07-01-16 मुरली कविता


स्वीट बाप की याद से बनते तुम देवता
सत्तोप्रधान बनने का मदार है याद की यात्रा
फूल बनने वालों की सबको होती कशिश
कभी दुखदाई काँटा नही बनना
सुखदाई बनना,दुःख हरकर सुख देना
विनाशी देह का भान मिटा देना
अविनाशी, अमर, वैल्युबल आत्मा को प्यार करना
निराकारी और अलंकारी रहना माना ..मनमनाभव,मध्याजी भव
स्व-स्थिति से सर्व परिस्थिति हो जाती पार
संकल्प का एक कदम आपका तो सहयोग के हज़ार कदम बाप के

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!