मुरली कविता दिनांक 28.11.2017


इस रुद्र ज्ञान यज्ञ का तुम्हें रखना है पूरा सम्मान

इसी यज्ञ के माध्यम से भारत बनता स्वर्ग समान

भूल जाते बाप को जो छोड़कर ईश्वरीय पढ़ाई

ऐसे बच्चे मिटा देते अपनी किस्मत बनी बनाई

गाते हो जिसकी महिमा वो है निराकार भगवान

उसकी याद से ही मिट जाता देह का अभिमान

समझ ना पाए थे अब तक हरि कौन कहलाता

दुख मिटाकर जो सारे जग को सुखधाम बनाता

पांच विकारों को जो जीते वो असली पहलवान

ज्ञान योग के बल से जो जीवन को बनाए महान

लुप्त हो जाती दिव्यता रावण राज्य तब आता

पांच विकारों से मानव पूरा धर्म भ्रष्ट बन जाता

झूठी दुनिया में अब तुम ना रखना कोई कामना

खुश रहकर करना माया के तूफानों का सामना

सर्व आकर्षणमुक्त होकर उड़ना वतन की ओर

नीचे ना खींचे तुम्हें कोई पुराने संस्कारों की डोर

सर्व के प्रति स्नेह का ऐसा आभामण्डल बनाना

ग्लानि करने वालों को भी दिल के समीप लाना

ॐ शांति