मुरली कविता दिनांक 14.11.2017


कभी ना सोचो मृत्यु लोक में हम दोबारा आयें

खुद को देवता बनाकर हम सबको देव बनायें

ज्ञान रत्नों से अपनी झोली हर पल भरते जायें

दान देकर रत्नों का हम सबको सम्पन्न बनायें

जीवन पर्यन्त खुद को प्रभु की मत पर चलायें

पक्के महावीर बनकर माया को हार खिलायें

रहकर सदा पावन हम औरों को पावन बनायें

16 कला सम्पूर्णता का टाइटल बाबा से पायें

अपनी पूरी कर्म कहानी तुम बाबा को सुनायें

राय लेकर बाबा से खुद को पुण्यात्मा बनायें

आये कोई विघ्न तो कभी ना होना तुम उदास

देव पद पाओगे करके इन परीक्षाओं को पास

घर में रहकर 5 विकारों से लेना तुम्हें सन्यास

पवित्र बनने से होगा रावण राज्य का विनाश

गुण रत्नों के दाता बनते देवपद के अधिकारी

दानी न कोई भारत जैसा घूम लो दुनिया सारी

सर काटो रावण का बनकर स्वदर्शन चक्रधारी

अशोक वाटिका मिलकर बनाओ दुनिया सारी

बाप समान सबको ज्ञान संजीवनी खिलाओ

स्वदर्शन चक्रधारी बन रावण का सर उड़ाओ

हर परिस्थिति में जो बनकर रहते अधिकारी

खेल समझते विघ्नों को बनते हीरो पार्टधारी

रहते हैं जो सदा प्रसन्न वही प्रशंसा को पाते

प्रसन्न रहने वाले ही चहुँ और प्रशंसा फैलाते

ॐ शांति