मुरली कविता दिनांक 29.12.2017


शिव पिता से रखना बच्चों तुम दिल की प्रीत

मन ही मन में गाते रहना उसके प्यार का गीत

खुद को पवित्र बनाने वाले महावीर कहलाते

पुरुषार्थ करके रुद्र माला का दाना बन जाते

रूहानी प्यार की आग रहेगी दिल में जलती

नजर आती रहेगी उन्हें सारी दुनिया बदलती

बाप से होने वाला प्यार कहलाता है रूहानी

दुनिया वाले करते हैं केवल प्यार जिस्मानी

तुम बच्चों के कहने पर मैं दूर देश से आया

मेरे से ही तुम बच्चों ने घर का रस्ता पाया

रूहानी प्यार की अपने अंदर आग लगाओ

काम क्रोध की अग्नि को तुम पूरा ही बुझाओ

जिस्मानी प्यार का आकर्षण मन से मिटाओ

सच्चे माशूक एक परमात्मा से प्रीत लगाओ

तुम बच्चों को अब तो नई दुनिया में है जाना

विनाश होने से बच्चों तुम कभी नहीं घबराना

दिल लगाकर तुम ईश्वरीय पढ़ाई करते जाना

21 जन्मों का बाबा से बेहद का वर्सा पाना

माया तुमसे लड़ेगी रहना तुम सदा खबरदार

संग बाप के रहना बनकर तुम पूरे होशियार

एक बाप से रखना तुम सच्चा प्यार रूहानी

पार करके विघ्न दिखाना अपनी पहलवानी

निर्माण भाव रखने वाले सबकी दुआयें पाते

बाप समान वो भी मास्टर सुखदाता बन जाते

मजबूत किया हो जिसने निश्चय का आधार

श्रेष्ठता के अनुभव से करता उत्तम व्यवहार

ॐ शांति