09-08-16
मुरली कविता
अब तक जो पढ़ा उसे भूल
एक बाप को करो याद
सतयुगी स्वराज्य की करनी स्थापना
तो पवित्रता और याद का बल हो ज़मा
इसी बल से एक मत का राज्य होगा स्थापन
अपना तन-मन-धन भारत को स्वर्ग बनाने में लगाना
कोई कनिष्ठ बनाने वाला कर्म नही करना
एक बाप दूसरा न कोई --इस वृति से प्रवृति में होगी प्रगति
वृति ऊँची और श्रेष्ठ हो तो चंचल नही हो सकती
सदा कंप्लेन भी समाप्त हो जायेगी
पवित्रता अगर स्वप्न मात्र भी हिलाती
तो निश्चय की फाउंडेशन है कच्ची
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!