22-06-16 मुरली कविता


एक बाप से रखो प्रीत तो मिले पूरा वर्सा
कोई देहधारी से नही रखनी प्रीत
देवता बनाने की ईश्वरीय मशीनरी में दो सहयोग
ब्राह्मण से देवता बनना तो छोड़ो गन्दी छि: छि: आदतें
पुराना मकान टूटने वाला तो इससे निकालनी दिल
पास्ट के संस्कार,स्वाभाव,संकल्प,कर्म से बनो मरजीवा
हिम्मत के साथ हुल्लास हो तो प्राप्ति की दिखायी देगी दूर से झलक
मेले वा झमेले में डबल लाइट रहने वाले है धरणामूर्त

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!