13-05-16
मुरली कविता
छि छि शरीर व् दुनिया को जाना
भूल
घर चलना यह रहे याद
हम मलूक(फरिश्ता) बन जायेंगे
घर माशूक के साथ
पुरानी खाल छोड़ लेंगे नयी खाल
इस ख़ुशी में स्थिति रहे फर्स्ट क्लास
देह-भान छोड़ बुद्धि योग घर से लगाना
ज्ञान का स्नान करना और कराना
योद्धा अर्थात मरना और मारना
रूहानी योद्धे पीछे हटने वाले नही,आगे बढ़ते सदा
बाप की याद है साथ तो बनेंगे विजयी जरूर
आशा और विश्वास के आधार पर बनो विजयी
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!