20-01-16 मुरली कविता


गुप्त याद की करनी यात्रा
तुम मुक्तिधाम जाने का अब कर रहे पुरुषार्थ
तुम्हें व्यक्त से अव्यक्त फ़रिश्ता बनना
फरिश्ता माना बिना हड्डी मांस का
तो दधीचि ऋषि समान हड्डी- हड्डी करनी स्वाहाः
महावीर जैसे बनानी निर्भय, अडोल स्थिति
सदा बाप को साथी बना सेवा करनी
पावरफुल परमात्म संग से कार्य में मिलेगा डबल फ़ोर्स
निरन्तर याद की स्मृति रहेगी ,सफलता होगी प्राप्त
महावीर माया के प्रभाव से होते नही परवश

ॐ शांति!!!
मेरे बाबा!!!