मुरली कविता दिनांक 13.11.2017
अवगुण सब मिटाकर जिसने धारण की सच्चाई
पवित्रता के बल पर उसने सेवा में सफलता पाई
पुरानी दुनिया जिसकी बुद्धि से निकल जायेगी
वही आत्मा यहां पर कर्मातीत अवस्था पायेगी
बाबा को याद कर जो सम्पूर्ण पवित्र बन जाता
शिवबाबा से एक वही 21 जन्मों का वर्सा पाता
हम बच्चों को बाबा पुण्य आत्मा बनाने आया
पतित पुराने संसार को तुम समझो देश पराया
बाप की आज्ञा मानकर सपूत बच्चे कहलाओ
मम्मा समान अवगुण मुक्त बनकर दिखलाओ
खाक समान बन गए बच्चे विकारों में जलकर
पावन बनाने आये बाबा परमधाम से चलकर
मैं हूँ शिव बिन तन वाला ब्रह्मा तन में ही आऊँ
गोद लेकर तुम बच्चों को मैं राजयोग सिखाऊँ
छोड़ो ये विकारी दुनिया क्यों ये इतनी लुभाती
और कितने पतित बनोगे शर्म नहीं क्यों आती
करो ज्ञान को धारण और पवित्रता अपनाओ
मेरे द्वारा ही बच्चों तुम उपहार स्वर्ग का पाओ
माया के तूफानों से कोई भी बच्चा ना घबराये
सावधान रहो कहीं राहु की दशा बैठ ना जाये
दिन प्रतिदिन तुम अपनी चलन सुधारते जाओ
याद की यात्रा में रहकर विकर्म मिटाते जाओ
सब कुछ बाप को देकर कमलपुष्प बन जाओ
सबसे न्यारे होकर बच्चों प्यार बाप का पाओ
तन मन धन सब उसको देकर हल्के हो जाओ
बोझमुक्त बनकर तुम डबल लाइट कहलाओ
मर्यादा की लकीर में रहना खुद को सिखलाओ
बाबा की नजरों में मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाओ
ॐ शांति