मुरली कविता दिनांक 29.11.2017
जीवन सुखी बनाते जो हमें देकर ज्ञान खजाना
ऐसे रूहानी शिक्षक को तुम कभी नहीं भुलाना
जादूगर बाबा जग को फूलों का बगीचा बनाते
पावन देवता बनाकर सबका पतितपना मिटाते
वर्सा पाने की सहज विधि बताते बाबा आकर
ग्रहस्थ में रहकर रखना पावन खुद को बनाकर
माया के किसी तूफान में तुम डूब कहीं न जाना
हर बात में एक दो को तुम सावधान करते जाना
सोचो जरा पतित पावन हमें कैसे पावन बनाता
सबका देहभान मिटाकर आत्माभिमानी बनाता
स्वर्ग का वर्सा देने वाला केवल परमात्मा है एक
ईश्वरीय पढाई पढ़ने में कर दो रात दिन तुम एक
बच्चों अपनी बुद्धि नई दुनिया की ओर लगाओ
विनाशी दुनिया के पाई पैसे की तरफ ना जाओ
स्वर्ग में जाने के लिये बाप के पास तुम आते हो
वर्सा देने वाले बाप को भूल किसलिए जाते हो
नर्कवासी देहधारी में अपनी बुद्धि नहीं डुबाओ
अपने मन बुद्धि को तुम बाप की तरफ घुमाओ
ब्रह्मा बुड्ढा होकर भी जब बन सकता है सम्पूर्ण
होकर हम जवान क्यों रहें अब तक भी अपूर्ण
याद में बैठने का बच्चों भोर का समय निकालो
खाद निकालकर सारी खुद को पावन बना लो
भूल कोई हो जाये तो बाबा को अवश्य बताना
गलती को सुधारकर पुरुषार्थ को आगे बढ़ाना
अमृत वेले की याद से सुख का अनुभव करना
आये कितने भी तूफान बिलकुल भी ना डरना
वृत्तियों को बदल दो करके मन में दृढ़ संकल्प
किसी विकार का मन में आये ना कोई विकल्प
भाई भाई की वृत्ति हमें बनायेगी महान आत्मा
यही स्थिति देखकर खुश होगा पिता परमात्मा
पवित्रता का वाइब्रेशन सारे संसार में फैलाओ
दुनिया की नजरों में रियल डायमण्ड कहलाओ
ॐ शांति