मुरली कविता दिनांक 19.12.2017


कितना भी हो कोई मीठा, गुणवान या धनवान

जिस्मों को याद करके कभी नहीं बनना नादान

ज्ञान की कद्र करने वाले देते बाप को धन्यवाद

मीठे बाबा ज्ञान देकर आपने कर दिया आबाद

अंत समय है दुनिया का छोड़कर सब है जाना

भौतिक चीजों में तुम अपनी बुद्धि नहीं फंसाना

बाप नहीं उसका कोई वो जन्म कभी नहीं लेता

देवी देवता बनाने वाला वो ज्ञान सभी को देता

डबल अहिंसक बनकर दुख ना किसी को देना

आत्मभान जगाकर रूहानी प्यार सभी को देना

ज्ञानसूर्य के आने से दूर हुआ जग से अंधियारा

आदि मध्य अंत का ज्ञान पा लिया हमने सारा

बनकर बाप के बच्चों तुम रखो अपना ख्याल

निगल नहीं जाए तुम्हें कहीं रावण रूपी काल

कर लो एक बाप की याद में रहने का अभ्यास

स्थूल वस्तुओं के आकर्षण से कर लो सन्यास

मिली बाप से बच्चों को दिव्य बुद्धि की सौगात

त्रिकालदर्शी बनकर बच्चों करना मुख से बात

दिव्य बुद्धि से सर्व शक्तियां धारण करते जाओ

तीनों काल स्पष्ट रूप से नज़रों के समक्ष पाओ

रूहानियत का भरपूर नशा अपने अंदर चढ़ाओ

बेफिक्र स्थिति द्वारा यथार्थ निर्णय करते जाओ

ॐ शांति