21-04-16 मुरली कविता


तुम हो ईश्वरीय सैलवशन आर्मी
तुम्हें सबकों सद्गति दिलानी
एक बाप से सबकी प्रीत जुटानी
तुम अपनी अक्ल लगाते पूज्य बनने में
मनुष्य अक्ल लगाते आकाश और सृष्टि का अंत पाने में
सच्चा-सच्चा रूहानी खिदमतगार बनना
अवस्था अपनी बनानी खुश्मिसाज़
ज्ञानी तू आत्मा रहते सदा ज्ञान में समाये
होते सर्व प्राप्ति स्वरूप,इच्छा मात्रम अविद्या
अतिइन्द्रिय सुख व आनंद की अनुभूति करने वाले ही होते सहजयोगी

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!