मुरली कविता दिनांक 25.11.2017


याद की रूहानी यात्रा बुद्धियोग से करते जाओ

सारे कल्प की गुप्त रूप से कमाई करते जाओ

याद में रहने वाले होते हैं गम्भीर और समझदार

ईश्वरीय नशे में रहकर वे करते रहते सबसे प्यार

शांतचित्त अल्प वक्ता मुख पर रूहानी मुस्कान

रूहानी यात्रियों की होती यही असली पहचान

सफर रूहानी करना है तो लक्षण त्यागो शैतानी

देह भान मिटाकर आत्मिक अवस्था है बनानी

आधा कल्प से पाले बैठे तुम देह का अभिमान

मिटाओ एक जन्म में तुम इसका नामो निशान

रहोगे जितना याद में उतनी ही रॉयल्टी आएगी

देहभान की कड़ी बीमारी तब ही मिट पायेगी

ग्रहण लगेगा माया का अगर हो गये लूनपानी

ऐसी मन की स्थिति हमको कभी नहीं बनानी

बुद्धियोग टूटे किसी का राय ना देना तुम ऐसी

सब कहे ये है देवता तुम चलन बना लो ऐसी

सत्य बाप के सच्चे बच्चे झूठ कभी ना कहना

श्रीमत अनुसार मुख से ज्ञानयुक्त बातें कहना

संग है कल्याणकारी बाप होगा सिर्फ कल्याण

विश्व का कल्याण करेंगे हम देकर अपने प्राण

कर्म किया हो जिसने सदा होकर तन से न्यारा

संकल्पों को जो वश में करे वो है प्रभु का प्यारा

ॐ शांति