23-03-16
मुरली कविता
तुम बच्चे हो रूप बसंत
तुम्हारें मुख से सदैव निकले ज्ञान रत्न
सदा सर्विसएबल का रखो संग
नए को दो...) बाप का परिचय
पत्थर निकालने वालों से करनी संभाल
तभी होगी तुम्हारी एक-रस अवस्था
विश्व तुम्हारे पूज्य स्वररूप का कर रहा सिमरण
दिव्य गुण वाली सत्तोप्रधान बुद्धि को करो धारण
तब होंगे तुम्हारे प्रख्यात स्वरुप के साक्षात्कार
आदि-अनादि स्वरुप की स्मृति रख बनो वैसा स्वरुप
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!