04-09-16 मुरली कविता


बाप और बच्चों का आपस में होता है प्यार अटूट
बच्चे सोचते बाप से मिलना कहीं रह ना जाएं छूट
प्रभु प्यार में खोए बच्चे बाप से मिलन मनाते हैं
बाबा भी ऐसे बच्चों को स्नेह सहयोग देते जाते हैं
स्नेह की शक्ति बाप के संग का अनुभव कराती है
दूर कहीं बैठे हो फिर भी बाप के पास ले आती है
हर बच्चे को बाबा देते सदा सहजयोगी का वरदान
बाप समान बनते वही जो करते बाबा का गुणगान
बिंदू रूप में स्थित होकर याद करो बाबा बिंदू को
ड्रामा की हर सीन देखकर लगाते जाओ बिंदू को
इसी एक बिंदू में बाप बच्चे और ड्रामा भी समाया
सहज योगी वही है जिसने स्वयं को बिंदू बनाया
अन्त हुआ ड्रामा का अब घर चलना है बिंदी बन
तन से न्यारा होने वाला ही पार करेगा नील गगन
मन वाणी और कर्म जो बना लेता है एक समान
इस जग में वही बनता सबसे उत्तम और महान
सर्व खजाने खुद में भरकर बनो रूहानी सेवाधारी
सबको सुख देने वाला ही बनता सच्चा सेवाधारी
सच्चे रूहानी सेवाधारी की होती एक ही पहचान
सर्व शक्तियों से भरपूर कहलाता वो सर्वशक्तिवान
जो लेते अपनी इच्छा से विश्व सेवा की जिम्मेदारी
वही बनते हैं जग में सर्व की दुआओं के अधिकारी

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!