13-02-16
मुरली कविता
संगम पर मिलती नयी और निराली
नालेज
ड्रामा में हम है एक्टर्स हरेक का पार्ट है अलग
माया पर पानी जीत तो करो बाप को याद
श्रीमत पर चलो,आत्मभिमानी बनने का करो अभ्यास
अमृतवेले उठ बाप से मीठी -मीठी करो रूह-रिहान
साइलेंस की शक्ति द्वारा अपने दैवी संस्कारो को करो कैच
स्मृति रहे हम ही देवता थे अब फिर देवता रहे बन
ब्राह्मण जीवन में ख़ुशी है उनकी श्वांश
शरीर भल जाये पर ख़ुशी रहे कायम
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!