27-02-16
मुरली कविता
तुम आये हो बाप के पास अपनी सोई
जगाने तक़दीर
तक़दीर जगना माना विश्व का बनना मालिक
रोज़ पढाई की खानी खुराक ,इससे बुद्धि बनती पारस
पारसबुद्धि बन बापसमान ,फिर सबकों बनाना
विकार छोड़ो तो बनो राजऋषि
सुख देवता बन देना सबकों सुख
एक बाप से ही सुनना,मोहजीत बनना
भिन्न -भिन्न संगदोष :-
व्यर्थ,माया,सम्बन्धी, वाणी,अन्न दोष,कर्म संग
से अपनी करनी पूरी सम्भाल
तब बनेंगे पास विद हॉनर
फरिश्ता बनो तो बाप स्वयं हर
परिस्थिति में बन जायेंगे छत्रछाया
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!