16-07-16 मुरली कविता


योग में नही करो कभी गफलत
योगबल से ही जाती आत्मा की कट
आत्मा भाई-भाई की रखो दृष्टी
तो कभी नही होगी क्रिमिनल असाल्ट
आत्मा भूलने से माया लाती विघ्न
घर जाना तो बनो कर्मातीत
एक बाबुल को करो प्यार से याद
देहि-अभिमानी बनो
सर्व सिद्धि करो प्राप्त
बाप के स्नेह में देह-अभिमान का करो त्याग
इसी त्याग से भाग्य होता प्राप्त
निस्वार्थ बनो,इच्छाओं के रूप का करो परिवर्तन
तो हो जाओगे क्रोध मुक्त

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!