


ये एकमात्र विद्यालय है पांच तत्वों को बदलने वाला
दुर्गति से निकालकर मनुष्यों की सद्गति करने वाला
शिवबाबा हमें पढ़ाने आया ये मन में निश्चय कर लो
आँखों से जो दिखाई देता उससे तुम पूरा ही मर लो
पतित आत्माओं से अब नहीं रखना कोई सरोकार
संशय बुद्धि का नाश करो बनकर आत्मा निराकार
पढ़ते हो तो कहलाता है ये ईश्वरीय विश्व विद्यालय
अलौकिक परिवार अपना कहलाता है ये शिवालय
अपना बाप रूहानी आया हम सबकी करने सद्गति
जब तक थे माया के वश हो रही थी हमारी दुर्गति
सद्गति दाता बाबा ही सचखण्ड धरा पर लाने वाला
झूठखण्ड ये रावण राज्य बहुत जल्द है जाने वाला
निराकार हम आत्माएं धारण करती हैं तन साकार
पार्ट बजाती भिन्न भिन्न कर लो ये सच्चाई स्वीकार
बिन्दू रूप हो जाते हम जब अपने घर में करते वास
चार युगों में जीते मरते दौहराते हैं अपना इतिहास
दुनिया बन जाती पतित हर कोई तब मुझे बुलाता
सर्व युगों में महा श्रेष्ठ इस संगमयुग में ही मैं आता
इसी एक युग में बच्चों का मिलन बाप से हो पाता
कल्याणकारी ये संगमयुग महाकुम्भ भी कहलाता
दिखता है जो नयनों से उसे भूलो ज्ञान के बल से
करो बाबा को याद आज से नहीं करो ये कल से
तमोप्रधान बने हैं सभी चलकर रावण की मत पर
सतोप्रधान बनना है अब चलकर बाबा की मत पर
सुखदाता आया है तो स्वर्ग का वर्सा उससे ले लो
पवित्र बन जाओ बच्चों अब विकारों से मत खेलो
परम सत्य कहने आया हमसे परमपिता परमात्मा
विनाशी तन भूलो अपना समझो खुद को आत्मा
भूल तुम्हारी बताऊँ बच्चों कैसे बने हो तमोप्रधान
काम चिता में जल मरे जब जागा था देहाभिमान
आत्मभान भुलाकर माया ने देहभान जगा डाला
दैवी दुनिया को माया ने आसुरी दुनिया बना डाला
दुखदायक है अपवित्रता बाबा ने कराया एहसास
स्वर्ग में जाना है तो कर लो विकारों से पूरा सन्यास
मनसा वाचा कर्मणा देते रहना ज्ञान रत्नों का दान
बाबा से ही मिलेगा मास्टर नोलेजफुल का वरदान
सार भरा होगा शब्दों में तो आएगा फिर इतना बल
आपको देखकर ही लोगों का जीवन जाएगा बदल
बन जाओगे जब अपनी कर्मेन्द्रियों के अधिकारी
स्वर्ग के वर्से के रूप में मिल जाएगी दुनिया सारी

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!