03-02-16 मुरली कविता


तुम सो ब्राह्मण बनते देवता,
भारत को बनाते स्वर्ग
तुम्हें अपनी जाति का रहे सदा नशा
सच्चा ब्राह्मण होता कर्मयोगी
पुरानी दुनिया से उठा होता उसका लंगर
रहता वो सदा आत्मभिमानी
स्थिति होती कमल फूल समान
काम- महाशत्रु पर पाता वो सदा जीत
ब्राह्मण बन कोई न हो शूद्र के संस्कार
मनसा-वाचा-कर्मणा रहना एक्यूरेट
जो होते बाप के दिलतखत्नशीन
उनका हर संकल्प ,कर्म होता बाप समान
मस्तक पर आत्म -स्थिति का तिलक रहता चमकता
सरल याद के लिये स्वाभाव-संस्कार में रहे सदा सरलता

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!