30-07-16
मुरली कविता
बिगड़ी को सुधारने वाला है बाप
जो नाँलेज दे बनाते तुम्हें तकदीरवान
रूहानी भट्ठी अर्थात याद की यात्रा
बुद्धि इधर-उधर भटकती तो करती वायुमण्डल खराब
इससे होता अपना ही नुकसान
एकाग्र हो करनी पढ़ाई,सेवा मे रहना तत्पर
याद का रखना सच्चा-सच्चा चार्ट
स्वार्थ अर्थात स्वयं के रथ को करना स्वाहा
स्वार्थ गया तो बन जायेंगे न्यारे
एक और एक रस स्थिति का होगा अनुभव
फरिश्ता रूप में रहने से कोई भी विघ्न
अपना प्रभाव डाल नही सकता
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!