मुरली कविता दिनांक 16.12.2017


कल्प बाद हम बच्चे बाप से नेत्र ज्ञान का पाते

सुनकर ईश्वरीय ज्ञान हम देवता खुद को बनाते

देहधारी की याद में बच्चों खुद को मत डुबाओ

एक बाप दूजा ना कोई इस मंत्र को अपनाओ

अपने हर एक कर्म में राय बाप की लेते जाओ

दुखों से मुक्ति पाकर धारणायुक्त बनते जाओ

बिगड़ी बनाने वाला भोलानाथ बैठा है समक्ष

मिलन मनाते सब बच्चे अपने बाप से प्रत्यक्ष

विनाश का दृश्य आ रहा सबके सामने नजर

लेकिन कई बच्चों को नहीं इसकी कोई खबर

ना जाने कितनी लेंगे ये गहरी नींद अज्ञान की

सुना रहे हैं शिव बाबा कब से मुरली ज्ञान की

गृहस्थ में रहकर करना पालन श्रीमत का पूरा

पवित्रता की धारणा का संकल्प ना हो अधूरा

कमल स्वरूप जीवन की सबको दे दो खबर

सबको ये बता दो हम श्रीमत पर गये हैं सुधर

परमात्म स्नेह से बच्चों तुम हो जाओ सम्पन्न

कोई और प्यार की इच्छा कभी ना हो उत्पन्न

बाप के रूहानी प्यार में जो पूरे ही समा जाते

सम्पूर्ण ज्ञानी योगी केवल वही बच्चे कहलाते

व्यर्थ बातों को बच्चों कभी दिल में ना बसाना

फीलिंग प्रूफ होकर तुम मायाजीत बन जाना

ॐ शांति