मुरली कविता दिनांक 29.10.2017


शांति की शक्ति

देख रहे हैं बापदादा मेरी सेना कितनी हुई तैयार

सम्पन्नता के पथ पर हैं या करते जा रहे इंतजार

सेनापति बनकर बाबा अपनी सेना देखने आया

किस योद्धा ने कितना स्वयं को विजयी बनाया

साइलेंस की शक्ति से करते रहो नित नए प्रयोग

सर्व परिवर्तन में करते रहो साइलेंस का उपयोग

दुनिया करना चाहती हैं प्रत्यक्ष फल का अनुभव

प्रयोग करोगे खुद पर इसका तब होगा ये संभव

अनुभव हो दुनिया को किरणें शांति की पाने का

दिल करे उनका भी खुद को शांतिदेव बनाने का

अशांत आत्मायें आपकी और खींची चली आये

आपकी नजरों से अंनत शांति का अनुभव पाये

शुभ संकल्पों से सर्व सिद्धियां करते रहना प्राप्त

किंतू पहले व्यर्थ संकल्पों को पूरा करो समाप्त

साइलेंस के बल का खुद पर प्रयोग करते जाओ

कर्म बंधन को सम्बन्ध के रूप में बदलते जाओ

तन के रोग भोगते हुए भी ना करो कभी संताप

यही समझना सदा ये तो है मेरा हिसाब किताब

और लोग क्या करते हैं इसमें बुद्धि नहीं लगाओ

स्व पर प्रयोग कर अपना अनुभव बढ़ाते जाओ

निज प्रयोग करने वालों का बने संगठन विशाल

संसार में शांति लाने का तभी हो पाएगा कमाल

एक जैसे शुद्ध संकल्पों का संगठन ऐसा बनाओ

बाबा की प्रत्यक्षता का झण्डा चहुँ और फैलाओ

ॐ शांति