02-03-16
मुरली कविता
चुप रहकर करो बाप को याद
कमाई करो,यह है बहुत बड़ा गुण
नही करो कर्म -संन्यास,
ड्रामा कहकर नही छोडो पुरुषार्थ
नाम-रूप में नही है फंसना
पढ़ना और पढ़ाना,कल्याण कर उंच पद पाना
दृष्टि से बदलती सृष्टि,दृष्टि बनानी सतोगुणी
नज़र से करना निहाल,अंत समय की यही सर्विस
सत्यता अर्थात् दिव्यता..पवित्रता का यही प्रैक्टिकल स्वरुप
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!