10-01-16 बाबा पोएम


ईश्वरीय याद की मीठी यात्रा को रोज हम बढ़ाएंगे
सतोप्रधानता की सीढ़ी पर खुद को रोज चढ़ाएंगे
निकालकर विकारों के कांटे जब फूल बन जाएंगे
अपनी पवित्रता की शक्ति से सबको हम लुभाएंगे
ईश्वरीय पढ़ाई पढ़ने में लगता नहीं कोई भी खर्चा
याद की यात्रा में रहने से मिल जाता है ऊंचा दर्जा
आए हैं बाबा पांच विकारों का किचड़ा हमसे लेने
इसके बदले में विश्व की बादशाही हम सबको देने
याद की यात्रा में क्यों लड़ती है इतनी हमसे माया
माया से बचना हमको अभी तक क्यों नहीं आया
अभी नहीं जागा है मन में बाबा के प्रति पूरा प्यार
बना रखा है अब तक भी माया को अपना संसार
अपने ही विकर्म बनते है पुरुषार्थ की राह में रोड़े
63 जन्मों तक हमने भी विकर्म नहीं किए हैं थोड़े
फिर भी अपने किए विकर्मों से कभी नहीं घबराना
बाबा से श्रीमत लेकर तुम खुद को मजबूत बनाना
चलना है सुखधाम तो सबके सुखदाता बन जाओ
भूले से भी किसी को दुःख का कांटा नहीं लगाओ
देह भान मिटाकर अविनाशी आत्मा से प्यार करो
संग है भगवान तुम्हारे माया से बिलकुल नहीं डरो
स्वस्थिति में रहकर सब परिस्थितियों को पार करो
आत्मिक भाव जगाकर देह का भाव समाप्त करो

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!