26-03-16
मुरली कविता
देह के सब धर्म त्याग ..करो
मामेकम् याद
आत्मभिमानी बनो ..सद्गति की यही है न्यारी मत
भगवान् नाम रूप से न्यारा कैसे हो सकता
गीता में अर्जुन को हुआ अखण्ड ज्योति का साक्षात्कार
बाबा है बाप..तो बच्चें उनका रूप देख होंगे जरूर खुश
बाप जो शास्त्रों का सार सुनाते उसे बुद्धि में रखना
हर्षित रहना ,श्रीमत का हर पल पालन करना
अपने यथार्थ अनादि स्वरूप में जो रहते स्थित
वो बाप को प्रत्यक्ष करने के बनते निमित्त
रहम की दृष्टि से आत्मा को करो परिवर्तन
तो बन जाओगे पुण्य आत्मा
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!