मुरली कविता दिनांक 12.12.2017
समय बढ़ाओ याद का बनकर देही अभिमानी
स्व-कल्याण की यही विधि काम तुम्हारे आनी
बैठो बाप की याद में समय निकालकर खास
याद में बैठने से ही बच्चों होंगे विकर्म विनाश
वृत्ति पवित्र रखकर त्यागो बुद्धि की चंचलता
खराब वृत्ति रखी तो झेलनी पड़ेगी विफलता
काम दिया है बाबा ने बच्चों मुझको याद करो
माया के विघ्नों से बच्चों तुम बिलकुल न डरो
सूर्यवंशी तुम बच्चों ने ही रावण को हराया था
जगतजीत का टाइटल तुम बच्चों ने पाया था
जांच करो तुम रोजाना याद में बैठे थे कितना
लिखो उसका चार्ट याद में बैठे थे तुम जितना
अपनी चाल चलन से हर अवगुण को निकालो
सबके अनुसरण लायक खुद को तुम बना लो
खुद को समझो तुम ईश्वरीय सेवा करने वाले
दुनिया को रावण की जंजीरों से छुड़ाने वाले
घर जाने का रस्ता ना जाने कोई भी आत्मा
इसलिए घर ले जाने हमें आते खुद परमात्मा
सब कुछ शिवबाबा को देकर उसको सम्भालो
निमित्त भाव जगाकर खुद को ट्रस्टी बना लो
तड़पती हुई आत्माओं की सुन लो जरा पुकार
रहम भावना जगाकर बदलो ये दुखमय संसार
स्व परिवर्तन की भावना प्रतिदिन तुम बढ़ाओ
दुख भरी दुनिया को समाप्ति की और लाओ
ज्ञान योग के दोनों पंखों को मजबूत बनाओ
उड़ती कला का अनुभव बच्चों करते जाओ
ॐ शांति