12-05-16
मुरली कविता
पुरानी दुनिया वा देहधारियों से
नही लगानी दिल
दिल लागई तो फूट जायेगा नसीब
सर्व-आत्माओं को बाप के पास देनी हाज़िरी
धर्म आत्मायें मनमनाभव का मन्त्र ले जायेंगी
मध्यजीव भव का मन्त्र वो नही धारण कर बनेंगी चक्रवती
कयामत के समय बाप से कुछ भी नही छिपाना
पुरुषार्थ कर सर्व-गुण-सम्पन्न बनना
राजयुक्त,योगयुक्त आत्मायें वायुमंडल को बनायेंगी डबल-लाइट
जो पहाड़ समान परिस्थिति भी राई होगी अनुभव
परिस्थिति में आकर्षित होने के बजाये साक्षी हो खेल रूप में
देखना
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!