28-01-16 मुरली कविता


भारत जब स्वर्ग था , तब था सोझरा
अभी बना नर्क तो है अंधियारा
हमनेँ पुकारा--दुःख-हर्ता,सुख-कर्ता आओ
हमें फिर से सोझरे में ले जाओ
तुम्हारा 84 का चक्र हुआ पूरा
अंतिम जन्म है,वानप्रस्थ अवस्था
देहि-अभिमानी बनने का करो अभ्यास
बीज और झाड़ को सिमरण कर रहना खुश
संगठन में सहयोग की शक्ति भरनी
कितना भी सहन करना पड़े,बनना विजयी
माया की हिम्मत नही जो तोड़ सके घिराव
इच्छा बनने नही देती अच्छा
तो बनो इच्छा मात्रम अविद्या

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!