30-01-16 बाबा पोएम
स्वर्ग थी जब ये दुनिया चारों
और था उजाला
देहभान के कारण निकला हमारा पूरा दिवाला
रावण ने आकर हमारा आत्मिक भान चुराया
देकर पांच विकार हमें पूज्य से पुजारी बनाया
देहभान में फंसकर बुद्धि 63 जन्म तक सोई
विकारों का स्वाद चखकर सारी ताक़त खोई
माया भी आकर देखो कैसा खेले हमसे खेल
शोक वाटिका में भेजकर देती रावण की जेल
थके सभी पुकारकर ओ सुखकर्ता तुम आओ
फंसे है दुख के दलदल में आकर हमें छुड़ाओ
प्रयास हुए विफल कोई सद्गति नहीं कर पाया
इसलिए सद्गति करने स्वयं परमात्मा है आया
कह रहा हमसे बच्चों तुम भूले हो अपना धर्म
देहभान के कारण तुम्हारे बिगड़ गए सब कर्म
विकारों में फंसकर तुमने आत्मभान है खोया
अपने हाथों से तुमने दुर्गति का बीज है बोया
जीवन सुखी बनाना है तो छोड़ो देह के धर्म
चलकर ईश्वरीय मत पर करते जाओ सुकर्म
मन के अन्दर जमे हुए बुरे संस्कार निकालो
अपने आपको स्वर्ग में जाने लायक बना लो
बहुत सरल विधि बाबा आकर हमें सिखाता
गीता ज्ञान देकर हमें मनुष्य से देवता बनाता
जग को सुखी बनाना सिर्फ बाबा का है काम
श्रीमत धारण कर पाओ लक्ष्मीपति का इनाम
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!