04-05-16
मुरली कविता
सम्पूर्ण पावन बनो तो बाप करे
बलिहारी स्वीकार
अविनाशी रूद्र ज्ञान- यज्ञ में सबको होना ही है स्वाहा
तुम ख़ुशी-ख़ुशी स्वाहा हो करो तन-मन-धन सफल
विकारों का त्याग करना है विकर्म से बचना
पावन बन पावन दुनिया में है जाना
यह है असार संसार,,,रौरव नर्क
बुद्धि,संकल्प व स्वप्न से भी इससे रहना परे
उड़ता पंछी बनो, जहाँ चाहो वहां पहुँच जाओ
चेहरे और चलन से सत्यता की सभ्यता
का अनुभव कराना ही है श्रेष्ठता
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!