27-05-16
मुरली कविता
अपने से पूछो कितना किया बाप को
याद
ज्ञान को कितना किया धारण
देही-अभिमानी बने कितना समय
इसमें है मेहनत,यही है ऊँची मंज़िल
आत्मा को बनाना सतोप्रधान
माया से नही होना तंग
बाप की याद से तूफ़ान होंगे खत्म
अपने बोल हो बाप समान
जो दिल में जाये समां
दो शब्द भी दिल को दे राहत
ऐसे यादगार बोल हो बाप समान
जो समीपता का कराये अनुभव
अपनी उड़ती कला द्वारा हर समस्या
को बिना किसी रुकावट के करना पार
है बनना उड़ता पंछी
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!