15-06-16
मुरली कविता
आत्मा समझ आत्मा से करो बात
तो देह-अभिमान की बदबू जायेगी निकल
जो जीते जी मरते,बाप पर जाते बलिहार
वो है सच्चे परवाने,उनकी खुशबु फैलती चारों ओर
रात को जाग कर सच्ची कमाई करो
फालतू बातों में समय नही गंवाओ
विचार-सागर मंथन करना
स्वयं को आधारमूर्त,उद्धारमूर्त समझ कर्म करना
वृति-दृष्टि में सर्व के कल्याण की हो भावना
ऐसे श्रेष्ठ कर्म ही बनते फिर यादगार
सत्यता की शक्ति करनी धारण तो बनो सहनशील
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!