18-01-16 बाबा पोएम
मन को दुखी करने वाला कोई भी
काम ना करो
श्रीमत की डोर थामकर उतरो सेवा के मैदान में
छोड़कर देहाभिमान रहो सदा आत्मिक शान में
हजार रूप बदलकर अपने माया दुश्मन आएगी
जरा सी लापरवाही पर हमें पूरा हप कर जाएगी
अपने निराकारी स्वरूप को सदा सामने रखना
श्रीमत की कसौटी पर माया दुश्मन को परखना
माया दुश्मन की है सीधी सी यही इक पहचान
जो भुला दे बाबा की याद उसको तूँ माया जान
देख ले चारों और कौन बाबा की याद है भुलाता
बाबा से संग तुड़वाकर कौन अपना संगी बनाता
उन वस्तु व्यक्ति और वैभव का आकर्षण छोड़
अपनी मन बुद्धि को पूरा बाबा की तरफ मोड़
बन जा पूरा जिद्दी मैं बाबा को कभी ना छोड़ूंगा
योग लगाकर अपने देहभान की मटकी फोड़ूंगा
एक बार मिलता अलौकिक जीवन ये अनमोल
प्यार लुटाता है बाबा हम पर अपनी बाहें खोल
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!