मुरली कविता दिनांक 09.11.2017


अन्तर्मन टटोलकर अपना हर अवगुण निकालो

दिव्य गुण धारण कर खुद को सम्पन्न बना लो

ईश्वरीय ज्ञान से सबके अंदर दिव्य गुण जगाओ

अपने संग संग औरों को भी दैवी देवता बनाओ

हुए जन्म चौरासी पूरे अपने घर हमको है जाना

लेकिन इससे पहले होगा खुद को पावन बनाना

मंत्र मनमनाभव का हमको मानव से देव बनाता

कर्म करते हुए याद की यात्रा में रहना सिखाता

दिव्य गुण होते जिनमें वही देवी देवता कहलाते

इसीलिए तो भक्तजन उनकी इतनी महिमा गाते

शिवबाबा आये हैं बनाने हम बच्चों को गुणवान

अपने अंदर ना छोड़ो अवगुण का नाम निशान

अबलाओं पर भी होंगे विघ्न रूप में अत्याचार

निंदा सहकर छुड़ाते जाना सबके विषय विकार

पावन बनने का नहीं लगाते बच्चे बिल्कुल जोर

बाप में बच्चों का निश्चय अभी तक है कमजोर

सेवा के नये ख्याल बच्चों मन में चलाते जाना

कैसे बनते नर से नारायण सबको ये समझाना

कोई करे निंदा तुम्हारी चाहे कोई करे अपमान

सेवाक्षेत्र पर रखना अपनी अवस्था एक समान

विघ्नों के तुम पहाड़ लांघों उड़ता पंछी बनकर

ना रुकना बच्चों तुम मंजिल से पहले थककर

प्रभु याद में रहकर वायुमण्डल को शुद्ध बनाओ

इसी अभ्यास को मनसा सेवा की विधि बनाओ

ॐ शांति