09-05-16
मुरली कविता
बाप की महिमा समान बनना लायक
इसके लिए पहला फ़र्ज़...
बाप को करो प्यार से याद
और संग बुद्धि योग तोड़...
एक माशूक बाप को करना याद
पतित से पावन बनने का करना धंधा
सच्चे ब्राह्मण की कंपनी होती चढ़ती कला
उनका कम्पैनियन होता बाप
उनसे ही वो प्रीत की निभाते रीति
मन-बुद्धि को एक ही पॉवरफुल स्थिति
में स्थित करना है बनना एकांतवासी
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!