19-08-16
मुरली कविता
अच्छी याद से बैठती बृहस्पति की
दशा
निरन्तर याद में रहना तो मुख में मुल्हेरा दो डाल
नही करो क्रोध,देह -सहित सब कुछ भूल
मैं आत्मा हूँ... परमात्मा का बच्चा हूँ रहे याद
योग से मिली प्राप्तियां की रहे स्मृति
बाप से जो पवित्र रहने की करी प्रतिज्ञा उसे करो पूरी
हर संकल्प,हर कदम फरमान का करो पालन
तो अरमान हो जायेंगे खत्म
जब भी कोई उलझन आये तो चारो ओर से करो चेक
तो माया प्रूफ स्वतः बन जायेंगे
अपनी सूक्ष्म कर्मेन्द्रियों का चिंतन करके
उन्हें मिटा देना यही है स्वचिंतन
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!