17-05-16 मुरली कविता


विनाश से पहले बनना कर्मातीत
बाप कहते 'मीठे- बच्चे' तो होती कशिश
मधुबन से होते सब आकर्षित
बाप को यहाँ हम सुनते सन्मुख
यहां है ईश्वरीय परिवार
तन-मन-धन से करनी रूहानी सेवा
एक बाप से लगानी लग्न
बाप समान बनना मोहजीत
सब संकल्प कमज़ोरी बाप को करना अर्पण
' मैं और मेरा बाबा '..यही हो दृढ संकल्प
सब ज़िम्मेवारी बाप को दे बनो स्वतंत्र
श्रीमत के इशारे प्रमाण न्यारे और प्यारे बनना
है तपस्वी आत्मा की निशानी

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!