26-02-16 मुरली कविता


ज्ञान -योग की करो शौक से पढ़ाई
इस पढ़ाई में ही है सच्ची कमाई
ज्ञान के बिगर साक्षात्कार का नही फायदा
यह है माया का विघ्न,जो चढ़ाता उल्टा नशा
अपनी कमी छिपा खुद को नही ठगना
कायदे के विरुद्ध नही करना कोई काम
सदैव गुण रूपी मोती ही चुगना
कंकड़ रूपी अवगुण छोड़ देना
हंसों का ठिकाना है सागर तो
सदा ज्ञान सागर की पालना आज्ञा
चलते- फिरते रहना फरिश्ता स्वरुप
यही है ब्रह्मा बाप की दिल-पसंद गिफ्ट

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!