11-01-16 मुरली कविता


बाप और वर्से की याद से होते रिफ्रेश
समझदार को होती ख़ुशी अपार
जो ख़ुशी में नही रहते वो है बुद्धू
पारसबुद्धि बन करनी रूहानी सर्विस
पुरानी दुनिया को भूल ..स्वर्ग और बाप की तरफ लगानी बुद्धि
इस स्मृति से अविनाशी विश्राम का पाना अनुभव
अन्तर्मुखी बच्चे कोई बात में नही होते लिप्त
अन्तर स्वरुप से गुप्त शक्ति स्वरुप होता प्रत्यक्ष
इसी स्वरुप से होती बाप की प्रत्यक्षता
श्रेष्ठ कर्तव्य कर बनो बाप के सच्चे स्नेही
निश्चय और जन्मसिद्ध अधिकार की रहे शान
तो होंगे नही कभी परेशान

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!