11-02-16 बाबा पोएम
आसुरी मत छोड़कर बाप की श्रीमत
पर चल पड़े
छोड़े सारे लौकिक बंधन विश्व सेवा पर निकल पड़े
बुद्धि भटकनी बन्द हुई बाबा पर मुझे निश्चय हुआ
आत्मा का सत्य ज्ञान पाकर मृत्यु से निर्भय हुआ
इस पाप की दुनिया से ले जाने मेरा बाबा आ गया
मिट गए सर्व आकर्षण मेरे मन पर बाबा छा गया
आदिकाल की देवात्मा हूँ बाबा से मिली पहचान
देवता बनूँगा मैं फिर से विकारों से होकर अनजान
खुद को पावन बनाने के लिए सदा अन्तर्मुखी रहूँगा
आत्मिक भान जगाकर सदा बाबा की याद में रहूँगा
चुन चुनकर मिटाना मुझे देहभान का हर इक अंश
गीता ज्ञान देकर बढ़ाना है ईश्वरीय परिवार का वंश
विश्व सेवा करने का हम दिल में ख्याल रखेंगे पूरा
बाबा के कार्य को हम बीच में नहीं छोड़ेंगे अधूरा
बनकर निराकार हम माया से मुक्त होते जाएंगे
हर आत्मा के मन में ज्ञान का बीज बोते जाएंगे
ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!