05-07-16 मुरली कविता


शिवबाबा है निष्काम सेवाधारी
कभी वो बूढ़ा होता नही
बाबा है भोलानाथ ग्राहक
पुरानी चीज खरीद,नया देते रिटर्न
पुराने तन के एवज,देते ब्यूटीफुल न्यू तन
आत्मा को योग-अग्नि से बनाना सच्चा-सोना
पुरानी दुनिया से लेना बेहद का वैराग्य
अपने को आत्मा समझना
शरीर में समझना मेहमान
महान समझने से साधारण संकल्प
व कर्म भी हो जायेंगे परिवर्तित
बन जायेंगे महिमा योग्य
सर्व की शुभ-भावना और सहयोग
की बूंद से बड़ा कार्य भी सहज हो जाता

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!