20-05-16
मुरली कविता
तुम हो स्वदर्शन चक्रधारी आत्मा
तुम्हें बाप से मिली आदि- मध्य- अंत की नॉलेज
बाप लगाते हमें 'मनमनाभव' का रूहानी इंजेक्शन
रूह को पावन बनाने की बताते युक्ति
पूज्य बनना तो विकारो का करना त्याग
ज्ञान अमृत पीना और पिलाना
निश्चयबुद्धि बन बाप की हर बात माननी
शुद्ध संकल्पों के सागर में लहराना
सागर के तले में जाकर साइलेंस स्वरुप हो जाना
लाइट -माइट हॉउस बन वरदानी रूप में सेवा करनी
तो संकल्पों पर पूरा रखना कंट्रोल
संकल्प,समय और बोल की करो इकॉनमी
तो बाप की कैच कर सकेंगे मदद
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!