11-03-16 मुरली कविता


याद में रह याद का कराओ दूसरों को अभ्यास
जो कराते योग उनको अपना बुद्धि योग नही भटकाना
निमित्त टीचर को रहना बहुत रेस्पोंसिबल
बुद्धि भटके नही ,पूण्य का काम करते रहना
रहमदिल बन करनी हड्डी सेवा
देह-अभिमान वश न हो डिस-सर्विस
सर्विसएबल का रखना बहुत रिगार्ड
सहनशीलता के गुणवाले रहते संतुष्ट
वो कठोर संस्कारों वालों को बना देते शीतल
ड्रामा के ढाल पर सदा रहते ठहर
जो वाणी से न बदले,उन्हें शुभ वाइब्रेशन देते बदल

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!