06-04-16 मुरली कविता


अल्फ और बे की याद से बनो बाप समान रमणीक
देवतायें होते बहुत रमणीक और पवित्र
रमणीक वो..जो रहते खुश,दैवी गुण करते धारण
अभी तुम वनवाह में ही तो रहना साधारण
ज्ञान से भरपूर बन देना ज्ञान दान
सच्चा-सच्चा सौदागर बन अपना रखना पोतामेल
गुणग्राही बनना ..अवगुण में देखना गुण
गुणग्राहक बनो, अवगुण नही उठाना
सब कुछ जो करते बाप को अर्पण
वो हल्के रहने वाले बनते फ़रिश्ते
 

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!