09-02-16
मुरली कविता
बुद्धि में एक बाप की स्थायी रहे
याद
यह भी है बड़ा अहो सौभाग्य
जो बच्चें करते रूहानी सर्विस
वो सदा ख़ुशी में रहते नाच
अपने से बड़ो का रखते रिगार्ड
अपनी हड्डी-हड्डी करते यज्ञ में स्वाहा
ज्ञान के ख़ज़ाने से झोली भरनी
ज्ञान धन दान करने में उछल भरनी
अन्तर्मुखता द्वारा हरेक के दिल का समझना राज़
राज़ी करने वाले बनते विजयी सदा
वैराग्य की धरणी में हर बीज होता फलीभूत अवश्य
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!