06-05-16 मुरली कविता


ब्रह्मा-मुख द्वारा तुम हुए हो अडॉप्ट
शुद्र घराने से निकल बने हो ब्राह्मण
ब्रह्मा है तुम्हारी माता,शिव निराकार है पिता
यह राज़ दैवी कुल में उंच पद पाने वाले ही समझेंगे यथार्त
लौकिक संबंधों से बुद्धि-योग निकाल
पारलौकिक बाप को करना याद
तुम्हारा धंधा है स्वयं धारणा कर दूसरों को कराना
"इच्छा मात्रम अविद्या "की स्थिति बना
अन्य आत्माओं की करनी सर्व इच्छायें पूर्ण
मास्टर बीज रूप बन सुनो भक्तों की पुकार
उन्हें अपनी शक्तियों का दो दान
सुप्रीम रूह की छत्रछाया में रहना ही है अलौकिक जीवन की सेफ्टी का साधन

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!