23-06-16 मुरली कविता


अमृतवेले उठ एकांत में बैठ सवेरे -सवेरे
बाबा से करो मीठी-मीठी बातें
निरन्तर योगी बनने में करती
ड्रामा की नॉलेज मदद
जो कुछ बीता,ड्रामा की है भावी
अचल और एक -रस स्थिति बनानी
ड्रामा में नही आये कोई संशय
श्रेष्ठ कर्म के आधार पर होता सिमरण
योगयुक्त बनो तो हर शब्द व् कर्म हो युक्तियुक्त
निमित्त और निर्माण चित्त... यही है सच्चे सेवाधारी के लक्षण

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!