05-09-16
मुरली कविता
आया हूँ दुनिया की महफ़िल में
बच्चों को अपनाने
गुणहीन हुए बच्चों को मैं सर्वोत्तम गुणवान बनाने
अपना मरजीवा जन्मदिन बड़ी धूमधाम से मनाओ
करके किनारा इस जग से वर्से का अधिकार पाओ
बहुत सुन लिए गीत कविता भजन शास्त्र और वेद
लेकिन बाबा से ही जाना हमने सृष्टि चक्र का भेद
रचना रचयिता के रहस्य को मानुष मन नहीं जाने
बाबा को जग में आना ही पड़ता इसका भेद बताने
यही ज्ञान बनाता है बच्चों को राजाओं का भी राजा
ऐसे महाराजाओं की द्वापर के राजा भी करते पूजा
महफ़िल में बाबा आया हमें देने वैकुण्ठ की सौगात
दिल में समाते जाओ उसे बाबा सुनाता है जो बात
किसकी गोद पाई हमने जरा सोचो अपने दिल से
अपने दिल में समाकर हमें बचाया हर मुश्किल से
उसने आकर हम बच्चों को काम चिता से बचाया
जीवन में दुःख आने का हमें असली राज बताया
बाबा आया हमें दिखाने मुक्ति जीवन्मुक्ति का द्वार
लेकिन बच्चे जानते इसे नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार
आता हूँ मैं उसके लिए जो दो रोटी के लिए तरसता
ऐसे गरीब बच्चों की खातिर मैं बनकर प्यार बरसता
अन्तर्मुखता के बल पर अपने चरित्र को श्रेष्ठ बनाओ
अपने व्यवहार से अलौकिकता का अनुभव कराओ
मन में संभालकर रख ली अगर रावण की जायदाद
कल्प कल्प फिर नहीं हो पाओगे माया से आजाद
ऐसे दिल में दिलाराम बाबा कभी ठहर नहीं पाएगा
दिल में विकार देखकर हमें छोड़कर चला जायेगा
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!