मुरली कविता दिनांक 15.11.2017


पढ़े जो अच्छी रीति से और सेवा करता जाये

उत्तम पद का अधिकारी खुद को वही बनाये

करे कमाई रूहानी और सेवा करे बाप समान

ईश्वर के परिवार में केवल वही पाते सम्मान

करे वक्त बर्बाद जो नहीं देते पढ़ाई पर ध्यान

तरस पड़ता उन पर नहीं ठहरता उनमें ज्ञान

बाप बैठ अपने बच्चों को बात यही समझाते

श्रीमत पर जितना चलते उतना ही सुख पाते

पढ़े पढ़ाई जो दिल से वो श्रेष्ठाचारी बन जाते

ना पढ़ने वाले बच्चे सिर्फ नालायक कहलाते

औरों की सेवा करके उन्हें श्रेष्ठाचारी बनाओ

सेवा के फलस्वरूप सर्वोत्तम पद तुम पाओ

जीतो बाप का दिलतख्त करके सेवा रूहानी

कल्प कल्प की प्रालब्ध इसी विधि से बनानी

कोई पाप ना हो जाये रहना बच्चों सावधान

माया के चंगुल से बचना होता नहीं आसान

ब्राह्मण कुल को तुम कलंक अगर लगाओगे

धर्मराज की सजा के अधिकारी बन जाओगे

बाप के हर फरमान को पूरा अमल में लाना

याद में रहकर बाप की भोजन को तुम खाना

मम्मा बाबा समान सबकी सेवा करते जाना

सेवा करते हुए बड़ो का रिगार्ड रखते जाना

सर्वशक्तिमान के संग रहकर सफलता पाओ

बाप की संगत में खुद को शक्तिवान बनाओ

निस्वार्थ भाव से सबका सहयोग करते जाओ

सबकी दुआओं से अपनी झोली भरते जाओ

ॐ शांति