मुरली कविता दिनांक 18.12.2017
पतित पावन शिव बाबा हमें ऊंच पढ़ाई पढ़ाते
नई दुनिया में जाने लायक खुद को हम बनाते
आप समान बनाने की सेवा जो दिल से करते
रूहानी गवर्नमेंट उसकी बेहद की सेवा करते
पढाई बड़ी निराली ये पावन लोक में जाने की
स्वर्ग लोक में जाकर सर्वोच्च पद को पाने की
क्या रिश्ता है परमपिता से पूछो सरल सवाल
करके याद उसको बनाओ तक़दीर बेमिसाल
कब्र दाखिल हम सारे शिव बाबा जगाने आये
देहभान को मिटाकर संग अपने ले जाने आये
मरे पड़े हैं सभी यहां दिल ना किसी से लगाना
पावन बनाने वाले बाबा को ही दिल में बसाना
चने त्यागकर पावन बनो मिलेगा छप्पन भोग
21 जन्मों तक नहीं आएगा पास तुम्हारे रोग
ईश्वरीय अनमोल पढ़ाई का करना पूरा सम्मान
धारण कर ज्ञान जीवन में बनना है देव समान
रहमदिल बनकर सदा रखना तुम मीठी जुबान
कड़वे बोल त्यागकर बनते जाओ बाप समान
सुखदाता के बच्चों का दुख से हो गया किनारा
मास्टर सुखदाता बनकर सबको दिया सहारा
हर्षित और गंभीर बनने का संतुलन अपनाओ
सहज रूप से एकरस अवस्था को तुम पाओ
ॐ शांति