19-09-16 मुरली कविता


सबके संग करते ही जाओ ये रूहानी कारोबार

इसी विधि से मिटाते जाओ अपने सभी विकार

स्वर्ग में ऊंच पद पाने का यह एक मात्र आधार

पढ़कर अच्छी रीति स्वयं में करते जाओ सुधार

रूहानी हो या जिस्मानी आत्मा करती कारोबार

विकर्म तभी बनता जब देहभान का हो आधार

परमधाम से बाबा आकर बच्चों को ये समझाते

तन रूपी वस्त्र धारण कर तुम बच्चे पार्ट बजाते

सम्पूर्ण पावन बनने वाले ही सम्मान जग में पाते

उनके मन्दिर बनाकर दुनिया वाले शीष झुकाते

बाबा आया पावन बनाने खुद को पावन बनाओ

शांति स्वरूप बनकर शांतिधाम की याद दिलाओ

विश्व निर्माण की सेवा में माया को समझना खेल

ना घबराओ किसी विघ्न से वर्ना हो जाओगे फेल

स्नेह शक्ति के बल से करो बाप समान आकर्षित

निस्वार्थ सहयोग देगा हर कोई होकर सदा हर्षित

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!