24-02-16
मुरली कविता
पुरानी दुनिया से मरकर जाना नई
दुनिया
अभी तुम्हारी हुई है भगवन से सच्ची प्रीत
बिंदु बाप को याद करो तो बनो साहूकार
एक बाप के आगे जितने बिंदु लगाओ
जैसे 10,100...1000000..
याद में ही है कमाई सच्ची
तुम हो गॉडली स्टूडेंट रहे स्मृति
विकार में जाने का आये न कोई ख्याल
पतितों को पावन बनाने का करना धंधा
जैसे वाणी में आना है सहज
वैसे वाणी से परे में जाना हो सहज
इसका सहज और निरन्तर करना अभ्यास
स्वस्थिति हो जब शक्तिशाली
तो उसके आगे कुछ नही परिस्थिति
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!