01-06-16
मुरली कविता
बाप के साथ चलना तो लो बेहद का
वैराग्य
रावण है भगवान् से भी समर्थ
तभी वह छीनता हमारा राज्य
ड्रामा अनुसार इसलिए पड़ते यज्ञ ने विघ्न
पावन दुनिया में जाना तो बनना ज्ञान-योग में मज़बूत
अभी हमारी है चढ़ती कला
बाप आया रावण का श्राप मिटाने
बाप और वर्से को याद कर ख़ुशी में रहो
एकाग्रता की शक्ति ,एक-रस स्थिति
से भटकती आत्माओं की करनी पूरी चाहना
ब्रह्मा बाप समान गुणमूर्त,शक्ति स्वरुप,याद स्वरुप बनना ही है
...सच्चा ब्राह्मण
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!