19-10-11 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


‘‘फॉलो फादर कर ब्रह्मा बाप समान व्यर्थ समय, व्यर्थ संकल्प के विजयी, कर्मातीत बन मुक्ति का गेट खोलने के निमित्त बनो, इस दीवाली पर हर एक आपस में मिलकर संस्कार मिलन की रास का संकल्प करो

आज बापदादा अपने चारों ओर के मीठे-मीठे प्यारे-प्यारे बच्चों को देख रहे हैं। सभी बड़े प्यार से अपनी याद दे रहे हैं। इतना प्यार सिर्फ बाप को ही करते हैं। यह परमात्म प्यार सिर्फ अभी प्राप्त होता है। हर एक बच्चा प्यार में लवलीन है। बाप भी हर बच्चे को प्यार का रेसपान्ड दे रहे हैं। वाह बच्चे वाह! चाहे सम्मुख हैं, चाहे दूर हैं लेकिन हर एक बच्चा बाप के दिल में समाया हुआ है। सबके दिल में यह गीत बज रहा है इतना प्यार करेगा कौन! यह बाप और बच्चों का आत्मिक प्यार हर बच्चे को देह से न्यारा और बाप का प्यारा बनाने वाला है और यह प्यार अभी ही बच्चों को प्राप्त होता है। यह प्यार बच्चों को क्या से क्या बनाने वाला है। यह प्यार सिर्फ इस एक जन्म में प्राप्त होता है। बाप भी बच्चों का स्नेह देख बच्चों के स्नेह में समा जाता है।

आज बापदादा हर एक के मस्तक में तीन भाग्य देख रहे हैं। एक बाप के स्वरूप में प्राप्त वर्से का भाग्य, दूसरा शिक्षक के रूप में श्रेष्ठ शिक्षा का भाग्य और तीसरा सतगुरू के रूप में वरदानों का भाग्य। हर एक का मस्तक इन तीनों भाग्य से चमक रहा है। बापदादा भी अपने भाग्यशाली बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। चाहे सम्मुख बैठे हैं, चाहे दूर बैठे हैं लेकिन दिल में नजदीक हैं। ऐसे बच्चों और बाप का प्यार सारे कल्प में इस समय ही प्राप्त होता है। यह प्यार का अनुभव औरों को भी करा रहे हो। अभी कोई-कोई लोग समझते हैं कि इन ब्राह्मण आत्माओं को कुछ मिला है। क्या मिला है, उसका स्पष्टीकरण होता जा रहा है। बाप ने देखा अब इस प्लैटिनम जुबली का चारों ओर प्रभाव है और बच्चों ने भी दिल से सेवा की है और आगे भी प्लैन बनाया है। तो बापदादा भी चारों ओर के बच्चों को मुबारक दे रहे हैं वाह बच्चे वाह! यह 75 वर्ष अपने-अपने पुरूषार्थ अनुसार करते निर्विघ्न बनके; बनाके पहुंच गये हो। अभी बाप बच्चों से क्या चाहते हैं? बाप को सदा हर बच्चे में यही आशा है कि हर बच्चा बाप समान बन जाए। जैसे ब्रह्मा बाप विजयी बने, ऐसे हर बच्चा सदा विजयी बने। इसके लिए जैसे ब्रह्मा बाप ने क्या किया? फॉलो फादर। तो आप सभी भी हर कदम उठाते पहले चेक करो कि यह कदम ब्रह्मा बाप ने किया? ब्रह्मा बाप ने हर बच्चे प्रति चाहे जानते थे कि यह बच्चा कमज़ोर है, पुरूषार्थ में भी, सेवा में भी लेकिन कमज़ोर के ऊपर और ही रहम और कल्याण की भावना रही। ऐसे ही बापदादा सभी बच्चों को भी यही कहते अपने परिवार के हरेक भाई या बहन प्रति शुभ भावना, शुभ कामना, रहम और कल्याण की दृष्टि से उनके भी सहयोगी बनो। बापदादा ने पहले भी सुनाया कि प्यार की सबजेक्ट में हर एक बच्चा यथा शक्ति पास है। प्यार के कारण ही आगे बढ़ रहे हैं। अभीबापदादा बच्चों के प्यार को देख खुश है। प्यार की सबजेक्ट के कारण हर एक बच्चा नम्बरवार चल रहा है। अभी बापदादा चाहते हैं कि प्यार में कुछ कुर्बानी भी की जाती है। बाप से प्यार है इसलिए कौन सी कुर्बानी करनी है? जो बापदादा चाहता है वह समझ तो गये हो, समझते हो ना बाप क्या चाहता है? समझते हो? कांध हिलाओ। समझते हो? तो करना है इसकी भी हिम्मत है ना! है हिम्मत हाथ उठाओ। हिम्मत है? अच्छा। तो हिम्मते बच्चे मददे बाप है ही।

अभी बापदादा चाहते हैं, रिजल्ट में देखा तो अभी तक सम्पूर्ण पवित्रता के हिसाब से व्यर्थ संकल्प भी अपवित्रता का बीज है। तो बापदादा ने देखा यह व्यर्थ संकल्प चलना, यह मैजारिटी बच्चों में अब भी संस्कार रहा हुआ है। एक व्यर्थ संकल्प और दूसरा व्यर्थ समय यह मैजारिटी बच्चों में अब भी दिखाई देता है। और व्यर्थ संकल्प का आधार है मन, जो मनमनाभव होने नहीं देता क्योंकि बापदादा ने काफी समय से इशारा दे दिया है कि जो कुछ होना है वह अचानक होना है। तो अचानक के हिसाब से बापदादा ने चेक किया मैजारिटी बच्चों में यह व्यर्थ संकल्प का संस्कार है। तो जब ब्रह्मा बाप व्यर्थ समय, व्यर्थ संकल्प के विजयी बन कर्मातीत हुए तो फॉलो फादर।

बापदादा ने देखा कि मन है तो आपकी रचना, आप मन के रचता हो तो मन को चलाने वाले हो। मन की कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर के मालिक हो लेकिन फिर भी मन कहाँ धोखा दे देता है। है आपकी रचना, मेरा है ना! लेकिन कन्ट्रोलिंग पावर कम होने के कारण धोखा दे देता है। मन को घोड़ा भी कहा जाता है लेकिन आपके पास श्रीमत की लगाम है। है ना लगाम! तो कभी भी अगर मन वेस्ट संकल्प की तरफ ले जाता, लगाम को टाइट करने से अपने को व्यर्थ संकल्प की थोड़ी भी अपवित्रता को खत्म कर सकते हो। मन के मालिक बन, जैसे ब्रह्मा बाप ने रोज़ मन की चेकिंग की, ऐसे रोज़ चेक करो और व्यर्थ संकल्प को समाप्त करो। तो आज बापदादा यही चाहता है कि इस व्यर्थ संकल्पों को समाप्त करो। बुरे संकल्प कम हैं, व्यर्थ ज्यादा हैं लेकिन इसमें टाइम बहुत जाता है। मन के मालिक बन मन को ऐसे बिजी करो जो और तरफ आकर्षित हो आपकी लगाम को ढीला नहीं करे। हो सकता है यह? आज बापदादा व्यर्थ संकल्प के समाप्ति का सबको संकल्प दे रहे हैं। हो सकता है? हाथ उठाओ जो समझते हैं व्यर्थ संकल्प भी समाप्त, सेरीमनी मनायेंगे। व्यर्थ समय भी बचाना है। समय और संकल्प दोनों को बचाना है क्योंकि बापदादा सबका चार्ट देखते हैं। तो चार्ट में यह कमी मैजारिटी में देखने आई। मन के मालिक ही विश्व के मालिक बनने हैं। जैसे बाप ब्रह्मा मनजीत बन विश्व का मालिक बन गया, अभी तो आपके लिए, बच्चों के लिए आवाह्न कर रहे हैं, आपकी एडवांस पार्टी भी आवाह्न कर रही है। सुनाया था चार बजे एडवांस पार्टी वाले भी वतन में आते हैं, तो पूछते हैं कब मुक्ति का गेट खोलेंगे? किसको खोलना है? आप सभी मुक्ति का गेट खोलने वाले हो ना! आपका सम्पूर्ण बनना अर्थात् मुक्ति का गेट खुलना। तो बापदादा से एडवांस पार्टी रूहरिहान करती है कब तक? तो बाप आपसे पूछते हैं कब तक? तो क्या जवाब देंगे? पहली लाइन वाले बोलो, कब तक? हर कार्य के लिए डेट फिक्स करते हो ना! तो इस कार्य की डेट कब तक? ब्रह्मा बाप तो फरिश्ते रूप में आवाह्न कर रहे हैं। बता सकते हो डेट? बोलो, डेट फिक्स कर सकते हैं? अभी डेट फिक्स है? पाण्डव हाथ उठाओ, डेट फिक्स है? नहीं है। क्यों? दीदी कहती है बाबा हम लोगों को लगन थी घर जाना है, घर जाना है, घर जाना है। दादी कहती है हमको लगन थी कर्मातीत होना है, कर्मातीत होना है..। तो आप सभी का तो दीदी दादी से प्यार है ना। है तो सभी से क्योंकि जो भी एडवांस पार्टी में गये हैं उन सभी से आपका प्यार तो है। अभी उसके प्रश्न का उत्तर दो। तो आपस में रूहरिहान कर अब कुछ जवाब तैयार करना। करेंगे?

आज तो डबल फारेनर्स के मिलन का दिन है ना! तो डबल फारेनर्स भी आपस में राय करके डेट बताना और भारत वाले भी इस पर चर्चा करके बताना। है जवाब। हाँ बोलो, बोलो...। जो बोले वह हाथ उठाओ। (मोहनी बहन न्युयार्क - बाबा डेट आप फिक्स करिये, हम लोग एवररेडी हैं) नहीं आप फिक्स करो ना। तैयार आपको होना है ना। बाप तो कहेगा कि इस दीवाली पर दीवाली करो। एवररेडी। एवररेडी? कहेंगे जल्दी है। इसलिए कहते हैं आप बताओ। (डा.निर्मला बहन ने कहा - बाबा एक साल दो) अच्छा, इसमें शामिल हो, यह कह रही है एक साल। जो समझते हैं एक साल वह हाथ उठाओ। बड़ा हाथ उठाओ। अच्छा। एक साल वालों का नाम नोट करो। अच्छा है। दूसरे सब मुस्कराते हैं। बोलो। (निर्वैर भाई ने कहा - नाउ और नेवर, आज अभी होना है) तो ताली बजाओ। अच्छा, बहुत अच्छा। तो अभी अभी सभी अपने मन में यह प्रामिस करो कि कभी भी व्यर्थ संकल्प नहीं आने देंगे। यह हो सकता है? अभी से कहते हैं नाउ आर नेवर, तो कम से कम यह सब प्रामिस करते हैं कि अभी से न व्यर्थ संकल्प, न व्यर्थ समय गंवायेंगे? इसमें जो तैयार हैं वह हाथ उठाओ। मैजारिटी ने उठाया है। जो समझते हैं कि टाइम लगेगा वह हाथ उठाओ। कोई नहीं। वह थोड़े हैं जो कहते हैं, हाथ उठा रहे हैं थोड़े थोड़े। अच्छा तो इस दीवाली पर यह एक दृढ़ संकल्प करना, जिन्होंने मैजारिटी ने हाथ उठाया है वह स्वाहा करना इसीलिए आप सबकी तरफ से दृढ़ संकल्प के लिए आज केक काटेंगे। पसन्द है ना! आज का केक इस दृढ़ संकल्प का सूचक है क्योंकि सभी चाहते हैं, अज्ञानी भी चाहते हैं कि अब कुछ होना चाहिए, अब कुछ होना चाहिए लेकिन ताकत नहीं है। आप बच्चों में तो संकल्प को पूर्ण करने की ताकत है। फॉलो फादर है ना। ब्रह्मा बाप का जन्म ही दृढ़ संकल्प से हुआ है। करना है, सोचेंगे नहीं, क्या करूं, क्या नहीं करूं, करना है। उस एक दृढ़ संकल्प ने इतने बच्चों का भविष्य बनाया। एक ब्रह्मा बाप ने कितनी हिम्मत रखी। आधा हिस्सा मिला और यज्ञ रचा। यज्ञ के ब्राह्मण रचे और अब देश विदेश की आत्मायें पहुंच गई हैं, एक ब्रह्मा बाप के दृढ़ संकल्प के कारण। तो दृढ़ संकल्प क्या नहीं कर सकता। यह तो एक्जैम्पुल है आपके आगे। संकल्प करते हो बहुत अच्छे अच्छे संकल्प बाप के पास पहुंचते हैं लेकिन उसमें दृढ़ता कम होती है। कोई बात सामने आई ना तो दृढ़ता कम हो जाती है। दृढ़ता सफलता की चाबी है।

देखो, दिल्ली वालों ने दृढ़ संकल्प किया, करना ही है। हो गया ना! सोचेंगे, देखेंगे, यह नहीं किया। सबका दृढ़ संकल्प, निमित्त बनें जैसे निमित्त बनें यह बच्ची, बच्चे, लेकिन सबका सहयोग और दृढ़ संकल्प उसने प्रैक्टिकल सफलता लाई। इसमें सबने साथ दिया और एकमत हुए। हाँ ना, हाँ ना नहीं, एक दृढ़ मत हुई तो दृढ़ता में इतनी शक्ति है। जो कार्य आरम्भ करते हैं उसमें पहले दृढ़ संकल्प का बीज डालो, उसका फल निकलना ही है। यह इतना 75 वर्ष कैसे बीता, ब्रह्मा बाप और बच्चों के साथ ने दृढ़ संकल्प से 75 वर्ष पूरे किये। उमंग-उत्साह से बढ़ते बढ़ाते रहे, तब यह 75 वर्ष पूरे किये। अभी यह संकल्प करो आज व्यर्थ समय, व्यर्थ संकल्प समाप्त करना ही है। जब व्यर्थ समाप्त हो जायेगा तो सदा श्रेष्ठ संकल्प का खज़ाना कमाल दिखायेगा।

तो आज डबल फारेनर्स का विशेष मिलन दिवस है। बापदादा खुश है डबल विदेशी बच्चे चारों ओर डबल सेवा अच्छी कर रहे हैं। एक स्वयं का पुरूषार्थ और दूसरा आत्माओं की सेवा, दोनों बात में अच्छी हिम्मत रख आगे बढ़ रहे हैं। बापदादा इस डबल सेवा की मुबारक दे रहे हैं। मुबारक हो, मुबारक हो। आज विशेष इन्हों का दिन है, तो इन्हों को मुबारक दे रहे हैं। मुबारक आपको भी है, भारत वालों को भी मुबारक हैं। जैसे दिल्ली में निमित्त बने ना यह बृजमोहन, आशा निमित्त बनें और इन्हों के साथ मददगार थी गुप्त रूप में गुल्जार बच्ची। और एकमत हाँ जी, हाँ जी करने में सारी दिल्ली में उमंग रहा और प्रैक्टिकल किया। हाँ ना नहीं किया। करना ही है। तो यह एक मत होना अर्थात् सफलता। सफलता आप बच्चों का हर एक का जन्म सिद्ध अधिकार है। उसको यूज़ करो। अलबेले नहीं बनो। हो जायेगा, कर लेंगे, यह नहीं सोचो। करना ही है, यह है ब्राह्मणों की भाषा। तो बापदादा वैसे तो सभी बच्चों पर खुश है लेकिन आज दिल्ली वालों ने भी कमाल दिखाई, बापदादा ने देखा कि गवर्मेन्ट के विशेष लोग जो निमित्त हैं उनको अच्छी तरह से सन्देश पहुंच गया कि ब्रह्माकुमारियां जिसके लिए समझते थे, यह क्या करेंगी। कुछ गलत फहमी भी थी लेकिन यह 75 वर्ष का सुनके अभी यह समझते हैं कि यह जो चाहें वह कर सकते हैं इसलिए जो भी निमित्त हैं गवर्मेन्ट में उन्हों तक आवाज अच्छा पहुंचा है, यह कमाल है एकमत की।

तो बापदादा डबल विदेशियों को देख खुश है, वृद्धि भी कर रहे हैं और डबल सेवा की तरफ से अटेन्शन अच्छा है। सिर्फ बापदादा यह इशारा फिर भी दे रहा है कि आपस में संस्कार मिलन की रास करो। यह नहीं सोचो, सेन्टर तो अच्छा चल रहा है, सर्विस तो अच्छी हो रही है लेकिन जब एक परिवार है, प्रभु परिवार है, लौकिक परिवार नहीं प्रभु परिवार है। प्रभु परिवार का अर्थ ही है एक दो में शुभ भावना, कल्याण की भावना। एक दो में यही संकल्प रहे कि हम सभी साथ-साथ एक दो को आगे बढ़ाते मुक्ति का गेट खोलके साथ जाना ही है। इसलिए हरसेन्टर में ऐसा वायुमण्डल हो जो समझ में आवे यह 8 नहीं, 10 नहीं लेकिन 10 ही एक हैं। अभी संस्कार मिलन की रास हर एक अपने मन में दीवाली में संकल्प करो। एक भी आत्मा एक दो से दूर नहीं हो, सब एक हो। तो इस दीवाली पर संस्कार मिलन की रास करना। मन में दृढ़ संकल्प करना कि एक भी मेरे से भारी नहीं हो, सब हल्के। संस्कार नहीं मिलते हैं तो भारी होते हैं। तो बाप समझते हैं कि इस संकल्प से गेट का दरवाजा खोलने के लिए जल्दी तैयार हो जायेंगे। चेक करो कोई भी हमारे से नाराज़ नहीं, लेकिन भारी भी नहीं होना चाहिए। हो सकता है यह? हो सकता है? कांध हिलाओ हो सकता है। हो सकता है हाथ उठाओ। तो इस दीवाली पर अच्छी रौनक हो जायेगी।

डबल फारेनर्स, बापदादा दिल में रोज़ डबल फारेनर्स को इमर्ज करते हैं, क्यों? क्यों इमर्ज करते हैं? क्योंकि डबल फारेनर्स निमित्त बने हैं सारे विश्व में बाप का नाम बाला करने के लिए। किस बात पर? कि जब यह भारतवासी नहीं हैं, फारेनर्स हैं इन्होंने अपना भाग्य बना लिया तो हम क्यों रह जाएं। यह प्रेरणा इस दिल्ली के प्रोग्राम से भारत में अच्छी फैली है इसलिए बापदादा सेवा के निमित्त आप सभी को इमर्ज करते हैं। भारत को जगायेंगे, जगा रहे हैं और आगे भी ऐसे वी.आई.पी तैयार करेंगे जो भारत को जगायेंगे। उनका अनुभव भारत वालों को जगायेगा। बापदादा को याद है शुरू-शुरू में बहुत वी.आई.पीज ले आते थे। प्रोग्राम्स करते थे। अभी यह सेवा नहीं है। ऐसे वी.आई.पी तैयार करो जो स्टेज पर अपना अनुभव सुनायें। अभी ज्यादा कल्चरल दिखाया, अनुभव भी सुनाया लेकिन थोड़ा टाइम था, अभी ऐसे वी.आई.पी लाओ जो भारत वालों की तकदीर को जगाये। अभी भी जो फारेनर्स और भारत की सेवा इकठ्ठी की उसका भी प्रभाव अच्छा रहा। अब मिल करके ऐसी सेवा को बढ़ाते चलो। और मुख्य बात अपने को हर एक चाहे भारतवासी चाहे फारेनर्स जल्दी जल्दी ऐसे सम्पन्न बनाओ जो आप सबकी सम्पन्नता मुक्ति का गेट खोल दे। अच्छा।

(90 देशों से 2400 डबल विदेशी आये हैं, उसमें 600 नये भाई बहिनें आये हैं) मुबारक हो। बापदादा को खुशी है कि बिछुड़े हुए बच्चे आज अपने परिवार और बाप से मिल रहे हैं। तो बहुत अच्छा अभी सभी को तीव्र पुरूषार्थी बनना पड़े क्योंकि थोड़े समय में नम्बर आगे लेना है। तो तीव्र पुरूषार्थी बन आगे से आगे बढ़ते चलो। फिर भी मुबारक है जो पहुंच गये हैं। बापदादा एक एक को देख हर्षित हो रहे हैं। अभी बहुत सहज याद की यात्रा द्वारा अपने को सम्पन्न बनाके आगे से आगे बढ़ने का प्रयत्न करेंगे और आगे हो सकते हैं, पीछे आने वाले भी पीछे नहीं रहना, आगे बढ़ना। अच्छा।

(ग्लोबल हॉस्पिटल के 20 साल पूरे हुए हैं) हॉस्पिटल ने अनेक आत्माओं को परिवार में लाया है। आबू की हॉस्पिटल के बाद लोगों में यह वायब्रेशन जो था यह पता नहीं क्या करते हैं, अभी यह सोचते हैं कि यह डबल सेवा कर रहे हैं। शरीर के लिए भी और आत्मा के लिए भी डबल पार्ट बजा रहे हैं इसके लिए जहाँ भी सेवा कर रहे हो तो सेवा की मुबारक है, मुबारक है। बापदादा को अच्छा लगता है कि डबल डाक्टर बने हैं, डबल सेवाधारी बने हैं। अभी हर एक और भी आगे बढ़ते रहना। अच्छा। अच्छा है सेवा में अच्छे हैं। अच्छा –

चारों ओर के चाहे सामने बैठे हैं, चाहे कहाँ भी बैठे हैं लेकिन सबका अटेन्शन मधुबन में हैं। बापदादा को देख रहे हैं, मैजारिटी तो देख ही रहे हैं। बापदादा भी सभी बच्चों को, चारों ओर के बच्चों को सदा हर्षित रहने वाले, सदा डबल पुरूषार्थी, डबल पुरूषार्थी अर्थात् स्व के पुरूषार्थ में भी और सेवा के पुरूषार्थ में, ऐसे डबल पुरूषार्थी और डबल निश्चय और नशे में रहने वाले, सदा बाप के साथ रहने वाले, सदा आपस में भी कल्याण और रहम की शुभ भावना में रहने वाले, एक-एक बच्चे को नाम सहित बापदादा दिल की याद प्यार दे रहे हैं।

लेकिन आज की बात व्यर्थ संकल्प की समाप्ति की भूल नहीं जाना। बापदादा के पास रिकार्ड तो पहुंच ही जाता है। बापदादा देखेंगे कितने तीव्र पुरूषार्थी बच्चे हैं और एक दो को भी उमंग उत्साह दे आगे बढ़ाने वाले हैं। अगर कोई गलत भी करता है तो उसके प्रति वह गलत करता है, और आप उसकी गलती का मन में संकल्प करते हो, यह करता है, यह करता है, यह करता है... यह भी खत्म करो। उनको सहयोग दो, श्रेष्ठ भावना दो, ऐसी सेवा करते सारे संगठन को श्रेष्ठ संकल्प वाले बनाना ही है। कोई सेन्टर पर कभी भी कोई एक दो के प्रति कोई भी और भावना नहीं हो, शुभ भावना, शुभ कामना, ठीक है ना! बहुत अच्छा। अभी सभी बच्चों को बापदादा मुबारक के साथ दिल का यादप्यार भी साथ में दे रहे हैं।

दादी जानकी जी से: विदेश और देश दोनों को रिफ्रेश करने का अच्छा पार्ट बजाया। निमित्त तो आप हो ना। बनाने वाला बाप है।

मोहिनी बहन:- तबियत ठीक है, चलाती चलो। क्योंकि ज्यादा चल गई है, थोड़ा टाइम लगेगा, लेकिन बाप की नज़र है। (आपका वरदान है) वरदान तो बाबा है ही वरदाता। अच्छा है, सभी मिलके चला रहे हो तो बापदादा एक एक के ऊपर राज़ी है। कहाँ भी कैसे भी चला रहे हैं। अच्छा है।

(गुल्जार दादी सब कुछ करते गुप्त रहती है) उसका भी गुप्त पार्ट था। गुप्त नम्बर आगे होता है, पता है।

निर्वैर भाई से:- बापदादा तो खुश है। बाप तो सभी बच्चों के साथ है। मदद है।

बृजमोहन भाई से:- अच्छा किया, दिल्ली ने नाम बाला किया। अच्छा किया, निमित्त बनते हैं कोई लेकिन सबका साथ, सबका उमंग यह इकठ्ठा हो गया तो चारचांद लग गये। और किसी का भी ना शब्द नहीं निकला। (शान्ति बहन से) शरीर को चलाना अच्छा आता है। समय पर काम निकालना, यह अच्छा किया। लेकिन मदद भी कोई लेवे। बाप की मदद तो है लेकिन समय पर लेवे। अच्छा किया। सभी में उमंग आ जायेगा अभी।

दिल्ली वाले मिलकर करेंगे, कमाल तो करना ही है। हिम्मत रखी ना। हिम्मत से सबकी मदद, बाप की भी मदद। सभी ने अच्छा किया, अपने-अपने स्थान पर अच्छा किया। तो दिल्ली को मुबारक हो।

परदादी से:- ब्रह्मा बाप को देखना हो तो इसमें देखो। अच्छा है। बहुत अच्छी हिम्मत और उमंग उत्साह में रहती हो इसलिए बीमार नहीं लगती हो। (रूकमणी बहन से) अच्छा सम्भालती है। आप सम्भालने वालों को भी मुबारक हो।

विदेश की बड़ी मुख्य बहिनों से:- (बापदादा को मुबारक दी) आपको भी हो। आप नहीं होते तो यह कैसे आगे बढ़ते। अभी वी.आई.पीज लाओ। पहले आप वी.आई.पीज लाते थे। अभी वहाँ सेवा करके उन्हों को तैयार करो क्योंकि आजकल लोगों को अखबार में समाचार बहुत मिलता है। सामने थोड़े से आते हैं लेकिन अखबारें कई घरों में समाचार पहुंचाती हैं। वी.आई.पी का समाचार अखबार जरूर डालते हैं। (विदेश में 40 वर्ष की सेवा का मनाया) सभी ने मिलके किया तो लोगों के मन में आया कि यह कोई छोटी संस्था नहीं है। विदेश में भी जहाँ तहाँ मुस्लिम स्टूडेन्ट हैं, उनका थोड़ा आवाज बुलन्द करो। उनका आना चाहिए कि मुस्लिम भी आते हैं। सेन्टर हैं लेकिन छिपे हुए हैं। अभी बुद्धिष्ठ की सर्विस नहीं हुई है, बुद्धिष्ठ का कोई ऐसा सैम्पुल नहीं है, वह भी होना चाहिए। (श्रीलंका, चाइना में हैं) अभी स्टेज पर नहीं आये हैं। (वजीहा ने याद दी है) वजीहा को बहुत बहुत याद देना।

रमेश भाई से:- (पैर का आपरेशन अच्छा हो गया) आप ठीक रहते हैं ना, तो जो मुख्य निमित्त हैं वह ठीक रहते हैं तो सबको खुशी होती है। अच्छा किया टाइम के पहले करा लिया, यह ठीक है और सभी की आपको शुभ भावना बहुत है। हर एक जो भी निमित्त हैं, उन्हों की आपको आशीर्वाद बहुत है। (बाम्बे में भी ऐसी सेवा हो उसके लिए प्रेरणा दो) हाँ हो जायेगा, क्या बड़ी बात है। अभी एक एक्जैम्पुल (दिल्ली में) हुआ तो सब प्रेरणा लेंगे, करेंगे।


 

15-11-11 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


 ‘‘अभी बातों को न देख तीव्र पुरूषार्थ कर ब्रह्मा बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण बनो, निर्विघ्न और एवररेडी रह 108 की माला तैयार करो’’

आज सर्वशक्तिवान बाप अपने मास्टर सर्वशक्तिवान बच्चों को सर्व शक्तियों का खज़ाना देने आये हैं। सर्वशक्तियों का खज़ाना कितना सहज प्राप्त होता है। एक सेकण्ड में जाना मेरा बाबा, बाबा ने कहा मेरे बच्चे, इतने में ही खज़ानों के मालिक बन गये। तो हर एक बच्चे के पास सर्व खज़ाने सदा साथ हैं ना! नशा है जो बाप का खज़ाना वह मेरा खज़ाना। अभी चेक करो बाप ने तो हर बच्चे को सर्व खज़ाने दिये हैं। एक भी कम नहीं। लेकिन वह सर्व खज़ाने हर एक के पास सदा साथ हैं वा कोई कोई खज़ाना है और कोई खज़ाना कम है? बापदादा ने तो दिये लेकिन हर एक के पास सर्व खज़ाने सदा ही हैं और सर्व खज़ाने समय पर कार्य में लाते रहते हो? मालिक होके आर्डर करो तो समय पर खज़ाना अनुभव में आता है? बापदादा ने चारों ओर के बच्चों के सेवा का उमंग देखा भी, सुना भी। चारों ओर अच्छे उमंग उत्साह से यह 75 वर्ष की जयन्ती मना रहे हैं, चैलेन्ज कर रहे हैं, अब परिवर्तन हुआ कि हुआ। चैलेन्ज बहुत अच्छी कर रहे हैं। बापदादा बच्चों के उमंग उत्साह को देख-देख खुश होते हैं और गीत क्या गाते? वाह बच्चे वाह! साथ-साथ बापदादा ने देखा चैलेन्ज तो बहुत अच्छी कर रहे हैं उमंग उत्साह से लेकिन साथ में बच्चों की स्वयं में सर्व धारणाओं का सफलता का स्वरूप भी देखा। आप सब भी अपने सम्पन्न और सफलता का स्वरूप जानते हैं क्योंकि सारे निमित्त बने हुए बच्चे सदा सम्पन्न और सफलतामूर्त बन गये हैं कि बनना है? क्योंकि सुखमय संसार का आधार स्वरूप आप बच्चे हो। तो बापदादा ने सर्व बच्चों की रिजल्ट देखी। जो आप आधारमूर्त हो, सिर्फ थोड़े से बच्चे नहीं, सर्व बच्चों का चैलेन्ज है कि हम सुखमय संसार लाने के निमित्त हैं।

तो बापदादा सभी बच्चों से पूछते हैं कि सुखमय संसार लाने के निमित्त बने हुए बच्चे सम्पूर्ण सम्पन्न आधारमूर्त बन गये हैं? जो बापदादा की बच्चों में आशा है हर बच्चा सफलतामूर्त हो, क्योंकि आप लोगों ने बाप के साथी बन संकल्प किया है और बड़े खुशी से चैलेन्ज की है, परिवर्तन हुआ कि हुआ। तो अपने से पूछो विश्व परिवर्तन के निमित्त बच्चे स्व सम्पन्न और सम्पूर्ण कहाँ तक बने हैं? क्योंकि राज्य स्थापन होना है तो पहले राज्य के निमित्त बनी हुई आत्मायें निमित्त बनेंगी उसके बाद दूसरे निमित्त बन सकते हैं। तो बापदादा ने देखा कि अब सम्पूर्ण बनने में कुछ मार्जिन रही हुई है। सेवा तो की लेकिन सेवा की रिजल्ट में आपके साथी कितने बने? हिसाब निकालो कि जो सुनते हैं वह समीप कितने आते हैं? बापदादा बच्चों की हिम्मत पर खुश है लेकिन अभी सर्विस की रिजल्ट में और तीव्रता लानी है। हर समय आत्माओं को इतना समीप सम्बन्ध में लाओ, खुश बहुत होते हैं अभी ब्रह्माकुमारियों के कर्तव्य को जानने में बहुत नजदीक आये हैं लेकिन बापदादा ने पहले भी कहा वर्सा आत्माओं को बाप द्वारा मिलना है, तो बाप को जानें, समय को जानें, स्वमान को जानें तब वर्से के अधिकारी बनें। अभी बाप आया है, बाप वर्सा दे रहा है, यह बुद्धि में आये तब वर्सा लेके राज्य अधिकारी बनें।

चारों ओर यह आवाज फैले जो गीत गाते हो हमारा बाबा आ गया। अब बापदादा यह रिजल्ट देखने चाहते हैं। परिवर्तन हुआ है, सर्विस का लाभ हुआ है, मेहनत का फल मिला है लेकिन अभी बाप तक नहीं पहुंचे हैं, इसका कोई प्लैन बनाओ। बाप की प्रत्यक्षता कैसे हो? राजधानी में राज्य करने वाले भी निर्विघ्न बने हैं? अब परिवर्तन का बटन ड्रामा दबाये, एवररेडी? एवररेडी हैं? बटन दबायें? क्या समझते हैं, बटन दबायें? एवररेडी हैं? क्योंकि सब तैयार चाहिए, राज्य अधिकारी भी, रॉयल फैमिली भी, रॉयल प्रजा भी और साधारण प्रजा तो कोई बड़ी बात नहीं। तो बापदादा आज बच्चों से रिजल्ट पूछते हैं। क्या समझते हो? बापदादा को बटन दबाने में तो देरी नहीं लगेगी। तो पहली लाइन क्या समझती है? शक्तियां क्या समझती हैं? पाण्डव क्या समझते हैं? जवाब दो। हाँ पाण्डव जवाब दो। दबायें बटन? एवररेडी हैं? (बाबा आप मालिक हैं, आपको संकल्प आता है कि दबायें तो दबा दीजिये) बापदादा बच्चों से पूछते हैं क्यों? क्योंकि बाप को तो राज्य में आना नहीं है। ब्रह्मा बाप को आना है। (यहाँ बापदादा से मिलते रहें, यह बहुत अच्छा लगता है) यह बात तो अच्छी है लेकिन बाप समान बनके बाप के साथ जीवन का अनुभव करें यह भी चाहिए ना। वह है? तैयार हैं? सिर्फ आप नहीं, राजधानी है। आप राज्य किस पर करेंगे? राजधानी तो चाहिए ना! (साथी हैं) सब तैयार हैं? (बिल्कुल तैयार हैं) सम्पन्न बनने में तैयार हैं? अच्छा सभी सोच रहे हैं कोई बात नहीं।

बापदादा जानते हैं कि अभी भी रेडी हैं एवररेडी बनना पड़े। जो बापदादा ने दो बातें कही थी कि सेकण्ड में फुलस्टाप लगाने वाले बच्चे चाहिए। व्यर्थ संकल्पों का नाम निशान न रहे। जिसको भी सन्देश देते हो वह सन्देश सुन परिवर्तन करने के उमंग उत्साह में आ जाएं। अब बापदादा यह रिजल्ट चाहते हैं। इसके लिए बापदादा बच्चों को राय देते हैं, आज्ञा भी करते हैं, कि सेवा करते हो लेकिन जिनकी भी सेवा करते हो, एक ही समय पर तीन रूपों और तीन रीति से सेवा करो। तीन रूप नॉलेजफुल, पावरफुल और लवफुल, इन तीनों रूपों से सेवा करो और तीनों रीति से सेवा करो, वह तीन रीति है मन्सा-वाचा-कर्मणा एक ही समय, सिर्फ वाणी से सेवा नहीं लेकिन वाणी के साथ मन्सा सेवा भी साथ-साथ हो। पावरफुल माइन्ड हो। तो अभी आवश्यकता एक ही समय मन्सा पावरफुल हो, जिससे आत्माओं की भी मन्सा परिवर्तन हो जाए। वाणी द्वारा सारी नॉलेज स्पष्ट हो जाए और कर्मणा द्वारा, कर्म द्वारा सेवा से वह आत्मायें अनुभव करें कि सचमुच हम अपने परिवार में पहुंच गये हैं। परिवार की फीलिंग आने से नजदीक के साथी बन जायें। तो बापदादा अभी एक ही समय तीन रूप की सेवा इकठ्ठी चाहते हैं। हो सकता है? हो सकता है? हाथ उठाओ, हो सकता है? अभी बापदादा ने रिजल्ट में देखा वाणी द्वारा नॉलेजफुल बनते हैं लेकिन परिवार के साथी बनें, इसमें अभी टाइम लगता है। तो बापदादा ने देखा कि समय की चैलेन्ज वे साथ अभी सेवा में ऐसी सेवा करो जो एक ही समय तीनों सेवा द्वारा प्राप्ति का अनुभव करें।

तो सभी मिलने के लिए उमंग-उत्साह से पहुंच गये हैं तो बापदादा बच्चों का उमंग देख खुश है। अभी अटेन्शन देना है, सम्पन्न और सम्पूर्ण बनने में क्योंकि कम से कम 108 की माला तैयार कर सको, कर सकते हो? 108 की माला तैयार है? तैयार है? क्योंकि राजधानी में राज्य अधिकारी तो वही बनेंगे ना। लिस्ट अभी निकाल सकते हो 108 रत्नों की? निकाल सकते हो? निकाल सकते हैं? हाँ जी नहीं कहते हैं? 108 राज्य अधिकारी, फिर 16 हजार 108 राज्य अधिकारी के साथी। फिर उसके बाद है नम्बरवार। तो बापदादा अभी समय प्रमाण, समय को समीप लाने वाले बच्चों से यही चाहते हैं कि 108 की माला एवररेडी हो, बाप समान हो। हैं ना इतना, पहली लाइन निकाल सकती है 108, हाँ या ना करो ना! साकार में जब ब्रह्मा बाप थे तो कई बार ट्रायल की लेकिन फाइनल नहीं हो सकी, लेकिन अब तो 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, तो इस 75 वर्ष की जुबिली में कोई तो नवीनता करेंगे ना! तो नवीनता यही करो जो हर एक अपने को 108 की माला के मणके बनाये, जो गिनती में आये हाँ 108 की माला तो बन गई क्योंकि जब पहले राज्य अधिकारी बनें तब तो पीछे राज्य के सम्पर्क वाले बनें। उनको भी तो जगह चाहिए ना! तो बापदादा का कहने का यही सार है कि अभी हर एक को अपना तीव्र पुरूषार्थ कर और दृढ़ संकल्प करना है कि मुझे बाप समान बनना ही है क्योंकि बापदादा ने सुना दिया है कि अचानक परिवर्तन होना है। उसके पहले कम से कम जो सेवा के निमित्त बने हुए हैं, ज़ोन हेडस साथ में सेन्टर इन्चार्ज, साथ में उनके नजदीक के साथी पाण्डव, सेन्टर हेड नहीं बनते लेकिन कोई न कोई विशेष कार्य के निमित्त बने हुए जिनको विशेष आत्मा की नज़र से देखते हैं, उन पाण्डवों को भी अभी तीव्र पुरूषार्थ कर स्व परिवर्तन की झलक बाहर स्टेज पर लानी पड़ेगी। इसके लिए एवररेडी हैं? जो समझते हैं कि यह कार्य तो करना ही है, अपने को बाप समान, ब्रह्मा बाप समान फॉलो फादर करना ही है, करना है? हाथ उठाओ। हाथ तो इतने उठाते हैं खुश कर देते हैं। अच्छा करते हैं। लेकिन हाथ के साथ दृढ़ संकल्प भी करो। दृढ़ता की शक्ति बहुत सहयोग देती है।

तो बापदादा खुश है, हाथ उठाने में होशियार सभी हैं लेकिन अभी दृढ़ता को प्रैक्टिकल में लायेंगे। होशियार हैं ना बच्चे, दृढ़ता करते भी हैं लेकिन फिर दृढ़ता भिन्न-भिन्न रूप में बदल जाती है। यह हो गया, यह हो गया। यह नहीं होता तो वह नहीं होता। इस बहाने में बहुत होशियार हैं। तो अभी बापदादा क्या चाहते हैं? अभी हरेक को बाप समान बनना है, मन्सा वाचा कर्मणा, सम्बन्ध सम्पर्क में आपको जो भी देखे, जो भी मिले वह यही कहे वाह परिवर्तन वाह! बापदादा को भी अच्छा लगता है जो बच्चे निमित्त बने हुए हैं उनको देखकरके भी खुशी होती है और मिलन में भी बहुत खुशी होती है।

तो आज क्या संकल्प किया? बनना ही है। ब्रह्मा बाप समान बनना ही है। बनना है नहीं, बनना ही है। कोई भी बातें आयें, बात के बजाए बाप को आगे रखो। तो सभी दूर बैठे हुए बच्चे नजदीक सामने बैठे हुए बच्चे दोनों को बापदादा देख देख हर्षित हो रहे हैं। सभी बच्चे प्लैन बहुत अच्छा बनाते हैं, अमृतवेले बहुत मीठी मीठी बातें करते हैं सब। मैजारिटी इतनी मीठी बातें करते हैं जो बाप भी बातें सुन कुर्बान हो जाते हैं। लेकिन पता है फिर क्या होता? जब कर्म के क्षेत्र में आते हैं, सम्बन्ध में आते हैं, सेवा में आते हैं, तो जो बातें आती हैं उसमें थोड़ा थोड़ा बदल जाते हैं। अमृतवेले का जो उमंग उत्साह है वह कर्म करते, सम्बन्ध में आते थोड़ा थोड़ा बदल जाता है।

अभी बापदादा एक कार्य देते हैं, करने के लिए तैयार हो ना! कांध हिलाओ। हाथ उठाओ। बापदादा का संकल्प है कि एक मास के लिए अपने को दृढ़ संकल्प के आधार से बाप समान स्थिति में स्थित कर सकते हो? एक मास, कर सकते हैं? कि ज्यादा है? जो समझते हैं एक मास दृढ़ता से, दृढ़ता को साथी बनाना बाप को सदा सामने रखना, ब्रह्मा बाप को नयनों में समाये रखना और ब्रह्मा बाप ने क्या किया, मन्सा वाचा कर्मणा वही करना है। चाहे कोई ने प्रैक्टिकल में देखा या नहीं देखा लेकिन नॉलेज तो है ना! कोई भी कर्म करने के पहले यह चेक करना पहले, ब्रह्मा बाप का यह संकल्प रहा, यह बोल रहा, यह कर्म रहा, यह संबंध रहा, यह सम्पर्क रहा? पहले सोचो पीछे करो। हो सकता है? हाथ उठाओ इसमें। हो सकता है? लम्बा हाथ उठाओ। मातायें लम्बा हाथ उठाओ, यहाँ एक्सरसाइज करती हो ना तो हाथ लम्बा उठाओ। आगे वाले भी उठायेंगे ना? सब मधुबन वाले इसमें नम्बरवन आना। आगे आगे मधुबन वाले बैठे हैं ना। मधुबन में सिर्फ शान्तिवन नहीं, जो भी हैं एक मास निर्विघ्न, हर सेन्टर भी निर्विघ्न, गुजरात की टीचर्स हाथ उठाओ। गुजरात की टीचर्स समझती हैं हो सकता है, इसमें लम्बा हाथ उठाओ। ऐसे ऐसे नहीं करो लम्बा उठाओ। हो सकता है? अच्छा। शान्तिवन निवासी हाथ उठाओ। थोड़े हैं। जो भी बैठे हैं, पीछे भी बैठे हैं। तो मधुबन के 4-5 स्थान जो भी हैं वह करेंगे? करेंगे हाथ उठाओ? मधुबन वाले दो हाथ उठाओ। गुजरात वाले जिज्ञासु भी, निमित्त टीचर्स भी, निमित्त भाई भी सभी हाथ उठाओ, करेंगे। बड़ा हाथ उठाओ। पीछे वालों का हाथ दिखाई नहीं देता है, अच्छा, गुजरात वाले खड़े हो जाओ। गुजरात तो बहुत आया है। आधा हाल तो गुजरात है। (गुजरात 15 हजार है, बाकी 3 हजार हैं) गुजरात वालों को बापदादा और परिवार की तरफ से बहुत-बहुत मुबारक है, मुबारक है। जैसे अभी तालियां बजाई ना, वैसे ही एक मास के बाद रिजल्ट में गुजरात नम्बरवन आयेगा! अच्छा है। संख्या तो बहुत अच्छी है। बापदादा खुश होते हैं कि बच्चों को बाप से और मधुबन से दिल का प्यार है। बहुत अच्छा है, अभी गुजरात कमाल करके दिखाना। इस एक मास की रिजल्ट में नम्बरवन आके दिखाना। वैसे नम्बरवन सबको आना है। मधुबन वाले नम्बरवन आयेंगे ना, हाथ उठाओ। कुछ भी हो जाए, क्या भी परिस्थिति हो जाए, परिस्थिति आयेगी, माया सुन रही है ना, तो माया अपना रूप तो दिखायेगी लेकिन माया का काम है आना और आपका काम है विजय पाना। यह नहीं कहना, यह हो गया, वह हो गया, यह नहीं करना। आयेगा, होगा, यह तो बापदादा पहले ही सुना देता है क्योंकि माया सुन रही है, वह बहुत चतुर है लेकिन आप, माया कितनी भी चतुर हो आप तो सर्वशक्तिवान के साथी हो, माया क्या करेगी।

बापदादा देख रहे हैं, टी.वी. में देख रहे हैं तो सभी नम्बरवन लाना। कोई टू नम्बर नहीं बनना, वन नम्बर। अच्छा।

सेवा का टर्न गुजरात का है:- तो गुजरात वाले जैसे समीप हैं ना, सबसे समीप कौन है? गुजरात ही समीप है। तो यही पुरूषार्थ का लक्ष्य रखना कि हमें राज्य के अधिकारी, परिवार के नजदीक आना ही है। पुरूषार्थ क्या है? बाप को फॉलो करो। और दृढ़ता को नहीं भूलना। जहाँ दृढ़ता है वहाँ सफलता है ही है। तो गुजरात तो बापदादा को भी प्यारा लगता है। एक विशेषता के कारण बापदादा को प्यारा लगता है, कभी भी किस समय भी बुलाओ, आवश्यकता हो तो गुजरात हाजिर हो जाता है। नजदीक का फायदा उठाते हैं। ऐसे ही सदा बाप को फॉलो करने वाले नजदीक रहना। जो बाप ने किया वह करते रहना। फॉलो फादर। अच्छा।

चार विंग्स आई हैं:- (समाज सेवा, महिला, एडमिनिस्ट्रेटर, यूथ) जो भी वर्ग हैं उनकी रिजल्ट बापदादा के पास आती हैं और बापदादा ने देखा है कि जबसे वर्गीकरण के रूप की सेवा आरम्भ हुई है तो चारों ओर सेवा वृद्धि को प्राप्त हुई है क्योंकि बापदादा ने देखा है कि हर वर्ग यह सदा सोचता है कि हमारे वर्ग में कोई नवीनता होनी चाहिए, जो समाचार सबको मिलता रहे इसलिए जिम्मेवारी होने के कारण और हर एक को अलग अलग वर्ग होने के कारण सर्विस का चांस अच्छा मिला है। तो बापदादा हर एक का नाम नहीं लेता लेकिन चारों ही वर्ग को कह रहे हैं, कि सेवा हो रही है, अच्छी कर रहे हो और जिम्मेवारी भी अपनी समझते हो लेकिन बापदादा ने पहले भी कहा है तो हर वर्ग अपने जो विशेष आत्मायें निकली हैं क्योंकि हर वर्ग की निकली हैं, यह बापदादा जानते हैं लेकिन उन्हों का एक बारी संगठन करो। जैसे हर ज़ोन में कोई विशेष आत्मायें निकली हो, उनमें से चुनके एक बारी सभी वर्गो के विशेष 10-15-20 हर एक वर्ग के ऐसे चुनो और उन्हों का प्रोग्राम करो, यहाँ आबू में, तो नजर में आवे सर्विस की रिजल्ट क्या है और वह भी संगठन देख करके उमंग उत्साह में आयें। इस वर्ग से यह आ रहे हैं, यह आ रहे हैं, एक दो को देख करके भी उमंग में आवे, तो यह अभी प्रोग्राम बनाना। सबके 15-20 हो उनके लिए ऐसे कार्यक्रम रखो और उन्हों को इकठ्ठा करो। ठीक लगता है यह क्योंकि बापदादा उन्हों को अभी अनुभव के आधार से स्पीकर बनाने चाहता है। आप जो भाषण करो, उसके साथ ऐसे अनुभवी आत्मायें अनुभव सुनायें तो प्रभाव पड़ता है। तो अभी यह सेवा करना, उन हर एक जो भी वर्ग है, उन्होंने अच्छे अच्छे निमित्त निकली आत्माओं के फायदे का लाभ का किताब छपाया है, जिसने छपाया है वह हाथ उठाओ। अपने अपने वर्ग के अच्छे अच्छे अनुभवी, उनके अनुभवों का किताब छपाया है तो वह हाथ उठाओ। कोई ने नहीं छपाया है? (यूथ और एज्यूकेशन का छपा है) सभी का छपना चाहिए क्योंकि कोई भी आते हैं तो लाइब्रेरी में ऐसे ऐसे किताब होने चाहिए जो कोई भी फ्री होके पढ़े और हर वर्ग का पढ़ने से प्रभाव पड़ता है, कई समझते हैं कि कर्म करते हुए, ड्युटी सम्भालते हुए कुछ हो नहीं सकता है, तो उन्हों को उमंग उत्साह आवे तो जब यह बने हैं तो हम भी बन सकते हैं। तो ऐसा किताब निकालो और अपने अपने जो भी सेन्टर्स हैं वहाँ सब जगह में जहाँ लाइब्रेरी हो वहाँ रखो। तो यह काम करना, बाकी बापदादा समाज सेवा की भी जो मीटिंग की थी वह सुना है, सन्देशी ने पढ़ा है, बापदादा ने सुना है। और युवा वर्ग का भी समाचार सुना, जो निकाला वह बापदादा ने सुना और अच्छा है, कोई न कोई प्रोग्राम एक दो के पीछे करते चलो। हर एक वर्ग को करना चाहिए। युवा करता है, एज्यूकेशन भी करते हैं, और बाकी करते होंगे लेकिन यह कुछ ज्यादा करते हैं। समाज सेवा वालों का समाचार बच्ची ने पढ़कर सुनाया, प्लैन जो सोचा है वह बहुत अच्छा। तो बापदादा को वर्गो की सेवा अच्छी लगती है इसलिए करते चलो। कोई भी वर्ग ऐसा नहीं रह जाए जो आपको उल्हना देवे, हम तक तो सन्देश ही नहीं पहुंचा। कोई भी ऐसा, आप लोग सोचो कोई वर्ग ऐसा रह गया हो तो उस वर्ग की सेवा भी करनी चाहिए क्योंकि आजकल अपने कामों में, समस्याओं में ज्यादा बिजी होते जाते हैं। तो जगाना तो पड़ेगा ना। बाप आया और बच्चों को पता भी नहीं पड़े, तो यह तो उल्हना मिलेगा ना इसलिए सन्देश देना आपका काम है, उल्हना नहीं मिले, अपने मोहल्ले में भी, ऐसे नहीं सुनते नहीं है, सन्देश जरूर सबको पहुंचना चाहिए। कोई उल्हना नहीं दे। आप लोगों को पता है पहले पहले जब बच्चे सेवा में गये, तो ब्रह्माकुमारियों को सफेद साड़ियां देख करके वह दरवाजा बन्द कर देते थे, दूर से ही दरवाजा बन्द कर देते थे, सफेद साड़ी गृहस्थियों को अच्छी नहीं लगती, इसलिए बच्चों ने सेवा कैसे शुरू की। उनके पोस्ट बाक्स में डाल आते थे। क्योंकि पोस्ट तो निकालेंगे तो पोस्ट से सन्देश मिल जाता था। पहले पहले जब सर्विस आरम्भ हई थी तो बहुत मेहनत से शुरू हुई, अभी तो बहुत अच्छा, सहज है। अभी तो समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियों जैसा प्रोग्राम अच्छी तरह से कोई नहीं कर सकते हैं। अभी काफी फर्क हो गया है। आप लोगों ने ही किया है ना। वर्गो ने मोहल्लों में जगह जगह पर किया है, तो बापदादा सभी वर्गो को पदम पदम गुणा मुबारक दे रहे हैं। और तेज करो। सभी वर्ग वालों को बहुत बहुत मुबारक हो।

(मधुबन में प्लैटेनिम जुबली में 325 सन्त महामण्डलेश्वर आये, उनका सम्मेलन बहुत अच्छा हुआ, नेपाल और कानपुर, लखनऊ में भी बहुत अच्छे प्रोग्राम हुए) नेपाल में भी बापदादा ने देखा कि इतने भावना वाले हैं जो बहिनों को देखकरके छोड़ते ही नहीं हैं। अभी इतना प्रभाव है। अभी बापदादा ने देखा बच्चों ने, चाहे नेपाल है, चाहे विदेश है चाहे देश है, सभी जगह के निमित्त सेवाधारियों ने सेवा का फैलाव अच्छा किया है, कोई भी जगह पर सेवा कम नहीं है, सेवा विस्तार में आ गई है। काफी सेवा का विस्तार हुआ है उसके लिए बापदादा देश विदेश सभी को बहुत बहुत बधाई दे रहे हैं। लेकिन विशेष बाप जैसे तीव्र पुरूषार्थी बच्चों की संख्या देखने चाहते हैं, उसके ऊपर थोड़ा सा टीचर्स या निमित्त बनी हुई साथी बहनें, थोड़ा अटेन्शन देंगी तो वह वृद्धि होनी चाहिए। है, हर एक सेन्टर पर निकले हैं, लेकिन जितने निकलने चाहिए उतने अभी निकलने चाहिए। एक सेवा में विशेष पुरूषार्थी निकलने चाहिए और दूसरा सेन्टर्स अभी निर्विघ्न होने चाहिए। पहले बापदादा अपना संकल्प सुनावे, पहले मधुबन चाहे नीचे, चाहे ऊपर निर्विघ्न बनना चाहिए। जनक, मधुबन वालों का क्लास कराना। जनक को बापदादा कह रहे हैं, मधुबन के चार ही स्थान वाले इकठ्ठे करो और एक मास का जो बापदादा ने हाथ उठवाया है वह और पक्का कराओ। जो भी दिल में हैं, वह निकालें। निकालते कम हैं, दिल में रखते हैं। मधुबन ऐसे होना चाहिए जैसे दर्पण में सब फरिश्ते दिखाई दें। आप तैयार करना फिर बापदादा मधुबन वालों की रिजल्ट देखने आयेंगे क्योंकि मधुबन का वायब्रेशन ऐसे पावरफुल होना चाहिए जो जो भी वी.आई.पी आते हैं या साधारण आते हैं, ऐसे लगे जैसे कहाँ पहुंच गये हैं, ऐसा तो कहाँ देखा नहीं। एकदम वातावरण में अलौकिकता, न्यारापन हो। ऐसे ही सब सेन्टर, ज़ोन वाले अभी तक एक ने भी यह रिजल्ट नहीं दी है कि हमारा ज़ोन निर्विघ्न है। बापदादा ने कहा था लेकिन अभी तक एक भी ज़ोन ने समाचार नहीं दिया है क्योंकि बापदादा देख रहे हैं कि समय की गति फास्ट हो रही है। तो बच्चों के पुरूषार्थ की गति भी फास्ट होना चाहिए। अच्छा।

(मधुबन के सन्त सम्मेलन का समाचार बापदादा को सुनाया) अभी जिस जिस सेन्टर से आये, उसकी पीठ हो रही है? कनेक्शन रखा है। हर एक सेन्टर में वह कनेक्शन में आये? क्योंकि सेन्टर वाले भी उनको कनेक्शन में लावें। अच्छा किया।

कैड ग्रुप:- अच्छा है, इन सभी ने इलाज करके अपने को ठीक किया है। जिन्होंने इलाज द्वारा दिल को ठीक किया है वह हाथ उठाओ। कितने हैं गिनती करो। (150) अच्छा है। प्रैक्टिकल है ना। तो प्रैक्टिकल देखकर अच्छा लगता है। तो औरों को भी सन्देश देके आप समान बनाते रहो क्योंकि आजकल तो हार्ट की तकलीफ बहुत है। तो अपने अड़ोसी पड़ोसियों को सुनाओ अपना अनुभव। अच्छा मुबारक हो। दवाइयों से छूट गये, मुक्ति मिल गई और जीवनमुक्ति भी मिल गई। डबल प्राप्ति हो गई इसकी मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा। अच्छी सर्विस की है, प्रैक्टिकल एक्जैम्पुल है तो सर्विस की रिजल्ट है।

325 डबल विदेशी भाई बहिनें आये हैं:- (वजीहा बहन से) यह बच्ची भी आ गई है, कमाल है पैदा होते ही बहुत स्नेही सहयोगी सर्विसएबुल बनी। तकलीफ हुई है पास्ट जन्म के कारण लेकिन बापदादा बच्ची को सेवा और सहयोग और निर्माण का सर्टीफिकेट देते हैं।

अच्छा है डबल विदेशी, एक बात बाप को विदेशियों की बहुत अच्छी लगती है। यह डबल भाग्य एक बारी में बना देते हैं। अपनी मीटिंग्स भी कर देते हैं, बापदादा से भी मिल लेते हैं और आगे देश की सेवा में भी साथी बन जाते हैं। यह तरीका जो बनाया है ना यह बापदादा को बहुत अच्छा लगता है क्योंकि कहाँ भी इतने इकठ्ठे हो नहीं सकते जितने मधुबन में इकठ्ठे होते हैं। टर्न बाई टर्न भी आते हैं लेकिन जो भी लेन देन करनी है वह मधुबन के वायुमण्डल में करते हैं, हर साल करते हैं। यह विधि बापदादा को पसन्द है और परिवार से मिल लेते हैं। बहुत अच्छा है विदेश में अभी बापदादा ने देखा है कि जो बापदादा ने कहा कि आसपास कोई छोटे स्थान भी नहीं रहने चाहिए, तो बापदादा ने रिजल्ट में देखा है कि अभी छोटे छोटे स्थानों में भी आसपास वृद्धि हो रही है। इसलिए बापदादा सेवा की मुबारक दे रहे हैं और निर्विघ्न बनने की जो आपस में रूहरिहान करते हैं वह भी अच्छी है, अभी सिर्फ जयन्ती बच्ची को काम है कि हर मास हर सेन्टर की रिजल्ट पूछती रहे, जो मधुबन से रिफ्रेशमेंट ली वह कायम है या कोई पेपर है? साथी बना दे भले किसको। करते रहते हैं। एक एक सेन्टर का करना, ऐसे नहीं जहाँ कुछ होता हो वह नहीं, लेकिन जहाँ नहीं होता है उन्हों से भी। क्योंकि दूर रहते हैं ना। अटेन्शन है, बापदादा ने देखा है अटेन्शन है लेकिन और भी थोड़ा बढ़ा देना। अच्छा, सभी फारेनर्स उड़ता पंछी सदृश्य उड़ते रहते हैं? फरिश्ता, फरिश्ता बनके इस दुनिया में रहते हुए भी फरिश्ता लोक में उड़ते रहते हैं! पुरूषार्थ में नम्बरवन हैं लेकिन अटेन्शन खींचने से परिवर्तन हो जाता है। वृद्धि भी अच्छी हो रही है, पुरूषार्थ में भी अटेन्शन देते हैं फिर थोड़ा थोड़ा हो भी जाता है तो बाप ने देखा है कि जनक बच्ची का अटेन्शन फारेन के तरफ अच्छा रहता है, मधुबन में रहते भी फारेन की सेवा में कमी नहीं करती है। इसके लिए मुबारक हो। हर एक अपने ज़ोन जैसे यहाँ रहते वह विदेश में कर सकती है, वैसे हर एक ज़ोन इन्चार्ज अपने ज़ोन की इतनी सम्भाल करते रहें, हर एक सेन्टर का रिकार्ड पूछते रहने से पता पड़ेगा कि कैसे है, कम से कम हर मास में एक दो बारी जो जोन हैं उसको अपने सेवाकेन्द्रों का पता करना चाहिए, चाहे अपने साथी बना दो। एक दो नहीं कर सकेंगे लेकिन अपने साथी बना दो वह साथी आपको रिपोर्ट देवे। अभी समय नाजुक आ रहा है ना इसलिए अटेन्शन थोड़ा ज्यादा चाहिए। अच्छा। फारेन वालों को बापदादा दिल से मुबारक और पुरूषार्थ में चढ़ती कला की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

अभी बापदादा दूर वालों को भी सामने देख रहे हैं और बापदादा एक तो सर्व बच्चों को यह 75 वर्ष के जुबिली की, पुरूषार्थ कर इस जुबिली तक पहुंचे हैं इसकी मुबारक बहुत बहुत दे रहे हैं। हर एक का इसमें सहयोग है, चाहे पीछे आये हैं चाहे आगे आये हैं लेकिन सबके सहयोग से यहाँ तक पहुंचे हैं और बापदादा जगह जगह के प्रोग्राम की सफलता देख, सेवा के सफलता की भी मुबारक दे रहे हैं। बापदादा अभी सभी बच्चों को एक ही श्रेष्ठ संकल्प सुनाने चाहते हैं कि अभी स्वयं भी निर्विघ्न रहो और अपने साथियों को, सम्बन्ध में आने वालों को भी निर्विघ्न बनाओ। समय को समीप लाओ। दु:ख और अशान्ति बापदादा बच्चों का देख नहीं सकता। अभी अपना राज्य जल्दी से जल्दी धरनी पर लाओ। बापदादा को हर बच्चा प्यारा है, लास्ट नम्बर बच्चा जो है वह भी प्यारा है क्योंकि कमज़ोर है ना। तो कमज़ोर पर और ही रहम ज्यादा आता है। आप सभी भी कैसी भी स्थिति वाला, स्वभाव वाला हो लेकिन हमारा है, जैसे बाप हमारा है, वैसे परिवार हमारा है, तो उसके स्वभाव संस्कार न देख उनको और ही सहयोग दो, सदभावना दो, शुभ भावना दो। अच्छा सामने वाले बच्चों को या दूर बैठे देखने वाले बच्चों को बापदादा एक एक बच्चे को अपने सामने देख दृष्टि भी दे रहे हैं और मुबारक भी दे रहे हैं। अच्छा।

आप सभी को तो बहुत मुबारक मिल गई। सभी की मुबारक आपको भी मिली ना। अच्छा।

नीलू बहन ने बापदादा को नेपाल का समाचार सुनाया:- एक एक को मुबारक देना। सेवा अच्छी कर रहे हैं। लगन से कर रहे हैं, उसका फल तो निकलेगा ना।

मोहिनी बहन से:- अपने को चलाना आ गया? (सीढ़ी नहीं चढ़ सकती हूँ) पैदल ज्यादा करो। अगर पैदल कर सकती हो तो पैदल करने से टांगों में ताकत आयेगी। थोड़ी थोड़ी सीढ़ी चढ़के देखो। पैदल करके फिर तीन चार सीढ़ी चढ़ो तो फर्क आ जायेगा।

रूकमणि दादी से:- आदि रत्नों में हो, तीव्र पुरूषार्थ है, बहुत अच्छा। दिल्ली तो सबके दिल में हैं। क्योंकि सबको राज्य तो वहाँ ही आके करना है। तो दिल्ली को ऐसा करो जो निर्विघ्न कोई विघ्न नहीं, ऐसा बनाओ। सब मिल करके आपस में ऐसा प्रोग्राम बनाओ जो कोई भी बात हो, उसी समय खत्म। अच्छा।

दादी जानकी से:- (बाबा आप बहुत अच्छी अच्छी बातें सुनाते हैं) सुनायें नहीं तो सम्पन्न कैसे बनें। अभी तो बापदादा चाहते हैं जल्दी जल्दी सम्पन्न बनें।

(दादी जानकी अभी मधुबन में बैठकर सेवा करेंगी) यह रह भी नहीं सकती है। कुछ समय एक जगह भले रहे, चक्र भी लगाये, रहे भी। कुछ टाइम रहने दो।

परदादी से:- देखो, इसकी कमाल है भले आयु बढ़ती जाती है, बीमारी भी है लेकिन शक्ल नहीं बदलती है। शक्ल में सयानापन है। अच्छी है।

डा.निर्मला बहन से:- दोनों तरफ अच्छा सम्भालती है। जैसे यह सम्भालती है वैसे आप भी सम्भालती हो।

तीनों भाईयों से: अभी जैसे दादियों के ऊपर अटेन्शन है ऐसे आप तीनों पाण्डवों के ऊपर भी अटेन्शन है। तो कोई न कोई मिलने का प्रोग्राम कहाँ भी हो, फोन पर भी मीटिंग कर सकते हो। जैसे विदेश वाले करते हैं ना। तो आप भी समझो हम जिम्मेवार हैं। कोई भी बात हो, मीटिंग फोन में भी करके फैंसला दो। टाइम नहीं लगे। जल्दी जल्दी करेंगे ना तो निर्विघ्न होता जायेगा। ठीक है। (रमेश भाई से) तबियत ठीक है? अच्छा है, जिम्मेवारी का ताज बापदादा और परिवार ने दिया है। कर भी रहे हो लेकिन थोड़ा जल्दी जल्दी आपस में मिलकर विचारों की लेन देन करो। जब यहाँ आते हो तब बैठते हो ना। वहाँ भी फोन से कर सकते हो। फारेन वाले करते हैं ना। मतलब कोई भी समस्या हो उसको जल्दी सुलझाओ। लम्बा नहीं करो। यह आवे तो करें, नहीं, करके पूरा करो।

(दादी जानकी जी अभी मधुबन में रहें तो सब यहाँ आयेंगे, विदेश में भले जाये) यहाँ भी कहाँ कहाँ आवश्यकता होती है, यहाँ भी आवश्यकता तो है।

आशा बहन से:- दिल्ली ठीक है ना! क्योंकि दिल्ली में सभी को राज्य में आना है तो दिल्ली को तो पावरफुल बनाना है। (ओ.आर.सी में प्रेजीडेट आई थी, उनका एलबम बापदादा को दिखा रहे हैं)


 

30-11-11 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


‘‘अमृतवेले विशेष सर्व शक्तियों के अनुभवी स्वरूप बन योग की सकाश वायुमण्डल में फैलाओ, मन को सदा बिजी रखो, समय की पुकार है - तीव्र पुरूषार्थी भव’’

आज बापदादा चारों ओर के बच्चों के मस्तक में भाग्य के चमकते हुए सितारे देख रहे हैं। एक जन्म का, दूसरा संबंध का और तीसरा प्राप्तियों का। तीनों भाग्य को देख हर्षित हो रहे हैं। जन्म का भाग्य तो आप जानते हो कि आप सबको यह दिव्य जन्म, ब्राह्मण जन्म देने वाला स्वयं भाग्य विधाता है। तो सोचो, कितना बड़ा भाग्य है! साथ-साथ सम्बन्ध, इसकी विशेषता जानते हो कि तीनों सम्बन्ध बाप, शिक्षक, सतगुरू तीनों सम्बन्ध एक बाप से हैं। एक में ही तीन सम्बन्ध हैं। प्राप्तियों को भी जानते हो, जहाँ बाप है वहाँ प्राप्तियां तो सर्व और बेहद की है। एक में तीनों सम्बन्ध हैं। वैसे भी जीवन में यह तीन सम्बन्ध आवश्यक हैं लेकिन दुनिया वालों के हरेक सम्बन्ध अलग- अलग हैं और आपके तीनों सम्बन्ध एक में हैं। एक में तीनों सम्बन्ध होने के कारण याद भी अनुभव भी सहज होता है। सब तीनों सम्बन्ध के अनुभवी हैं ना! बाप द्वारा क्या मिलता है? वर्सा। वर्सा भी कितना ऊंचा मिलता है और यह वर्सा कितना समय चलता है क्योंकि परमात्म बाप द्वारा प्राप्त होता है। दूसरा सम्बन्ध है शिक्षक का, शिक्षा को कहा जाता है सोर्स आफ इनकम। तो आप सबको शिक्षक द्वारा कितना ऊंच प्राप्ति हुई है, जानते हो ना! ऐसी ऊंची प्राप्ति सिवाए परमात्मा पिता के और किससे हो नहीं सकती। शिक्षा से पद की प्राप्ति होती है और आप सबको श्रेष्ठ प्राप्ति है, दुनिया में भी श्रेष्ठ प्राप्ति राज्यपद को कहा जाता है। तो आपको भी शिक्षक द्वारा राज्यपद की प्राप्ति हुई है। अभी भी स्वराज्य के राजा हो क्यों? आत्मा राजयोगी होने के कारण स्वराज्य अधिकारी बनती है। स्व पर राज्य करती है। कर्मेन्द्रियों के वशीभूत नहीं होती, आत्मा मालिक होके इन कर्मेन्द्रियों की राजा बन जाती है। तो अभी का स्वराज्य और भविष्य में भी राज्य भाग्य प्राप्त होता है। तो डबल राज्य अभी भी और भविष्य में भी पद की प्राप्ति होती है। और तीसरा सम्बन्ध है सतगुरू का। तीनों सम्बन्ध प्राप्त हैं ना! है? बाप का, शिक्षक का और तीसरा है सतगुरू का। सतगुरू द्वारा गुरू की श्रीमत मिलती है। कितनी श्रेष्ठ मत मिली है? तो अपने को चेक करो कि सदा श्रीमत पर चलते हैं वा कभी मनमत परमत की तरफ तो नहीं बुद्धि जाती? चेक किया? जो समझते हैं सतगुरू द्वारा सदा ही श्रीमत श्रेष्ठ मत पर चलने वाले हैं, मनमत परमत पर कभी भी स्वप्न में भी नहीं जाते, वह हाथ उठाओ, जो सदा श्रीमत पर ही चलते हैं, परमत मनमत नहीं? हाथ उठाओ।

देखो, माताओं ने उठाया। थोड़े थोड़े उठा रहे हैं। कभी कभी चली जाती हैं और परमत मनमत धोखा दे देती है। और विशेष श्रीमत क्या है? अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो। तो सहज है या मुश्किल है? कभी कभी मुश्किल हो जाती है! लेकिन बाप यही चाहते हैं कि सदा इन तीन सम्बन्धों से हर बच्चा आगे आगे उड़ता चले। तो बापदादा पूछते हैं कि जिन्होंने हाथ नहीं उठाया वह अब से मनमत, परमत का त्याग कर सकते हैं? कर सकते हैं? वह हाथ उठाओ। अच्छा! क्योंकि बापदादा ने समय का इशारा दे दिया है। अभी संगम का समय अति वैल्युबुल है और बापदादा ने यह भी इशारा दे दिया है कि वर्तमान समय के प्रमाण सब अचानक होना है इसलिए सदा एवररेडी बनना है ना! साथ चलेंगे ना सब कि पीछे पीछे आयेंगे? बापदादा के साथ अपने घर चलना है ना! रेडी हो ना! साथ चलने के लिए रेडी हो? एवरेडी। रेडी भी नहीं, एवररेडी। तो बापदादा समय का इशारा दे रहे हैं। इस एक जन्म में 21 जन्मों की प्रालब्ध बनानी है। तो सोचो कितना अटेन्शन देना है। बाप का हर बच्चे के साथ प्यार है, बाप यही चाहते हैं कि हर बच्चा बाप के साथ-साथ चले और साथ-साथ राज्य अधिकारी बनें।

तो आप साथ चलने के लिए बाप समान सम्पूर्ण और सम्पन्न बनेंगे तब तो साथ चलेंगे ना! इस समय इस छोटे से जन्म में 21 जन्म की प्राप्ति निश्चित है। तो सोचो संगम का छोटा सा जन्म एक एक मिनट कितना महान है! हिसाब लगाओ, इस जन्म में 21 जन्म का राज्य भाग्य लेना है तो संगम का एक मिनट भी कितना वैल्युबुल है। तो इस वैल्यु को जान क्या करना पड़ेगा?

बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि दो बातों का विशेष अटेन्शन दो। दो बातें कौन सी? याद हैं ना! एक समय और दूसरा संकल्प। संकल्प व्यर्थ न जाये, समय व्यर्थ न जाये। एक एक सेकण्ड सफल हो। तो बोलो इतना अटेन्शन देना पड़ेगा ना! बापदादा का तो सभी बच्चों से प्यार है। बापदादा यही चाहते कि एक बच्चा भी साथ से रह नहीं जाए। साथ है, साथ चलेंगे, साथ राज्य अधिकारी बन सदा जीवन में सुख शान्ति का अनुभव करेंगे। तो बोलो, साथ चलेंगे ना! चलेंगे? रह तो नहीं जायेंगे? देखो, तीन भाग्य तो हर एक के मस्तक में चमक रहे हैं। अपने मस्तक में यह तीनों ही भाग्य दिखाई देते हैं ना! संगमयुग ही भाग्यवान युग है। जो जितना भाग्य बनाने चाहे उतना बना सकते हैं। लेकिन बहुत समय का अटेन्शन चाहिए। तो सभी बच्चे अपने अपने पुरूषार्थ में अभी तीव्रता लाओ। पुरूषार्थी हैं, बापदादा देखते हैं पुरूषार्थ करते हैं लेकिन सभी का तीव्रता का पुरूषार्थ अभी होना चाहिए। बापदादा हर बच्चे को बालक सो मालिक देखने चाहते हैं। किसका मालिक? सर्व खज़ानों का मालिक। कभी कभी कोई बच्चे बापदादा को कहते हैं कि बाबा आपने तो सर्वशक्तियां दी हैं और हम भी अपने को मास्टर सर्वशक्तिवान मानते हैं लेकिन कई बच्चे उल्हना देते हैं कि कभी कभी जिस समय जो शक्ति की आवश्यकता होती है, वह समय पर नहीं आती है। लेकिन इसका कारण क्या? बाप ने हर एक को सर्व शक्तियां दी हैं। दी हैं कि किसको कम दी हैं किसको ज्यादा? सर्वशक्तियां मिली हैं, हाथ उठाओ। सभी को मिली हैं लेकिन समय पर क्यों नहीं काम पर आती हैं? इसका कारण? कारण को जानते भी हो लेकिन उस समय भूल जाते हो। सर्वशक्तियों का खज़ाना हर बच्चे को वर्से में मिला है। बाप ने सभी को सर्वशक्तियों का वर्सा दिया है, कोई को कम कोई को ज्यादा नहीं दिया है। सर्वशक्तियां दी हैं लेकिन समय पर क्यों नहीं आती हैं, आप सोचो कोई भी अगर अपने स्वमान के सीट पर नहीं होता तो उसका आर्डर कोई मानता है? तो जिस समय शक्ति नहीं आती हैं, उसका कारण है कि आप अपने मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सेट नहीं होते इसीलिए बिना सीट के आर्डर कोई नहीं मानता। तो सदा अपनी सीट पर सेट रहो। कभी वेस्ट थॉटस चलते हैं वा कभी टेन्शन आता है तो उससे ही स्वमान की सीट छूट जाती है। बापदादा ने हर एक को कितने स्वमान दिये हैं। कितनी बड़ी स्वमान की सीट है! गिनती करो, कितने स्वमान बाप ने दिये हैं? स्वमान में सेट नहीं होते हैं तो जहाँ स्वमान नहीं वहाँ क्या होता है? जानते हो ना! देह अभिमान आता है। या तो स्वमान है या तो देहभान है। तो देहभान की सीट पर आर्डर करेंगे तो शक्ति नहीं मानती हैं। नहीं तो मास्टर सर्वशक्तिवान की शक्ति नहीं मानें यह हो नहीं सकता। सीट पर सेट होना इसका अभ्यास सदा करो। चेक करो चाहे कर्मयोग में हो, चाहे सेवा में हो, चाहे अपने मनन मंथन में हो लेकिन सीट पर सेट हैं तो सर्वशक्तियां हाज़र होती हैं।

आज बापदादा ने देखा, अमृतवेले चक्कर लगाया। चारों ओर का चक्कर लगाया, चाहे विदेश चाहे देश। बापदादा को चक्कर लगाने में समय नहीं लगता। तो क्या देखा? बतायें। सभी मैजॉरिटी बैठे तो थे, उठकर अपने अपने स्थानों पर बैठे थे, पुरूषार्थ भी कर रहे थे कि सारा समय अपने सर्व अनुभवीमूर्त हो करके बैठें लेकिन क्या देखा? अनुभवी मूर्त कोई कोई थे, क्योंकि सबसे बड़ी शक्ति अनुभव की है। अनुभवी स्वरूप, सर्वशक्तियों के अनुभवी स्वरूप, मास्टर नॉलेजफुल, मास्टर सर्वशक्ति स्वरूप, तो अनुभवी स्वरूप बनने में कुछ कमी दिखाई दी। पुरूषार्थ करते हैं, बापदादा ने फिर भी मुबारक दी जो पुरूषार्थ करके मैजारिटी आते हैं। बैठते मैजारिटी हैं लेकिन बापदादा यही चाहते हैं कि लाइट माइट स्वरूप के अनुभवी मूर्त बन बैठें क्योंकि यह अमृतवेले के योग की सकाश सारे वायुमण्डल में फैलती है। इस अनुभव को और आगे बढ़ाओ। जैसे ब्रह्मा बाबा को देखा, कितनी पावरफुल फरिश्ते स्वरूप की स्थिति रही। ऐसे ही इस अमृतवेले को अभी अपने अपने रूप से अटेन्शन और अथक होकर दो। बापदादा ने देखा कई बच्चे लाइट माइट रूप में भी बैठते हैं, ना नहीं है, हाँ भी है लेकिन इस समय के पुरूषार्थ को और भी अटेन्शन देना होगा और बापदादा ने पहले भी इशारा दिया कि अपने मन को सदा बिजी रखो। चाहे मन्सा सेवा से, चाहे वाचा से, चाहे मनन शक्ति में बिजी रखो। मनन करो। मनन शक्ति मन को एकाग्र बना देती है। कोई कोई बच्चे मनन अच्छा करते भी हैं लेकिन मनन शक्ति को भी सारे दिन में बढ़ाओ क्योंकि बापदादा को लास्ट बच्चे से भी प्यार है। लास्ट बच्चे को भी बापदादा यही चाहते कि साथ चले। रह नहीं जाये। पीछे पीछे नहीं रह जाए। तो क्या करेंगे? अटेन्शन।

आज बापदादा सभा को देख जानते हैं कि बच्चों की वृद्धि होनी ही है। 75 वर्ष की जुबिली मनाई। उसकी तो बापदादा बच्चों को मुबारक दे रहे हैं। बापदादा ने सेवा की लगन भी देखी, हर एक स्थान वालों को उमंग है और सेवा का फल और सेवा का बल वह भी दिखाई दे रहा है। विशेष बापदादा ने देखा कि जहाँ भी बच्चों ने सेवा की है वहाँ इस वारी गवर्मेन्ट के निमित्त बनी हुई आत्मायें ज्यादा आई हैं और रिजल्ट में मानते भी हैं कि अभी के समय अनुसार जबकि दु:ख और अशान्ति बढ़ रही है तो यह जो टॉपिक रखी है वह आवश्यक है क्योंकि जितना ही शान्ति चाहते हैं उतनी अशान्ति बढ़ रही है। कोई न कोई बात अशान्ति की आ ही जाती है। इसके लिए चारों ओर टेन्शन बढ़ रहा है और गवर्मेन्ट भी चाहती है कि भारत टेन्शन फ्री हो जाए। तो सभी ने, जिन बच्चों ने सेवा की है उन सभी बच्चों को बापदादा मुबारक दे रहे हैं और जो करने वाले हैं उन्हों को भी एडवांस में मुबारक दे रहे हैं।

बापदादा अभी यही चाहते हैं कि एक एक बच्चा फॉलो फादर करते हुए बाप समान सम्पन्न जरूर बनें। बापदादा ने देखा कि पुरूषार्थ भी सब बच्चे करते हैं। पुरूषार्थ की लगन भी है, अपने से ही प्रॉमिस भी बहुत करते हैं, अब नहीं करेंगे, अब नहीं करेंगे... लेकिन कारण क्या होता है? कारण है पुरूषार्थ में दृढ़ता कम है। बीच बीच में अलबेलापन आ जाता है। हो जायेंगे, बन जायेंगे... यह अलबेलापन पुरूषार्थ को ढीला कर देता है। तो अब क्या करेंगे? अभी यही विशेष अटेन्शन दो, अपने आप अपना प्रोग्राम बनाओ, जिसमें सारा दिन मन को बिजी रखो। अपना प्रोग्राम आप बनाओ। टाइमटेबुल अपना आप बनाओ, मन को बिजी रखने का। चाहे मनन करो, चाहे सेवा करो, चाहे एक दो को अटेन्शन खिंचवाओ लेकिन बिजी रखो। मन से बिजी, शरीर से बिजी तो होते हो लेकिन मन से बिजी रहो। मन के बिजी रहने में बिजनेसमैन नम्बरवन बनो। यह कर सकते हो? करेंगे? करेंगे? क्योंकि आप जानते हो ब्रह्मा बाप भी आपका इन्तजार कर रहे हैं और आपकी एडवांस पार्टी भी आपका इन्तजार कर रही है, कब समय को समीप लाते हैं क्योंकि समय को समीप लाने के जिम्मेवार आप हो। अपने को सम्पन्न बनाना अर्थात् समय को समीप लाना।

तो बापदादा विशेष एक मास दे चुका है। इस एक मास में हर एक को तीव्र पुरूषार्थी बन, पुरूषार्थी नहीं तीव्र पुरूषार्थी बनना ही है। मंजूर है? है मंजूर? हाथ उठाओ। अच्छा, मुबारक हो। अभी हर एक को दृढ़ संकल्प कर रोज़ बापदादा को अपनी रिजल्ट सारे दिन की कैसी देनी है? तीव्र पुरूषार्थ की। पुरूषार्थ नहीं तीव्र पुरूषार्थ। इसके लिए तैयार हैं? हैं तैयार? दो हाथ उठाओ। बहुत अच्छा। अभी बापदादा अचानक ही बीच में रिजल्ट मंगायेगा। डेट नहीं बताते हैं। अचानक ही एक मास के अन्दर कोई भी डेट पर रिजल्ट मंगायेंगे। करना ही है। यह प्रॉमिस अपने आप करो। बापदादा करायेगा वह तो कराते ही हैं लेकिन अपने आप से यह संकल्प करो और प्रैक्टिकल करके दिखाओ। करना ही है। करेंगे, गे-गे नहीं.. अभी गे-गे अच्छी नहीं है। समय आगे बढ़ रहा है, अति में जा रहा है, तो समय का परिवर्तन करने वाले क्या आप पूर्वजों को अपने दु:खी परिवार पर रहम नहीं आता? रहमदिल बनो। दु:खियों को सुख का रास्ता बताओ, चाहे मन्सा से, चाहे वाचा से, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क से। अपना परिवार है ना! तो परिवार का दु:ख मिटाना है। रहमदिल बनो। अच्छा।

सेवा का टर्न कर्नाटक ज़ोन का है:- अच्छा। अभी कर्नाटक वाले क्या विशेषता करेंगे? तीव्र पुरूषार्थ करने का, पुरूषार्थ करेंगे और करायेंगे। करायेंगे भी और करेंगे भी, इसमें हाथ उठाओ।

बापदादा सिर्फ यहाँ नहीं देख रहे हैं लेकिन जहाँ भी सब बच्चे बैठे हैं, चाहे पार्क में बैठे हैं, चाहे भिन्न भिन्न हाल में बैठे हैं सभी को बहुत-बहुत याद प्यार दे रहे हैं। दूर बैठे हैं लेकिन दिल से नजदीक हैं। चारों ओर देखने वालों को भी बापदादा दिल का यादप्यार दे रहे हैं। देश विदेश के हर बच्चे को बापदादा देख रहे हैं। चाहे दूर हैं, चाहे नजदीक हैं लेकिन बापदादा के दिल में समाने वाले हैं क्योंकि हर बच्चे का प्रॉमिस है कि हमारे दिल में बाप है और हम हर एक बाप के दिल में हैं इसलिए बाप का टाइटल दिलाराम है।

अच्छा कनार्टक वाले तो बहुत आये हैं और सेवा का पार्ट भी अच्छा बजाया है। मधुबन वालों को भी बापदादा खास नीचे-ऊपर सब मधुबन निवासियों को पदमगुणा प्यार और याद दे रहे हैं क्योंकि कितने भी बढ़ गये हैं लेकिन सेवा अच्छी की है, रिजल्ट अच्छी है, इसलिए बापदादा ने देखा कि अथक बन प्यार से सबको समा लिया है। चाहे रहाने वाले, चाहे खिलाने वाले, चाहे कोई भी सेवा करने वाले, सेवा की रिजल्ट अच्छी है इसलिए आने वालों को, सेवा करने वालों को, सहयोग देने वालों को, एक एक को बाप मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

चार विंग्स - आर्ट एण्ड कलचर, साइंटिस्ट एण्ड इंजीनियर, एज्यूकेशन और पोलीटिशियन विंग सें:- अच्छा, हर एक विंग ने अपनी अपनी निशानी रखी है। बापदादा सभी का उमंग उत्साह देख बहुत बहुत खुश है और रिजल्ट में भी देख रहे हैं कि हर एक विंग अभी प्रोग्राम्स कर भी रहे हैं और बना भी रहे हैं। हर एक विंग के आगे करने के प्रोग्राम्स बापदादा के पास पहुंच गये हैं। तो जैसे प्रोग्राम्स बनाये हैं वह बहुत अच्छे बनाये हैं। उमंग से बनाये हैं, उसको प्रैक्टिकल में करके बापदादा के सामने रिजल्ट के साथ कोई सैम्पुल भी हर एक विंग लायेगा। चारों ही विंग के बहुत हैं। हाथ उठाओ। बापदादा सबको नजदीक देख रहे हैं। अच्छा है। अभी हर एक विंग रिजल्ट निकाले कि जब से विंग की सेवा की है तब से लेकर अब तव कितने माइक बनाये हैं और कितने वारिस बनाये हैं और कितने स्टूडेन्ट बनाये हैं! हर एक विंग उमंग से कर तो रहे हैं लेकिन बापदादा यह रिजल्ट देखने चाहते हैं। और मुबारक भी दे रहे हैं बापदादा क्योंकि हर एक विंग एक दो से आगे जा भी रहा है और सेवा में नये नये प्लैन भी बना रहे हैं इसलिए जो आज चार विंग आये हैं उन्हों को बापदादा अभी खास मुबारक दे रहे हैं। अच्छा। ड्रेस भी पहनके आये हैं, एज्युकेशन विंग के। (साइंटिस्ट इंजीनियर विंग की सिल्वर जुबिली है) अच्छा है, सिल्वर जुबिली की विशेष बापदादा खास एक एक बच्चे को नाम सहित देख भी रहे हैं और मुबारक भी दे रहे हैं। संस्था की तो 75 वर्ष की जुबिली है और इन्हों की सिल्वर जुबिली है। लेकिन बापदादा खुश है करते चलो, उड़ते चलो, आखिर वह दिन आयेगा, समीप आ रहा है जो सब कहेंगे हमारा बाबा आ गया। अभी जो भी विंग हैं उसमें ऐसी आत्मायें निकालो जो दिल से कहें मेरा बाबा आ गया। ऐसे नाम बापदादा के पास भेजना, जितनी भी सेवा की है, जितने भी निकले हैं उनमें से कितने कहते हैं मेरा बाबा आ गया! फिर बापदादा इनाम देगा। अभी यही सेवा धूमधाम से करो, ऐसे पुरूषार्थी निकलने चाहिए। प्रत्यक्षता करनी है ना। दु:खियों को सुखी बनाना है ना! इसी भारत को स्वर्ग बनाना ही है। तो कब बनायेंगे? विंग वाले सुनाओ कितना टाइम चाहिए? कितना टाइम चाहिए? बोलो। आप बोलो कितना समय चाहिए? चार ही विंग के निमित्त जो हैं वह आगे आओ। (सबको स्टेज पर बुलाया) देखो, (इस बार अन्नामलाई युनिवार्सिटी के तरफ से कन्वकेशन में एम.एस.सी. डिग्री देंगे) बापदादा ने अभी जो कहा अब ऐसे वारिस निकालो। यह भले टोपी पहनी है, वह नहीं, वारिस निकालो। हर एक को वारिस निकालने की जिम्मेवारी है। कहाँ कहाँ माइक निकाले हैं लेकिन वारिस निकालो। इसमें नम्बर लो। कौन सी डिपार्टमेंट वारिस निकालने में नम्बरवन हैं। अभी वारिस निकालने की सीजन है। और बढ़ाते चलो, अभी वारिस बनाओ। सहयोगी तो बहुत बनते हैं लेकिन वारिस निकालो। ऐसा एक्जैम्पुल बनें जो सुनके औरों को भी उमंग आवे। समय तो आ रहा है, अभी तो समय भी आपको मदद देगा क्योंकि दु:ख बढ़ रहा है। फैंसला करते हैं तो फैंसला कहाँ होता है। (अभी सब अच्छा सहयोग देते हैं) सहयोग तो देते हैं लेकिन खुद आगे आवें। हो जायेगा। अच्छा।

डबल विदेशी भाई बहिनें:- डबल विदेशी का अर्थ है डबल उड़ान उड़ने वाले। डबल उड़ान अर्थात् सेकण्ड में जो चाहे वह स्थिति में स्थित हो जाएं। तो ऐसा अभ्यास है? जिस समय जो स्थिति चाहो उससे उड़ती कला स्थिति के अनुभव में आ जाओ। यही अभ्यास समय पर काम में आयेगा। जिस समय चाहे उस समय वही स्थिति प्रैक्टिकल में हो जाए। डबल विदेशी हैं ना! तो पुरूषार्थ भी डबल करेंगे ना! कर भी रहे हैं, बापदादा के पास समाचार अच्छे अच्छे आते हैं। सेवा का समाचार भी आता है, सेवा भी बढ़ रही है, आत्मायें भी अच्छे अच्छे निमित्त बनने वाली निकल रही हैं इसलिए बापदादा डबल विदेशियों को डबल मुबारक दे रहे हैं। अच्छा है, हर ग्रुप में डबल विदेशी कोई न कोई होता ही है। यह अच्छा अपना प्रोग्राम बना लिया है। तो डबल विदेशी अभी वारिसों की लिस्ट निकालना। हर एक सेन्टर पर कितने नये वारिस निकले? आप तो हो ही। अभी बापदादा वारिसों की लिस्ट चाहते हैं। अच्छा।

अभी जहाँ भी जो बैठे हैं उन सबको चाहे टी.वी. में देख रहे हैं, चाहे यहाँ भिन्न-भिन्न स्थान पर बैठे हैं वह भी टी.वी. में देख रहे हैं, एक एक बच्चे को बापदादा आज तीव्र पुरूषार्थी का टाइटल दे रहा है। अभी इसी टाइटल को सदा याद रखना। कोई पूछे आप कौन हैं? तो यही कहना तीव्र पुरूषार्थी। ठीक है सभी को मंजूर है। मंजूर है? अभी ढीला पुरूषार्थ नहीं चलेगा, समय आगे भाग रहा है इसीलिए अभी तीव्र पुरूषार्थी बनना ही है, समय की पुकार है - तीव्र पुरूषार्थी भव। तो सभी बच्चों को बापदादा की बहुत-बहुत यादप्यार और तीव्र पुरूषार्थ की सौगात दे रहे हैं।

पहली बार आने वालों से:- अच्छा, पहली बार आने वाले बच्चों को बापदादा विशेष मुबारक दे रहे हैं। बापदादा आप बच्चों को देख खुश हो रहे हैं, क्यों खुश हो रहे हैं? क्योंकि आप सभी लास्ट समय के पहले पहुंच गये हो इसलिए मुबारक दे रहे हैं। अपना हक लेने के अधिकारी बन गये इसलिए आप सभी जो आज बापदादा बार-बार कह रहे हैं तीव्र पुरूषार्थी बनना। तीव्र पुरूषार्थी बन आगे से आगे बढ़ सकते हो। यह वरदान अभी प्राप्त हो सकता है। सभी जो भी आये हैं उन सबको यह अटेन्शन देना है कि सदा एक तो मुरली की स्टडी कायदेप्रमाण करते रहना और साथ-साथ मन्सा सेवा या वाचा सेवा करने का गोल्डन चांस लेते रहना। तो मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।

दादी जानकी से:- (बाबा आप कितनी अच्छे हो) आप भी कितनी अच्छी हो। सब अच्छे से अच्छे बनेंगे। निर्विघ्न यज्ञ चल रहा है, सब अच्छे चल रहे हैं।

(साउथ अफ्रीका में पर्यावरण से सम्बन्धित कोन्फेरेंस में 50 हजार लोग पहुंचे हैं, वहाँ जयन्ती बहन और उनके साथी बहुत अच्छी सेवा कर रहे हैं) सभी बच्चों का समाचार सुना और बापदादा दिल से खास जो निमित्त बनी हुई बच्चियां हैं, भाई हैं उनको बहुत-बहुत प्यार दे रहे हैं। हिम्मत अच्छी रखी है। आखिर वह दिन भी आयेगा, आप लायेंगे जो सब कहेंगे वाह बाबा वाह!

मॉरीशियस का समाचार सुनाया, 2012 के प्रति बापदादा की प्रेरणायें पूछ रहे हैं:- बापदादा की तो उम्मींद हर बच्चे के लिए श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ है कि हर बच्चा बाप का बन औरों को भी बाप का बनायेंगे। अभी तीव्र पुरूषार्थ सेवा में भी, धारणा में भी दोनों में तीव्र पुरूषार्थ।

(आंध्र प्रदेश में बहुत अच्छी सेवायें हुई हैं) बापदादा ने सुनाया ना, जहाँ भी प्रोग्राम किये हैं, बहुत अच्छे किये हैं। चारों ओर अच्छे किये हैं।

रूकमणि दादी से:- अभी दवाई ठीक करती रहो, ठीक हो जायेंगी। कुछ तो करना पड़ता है। और कोई बात सोचो नहीं, औरों को भी सोच में नहीं दो, खुद भी सोचो नहीं।

महामहिम बहन उार्मिलासिंह, राज्यपाल हिमाचल प्रदेश:- बहुत अच्छा किया है, माताओं का स्वमान रखा। मातायें आगे जितना बढ़ेंगी उतना भारत का कल्याण होगा। तो आप निमित्त बनीं। अभी सभी को टेन्शन फ्री बनाओ। अपने शहर में टेन्शन फ्री बनाओ। बहुत टेन्शन है। तो मेडीटेशन कोर्स टेन्शन फ्री बनाने वाला है, जहाँ तक हो सके, कोई प्रोग्राम ऐसे बनाओ जिसमें आपके कनेक्शन वाले मेडीटेशन से टेन्शन फ्री हो जाएं। तभी तो देश का कल्याण होगा ना। टेन्शन में सफलता नहीं होती, बिना टेन्शन होंगे तो जो भी प्लैन बनायेंगे उसकी ताकत आयेगी। तो निमित्त बनो टेन्शन फ्री बनाने के।

कर्नाटक की एक्टर जयन्ती बहन से:- देखो जैसे मन देखने को किया ना वैसे अभी मन में टेन्शन फ्री बनो। उसके लिए यहाँ मेडीटेशन कोर्स कराया जाता है वह करेंगी, अपने साथियों को भी टेन्शन फ्री कोर्स कराओ तो क्या होगा? टेन्शन फ्री होने से और लोंगों में भी शान्ति फैलायेंगे नहीं तो टेन्शन में शान्ति गुम हो रही है। तो आप साथियों को ऐसे बनाओ। आप यहाँ आये हैं ना तो यहाँ थोड़ा सीखकर जाना और उन्हों को आप समान बनाओ फिर ग्रुप ले आना। साथी बनना।


15-12-11 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


‘‘सदा फखुर में रह बेफिक्र बादशाह बनो, तीव्र पुरूषार्थ द्वारा सम्पन्न और समान बन साथ चलने की तैयारी करो’’

आज बापदादा बेफिक्र बादशाहों की सभा देख रहे हैं। यह सभा इस समय ही लगती है क्योंकि सभी बच्चों ने अपने फिकर बाप को देकर बाप से फखुर ले लिया है। यह सभा अभी ही लगती है। आप भी हर एक सवेरे से उठते कर्म करते भी बेफिक्र और बादशाह बन चलते हो ना! यह बेफिक्र का जीवन कितना प्यारा लगता है। बेफिक्र की निशानी क्या दिखाई देती है? हर एक के मस्तक में लाइट, आत्मा चमकती हुई दिखाई देती है। यह बेफिक्र जीवन कैसे बनी? बाप ने सभी बच्चों के जीवन से फिकर लेकर फखुर दे दिया है। जिनके जीवन में फखुर नहीं फिकर है उनके मस्तक में लाइट नहीं चमकती है। उनके मस्तक में बोझ की रेखायें देखने में आती हैं। तो बताओ आपको क्या पसन्द है? लाइट या बोझ? अगर कोई बोझ भी आता है तो बोझ अर्थात् फिकर बाप को देकर फखुर ले सकते हैं। आप सबको बेफिक्र लाइफ पसन्द है ना! देखने वाले भी बेफिक्र लाइफ पसन्द करते हैं।

तो बापदादा आज चारों ओर के बच्चों के चाहे सम्मुख हैं, चाहे जहाँ भी बैठे हैं, बच्चों के मस्तक बीच चमकती हुई लाइट ही देख रहे हैं। तो सदा बेफिक्र रहते हैं या कभी कोई फिक्र भी आता है? है कोई फिकर? जब बाप ने प्रकृतिजीत, विकारों जीत बना दिया तो फिकर कैसे आ सकता है? तो हाथ उठाओ बेफिकर बने हो? बने हो सदा? सदा बने हो या कभी-कभी? कभी-कभी वाले भी हैं? हाथ तो नहीं उठाते, बापदादा भी नहीं देखने चाहते हैं। बापदादा हर बच्चे को बेफिक्र बादशाह देखने चाहते हैं। अगर कभी-कभी वाले भी हैं तो बहुत सहज विधि है जो भी थोड़ा बहुत फिकर आता है तो मेरे को तेरे में बदल लो। यह हद के मेरेपन को, मेरे को तेरे में बदलने की बहुत सहज विधि है। आप तो कहते ही हो मेरा बाबा, तो अब मेरा क्या रहा? हद का मेरा तो समाप्त हुआ ना! मेरा बाबा हो गया। सभी दिल से कहते हो ना मेरा बाबा! प्यारा बाबा! मीठा बाबा! तो मेरे में तेरे को समाना मुश्किल है क्या? फर्क क्या है? ते और मैं, इतना छोटा सा फर्क है। संकल्प कर लिया सब तेरा और मेरा क्या रहा? मेरा बाबा।

तो बापदादा ने देखा मैजारिटी बच्चों ने हद के मेरे को तेरा बनाया है इसलिए क्या बन गये? बेफिक्र बादशाह। तो आज बापदादा बच्चों को बेफिक्र बादशाह स्वरूप में देख रहे हैं। देखो, भक्ति मार्ग में भी आपके चित्र बनाते हैं तो डबल ताज दिखाते हैं। एक तो लाइट का ताज है ही क्योंकि बेफिक्र आत्मा की निशानी है मस्तक में लाइट चमकती है और दूसरा ताज विकारों पर विजयी बने हो इसलिए ताज दिखाया है इसलिए यह अटेन्शन रखो कि जब बापदादा ने फिकर लेकर फखुर दे दिया तो क्या बन गये? बेफिक्र बादशाह। बादशाह बने हैं तो तख्त भी चाहिए ना! तो बापदादा ने तीन तख्त के मालिक बनाया है। जानते हो तीन तख्त कौन से हैं? एक तख्त भ्रकुटी का, यह तो सबको है ही। दूसरा तख्त है बापदादा का दिलतख्त और तीसरा है विश्व का तख्त, राज्य का तख्त। तो आप सबको यह तीन तख्त प्राप्त हैं ना! सबसे श्रेष्ठ है बापदादा का दिलतख्त। तो चेक करो तख्त पर रहते हो? क्योंकि बापदादा के दिलतख्त पर कौन बैठता है? जिसने सदा स्वयं भी बापदादा को अपने दिलतख्त में बिठाया है, जो सदा श्रेष्ठ स्थिति में मास्टर सर्वशक्तिवान है। तो चेक करो कि सदा तख्तनशीन हैं? या कभी मिट्टी में भी आ जाते हैं। यह देहभान मिट्टी है। बहुत समय मिट्टी में रहे हैं तो कभी-कभी मिट्टी में तो नहीं चले जाते?

तो बापदादा सभी बच्चों को समय का ईशारा दे रहे हैं। अचानक का पाठ पक्का करा रहे हैं, इसके लिए इस संगम के समय का बहुत-बहुत महत्व रखना है क्योंकि इस एक जन्म में अनेक जन्मों की प्रालब्ध बनानी है इसलिए बापदादा ने इशारा दिया था तो संगम के समय में दो बातों का हर समय अटेन्शन देना है। वह दो बातें तो याद होंगी - समय और संकल्प। बापदादा को सभी ने व्यर्थ संकल्प, संकल्प द्वारा देने की हिम्मत रखी थी। तो चेक करो हिम्मत सदा कायम है? क्योंकि हिम्मते बच्चे, एक बार तो बाप हजार बार मददगार है। तो अभी क्या समझते हो? व्यर्थ संकल्प का जो हिम्मत रख बाप के आगे संकल्प किया वह कायम है? क्योंकि इस व्यर्थ संकल्पों में समय बहुत जाता है और आपका इस समय के प्रमाण कार्य है विश्व की आत्माओं को सन्देश देने का। तो व्यर्थ संकल्प को समाप्त करना है तब दु:खी, अशान्त आत्माओं को सुख शान्ति का अनुभव करा सकेंगे। बापदादा को दु:खी बच्चों को देख तरस पड़ता है। आपको भी अपने भाई-बहिनों को देख तरस तो पड़ता है ना!

बापदादा ने देखा कि वर्तमान समय सभी को रूचि है, प्लैन बनाया भी है, प्रैक्टिकल किया भी है, इस 75 वर्ष की जुबिली मनाने का। बापदादा यही चाहते हैं, प्रोग्राम तो सब अच्छे किये हैं, इसकी मुबारक भी दे रहे हैं। लेकिन अभी समय के प्रमाण जल्दी-जल्दी उन्हों को वारिस बनाओ, जो कुछ न कुछ वर्से के अधिकारी बन जायें। अच्छा- अच्छा बहुत कहते हैं, बापदादा ने भी बच्चों के सेवा की यह रिजल्ट तोदेखी है और बाप बच्चों पर खुश भी है। दिल से कर रहे हैं और अभी समय प्रमाण सुनते भी रूचि से हैं। इतना अन्तर तो आया है। अच्छा-अच्छा लगता है लेकिन अच्छा बनाके कुछ न कुछ वर्से के अधिकारी बनाओ। इसके लिए बापदादा ने पहले भी इशारा दिया है कि अभी समय अनुसार तीव्र पुरूषार्थी बनने की आवश्यकता है। तीव्र पुरूषार्थी बनने के लिए मुख्य पुरूषार्थ है सेकण्ड में बिन्दी लगाना। सेकण्ड और बिन्दी, दोनों समान। तो अब बापदादा बच्चों का तो बेफिक्र बादशाह का रूप देख रहा है। अभी इसी रूप को सदा अनुभव करो। कोई भी कुछ भी आवे तो मेरे को तेरे में समा दो।

आज बापदादा ने देखा, गुरूवार का दिन है बहुत बच्चे बापदादा के पास पहुंचे, तो बापदादा ने कहा सप्ताह के दो दिन विशेष हैं। एक गुरूवार दूसरा इतवार, सण्डे। तो गुरूवार के दिन गुरू का दिन है, गुरू से क्या मिलता है? वरदान। तो गुरूवार के दिन वरदान का दिन विशेष है, इस रूप से गुरूवार को मनाओ। कोई न कोई विशेष वरदान अमृतवेले से अपने बुद्धि में इमर्ज रखो। वरदान तो अनेक हैं लेकिन विशेष एक वरदान अपने लिए बुद्धि में रख चेक करो कि वरदानी दिन में वरदान स्वरूप बन, वरदान को रिपीट नहीं करना है लेकिन वरदान स्वरूप बनना है और चेक करते रहो तो आज कितना समय वरदान स्वरूप रहे? सण्डे का दिन विशेष दुनिया में छुट्टी का दिन होता है। तो सण्डे के दिन मनाओ जो भी कुछ अपने जीवन में संकल्प मात्र भी कमज़ोरी हो, स्वप्न मात्र भी कमज़ोरी हो उसको छुट्टी देना है। तो जैसे लोग यह दोनों ही दिन अच्छा बिताते हैं, ऐसे आप भी इन दोनों दिन में विशेष यह लक्ष्य और लक्षण सिर्फ लक्ष्य नहीं लेकिन लक्ष्य के साथ लक्षण को अटेन्शन में रखो। बापदादा ने सभी बच्चों को साथ ले चलने का वायदा किया है। इसके लिए साथ चलने की तैयारी क्या करनी है? बाप तो सेकण्ड में अशरीरी बन जायेंगे लेकिन आपने जो वायदा किया है, बाप ने भी वायदा किया है साथ चलेंगे, तो चेक करो उसकी तैयारी है? सेकण्ड में बिन्दी लगाई, सम्पन्न और सम्पूर्ण बन चला। तो ऐसी तैयारी है? साथ तो चलना है ना! चलना है? कांध हिलाओ। चलना है, अच्छा। पक्का? हाथ में हाथ देना, इसका अर्थ है समान बनना। तो चेक करो समय तो अचानक आना है, तो इतनी तैयारी है जो साथ में चलें?

बाप का बच्चों से प्यार है ना! तो बाप एक को भी साथ चलने में पीछे छोड़ने नहीं चाहते। साथ है, साथ रहेंगे, साथ चलेंगे और साथ राजधानी में राज घराने में आयेंगे। मंजूर है ना! मंजूर है? तैयारी है? मंजूर है में तो हाथ उठा लेंगे, यह हाथ नहीं उठाओ। तैयारी है, इसमें हाथ उठाओ। बड़ा हाथ उठाओ। अच्छा। कल भी विनाश हो जाए तो तैयार हो? लेकिन अपनी सेवा को समाप्त किया है? सेवा तो अभी रही हुई है? सेवा समाप्त हो गई है? सन्देश सबको पहुंच गया है? सिर्फ अपने मोहल्ले में ही देखो, आपने हर एक को बाप आ गया है, वर्सा लेना हो तो ले लो, यह सन्देश दिया है? अभी प्लैन बना रहे हैं। बापदादा ने सुना कि घर-घर में सन्देश देने का प्लैन बना रहे हैं। अच्छा है, सन्देश तो देना ही है, नहीं तो उल्हना मिलेगा। प्रोग्राम बनाया है ना! उठो, बाप को प्लैन बताया है ना! उठो। (मीडिया वालों को उठाया) अच्छा है उल्हना पूरा कर लो क्योंकि होना तो अचानक ही है। तो आपस में मिलकर इसी प्लैन को प्रैक्टिकल में लाओ। आपस में राय सलाह जल्दी करो, समय लग जाता है ना तो उमंग भी थोड़ा कम हो जाता है। बाकी बापदादा को तो पसन्द है कि घर-घर में यह उल्हना पूरा हो जाए तो हमको तो पता नहीं पड़ा, बाप आया और चला भी गया, वंचित रह गये। सभी को उमंग है ना! सबको उमंग है? सेवा करके उल्हना पूरा करना है। उमंग है तो बापदादा का सहयोग भी है। अच्छा।

तो बापदादा के दिल की आश को तो सभी जानते ही हो। समान और सम्पूर्ण, यह दो शब्द सदा चेक करो तो क्या बाप की यह आशा पूर्ण की? क्योंकि बापदादा हर बच्चे को बाप के आशाओं का सितारा समझते हैं। हर एक बच्चे का बाप से प्यार है, यह तो बापदादा भी जानते हैं। इन सभी को मधुबन में लाने वाला क्या है? यह प्यार की ट्रेन में आते हैं। प्यार के प्लेन में आते हैं। तो बाप भी बच्चों के प्यार की सबजेक्ट में बच्चों से खुश है। लेकिन जो दो शब्द बाप चाहते हैं समान और सम्पूर्ण, इसको भी सम्पन्न करना ही है।

तो आज बापदादा चारों ओर के बच्चों को दिल से स्नेह से देख एक-एक बच्चे को दिल के प्यारे की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

सेवा का टर्न इन्दौर और भोपाल का है:- मुबारक हो। यह भी चांस अच्छा लगता है ना! सेवा का भण्डार सहज मिल जाता है। दोनों ज़ोन उमंग-उत्साह से पुरूषार्थ में भी बढ़ रहे हैं और आगे भी हर एक अपने पुरूषार्थ को तीव्र कर आगे बढ़ रहे हैं। बापदादा खुश होते हैं, यह चांस भी एक तो सेवा का फल भी मिलता है और बल भी मिलता है। सबकी नज़र कहाँ जाती है? अभी किस ज़ोन का टर्न है, वह नज़र जाती है और सेवा, मधुबन की सेवा अर्थात् सेवा का फल और बल मिलना। तो बहुत अच्छा किया। निर्विघ्न सेवा की, सबको सन्तुष्टता का फल खिलाया। बापदादा को खुशी होती है क्योंकि विशेष चांस मिलता है ना और बच्चे मधुबन में पहुंचते हैं, मधुबन में आना, इतने बड़े परिवार से मिलना और इतने बड़े परिवार की सेवा के निमित्त बनना, यह भी बहुत बड़ा भाग्य बन जाता है। तो निर्विघ्न सन्तुष्टता का फल खाया इसलिए बापदादा विशेष दोनों ज़ोन को मुबारक दे रहे हैं। अच्छा है, हर एक के ऊपर बाप की भी नज़र जाती और परिवार की भी नज़र जाती। प्रत्यक्ष आत्माओं को खुशी भी मिलती, खुश करते भी और मिलती भी खुशी, दोनों ही। तो मुबारक हो दोनों को।

ग्राम विकास, सिक्युरिटी और बिजनेस विंग की मीटिंग है:- अच्छा। हर एक अपनी निशानी ले आये हैं। सभी को खुशी होती है और बापदादा को भी एक-एक वर्ग को देख खुशी होती है। बापदादा ने देखा कि हर एक वर्ग कोई न कोई इन्वेन्शन कर अपने वर्ग की सेवा को वृद्धि में ला रहे हैं। और बापदादा तीनों की अलग-अलग रिजल्ट को देख खुश है। जैसे यह जो योगबल के खेती की सेवा बढ़ा रहे हैं और गवर्मेन्ट तक आवाज पहुंच रहा है, गवर्मेन्ट भी खुश हो रही है कि इस द्वारा आत्माओं को फायदा मिल रहा है। हर एक वर्ग देखा गया, कि सेवा में हर एक नम्बरवन है। यह खेती वालों की भी रिपोर्ट देखी, उन्होंने जो अभी बाप ने कहा था तो लिस्ट निकालो, कौन कौन नजदीक सम्बन्ध में आये हैं। तो यह पहला ही वर्ग है जिन्होंने लिस्ट दी है। बापदादा ने देखा कि भिन्नभिन्न प्रकार के कनेक्शन में आये हैं और समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियां अभी गवर्मेन्ट के साथी बन रही हैं क्योंकि प्रैक्टिकल देखते हैं ना कि कितने प्यार से मेहनत करते हैं। तो तीनों वर्ग अच्छी मुबारक योग्य सेवा कर रहे हैं इसलिए मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा यह जो बनाया है, छोटे-छोटे बच्चे, यह सबको दिखाओ। (ग्राम विकास वालों ने कठपुतली का डांस दिखाया) बापदादा ने देखा सभी खुश हो रहे हैं बहुत। अपनी खुशी बच्चों के रूप में दिखा रहे हैं। अच्छा। तो ग्राम विकास का डिटेल अच्छा आया है। वह लिखत में ले आये हैं लेकिन और दो भी हैं वह भी कम नहीं हैं। ऐसे ही बढ़ते रहो बढ़ाते रहो और विश्व में यह आवाज फैलाते रहो कि हम सेवाधारी बन विश्व को, इसमें भी भारत को स्वर्ग सुखमय जरूर बनायेंगे। अभी समझने लगे हैं कि ब्रह्माकुमारियों का यह वायदा, ब्रह्माकुमारियां पूरा कर भी रही हैं और करके ही छोड़ेंगी। तो बापदादा तीनों को अलग-अलग मुबारक दे रहे हैं।

(बिजनेस वालों की सिल्वर जुबिली है) अभी बिजनेस वाले उठो, अच्छा। हिम्मत रखके जो मेहनत की है, उसमें सफलता भी मिली है और आगे भी सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है। बापदादा को अच्छा लगता है, यह वर्ग में एक-एक वर्ग में देखा है, टर्न चाहे तीन का हो, चार का हो लेकिन हर एक वर्ग जब से बने हैं तब से सर्विस में वृद्धि हुई है और आगे भी होगी। यह बापदादा देख रहे हैं और एडवांस में मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

1500 टीचर्स आई हैं:- टीचर्स को तो बापदादा सदा ही याद करते, प्यार करते क्योंकि टीचर्स निमित्त बनती हैं हर भाई और बहिनों को आगे बढ़ाने के लिए। टीचर को बापदादा गुरूभाई कहते हैं। गुरूभाई का अर्थ है समान क्योंकि जैसे बाप का कर्तव्य है सदा सेवा में बिजी रहना, ऐसे योग्य टीचर्स बाप समान सदा सेवाधारी और सदा सफलता स्वरूप बन सफल स्वरूप बनाने वाली हैं। बापदादा को टीचर्स प्रति सदा ही दिल में प्यार है। क्यों? टीचर अर्थात् सदा सेवाधारी, सदा बाप समान बनाने वाली और नयों नयों को बाप का परिचय दे अनुभवी बनाके बाप के वर्से के अधिकारी बनाने वाला। तो बापदादा टीचर्स पर खुश है और यही दिल का प्यार, बाप का प्यार स्टूडेन्ट में भी भरकर उन्हों को भी बाप के पूरे वर्से के अधिकारी बनाने वाली हैं। बाप की हर एक टीचर में उम्मींद रहती है कि यह हर एक टीचर जो बाप की आशायें हैं, जो बाप चाहते हैं वह प्रत्यक्ष करने और कराने वाली हैं इसलिए एक- एक टीचर को बापदादा पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

डबल विदेशी भाई बहिनों से:- डबल विदेशी भी बापदादा ने देखा सेवा में भारत की आत्माओं से कम नहीं हैं। बापदादा खुश होते हैं कि हर एक अपने-अपने स्थान में सेवा की वृद्धि भी कर रहे हैं और स्वयं को भी अच्छे उमंग उत्साह में चला रहे हैं। डबल विदेशियों का यह संस्कार है कि जो करेंगे वह उमंग उत्साह से करके पूरा करेंगे और पुरूषार्थ के तरफ भी अटेन्शन है। तो सभी हाथ उठाओ कि सभी तीव्र पुरूषार्थी हैं? तीव्र पुरूषार्थी हैं? अच्छा। सबके तरफ से भी बहुत-बहुत मुबारक है क्यों? तीव्र पुरूषार्थी अर्थात् बापदादा की आशाओं को पूर्ण प्रैक्टिकल करने वाले। तो बापदादा तीव्र पुरूषार्थ की मुबारक दे रहे हैं। तीव्र पुरूषार्थी हैं और सदा तीव्र पुरूषार्थी बन औरों को भी तीव्र पुरूषार्थी बनायेंगे। तो सारा विदेश तीव्र पुरूषार्थी की लिस्ट में आ जाये। ऐसा रिकार्ड कुछ है और कुछ दिखाना है। लेकिन बापदादा पुरूषार्थ की मुबारक दे रहे हैं। मुरली के ऊपर भी अटेन्शन है, यह बापदादा को मुरली का स्नेह अच्छा लगता है। मधुबन से भी प्यार, मुरली से भी प्यार, परिवार से भी प्यार और मेरा बाबा से भी प्यार। अभी सूक्ष्म पुरूषार्थ के तरफ भी अटेन्शन अच्छा है और बापदादा ने देखा कि जनक बच्ची का भी बहुत ध्यान है। यहाँ रहते भी हर क्लास पहले फारेन को पहुंचता है। तो पालना भी अच्छी मिल रही है। यह भी आपका लक है। लकीएस्ट और स्वीटेस्ट दोनों ही हैं। अच्छा।

पहली बार आने वालों से:- यह तो बहुत हैं। हाथ हिलाओ। तो सभी अपने मधुबन घर में पधारे हैं, उसकी बापदादा एक-एक बच्चे को मुबारक दे रहे हैं क्योंकि लास्ट समय के पहले पहुंच गये हो। लास्ट सो फास्ट जाने का चांस है। बापदादा बच्चों को देख खुश हो रहे हैं। आये, भले पधारे और आगे के लिए अब तीव्र पुरूषार्थ कर आगे से भी आगे जाने का दृढ़ संकल्प करो। दृढ़ता सफलता की चाबी है। तो बापदादा जो भी आज बच्चे आये हैं उन्हों को विशेष दृढ़ता के चाबी की सौगात दे रहे हैं। दृढ़ता को कभी भी हल्का नहीं करना। दृढ़ता आपको सदा सहज आगे बढ़ाती रहेगी। तो बापदादा खुश है भले पधारे, अपना वर्सा लेने के लिए आये, इसकी बहुत-बहुत मुबारक। अच्छा।

चारों ओर के सर्व ब्राह्मणों को बापदादा दिल का प्यार और सदा आगे बढ़ने का श्रेष्ठ संकल्प दे रहे हैं। एक-एक बच्चे को बाप देख भी रहे हैं और देख-देख दिल में समा रहे हैं। नजदीक वाले तो बापदादा को सामने देख रहे हैं और आप सब साधन द्वारा सामने ही देख रहे हो। बापदादा भी आप सभी को जहाँ भी बैठे हो तो ऐसे ही देख रहा है जैसे सम्मुख ही बैठे हैं और एक-एक को दिल का प्यार दे रहे हैं। बढ़ते चलो, तीव्र पुरूषार्थ कर आगे से आगे बढ़ते चलो। अच्छा।

सम्मुख बैठने वालों को भी बापदादा का यादप्यार और सदा आगे बढ़ने की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा।

दादी जानकी से:- (सभी क्रिसमस प्यार से मना रहे हैं, सभी ने यादप्यार भेजा है) सबको बापदादा की तरफ से पदमगुणा बधाईयां देना। अच्छा है, बापदादा ने कहा ना सेवा में भी आगे जा रहे हैं। अच्छी सेवा कर रहे हैं, बापदादा खुश है। जहाँ भी प्रोग्राम चलते हैं वहाँ सफलता ही सफलता है। अच्छा है। यहाँ बैठे आप भी उन्हों की सेवा करती हो ना, यह भी अच्छा है।

मोहिनी बहन से:- ठीक रहेंगी। ज्यादा भागदौड़ नहीं करो। बाकी ठीक रहेंगी, आगे चलकर सेवा करेंगी। वंचित नहीं रह सकते। (मुन्नी बहन से) यह भी साथी है, साथ अच्छा दे रही है। (ईशू दादी से) यह तो गुप्त यज्ञ रक्षक है। लेकिन बहुत अच्छा राज़युक्त होके जो भी कार्य कर रही हो, बापदादा खुश है। अच्छा है।

परदादी से:- बहुत अच्छा प्रकृतिजीत बन प्रकृति को चला रही हो। खुश रहती है इसलिए इसकी खुशी भी सेवा करती है। (रूकमणि बहन से) आप भी सेवा में थकेंगी नहीं, क्योंकि इसकी खुशी है ना, वह थकावट को खत्म कर देगी। अच्छा।

(दादी जानकी ने पूछा कि बाबा जनवरी मास में लण्डन और जर्मनी में बुला रहे हैं, जाना चाहिए या नहीं जाना चाहिए?)

बापदादा यही कहते हैं कि हद नहीं रखो, नहीं जाना है। जहाँ आवश्यकता है वहाँ जरूर जाओ। (बाम्बे वाले भी बहुत बुला रहे हैं, क्या बाम्बे जाऊं?) हाँ जरूर जाओ। देखो, जहाँ आवश्यकता है वहाँ जाने में कोई हर्जा नहीं है। सभी जगह नहीं जाओ, जहाँ आवश्यकता है वहाँ जाओ। (भुवनेश्वर नहीं गई, वह बहुत याद कर रहे थे) वह तो बीत गया। अभी जहाँ आवश्यकता समझो कि जरूरी है वहाँ जाने की मना नहीं है। अपने को बंधन में नहीं रखो, स्वतन्त्र रहो। यह जो बंधन डाला है कि नहीं जाना है, वह ठीक नहीं है। एवररेडी। जहाँ जरूरत है वहाँ जाने में हर्जा नहीं है। (सभी सोचते हैं कभी हाँ करती है, कभी ना करती है) नहीं, यह तो बापदादा कह रहा है। एकदम अपने को बंधन में नहीं रखो, नहीं जाना है, नहीं जाना है। (संकल्प है, बंधन नहीं है) संकल्प पूरा हो जायेगा।

(निर्वैर भाई भी कहीं नहीं जाते हैं) यह तबियत के कारण नहीं जाता है। (दादी की तबियत अनुसार अभी नहीं जाना चाहिए), नहीं, यह जा सकती है, लेकिन अपने को बंधन में रखा है कि नहीं जाना है।

रमेश भाई से:- तबियत ठीक है? (अभी स्टूडियो बनकर तैयार हो रहा है) बहुत अच्छा, यह भी सेवा करेगा। तैयार करेंगे, प्रोग्राम होते रहेंगे। अच्छा है। तबियत को चलाने का कोई तरीका सोचो क्योंकि जिम्मेवारी बहुत है। (हम भी तबियत के कारण कहीं नहीं जाते हैं) कोई भी बंधन में, जाना न जाना, वह नहीं रखो। जाना है, आवश्यक है तो शरीर भी साथ देगा। जहाँ आवश्यकता है वहाँ मदद मिलेगी। जब देखो हो सकता है तो ना नहीं करो। चल सकता है शरीर तो जाना चाहिए। कभी तो एकदम खराब होता है, वह बात दूसरी है। बाकी चल सकता है तो सेवा से खुशी होती है, यह भी दवाई है। कितने खुश होते हैं, सबके खुशी की खुराक मिलती है।


31-12-11 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


‘‘नये वर्ष में तीव्र पुरूषार्थी भव के वरदान द्वारा अपने चेहरे से फरिश्ता रूप दिखाओ, लाइट माइट स्वरूप ज्वालामुखी योग से व्यर्थ को जलाओ, दु:खी अशान्त आत्माओं को शक्तियों का दान दो’’

आज ब्राह्मण परिवार के रचता अपने चारों ओर के परिवार को देख रहे हैं। है छोटा सा परिवार, छोटा सा संसार है लेकिन बहुत प्यारा है क्योंकि कोटों में से कोई है। क्यों प्यारे हैं? क्योंकि बाप को पहचाना है। बाप से वर्से के अधिकारी बने हैं। तो जैसे बाप प्यारे हैं वैसे यह ब्राह्मण परिवार भी प्यारा है। बापदादा ने जन्मते ही हर बच्चे के मस्तक में भाग्य के सितारे को चमकाया है इसलिए यह छोटा सा संसार अति प्यारा है। आप सभी भी अपना इतना स्वमान जानते हो ना! बापदादा भी एक-एक बच्चे को देख खुश होते हैं और क्या गीत गाते हैं? वाह बच्चे वाह!

आज तो सभी इस श्रेष्ठ दिन पर बाप से मिलने आये हैं। आज का दिन है संगम का दिन। विदाई भी है और बधाई भी है। वैसे भी संगम का महत्व है। जहाँ भी सागर और नदी का संगम होता है उसका बहुत महत्व होता है। तो आज के दिन का भी महत्व बहुत गायन योग्य है। पुराना वर्ष समाप्त और नया वर्ष आरम्भ होना है। आज के दिन सभी के दिल में आगे आने वाले वर्ष के लिए कितना उमंग है! हर एक ने अपने-अपने दिल में प्लैन बनाया है क्या छोड़ना है और क्या बनना है, दोनों ही प्लैन बनाया है? बनाया है? जिसने आने वाले वर्ष के लिए अपने आगे बढ़ने का, तीव्र पुरूषार्थ का प्लैन बनाया है वह हाथ उठाना। बनाया है! मुबारक हो। क्योंकि सब जानते हैं कि बापदादा हर बच्चे के लिए क्या चाहता है। बापदादा हर बच्चे के लिए यही शुभ भावना रखते हैं कि हर बच्चा बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण बन जाये। अब तो समय भी साथ दे रहा है। तो हर एक ने अपने मन में अपने प्रति नया प्लैन बनाया है ना! कुछ छोड़ना है और कुछ आगे बढ़ना है। तो छोड़ना क्या है? बापदादा ने देखा कि पुराने संसार और सम्बन्ध में छोड़ने में सबका पुरूषार्थ पर अटेन्शन भी है। एक बात जो छोड़ने भी चाहते हैं लेकिन अब तक बापदादा ने देखा कि पुराने संस्कार उसको छोड़ने में थोड़ी मेहनत लगती है। तो बापदादा यही चाहते हैं कि इस नये वर्ष में हर एक बच्चा अपना निज़ी संस्कार का संस्कार कर ले। आप सब भी इसी संकल्प को पूरा करने चाहते हैं ना! क्योंकि पुराना संस्कार जिसको आप लोग कहते हो मेरी नेचर है, भाव नहीं है लेकिन नेचर है। तो नेचर इस जन्म के ब्राह्मण की नहीं है लेकिन पुरानी है। तो उस पुराने संस्कार का आज के दिन, हर एक अपने को तो जानते हैं तो आज वर्ष की विदाई के साथ-साथ उस पुराने संस्कार को छोड़ने का दृढ़ संकल्प कर सकते हो? कर सकते हो? चाहते भी हैं, ऐसा नहीं है कि चाहते नहीं हैं लेकिन फिर भी बार-बार पुरूषार्थ में तीव्रता लाने में वही संस्कार भिन्न-भिन्न रूप से विघ्न डालते हैं तो बापदादा यही चाहते हैं कि वर्ष को विदाई देने के साथ आज के दिन उसको भी विदाई दे दो। इसके लिए तैयार हैं, जो तैयार हैं वह हाथ उठाओ। इसके लिए क्या करेंगे? अपने लिए कोई प्लैन भी सोचा है? इसके लिए सबसे अच्छी बात है दृढ़ संकल्प। संकल्प है, होना चाहिए लेकिन संकल्प में तीव्रता चाहिए। जैसे ब्राह्मण बनने के साथ-साथ यह प्रतिज्ञा की कि कोई भी अशुद्ध भोजन स्वीकार नहीं करना है। तो बापदादा ने देखा इसमें दृढ़ संकल्प द्वारा मैजारिटी पास हैं। जैसे तन के लिए अशुद्ध भोजन का संकल्प किया और प्रैक्टिकल कर रहे हो, ऐसे ही मन के लिए यह दृढ़ संकल्प करना है कि कभी भी किसी के प्रति भी किसी भी सरकमस्टांश प्रमाण कोई भी व्यर्थ संकल्प न कर सदा हर आत्मा के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना रखनी ही है। मन का भोजन है संकल्प, तो जैसे तन के लिए दृढ़ संकल्प मैजारिटी ने किया है, ऐसे ही क्या मन के लिए व्यर्थ संकल्प, अशुद्ध भावना मिटा नहीं सकते? हर आत्मा के प्रति दिल का स्नेह और सहयोग अपने मन में नहीं रख सकते हैं?

तो आज बापदादा इस पुराने वर्ष के साथ इस वृत्ति वा दृष्टि को हर बच्चे से विदाई चाहते हैं। यह दृढ़ संकल्प कर सकते हो? कर सकते हैं? बोलो, मातायें, टीचर्स, सब भाई भी चाहते हैं। हाँ हाथ उठाओ। कल से किसी भी आत्मा के प्रति अगर कोई भी व्यर्थ है, व्यर्थ भावना वा व्यर्थ भाव उसकी आज समाप्ति समारोह मनाने चाहते हैं। बोलो, टीचर्स सब तैयार हैं? टीचर दो दो हाथ उठाओ। उठाओ। अच्छा। जिन्होंने नहीं उठाया वह उठाओ। जिन्होंने नहीं उठाया वह थोड़ा सा उठके खड़े हो जाओ। अच्छा हैं! जो पुरूषार्थ करेंगे लेकिन दृढ़ संकल्प नहीं करेंगे, ऐसे हैं? जो उठे हैं वह लक्ष्य और पुरूषार्थ करेंगे तो हाथ उठाओ। क्योंकि समय का अटेन्शन रखें, यह सोचो कि सभी को इस संगम समय में भविष्य बहुत समय की सफलता प्राप्त करनी हैं। 21 जन्म का वर्सा लेना है। तो कहाँ यह एक जन्म और कहाँ 21 जन्म। तो इस एक जन्म में भी काफी समय अपना पुरूषार्थ तीव्र करना पड़े तभी बहुत समय की जो प्राप्ति करनी है, बाप से प्यार है ना तो साथ रहना है ना! नजदीक रहना है ना! ब्रह्मा बाप के साथी बनके राज्य अधिकारी बनना है ना! तो अब भी इतना समय बाप समान तो बनना पड़े। ब्रह्मा बाप का एक-एक बच्चे से कितना प्यार है वह तो जानते ही हो। हर एक कहता है मेरा बाबा। बाबा को जितना मेरे से प्यार है उतना किससे नहीं है, मेरे से प्यार है। तो यह प्यार, बापदादा दोनों का प्यार इस जन्म में ही अनुभव कर रहे हो। और जिससे प्यार होता है उसकी बात कभी भी टाली नहीं जाती है। तो ब्रह्मा बाप से सबका प्यार है, कितना प्यार है? बहुत प्यार है। चाहे दिखा नहीं सकते हैं लेकिन बाप जानते हैं कि प्यार सभी बच्चों का है, नम्बरवार है लेकिन प्यार है इसमें बापदादा भी सभी बच्चों को सर्टीफिकेट देते हैं कि प्यार है। प्यार तो है लेकिन बाप ने देखा कि कभी-कभी नटखट हो जाते हैं, तो बाप उस समय क्या करता? बाप देख-देख विशेष शक्ति देता रहता क्योंकि बाप यही चाहते हैं कि हर बच्चा राजा बच्चा है, दुनिया में जो लाडला बच्चा होता है उसको राजा बच्चा कहते हैं। होता राजा नहीं लेकिन कहते हैं राजा बच्चा लेकिन आप सभी बापदादा के अब भी राजा बच्चा हो और भविष्य में भी राजा बच्चा हो। अभी स्वमान है, स्वराज्य है। अभी आत्मा का राज्य सर्व कर्मेन्द्रियों के ऊपर है। तो स्वराज्यधारी अभी हो और विश्व राज्यधारी भविष्य में हो। तो राजा बच्चे हो ना! हैं तो कांध हिलाओ।

तो बापदादा आज अमृतवेले चारों ओर, चाहे विदेश चाहे देश, चारों ओर चक्र लगाने गये। तो क्या देखा? योग में अमृतवेले बैठते मैजारिटी हैं लेकिन स्नेह में बैठते हैं, बापदादा से बातें भी करते हैं, आत्मिक स्मृति में भी बैठते, बापदादा से शक्ति भी लेते हैं लेकिन अभी बापदादा आने वाले नये वर्ष में नवीनता चाहते हैं क्योंकि अभी समय दिनप्रतिदिन नाज़ुक आना ही है। तो ऐसे समय पर अभी ज्वालामुखी योग चाहिए। वह ज्वालामुखी योग की आवश्यकता अभी आवश्यक है। ज्वालामुखी योग अर्थात् लाइट माइट स्वरूप शक्तिशाली, क्योंकि समय प्रमाण अभी दु:ख, अशान्ति, हलचल बढ़नी ही है इसलिए अपने दु:खी, परेशान आत्माओं को विशेष ज्वालामुखी योग द्वारा शक्तियां देने की आवश्यकता पड़ेगी। दु:ख अशान्ति के रिटर्न में कुछ न कुछ शक्ति, शान्ति अपने मन्सा सेवा द्वारा देनी पड़ेगी। जो आपने इस समय की टॉपिक रखी है, एक परिवार। उसके प्रमाण जब एक परिवार है, तो अशान्त आत्माओं को कुछ तो अंचली देंगे इसीलिए बापदादा अगला वर्ष जो आया कि आया उसके लिए विशेष अटेन्शन खिंचवा रहे हैं कि अभी ज्वालामुखी योग की आवश्यकता है। ज्वालामुखी योग द्वारा ही जो भी संस्कार रहे हुए हैं वह भी भस्म होने हैं।

अभी आपकी एडवांस पार्टी के साथी आप सबसे यह चाहते हैं कि अभी समय को, समाप्ति के समय को सामने लाओ। अब रिटर्न जरनी याद रखो। आपकी दीदी याद दिला रही है कि मुझे सदा यह याद रहता था ‘‘अब घर जाना है’’, अब घर जाना है। आपकी दादी यही याद दिला रही है कि जैसे मुझे याद रहा अभी सम्पन्न बनना है, सम्पूर्ण बनना है, धुन लगी रही। तो आज विशेष अमृतवेले वतन में बापदादा से मिलन मनाते कह रहे थे कि अभी हमारे तरफ से, जो भी दादियां गई हैं सब मिलके कह रही थी अब ज्वालामुखी योग की बहुत आवश्यकता है, चाहे औरों को शक्ति देने के लिए, चाहे अपने ब्राह्मण परिवार को सम्पन्न बनाने के लिए। अभी समय को समीप लाने वाले आप निमित्त हो इसलिए आने वाले वर्ष में क्या करेंगे? विशेष क्या करेंगे? एक दो के स्नेही सहयोगी बन हर एक सेन्टर, सेवास्थान ज्वालामुखी योग का वायब्रेशन और कर्म में एक दो के स्नेही सहयोगी बन हर एक को आप अटेन्शन में रखते जो भी कमी है उसमें सहयोग दो। मन्सा द्वारा अन्य आत्माओं की सेवा करो और अपने सहयोग द्वारा ब्राह्मण साथियों की विशेष सेवा करो, तभी हम लोगों की दिल की आश पूरी होगी।

तो आज वतन में एडवांस पार्टी अगले साल के लिए आप सबको याद भी दे रही थी और अपने दिल की आशायें भी बता रही थी। तो बोलो, बापदादा का संकल्प तो सुना ही लेकिन साथ में अपने दादियों की भी अगले वर्ष के लिए शुभ भावनायें भी सुनी ना! बापदादा तो सभी बच्चों को चाहे कोई कमज़ोर है, चाहे तीव्र पुरूषार्थी है सबको तीन मुबारक दे रहे हैं - एक नव जीवन की मुबारक, दूसरी नव वर्ष की मुबारक और तीसरी नव दुनिया में साथी बन चलने की मुबारक।

बापदादा ने यह भी कहा कि सभी अपने अन्दर अपने लिए समय निश्चित करो कि कब तक अपने को बाप समान बनायेंगे। अपने अन्दर अपने लिए निश्चित करो। तो निश्चित करना आता है ना? बापदादा तो आज हर बच्चे को देख यही वरदान दे रहे हैं अगले वर्ष में हर बच्चा तीव्र पुरूषार्थी भव। अमृतवेले जब याद में बैठते हो और जब उठने का समय होता है उस समय बापदादा का यह वरदान अपने दिल में याद रखना तीव्र पुरूषार्थी भव। जैसे बापदादा ने दो बातें पहले ही अटेन्शन में दिलाई हैं क्योंकि संगम का समय अचानक समाप्त होना है। तो एक समय, दूसरा संकल्प, दोनों पर हर घड़ी अटेन्शन। बापदादा की यह भी हर बच्चे के प्रति शुभ भावना है कि हर बच्चा इस वर्ष में क्या बनें? क्या बनेंगे? जो भी आपके चेहरे में देखे आपके चेहरे से फरिश्ता रूप दिखाई दे। फलानी हूँ, फलाना हूँ नहीं। फरिश्ता अनुभव में आवे। इसके लिए ज्वालामुखी योग, कोई व्यर्थ नहीं। लाइट और माइट स्वरूप योग से व्यर्थ को जलाओ। समर्थ फरिश्ता नज़र आये। जिसको भी देखे, क्योंकि बाप के सिकीलधे बच्चे तो हो। बाप ने आपको खास कहाँ-कहाँ से चुन करके अपना बनाया है। तो लक्ष्य रखो मैं ब्राह्मण सो फरिश्ता हूँ। तो अमृतवेले अपनी दिनचर्या में यह याद रखना मैं ब्राह्मण सो फरिश्ता हूँ। चलते फिरते फरिश्ता रूप, फरिश्ता स्वरूप तो अच्छा लगता है ना! ब्रह्मा बाप फरिश्ता बना, फॉलो फादर।

तो इस वर्ष का वरदान जो दिया तीव्र पुरूषार्थी, साधारण पुरूषार्थ नहीं, साधारण पुरूषार्थ है तो राज्य के साथी नहीं बनेंगे। और बाप यही चाहता है जितने भी स्टूडेन्ट, बापदादा की मुरली अध्ययन करने वाले हैं, गॉडली स्टूडेन्ट हैं वह सबके सब क्या बनेंगे? फरिश्ता। सब बोझ उतर जायेगा। कोई भी संस्कार का बोझ समाप्त हो जायेगा। तो इस वर्ष का होमवर्क क्या रहा? फरिश्ता स्वरूप में रहना है, इसको ही कहा जाता है तीव्र पुरूषार्थ। अभी हर एक सेन्टर, हर सप्ताह, हर स्टूडेन्ट की रिजल्ट देखे की तीव्र पुरूषार्थी रहे? अगर कोई भी बात आई, उसके लिए सहयोगी बन करके, स्नेह से उनको हिम्मत दे और अपने सेन्टर को, स्टूडेन्ट को तीव्र पुरूषार्थी बनाये, हर सप्ताह रिजल्ट देखे क्योंकि समय हलचल का होना ही है।

तो आज के संगम दिन पर विदाई और बधाई के दिन पर चारों ओर के, जहाँ भी जो बैठे हैं बच्चे, बापदादा देख रहे हैं कैसे सभी साइंस के साधनों द्वारा देख भी रहे हैं और देख-देख कितने खुश हो रहे हैं। तो चारों ओर के बच्चों को बापदादा विशेष वरदान दे रहे हैं सदा सन्तुष्टमणि भव। सन्तुष्ट रहना, सन्तुष्ट करना। अच्छा।

सेवा का टर्न - ईस्टर्न, तामिलनाडु और नेपाल का है:- (15 हजार आये हैं) बंगाल:- बंगाल में सर्विस और साथ-साथ पुरूषार्थ हर एक अपना अच्छा कर रहे हैं और बापदादा हर बच्चे को देख खुश हो रहे हैं कि हर एक ने अपना भाग्य अच्छा बनाया है। सेवा भी हर एक यथा शक्ति कर रहे हैं, इसलिए बापदादा बच्चों को देख खुश है और बच्चे भी सदा खुश हैं भी और खुश रहेंगे।

सभी सेवाधारियों को खड़ा किया:- पौना क्लास तो इसी ज़ोन का है। बापदादा ने देखा तो सभी ज़ोन, जो भी हैं उनसे यह बड़ा ज़ोन है। एक ज़ोन में 5 छोटे-छोटे ज़ोन हैं। बापदादा को खुशी है कि बच्चों ने जो भी जहाँ निमित्त हैं उन निमित्त हुए बच्चों ने सेवा अच्छी की है। वृद्धि भी अच्छी की है क्योंकि बापदादा ने देखा कि इस एक ज़ोन में कितने छोटे-छोटे ज़ोन आ जाते हैं लेकिन सब निर्विघ्न, अपने पुरूषार्थ में सेफ हैं, उसकी बापदादा मुबारक दे रहे हैं और अगर कोई भी छोटी मोटी कमी हो तो आने वाले वर्ष में यह सभी 5 ही ज़ोन एकदम बापदादा के आगे सर्टीफिकेट भेजना कि हम सब निर्विघ्न, एवररेडी, तीव्र पुरूषार्थी हैं। यह रिजल्ट 5 ही छोटे-छोटे ज़ोन भेजना। बाकी बापदादा यह रिजल्ट देखके खुश हैं कि अपने टर्न में पौना क्लास तो आ गया है। तो इतनी वृद्धि है तब तो पहुंचे हो ना। कोई नये भी होंगे लेकिन नये बच्चे भी तीव्र पुरूषार्थी भव का वरदान ले तीव्र पुरूषार्थी बन औरों की भी सेवा, तीव्र सेवा कर भाग्य बनायेंगे तब सभी मानेंगे सचमुच यह आत्मायें तो सुखदाता के बच्चे सुखदाता हैं। बहुत बड़ा ज़ोन है, बापदादा खुश है। देखो, आप लोग टी.वी. में देखो पौना क्लास तो यही है। बापदादा स्पेशल इस ज़ोन को वरदान देते हैं कि सदा खुशनसीब, खुशनुमा आत्मायें हैं। अच्छा।

ज्युरिस्ट विंग:- बापदादा ने आपके मीटिंग की एजेन्डा देखी थी, बच्ची ने बताई थी तो अभी आगे जो बापदादा ने कार्य दिया है कि प्रसिद्ध करो गीता का भगवान कौन? अभी इस सेवा में लग जाओ। ग्रुप-ग्रुप बनाओ और उसकी रिजल्ट आनी चाहिए कि क्या-क्या विचार हुए। दिल्ली वालों ने भी अच्छा किया था। बृजमोहन बच्चे ने किया ना, आपने किया ना तो रिजल्ट क्या निकली? रिजल्ट निकली? बताओ। (धर्मगुरूओं के साथ ट्राई किया था, अभी ज्युरिस्ट विंग के साथ मिलकर इसे करेंगे) (मुम्बई मेले में 3 स्टाल गीता के भगवान के रखे थे) अच्छा। जो भी पुरूषार्थ किया है, वह कर तो रहे हैं लेकिन इसकी थोड़ी समरी बनाओ, सब इकठ्ठे होके, जिन्होंने भी थोड़ा-थोड़ा किया है वह अच्छा किया है लेकिन अभी इस प्वाइंट को विशेष अटेन्शन देके, क्योंकि अभी जो भी आपने यह 75 वर्ष का मनाया है, इसमें आपके साथी बहुत बने हैं। बड़े-बड़े परिचय वाले भी बने हैं इसलिए अभी इस प्वाइंट को अच्छी तरह से सिद्ध करो जैसे जगह-जगह पर यह जुबिली के फंक्शन विये हैं ना वैसे हर स्थान पर कुछ न कुछ ग्रुप बनाओ लायक हो ग्रुप, जो इस प्वाइंट को पुरूषार्थ करके आप लोगों को समाचार देते रहें और समाचार सुनके उनको आप लोग डायरेक्शन देते रहो। दो तीन को निमित्त बनाओ। इसकी कमेटी बनाओ। सिर्फ जज नहीं अगर कोई भी इसमें रूचि रखता हो और आप समझते हो कि यह कर सकते हैं तो ऐसा ग्रुप तैयार करो क्योंकि अभी सभी की बुद्धि में यह आ गया है कि ब्रह्माकुमारियां जो कर्तव्य कर रही हैं उससे ही कुछ बदल सकता है। इन फंक्शन से यह रिजल्ट निकली है इसलिए अभी इसी प्वाइंट को और थोड़ा अटेन्शन देके, ग्रुप बनाके कोई भी हो जज हो या कोई भी हो। जैसे यह बृजमोहन करता रहता है ना ऐसे ग्रुप बनाके रिजल्ट निकालो। और यह प्वाइंट आवश्यक है इससे ही परिवर्तन आयेगा। तो क्या करेंगे अभी? (अभी आपके यह डायरेक्शन जरूर पालन करेंगे)। अच्छा, जो भी विंग आये हैं उन सभी को बापदादा मुबारक दे रहे हैं।

डबल विदेशी ग्रुप:- (बच्चे और यूथ ग्रुप, बच्चों ने गीत गाया) बहुत अच्छा, बापदादा ने आप सबका यादप्यार भी देखा। आप सबकी याद और प्यार बाबा ने स्वीकार किया। अभी जिन्होंने भी यह ट्रेनिंग की है वह अपने अपने हमजिन्स को, बच्चे छोटे हैं तो छोटे बच्चों का ग्रुप बनाके लाना। बीच वाले हैं तो वह ग्रुप बनाके लाना और बड़े हैं तो बड़े अपना ग्रुप बनाके लाना। सेवा करना और प्रुफ मधुबन में ले आना। है ना हिम्मत। हिम्मत है? अच्छा है। ट्रेनिंग की रिजल्ट भी बापदादा ने देखी है, उमंग से की है और मधुबन में की है। कितने अच्छे वायुमण्डल में की है तो इस ट्रेनिंग का रिजल्ट अवश्य निकलना ही है। इसलिए बापदादा की पदम पदम पदमगुणा मुबारक हो, मुबारक हो।

सिन्धी ग्रुप तथा डबल विदेशी:- डबल फारेनर्स का लक्ष्य ही है तीव्र पुरूषार्थ करना। बापदादा को खुशी है कि डबल फारेनर्स के जो संस्कार है, जो करना है वह पूरा ही करना है। आधा, पौना नहीं करना है, करना है तो पूरा ही करना है, यह विशेषता बाप ने देखा कि विदेश सेवा में आगे बढ़ गया है और कोने-कोने में भी स्थान खोल रहे हैं। तो बापदादा उमंग उत्साह देख मुबारक तो सदा देते हैं, डबल विदेशियों को पदम पदमगुणा मुबारक है। बाबा सेवा में सन्तुष्ट है। बाकी हर एक विदेशी हर एक सेन्टर निर्विघ्न, यह भी रिपोर्ट फॉरेन की आनी है। सेन्टर निर्विघ्न है, यह जो भी सेन्टर समझते हैं कि सेन्टर निर्विघ्न है तो वह रिपोर्ट भेजे फिर बाबा उसको प्राइज़ देगा। लेकिन निर्विघ्न सब हों। सबको निर्विघ्न बनाके रिपोर्ट दो। अगर है तो अभी से मुबारक है। अगर बनना है तो फिर रिपोर्ट आने पर मुबारक देंगे। बाकी बापदादा यह तो कहेंगे कि फॉरेन, फौरन करने में होशियार है। जो बनाया वह फौरन किया, फॉरेन फौरन। अच्छा है। सिन्धी ग्रुप भी आया है, मुबारक हो। देखो, आप सभी जो भी सिन्धी हैं वह बाबा के भारत के सिकीलधे हैं क्योंकि फॉरेन में जाके भी भारत का जो खून भरा हुआ है उसकी लाज़ रखी है। बापदादा खुश होते हैं और अमर हैं। अमर हैं, इसलिए अमर भव का भी वरदान है। आज यह खास आये हैं अच्छा है, जिस प्रोग्राम से आये हैं ना वह बापदादा को पसन्द है। अच्छा किया है। अभी आप सिन्धी जो रेग्युलर स्टूडेन्ट हैं वह तो हैं ही लेकिन अभी दूसरे बारी आओ तो जो नये-नये आपने बनाये हैं वह लेके आना। ग्रुप तो बना होगा ना। तो वह लेके आना क्योंकि बापदादा यह विश्व को दिखाने चाहता है कि बाप ने भारत में जन्म लिया, उसका कारण यह निमित्त बनें। तो जिन्हों की भी सेवा की है उन्हों को साथ लाना। नये नयों को साथ लाना, ग्रुप बनाके लाना। बाकी बापदादा खुश है कि सेवा में भी आगे बढ़ रहे हैं, अपने पर अटेन्शन देने में भी आपकी निमित्त बनी हुई जनक बच्ची अटेन्शन अच्छा रख रही है इसलिए रिजल्ट अच्छी है। और बापदादा को भी फॉरेन में चक्र लगाने का समय मिलता है। कौन सा समय मिलता है? अमृतवेला। विदेश के भी सेन्टर पर बापदादा चक्र लगाता है लेकिन अभी एडीशन ज्वालामुखी योग। यह ज्वालामुखी योग सभी को समीप लायेगा क्योंकि शक्ति मिलेगी ना। आप भी लाइट माइट रूप बनेंगे। चलते फिरते भी लाइट माइट स्वरूप होंगे तो लोगों को भी वायब्रेशन आयेगा। फिर मेहनत कम और फल ज्यादा निकलेगा। जैसे भारत में अनुभव किया कि अभी जगह-जगह जो भी फंक्शन किये हैं, उसमें रिजल्ट पहले से अच्छी निकली है। और बाप बच्चों को जो भी निमित्त बनी हैं दादियां या दीदियां उन्हों को विशेष मुबारक देते हैं कि बापदादा के संग साथी बनकरके 75 वर्ष पूरे करके मैदान पर आये हैं, इसकी बहुत-बहुत-बहुत-बहुत मुबारक है। दादे भी हैं, सिर्फ दीदियां दादियां नहीं, दादे भी हैं। अच्छा।

अभी दादियां भी मिल करके कोई नया प्लैन बनाओ। क्या कहती हैं? (दादी जानकी ने कहा - बाबा जनवरी मास का बहुत महत्व है। जनवरी मास में अगर सभी मिलकर पुरूषार्थ करें, ऐसी सेवा का कोई प्लैन बन जाए, जो सबके दिल से जिगर से निकले कि मेरा बाबा, ऐसी मेरी भावना है। निर्वैर भाई ने कहा - आपस में बैठकर कुछ नया प्लैन बनायेंगे, जैसा दादी चाहती हैं, आप चाहते हैं, सबके दिल से मेरा बाबा निकले, उसके अनुसार योजना बनायेंगे।) सब अपने अन्दर एक संकल्प रखो, हमको निर्विघ्न बनना ही है, बनाना ही है। जिसको भी जो देखे, ऐसे लगे यह कौन मेरे सामने आ गया है। देख देखके खुश होता रहे। बापदादा नये वर्ष में नवीनता चाहते हैं, वही संस्कार नहीं चाहते हैं। एक-एक बच्चा बाप समान दिखाई दे। फॉलो ब्रह्मा बाप। सरकमस्टांश, बातें सब कुछ बाप के आगे आई लेकिन फरिश्ता बन गये। तो फरिश्ता बनना ही है यह दृढ़ संकल्प हर एक अपने आपसे करे क्योंकि अपने आपसे करेंगे तो अटेन्शन रहेगा। मुझे बनना है बस। और आपके बनने से नेचरल वायब्रेशन फैलेगा। तो अभी क्या लक्ष्य रखा? फरिश्ता बनना ही है, बोलो। पक्का है ना! पीछे वाले बनना ही है। आज 12 बजे सब यहाँ छोड़ के जाना। जो भी कमी हो ना छोड़के जाना। अच्छा।

सभी को बहुत बहुत बापदादा के दिल का प्यार और मुबारक हो।

दादी जानकी से:- (कुंज ने बहुत याद भेजी है) बहुत अच्छी बच्ची है लेकिन हिसाब किताब के कारण आ नहीं सकी। (आंटी अंकल की याद दी) बापदादा के दिल की डिब्बी में रहते हैं। यह एक एक्जैम्पुल हैं और बच्चे भी कितने अच्छे निकाले हैं। (जयन्ती बहन कुवेत में गई हैं, वजीहा के पास) वजीहा बच्ची हिम्मत वाली है। इसके कारण परिवार का कल्याण हुआ है। (शान्ति बहन, दिल्ली ने याद भेजी है) जो भी तबियत के कारण या ड्रामा के कारण नहीं पहुंच सके हैं उनको बापदादा नाम सहित, अपना नाम याद रखना और बापदादा नाम सहित बहुत बहुत बहुत बहुत यादप्यार दे रहा है।

परदादी से:- मुबारक हो, आपका ज़ोन कितना बड़ा है देखा। सबसे बड़ा ज़ोन है। बड़ी दिल है इसलिए बड़ा ज़ोन है।

(बृजमोहन भाई से) सभी जगह सेवा की है, इसकी मुबारक हो। जहाँ भी प्रोग्राम हुआ है वहाँ पहुंचे हो इसकी मुबारक हो। (रमेश भाई, सन्तोष बहन से) बाम्बे ने मिल करके किया इसकी बहुत मुबारक। हर एक ने हाथ डाला। यह अच्छा है और इससे वायब्रेशन अच्छा। (जानकी दादी से) जहाँ सेवा है वहाँ जाना तो पड़ता है। लण्डन वालों ने प्यार से त्याग किया है तो उनको समय पर तो मदद देनी पड़ेगी। बाकी आप खुद समझदार हो अपनी तबियत का ख्याल रखो।

नये वर्ष 2012 के शभरम्भ पर सभी बच्चों को बधाई

चारों ओर के परिवार, ईश्वरीय परिवार को बापदादा और सर्व मधुबन में आये हुए ब्राह्मणों सहित सबको पदम पदमगुणा मुबारक हो, मुबारक हो। अभी नये वर्ष में बापदादा ने जो होमवर्क दिया, वह करके सभी बापदादा को फरिश्ता रूप दिखाना। अभी-अभी आज के दिन दृढ़ निश्चय करो, मैं कौन, मैं फरिश्ता, मैं फरिश्ता, मैं फरिश्ता हूँ, यही सभी चेहरा और चलन बाप के सामने, विश्व के सामने दिखाना है। तो सभी बापदादा के इस मुबारक को ‘‘मैं कौन’’ बोलो, फरिश्ता। पक्का याद रहेगा। अमृतवेले योग करने के बाद फिर से याद करने के बाद फिर से याद करना, मैं कौन? मैं फरिश्ता। फरिश्ता हूँ और फरिश्ता रूप से बाप समान सम्पन्न सम्पूर्ण बनूंगा ही। पक्का। पक्का! अच्छा। तो सभी को पदम पदमगुणा मुबारक हो, मुबारक हो। गुडनाईट।

मोहिनी बहन का 71 वां जन्म दिन है: सदा खुशनुम: हो और सभी को खुशी की मुबारक देते रहना।

जानकी दादी का 96 वां जन्म दिन है:- आप तो चक्रवर्ती राजा हो। चक्र लगाते सभी को फरिश्ता बनाते जाना।


 

18-01-12 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


‘‘सेवाओं के साथ-साथ एक दो के सहयोगी बन वायुमण्डल में तीव्र पुरूषार्थ की लहर फैलाओ, मनजीत बन आत्माओं की मन्सा सेवा करो’’

आज विशेष स्नेह का दिन है। चारों ओर के बच्चे स्नेह स्वरूप से मिलन मना रहे हैं। आप सभी भी स्नेह स्वरूप में मगन हैं। आज अमृतवेले से चारों तरफ के बच्चे अमृतवेले से भी पहले स्नेह रूप से दिल के स्नेह के मोतियों की मालायें लेकर पहुंच गये थे। अनेक प्रकार के भिन्न-भिन्न मन के भावों को बाप के आगे वर्णन कर रहे थे। आप जानते हो कि बच्चों का स्नेह कितना प्यारा है। भिन्न-भिन्न भाषायें, भिन्न-भिन्न भाव से बापदादा के आगे अपने दिल की बात बोल भी रहे थे और नयनों से मुख से अपने भाव भी स्पष्ट कर रहे थे। बापदादा चारों ओर के बच्चों के स्नेह के भाव देख सभी के स्नेह में समा गये और दिल से यही बोल निकले वाह बच्चे वाह! और बच्चों के मुख से वाह बाबा वाह! के गीत सुनाई दे रहे थे। बापदादा हर बच्चे को देख बच्चों के लव में लीन थे और बच्चे बाप के लव में लीन थे।

आज का दिन बाप बच्चों को बालक सो मालिक बनाने की दृष्टि से देख रहे थे। आज का दिन बच्चों के राज तिलक का दिन है। आज के दिन बापदादा स्वयं फरिश्ते रूप में रहकर बच्चों को विश्व सेवा अर्थ निमित्त बनाया। स्वयं बैकबोन बनें, बच्चों को विश्व स्टेज पर प्रत्यक्ष किया और बापदादा अभी बच्चों की सेवा को देख, जो जिम्मेवारी दी उसकी रिजल्ट को देख बच्चों पर बहुत-बहुत खुश है और दिल से मुबारक दे रहे हैं। मुबारक हो, मुबारक हो।

बापदादा ने देखा अभी भी बाप द्वारा दिये हुए विश्व सेवाधारी का वरदान हर बच्चे ने अति स्नेह और दिल से किया है और कर रहे हैं। रिजल्ट भी बापदादा ने देखी, हर एक बच्चे के दिल में लगन है मेरा बाबा और बाप के दिल में स्नेह है वाह मेरे बच्चे। वर्तमान समय मैजारिटी छोटे बड़े सेन्टर्स निवासी बच्चों में उमंग है कि अभी जल्दी से जल्दी चारों ओर बाप को प्रत्यक्ष करना ही है। यह उमंग, यह उत्साह बापदादा ने चक्र लगाके देखा, छोटे बड़े सेवाकेन्द्र के बच्चों को सेवा का उमंग बहुत-बहुत-बहुत अच्छा है और आगे भी अच्छा रहेगा। तो बापदादा आज स्नेह के दिन चारों ओर के चाहे देश, चाहे विदेश सभी बच्चों को अपने दृष्टि से, दिल से स्नेह और सेवा का रिटर्न दिल का स्नेह यादप्यार पदमगुणा दे रहे हैं।

अभी समय अनुसार जो उमंग है कि बाप को प्रत्यक्ष करना है, वह धीरे-धीरे आत्माओं के दिल में भी आने लगा है। समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियों ने कुछ पाया है, परिवर्तन हो रहा है। पहले जो समझते थे पता नहीं क्या करते हैं, अभी यहाँ तक आये हैं कि अच्छा कार्य कर रहे हैं। जो हम नहीं कर सकते वह इन्होंने अपने संगठन में सफलता पाई है इसलिए आज बापदादा सामने बैठे हुए बच्चों को वा चारों ओर जो भी बच्चे सुन रहे हैं, देख रहे हैं सभी बच्चों को दिल का स्नेह, दिल का प्यार विशेष दे रहे हैं। अभी आगे क्या करना है? सेवा की मुबारक तो बापदादा ने दे दी, अब बापदादा यही चाहते हैं कि अभी हर एक बच्चे को यह उमंग-उत्साह, दृढ़ निश्चय, तीव्र पुरूषार्थ करना है कि अब बाप समान फरिश्ता बनना ही है क्योंकि अभी सभी को बाप के साथ रिटर्न जरनी करनी है। समान फरिश्ता बनना ही है क्योंकि सभी का वायदा है साथ चलेंगे, साथ राज्य करेंगे। तो ब्रह्मा बाप भी फरिश्ता बन गया, तो साथ कैसे चलेंगे? ब्रह्मा बाप ने जीवन में ही फरिश्तापन का स्वरूप दिखाया। कितनी जिम्मेवारी रही! सभी को योगी बनाना ही है लेकिन इतनी जिम्मेवारी होते भी आप सबने देखा न्यारा और प्यारा रहा। सदा बेफिक्र बादशाह रहा, फिकर नहीं बेफिक्र बादशाह। ऐसे ही आप बच्चों को भी अभी बाप समान बेफिक्र बादशाह फरिश्ता बनना ही है। यह दृढ़ संकल्प है, बनना ही है! कि यह सोचते हो बन ही जायेंगे!

अभी बापदादा ने देखा कि अभी समय अनुसार जितना सेवा का उमंग-उत्साह प्रैक्टिकल में है इतना ही अभी तीव्र पुरूषार्थी बनना और बनाना, सम्पन्न बनना और बनाना, इस प्वाइंट के ऊपर भी अभी स्वयं भी उमंग-उत्साह में रहना और वायुमण्डल में भी उमंग-उत्साह दिलाना। एक दो के सहयोगी बन अब वायुमण्डल में तीव्र पुरूषार्थ की लहर फैलाओ। जैसे एक दो में सेवा का उमंग वायुमण्डल में फैलाया है ऐसे अभी बापदादा बच्चों में यही शुभ आशा रखते हैं कि यह लहर वायुमण्डल में फैले। बापदादा खुश है लेकिन अभी भी पुरूषार्थ है, तीव्र पुरूषार्थ करना है। अभी हर बच्चे में बापदादा की यही आश है तो हर बच्चा बाप के आशाओं का सितारा हो ना! हैं? जो समझते हैं हम बाप के आशाओं के सितारे बन यह उमंग-उत्साह वायुमण्डल में फैलायेंगे वह हाथ उठाओ। अच्छा। हाथ तो बहुत अच्छा उठाते हैं। बापदादा हाथों को देखके खुश हो जाते हैं। मैजारिटी ने हाथ उठाया है, पीछे वालों का दिखाई नहीं देता लेकिन आगे वालों का दिखाई दिया। अभी उठा रहे हैं पीछे वाले भी, मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा। बापदादा ने देखा कि विशेष मन में कोई भी बात का उमंग-उत्साह आता है तो वह कार्य साकार रूप में अच्छा हो जाता है इसलिए बापदादा इस बारी स्नेह के दिन में यह होमवर्क दे रहा है कि हर एक बच्चा मन के कारण जो संकल्प और समय व्यर्थ जाता है, अगर कभी भी कोई व्यर्थ संकल्प आ जाता है तो सभी को अनुभव होगा कि उसमें टाइम कितना वेस्ट जाता है। इनर्जा कितनी वेस्ट जाती है। तो बापदादा यह होमवर्क देने चाहता कि यह दो मास हर एक बच्चा मन के व्यर्थ संकल्प और व्यर्थ समय की बचत का अपने प्रति विधि बनावे। इन दो मास में हर एक अपना चार्ट रखे कि व्यर्थ समय, व्यर्थ संकल्प के ऊपर कितना कन्ट्रोल किया? क्योंकि अभी समय के प्रमाण आप सभी को मन्सा शक्ति द्वारा आत्माओं की मन्सा सेवा करने का समय होगा। इसके लिए सदा मन के ऊपर अटेन्शन रखना जरूरी है। कहा हुआ भी है मनजीत जगतजीत। तो मनमनाभव के वायुमण्डल में मन के व्यर्थ को सम्पन्न करना है। कर सकते हैं? करेंगे? वह हाथ उठाओ। बापदादा इनाम देगा। अपनी रिजल्ट आप देखना। मन खुश तो मन की खुशी बांटेंगे। यह पुरूषार्थ में नम्बर सभी आगे से आगे लेने का अटेन्शन रखो। व्यर्थ समाप्त, संकल्प समय दोनों समाप्त और समर्थ संकल्प, समर्थ समय आने वाले समय में वायुमण्डल में फैलेगा।

बापदादा एक बात पर बच्चों को देख खुश है। कौन सी बात पर? कि हर बच्चे ने सेवा तो की है लेकिन साथ में जो बापदादा का इशारा है कि डबल राजा बनो। जानते हो ना! एक स्वराज्य अधिकारी और दूसरा भविष्य राज्य अधिकारी। स्वराज्य अधिकारी और बाप को नशा है कि ऐसा और कोई बाप नहीं जिसका हर बच्चा स्वराज्य अधिकारी हो। आप सभी स्वराज्य अधिकारी हो ना! स्व पर आत्मा राज्य करने वाली है। कर्मेन्द्रियों के वश नहीं, राज्य अधिकारी। तो बाप यही चाहते हैं कि हर एक बच्चा स्वराज्य अधिकारी सदा रहे, कभी कभी नहीं। बन सकते हैं? यह दो मास जो दिया है, इसमें नोट करना स्वराज्य अधिकारी रहे? या कर्मेन्द्रियों के वश बन गये? अभी कर्मातीत बनना है, समय समीप आ रहा है। तो क्या करना है? चलते-फिरते स्वराज्य अधिकारी बनना ही है। यह संस्कार आप ब्राह्मण बच्चों के ही हैं। डबल राज्य, स्वराज्य और फिर भविष्य में विश्व राज्य। बापदादा चक्र लगाते बच्चों का रिजल्ट नोट करते हैं तो सदा स्वराज्य अधिकारी इसमें अभी अटेन्शन चाहिए। तो दो कार्य बापदादा ने दिया एक यह दो मास स्वराज्य अधिकारी कहाँ तक रहते? वह अपनी रिजल्ट देखनी है और साथसाथ मन की कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर द्वारा व्यर्थ समाप्त करना है। इसमें जो नम्बर लेंगे उसको बापदादा इनाम देगा। पसन्द है? करना है ना! करेंगे? करेंगे ना! कांध हिलाओ। अच्छा।

बापदादा ने आज सभी का जो स्नेह है वह स्वीकार किया। अमृतवेले तो वतन में भी बहुत बच्चों की रिमझिम थी। एडवांस पार्टी भी वतन में आज अपने दिल का स्नेह देने लिए, लेने लिए आये थे। अब वह बाप से पूछते हैं कि आखिर हमारा यह पार्ट कब तक? क्या जवाब दें? पहली लाइन वाले बताओ क्या जवाब दें? क्या कहा? (दादी जानकी ने कहा हम रेडी हैं) आप अकेले जायेंगी? (सभी जायेंगे) आपका प्यार है ना, ऐसे छोड़कर राज्य कैसे करेंगे। (एडवांस पार्टी वाले हमको क्यों छोड़कर चले गये) उन्हों का पार्ट था ना। उन्हों को जाना ही था। अभी आप यह कोशिश करो कि जल्दी जल्दी संगठन तैयार करो। जो दो मास काम दिया है ना, अगर यह काम आप सभी को करा देंगे, रिजल्ट निकालेंगे तो जल्दी हो जायेगा। (बाबा के स्नेह में कर लेंगे) स्नेह तो है, स्नेह में सभी पास है। बापदादा भी देखते हैं कि स्नेह सबका है लेकिन स्नेह के साथ शक्ति भी चाहिए। इसके लिए अमृतवेले को पावरफुल बनाओ, बैठते हैं बापदादा बैठने की मुबारक देते हैं लेकिन जो बैठने का वायुमण्डल शक्तिशाली चाहिए, कोई कैसे बैठता है, कोई कैसे बैठता है। अगर आप फोटो निकालो ना, तो आपको खुद लगेगा कि और कुछ होना चाहिए। जो बापदादा ने ज्वालामुखी योग कहा, उसके ऊपर अभी और गहरा अटेन्शन देना। पुरूषार्थ करते हैं सभी लेकिन पुरूषार्थ के आगे तीव्र शब्द जोड़ो। अभी बापदादा ने हर बच्चे को यह दो मास दिये हैं, इसमें जितना अटेन्शन देंगे तो अटेन्शन के साथ बापदादा भी एकस्ट्रा आपको सहयोग देगा। मन के मालिक, मन को ऐसे चलाओ जैसे पांव और बांह को चलाते हो। जो चाहते हो वह करते हैं ना। अभी आप चाहो यहाँ नहीं यहाँ रखूं तो रख सकते हो ना। ऐसे माइन्ड कन्ट्रोल, जो चाहे वही मन संकल्प करे। रोज़ रात को रिजल्ट देखो आज मन की रूलिंग पावर, कन्ट्रोलिंग पावर कहाँ तक रही? अभी व्यर्थ को समाप्त जल्दी-जल्दी करना चाहिए अब समर्थ बन वायुमण्डल में समर्थपन की शक्ति फैलाओ। बापदादा तो बच्चों का दु:ख दर्द, पुकार सुन करके बच्चों द्वारा अभी जल्दी समाप्ति कराने चाहते हैं। सुनाया ना, पुरूषार्थ सब कर रहे हैं लेकिन अभी एड करो तीव्र। करना ही है, करेंगे, देखेंगे... यह गे-गे नहीं चलेगा।

स्नेह का नज़ारा भी आज देखा, हर एक के दिल में कितना प्यार है लेकिन जितना प्यार है ना, साथ में उतना शक्ति भी चाहिए। अभी शक्ति को भरो। कभी भी कोई भी बहनें अपने को सिर्फ शक्ति नहीं, शिवशक्ति समझो। शिवशक्ति, बाप साथ है। पाण्डवों से पाण्डवपति साथ है। तो अभी क्या करेंगे? जो बापदादा ने कहा है पुरूषार्थ के आगे तीव्र शब्द लगाओ। वायुमण्डल बनाओ। एक दो के सहयोगी बन हर एक अपने-अपने स्थान पर रहते हैं, स्थान को शक्तिशाली बनाओ, साथियों को शक्तिशाली बनाओ। तो क्या करेंगे अभी? नवीनता करेंगे ना! जब मेरा बाबा कहते हैं, तो मेरेजैसा बनना तो पड़ेगा ना। हर एक अपने दिल में दृढ़ संकल्प करो, संकल्प अच्छे-अच्छे करते हो, अमृतवेले बापदादा देखते हैं कि संकल्प अच्छे करते हो यह करेंगे, यह करेंगे, यह करेंगे लेकिन जब कर्मयोगी बनते हो, सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हो उसमें फर्क हो जाता है। कर्मयोगी की स्थिति उसमें अटेन्शन ज्यादा चाहिए। अच्छा।

सभी खुश तो हैं ना! खुश हैं? देखो नये-नये भी कितने आते हैं। जो नये पहली बार आये हैं वह हाथ उठाओ। देखो कितने हैं? आधा क्लास नये आये हैं। बापदादा आये हुए नये बच्चों को देख खुश है क्योंकि लास्ट समाप्ति के समय से तो पहले आ गये हैं। लेकिन जितना लेट आये हो इतना ही तीव्र पुरूषार्थ करना पड़ेगा क्योंकि इस थोड़े टाइम में आपको पूरे 21 जन्मों का भविष्य बनाना है। इतना अटेन्शन रखना पड़ेगा। समय को बचाना, सेकण्ड भी व्यर्थ नहीं गंवाना। तीव्र पुरूषार्थी रहना, साधारण पुरूषार्थ से पहुंचना मुश्किल है। फिर भी बापदादा आये हुए बच्चों को दिल से मुबारक दे रहे हैं। मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

सेवा का टर्न इन्दौर ज़ोन का है, 7 हजार आये हैं:- अच्छा। इन्दौर ज़ोन की टीचर्स हाथ उठाओ। बापदादा टीचर्स को मुबारक दे रहे हैं। बापदादा सभी टीचर्स को मुबारक क्यों दे रहे हैं? क्योंकि बापदादा ने देखा कि इन्दौर की सेवा में निमित्त जो बने हैं वह सेवा की रिजल्ट अच्छी दिखा रहे हैं। जो भी वहाँ के विशेष निमित्त बने हैं, बाहर वाले उन्हों से कनेक्शन अच्छा है। सन्देश अच्छा दिया है अभी आगे क्या करना है? इसमें तो ठीक है, इसकी तो बापदादा मुबारक देते हैं। लेकिन जितना सम्बन्ध-सम्पर्क में हैं, इन्हों को अभी वारिस बनाओ। सम्पर्क वाले हैं लेकिन वारिस क्वालिटी बाप के आगे लाओ। ला सकते हो, कनेक्शन अच्छा है। (खांसी आ रही है)

आज रथ की तबियत थोड़ी ढीली है। फिर भी बापदादा तो मिलने आ गये। बापदादा को बच्चों को देखकर खुशी होती है वाह बच्चे वाह! यही दिल से निकलता है। जितना आप दिल से वाह! बाबा वाह! कहते हो उससे ज्यादा बापदादा वाह! बच्चे वाह! कहते हैं। तो इन्दौर वाले कनेक्शन जो है उसको थोड़ा समीप लाओ। ला सकते हो। उम्मींदवार हैं। उम्मींदवार को सामने लाओ। अच्छा। फिर भी सेवा के निमित्त आ गये हो बापदादा भी खुश होते हैं कि एकज्ञ्एक ज़ोन को बहुत अच्छा यह चांस मिलता है। ज्यादा से ज्यादा संख्या लाने का चांस मिलता है, तो यह प्रोग्राम बहुत अच्छा बनाया है। हर एक ज़ोन को चांस मिलता है लेकिन चांस लेके फिर उसका रिजल्ट भी निकालना, बापदादा के सामने लाने का। अच्छा।

डबल विदेशी 400 आये हैं:- बहुत अच्छा। डबल विदेशी यज्ञ का श्रृंगार हैं। जब भी आते हैं ना तो यज्ञ का श्रृंगार हो, सभी कितने खुश होते हैं क्योंकि आपकी एक विशेषता अच्छी है, जो भी करना है ना वह फौरन करते हो, लम्बा नहीं करते हो। बापदादा देखते हैं कि उमंग-उत्साह ज्यादा बढ़ता जा रहा है। कोई भी ऐसा टर्न नहीं होता जिसमें डबल विदेशी नहीं हों। तो बापदादा डबल विदेशियों को टाइटल देता है डबल पुरूषार्थी। अभी करके दिखाना। डबल पुरूषार्थी बनके रिजल्ट दिखाना। बापदादा को मालूम है सेवा बढ़ती रहती है, समाचार आता रहता है। सेवा भी अच्छी है, अभी सिर्फ जो आज कहा ना, पुरूषार्थ के आगे तीव्र शब्द सदा लगाओ। तो तीव्र पुरूषार्थी बच्चे सदा बापदादा को अपने दिल में रखते और बापदादा हर बच्चे को अपने दिल में रखते। सबके दिल में बापदादा है ना। हाथ उठाओ। दिल में कौन रहता है? बापदादा। और बापदादा के दिल में आप बच्चे हैं। बापदादा, जिन बच्चों ने खास यादप्यार भेजी है उन्हों को खास यादप्यार दे रहे हैं। जयन्ती बच्ची ने भी बहुत दिल से यादप्यार भेजा है, गायत्री बच्ची ने भी भेजी है और किसका भी नाम था, तो जिन्होंने विशेष यादप्यार भेजी है, बाप ने भी उन्हों को विशेष यादप्यार दी है। और अगर किसी की कोई भी आश है तो उस आश को पूरा करते हुए उन्हों को आगे बढ़ाते चलो। आशायें इन्हों की खराब नहीं होती हैं, अच्छी होती हैं। सेवा का उमंग भी अच्छा होता है तो जिन्होंने खास याद भेजी है उन्हों को बापदादा पदमगुणा यादप्यार दे रहे हैं। अच्छी आलराउण्ड सेवाधारी है। ऐसे नहीं कहो और याद नहीं हैं, याद सब हैं लेकिन उन्होंने विशेष भेजी है इसलिए विशेष दे रहे हैं। कमाल हैं, कोई ज़ोन में विदेशी मिस नहीं होते हैं। (वजीहा ने बहुत प्यार से याद करके पत्र लिखा है) बच्ची अच्छी याद में रहती है। बापदादा ने देखा कि बच्ची की बीमारी ने कितनों का कल्याण किया है। डाक्टर्स भी इसको देखकर खुश होते हैं कि बीमार देखने में नहीं आती है, जितनी बीमारी है! खुशमिजाज रहती है। इसको कहा जाता है बीमारी के ऊपर विजयी। बीमारी अपना काम कर रही है और बच्ची अपने याद के काम में बिजी है। यह भी डबल विदेशियों का एक्जैम्पुल है। तो डबल विदेशियों को बापदादा दिल से यादप्यार भी देते हैं और विशेष मुबारक देते हैं मधुबन का श्रृंगार बनके आने का। अच्छा लगता है ना आप लोगों को? सभी बच्चों को भी आप लोगों का आना देख करके खुशी होती है। सबके दिल से वाह! वाह! निकलती है। अभी कमाल तो की है जो जगह-जगह पर अपना सन्देश दिया है लेकिन अभी वारिस क्वालिटी तैयार करो, विदेश से वारिस लाओ तैयार करके। कर सकते हो क्योंकि सबमें फास्ट जाने वाले हो ना। तो यह भी कर सकते हो। अच्छा।

टीचर्स बहिनें बहुत आई हैं:- टीचर्स को देखकर तो बापदादा बहुत खुश होते हैं क्योंकि जो निमित्त टीचर्स बनी हैं, वह बापदादा को प्रत्यक्ष करने के निमित्त बनी हुई हैं। कोई भी टीचर को देखते खुश होते हैं क्योंकि टीचर्स माना ही जिसके फीचर्स से फ्युचर दिखाई दे। फ्युचर आपका क्या है? फ्युचर है सदा दिलखुश, सदा अधिकारी, अधीन होने वाले नहीं। तो टीचर्स के फीचर्स यह साक्षात्कार कराते हैं। हर एक टीचर सदा यही समझे कहाँ बोला, कहाँ नहीं बोला भले, लेकिन आपके फीचर्स वर्तमान समय की प्राप्ति और भविष्य की प्राप्ति आपकी शक्ल दिखाती है। सदा यह अटेन्शन रखो कि हमारा चेहरा ऐसा साक्षात्कार कराने वाला है? कोई भी टीचर के सामने आये, टीचर को देख एक तो खुशमिजाज हो जाए, खुशी उसके जीवन में दिखाई दे। ऐसे खुशनुमा और खुशकिस्मत हो। बापदादा ने देखा है हर एक टीचर का लक्ष्य अच्छा है। करना ही है। बनना ही है। ऐसे है ना? लक्ष्य क्या है? यही लक्ष्य है ना! तो यह लक्ष्य लक्षण में दिखाई देता भी है और ज्यादा दिखाई देना चाहिए। जो भी आवे खुशी जरूर ले जाये क्योंकि खुशी हर मनुष्य को आवश्यक है। चाहते हैं लेकिन बन नहीं पाते हैं तो टीचर्स माना फीचर्स द्वारा भी सेवा करे। अनुभव करें कि यह क्या बन गई है! अभी आगे चल करके आपका चेहरा और चलन यह सेवा ज्यादा करेगा क्योंकि जैसे समय नाजुक आयेगा तो समय कम मिलेगा लेकिन चाहना बढ़ेगी, कुछ मिले, कुछ मिले। इसके लिए टीचर्स को सदा ऐसे एवररेडी रहना चाहिए, जो कोई आवे वह कम से कम कुछ लेके ही जावे। चेहरे और चलन द्वारा भी कुछ न कुछ लेके जाये। दाता के बच्चे हो ना! बापदादा तो टीचर्स को देखकर बहुत खुश होते हैं। दिल ही दिल में गुण गाते हैं वाह टीचर्स वाह! क्योंकि हर एक टीचर सेवा तो करते ही हैं और अपनी रिजल्ट रात को भी देखते होंगे कि आज की सेवा क्या हुई! अपना चार्ट तो आपेही देखते हैं। जो लक्ष्य रखा सेवा का वह हुआ। अगर नहीं हुआ कारणे अकारणे, तो दूसरे दिन डबल करो। खाली नहीं छोड़ो क्योंकि टीचर्स माना निमित्त दाता के बच्चे दाता। तो बापदादा तो खुश होते हैं चाहे छोटे सेन्टर की हैं चाहे बड़े सेन्टर की हैं लेकिन त्याग करके सेवास्थान पर आना यह भी हिम्मत है ना। तो बापदादा आपकी हिम्मत पर तो खुश है। अब आरै साथी बनाओ। आरै भी टीचर्स निकालो क्योंकि सेवा बढ़नी ही है। अभी थोड़ा हंगामा होगा और सब उत्कण्ठा से आपके आगे आयेंगे। सर्विस बढ़ने वाली है, कम होने वाली नहीं है। अच्छा है, एक ज़ोन की हैं और दूसरी तो थोड़ी होंगी। (2000 टीचर्स आई हैं) मुबारक हो टीचर्स को।

कलकत्ता वालों ने बहुत अच्छा श्रृंगार किया है:- कलकत्ता वालों ने यह सेवा बहुत अच्छी दिल से ली है। बापदादा देखते हैं श्रृंगार क्या भी हो लेकिन दिल से करते हैं। बापदादा दिल देखते हैं इसमें, श्रृंगार नहीं देखता वह तो चलते-फिरते दिखाई दे देता है लेकिन दिल से करते हैं इसकी मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा है। वैसे भी कलकत्ता ब्रह्मा बाप की दिव्य जन्म भूमि है। अच्छा है। आपकी इन्चार्ज दादी भी वन्डरफुल पार्ट बजा रही है। अभी सभी ज़ोन को बापदादा कहते हैं अभी सेवा वारिस क्वालिटी लाओ अभी इसमें नम्बर लो। सेवास्थान बढ़ाये और बाप के बच्चे भी बढ़ाये इसकी तो मुबारक है लेकिन अभी हर ज़ोन लक्ष्य रखे वारिस क्वालिटी बढ़ाओ। बापदादा हमेशा कहते हैं कि माइक भी हो वारिस भी हो, ऐसी क्वालिटी बढ़ाओ। जिसके कहने से, एक के कहने से अनेक प्रभावित हो जाएं। इसको कहते हैं क्वालिटी। अच्छा।

चारों ओर के अति स्नेही, सहयोगी, सर्विसएबुल बच्चों को बापदादा स्नेह के दिन की, स्नेह भरी यादप्यार दे रहे हैं और साथ-साथ बापदादा हर स्नेही बच्चों को यह बात कह रहे हैं कि अब हर बच्चे को तीव्र पुरूषार्थ में नम्बरवन का लक्ष्य रख बनना ही है और ड्रामा बनायेगा ही। सभी बच्चों को चारों ओर के कहाँ भी बैठे हैं, बापदादा सभी को देख रहे हैं कैसे उमंग-उत्साह से बैठे हैं, सुन भी रहे हैं, देख भी रहे हैं। एक-एक बच्चे को स्नेह भरी यादप्यार और मुबारक हो, मुबारक हो।

दादियों से:- अच्छा देखो, सभी दादियां जो भी हैं ना निमित्त वह बहुत प्यारी हैं। (दादी गुल्जार बहुत अच्छी है) आप नहीं होती तो क्या करते। सभी दादियां भी प्यारी हैं, न्यारी हैं। (बाबा की दुआयें बहुत हैं)

मोहिनी बहन से:- यह बहादुर है, ठीक हो जायेगी। बापदादा चला रहा है ना। यह भी चल रही है, बापदादा चला रहा है। थोड़ा बहुत हिसाब चुक्तू करके चल तो रही है, आ तो गई। बहुत अच्छा।

बापदादा को हर बच्चा ऐसा प्यारा है, चाहे दादियां आगे आती हैं आप नहीं आते हो लेकिन बाप को हर बच्चा प्यारा है। ऐसे नहीं समझो हम तो दूर से देखने वाले हैं, दिल में रहने वाले हैं। अच्छा।

परदादी से:- आपका ज़ोन आया है, देखा कितने अच्छे-अच्छे आये हैं। अच्छा।

(तीनों भाईयों ने बापदादा को गुलदस्ता दिया) आपकी त्रिमूर्ति भी अच्छी है।

(रमेश भाई ने गाडली वुड स्टुडियो का फोटो बापदादा को दिखाया और बताया कि 26 जनवरी को उद्घाटन है) बहुत अच्छा, अभी खूब चलाना, सभी जोर देके चलाना। नई-नई बातें करना, होंगी। सेवा माना मेवा खाना। सेवा नहीं कर रहे हो मेवा खा रहे हो। (ऊषा बहन को बहुत उमंग था सेवा का) उसकी भावना काम करेगी। जो भावना सेवा की रही ना, उसके दिल में भावना रही सेवा हो, सेवा हो, वह काम करेगी। सेवा का उमंग था तभी तो परिवार को भी प्यारी, बाप को भी प्यारी। (रमेश भाई से) आपकी तबियत ठीक है? चलाओ।

भूपाल भाई से:- अभी आफीसर ठीक हो गया। अभी कुछ न कुछ करता रहता है। उसको योग से ठीक करो और जाकरके थोड़ा सेवा करो। जिससे उसको लगे कि यह कितने शभचिंतक हैं। यह अनुभव जरूर करें। ठीक हो जायेगा फिर। अच्छा।

गोलक भाई से:- (बहुत मेहनत करता है) मेहनत का फल इसको अन्दर मिल रहा है। मेहनत व्यर्थ नहीं जाती। मेहनत का फल यह है जो सबका प्यार है, यह फल है। कोई बात हो जाती है वह बात दूसरी है, लेकिन दिल का प्यार है। अच्छा।

नारायण दादा और मनोज से:- दोनों आये हैं बहुत अच्छा। अच्छा है आ गये ना। हर टर्न में आपको आना चाहिए। पहले आते थे, अभी कभी-कभी आते हो। कभी-कभी बाबा को अच्छा नहीं लगता। आना चाहिए क्योंकि बाप चाहते हैं कि हर आत्मा आगे से आगे बढ़े। आयेंगे, जायेंगे, मिलेंगे खुशी होगी। चेहरा खुशनुमा हो जायेगा और विचार खत्म हो जायेंगे। विचार करते हो ना! वह खुशमिजाज हो जायेंगे क्योंकि फिर भी ज्ञान मिला हुआ है ना। यह भी खुश। आप दोनों को तो ऐसा खुश रहना चाहिए जो कोई पूछे कहाँ से मिली खुशी। होना चाहिए। अच्छा है। खुश रहेंगे ना तो प्रॉब्लम सब खत्म हो जायेंगी, गैरन्टी है। सोचते हो ना, खुश रहो। जितना खुश रहेंगे उतनी तबियत भी अच्छी और सभी देख करके भी खुश हो जायेंगे। फिर भी सम्बन्ध है ना, परिवार से, कितने सम्बन्धी हैं। कहाँ भी रहो लेकिन सेवा करो चेहरे से। जो भी देखे कौन हैं यह, कहाँ से आये हैं। पालना तो ली है ना।


 

02-02-12 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


‘‘अब स्मृति स्वरूप अनुभव की अथॉरिटी बनो, ज्वालामुखी योग द्वारा सबको लाइट माइट की किरणों का सहयोग दो’’

आज बापदादा अपने सामने या चारों तरफ के अपने छोटे से संसार को देख हर्षित हो रहे हैं क्योंकि यह संसार है छोटा लेकिन अति प्यारा है क्योंकि यह संसार की एक-एक आत्मा श्रेष्ठ आत्मा हैं। कोटों में कोई आत्मायें हैं। बाप के वर्से के अधिकारी आत्मायें हैं। बापदादा हर बच्चे को देख खुश होते हैं कि यह एक-एक बच्चा राजा बच्चा है। बापदादा ने हर एक बच्चे को स्वराज्य अधिकारी और विश्व राज्य अधिकारी बनाया है। इस समय सभी स्वराज्य अधिकारी हैं अर्थात् मन-बुद्धि, संस्कार, कर्मेन्द्रियों के राजा हैं। कर्मेन्द्रियों के वश नहीं हैं। मन के भी मालिक हैं। तो ऐसे ही आप हर एक बच्चा अपने को मन के मालिक, संस्कारों के भी मालिक समझते हो? ऐसे तो नहीं कभी आप मन के मालिक होते वा कभी मन आपका मालिक होता! क्योंकि कहते ही हो मेरा मन, मैं मन नहीं कहते हो। तो मेरे के आप मालिक हो। चेक करो कभी मन तो मालिक नहीं बन जाता? क्योंकि इस समय बापदादा ने हर एक को स्वराज्य अधिकारी के सीट पर बिठाया है। अब के स्वराज्यधारी हो और भविष्य का राज्य तो आपका है ही। डबल राज्य अधिकारी हो। बापदादा देखते हैं हर बच्चा स्वराज्य अधिकारी के साथ स्वमानधारी भी है। तो मैं स्वमानधारी आत्मा हूँ, इस स्मृति में बैठो तो देखो कितने स्वमानों की लिस्ट आपके सामने आती है। अनेक स्वमान की माला सामने आ जाती है ना!

बापदादा ने बच्चों के स्वमानों की माला हर बच्चे को डाली है। स्वमान सुनते ही आपके सामने भी अपने स्वमान स्मृति में आ गये! याद करो, अनादि स्वरूप में आपका स्वमान कितना बड़ा है! चले गये अनादि स्वरूप में? हर एक का स्वमान है एक तो बाप के साथ-साथ है चमकती हुई आत्मा, बाप के साथ के कारण विशेष चमकती हुई दिखाई दे रही है। देख रहे हो? जैसे आकाश में भी यहाँ कोई-कोई सितारा विशेष चमकता है, ऐसे बाप के साथ-साथ होने कारण चमकती हुई आत्मा हो। याद आया अपना अनादि स्वरूप? सेकण्ड में अपने अनादि स्वरूप में स्थित हो सकते हो? अभी एक सेकण्ड में उस अनादि स्वरूप में एक सेकण्ड के लिए स्थित हो जाओ। कितना नशा चढ़ता है! आगे बढ़ो, इस सृष्टि चक्र के आदि में आ गये! यह ड्रिल करो सतयुग आदि में अपना स्वरूप देखो, कितना श्रेष्ठ सुख स्वरूप है। कितना सर्व प्राप्ति स्वरूप है। दु:ख का नामनिशान नहीं है। प्रकृति कितनी सुन्दर सतोगुणी है। अनुभव करो अपने देवता स्वरूप का। देख रहे हो अपना स्वरूप? कोई भी राजा हो, महात्मा हो, नेता हो ऐसा सर्व प्राप्ति स्वरूप कोई देखा! तो एक सेकण्ड के लिए अपने देवता स्वरूप में स्थित हो जाओ। अपने स्वमान में मजा आता है ना! हम सो देवता ... बापदादा यह ड्रिल करा रहा है। फिर नीचे आओ कौन सा युग आ गया? द्वापर में भी आपका स्वमान पूज्य का है। पूज्य स्वरूप है। अपने पूज्य स्वरूप को देख रहे हो? कितने सभी भावना से कायदे प्रमाण पूजा करते हैं। ऐसे कायदे प्रमाण पूजा और किसी की भी नहीं होती। चाहे धर्म पितायें आये, चाहे गुरू बनें, नेतायें बनें, अभिनेतायें बनें लेकिन ऐसी कायदे प्रमाण पूजा किसकी नहीं होती। तो अपना स्वमान देखा, अनुभव किया? अब आओ संगम में, सब चक्र लगा रहे हो? पीछे वाले चक्र लगा रहे हो! हाथ उठाओ। देखो अपना स्वमान क्योंकि स्वराज्य अधिकारी हो ना! तो संगम पर स्वयं भगवान, आपकी जीवन में स्वयं मालिक आप बच्चों में पवित्रता की विशेषता भरता है। जो पवित्रता आपके सर्व अविनाशी सुखों की खान है। और बनाने वाला कौन? स्वयं भगवान। वह तो अभी भी प्रत्यक्ष प्रमाण आपको पवित्रता की जायदाद बाप से प्राप्त हो गई है। अब चेक करो - पवित्रता सर्व प्राप्तियों का आधार है, पवित्रता से आप सभी मास्टर सर्वशक्तिमान बन गये। तो चेक करो सर्वशक्तियां प्राप्त हैं? कोई-कोई बच्चे कहते हैं बाप ने तो सर्व शक्तियां दी लेकिन कोई-कोई समय जिस शक्ति की आवश्यकता होती है वह थोड़ा टाइम के बाद आती है। बात पूरी हो जाती है फिर आती है। इसका कारण क्या? वरदान में बाप ने दी फिर भी समय पर नहीं आती है उसका कारण क्या? अपने मास्टर सर्वशक्तिमान के स्मृति की सीट पर नहीं होते हो, कोई भी किसका आर्डर मानते हैं तो सीट वाले का आर्डर मानते हैं। तो जब भी आप कोई भी शक्ति का आर्डर करते हो, पहले यह देखो स्मृति की सीट पर हैं? स्वमान के सीट पर हैं? स्मृति की सीट पर स्थित हो जाओ तो सर्व शक्तियां आपके पास समय पर बंधी हुई हैं आने के लिए क्योंकि सर्वशक्तिमान बाप ने आपको मास्टर सर्वशक्तिमान बनाया है। तो इतने पावरफुल स्वमानधारी बन चल रहे हो ना? अपने स्वमान देखे? संगम के बाद कहाँ जायेंगे? रिटर्न जरनी करेंगे ना! इसलिए बापदादा यही चाहते हैं कि हर एक सारे दिन में यह एक्सरसाइज़ करते रहें। समय निकालो बार-बार यह स्वमान की माला पहनाने से, अनुभव करने से जो बापदादा ने स्वराज्य अधिकारी बनाया है, वह हो नहीं सकता कि स्वमान आपके आर्डर पर नहीं चले। सिर्फ सीट पर सेट रहो।

बापदादा ने देखा सभी अटेन्शन रखते हैं लेकिन नियमित रूप से अपनी दिनचर्या सेट करो। बीच-बीच में यह अपने स्वमान के स्मृति स्वरूप में स्थित रहो। जैसे ट्रैफिक कन्ट्रोल करते हो ऐसे यह स्वमान की स्मृति आदिकाल से रिटर्न जरनी तक की, बीच-बीच में टाइम फिक्स करो। यह चलते फिरते भी कर सकते हो क्योंकि मन को सीट पर बिठाना है। बापदादा ने देखा, पहले भी कहा है योग सब लगाते हो लेकिन अब आवश्यकता किसकी है? समय की हालतों को देख पहले भी सुनाया अब ज्वालामुखी योग की आवश्यकता है, जिससे डबल काम होगा। एक तो अपने पुराने संस्कार का संस्कार हो जायेगा, अभी संस्कारों को मारते हो लेकिन जलाते नहीं हो। मारने के बाद फिर भी कभी-कभी वह जाग जाते हैं। जैसे रावण को सिर्फ मारा नहीं, जलाया। ऐसे आप भी अपने पुराने संस्कारों को जो बीच-बीच में तीव्र पुरूषार्थ में कमी कर देते हैं, उसके लिए ज्वालामुखी योग की आवश्यकता है। एक स्वयं के लिए और दूसरा ज्वालामुखी योग द्वारा औरों को भी लाइट रूप होने के कारण, माइट रूप होने के कारण उन्हों को भी अपनी किरणों द्वारा सहयोग दे सकते हो। तो अभी सभी ने योग को ज्वालामुखी योग में परिवर्तन किया? समय अनुसार अभी आत्माओं को आपके सहयोग की आवश्यकता है। बाकी बापदादा तो अमृतवेले हर बच्चे को स्नेह देते हैं।

बापदादा देखते हैं लक्ष्य बहुत अच्छा रखते हैं, हिम्मत भी रखते हैं लेकिन सारा दिन उसी अटेन्शन में रहें, जैसे अमृतवेले रहता है, वह कम हो जाता है। कारण क्या होता है? यह जो कर्म में लगते हो, कर्मयोगी बन कर्म करना, इसमें अन्तर पड़ जाता है। आप सिर्फ योग लगाने वाले नहीं हो, योगी जीवन वाले हो। तो जीवन सदा रहती है, कभी-कभी नहीं। तो बापदादा अभी क्या चाहते हैं? प्यार में तो बहुत करके पास हैं, प्यार की सबजेक्ट में बाप ने देखा मैजारिटी बाप के साथ मेरा बाबा, मेरा बाबा कह प्यार का अनुभव करते हैं। प्यार में तो मैजारिटी पास हैं, अब किसमें पास होना है? बाप समान बनने में। सभी क्या चाहते हैं? बाप समान बनना है कि बाप बाप रहेगा आप बच्चे हैं, तो बाप समान तो बनना पड़ेगा। प्यार माना क्या? प्यार वाला जो कहे वह करना ही है। तो सभी बाप के प्यारे हो, बाप का प्यार आपसे है, इसमें हाथ उठाओ। प्यार है अच्छा, प्यार है? तो अभी बापदादा यही चाहते हैं कि जैसे प्यार है, ऐसे यह लक्ष्य रखो कि हमें बाप समान बनना ही है, इसमें हाथ उठाओ। तो निश्चय रखते हैं, हाथ तो बहुत अच्छा उठाते हैं। बापदादा देख रहे हैं।

बापदादा चाहता है एक-एक बच्चा ऐसा खुशनुमा, खुशनसीब दिखाई दे, चेहरे से चलन से क्योंकि समय प्रमाण अभी आपका चेहरा बहुत सेवा करेगा। आवश्यकता पड़ेगी। इसके लिए बापदादा चाहता है कि अभी से लक्ष्य रखो जैसे अभी यह 75 वर्ष के कारण सबको उमंग है सेवा करने का। ऐसे उमंग हो चेहरे से सेवा करने का क्योंकि दिनप्रतिदिन समय नाज़ुक आना ही है। तो ऐसे समय पर आपका चेहरा आत्माओं को चियरफुल बना दे।

बापदादा ने आज अमृतवेले चक्र लगाया, तो क्या देखा? बैठते सभी अपने रूचि से भी हैं लेकिन सबसे बड़ी अथॉरिटी है अनुभव की। तो देखा बैठते हैं लेकिन अनुभव की अथॉरिटी, स्मृति में बैठते हैं लेकिन स्मृति स्वरूप अनुभव हो। अनुभव की अथॉरिटी का आनंद वह थोड़ा समय होता है। सोचते हैं मैं बापदादा के तख्तनशीन हूँ लेकिन स्वरूप के स्मृति स्वरूप अनुभवी मूर्त, अनुभव में खो जाये उसका अभी और भी आगे बढ़ाना होगा क्योंकि अनुभव की अथॉरिटी सबसे बड़े ते बड़ी है। स्मृति स्वरूप रहना इसको कहा जाता है अनुभव। तो अनुभव में खो जाना जो स्वरूप की स्मृति रखते हैं उस स्वरूप की अनुभूति में रहना इसकी और आवश्यकता है क्योंकि अनुभव कभी भी भूलता नहीं है। किसी को भी आप किसी के अनुभव द्वारा सुनाने की कोशिश करते हो क्योंकि अनुभव का प्रभाव पड़ता है। तो स्वयं को जो स्वरूप स्मृति में रखते हो उसके स्वरूप की अनुभूति में खो जाये, अनुभव अपने पुरूषार्थ में भी बहुत मदद करता है। तो बापदादा ने देखा अनुभव की अथॉरिटी में नम्बरवार हैं। तो अभी इस अनुभव की अथॉरिटी के अभ्यास के ऊपर और अटेन्शन दो। अनुभव स्वरूप की स्थिति सदा समाई हुई रहती है, उसकी शक्ल, चलन सेवा करती है।

तो आज बापदादा बच्चों का रिकार्ड देख रहे थे। तो एक तो ज्वालामुखी योग के ऊपर और अटेन्शन दो जिससे स्वभाव संस्कार परिवर्तन में सहयोग मिलेगा। संस्कार अभी भी जिसको आप नेचर कहते हो वह अभी भी अपना कार्य बीच-बीच में कर लेती है। बाकी बापदादा खुश है, किस बात पर? जानते हो, किस बात पर बापदादा खुश है? जानते हो? आजकल की मुरलियां सुनते हुए बापदादा ने देखा अपने दिनचर्या में अटेन्शन ज्यादा गया है। अटेन्शन बढ़ा है तो टेन्शन संस्कारों का कम होता जायेगा। बापदादा ने पहले भी कहा जब भी टेन्शन आवे ना, ए लगा दो, एड कर दो ए अटेन्शन। चलना तो सबको है ही। यह तो वायदा है ही पक्का। साथ चलेंगे, साथ राज्य करेंगे। तो सभी खुश है? कि कभी-कभी खुश है? जो समझते हैं हम सदा खुश हैं, कभी-कभी नहीं, सदा खुश हैं, देखो सोचके हाथ उठाओ। अच्छा। हाथ भी सोचके उठा रहे हैं। खुशी अपनी चीज़ है। अपनी चीज़ क्यों जाये? तो अभी क्या करेंगे? आगे चलना तो है ही। तो अभी आगे क्या करेंगे?

हर सेन्टर निर्विघ्न, व्यर्थ संकल्प रहित हो सकता है? हो सकता है? कि इसके लिए समय चाहिए? अभी तक बापदादा के पास कोई सेन्टर ने यह रिपोर्ट नहीं दी है कि हमारा सेन्टर सदा निर्विघ्न है। साथी भी। सिर्फ स्वयं नहीं, साथी भी निर्विघ्न। वह भी टाइम आना है। हो जायेगा क्योंकि बनना तो बच्चों को ही है और कोई एक्जैम्पुल में आयेंगे जो पीछे तीव्र पुरुषार्थी बन आगे जायेंगे लेकिन मैजारिटी तो आपको ही आगे जाना है। बापदादा ने देखा मुरली से प्यार मैजारिटी का है लेकिन जैसे जगत अम्बा ने प्रत्यक्ष जीवन में दिखाया कि जो बाप ने कहा वह करना ही है, लक्ष्य रखा और पुरूषार्थ के तरफ अटेन्शन भी दिया। आपकी दीदी दादियां जो एडवांस पार्टी में भी गई हैं उन्होंने भी अटेन्शन दिया, अभी आप लोगों का इन्तजार कर रहे हैं। पूछती हैं वह कि समाप्ति का गेट कब खोलेंगे? एक दो तो नहीं खोलेगा ना! तो अभी पुरूषार्थ करो कि समय को, गेट खुलने के समय को समीप लाओ। सम्पन्न बनना अर्थात् समीप लाना।

अच्छा। सभी चारों ओर के बच्चों को बापदादा दिल का स्नेह दे रहे हैं। साथ-साथ जो बापदादा ने दो मास का कार्य दिया है, उसकी भी स्मृति दिला रहे हैं क्यों? बहुत करके यह व्यर्थ संकल्प पुरूषार्थ को तीव्र के बजाए साधारण कर देते हैं इसलिए चारों ओर के बच्चों को बापदादा यादप्यार के साथ यह भी स्मृति दिला रहे हैं कि अब संगम का समय कितना श्रेष्ठ सुहावना हैं, इस संगम के समय ही सर्व खज़ाने बाप द्वारा प्राप्त होते हैं, संगम का एक- एक सेकण्ड महान है इसलिए संगम के समय का मूल्य सदा अपने बुद्धि में रखो। संगम का एक सेकण्ड प्राप्ति कितना कराता है। आपसे कोई पूछे आपको क्या मिला है, तो क्या जवाब देंगे? अप्राप्त नहीं कोई वस्तु हम ब्राह्मणों के दिल में। पाना था वो पा लिया। अब उसको कार्य में लगाते हुए तीव्र पुरूषार्थी बन समय को समीप लाओ। अच्छा। बापदादा देखते हैं सभी को उमंग भी आता है और यह उमंग सदा आगे बढ़ाते रहो। अच्छा।

सेवा का टर्न पंजाब ज़ोन का है:- आधा हाल तो पंजाब है। अच्छा है। पंजाब वालों ने पंजाब में सेवा का चांस लेकरके सेवास्थान और स्टूडेन्ट अच्छे बनाये हैं। पंजाब में एक विशेषता यह है कि सभी को सन्देश पहुंचाने में अच्छा पुरूषार्थ किया है और पंजाब के जो वी.आई.पीज हैं उन्हों को भी सम्बन्ध-सम्पर्क में लाया है इसलिए बापदादा पंजाब की सेवा में सेवाधारी बच्चों के ऊपर खुश है। हिम्मत, टीचर्स भी हिम्मत वाली हैं। संख्या भी टीचर्स की बहुत है। अभी पंजाब वारिस क्वालिटी लायेगा। ठीक है ना! एक्जैम्पुल आप लाना। पहला नम्बर आप ले लो। कोई सहयोगी को, जिनका आवाज अनेकों को उमंग दिलाये, ऐसे वारिस क्वालिटी तैयार करके बाप के सामने लाना। ला सकते हैं। ऐसी कोई बात नहीं है मुश्किल, सहज है। तो अब क्या करेंगे? वारिस लायेंगे ना! लायेंगे? निमित्त टीचर्स अच्छी हैं, कर सकती हैं। अभी नम्बर ले लेना। पहले पंजाब वारिस लाये, सब देखेंगे। अभी और भी सीजन है आगे तो इस वर्ष की सीज़न में कोई ऐसा लाओ जो पंजाब नम्बरवन हो जाए। कोई बड़ी बात नहीं, सिर्फ संकल्प करने की बात है। तो अच्छे हैं, स्टूडेन्ट भी अच्छे हैं। बापदादा ने देखा कि स्टूडेन्ट भी उमंग-उत्साह वाले हैं। जहाँ उमंग-उत्साह है वहाँ सफलता है ही है। तो बापदादा पंजाब के शेर कहते हैं ना। तो पंजाब के शेर बच्चों पर खुश है। अभी जाके प्लैन बनाना कि नम्बरवन पंजाब वारिस लावे, यह अभी मार्जिन है। अच्छा है। यह चांस जो मिलता है इसमें भी शक्ति भर जाती है। बापदादा को खुशी होती है एक ही ज़ोन आलराउण्ड सेवा के निमित्त बनता है। चांस भी मिलता है और भाग्य भी बनता है। अभी तक जो भी ज़ोन सेवा करते हैं, बापदादा ने देखा बहुत करके सन्तुष्ट करके ही जाते हैं। ठीक है? रिपोर्ट ठीक है ना! अच्छा है। बापदादा खुश है। अच्छा।

चार विंग्स की मीटिंग है-: (स्पार्क, मीडिया, स्पोर्ट, रिलीजस):- अच्छा यह चार ही विंग सर्विस के लिए बहुत मददगार हैं भी और आगे भी बन सकते हैं क्योंकि चार ही विंग्स अनेकों को कनेक्शन में ला सकते हैं। चाहे मीडिया है तो मीडिया अभी तो घर-घर में सन्देश पहुंचाने का प्लैन अच्छा बना रहे हैं। बापदादा खुश है कि एक दो सहयोगी बन कर रहे हैं, आगे बढ़ गये हैं, बढ़ भी रहे हैं। तो बापदादा अभी मीडिया द्वारा यही चाहते हैं कि सन्देश यह मिले कि अब समय प्रमाण हर एक आत्मा को अपने बाप से वर्सा लेने की प्रेरणा आवे। सुनते तो हैं लेकिन कितने वारिस निकले, मीडिया द्वारा कितने वारिस अभी तक भी निकले हैं, वह लिस्ट आनी चाहिए। बापदादा ने सुना है प्रभाव अच्छा है और स्टूडेन्ट बढ़ते भी हैं लेकिन लिस्ट निकालो, हर एक सेन्टर पर, हर एक ज़ोन में कितने मीडिया सेवा से निकले हैं। ऐसे ही जो भी वर्ग हैं वह अभी लिस्ट निकालो, कईयों ने आज लिस्ट दी भी है कनेक्शन में आने वालों की, वी.आई.पी. हैं वह लिस्ट दी भी है लेकिन उन्हों का संगठन करके उन्हों को उमंग उत्साह देके आगे बढ़ाओ। कनेक्शन में तो आते हैं लेकिन आगे के लिए ऐसा प्रोग्राम बनाओ जो वह भी समझे तो हमको आगे क्या करना है। सुना, लेकिन आगे बढ़ना है उसका स्पष्टीकरण थोड़ा सुनाओ। और लिस्ट निकालो कितने इस वर्ग के तरफ से एड होते हैं। होते हैं लेकिन पता नहीं पड़ता है। बाकी बापदादा सभी विंग्स को मुबारक दे रहे हैं क्योंकि हर एक विंग यह कोशिश करती है कि सेवा की वृद्धि हो और वृद्धि के प्लैन भी अच्छे बनाती है। चार ही वर्ग अपनी-अपनी सेवा अच्छी कर रहे हैं क्योंकि विंग्स अभी समझते हैं हम जिम्मेवार हैं। कोशिश भी अच्छी करते हैं विंग्स इसीलिए बापदादा खुश है और इसी रीति से जैसे अटेन्शन देकरके विंग्स के कार्य में लगे हुए हो ऐसे और भी आगे बढ़ते रहो, मुबारक बापदादा देते हैं। बढ़ रहे हैं बढ़ते रहो। चार ही विंग्स के लिए बापदादा कह रहे हैं। कोई भी विंग कमज़ोर नहीं है अपने हिसाब से आगे ही बढ़ रही है। बाकी बापदादा ने जो काम दिया है वह तो ध्यान पर होगा ही। कोई ऐसे समझदार वी.आई.पी. हर विंग से आते हैं उन्हें तैयार करो। ऐसे समझदार हिम्मत वाले का एक ग्रुप बनाओ जो वह भिन्न-भिन्न वर्ग वाले ग्रुप मिल करके एक-एक बात को स्पष्ट करे। यह काम जरूर करो। यह काम आगे वाले कर सकते हैं, हिम्मत दिला सकते हैं। अभी प्रैक्टिकल में आवाज निकले कि ब्रहमाकुमारियां क्या चाहती हैं। इस 75 वर्ष की सर्विस ने सभी को ब्रह्माकुमारीज़ का महत्व स्पष्ट किया है। आवश्यक है, कर सकती हैं, यहाँ तक आये हैं, सब वर्ग का सहयोग है। लेकिन परमात्मा आया है, ब्रह्माकुमारियों तक पहुंचे हैं। परमात्मा आ गया अभी यह समझ में आता भी है जिस समय सुनते हैं उस समय नशा चढ़ता है लेकिन मैदान में आवे वह हिम्मत अभी आ रही है। आयेगी। आनी तो है ही। अभी आने की हिम्मत आई है, कोई भी प्रोग्राम आप देखेंगे डल नहीं जाता है, सक्सेस जाता है, पहले नाम सुनके ही भागते थे ना। अभी समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियां कार्य अच्छा कर रही हैं और विधिपूर्वक करते हैं। इतना अटेन्शन गया है। बापदादा चार ही विंग के नाम भी देखे, जिन्होंने दिये हैं, कनेक्शन में तो अच्छे हैं लेकिन उन्हों को थोड़ा सामने लाओ। उन्हों का प्रोग्राम करो। प्लैन दो उन्हों को क्या कर सकते हैं हम। धरनी तैयार हुई है अभी फल निकलना है इसलिए बापदादा खुश हैं। मेहनत करते हो उस पर खुश हैं। तो चार ही विंग्स को मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा पुरूषार्थ कर रहे हो। अच्छा।

डबल विदेशी सभी मुख्य भाई बहिनें आये हैं:- डबल विदेशियों को टाइटल दिया है मधुबन का श्रृंगार हैं। मधुबन में रौनक कर देते हैं और फर्क भी अच्छा लाया है। बापदादा पुरूषार्थ और परिवर्तन दोनों ही देख करके खुश है। पहले व्हाई व्हाई करते थे, अभी वाह! वाह! करते हैं। चेंज अच्छी लाई है। अभी कोई बात में मुश्किल नहीं लगता। कोई भी बात, नियम, बापदादा का जो मुरली में डायरेक्शन जाता है वह करने में एवररेडी हैं और सहयोग भी अच्छा है। स्नेही है लेकिन सहयोगी भी अच्छे हैं। बापदादा रिकार्ड देखते हैं तो गुप्त सहयोगी भी अच्छे- अच्छे निकले हैं। तो दिल के भी बड़े हैं। छोटी दिल वाले नहीं हैं। तो बापदादा खुश है, सेवा भी चारों ओर की अच्छी चल रही है। बापदादा को दो चीज़ चाहिए, एक सेवा की वृद्धि हो और दूसरा निर्विघ्न हो। तो देखा इन दोनों बातों में अभी काफी फर्क आ गया है। और यह तो बापदादा को बहुत अच्छा लगता है कि मधुबन में सब निमित्त बने हुए इकठ्ठे हो जाते हैं। एक तो मधुबन का श्रृंगार बन जाते हैं दूसरा जो परिवर्तन किया है वह कहाँ न कहाँ से आते हैं तो पता भी पड़ता है, अनुभव सुनते भी हैं उससे भी प्रभाव पड़ता है कि जब विदेशी कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते हैं। उमंग आता है। अभी जो बापदादा चाहते हैं ज्वालामुखी योग हो, इसमें विदेशी नम्बरवन लो क्योंकि विदेशियों के संस्कार हैं जो लक्ष्य रखते हैं ना वह पूरा करते हैं। दो बातों में नम्बर लो - एक व्यर्थ समाप्ति और दूसरा सर्विस में निर्विघ्न। प्यार तो सारे परिवार का भी है। सिर्फ बापदादा का नहीं है लेकिन सारे परिवार का भी डबल विदेशियों से प्यार है। अभी दोनों बातों में विदेश नम्बरवन जाके दिखाये। जायेंगे। कोई बड़ी बात नहीं है। बापदादा चक्र भी लगाते हैं विदेश में। अमृतवेले भी चक्र लगाते हैं। इसमें अभी अनुभव स्वरूप बनके बैठना, इसमें और अटेन्शन क्योंकि अनुभव की अथॉरिटी बहुत बड़ी है। लक्ष्य अच्छा रखके बैठते हैं लेकिन उसका प्रभाव सुबह की ताकत का कर्मयोग में भी पड़े, सेन्टर के वायुमण्डल में भी पड़े, यह थोड़ा एडीशन चाहिए। बाकी बापदादा खुश है। हिम्मत नहीं छोड़ते हैं, हिम्मत रखते हैं और एक दो को भी हिम्मत देके चला रहे हैं और बाप भी मदद करते हैं। तो विदेश वाले नहीं लेकिन अपना जो देश है परमधाम, उसके अच्छे अनुभव करके बस समय को समीप करना है, इसमें पान का बीड़ा उठाओ। पहले हम करके दिखायेंगे। निमित्त बनके दिखायेंगे। अच्छा है। बापदादा खुश तो है, तो नहीं खुश है।

टीचर्स को देख करके खुश हो रहे हैं। हिम्मत रखके, हिम्मत रखाके आगे बढ़ाते हैं। और जो सभी विशेष टीचर्स इकठ्ठी होती हैं यह दृश्य बापदादा को बहुत अच्छा लगता है। सभी बातें स्पष्ट हो जाती हैं। उमंग-उत्साह भरके भी जाते हो और आपको देख करके यहाँ उमंग उत्साह आता है वह भी करते हैं। अच्छा है, एक-एक रत्न को बापदादा विशेष दिल का प्यार और साथ में प्यार के साथ में मन के उमंग-उत्साह की लहर भी दे रहे हैं। अच्छा।

सभी ने अपने लिए यादप्यार लिया कि सिर्फ वर्ग वाले या डबल विदेशियों ने लिया। सबको बापदादा देखता है, नज़र दौड़ाता है तो नज़र से यादप्यार देते हैं। अच्छा।

आज पहली बार आने वाले उठो। पहले बारी आये हो तो कमाल करो। क्या कमाल करो? पहले नम्बर का पुरूषार्थ करो। लास्ट से फास्ट और फर्स्ट होके दिखाओ। हो सकता है, कोई रत्न ऐसे भी निकलने हैं तो आप ही दिखाओ। बापदादा की मदद सभी को है। तीव्र पुरूषार्थ, आने से ही साधारण पुरूषार्थ नहीं, तीव्र पुरूषार्थ करो। करना ही है, बनना ही है। आगे जाना ही है। यह दृढ़ संकल्प रखो और ऐसे कोई एक्जैम्पुल निकलने भी हैं। बापदादा को खुशी है कि समय से पहले तो आ गये। वर्से के अधिकारी तो बन गये। अच्छा। बापदादा खुश है, आये, भले आये, आपका सीज़न था लेकिन अभी आगे से आगे जाके दिखाओ। हम पीछे आये हैं यह नहीं सोचो, आगे जा सकते हो। बापदादा की, ड्रामा की मदद मिलेगी। अच्छा है। देखो, कितने आते हैं। आधा क्लास तो पहले बारी का आता है। बापदादा को खुशी है कि बाप को पहचान तो लिया। वर्से के अधिकारी बन तो गये। अच्छा। सभी को बापदादा और सारे परिवार की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।

मोहिनी बहन से:- संगठन है ना उसमें थोड़ा उमंग आ जाता है। उमंग आने से थोड़ा जबरदस्ती भी कर लेती हो, वह थोड़ा नहीं करो। सम्भालो अपने को। बाकी मदद है, ऐसी कोई बात नहीं है। ठीक हो जायेंगी। अपनी तबियत को देख करके कदम उठाओ। निश्चिंत रहो।

दादी जानकी से:- बहुत अच्छा सभी को रिफ्रेश कर रही हो। करना ही है। (कराने वाला करा रहा है) वह तो है ही लेकिन आप कर रही हो, यह करना ही है। ठीक है। अच्छा पार्ट बजा रही है। (हंसा बहन से) यह भी अच्छा पार्ट बजा रही है, सभी खुश हैं।

परदादी से:- आप भी एक एक्जैम्पुल हो। आपको देख करके सबको ब्रह्मा बाप याद आ जाता है। ठीक है। तकलीफ तो नहीं है। ऐसे ही चलते चलो। ठीक है, ठीक रहेंगी।

रमेश भाई से:- अच्छा है लेकिन साथ में तबियत का भी ठीक रखो। टू मच में नहीं जाओ क्योंकि आगे बहुत काम करना है। सिर्फ स्टूडियो का काम नहीं है, और भी बहुत काम करने हैं इसीलिए तबियत का भी ध्यान रखो। (सोलार का काम चल रहा है) सोलार के लिए जैसे आप अखबार के लिए लेते हो, ऐसे इसके लिए नहीं ले सकते? जो बड़ी-बड़ी फर्म है, जैसे वह एडवरटाइज़ का लेते हो वैसे यह भी कई ऐसे कनेक्शन वाले हैं जिन्हों को पता ही नहीं है, उन्हों के पास जाके ले सकते हो क्योंकि यह सेवा है कोई खाने-पीने का तो काम नहीं है। कोई अपने खाने के लिए अपने रहने के लिए नहीं लेते, यह सेवा भाव है। तो यह करके देखो, जो परिचित हों।

निर्वैर भाई ने सुनाया कि किचन भी तैयार हो रहा है- हो जायेगा।

तीनों भाईयों से:- जिम्मेवारी समझके आपस में राय करके अगर कोई भी राय पर थोड़ा सा फर्क भी होता है तो एक-दो को स्पष्ट करके, मिलके एक राय करके इन्हों के (दादियों के) आगे रखो। यह जिम्मेवारी समझो।

मीटिंग में सेवा के लिए क्या लक्ष्य रखें:- सेवा के लिए अभी फर्क यह करो कि दूसरे आपको निमन्त्रण देवें। ऐसे कई लोग हैं जिनकी आप लोगों ने सेवा की है और वह कर सकते हैं। अभी यह समझो कि वह स्टेज देवे और आप जाके सेवा करो। अपनी स्टेज पर तो बहुत किया और रिजल्ट भी अच्छी है। अभी थोड़ा चेंज करके देखो।

(क्या घर घर में सन्देश पहुंचाने का साधन मीडिया ही है) वह तो मीडिया ही है। थोड़ा कायदेमुजीब हो, इतना जो टी. वी. का लिया है, उसमें इतना कर रहे हैं, उसका रिजल्ट क्या! (आधे नये भाई बहिनें टी.वी से ही आते हैं) अच्छा है वह सबको मालूम होना चाहिए। नहीं तो समझते हैं पता नहीं क्या हो रहा है। उसका समाचार थोड़ा होना चाहिए। वह रिजल्ट सबको पता पड़े। तो उमंग आयेगा ना। पता नहीं पड़ता है, चल रहे हैं, चल रहे हैं। (बृजमोहन भाई ने पूछा गीता के भगवान के लिए)- वह तो आपको काम दिया ना। पहले चार पांच जो विशेष हों, जिनका थोड़ा सा नाम हो, चार पांच को पहले इकठ्ठा करो, चार पांच निकल सकते हैं, उन्हों को तैयार करके उन्हों से मीटिंग करो कि आप क्या समझते हैं। हम जो चाहते हैं वह कैसे हो सकता है, उनको ही निमित्त बनाओ। चार पांच तो हैं अभी भी। तबियत का ध्यान रखो।

विदेश की बड़ी बहिनों से:- अच्छा है एक दो से उत्साह मिलता है, थोड़ा सा उन्हों के प्रति ध्यान देते हैं तो ठीक हो जाता है। चक्र लगाओ या लगवाओ। चक्र लगवाते रहो तो उन्हों को उमंग आयेगा और और आगे बढ़ेंगे। बाकी निर्विघ्न हैं यह समाचार अच्छा है। अभी इकठ्ठे भी होंगे, इकठ्ठे होंगे तो ऐसी-ऐसी जो खुशखबरी है ना वह सभी को सुनाओ। तो उन्हों को यह सुनाओ जैसे कहाँ के 8 सेन्टर हैं, वह सब अच्छे चल रहे हैं तो यह भी अच्छा है ना। हिम्मत है ना। यह समाचार सबको सुनाओ।

गायत्री ने फूल भेजे हैं, सारे परिवार ने याद भेजी है:- दो चार परिवार बहुत लकी हैं। जैसे वह (वजीहा बहन) बीमार है, लेकिन लास्ट आई है फास्ट जा रही है। ऐसे अच्छे निकले हैं। अच्छा है, आप सभी देखो इन्डियन ही हैं। सब इन्डिया के हैं। हेड तो आप ही हो ना।


19-02-12 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


 ‘‘घर का गेट खोलने के लिए बेहद की वैराग्य वृत्ति द्वारा देह-अभिमान के मैं का त्याग करो, बर्थ डे पर दृढ़ता द्वारा कहना और करना एक कर सफलतामूर्त बनो’’

आज बापदादा चारों ओर के बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं। चारों ओर से यही दिल का आवाज आ रहा है वाह बाबा वाह! और बाप की दिल से यही आवाज है वाह बच्चे वाह! आज सभी उमंग-उत्साह से दिव्य जन्म की खुशी मना रहे हैं। आज खुशी मना भी रहे हैं और साथ में बाप भी बच्चों की खुशी मना रहे हैं। आज का ही यह विचित्र जयन्ती का दिन है जो बाप और बच्चों का इकठ्ठा दिव्य जन्म का दिन है। तो आप सभी भी मुबारक दे भी रहे हो और ले भी रहे हो क्योंकि बाप ने जन्म लिया ही है यज्ञ रचने के लिए। तो यज्ञ में ब्राह्मण बच्चे ही चाहिए। तो यह एक ही जयन्ती है जो बाप और बच्चों की इकठ्ठी जयन्ती है इसीलिए इस शिव जयन्ती को हीरे तुल्य जयन्ती कहा जाता है। तो बाप देख रहे हैं कि एक-एक बच्चा कितने स्नेह से मुबारक देने आये हैं और बाप भी मुबारक देने आये हैं। यह जयन्ती अति स्नेह की जयन्ती है। स्नेही बच्चे, स्नेही बाप और स्नेही जयन्ती है।

बापदादा के पास चारों ओर के देश विदेश सब बच्चों का स्नेह पहुंच रहा है। बाप एक-एक स्नेही बच्चे को पदमगुणा स्नेह भरी मुबारक दे रहे हैं। यह स्नेह हर बच्चे को सहज कर्मयोगी बनाने वाला है। यह स्नेह सदा सहज बनाने वाला है। शक्तिशाली बनाने वाला है। बापदादा का अकेला जन्मदिन नहीं है क्योंकि बाप सदा ही बच्चों के साथ रहने वाले हैं। साथ रहेंगे, साथ चलेंगे, साथ राज्य करेंगे। आप सबका भी यही वायदा है ना! साथ रहना है, साथ उड़ना है और साथ राज्य करना है!

बापदादा को आज आपके भक्त भी विशेष याद आ रहे हैं क्योंकि आपके भक्तों ने जो आपने किया है वह कॉपी बहुत अच्छी की है क्योंकि द्वापर में परमधाम से पहले-पहले आये हैं तो पहला जन्म सदा सतोप्रधान होता है इसलिए उन्होंने कॉपी बहुत अच्छी की है। तो आज के दिन बच्चों के साथ आपके भक्त भी याद आ रहे हैं। वतन में तो आज अमृतवेले से बहुत बच्चों की रौनक थी। हर बच्चा समझता था कि मैं बापदादा को अपनी मुबारक दूं और बापदादा ने भी हर बच्चे की मुबारक अति स्नेह से स्वीकार की। तो वतन में आज यह मेला लगा हुआ था। एक तरफ आप बच्चे थे, दूसरी तरफ एडवांस में गये हुए आपके साथी साथ में आये हुए थे। बापदादा ने देखा कि आपकी दादियां और अनन्य भाई की लिस्ट बहुत बड़ी थी। एक-एक दादियाँ बापदादा को भी मुबारक दे रहे थे लेकिन साथ में आप सब भाग्यवान बच्चों को भी मुबारक दे रहे थे। तो वतन में आज मुबारकों का मेला था। सभी एडवांस पार्टी के विशेष दादियाँ और भाई आप विशेष निमित्त साथी रहने वाली आत्माओं को याद करते हुए बहुत दिल से मुबारक दे रहे थे। तो आप सबको बापदादा सबकी तरफ से भी मुबारकें दे रहे हैं। स्वीकार किया? सभी का विशेष बहिनें और भाईयों का एक ही आवाज था कि अभी घर का गेट कब खोलेंगे! तो विशेष दीदी दादी कह रही थी कि हमारी सखियों को, भाईयों को हमारे तरफ से यही कहना कि घर चलने के लिए कौन सी तारीख फिक्स की है? सब इकठ्ठे चलेंगे ना! अलग-अलग तो नहीं जायेंगे? दरवाजा खोलने के लिए सभी इकठ्ठे हाज़र हो जायेंगे। तो वह डेट मांग रहे थे। बापदादा मुस्कराये क्योंकि बाप भी चाहते हैं कि अभी गेट को खोलने के लिए सभी बच्चों को बेहद की वैराग्य वृत्ति चाहिए। यही चाबी है गेट खोलने की। बापदादा तो सदा कहते रहते हैं कि बेहद के वैरागी बन वेस्ट संकल्प और वेस्ट समय दोनों को मिलकर जल्दी से जल्दी त्याग करना अर्थात् बेहद के वैरागी बनना क्योंकि बापदादा ने देखा है कि सबसे बड़ा विघ्न देह अभिमान है। इस देह अभिमान को त्यागना चलते-फिरते देही अभिमानी बनना, यही बेहद का वैराग्य है।

तो सभी कहते तो हैं मेरा बाबा, मीठा बाबा, प्यारा बाबा। जब दिल से कहते हैं मेरा तो यह देह अभिमान जो मैंके रूप में आता है, बाप सदा कहते हैं कि यह मैंका भान जो आ जाता है, मैं जो करता हूँ, मैं जो कहता हूँ, वही ठीक है। एक मैं है कामन, मैं आत्मा हूँ और यह मेरा शरीर है। दूसरा महीन मैं, जो सुनाया मैंने यह किया, मैं यह कर सकता हूँ, मैं ही ठीक हूँ, यह महीन मैं इसको खत्म करना है। यह देह अभिमान इस रूप में आता है। तो आज बापदादा ने यह महीन मैं जो कभी बाप की विशेषता को भी मेरा मानकर मैंका भान रखते हैं, इसको समाप्त करना। देखो, यादगार जो बनाते हैं उसमें भी जब बलि चढ़ाते हैं तो खुद नहीं बलि चढ़ते हैं लेकिन किसको बलि चढ़ाते हैं? बकरे को। बकरे को क्यों ढूंढा? क्योंकि बकरा मे मे ही करता है। भक्तों ने कॉपी तो बहुत अच्छी की है। तो आज के दिन यह देह अभिमान का मैं क्या पुरूषार्थ करके समाप्त कर सकते हो? बर्थ डे पर आये हो बाप के, तो कोई सौगात तो देंगे ना! तो बाप को और सौगात नहीं चाहिए, यह महीन मैंपन, यही बाप कहते हैं आज के जन्मदिन पर बाप को सौगात दे दो। दे सकते हो? देना है? है हिम्मत? हिम्मत है? हाथ उठाओ। हाथ उठाके तो खुश कर दिया। तो हाथ उठाया, तो सौगात दे दी ना! दी हुई सौगात कोई वापस लेता है क्या? कई बच्चे कहते हैं बाबा हम चाहते नहीं हैं लेकिन आ जाती है। कारण क्या? कारण अगर पूछे तो जवाब बहुत अच्छा देते हैं। कहते हैं जानते भी हैं, मानते भी हैं लेकिन क्या करें वापस आ जाता है। सोचो! दी हुई चीज़ अगर आपके पास आ जाए तो क्या दी हुई चीज़ अपने पास रखेंगे? तो अगर आपने दिल से दी, अगर वापस आ भी जाती, तो रखेंगे अपने पास? कारण क्या है? बाप से प्यार है ना तो प्यार के कारण जो बाप कहते हैं वह करने चाहते हैं, यह बाप के पास भी रिजल्ट आती है लेकिन क्या है, दृढ़ता कम है, दृढ़ता को यूज़ करो। संकल्प करते हो लेकिन एक है संकल्प करना, दूसरा है दृढ़ संकल्प करना। तो बार-बार किये हुए संकल्प में दृढ़ता लाना, यह अटेन्शन कम है। दृढ़ता सफलता की चाबी है। तो आज क्या करेंगे? संकल्प करेंगे या दृढ़ संकल्प करेंगे? अगर आपका दृढ़ संकल्प है तो उसकी निशानी है दृढ़ता सफलता की चाबी है। तो चाबी लगाने में कोई कमी रह जाती है इसीलिए सम्पूर्ण सफलता नहीं मिलती है।

तो आज बापदादा बच्चों का भी बर्थ डे है, बाप का भी बर्थ डे है। तो यह तो विशेष दिन है ना! सारे कल्प में बाप बच्चों का एक समय जन्म यह इसी बर्थ डे की विशेषता है। तो आज के दिन बाप यही चाहते हैं कि हर बच्चा आज अपने दिल में दृढ़ता को लाके यह दृढ़ संकल्प करे कि हमें व्यर्थ संकल्प और व्यर्थ समय, क्योंकि अगर सारे दिन को अटेन्शन से चेक करो तो बीच-बीच में समय और संकल्प व्यर्थ जाता है। बापदादा तो सबका रजिस्टर देखते हैं ना! उसको बचाना अर्थात् समाप्ति का समय समीप लाना। तैयार हो? कि अभी भी कहेंगे आ जाते हैं क्या करें? व्यर्थ का काम है आना, आपका काम क्या है, बिठाना? तो बिठा देते हो तभी तो उसने भी घर बना दिया है। वह भी समझ गये हैं कि दृढ़ता नहीं है इसलिए आज के स्नेह के दिन सबके दिल में अभी क्या है? अमृतवेले से लेके आज दिल में बार-बार क्या आ रहा है? मेरा बाबा, मेरा बाबा, मेरा बाबा। बाप के दिल में भी है मेरे बच्चे, मेरे बच्चे, मेरे बच्चे..। तो जैसे मैजारिटी बाप की याद में रहे हैं। दिन का प्रभाव है, बापदादा ने नोट किया। स्नेह के दिन होने के कारण बार-बार सभी को मेरा बाबा, मेरा बाबा काफी समय याद रहा है। ऐसे है? इसमें हाथ उठाओ। आज के दिन की बात है। मेरा बाबा याद रहा? और कुछ याद रहा? नहीं। ऐसे ऐसे हाथ कर रहे हैं, बहुत अच्छा। तो अगर रोज़ बार-बार चेक करो संगम का हर दिन बाप के स्नेह का दिन है। जैसे आज विशेष दिन होने के कारण ज्यादा याद रहा ना! ऐसे सदा अमृतवेले यह स्मृति में रखो कि यह संगम का एक-एक दिन कितना महान है। एक छोटे से जन्म में 21 जन्म की प्राप्ति गैरन्टी है। तो एक-एक दिन का कितना महत्व हुआ! कहाँ 21 जन्म और कहाँ यह छोटा सा एक जन्म।

तो बापदादा आज आप बच्चों से बर्थ डे की यही सौगात चाहते हैं। देंगे सौगात? देंगे? हाथ उठाओ। दृढ़ निश्चय का हाथ। देखेंगे, करेंगे नहीं। करना ही है। कुछ भी हो जाए त्याग तो त्याग। यह त्याग नहीं लेकिन भाग्य है। तो आज का दिन अगर सही हाथ उठाया तो महत्व का दिन है ना! अभी से आपके चेहरे पर व्यर्थ की समाप्ति और सदा स्मृति स्वरूप की झलक चेहरे और चलन में आनी चाहिए। यह माया के जो शब्द हैं ना! क्या, क्यों, कब, कैसे... यह समाप्त हो जाएं तब चेहरा और चलन सेवा करेंगे। अभी ज्यादा प्रभाव भाषणों का है। बापदादा खुश है भाषण बहुत अच्छे कर रहे हैं लेकिन दिनप्रतिदिन अभी जैसे यह भाषणों द्वारा, वाणी द्वारा सेवा का उमंग अच्छा रखा और सफलता भी पाई। ऐसे ही अभी समय प्रमाण आपकी ज्यादा सेवा चेहरे और चलन से होगी। उसका अभ्यास, जैसे भाषणों का अभ्यास करते-करते होशियार हो गये हो ना! ऐसे अभी चेहरे और चलन से किसी को खुशी का वरदान दो, यह अभ्यास करो क्योंकि समय कम मिलेगा इसलिए समय और संकल्प का महत्व रखते हुए आगे बढ़ते जाओ। होना सब अचानक है इसलिए बर्थ डे तो याद रहता है ना! बर्थ डे आना है, आना है कितना समय याद आया? बापदादा आना है, आना है, मिलना है यह कितने समय से याद रखा? अब यह संकल्प करो, दृढ़ता से व्यर्थ समय और संकल्प को समाप्त करना है। मेरा बाबा, मेरा बाबा दिल में समाते, कहना अलग ची ज़ है लेकिन दिल में समाना, दिल की बात कभी भूलती नहीं है। मुख की बात भूल सकती है लेकिन दिल की बात अच्छी या व्यर्थ दोनों नहीं भूलती है। तो आज बापदादा को सौगात तो दी ना बाप को। दो-दो हाथ उठाओ। अरे वाह! यह फोटो निकालो। बापदादा सिर्फ हाथ को नहीं देखते, बापदादा आपके दिल को देख रहे हैं।

तो आज के दिन की सौगात अपने को भी दी और बाप को भी दी। अगर आपका व्यर्थ समय और संकल्प बच गया तो आपका दिन कैसे बीतेगा? सदा खुशनसीब और खुशनुमा बन जायेंगे। तो अभी संकल्प को अमृतवेले बापदादा से मिलन मनाने के बाद यह रोज़ स्मृति में लाना और सारे दिन में बीच-बीच में चेक करना। बापदादा टाइम फिक्स नहीं करते लेकिन आप अपना टाइम फिक्स करो। बीच-बीच में चेक करना तो जो बापदादा के आगे बर्थ डे पर वायदा किया वह वायदा निभा रहे हैं? यह अपने आपसे चेक करना। चाहते तो सभी हैं। बापदादा आज शक्लें देख रहे हैं कि चाहते हैं हाँ करेंगे, करेंगे, करेंगे लेकिन यह वेस्ट आ जाता है ना तो बाप से किया हुआ वायदा भी भुला देता है। तो वेस्ट खत्म। एक मिनट अभी भी एक मिनट पावरफुल आत्मा बन संकल्प करो वेस्ट को खत्म करना ही है। अच्छा।

बापदादा एक भी बच्चे को अपने समान बनाने के बिना रहने नहीं चाहता। प्यार है ना! देखो प्यार की निशानी आज का दिन है। बाप और बच्चे का सारे कल्प में ऐसा दिन नहीं होता जो बाप और बच्चे का जन्म ही एक दिन हो। बाप का एक-एक बच्चे से दिल का प्यार है कि मेरा बच्चा, परमात्मा का बच्चा, जो संकल्प करो वह संकल्प सफल हो। एक-एक संकल्प में शक्ति हो, कहना और करना एक हो। कहा अर्थात् हुआ। शुद्ध संकल्प हो। तो व्यर्थ स्वत: ही खत्म हो जायेगा क्योंकि एडवांस पार्टी डेट चाहती है। तो आपकी बड़ी-बड़ी दादियां हैं, बड़े-बड़े भाई हैं, प्यार तो है ना उन्हों से। कितना याद करते हैं? दादी को, दीदी को, चन्द्रमणि को। सभी के नाम लेते जाओ। सभी को याद करते हैं। तो वह जो चाहती हैं वह करके बताओ ना। तो आज का संकल्प क्या रहा? कहना और करना एक हो। ठीक है! तो आज चारों ओर के बच्चों को बापदादा बर्थ डे की सौगात यही दे रहे हैं ‘‘कहना और करना’’ एक करो। दृढ़ता की सौगात आज के दिन की बापदादा हर बच्चे को दे रहे हैं। शुभ कार्य दृढ़ता से सफल करो।

बाकी जो भी आज पहले बारी आये हैं, वह उठो। हाथ हिलाओ। बापदादा आने वाले बच्चों को आ गये, जान लिया मेरा बाबा, इसकी बहुत-बहुत मुबारक दे रहे हैं। बापदादा को खुशी है फिर भी हलचल जो होनी है उसके पहले पहुंच गये हो, इसकी मुबारक हो। अभी आने वाला हर बच्चा यह संकल्प करो दृढ़, साधारण संकल्प नहीं, दृढ़ संकल्प करो कि तीव्र पुरूषार्थी बनना ही है। तीव्र, साधारण नहीं। तो आने वाले अपने राज्य में आ जायेंगे इसलिए साधारण संकल्प का समय पूरा हुआ। अभी तीव्र पुरूषार्थ का समय है, चांस है, फिर भी चांस लेने वाले चांसलर तो बन गये। तो बापदादा हर बच्चे को देख खुश है और हर बच्चे को कह रहे हैं कि तीव्र पुरूषार्थ करेंगे तो साथ जायेंगे, साथ रहेंगे। तो मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।

सेवा का टर्न यू.पी. बनारस और पश्चिम नेपाल:- यू.पी. वाले आदि स्थापना से भाग्यवान हैं क्योंकि ब्रह्मा बाप और जगदम्बा जितना समय बच्चों से मिलने गये हैं, उतना औरों के पास सिवाए बाम्बे और दिल्ली के, नहीं गये हैं। तो लकी हैं जो ब्रह्मा बाप और जगदम्बा का पांव पड़ते बच्चों को स्नेह मिला है। डायरेक्ट ब्रह्मा बाप और जगदम्बा की पालना मिली है इसीलिए यू.पी. भाग्यवान है और बापदादा ने देखा कि सेवा की एक विशेषता है कि सेवाकेन्द्र भी अच्छे खोले हैं। कई कुमारियों को टीचर बनने का भाग्य मिला है इसलिए अनेक टीचर्स सेवा में लगी हुई हैं और साथ में आवाज भी फैलाया है। बाकी बापदादा जो अभी चाहता है वह तो जानते हो कि अभी बापदादा हर ज़ोन को यही कहता है कि अभी वारिस क्वालिटी बाप के सामने लाओ। अभी बापदादा सभी ज़ोन को कहते हैं हर एक ज़ोन में या हर एक सेन्टर में वारिस क्वालिटी कितने हैं वह बापदादा के पास हर ज़ोन, डबल विदेशी भी हर स्थान के वारिस बच्चों की लिस्ट देवे क्योंकि समय समीप आ रहा है इसलिए अभी सेवा की गति फास्ट करो। रेग्युलर स्टूडेन्ट तो बहुत हैं हर ज़ोन में लेकिन वारिस क्वालिटी अर्थात् तन-मन-धन से, सम्बन्ध-सम्पर्क से हर कार्य में सहयोगी हो। सिर्फ अपने सेन्टर के सहयोगी नहीं, लेकिन यज्ञ स्नेही वारिस हो। वारिस माना सेन्टर की सेवा में बहुत अच्छा है नहीं, वारिस का अर्थ ही है स्नेह सहयोग और सेवाधारी। ऐसे हर एक ज़ोन लिस्ट भेजना। आप लोग मधुबन वाले लिस्ट देखना, मंगाना। फिर बापदादा सुनायेंगे रिजल्ट वारिस किसको कहा जाता और वारिस को क्या-क्या करना होता है! बाकी यू.पी. वाले जो अपना टर्न बजाने आये हैं, तो इस टर्न का फायदा काफी उठाया है। हर ज़ोन उठाता है यू.पी. वालों ने भी अच्छा चांस लिया है। अनेक आत्माओं को चांस दिलाया है इसकी मुबारक हो, मुबारक हो।

बापदादा हर एक बच्चे को, जो भी उठे हो हर बच्चे को बर्थ डे की मुबारक दे रहे हैं और साथ में भविष्य में तीव्र पुरूषार्थी भव का वरदान दे रहे हैं। अच्छा।

95 देशों से 1300 डबल विदेशी आये हैं:- बहुत अच्छा मधुबन का श्रंगार मधुबन में पहुंच गया है। डबल विदेशियों का मधुबन से प्यार कितना है और मधुबन वालों का भी डबल फॉरेनर्स से प्यार है। डबल फॉरेनर्स मधुबन का श्रृंगार हैं। सभी ने अच्छी रीति से जो भी कांफ्रेंस प्रोग्राम करना था, वह आराम से किया। जगह थोड़ी कम मिली है, यह भी हो जायेगा आगे। बाकी डबल फारेनर्स को बापदादा यही वरदान दे रहे हैं कि जगत अम्बा के दो शब्द बाप का कहना और बच्चे का करना, यह सदा जगत अम्बा की सौगात याद रखना। बापदादा जानता है मुरली से प्यार सबका है, बाकी परिवार से भी प्यार है। बाप से तो है ही, अभी अपने में हर धारणा, हर सेवा में सफलतामूर्त एक-एक में यह दोनों ही विशेषता हो, जो बापदादा सेवा में आप लोगों का दृष्टान्त देकर औरों को भी उमंग में लाये। ऐसा पुरूषार्थ कर एक्जैम्पुल बनो। करने में दृढ़ संकल्प से सफलता के अधिकारी हो इसलिए एक्जैम्पुल बनो। तीव्र पुरूषार्थी बनने का एक्जैम्पुल बनो, साधारण तो सभी हैं लेकिन आप तीव्र पुरूषार्थ का सैम्पुल बनो। उम्मीदवार हैं। बापदादा ने देखा डबल विदेशियों में निज़ी संस्कार होता है कि जो सोचा वह करना ही है। तो अभी तीव्र पुरूषार्थी का ऐसे सैम्पुल बनो, जो बापदादा आपका दृष्टान्त देकरके औरों को भी उमंग-उल्हास में लाये। उम्मीदवार हो। जो संकल्प करो वह कर सकते हो इसलिए बापदादा आज के दिन की पदम पदम पदम मुबारक दे रहे हैं।

बापदादा सुनते हैं क्या-क्या करते हो? खुश होते हैं बापदादा और मधुबन के वायुमण्डल में पहुंच जाते हो इसकी भी मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।

(देश सम्भालने वाले, सेन्टर सम्भालने वालों की मीटिंग हुई और 150 पुराने 25 साल से समार्पित टीचर्स की सेरीमनी थी) सब डिपार्टमेंट ने जो कुछ फाइनल किया है मिल करके और दादियों के सहयोग से उसके लिए खुश है कि फैसला यथार्थ किया है और आगे बढ़ते चलेंगे। ओम् शान्ति। आपकी दादी ओम् शान्ति बहुत कराती है ना। अच्छा।

बापदादा हर बच्चे को देख चाहे पीछे बैठे हैं चाहे कोने में बैठे हैं, लेकिन एक-एक बच्चे को सदा तीव्र पुरूषार्थी बन औरों को भी तीव्र पुरूषार्थी अपने संग से भी बना सकते हैं। किसी भी आत्मा को कोई सहयोग चाहिए वह दिल से सहयोग दे तीव्र पुरूषार्थी बनाते चलो। हर बच्चा तीव्र पुरूषार्थी हो। नम्बरवार नहीं, तीव्र पुरूषार्थी। कम से कम अपने सम्पर्क में रहने वाले, आने वाले हर स्थान तीव्र पुरूषार्थी स्थान हो। यही संकल्प हर एक रखे और फिर बापदादा इसकी रिजल्ट देखेंगे। जहाँ सेन्टर वाले सब तीव्र पुरूषार्थी स्वरूप में है उनको बापदादा कोई-कोई नहीं, सभी साथी हो उनको एक गिफ्ट देंगे। हो सकता है ना! कि मुश्किल है? नहीं। कम से कम अपने स्थान को तो बना सकते हैं। अपने सेवाकेन्द्र को तो बना सकते हैं। ऐसा एक्जैम्पुल अभी बापदादा देखने चाहते हैं। जैसे मोहजीत की कहानी है ना, जिसे भी मिले मोहजीत। तो सुनने में अच्छी लगती है ना। ऐसे जिसे भी देखें तीव्र पुरूषार्थी ग्रुप। लक्ष्य रखो, लक्ष्य से लक्षण आ ही जायेंगे। हर एक सेन्टर सन्तुष्टमणियों का सेन्टर हो। अच्छा।

बापदादा दिल से चाहते हैं एक बच्चा भी पीछे नहीं रह जाए। साथ में चले। पीछे-पीछे आने वाले अच्छे नहीं लगते हैं। साथ हो, हाथ हो, चलना है ना घर में। रिटर्न जरनी है। उसके लिए जैसे ब्रह्मा बाप फरिश्ता है, ऐसे फॉलो फादर। साकार में होते फरिश्ता, जिसको भी देखो फरिश्ता ही फरिश्ता, तब गेट खुल जायेगा। अच्छा। सभी बच्चों को सदा खुशनसीब, खुशनुमा स्वरूप की यादप्यार।

दादियों से:- (मैं बाबा के साथ रहूंगी, सतयुग में नहीं जाऊंगी) ब्रह्मा बाप साथ में होगा ना। आपको प्रालब्ध जो पुरूषार्थ की है, उसका अनुभव करना है। तो शिव बाप ने ही यह टाइम रखा है।

आज कुवेत की वजीहा वतन में चली गई: परमात्मा की प्यारी थी ना तो सर्व की भी प्यारी थी। और सम्बन्धियों का भी लक है जो उन्हों का भी कनेक्शन जोड़ दिया। सफल करने और कराने में नम्बरवन रही है। अच्छा।

आज नीलू बच्ची को भी प्यार कर रहे हैं, क्यों? सम्भाल बहुत अच्छी कर रही है। है रथ की भी कमाल लेकिन साथ में इसकी भी कमाल है इसलिए आपको सबकी दुआयें मिलेंगी।

(गुल्जार दादी जी के लिए) बापदादा ने जिसको निमित्त बनाया है वह सदा निमित्त बनके कार्य कर रहे हैं, सभी आत्माओं को सुख शान्ति और शक्ति का अनुभव करा रहे हैं। इस आत्मा का भी ड्रामा में पार्ट है, विचित्र पार्ट है और दादी जो है हमेशा इस रथ को कहती थी कि रास्ते चलते फंस गई है। हर एक का पार्ट अपना-अपना अमूल्य है। मुबारक हो, मुबारक हो।

(बृजमोहन भाई आज इस टर्न में नहीं आये हैं, याद भेजी है) बाप की भी यादप्यार देना। उसको पदमगुणा मुबारक देना। (रमेश भाई ने कहा स्टूडियो का सामान आ गया है, कल रिकॉर्डिंग करेंगे) अच्छा हैं, धीरे-धीरे सब ठीक हो जायेगा। आप बेफिक्र होके करते चलो।

आज नये भण्डारे का महूर्त किया गया:- हो जायेगा, फिर भी सुख तो मिलेगा ना। (सभी मजदूर मिस्त्रियों ने भी बहुत मेहनत की है) उन्हों को यादप्यार देना। बापदादा देखते हैं, चक्र लगाते हैं, उनको टोली दिलाना। (ब्रह्मा भोजन बनाने वाले बड़ी मेहनत करते हैं) ब्रह्मा भोजन की वैसे ही महिमा है तो जो ब्रह्मा भोजन बनाने के निमित्त हैं वह तो विशेष आत्मायें हैं। कितना भी कोई भी कार्य है तो हाज़िर हो जाते हैं, इसकी बहुत बहुत मुबारक है, मुबारक है, मुबारक है।

(तीनों भाईयों को जन्म दिन की गिफ्ट) मुबारक यह है कि सदा समय पर एक दो को सहयोग दे करके कारोबार को ऐसे इज़ी चलाओ जो कोई भी मेहनत नहीं करनी पड़े और डिसकस कोई बात में नहीं करनी पड़े, सहज होता जाए। हो रहा है और थोड़ा अटेन्शन। सब मिलकर करते चलो। एक दो के विचार को रिगार्ड देते हुए फाइनल करते चलो क्योंकि विचारों में फर्क तो होता है लेकिन विचारों को मिलाना है, मिलाके सन्तुष्ट करना है और सन्तुष्टता फैलानी है।

हंसा बहन से:- जीवन दिया सेवा में, तो सेवा का मेवा नहीं मिला! मुबारक तो है तुमको। बापदादा का मिलना माना मुबारक देना। कहने की आवश्यकता ही नहीं है। आपको मुबारक सूक्ष्म में बहुत मिल रही है क्योंकि रथ को सम्भाल रही हो। यह भी (नीलू बहन) सम्भाल रही है, आप भी सम्भाल रही हो। तो वैल्यु है ना। और मुबारक रोज़ मिलती है। अमृतवेले रोज़ बापदादा मुबारक देते हैं। बहुत अच्छा कर रही हो।

बापदादा ने 76 वीं त्रिमूर्ति शिव जयन्ती के उपलक्ष्य में अपना झण्डा फहराया और सबको मुबारक दी

सभी दिल से विश्व सेवा प्रति झण्डा लहराने वाले बच्चों को बापदादा का बहुत-बहुत-बहुत-बहुत पदम पदम गुणा मुबारक हो, मुबारक हो। आपके तो दिल में शिव बाप बैठा है। दिलाराम है, हर एक के दिल का दिलाराम है और यही दिल के दिलाराम से सदा अमृतवेले मुबारक लेते रहना और चारों ओर मुबारक देते रहना। यह तो लोगों को सेवा के अर्थ जहाँ तहाँ झण्डा लहराते हैं तो उनके दिल में स्मृति आवे मेरा बाप कौन! पहचानते नहीं हैं ना! तो उन्हों को पहचान के लिए झण्डा लहराते हैं बाकी आपके तो दिल में स्वयं बाप बैठा है। इसका यादगार यहाँ आबू में ही दिलवाला मन्दिर है। तो सभी को पदम पदम पदम गुणा मुबारक है, मुबारक है, मुबारक है।


 

05-03-12 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


``अब चारों ओर दु:ख अशान्ति बढ़ रही है इसलिए अपने विश्व कल्याणी स्वरूप को प्रत्यक्ष करो, मन्सा सेवा बढ़ाओ, बाप के संग के रंग से डबल होली बनो’’

आज बापदादा हर बच्चे के भाग्य की रेखायें देख रहे हैं। मस्तक में चमकते हुए सितारे की रेखा, नयनों में स्नेह और शक्ति की रेखा, होठों में मुस्कान की रेखा, पांव में हर कदम में पदम की रेखा देख रहे हैं। आप सभी भी अपने भाग्य की रेखायें देख हर्षित होते हो ना! दिल में यही गाते वाह मेरा भाग्य! हर एक का मस्तक उस दिव्य सितारे से चमकता हुआ देख बापदादा भी खुश हो रहे हैं और यही दिल में गीत गाते वाह बच्चे वाह! बच्चों के दिल से क्या गीत सुन रहे हैं? वाह बाबा वाह! तो बच्चे भी वाह! बाप भी वाह! तो यह सारी सभा क्या हो गई? वाह! वाह! वाह! तो अपने भाग्य को देख सदा ऐसे ही हर्षित रहो जैसे अभी सब हर्षित हो रहे हैं। यह भाग्य अब संगमयुग में ही मिलता है। संगमयुग के हर घड़ी की बहुत बड़ी वैल्यु है। संगमयुग की एक घड़ी अविनाशी हो जाती है क्योंकि हर घड़ी का 21 जन्मों के साथ सम्बन्ध है। अब की एक घड़ी का सन्बन्ध 21 जन्मों के साथ है। तो चेक करो एक घड़ी अगर व्यर्थ गई तो एक जन्म की बात नहीं 21 जन्म के सम्बन्ध की बात है इसलिए बापदादा बच्चों को समय प्रति समय अटेन्शन खिंचवा रहे हैं कि संगमयुग की एक घड़ी को भी एक संकल्प को भी व्यर्थ नहीं गवाओ क्योंकि एक जन्म व्यर्थ नहीं गंवाया लेकिन 21 जन्म में व्यर्थ गंवाया। संगमयुग का महत्व हर समय याद रखो।

बापदादा ने व्यर्थ समय और व्यर्थ संकल्प का होमवर्क सभी को दिया था। तो सभी ने होमवर्क किया? जो समझते हैं हमारा अटेन्शन रहा और बहुत करके सफलता भी प्राप्त हुई, लक्ष्य का लक्षण तक परिणाम है, वह हाथ उठाना। अच्छा। पाण्डव उठा रहे हैं? बड़ा हाथ उठाओ। अभी सभी ने काम नहीं किया है। संगमयुग के महत्व को अगर सदा बुद्धि में याद रखो कि अविनाशी बाप द्वारा यह कार्य मिला है। हर घड़ी अविनाशी बनने की है क्योंकि अविनाशी बाप ने यह वरदान दिया है। तो सहज ही हो जायेगा।

बाप ने सुनाया कि हर एक ब्राह्मण बच्चे के कदम में पदम की रेखा है। सोचो कदम में पदम की रेखा तो कितने पदमों के लिए संगमयुग पर गोल्डन चांस है। हर एक को यह अपना भाग्य स्मृति में रखना है। कई बच्चे सोचते हैं कि बापदादा क्या चाहते हैं? बापदादा यही चाहते हैं कि एक-एक बच्चा डबल राजा बन जाये। अभी स्वराज्य अधिकारी और भविष्य में विश्व राज्य अधिकारी। कोई भी बच्चा डबल राजा बनने में कम नहीं हो। तो हर एक बच्चा डबल राज्य अधिकारी हो ना! कांध हिलाओ। तो हर बच्चा डबल राज्य अधिकारी है, कांध हिलाओ। तो बाप को कितनी खुशी होती है।

बापदादा हर बच्चे का रिकार्ड रोज़ देखते हैं। तो क्या देखते हैं? हर एक अपने दिल में तो जान गये होंगे। राज्य अधिकारी बने तो हैं लेकिन अभी जो स्वराज्य अधिकारी हो, स्वराज्य अधिकारी अर्थात् मन-बुद्धि संस्कार को अपने कन्ट्रोल में चलाने वाला। जब चाहे जैसे चाहे वैसे अधिकार में रहे। जैसे यह स्थूल कर्मेन्द्रियां हाथ हैं, पांव हैं अपने कन्ट्रोल में रहते हैं ऐसे मन बुद्धि संस्कार जब चाहे जैसे चाहे रूलिंग पावर और कन्ट्रोलिंग पावर हो। अभी देखने में नम्बरवार बहुत हैं। हैं यह भी मेरे। मन मैं नहीं है, मेरा है। संस्कार मेरे हैं। बुद्धि मेरी है। तो कन्ट्रोलिंग पावर रूलिंग पावर नम्बरवार है। बापदादा समय की सूचना भी समय प्रति समय देते रहे हैं, उस समय के अनुसार आप लोगों का एक-एक का स्वमान है विश्व कल्याणकारी। अब समय प्रमाण हर एक बच्चे को विश्व कल्याणी स्वरूप को प्रत्यक्ष करने का समय है। चारों ओर दु:ख अशान्ति बढ़ रही है। आपके भाई आपकी बहिनें, परिवार दु:खी हो रहे हैं तो आपको अपने परिवार पर रहम नहीं आता!

अभी बापदादा यही इशारा दे रहे हैं स्व पुरूषार्थ के साथ विश्व सेवा जैसे वाचा की सेवा वर्तमान समय अच्छी धूमधाम से कर रहे हो। बापदादा खुश है, यह 75 वर्ष की जुबली ने सभी के मन में मैजारिटी सेवा का उमंग लाया है। बापदादा देख करके खुश है लेकिन अभी मन्सा सेवा की भी आवश्यकता है क्योंकि सभी तरफ विश्व कल्याणकारी बनना है उसमें मन्सा वाचा और कर्मणा अर्थात् चलन और चेहरे से तीनों ही सेवा की अभी आवश्यकता है। रोज़ चेक करो तीनों सेवाओं में कितनी परसेन्ट सेवा की? वाचा में तो बापदादा ने भी सर्टीफिकेट दिया लेकिन अभी मन्सा सूक्ष्म वायबे्रशन्स द्वारा आत्माओं के दु:ख अशान्ति का सहारा बनना पड़े। क्या आपको तरस नहीं आता? बापदादा को तो बच्चों पर चाहे कैसे भी हैं लेकिन फिर भी बच्चे तो हैं ना, तरस आता है। तो अभी हर बच्चे को सिर्फ सेन्टर कल्याणी नहीं, ज़ोन कल्याणी नहीं विश्व कल्याणी बनना है। तो बापदादा अभी यही अटेन्शन दिला रहे हैं अपने भक्तों का कल्याणकारी बनो क्योंकि यह संगमयुग का बहुत बड़ा महत्व है। अभी संगमयुग में जो चाहे जितना चाहे उतना बाप से सहयोग मिल सकता है। तो सुना क्या करना है अभी? मन्सा सेवा को बढ़ाओ। अपने कार्य के प्रमाण जैसे ट्रैफिक कन्ट्रोल का टाइम फिक्स किया हुआ है ऐसे ही हर एक को मन्सा सेवा का भी टाइम फिक्स करना चाहिए। जब ज्यादा दु:ख होगा उस समय सभी का अटेन्शन उस हलचल में होगा लेकिन अभी मन्सा सेवा का समय है इसलिए हर बच्चे को अपने विश्व कल्याणी का स्वरूप इमर्ज करना है। विश्व कल्याण में स्व कल्याण स्वत: और सहज हो जायेगा क्योंकि अगर मन फ्री है तो व्यर्थ आता है लेकिन मन बिजी होगा तो व्यर्थ सहज ही समाप्त हो जायेगा। तो बापदादा जब चक्र लगाके चारों ओर देश विदेश के अज्ञानी बच्चों को देखते हैं तो तरस आता है इसलिए आप सब भी अब दु:ख हर्ता सुख कर्ता बनो।

आज तो सभी होली मनाने आये हैं। दुनिया वालों की होली और आपकी होली में कितना अन्तर है। लेकिन बापदादा ने पहले भी कहा कि आपके भक्त आप लोगों के किये हुए कार्य को कॉपी करने में होशियार हैं क्योंकि यह सब विधियां द्वापर में आने वाली आत्माओं ने बनाई हैं। तो पहला पहला जन्म था ना इसलिए उन्हों की बुद्धि भी जैसे नियम है पहले सतोप्रधान फिर रजो तमो में आते हैं, तो उस समय उन्हों की बुद्धि अपने हिसाब से सतो थी इसलिए आपकी एक-एक विशेषता को, आप सदा उत्साह में खुशी में रहते हो उसको उत्सव के रूप में मनाना शुरू किया है। जैसे शिवरात्रि पर भी बताया ना कॉपी करने में कितने होशियार हैं। ऐसे अभी भी आप सदा संगम पर उत्साह में रहते हो तो आपका उत्साह उन्होंने उत्सव के रूप में यादगार बनाया है। तो होली में क्या करते हैं? आपने भी अपने जीवन को रंगा है लेकिन आपका रंग कौन सा है? आप सभी का रंग है बाप के संग का रंग। तो सारा समय बाप के संग के रंग में रहते हो ना! तो उन्होंने भी रंग तो बनाया लेकिन बॉडी कान्सेस है ना! तो स्थूल रंग बना दिया है। लेकिन आप सभी सदा यह कल्याणकारी संगम में इस रंग में, संग के रंग में रहते हो ना! रंग लगाया है ना! संग का रंग लग गया और होली इंगलिश में पवित्रता को कहा जाता है। तो संग के रंग में आप होली अर्थात् पवित्र बनते हो। पवित्र बने हैं ना! पवित्रता का व्रत सभी ने लिया है ना पक्का! नम्बरवार भले हैं लेकिन ब्राह्मण बनना अर्थात् पवित्रता का व्रत लेना क्योंकि बाप सदा पवित्र है। है ही पवित्र स्वरूप। बनना नहीं पड़ता। स्वरूप ही पवित्रता है। तो होली की विशेषता जानते हो क्या है? पवित्र तो आप बनते हो लेकिन आप संग के रंग में डबल पवित्र बनते हो। पवित्र धर्म पितायें, महान आत्मायें बनते हैं लेकिन वह सिर्फ आत्मा को पवित्र बनाते हैं। शरीर और आत्मा दोनों ही पवित्र वह आप भविष्य में बनते हो। शुरू से लेके देखो द्वापर से जो भी आये हैं पवित्र बने हैं लेकिन डबल पवित्र कोई नहीं बना है। शरीर भी पवित्र आत्मा भी पवित्र। आप जब भविष्य में राज्य अधिकारी बनेंगे तो आत्मा और शरीर दोनों पवित्र होंगे। सारा चक्र घूमो। द्वापर से आये हैं, द्वापर से अब तक देखो, कोई डबल पवित्र बना है! तो क्यों आप डबल पवित्र, इतने महान बने हैं? क्योंकि आपको रंग कौनसा लगा है? परमात्मा के संग का रंग लगा है। तो जैसे परम आत्मा पवित्र है तो आप भी 21 जन्म डबल पवित्र रहते हो। चाहे धर्मपिता आये लेकिन वह भी डबल पवित्र नहीं। आपका भाग्य है क्योंकि आप रहते ही परमात्मा के संग में हो। संग का रंग इतना पक्का रहता है जो डबल पवित्र बन जाते हो। और होली का दूसरा अर्थ है हो ली। हो गया, जो बीता सो बीता। हो ली। तो हो ली करना आता है? जो हो चुका वह हो चुका। हो ली शब्द का अर्थ क्या निकलता? बीती सो बीती। इससे आप डबल होली 21 जन्म रहते हो। एक जन्म नहीं क्योंकि संगम के एक एक सेकण्ड का कनेक्शन 21 जन्मों का है। यहाँ आपने अगर एक सेकण्ड या एक मिनट सफल किया तो 21 जन्म आपका सफल रहेगा। गैरन्टी है। तो ऐसी होली मनाई है? होली करना आता है? जो बीता वह बीत गया, हो ली। और तीसरी रूप रेखा क्या करते हैं? पहले जलाते हैं फिर मनाते हैं। तो आपने क्या किया? योग अग्नि से अपने कमज़ोरियों को, संस्कारों को जो अनेक जन्मों के उल्टे संस्कार हैं उसको योग अग्नि से जलाया है ना! जलाया है कि अभी भी जला रहे हैं? जलाया है? जो समझते हैं हमने योग अग्नि से अपने पहले के संस्कार जलाया है, जल गये वह हाथ उठाओ। जल गये कि अभी भी आते हैं? थोड़ा-थोड़ा तो आते हैं? बापदादा के पास जब अपना चार्ट भेजते हैं ना तो कहते हैं बहुत तो चले गये, चतुर हैं ना कहने में। कहते हैं बहुत तो खत्म हो गये, कभी-कभी थोड़ा इमर्ज हो जाता है। लेकिन जलना माना जलना। जलने के बाद नाम निशान ही नहीं रहता। मारने के बाद शरीर का यादगार तो दिखाई देता है, लेकिन जलने के बाद समाप्त हो जाता है। जैसे रावण को भी देखो सिर्फ मारा नहीं जलाया भी। जो बिल्कुल नाम निशान खत्म। तो आप भी सब अपने को नोट करो संस्कारों को मारा है या जलाया है? भस्म किया है? पुराने संस्कार को अगर जलाया नहीं, तो बीच-बीच में इमर्ज हो जाते हैं। लेकिन भक्तों ने कॉपी सब की है। आप जलाते हो वह भी जलाते हैं फिर मनाते हैं। बिना जलाने के मनाते नहीं हैं। तो आप तो संस्कारों को जलाते हुए होली बन गये हो। कोई बन रहे हो, कोई बन गये हो। तो आपने होली मनाई? बाप के संग के रंग की। अभी संग में बैठे हो ना तो संग के रंग की होली मना ली ना! मनाई? हाथ उठाओ। मना ली। होली मनाना अर्थात् होली बनना, पवित्र बनना। जैसे बाप वैसे बच्चे हैं। अगर मानों आपका कोई संस्कार जो जला नहीं है, इमर्ज हो जाता है तो अच्छा लगता है? संकल्प आता है ना कि अभी तीव्र पुरूषार्थ से इसको जलाना ही है। मारना नहीं है, क्या है कोई-कोई संस्कार को मारा है, तो मरे हुए में कभी जान फिर से आ जाती है। अगर जला दो तो फिर कभी नहीं आयेगा।

तो आज जलाना है या मारा हुआ ही ठीक है? जलाने की शक्ति है? है शक्ति? संकल्प कर सकते हैं? कई कहते हैं बापदादा से रूहरिहान करते हैं ना। बहुत मीठी मीठी रूहरिहान करते हैं, कहते हैं बाबा हमने तो बहुत कोशिश की, फिर फिर आ जाता है। चाहता नहीं हूँ लेकिन आ जाता है। कारण पता है? जलाते हो, बापदादा देखते हैं, पुरूषार्थ बहुत करते हैं लेकिन पुरूषार्थ के साथ दृढ़ संकल्प की आवश्यकता है। दृढ़ता सफलता की चाबी है। जो दृढ़ संकल्प किया जाता है, दृढ़ का अर्थ ही है फिर वापस नहीं आयेगा। फिर पता है बहुत मीठी मीठी बातें करते हैं। जब फिर आ जाता है ना तो क्या कहते हैं? रूहरिहान तो सभी करते हैं ना! बहुत मीठी रूहरिहान करते हैं कहते हैं चाहते तो नहीं है, आ जाता है। तो शक्ति कम है ना! दृढ़ता कम है ना! दृढ़ संकल्पधारी बनो। करना ही है। और उस दृढ़ संकल्प को रोज़ चेक करो किस कारण से फिर दृढ़ता में कमज़ोरी आई? और उस सरकमस्टांश के ऊपर विशेष अटेन्शन देते रहो कि यह फिर से नहीं आवे। मास्टर सर्वशक्तिवान के सीट पर बैठके उस संकल्प को, संस्कार को समाप्त करो। कई बच्चे कहते हैं कि हम कई बार अनुभव करते हैं कि कभी-कभी जब कोई शक्ति चाहते हैं ना तो उस समय पर वो शक्ति नहीं आती। वैसे शक्ति है लेकिन समय पर कभी शक्ति को इमर्ज करते हैं ना तो भी नहीं आती। है मास्टर सर्वशक्तिमान। टाइटिल क्या है आपका? मास्टर सर्वशक्तिमान और कहते क्या हैं? शक्ति समय पर नहीं आती। कारण? अपने मास्टर सर्वशक्तिमान की सीट पर सेट नहीं होते। अभी दफ्तर में भी जाओ तो जो करने वाले को अथॉरिटी होगी वह आर्डर करेगा तो मानते हैं ना। ऐसा दूसरा कोई कहे तो मानेंगे क्या? तो आपकी सीट है मास्टर सर्वशक्तिमान। उस सीट पर सेट नहीं होते तो आवाह््न करते भी शक्ति समय पर नहीं आती। इसके लिए बापदादा ने बार-बार कहा है अपने मन को बिजी रखो। कभी किस शक्ति को सारे दिन में इमर्ज रखो। कभी किसी शक्ति को इमर्ज करके देखो कि उसकी ताकत क्या है? ऐसे अनुभव करते रहेंगे, अपनी सीट पर सेट रहेंगे तो शक्ति आपके आगे सदा जी हाजिर होगी। आपकी शक्ति है ना! तो होली मनाई? आप तो सदा होली मनाते रहते। सदा बाप के संग का रंग लगाते ही रहते। रंग में रंगे हुए हैं ना? अच्छा।

बापदादा का जो कार्य मिला है, उस कार्य को अगर कोई ने अभी तक नहीं भी किया है तो बापदादा विशेष एक सप्ताह देते हैं एकस्ट्रा। जो डेट है वह तो है लेकिन एक सप्ताह एकस्ट्रा देते हैं कि इस होमवर्क को पूरा करना ही है। हो सकता है? हो सकता है? हाथ उठाओ। करना पड़ेगा हाथ उठाया। हाथ ऐसा अच्छा उठाते हो जो बापदादा खुश हो जाता है लेकिन करना ही है क्योंकि अभी समय की गति को देख रहे हो। और बापदादा तो बहुत समय से अचानक की वारानिंग दे रहे हैं इसलिए अभी बापदादा हर बच्चे को एक स्वमान देते हैं - हर बच्चा दृढ़ संकल्पधारी विशेष आत्मा बनो। संकल्प किया और हुआ, इसको कहा जाता है दृढ़ संकल्प। कहते हैं दृढ़ संकल्प किया लेकिन दृढ़ता माना ही सफलता। अगर सफलता नहीं है तो दृढ़ता नहीं कहेंगे। तो अभी दृढ़ता भव! यह अपना विशेष स्वमान रोज़ अमृतवेले स्मृति में लाना और उस विधि पूर्वक आगे बढ़ना। अभी दो टर्न हैं, इन दो टर्न में क्या करेंगे? क्या करेंगे? बोलो। पहली लाइन बोलो क्या करेंगे? करना ही है। करेंगे नहीं, करना ही है। बहुतकाल का बाप समान बनना, बहुत समय की प्राप्ति है। संगमयुग का समय बहुत प्यारा है, एक सेकण्ड नहीं है एक सेकण्ड एक वर्ष की प्राप्ति समान है इसलिए बापदादा कहते ही रहते हैं एक सेकण्ड भी व्यर्थ नहीं जाये। एक संकल्प भी व्यर्थ नहीं जाये। समर्थ बनो और समर्थ बनाओ। ठीक है ना! ठीक है टीचर्स। टीचर्स कांध हिला रही हैं।

बापदादा का टीचर्स के ऊपर बहुत प्यार है। है तो सभी बच्चों के ऊपर फिर भी टीचर्स जिम्मेवार हैं ना! बापदादा की दिल को पूर्ण करने वाली कौन? कौन? कहो हम टीचर्स। हाथ उठाओ। हाँ देखो कितनी टीचर्स हैं? अरे वाह! अच्छा। होली भी मनाई अभी क्या करना है?

सेवा का टर्न राजस्थान का है:- छोटा नहीं है, बड़ा है राजस्थान। आप कहो राजस्थान तो आबू का कमरा है। तो आबू बड़ा है ना उसका कमरा है तो बड़ा ही होगा ना। बापदादा राजस्थान पर खुश है क्योंकि राजस्थान में बचपन से जो वहाँ निकली वह अभी तक अमर हैं। सेवा में अमर हैं। शरीर में नहीं, सेवा में। और राजस्थान ने पहले-पहले आदि में वारिस क्वालिटी निकाली। जो बापदादा को उन वारिस क्वालिटी का दृष्टान्त देने में सहज था और जैसे गुजरात नजदीक है, ऐसे राजस्थान तो आबू का बड़ा कमरा है। जब भी बुलायें तो क्या कहेंगे? हाज़िर। जी हाँ हाज़िर। बापदादा हर ज़ोन की विशेषता देख रहे हैं और यह जो सिस्टम बनाई है वह बहुत अच्छी बनाई है। किसने बनाई? मुन्नी ने। (दादी जी ने बनाई) दादी तो थी ही दादी। लेकिन जो भी महारथी गये हैं उनकी विशेषता यह है अमृतवेले हाज़िर हो जाते हैं। अमृतवेले का मिलन छोड़ा नहीं है। जैसे यहाँ भी नियम में चलके चलाया। कहने से नहीं, चलके चलाया, ऐसे ही सभी को उमंग उत्साह में लाया। तो यह सिस्टम भी बहुत अच्छी है। आप सबको पसन्द है ना। चांस है। अभी देखो पहले बारी जो आये हैं राजस्थान से, वह हाथ उठाओ। जो पहले बारी मधुबन में आये हैं राजस्थान के, वह हाथ उठाओ। अच्छा चांस है। इतनी संख्या राजस्थान की, वैसे तो आपको लिस्ट अनुसार आना होता है लेकिन अभी फ्रीडम है, सेवाधारियों को चांस मिलता है इसलिए बापदादा दादी को मुबारक दे, या आप सबको मुबारक दे। दादी ने बनाया आप लोग प्रैक्टिकल में आ रहे हैं इसके लिए आपको भी मुबारक। अच्छा।

अभी राजस्थान एक कमाल करना। नम्बर पहले वारिस क्वालिटी बाबा के सामने लाना। बापदादा ने देखा कि सभी वर्गों ने अपने-अपने सम्पर्क वालों की मैजारिटी लिस्ट दी है। लेकिन सहयोगी तो हैं अब आगे क्या करेंगे? सहयोगियों को यज्ञ स्नेही बनाओ। जब यज्ञ स्नेही बनेंगे तो हर कार्य में सभी सहयोगी बनेंगे। लिस्ट बड़ी अच्छी-अच्छी लिखी है। मैजारिटी समय प्रति समय लिस्ट देते रहे हैं। मैजारिटी लिस्ट अच्छी है अभी भी दो चार वर्ग की लिस्ट आई है आज भी। लेकिन अब स्नेही बनाओ अर्थात् हम यज्ञ के ही हैं ऐसे पक्के निश्चयबुद्धि बनाओ। सहयोगी हैं उसमें तो कहेंगे हम हैं ही सहयोगी, लेकिन स्नेही जो भी यज्ञ के नियम कार्य हैं उसमें स्नेही बनेंगे। वर्ग वालों ने कार्य अच्छा किया है। बापदादा ने वर्ग वालों को भी मुबारक दी है। राजस्थान माना राजा बनके राजा बनाने वाले। प्रजा नहीं राजा बनाने वाले। राजस्थान है ना, तो कमाल करेगा ना राजस्थान।

दो विंग्स आई हैं - मेडिकल विंग और ट्रांसपोर्ट विंग:- मुबारक हो। बापदादा ने देखा जो भी वर्ग बनी हैं वह अपने अपने क्षेत्र में कार्य अच्छा कर रही हैं। अभी दोनों विंग ने भी अपनी लिस्ट भेजी है। बापदादा ने देखी और मुबारक देरहे हैं कि अच्छे-अच्छे सम्बन्ध-सम्पर्क में आये हैं। लेकिन बापदादा ने समय के प्रमाण आज यह भी कहा कि सहयोगी है लेकिन अब यज्ञ स्नेही बनाओ। वारिस क्वालिटी बनाओ। जो भी सहयोगी हैं उन्हों को अपने ज़ोन में, बापदादा ने पहले भी कहा है लिस्ट तो आई है अच्छा है लेकिन हर एक ज़ोन एक-एक वर्ग को अपने भिन्न-भिन्न स्थान के सहयोगी या स्नेही आत्माओं को इकठ्ठा करो। तीन दिन का उनको सम्पर्क में लाओ, रहें, मीटिंग करें और आगे के प्रोग्राम बनायें। तो हर ज़ोन जहाँ भी उनके हैं, सभी ज़ोन से कोई बड़े स्थान पर जहाँ भी ज़ोन में हो, सहयोगियों को इकठ्ठा करके उनकी मीटिंग करो और उन्हों को विशेष एक बल भरो और आगे बढ़ने का। जो अब तक किया उसकी मुबारक दो और आगे बढ़ने का प्लैन बनाके दो क्योंकि उन्हों को भी आगे बढ़ने की विधि सुनानी पड़ेगी। तो सभी ज़ोन मिलके एक-एक वर्ग का जहाँ विशेष स्थान है वहाँ इकठ्ठा करो। फिर देखेंगे उस संगठन में कितने आते हैं, क्या आगे चाहते हैं? ऐसे सम्पर्क में लायेंगे तो वारिस बन जायेंगे। बाकी इन दोनों वर्ग जो खड़े हुए हैं उनकी भी बापदादा ने भी रिजल्ट देखी, अच्छी है इसलिए बापदादा दोनों ही वर्गों को मुबारक दे रहे हैं।

बापदादा ने पहले भी कहा है अब समय नाजुक आया कि आया इसलिए अभी कम से कम सम्पर्क वालों को यज्ञ स्नेही तो बनाओ। डाक्टर्स का भी समाचार सुना। अच्छा कर रहे हैं। लेकिन अभी डाक्टर्स और भी अपने डाक्टर्स की संख्या को स्नेही सहयोगी बनाते जाओ। प्लैन अच्छा बनाया है, बापदादा ने सुना है। उससे वृद्धि हो सकती है। नाम फैल सकता है और दूसरी विंग वाले भी अच्छा चारों ओर जो वी.आई.पी निकाले हैं उससे सिद्ध होता है कि कनेक्शन अच्छे रखे हैं। अब कनेक्शन वालों को सम्बन्ध में लाओ। रह नहीं जावे। समय समाप्ति का आवे और सहयोगी के सहयोगी रह जाये, इसलिए अब सम्बन्ध में लाओ। समीप सम्बन्ध में लाओ। बापदादा ने देखा कि जब से वर्ग बने हैं, तब से सेवा चारों ओर फैली अच्छी है। साधन अच्छा बनाते हैं लेकिन बापदादा सभी ज़ोन को भी कहते हैं अभी वारिस बनाने की विधि को थोड़ा और तीव्र करो। नहीं तो उल्हना मिलेगा। हम सहयोगी रह गये। आप प्लैन जरूर बनाओ फिर जिसका जो भाग्य होगा। और निकल सकते हैं बापदादा ने लिस्ट देखी सभी अपने-अपने समय पर लिस्ट देते हैं तो लिस्ट अनुसार समीप हैं, इनमें से निकल सकते हैं। अभी यह कोशिश करो। अच्छा।

(मेडिकल विंग सिल्वर जुबिली मना रही है, उसमें 8 ग्रुप सेवा के बनाये हैं) अच्छा है बनाया है। आगे बढ़ते चलो। अच्छा।

डबल विदेशी 1000 आये हैं, 65 देशों से:- सभी देखो, आपको देख करके सब कितने खुश हो रहे हैं। बाप ने कहाँ-कहाँ से 65 देशों से ढूंढकर निकाला है। आप सबको भी खुशी और नशा है ना तो हमको बाप ने ढूंढ लिया। और बापदादा ने देखा इस बारी सभी ने मिलके जो निमित्त बने हैं, उन सबने बहुत बहुत बहुत अच्छी निमित्त बनने की सेवा की है। बापदादा एक-एक का नाम नहीं लेते लेकिन जो भी निमित्त बनें उन्होंने सेवा में सफलता सबके दिलों में ऐसा उमंग दिलाया है जो अपने स्थान में जाके अपने स्थान को भी ऐसे ही रिफ़्रेश करेंगे। तो जो सेवा के निमित्त बनें उनको बापदादा बहुत बहुत मुबारक दे रहे हैं। सिस्टम भी अच्छी बनाई है और जनक बच्ची ने तो सभी को दिल में उमंग और उत्साह एकस्ट्रा भर लिया। हर एक का चेहरा दिखाई दे रहा है कि जो शक्ति इकट्ठी की वह चेहरे पर आ रही है। सबके चेहरे खुशनुमा दिखाई दे रहे हैं और अभी जो भारत और विदेश मिलके सेवा की है, उसकी रिजल्ट भी अच्छी है। भारत वाले विदेशियों को प्रेरणा देंगे और विदेश वाले भारत को प्रेरणा देंगे। मिलके करने से अपने में भी उमंग आता है और सुनने वालों में भी उमंग आता है वि्ा विदेश वाले इतना कर रहे हैं, हम भारत में होते भी नहीं कर रहे हैं। फील करते हैं और भारत वाले विदेश में जाते तो वह भी फील करते हैं कि हम यहाँ रहते अपना नहीं बनाया, उमंग में आकरके आगे बढ़ते, बापदादा को यह जो प्लैन बनाया है, तीन चार प्रोग्राम मिलके बनाये हैं, बड़े-बड़े प्रोग्राम उसमें बापदादा ने देखा वायुमण्डल में फर्क पड़ता है क्योंकि सब प्रकार की आते हैं ना। क्रिश्चियन भी मुस्लिम भी, जो भी भिन्न भिन्न धर्म के हैं वह सब प्रकार के इकट्ठे देखते हैं तो समझते हैं कि सचमुच विश्व एक हो सकता है इसलिए आपकी ट्रेनिंग बापदादा को अच्छी लगी। मेहनत वालों को बापदादा खास मुबारक दे रहा है। अभी विदेश वाले भी वारिस क्वालिटी लाना क्योंकि समय अचानक का है। तो जितने भी आत्माओं का कल्याण कर सको, जितना कर सको उतना करते जाओ फिर समय नहीं मिलेगा। अभी समय है, कम से कम बाप का घर तो देख लें। बाप का परिचय तो ले लें। तरस आता है ना! तो बहुत अच्छा कर भी रहे हैं लेकिन बापदादा को अभी एक बात याद आ रही है कि शुरू-शुरू में भारत के अन्दर कोई वी.आई.पी लाते थे तो अखबारों में नाम पड़ता था और अखबार वाले इन्ट्रेस्ट से आते थे। गवर्मेन्ट को देखना पड़ता है वी.आई.पी को, तो गवर्मेन्ट भी प्रभावित होती है, अभी वह नहीं किया है। आप आये हो उसकी तो मुबारक। प्रोग्रम में साथी बनते हैं, यह बापदादा अच्छा मानते हैं। अब उन्हों को भी लाओ तो गवर्मेन्ट के थोड़े कान खुलें। जैसे अभी देखते हैं कि यह जो 75 वर्ष की जुबली है, इस जुबली ने भारत वालों को अच्छा जगाया है। पहले जो समझते थे ब्रह्माकुमारियां पता नहीं क्या करती हैं, अभी उन्हों के मुख से निकला है कि कमाल है ब्रह्माकुमारियों के 75 वर्ष। और दूसरी कमाल है कि यहाँ बहिनें ही निमित्त बनी हैं और बहनों ने इतना कार्य किया है, तो उन्हों को यह आश्चर्य लगता है और अभी नजदीक आने की दिल होती है। मिलें, सुनें और आपके मुख्य जो सबजेक्ट हैं, आप आत्मा हो, वह इस जुबिली के कारण सब तरफ समझते हैं कि आत्मा समझने से यह एकमत हो सकते हैं। तो जैसे इस जुबिली ने कमाल की है ना, ऐसे और करते जाओ और सभी को सन्देश पहुंचाने के लिए भी जो टी.वी. और रेडियो ने सहयोग किया है, उसको भी बापदादा मुबारक दे रहे हैं। जो घर बैठे सब देखते हैं, वैसे तो कई बहाना देते थे, चाहते हैं लेकिन टाइम नहीं है, अभी घर बैठे भी देखने से धीरे-धीरे जागते जाते हैं। तो जो भी कर रहे हो वह अच्छा हो रहा है और होता रहेगा। उसकी मुबारक हो।

बापदादा ने देखा है कि अभी सेवा का उमंग भी सभी में जाग रहा है, हम भी करें, हम भी करें। यह उमंग आया है। जब उमंग आ गया ना तो जहाँ उमंग है, उत्साह है वहाँ सफलता है ही है इसलिए जो आप सम्मुख हो उन्हों को और जो दूर बैठे देख रहे हैं, सुन रहे हैं, उन सभी चारों ओर के बच्चों को बापदादा बहुत-बहुत दिल का प्यार और साथ में दिल में सदा रहने की मुबारक दे रहे हैं।

अभी दिल लग गई है, यहाँ आबू में रहने की दिल लग गई है! अच्छा है। विदेशियों को देखके तो परिवार भी खुश होता है। और 65 देशों से देखो किसमें आये हो? प्यार के विमान में आये हो ना।

पहली बार बहुत आये हैं:- पहली बार आने वालों को डबल मुबारक दे रहे हैं, क्यों? क्यों डबल मुबारक दे रहे हैं? क्योंकि समय के हाहाकार के पहले अपना भाग्य बना दिया। अहो प्रभु, अहो प्रभु कहने के बजाए मेरा बाबा तो कहा इसलिए बापदादा आने वालों को देख खुश है। बच्चे आ गये, आ गये, आ गये। देखो आधा क्लास तो पहले बारी का है। अभी तीव्र पुरूषार्थ करना पड़ेगा। पुरूषार्थी नहीं बनना तीव्र पुरूषार्थी बनना। अभी भी अगर तीव्र पुरूषार्थ किया तो तीव्र पुरूषार्थ से आगे बढ़ सकते हो। मार्जिन तीव्र पुरूषार्थ की है। साधारण पुरूषार्थ का टाइम गया और बापदादा हर एक आने वाले बच्चों को चक्र लगाते देखते हैं, कि बच्चे आगे बढ़ रहे हैं या ढीले आगे बढ़ रहे हैं। बापदादा चक्र चारों ओर लगाते हैं। आप तो चारों ओर नहीं जा सकते लेकिन बापदादा तो रोज़ चक्र लगाते हैं। बाबा के साथ जो आपके एडवांस पार्टी के विशेष गये हैं ना वह भी बापदादा के साथ चक्र पर निकलते हैं। आप लोगों को देख करके खुश होते हैं हमारे भाई, हमारी बहन आ गये, आ गये इसलिए आगे बढ़ते चलो, सारे परिवार की आपको मुबारक है। अच्छा।

आज मधुबन वालों को विशेष बापदादा एक बात की मुबारक दे रहे हैं। कौन सी बात? सभी ने अभी तक सेवा बहुत अच्छी प्यार से की है। कितना भी बड़ा परिवार आया लेकिन सेवा में निमित्त तो मधुबन वाले बनते हैं। चाहे हर ज़ोन सहयोगी बनते हैं लेकिन फिर भी जो परमानेंट रहते हैं उनके सहयोग के बिना तो नहीं कर सकते। इसलिए एक-एक मधुबन वासी सिर्फ नीचे वाले नहीं, ऊपर वाले भी, हॉस्पिटल भी, जिन्होंने भी सहयोग दिया है, और अथक बनके सहयोग दे रहे हैं, इसीलिए एक-एक बच्चा अपने नाम से बापदादा का यादप्यार स्वीकार करना। अच्छा। जो मधुबन वाले हैं वह उठो, जो भी बैठे हैं यहाँ। तो खास मुबारक हो। अच्छा।

चारों ओर के होलीएस्ट बच्चों को जो हर कदम में मेरा बाबा मेरा बाबा कहते हुए उड़ रहे हैं, और सदा अपने तीव्र पुरूषार्थ द्वारा आगे बढ़ रहे हैं और बढ़ाते रहते हैं ऐसे बापदादा के दिल के नूरे रत्न को बापदादा बहुत बहुत बहुत बहुत दिल का प्यार दे रहे हैं। साथ में होली की मुबारक भी दे रहे हैं क्योंकि वास्तव में आप ही होली हो और कोई डबल होली तो बनते नहीं। आप ही डबल होली बनते हो इसीलिए पदमगुणा मुबारक हो, मुबारक हो।

दादी जानकी से:- परिवार से दिल का प्यार अच्छा है। सभी खुश होते हैं। जो दिल से करते हैं ना तो खुशी होती है। अथक बनके कर रही हो, ऐसे ही चलते चलो। बापदादा तो हर बच्चे को सकाश देता है। हर बच्चे को चला रहा है और बच्चे जो बापदादा चला रहे हैं, उनका रेसपान्स भी देते हैं। अच्छा देते हैं।

मोहिनी बहन:- ठीक है, चलाने तो आ गया है। तबियत में अभी ताकत नहीं है तो थोड़ा-थोड़ा जैसे आप चला रही हो वह अच्छा चला रही हो, ऐसे चल जायेगा। ऐसे नहीं समझो नहीं चलेगा, चलेगा। लेकिन आपको तरीका आ गया है, इस पर बापदादा खुश है। (सेवा का प्रोग्राम बना, मैं जा नहीं सकी) क्योंकि पहले भी आना जाना किया। कोई भी प्रोग्राम बनाओ भले लेकिन थोड़ा समय रेस्ट करके फिर बनाओ। अभी समझ गई हो ना। सेवा करेंगी, ऐसी कोई बात नहीं है, जब जाना हो तो उसके 15 दिन पहले रेस्ट करो। जाना है, लेकिन अपने को तैयार करो, एकस्ट्रा कुछ नहीं करो। जैसे डायरेक्शन है उसी अनुसार चलो। ठीक करेंगी, निकलेंगी।

नीलू बहन भी हॉस्पिटल की यात्रा करेंगी:- हिम्मत रखी है और शक्ति भी है। है ना शक्ति। बापदादा ने दी है और आपने जमा की है। उस शक्ति से कोई बड़ी बात नहीं है। ऐसे ही लगेगा कुछ हुआ नहीं, कोई तकलीफ नहीं। सेवा का मेवा तो मिलेगा ना। अच्छा है।

परदादी से:- यह तो वाह! वाह! है ना। देखो अभी इसका फोटो निकालो, बीमार लगती है? बर्थ डे की मुबारक हो। यह कमाल है कि इनका चेहरा सदा ऐसे लगता है जैसे कुछ है नहीं। शक्ल सुहानी है। कहती है ना डबल बाप है, तो डबल वरदान है।

निर्वेर भाई और तीनों भाईयों से:- (कटक वालों की याद दी) सबको यादप्यार देना। सबको उमंग है, अच्छा है। आवाज तो फैलता है ना। (पुरी के महाराजा भी मधुबन आना चाहते हैं) अभी आयेंगे, बहुत आयेंगे।

आप तीनों मिलके राय करते हो? राय करना फिर दादियों को सुनाओ, पहले आपस में राय करो। यह अच्छा करते हो, जैसे आज किया है ना। ऐसे राय निकालके फिर इन्हों को साथ में सुनाओ। अच्छा करते हो।

रमेश भाई से:- तबियत ठीक है ना। तबियत की सम्भाल करना। हल्का नहीं छोड़ो। और सदा ऐसे समझो कि बाबा के साथ चल रहा हूँ। बाबा के साथ काम कर रहा हूँ, अकेला नहीं। (अनिला बहन की याद दी, वह हॉस्पिटल में है) उसकी तबियत थोड़ी है।

(सोनीपत की जमीन पर काम बढ़ाना है) अच्छा है, उस तरफ सेवा तो शुरू हो। बनाना प्रोग्राम अच्छा है सेवा का विस्तार हो रहा है।

भूपाल भाई से:- साक्षी होके सब यज्ञ का कार्य निमित्त बनके करते चलो। बाबा का साथ तो है ही। अकेला तो कोई कर नहीं सकता। बाप साथ है ही। अच्छा है।

मोहिनी बहन की सेवा पर जो बहने हैं, उनके प्रति बापदादा ने कहा कि, बाबा जानते हैं, देखो कोई भी सेवा करते हैं बाबा की दी हुई सेवा है। बाप ने दी है। तो पहले बाप फिर सेवा। अच्छा है।


 

20-03-12 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


‘‘सन्तुष्टता की शक्ति चेहरे और चलन में धारण कर ब्रह्मा बाप समान बनो, सदा खुश रहो और खुशी बांटों’’

आज चाहे सम्मुख चाहे दूर के सन्तुष्टमणि बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चा अपने सन्तुष्टता की शक्ति से चमकते हुए मुस्कराते मिलन मना रहे हैं। यह सन्तुष्टता की शक्ति सबसे महान है इसलिए इसमें सर्व प्राप्तियां हैं। सन्तुष्टता की शक्ति धारण करने वाली सन्तुष्टमणियां स्वयं को भी प्रिय, बाप को भी प्रिय, परिवार को भी प्रिय हैं क्योंकि सन्तुष्टता जहाँ है वहाँ सर्वशक्तियां सन्तुष्टता में समाई हुई हैं। सन्तुष्टता की शक्ति का वायुमण्डल चारों ओर फैलता है। सन्तुष्टमणि वाली आत्मायें कभी भी माया से हार नहीं खा सकती, माया हार खाती है। सन्तुष्टमणि आत्मायें सर्व की दिल को अपना बना सकती हैं। सन्तुष्टमणि आत्मा चाहे माया, चाहे प्रकृति के भिन्न-भिन्न हलचल को ऐसे अनुभव करती जैसे एक कार्टून को देख रहे हैं। ऐसे हर एक बच्चा अपने को सन्तुष्टता की शक्ति में सम्पन्न समझते हैं? अपने से पूछो कि मैं सन्तुष्टमणि हूँ? कई बच्चे कहते हैं कभी-कभी रहते हैं, सदा नहीं लेकिन कभी-कभी, तो बापदादा को कभी-कभी शब्द अच्छा नहीं लगता है। बापदादा सदा हर एक बच्चे को यादप्यार देते हैं, खुशी देते हैं। तो बापदादा को यह कभी कभी शब्द अच्छा नहीं लगता, सदा खुशनुमा। तो बापदादा यही चाहते हैं कि इस कभी-कभी शब्द को क्या परिवर्तन कर सकते हो! कभी-कभी शब्द ब्राह्मणों की डिक्शनरी में ही नहीं है, सदा। तो क्या आज सभी बच्चे जो बाप के प्यारे, माया के प्रभाव से न्यारे बने हैं, तो क्या आज इस कभी कभी शब्द को समाप्त कर सकते हैं? कर सकते हैं? क्योंकि बापदादा बहुत समय से कह रहे हैं कोई भी हलचल अचानक आनी है। उसकी तैयारी के लिए अगर अभी से कभी कभी के संस्कार होंगे तो क्या सदाकाल के राज्यभाग्य के अधिकारी बन सकेंगे? ब्रह्मा बाप से सबका दिल का प्यार है। ब्रह्मा बाबा से वायदा साथ हैं, साथ चलेंगे, साथ राज्य करेंगे। यह वायदा पक्का है ना! कांध हिलाओ। पक्का है? कितना पक्का! ब्रह्मा बाप ने कभीव भी शब्द बोला! आप सबको भी सदा अमृतवेले यादप्यार दिया और सदा बाप के साथ मिलकर ज्ञान की बातें, स्नेह की बातें, उमंग-उल्हास की बातें सुनाई। तो सभी से हाथ उठवायें कि बापदादा से प्यार है तो सभी दो दो हाथ उठायेंगे। है ना! पक्का? जब प्यार है तो प्यार वाले के एक-एक शब्द से भी प्यार होता है। ब्रह्मा बाप ने कभी शिव पिता से यह नहीं कहा कि कभी-कभी होता है। सदा फॉलो फादर किया और साथ में आपको भी कराया क्योंकि ब्रह्मा बाप का बच्चों से जिगरी प्यार है इसीलिए आपका नाम भी क्या है? ब्रह्माकुमारी, शिवकुमारी नाम नहीं है। तो ब्रह्मा बाप से प्यार अर्थात् ब्रह्मा बाप का कहना और ब्रह्माकुमार कुमारी का मानना। प्यार अर्थात् न्योछावर। तो किस पर न्योछावर होंगे? उनकी आज्ञा पर। जो बोला वह किया क्योंकि ब्रह्मा बाप के साथ शिव बाप है। अकेला नहीं। बापदादा, बापदादा कहते हो ना!

तो आज बापदादा कभी-कभी शब्द को हर बच्चे के मुख से समाप्त करने चाहते हैं। तो आप सभी बच्चे बाप के साथी हो। प्यार है ना! प्यार में तो अपने आपको न्योछावर भी कर देते हैं यह तो सिर्फ शब्द को न्योछावर करना है क्योंकि बापदादा हर बच्चे को माला का विजयी रत्न बनाने चाहते हैं। तो अपने को माला का मणका समझते हो? विजयी समझते हो? कई बच्चे कहते हैं ब्राह्मणों की संख्या तो बहुत है और माला 108 की है तो 108 ही आयेंगे ना! लेकिन बापदादा अगर आप सम्पन्न बनें, विजयी बनें तो 108 की माला है यह नहीं सोचो, बापदादा बीच में लड़िया भी लगा देगा। लेकिन आप विजयी बनो। कई बच्चे सोचते हैं पता नहीं, नम्बर मिलेगा या नहीं मिलेगा। आप अगर सम्पन्न बनें तो बाप नम्बर दे ही देगा क्योंकि बाप का हर बच्चे से प्यार है। सुनाया भी था भले कोई लास्ट बच्चा है, उनसे भी बाप का प्यार है क्योंकि उस बच्चे ने चाहे स्वभाव के वश है लेकिन बाप को जानके मेरा बाबा तो कहा। दुनिया में कितने बड़े-बड़े मर्तबे वाले उन्होंने बाप को नहीं पहचाना लेकिन उसने तो पहचाना, चाहे कोई कमज़ोरी वश है लेकिन बाप को तो पहचाना। मेरा बाबा तो प्यार से कहते हैं इसलिए बाप ने पहले भी सुनाया था कि लास्ट बच्चे के ऊपर बाप का प्यार तो है ही लेकिन उसके ऊपर खास कल्याण की दृष्टि, कल्याण की वृत्ति भी है कि यह बच्चा कुछ न कुछ आगे बढ़ता रहे। तो बापदादा आज स्पष्ट सुना रहे हैं, कि आप और बातें नहीं सोचो यह कैसे होगा, यह क्या होगा, आप अपने को योग्य आत्मा बनाओ। कर्मयोगी आत्मा बनाओ। बाकी बाप हर बच्चे को ऐसा योग्य बच्चा जो बनेगा उसको सर्व प्राप्ति का वरदान भी देके आगे बढ़ायेगा, पीछे नहीं रखेगा।

तो बापदादा आज अमृतवेले चारों तरफ के चाहे देश चाहे विदेश में चक्र लगाने गये। वैसे तो बापदादा मैजारिटी चक्र लगाते ही हैं लेकिन आज जब चक्र लगाया, सुनाया था तो बापदादा चक्र लगाने जाता है तो विशेष आपके पूर्वज दादियां भी साथ में चक्र लगाने चलती हैं। तो चक्र लगाते क्या देखा? जानते तो हो आप भी। अच्छे-अच्छे संकल्प करते हैं, करके ही दिखायेंगे, बनके ही दिखायेंगे, हाथ में हाथ लेके ही चलेंगे। तो हाथ क्या है? शिव बाप को तो फरिश्ता रूप भी नहीं है तो हाथ कौन सा है? श्रीमत हाथ है। फॉरेन में फैशन है हाथ में हाथ देके चलने का। तो यहाँ हाथ है श्रीमत तो सभी हाथ में हाथ मिलाके चलने वाले हो ना! है ताकत? ब्रह्मा बाप ने देखो कदम-कदम श्रीमत पर चलके आप सभी को करके दिखाया। क्या करना है, कैसे करना है, एक्जैम्पुल है। साकार में एक्जैम्पुल है। निराकार की बात तो छोड़ो लेकिन ब्रह्मा बाप साकार में आपके साथी थे। तो जैसे ब्रह्मा बाप श्रीमत का हाथ में हाथ मिलाके फरिश्ता बन गया। ऐसे ही फॉलो फादर है ना! फॉलो फादर याद है ना! तो फॉलो क्या करना है? सारी बातें स्पष्ट करके दिखाई, ब्रह्मा बाप के चेहरे और चलन को सभी जानते हैं ना! अपनी बुद्धि द्वारा तो ब्रह्मा बाप को इमर्ज कर सकते हैं ना! जो दिनचर्या जैसे दिनचर्या ब्रह्मा बाप ने की, साकार तन में होते, साकार में भी सब अनुभव किया। ब्रह्मा बाप के चरित्र तो सब जानते ही हैं। तो फॉलो फादर। आपको पक्का करने के लिए ब्रह्मा बाप के हर कदम रिवाइज भी किये हैं। 8 कदम पढ़ते हो ना, क्याक्या किया! बस उसको फॉलो करना है। फॉलो करना अर्थात् ब्रह्मा बाप समान बनना। तो सोचो बाप से प्यार है, दोनों बाप से प्यार है। प्यार माना पहले भी सुनाया तो प्यार का प्रैक्टिकल रूप है ब्रह्मा बाप का करना और कहना और बच्चों को बाप समान करना, यह है सच्चा दिल का प्यार। कई बच्चे क्या करते हैं? ब्रह्मा बाप समान करना है, यह सोचते हैं लेकिन पहले करके पीछे सोचते हैं, ब्रह्मा बाप समान तो किया नहीं। लेकिन कर तो लिया। लेकिन फॉलो करना है तो पहले सोचो, संकल्प करने के पहले सोचो क्या यह संकल्प ब्रह्मा बाप का है! अगर है तो प्रैक्टिकल करो। करके पीछे नहीं सोचो। लेकिन पहले सोचके फिर फॉलो करो। ब्रह्मा बाप को फॉलो करना अर्थात् ब्रह्मा बाप समान बनना। हिम्मत है? फॉलो करने की हिम्मत है? जो समझते हैं करना ही है, वह हाथ उठाओ। पहले सोचना फिर करना। करके नहीं सोचना।

तो आज बापदादा विशेष सन्तुष्टता की शक्ति हर एक बच्चे में ब्रह्मा बाप समान देखने चाहते हैं। इस एक सन्तुष्टता की शक्ति में सब शक्तियां आ जायेंगी। तो आज बापदादा का विशेष वरदान है सन्तुष्टता के शक्ति भव! कुछ भी हो अपनी सन्तुष्टता को कभी नहीं छोड़ना। कई बच्चे कहते हैं, रूहरिहान करते हैं ना! तो कहते हैं सन्तुष्ट बनना सहज है, लेकिन सन्तुष्ट बनाना बहुत मुश्किल है। आप स्वयं कोई कुछ भी करता है, करता है तो आप समझते भी हो यह ठीक नहीं है फिर दिल में क्या रखते हो? यह ऐसा करता, यह ऐसा करता है, इसका स्वभाव ऐसा है, इसका ऐसा है। दिल में नहीं रखो क्योंकि आपने दिल में बाप को बिठाया है। बिठाया है ना? कांध हिलाओ। बिठाया है पक्का? कि निकालते भी हो बिठाते भी हो? अगर बिठाया है तो दिल में बात रखेंगे, तो बाप के साथ दिल में बात भी रखेंगे। तो दिल में नहीं रखो। बापदादा ने यह युक्ति भी पहले ही सुनाई है कि सदा ऐसी आत्मा के प्रति शुभ भावना शुभ कामना रखकर अपनी शुभ कामना को कार्य में लगाओ और वैसे भी देखो आप समझते हो यह अच्छा नहीं करती, तो खराब चीज़ है। तो अगर कोई आपको खराब चीज़ देवे तो आप लेंगे? तो जब खराब समझते हो तो बुद्धि में रखना, दिल में रखना तो खराब चीज़ लिया क्यों? ऐसे अपनी दिल में सदा बाप को रखते हुए बाप समान बन जायेंगे। यह तो वायदा है ना, बाप समान बनना है ना! बनना है पक्का? कि पता नहीं बनेंगे या नहीं बनेंगे? यह तो नहीं सोचते? प्यार माना फॉलो फादर। तो बापदादा अभी एक-एक बच्चे को शुभ कामना, शुभ भावना सम्पन्न आत्मा देखने चाहते हैं।

टीचर्स बनेंगी? टीचर्स से बापदादा का विशेष प्यार है। क्यों प्यार है? क्योंकि बाप की गद्दी पर बैठने की हिम्मत रखी है। तो टीचर्स में हिम्मत है ना! हर एक टीचर से बाप यह चाहता है कि हर एक के फीचर से फ्युचर दिखाई दे। निमित्त टीचर्स को बापदादा कह रहे हैं लेकिन आप भी साथी हो ना! बापदादा ने 75 वर्ष पहले छोटे-छोटे बच्चों को बो\डग में यही शिक्षा दी, खुशनुमा और खुशकिस्मत, हर एक का चेहरा ऐसे हो। तो अभी भी बापदादा यही चाहता है हर एक बच्चा शक्ल से दिखाई दे कि यह खुशनुमा और खुशकिस्मत वाली आत्मा है। वाणी द्वारा सेवा बहुत की और अच्छी की उसका सर्टीफिकेट तो है लेकिन अभी अपने चेहरे और चलन से सेवा में आगे बढ़ो। जैसे कोई गरीब होता है उसको लाटरी मिल गई तो उसका चेहरा और चलन बोलता है ना! उसका चेहरा देख करके सब अनुभव करते हैं आज इसको कुछ मिला है। ऐसे ही आपकी चलन और चेहरे से मान जाएं कि इन्हों को कुछ विशेष प्राप्ति है।

तो आज बापदादा क्या चाहता है? ब्रह्मा बाप समान बनो। फॉलो फादर क्योंकि समय की हालतें तो हलचल में आ भी रही हैं और आनी भी हैं इसलिए बापदादा हर बच्चे को यही शिक्षा देने चाहते हैं वि्ा सदा खुश रहो और खुशी बांटो। जितनी खुशी बांटेंगे उतनी खुशी बढ़ेगी। आपको खुशनुमा देख दूसरे भी 5 मिनट के लिए तो खुश होवे। दु:खी आत्मायें अगर आपको देख करके 5 मिनट भी खुश हो जाएं तो उन्हों के लिए तो बहुत दिलपसन्द बात है। तो आज बापदादा विशेष सन्तुष्टता की शक्ति हर एक बच्चे को चलन और चेहरे से धारण कर और अन्य को भी कराने का विशेष ध्यान खिंचवा रहे हैं। अच्छा।

सभी आज जो पहली बार आये हैं वह उठो। देखो, आपको दिखाई दे रहा है। आधा क्लास पहले बारी के हैं। हाथ उठाओ। देखो सभी के हाथ देखो। आपके नये-नये भाई बहिन कितने आपके साथी बने हैं। मुबारक हो, बहुत-बहुत मुबारक हो। अभी जैसे यहाँ तक पहुंचे हो ना! बापदादा से मिलने तक पहुंचे हो, आगे क्या करना है? फॉलो फादर ब्रह्मा बाप। बापदादा को भी आप बच्चों को देख करके खुशी होती वाह! बच्चा आ गया! सारे परिवार को भी खुशी होती है हमारे भाई बहन आ गये, आ गये, आ गये। अभी फॉलो ब्रह्मा बाप। कभी भी कुछ भी होवे, कोई क्वेश्चन हो या कोई प्राब्लम हो, प्राब्लम की तो दुनिया ही है। तो फौरन अपनी टीचर द्वारा उसका हल करा देना। दो दिन हो गया है, ऐसा है, यह नहीं करना क्योंकि बहुत पीछे आये हो ना और जाना तो आगे चाहते हो ना! पीछे रहना चाहते हो? नहीं। आगे जाने चाहते हो तो आगे जाने की यही एक बात करना, दिल में कोई भी व्यर्थ बात नहीं रखना। इसके लिए अपना अमृतवेले बाप से मिलने के बाद, एक तो अमृतवेला जरूर करना और उसके बाद अपने सारे दिन की दिनचर्या जिसमें मन बिजी रहे, कोई न कोई ड्रिल, अनेक ड्रिल बापदादा ने सुनाई है, लेकिन कोई न कोई ड्रिल साथ-साथ करते रहना। बापदादा सभी के लिए कहते हैं कि बीच-बीच में समय निकाल के चाहे पुराने, चाहे नये सभी को एकदम अशरीरी बनने की ड्रिल जरूर करना है क्योंकि आने वाले समय में सेकण्ड में अशरीरी बनना ही पड़ेगा। तो यह ड्रिल कोई कहे समय नहीं मिला, कितना भी कोई बिजी हो, पानी की प्यास लगती है तो क्या पानी पीने नहीं उठेंगे। जरूरी समझके उठेंगे ना। तो यह एक मिनट अशरीरी बनने की ड्रिल यह प्रैक्टिस जरूर करो। उस समय प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। कई समझते हैं ना, समय आयेगा कर लेंगे। लेकिन नहीं। यह जन्म-जन्म का बॉडीकान्सेस का अभ्यास उस समय अशरीरी बनने नहीं देगा इसलिए अभी से कोई भी समय निकाल सारे दिन में समय प्रति समय जो भी समय निश्चित करो एक सेकण्ड में अशरीरी आत्मा हूँ, आत्मा स्वरूप में स्थित हो जाए। बॉडी कान्सेस अपने तरफ खीचें नहीं। यह अभ्यास सभी को करना है। चाहे पुराने चाहे नये क्योंकि बापदादा ने कुछ समय से यह बात कही है। लेकिन करना जरूरी है। नहीं तो श्रीमत का हाथ में हाथ देकरके नहीं चल सकेंगे। आपका वायदा है साथ चलेंगे, साथ राज्य में आयेंगे। तो यह ड्रिल सभी को करना है। बाकी नये जो भी आये हैं, खुश रहो आबाद रहो, आगे से आगे बढ़ते रहो। अच्छा।

सेवा का टर्न महाराष्ट्र, आन्ध्र और मुम्बई का है:- अच्छा। इस ज़ोन की भी संख्या बहुत है। नाम है महाराष्ट्र। तो महा होंगे ना! तो जैसे नाम है वैसे ही संख्या भी महान है। बापदादा का बाम्बे और दिल्ली दोनों तरफ एक बात का उमंग उत्साह है। सर्विस तो करते हो, वह तो कहने की बात नहीं है। अच्छी कर रहे हैं, करते रहेंगे लेकिन बापदादा देहली और बाम्बे से यही चाहते हैं कि जो आपके सम्बन्ध सम्पर्क में आये हुए विशेष आत्मायें जो माइक भी बन सकते हैं और फिर वारिस भी बन सकते हैं, ऐसे कोई ग्रुप निकालो क्योंकि लिस्ट सभी वर्गो ने मैजारिटी बापदादा को भेजी थी। देखी है वह लिस्ट। अच्छे अच्छे हैं लिस्ट में जो नाम बाला कर सकते हैं। अभी उनको प्रत्यक्ष करो। आपके बजाए वह भाषण करें। अनुभव सुनायें आपका, ज्ञान क्या है, हमने जीवन में क्या अन्तर किया है, वह वर्णन करें। जब फंक्शन होता है, अभी भी तो अपना अनुभव कई अच्छे-अच्छे सुनाते भी हैं लेकिन वह तो फंक्शन में सुनाया, लेकिन लगातार जीवन का अनुभव करें। यह अटेन्शन देंगे तो निकलने वाले हैं क्योंकि बापदादा ने लिस्ट जो देखी सभी की उसमें ऐसे योग्य हैं लेकिन थोड़ा पुरूषार्थ करके उन्हों को आगे बढ़ाओ। हर एक वर्ग को वास्तव में यह लिस्ट प्रत्यक्ष रूप में परिवार और बाप के सामने लानी चाहिए। कार्य किया है वर्गो ने। बापदादा ने देखा कार्य किया है लेकिन बहुत समय से कर रहे हैं अभी कोई नवीनता लाओ। नवीनता यह है वारिस बनाओ। कम से कम जो सम्पर्क वाले हैं वह सम्बन्ध में आवे, सम्बन्ध के बाद सेवा में लगे। सम्बन्ध यह नहीं, आने जाने का संबंध नहीं लेकिन बाप और परिवार के साथी बन जाएं। यह भी होना है, अभी बापदादा ने देखा कि ब्राह्मण मिलके कोई भी एक संकल्प करें तो हुआ ही पड़ा है लेकिन सबका एक ही संकल्प हो तो क्योंकि अभी वायुमण्डल बदल गया है। जब से आपने यह 75 वर्ष का मनाया है तब से लोगों को समझ में आया है कि यह कुछ कर रहे हैं और जो कहते हैं वह अच्छा कहते हैं, कर सकते हैं। अभी इतने तक चेंज आई है इसलिए अभी आप भी चेंज देख करके और थोड़ी मेहनत करेंगे तो आपका परिवार कितना बढ़ जायेगा। तो बापदादा ऐसों का कहाँ भी संगठन कराना चाहते हैं। मधुबन में मिलने आते हैं वह बात अलग है लेकिन परिवार के बनके आवे क्योंकि सर्विस में कोई न कोई नवीनता तो चाहिए ना! अच्छा। बापदादा खुश है क्योंकि यह उठे हैं ना तो बापदादा देख करके खुश है। बाकी बापदादा की एक आशा रह गई है और भी। ज़ोन वालों के प्रति। वह कौन सी है? हर सेन्टर यह खुशखबरी लिखे कि हमारा सेन्टर निर्विघ्न है। मिलनसार है। सब बाबा के बच्चे एक्यूरेट, जो कार्यक्रम बना हुआ है उस तरफ बिजी हैं। निर्विघ्न हैं। यह अभी किसी ज़ोन का नहीं आया है। तो महाराष्ट्र तो महान कार्य करेंगे ना! किसी भी ज़ोन ने अभी यह खुशखबरी नहीं भेजी है। बनना है, बनना तो आपको ही है और कौन बनेंगे! आपकी तपस्या कम नहीं है। चाहे टीचर है, चाहे स्टूडेन्ट हैं दुनिया के हिसाब से हर एक महान आत्मायें हैं। अभी-अभी देखना आपको यह निर्विघ्न का थोड़ा सा करो तो सभी आपको जैसे आपके जड़ चित्र में शुभ भावना से देखते हैं, ऐसे आपको चैतन्य रूप में देवियों के रूप में, देवताओं के रूप में देखेंगे। बाकी सेवा सभी ने अच्छी की है। उसकी बापदादा मुबारक दे रहे हैं।

यह निज़ार उठो। (बापदादा ने निज़ार भाई को उठाया)

बापदादा ने समाचार सुना तो जो आपकी रूपरेखा बनी हुई है, ऐसे ही अच्छा है और आगे भी अच्छा बनता जायेगा इसलिए आगे बढ़ते चलो। बापदादा ने समाचार सुने हैं।

आई.टी. ग्रुप:- चित्र और बोर्ड भी अच्छा बनाते हैं। बापदादा ने पहले भी सुना दिया है, बापदादा ने देखा हर एक वर्ग कुछ न कुछ नवीनता भी कर रहे हैं और अभी हर वर्ग में आवाज भी बाहर फैला है, जैसे डाक्टरों की सर्विस में, मेडीकल में अभी हार्ट के इलाज का आफीशियल डाला है, तो यह जो आफीशियल बुक में डाला है यह बापदादा ने देखा, तो वह एडवरटाइज के लिए अच्छा है। ऐसे ही और भी ज़ोन वालों ने अच्छे अच्छे निमित्त बने हुए जो आवाज फैला सकते हैं उनसे कनेक्शन रखा है और उसकी रिजल्ट भी है। तो बापदादा हर वर्ग वालों को यही कहते हैं तो जैसे अभी आगे बढ़े हो ऐसे और भी आगे बढ़ते जायेंगे तो सबकी नज़र आपके ऊपर जायेगी। धीरे-धीरे विश्व में प्रसिद्ध होते जायेंगे इसलिए बापदादा इस वर्ग को भी मुबारक दे रहे हैं। सभी पुरूषार्थ अच्छा कर रहे हैं और पुरूषार्थ के साथ बापदादा आप सबके साथ है। अच्छा।

डबल विदेशी भाई बहिनें:- डबल विदेशी, डबल से डबल होते जाते हैं। बापदादा ने देखा कि स्व के ऊपर, स्वमान के ऊपर और अपने वृत्ति के ऊपर अटेन्शन अच्छा दे भी रहे हैं और दिला भी रहे हैं। यज्ञ स्नेही का पार्ट भी, यज्ञ सहयोगी का पार्ट भी अच्छा बजा रहे हैं इसलिए बापदादा डबल विदेशियों को अनेक बार की मुबारक दे रहे हैं। बापदादा आप लोगों की कहानियां सुनते रहते हैं। सिर्फ स्नेही नहीं हैं लेकिन स्नेही के साथ सहयोगी, हर कार्य में बनते हैं और अपना भविष्य जमा करने में होशियार हैं इसलिए देखो कितने देशों के आ गये हैं। बापदादा यह संगठन देख स्नेही सहयोगी हर कार्य में हाथ बढ़ाने वाला ग्रुप देख करके खुश हो रहे हैं। खुश है, आप भी खुश बाप भी खुश और परिवार भी खुश। मधुबन वाले तो कहते ही हैं कि डबल विदेशी मधुबन का श्रृंगार हैं और बाप का विश्व कल्याणी नाम विदेश ने सिद्ध किया है इसलिए सभी तीव्र पुरूषार्थी बनके रहना। पुरूषार्थी नहीं तीव्र पुरूषार्थी क्योंकि अभी समय है, सभी के लिए तीव्र पुरूषार्थी बनने का। पुरूषार्थ का समय अभी गया, अभी तीव्र पुरूषार्थ का समय है। तो कभी भी साधारण पुरूषार्थी नहीं बनना। सदा चेक करना, तीव्रता है? साधारण तो नहीं हो गया! वैसे अभी समय भी सूचना दे रहा है - तीव्र पुरूषार्थी बनने का। तो बापदादा खुश है, परिवार भी खुश है और सबको मुबारक दे रहे हैं। खुशी है बाप को। कितने देशों से देखो इकठ्ठे हुए हैं। अच्छा।

चारों ओर के दूर बैठे दिल में समाने वाले बच्चों को बापदादा भी देख रहे हैं। सभी के प्यार की खुशबू मधुबन में पहुंच रही है। तो सभी अभी तीव्रगति से चलना है, तीव्र पुरूषार्थ करना है, तीव्रता दुनिया के लोगों में सुख की लानी है। दु:खी को सुखी करना है। यह सुखी करने का सन्देश दे करके सभी को सुखी बनाना है, इस सेवा में तीव्रता है भी और लानी भी है। अच्छा। सबको दिल का बहुत-बहुत यादप्यार स्वीकार हो।

मोहिनी बहन से:- ऐसे ही एमर्जेन्सी में तीव्र पुरूषार्थ करना। ऐसा तीव्र पुरूषार्थ करो जो सब देख करके चक्रित हो जाएं वाह इसने तो कमाल कर दी। पहले से ही चेक कराते रहो। छोड़ देती हो ना, चेकिंग बीच-बीच में कराती रहो तो क्या है, होने के पहले ही दवाई हो जायेगी। समझो हर 15 दिन या मास में कराना ही है चेकिंग। फिर ठीक रहेंगी। बहुत अच्छा।

नीलू बहन से:- सहज है ना यात्रा। मुश्किल तो नहीं है। (पास हो गई) पास ही रहना। (गुल्जार दादी ने मोहिनी बहन और नीलू बहन दोनों को बहुत अच्छी सकाश दी) सभी ने दी। मधुबन को कोई भूल नहीं सकता है। मधुबन तो सभी के रग रग में समाया हुआ है। अच्छा।

दादी जानकी से:- लण्डन तो जा रही हो ना, अगर तबियत चलने लायक हो जाए तो जाना, नहीं तो नहीं जाना। (अमेरिका वाले बहुत तैयारी कर रहे हैं) तैयारियाँ क्या भी करें, आप चला सकती हो तो चलाना। आप अपनी तबियत को देख चल सकती हो तो चलाओ।

तीनों वरिष्ठ भाईयों से:- बापदादा ने आपकी मीटिंग का समाचार सुना। तो जो सोचा है वह अच्छा सोचा है और उसी अनुसार करते चलो। मदद मिल भी जायेगी। थोड़ा फैलायेंगे ना तो मदद देने वाले भी आ जायेंगे। बाकी जैसे सोचा है वैसे ठीक है। (युनिवार्सिटी के बारे में रमेश भाई ने पूछा)

बापदादा समझते हैं पहले भिन्न-भिन्न युनिवार्सिटी में सेवा करो। जैसे एक युनिवार्सिटी में कनेक्शन किया है ना ऐसे और युनिवार्सिटी में पहले सेवा करो। उन्हों की सेवा करके साथी बनाओ। अभी कितनी युनिवार्सिटी रही हुई हैं, पहले उनकी सेवा करो, पीछे आपेही आपको आफर करेंगे, कहेंगे आपको इतना खर्चा करने की जरूरत नहीं है। जैसे एक युनिवार्सिटी में किया है तो उससे प्रसिद्ध तो हुआ है ना। ऐसे 10-12 युनिवार्सिटी जो बड़ीज्ञ्बड़ी हैं उसको अपनाकर देखो। तो वही आपको युनिवार्सिटी बनाकर देंगे, आपको खर्चा करने की जरूरत नहीं है। बापदादा खुश है ऐसे मिलते रहो और फाइनल करते रहो।

(चण्डीगढ़ में प्लैटिनम जुबली का कार्यक्रम बहुत अच्छा हुआ, पुरी में होने वाला है) सभी जगह में अपने अपने विधि प्रमाण खुशी से और खुली दिल से किया है। सब तरफ की रिजल्ट अच्छी है।

भ्राता रामनारायण मीणा, उपाध्यक्ष - राजस्थान विधानसभा

अभी ब्राह्मण कुल में विशेष पार्ट बजाओ। (आपके बच्चे हैं) सबसे अच्छा बच्चे बालक सो मालिक हो। बालक सदा मालिक होता है। अमृतवेले उठके जितने बजे भी उठ सको तो अमृतवेले बाप को याद करके रोज़ बाप से आशीर्वाद लो। बाप से आशीर्वाद मिलेगी जिससे खुश भी रहेंगे, निर्विघ्न भी रहेंगे। सब ठीक हो जायेंगे। आपमें शक्ति भरेगी तो उन्हों में भी शक्ति भरेगी। हो जायेगा सिर्फ यह थोड़ा उठके बाप को याद करके शक्ति लेते रहो। मेरा बाबा कहना और शक्ति लेना।

मधुबन देखा, परिवार देखा अच्छा लगता है ना। अभी इसी परिवार में जितना नजदीक आयेंगे ना उतना लाभ मिलता जायेगा।

सुरेश ओबेराय:- जैसे सर्विस उठाई है ना वैसे करते चलो।

शिवानी बहन से:- वरदानी है। बाप से वरदान अच्छा मिला है।


 

03-04-12 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


‘‘मेरे को तेरे में परिवर्तन कर बेफिक्र बादशाह बनो, बाप की मोहब्बत और सेवा में मन को इतना बिजी कर दो जो व्यर्थ आने की मार्जिन न रहे’’

आज बापदादा चारों ओर के अपने बेफिक्र बादशाहों को देख रहे हैं। हर एक बच्चा सवेरे से उठ बेफिक्र स्थिति में स्थित हो हर कर्म करता है। हर एक बच्चे को अनुभव है कि यह बेफिक्र बादशाह की जीवन बादशाही भी और बेफिक्र भी, कितनी प्यारी लगती है क्योंकि आप सभी ने बाप को फिक्र देकरके फखुर ले लिया है। फखुर भी अविनाशी फखुर ले लिया है। हर एक अनुभव करते हैं कि यह बेफिक्र जीवन कितनी प्यारी है। दिनरात कोई भी बात का फिक्र नहीं लेकिन फखुर है। जानते हो कि यह बेफिक्र रहने की जीवन बाप ने इस एक जन्म के लिए नहीं लेकिन अनेक जन्मों के लिए बेफिक्र बादशाह बना दिया। अभी अनुभव करते हो बेफिक्र जीवन अगर है तो सदा मस्तक में दिव्य ज्योति चमकती रहती है। और अगर फिकर है तो माथे पर अनेक प्रकार के दु:खों का टोकरा भरा हुआ होता है। यह बेफिक्र जीवन की विधि बहुत सहज है। जो भी हद का मेरा-मेरा है उसको तेरा कर दिया। मेरा और तेरा में एक मात्रा का ही फर्क है। मे और ते। लेकिन मेरे को तेरा करने से जीवन कितनी खुशनुमा बन जाती है। बन गई है ना! कांध हिलाओ, बन गई। बेफिक्र जीवन बन गई।

अभी बापदादा यही हर बच्चे से चाहता है कि फिकर वाली जीवन का आधार है व्यर्थ संकल्प, तो हर बच्चे के अन्दर व्यर्थ संकल्प का निशान भी नहीं रहे क्योंकि जब मेरे को तेरे में बदल दिया तो आप क्या हो गये? आप हो गये बेफिक्र बादशाह और यह बेफिक्र बादशाह की जीवन कितनी प्यारी है। हर कर्म करते बेफिक्र बादशाह। कोई फिक्र नहीं क्यों, क्या, कैसे, कब तक... यह सब समाप्त हो गये। बापदादा आज इस सीजन के लास्ट दिन यही चाहते हैं कि हर एक बच्चा व्यर्थ को मेरे के बदले तेरा कर दे। बाप आपेही भस्म कर देंगे। आप सिर्फ एक मात्रा का अन्तर करो, मंजूर है! हो सकता है? अगर हो सकता है तो हाथ उठाओ। बहुत अच्छा क्योंकि यह 5-6 मास आप सभी को विश्व के आगे दु:खी आत्माओं को पावरफुल वृत्ति द्वारा सुख शान्ति की किरणें देनी हैं। इसी में ही अपना मन बिजी रखना है। व्यर्थ संकल्प भी किसमें आते हैं? मन में आते हैं ना! तो बापदादा यही चाहते हैं कि हर एक बेफिक्र बादशाह बच्चा अपने मन को अर्थात् वृत्ति को इतना बिजी रखे जो व्यर्थ को आने की मार्जिन ही नहीं रहे। मेहनत नहीं करनी पड़े लेकिन बाप के मोहब्बत में इतना बिजी रहो, वृत्ति की सेवा में इतना मन को बिजी रखो जो युद्ध भी नहीं करनी पड़े। कई बच्चे कहते हैं चाहते नहीं हैं लेकिन आ जाते हैं। इसको क्या कहेंगे? कि मन को बाप के प्यार और सेवा में बिजी नहीं रखा। सभी से पूछते हैं कि आपका प्यार बाप से कितना है? तो क्या कहते? बेहद है। तो जिससे प्यार होता है उसका कहना मानना कोई मुश्किल नहीं होता। तो आप सभी का बाप से अटूट प्यार है ना! कि कभी-कभी है? सदा है या कभी-कभी है? जो कहते हैं सदा प्यार है वह हाथ उठाओ। सदा प्यार है, देखो सोचो, सदा प्यार है तो बाप का कहना और बच्चे का करना। यह तो जानते हो ना!

तो अभी इस सीजन में बापदादा बच्चों को यही दृढ़ संकल्प कराने चाहते हैं, तैयार हो ना! कांध हिलाओ। तैयार हो दृढ़ संकल्प करने के लिए? पीछे वाले तैयार हैं? मातायें भी तैयार हैं? पाण्डव भी तैयार हैं? अच्छा हाथ उठाओ। इसमें दो-दो हाथ उठाओ। हाथ उठाते हो तो बापदादा को खुश तो कर देते हो। अभी जैसे यह हाथ उठाया ऐसे मन का हाथ उठाओ। कभी भी व्यर्थ संकल्प को आने नहीं देंगे। उनका काम है आना, आपका काम क्या है? समाप्त कर देना। तो इस सीजन में बापदादा ने पहले भी कहा है कि दो बातों का ध्यान रखना है एक तो संकल्प, दूसरा समय। जानते हो आप, इस संगम का समय एक-एक मिनट का कनेक्शन 21 जन्म के साथ है। और इस समय बापदादा का बच्चों से, बच्चों का बाप से प्यार है। तो संगम समय का एक सेकण्ड, सेकण्ड नहीं है क्योंकि 21 जन्मों का कनेक्शन है। अगर अब नहीं समय को बचाया तो 21 जन्म जो बाप से प्यार है और हर एक चाहता है कि बाप के साथ अब भी रहें, साथ भी चलें। अपने घर लौटना है ना अभी। तो घर में भी साथ में चलें और फिर राज्य में भी बापदादा के साथ विशेष ब्रह्मा बाबा के साथ राजधानी में नजदीक साथ में आयें इसलिए ब्रह्मा बाप तो फरिश्ता रूप में है और आपको साथ में चलना है तो क्या करना पड़े? फरिश्ता बनना पड़े ना! फरिश्ता बनेंगे, बनना ही है ना!

बाप ब्रह्मा के हाथ में हाथ देके साथ चलना है, तो हाथ क्या है? फरिश्ते को स्थूल हाथ तो हैं नहीं। ब्रह्मा बाप का हाथ क्या है? श्रीमत। तो बापदादा की यही श्रीमत है कि अब बेफिक्र बादशाह बन सदा जैसे आपकी जगदम्बा ने पुरूषार्थ किया, बाप का कहना और जगत अम्बा का करना। ऐसे जगत अम्बा को फॉलो करो। समय और संकल्प को सफल करना ही है। व्यर्थ नहीं जाये। सुनाया ना एक-एक संकल्प का 21 जन्म का कनेक्शन है। तो बापदादा यही चाहते हैं कि सदा मन को बिजी रखो। चाहे मुरली के मनन में, चाहे सेवा में, हर समय बिजी रहो। अपना चार्ट बनाओ हर समय बीच-बीच में जो बापदादा ने ड्रिल सुनाई है भिन्न-भिन्न, जानते हो ना ड्रिल अशरीरी बनने की। अपने तीन स्वरूप स्मृति की ड्रिल। जानते हो ना! जैसे बाप के तीन रूप हैं ऐसे आपके भी तीन रूप हैं। ब्राह्मण, फरिश्ता और देवता, इन तीनों रूपों में ड्रिल द्वारा अपने मन को बिजी रखो इसलिए महामन्त्र क्या है? मनमनाभव।

बाकी बापदादा का हर बच्चे से बहुत-बहुत प्यार है इसलिए बापदादा यही चाहते हैं कि हर बच्चा विजयी भव के वरदानी बनें। सुनाया था ना कि कई बच्चे सोचते हैं हम विजयी तो बनें लेकिन माला तो 108 की है, तो विजयी बनके माला में तो आ नहीं सकेंगे लेकिन बापदादा का इतना प्यार है कि आप विजयी बनो तो बापदादा माला में भी लड़े लगा देगा। आप सिर्फ विजयी बनो। तो क्या संकल्प है? विजयी बनना ही है ना! कि सिर्फ 108 विजयी बनेंगे? नहीं। बाप का हर बच्चा विजयी है। बापदादा हर बच्चे के मस्तक में क्या देख रहे हैं? विजय का तिलक क्योंकि साधारण रूप में बाप को पहचान लिया है ना! चाहे लास्ट बच्चा है, पुरूषार्थ में ढीला है लेकिन उसमें यह विशेषता है कि साधारण रूप में आये हुए बाप को पहचान मेरा बाबा तो कहता इसलिए हर एक बच्चे को हिम्मत रख विजय प्राप्त करनी ही है। सिर्फ क्या करना है? कोई मेहनत की बात नहीं है, प्यार की बात है। बापदादा से प्यार है, परिवार से प्यार है तो प्यार वाले से अलग नहीं रहा जाता है। तो ब्रह्मा बाबा से कितना प्यार है? जो समझते हैं कि ब्रह्मा बाप से शिव बाप से हमारा अटूट प्यार है वह हाथ उठाओ। अटूट, अटूट? बहुत अच्छा। तो दूसरी सीजन में बापदादा क्या देखने चाहता है? जानते तो हो। 5 मास 6 मास मिलना है आपको, व्यर्थ से समर्थ संकल्प करने में।

तो बोलो, मधुबन वाले उठो, चाहे नीचे चाहे ऊपर। बहुत हैं। तो मधुबन वाले बापदादा को प्यारे हैं। ऐसे नहीं दूसरे प्यारे नहीं हैं। वह प्यारे हैं लेकिन मधुबन वालों से एक बात का विशेष प्यार है, वह क्या? मन्सा में याद तो सब करते हैं। योगी तू आत्मायें तो सभी हैं, ज्ञानी आत्मायें भी सभी हैं लेकिन मधुबन वालों को अपना भविष्य सहज बनाने की एक लिफ्ट है। वह लिफ्ट क्या है? जो भी मधुबन में आते हैं, उनकी सेवा के निमित्त हैं। जैसे खाना बनाने वाले जो भी कोई ड्युटी करने वाले हैं। बापदादा तो कहते हैं कोई झाडू लगाने वाला भी है ना, वह भी भाग्यवान है क्यों? जो भी आते हैं वह यह वायुमण्डल देख आपके दिल के प्यार की शक्ति देख खुश हो जाते हैं। चाहे खाना बनाने वाला, चाहे कोई भी ड्युटी वाला है लेकिन मधुबन वालों को चांस है। मधुबन का प्यार और शक्तिशाली वायुमण्डल बनाने का, इसलिए बापदादा मधुबन वालों को बहुत-बहुत मुबारक दे रहे हैं कि यह सीजन समाप्त की और आगे के लिए भी अपने मन में आत्माओं को सन्तुष्ट करने में और शक्तिशाली अनुभव कराने में निमित्त बनते रहेंगे इसलिए सब ताली बजाओ मधुबन वालों के लिए। अच्छा।

आज बापदादा को अमृतवेले मधुबन के सेवाधारी सामने आये। हर एक से बापदादा वतन में भी मिले और खास आपको पहले भी बताया है वि्ा चार बजे के समय आपकी एडवांस में गई हुई विशेष दादियां जरूर आती हैं। तो आज भी विशेष दादियाँ और विशेष भाई पहुंचे थे। उन्होंने खास मधुबन वालों को इमर्ज करने के लिए कहा। विशेष दीदी और दादी दोनों ने और विशेष भाईयों ने भी मधुबन वालों को याद किया। और दादी ने विशेष याद दी और साथ में वतन का आम, जानते हो ना वतन का फल कितना बढ़िया होता है, लाठी नहीं लगानी होती है, जो फल चाहिए वह आप हाथ से ही ले सकते हो। तो दादी ने कहा आज मधुबन वालों से आम की पिकनिक करते हैं। दूसरी दादियां तो साथ में थी और विशेष भाई भी थे। तो बापदादा ने कहा उन्हों से पूछो तो मधुबन के लिए आपको मन में क्या आता है? तो दादी क्या बोली? पता है, जानते तो हो, दादी को तो जानते हैं ना! दादी कहती थी मेरी यह अभी तक भी दिल है कि हर एक मधुबन वाला चाहे पुरूषार्थ में कोई भी कमी अभी रह गई है उसका तो पुरूषार्थ करना है लेकिन मैं एक बात चाहती हूँ, मधुबन वालों से। वह क्या चाहती हूँ? एक-एक मधुबनवासी बाप समान बन जाये। वैसे तो सभी को बनना है लेकिन मधुबन विशेष है, मधुबन वालों को दादी से प्यार था, यह दादी कहती थी मुझे पता है। तो प्यार के रिटर्न में मैं यही चाहती हूँ कि जैसे मम्मा ने लक्ष्य रखा बाबा ने कहा मम्मा ने किया, यह तो मधुबन वाले जानते ही हैं। ऐसे ही अमृतवेले से लेके रात तक हर एक मधुबन वाले अगर बाबा के साथ मेरे से भी प्यार है, दादियों से भी प्यार है, तो जैसे मम्मा ने बाप की हर राय जीवन में लाई, ऐसे हमने भी लाई। तो अगर दादियों से प्यार है, तो यही करके दिखायें, सवेरे से रात तक ऐसा कोई संकल्प बोल कर्म नहीं लावें जो दादियों को या बाप को या किसी को भी पसन्द नहीं हो। यह हमारा सन्देश खास मधुबन वालों को देना। तो हमने (गुल्जार दादी ने) दादी को कहा, दादी आप मधुबन में कभी चक्र लगाती हो? अभी मैं (गुल्जार बहन) वतन का समाचार मधुबन वालों को सुना रही हूँ। तो मैंने गुल्जार बहन ने, उनको कहा दादी मधुबन वालों को तो आप जो कहेंगे वह करेंगे। तो मैंने ठीक कहा, करेंगे? हाथ उठाओ। दो-दो हाथ उठाओ। करेंगे? बहुत अच्छा।

तो आज इस सीजन का लास्ट है ना, तो और भी वतन में रौनक थी। दूसरे आप मधुबन वाले तो मिलके मर्ज हो गये, लेकिन दादियों ने डबल विदेशियों को भी इमर्ज किया। डबल विदेशी उठो। तो विशेष दादियों के बदले, दादी कह रही थी तो दादी ने कहा कि मुझे डबल विदेशियों की यह बात बहुत अच्छी लगती है क्योंकि जब हम वहाँ थे और इन्हों की सीजन शुरू हुई तो मैंने देखा इन्हों को मधुबन में आने के लिए टिकेट के लिए कितनी युक्ति से इकठ्ठा करते थे टिकेट का पैसा और जब हम सुनती थी तो ऐसे-ऐसे इकठ्ठा करके आये हैं तो मुझे बहुत प्यार आता था और डबल विदेशियों का मैंने देखा उमंग उत्साह भी बहुत अच्छा था। आने से ही मेरा बाबा कहके इतने खुश होते थे जो मेरा कहने में ही मेरा हो जाते थे, उनकी शक्ल, उनका उमंग बहुत अच्छा दिखाई देता था, इसलिए डबल विदेशियों को हम और बापदादा कहते थे कि डबल विदेशी मधुबन का श्रृंगार हैं। तो अभी भी डबल विदेशी जो कार्य भी मधुबन का होता है वह बहुत रूचि से करते हैं इसलिए हमारी भी डबल विदेशियों को बहुत बहुत बहुत बहुत यादप्यार देना और कहना सदा बाप के दिल में आप हो और आपके दिल में बाप है, यही वरदान हमारे तरफ से देना। तो यह था आज अमृतवेले वतन का समाचार।

बाकी सभी चारों ओर के जो दूर बैठे हैं या सम्मुख बैठे हैं सभी को बापदादा क्या देख रहे हैं? बापदादा देख रहे हैं हर एक के मस्तक में चमकती हुई ज्योति चमक रही है। सभी के मन में संकल्प यही है कि हमारे को कैसा बनना है? जैसे बाप वैसे हम। यह उमंग उत्साह भी सभी के मन में है।

बाकी तो इस सीजन में बापदादा टीचर्स को विशेष उठाने चाहते हैं। सब टीचर्स उठो। देखो। कितनी टीचर्स हैं। चौथा हाल तो टीचर्स हैं। तो टीचर्स को देख बापदादा भी खुश होते हैं क्योंकि बाप समान सीट का भाग्य मिला है। बाप की मुरली सुनाने की सीट मिली है। बाप हमेशा टीचर्स को साथी कहते हैं। अभी टीचर्स के लिए बापदादा एक बात चाहते हैं। सुनायें क्या? बापदादा चाहते हैं कि हर एक टीचर चेहरे से ब्रह्मा बाप समान ऐसे खुशनुमा नज़र आये। नज़र आवे अन्दर पुरूषार्थ होगा भी लेकिन आपकी सूरत से बाप प्रत्यक्ष हो। कोई को भी देखे तो आपमें बाप की चमक दिखाई दे। ऐसे चेहरे से सेवा करने वाली बाप को प्रत्यक्ष कर ही लेंगी। अब समय आ गया है, बाप को अपने चेहरे से प्रत्यक्ष करने का। तो टीचर्स को सदा मेरा बाबा तो स्वत: ही याद है। अभी बाप को चेहरे से प्रत्यक्ष करना है। कर सकते हैं ना! कर सकते हैं तो करो। देखो अभी तक की रिजल्ट में क्या सभी कहते हैं। ब्रह्माकुमारियां बहुत अच्छा काम कर रही हैं, बाप प्रत्यक्ष नहीं है। वह अभी भी गुप्त है। तो अभी समय समीप आ रहा है तो आप द्वारा चाहे निमित्त टीचर्स हैं या कोई भी बच्चा है, अभी बाप को प्रत्यक्ष करो। ब्रह्माकुमारियां अच्छा कार्य कर रही हैं, यह तो हो गया। यहाँ तक पहुंच गये हो। लेकिन अभी यह प्रत्यक्ष करो कि स्वयं परमात्मा ब्रह्मा तन में प्रत्यक्ष हो ब्रह्माकुमारियों को ऐसे योग्य बना रहे हैं। अभी यह प्वाइंट रही हुई है। गीत तो गाते हैं मेरा बाबा आ गया, लेकिन अभी अन्य आत्माओं के अन्दर यह प्रत्यक्ष हो कि भगवान स्वयं प्रत्यक्ष हो यह कार्य बहिनों द्वारा या भाईयों द्वारा करा रहे हैं। यह प्रत्यक्षता करनी है ना! कब करेंगे? अब। क्या कहेंगे? अब ना! (अभी शुरू करेंगे, अगली सीजन तक हो जायेगा) आप सभी साथ में हो, अगली सीजन तक हो जायेगा? हाथ उठाओ जो समझते हैं! थोड़े हाथ उठा रहे हैं। जो हाथ नहीं उठा रहे हैं वह देखेंगे, और आप करेंगे। टीचर्स ने तो संकल्प किया है ना! क्योंकि देख रहे हो बापदादा तो कहते ही हैं कि सब अचानक होना है। कोई बच्चे समझते हैं अचानक, अचानक भी बहुत समय हो गया है। अभी होना चाहिए। लेकिन अचानक तब हो जब बच्चे भी बाप समान बन जायें। आपकी सूरत मूरत एक-एक बोल बाप को प्रत्यक्ष करे। हो जाना तो है ही। होना ही है अभी सिर्फ निमित्त बनना है। अभी अगली सीजन में क्या करेंगे? एक तो अपने को बाप समान बनायेंगे। जो भी कमी रह गई है, उसको सम्पन्न करेंगे। और बापदादा को खुशी है किस बात की? तो बच्चों ने जैसे अभी छोटे मोटे सेन्टर ने वाणी द्वारा प्रसिद्ध किया कि हम क्या कार्य कर रहे हैं। वायुमण्डल को चेंज किया है। इसकी बापदादा मुबारक दे रहे हैं। जिन्होंने जहाँ भी प्रोग्राम्स किये हैं, अच्छे किये हैं, और सभी के अटेन्शन में भी आया है कि ब्रह्माकुमारियां सचमुच गुप्त रूप में अपने कार्य का समय 75 वर्ष पूरा किया है। अभी यह कहें कि ब्रह्माकुमारियों का भगवान बाबा आ गया है। लक्ष्य है ना! तो अगले सीजन तक यह कार्य आरम्भ हो जाना चाहिए। इसका प्रत्यक्ष प्रोग्राम बनाना। प्रोग्राम बनाते हैं ना, मीटिंग करते हैं ना! तो मीटिंग में यह प्रोग्राम बनाओ कि अभी सब बच्चों को पता तो पड़े कि वर्सा देने वाला बाप आ गया। वंचित नहीं रह जाएं। बाप को तो बच्चों के दु:ख को देख बहुत तरस पड़ता है। जब दु:ख में चिल्लाते हैं, बाप को तरस पड़ता है। आप देव और देवियों को भी बहुत पुकारते हैं। तो अगली सीजन में एक तो व्यर्थ का नामनिशान नहीं, मंजूर है? मंजूर है! दिल का हाथ उठाओ। दिल का हाथ उठाना। व्यर्थ होता क्या है, यह मालूम ही गुम हो जाए। जैसे स्वर्ग की शहजादियां आती हैं ना तो उनको दु:ख और अशान्ति का पता ही नहीं है, कहते हैं क्या कहते हैं, यह क्या होता है। ऐसे ही ब्राह्मण परिवार में व्यर्थ का पता ही न हो, व्यर्थ होता क्या है। स्वचिंतन, स्वचिंतक। अच्छा।

सेवा का टर्न दिल्ली और आगरा:- अच्छा है, सभी टी.वी. में रौनक देखो (मेरा बाबा की पट्टी सब हिला रहे हैं) बहुत अच्छा। अभी झण्डे नीचे करो। अच्छा। दिल्ली वालों को तो अपनी दिल बड़ी करनी पड़ेगी। क्यों? जो भी ब्राह्मण हैं वह देवता बनके कहाँ आयेंगे? दिल्ली में ही आयेंगे ना! तो दिल्ली वालों को बहुत बड़ी दिल बनानी पड़ेगी। देखो अगर ब्रह्मा बाप भी कृष्ण बनके आयेंगे, तो भी कहाँ आयेंगे! दिल्ली में ही आयेंगे। तो दिल्ली वालों को अभी भी दिल्ली के ब्राह्मण संख्या दिल खोलके बढ़ानी पड़ेगी। सब ज़ोन से ज्यादा संख्या दिल्ली में होनी चाहिए। झण्डा लहराया है ना यहाँ, ऐसे एक-एक दु:खी आत्माओं के दिल में बाप का झण्डा लहराओ। तो झण्डे यह व्यर्थ नहीं जायें, यही झण्डे सत्य रूप से दु:खियों के दिल में लहराओ। बाकी सेवा तो हो रही है। सेवा तो करते हैं लेकिन बापदादा ने देखा कि इस वर्ष कोई भी ज़ोन सेवा में पीछे नहीं गया है। सभी ने दिल बड़ी करके खुशी-खुशी से जो भी प्रोग्राम किये हैं, बहुत सुन्दर रूप से और लोगों में यह स्पष्ट किया है कि आप आत्मा हो, शरीर नहीं हो। यह बात मैजारिटी ने माना है। अब आत्मा जैसे प्रत्यक्ष की है, ऐसे परमात्मा की प्रत्यक्षता का पक्का करो। इसमें बापदादा देखेंगे कि नम्बरवन कौन लेता है? आत्मा का पाठ तो कईयों ने पक्का किया है अभी परमात्मा वर्सा दे रहा है, कुछ तो वर्सा ले लेवें। आपका परिवार है ना! वंचित नहीं रह जायें। तो क्या करना है? वह भी बता दिया। बाकी दिल्ली फाउण्डेशन है। वह भी दिन आयेगा जो यह सारी मिनिस्ट्री सोचेगी कि यह जो कह रहे हैं वह मानना ही पड़ेगा। यह कमाल करके दिखाओ। नम्बरवन दिल्ली करे या कोई भी करे, उसको बापदादा इनाम देंगे। अभी जो रही हुई बात है उसको पूरा करो। उमंग है ना! उमंग है? दिल्ली वालों को तो है ना! अच्छा।

डबल विदेशी:- बापदादा चाहते हैं कि जैसे आपको टाइटिल मिला है डबल विदेशी, ऐसे आपका टाइटिल हो डबल पुरूषार्थी। तीव्र पुरूषार्थी। तीव्र पुरूषार्थी डबल विदेशी आये हैं। हो सकता है? जैसे डबल विदेशी हो वैसे तीव्र पुरूषार्थी। कोई भी साधारण पुरूषार्थी नहीं। बापदादा खुश होते हैं, हिम्मत रख करके पहुंच जाते हैं। कोई भी टर्न इस सीजन में नहीं देखा है जिसमें विदेशी नहीं आये हों। तो जैसे यह हिम्मत रख करके कर रहे हो। ऐसे ही अभी यह एक्जैम्पुल दिखाओ कि डबल विदेशी अर्थात् तीव्र पुरूषार्थी। हो सकता है? हाथ उठाओ। तो अगले ग्रुप में जो भी आयेंगे वह तीव्र पुरूषार्थी ग्रुप। जो आगे बढ़े, ऐसे अगले सीजन में बापदादा सभी को उठवायेंगे, जो भी तीव्र पुरूषार्थी बने हैं, बीच में रूकावट नहीं हुई है, उसको उठायेंगे। तो डबल विदेश तो उठेंगे ही। और भी तीव्र पुरूषार्थ करना और ऐसा तीव्र पुरूषार्थ करना जो बापदादा के आगे हाथ उठा सको। ठीक है मंजूर है? पहली लाइन मंजूर है! मधुबन वालों को पसन्द है ना! यह सब मधुबन वाले बैठे हैं। पसन्द है? मधुबन वाले फिर उठो। अच्छा। यह टी.वी में आ रहे हैं। अगर बापदादा कहे कि यह कौन-कौन थे, वह टी. वी. से निकाल सकते हैं। अच्छा। तो जो भी आये हैं, वैसे तो सुन सभी रहे हैं लेकिन मधुबन वाले तीव्र पुरूषार्थियों में हाथ उठायेंगे। उठायेंगे? अभी हाथ उठाओ। अच्छा। आपको तो पदमगुणा मुबारक है। बहुत अच्छा। बापदादा नोट करेंगे, हर एक ज़ोन से कितने तीव्र पुरूषार्थी हैं। आप लिस्ट देना। हर एक ज़ोन वाले, जो नहीं भी आवे तो लिस्ट जरूर ले आवे जो तीव्र पुरूषार्थ करते हैं उन्हों का नाम लिस्ट लावें। ठीक है। पीछे वाले, ठीक लगता है? आपको ठीक लगता है? बहुत अच्छा। बापदादा को तीव्र पुरूषार्थी बहुत पसन्द हैं। कब तक साधारण पुरूषार्थ करेंगे। चलना है ना अभी तो घर जाना है ना! तो तीव्र पुरूषार्थी बनके जाना है ना! बापदादा को, सुनाया भी हर एक बच्चा विजयी हो, यह अच्छा लगता है। यह हुआ, यह हुआ... यह समाचार सुनना अच्छा नहीं लगता है। तो कम से कम जो भी ज़ोन हैं, वह इन 6 मास में, सभी ने तीव्र पुरूषार्थ किया, यह रिजल्ट तो दे सकते हो। अगर 6 मास तीव्र पुरूषार्थ करेंगे तब तो आदत पड़ जायेगी। पड़ जायेगी ना आदत! तो रिजल्ट लेंगे तीव्र पुरूषार्थी 6 मास में कितने बनें? और बापदादा इनाम भी देंगे। जिस ज़ोन में ज्यादा से ज्यादा तीव्र पुरूषार्थी होंगे उनको इनाम भी देंगे। मंजूर है! मंजूर है मधुबन वाले? अच्छा।

पहली बार बहुत आये हैं:- बहुत अच्छा। जो भी पहले बारी आये हैं उन्हों को बापदादा बहुत-बहुत मुबारकें दे रहे हैं। क्यों? क्योंकि इस दु:ख के वायुमण्डल को पार करते हुए सुख चैन के तरफ पहुंच तो गये हैं। हर एक आने वाला अपने जीवन द्वारा और आत्माओं को भी परिचय तो दे सकेंगे। और आने वालों को यह भी मालूम हो कि लास्ट सो फास्ट जाकरके आप भी पुरूषार्थी बन ऊंच बन सकते हो क्योंकि बाप को मान लिया ना! तो बाप द्वारा वर्से के अधिकारी बन गये। बापदादा को खुशी है कि समय समाप्त होने के पहले अपने घर में तो पहुंच गये। बाप को भी खुशी है कि बच्चे अपने परिवार में पहुंच गये हैं। अपने घर में पहुंच गये हैं। वह है कार्य करने का स्थान लेकिन घर परमात्मा का घर सो आपका घर इसलिए बाप पदमगुणा खुश है कि बिछुड़े हुए बच्चे अपने परिवार में, अपने घर में पहुंच गये हैं। अभी लास्ट सो फास्ट बन सकते हो। मार्जिन है। अगर तीव्र पुरूषार्थ करेंगे तो जितना आगे बढ़ने चाहो उतना बढ़ सकते हो। सिर्फ अटेन्शन देना पड़ेगा बस। और बापदादा को तो खुशी होगी कि वाह बच्चे वाह! तो भले आये, और आते हुए अपने आपको आगे बढ़ाते रहना। तीव्र पुरूषार्थ करते रहना, ओम् शान्ति। अच्छा।

सभी चारों ओर के बच्चों को बापदादा का दिल का यादप्यार और साथ-साथ बाप हर एक बच्चे को अपने स्वमान के नशे में निश्चय में देख हर्षित होते हैं, कभी भी स्वमान को नहीं छोड़ना। स्वमानधारी अर्थात् सदा सर्व प्राप्तिवान, स्वमान की लिस्ट बड़ी लम्बी है, रोज़ एक-एक स्वमान स्मृति में रख स्वरूप में लाते तीव्र पुरूषार्थी बन आगे बढ़ते चलो। बापदादा को दिल में बिठाके और अपने को बापदादा के दिल में बिठाके निर्भय होके मास्टर सर्वशक्तिवान बन चलते रहो, उड़ते रहो और उड़ाते रहो। ओम् शान्ति।

मोहिनी बहन से:- चलना आ गया है ना। चलते जाना। साथ हैं, हाथ है और क्या चाहिए। (दादी जानकी जी आज तबियत के कारण स्टेज पर नहीं आई हैं) बापदादा तो सामने देख रहा है, बच्ची कहाँ भी है लेकिन बाप के दिल में बैठी है। बापदादा बच्ची को सर्व शक्तियों की किरणें दे रहे हैं। सेवा के निमित्त बनी हुई आत्मा हो इसलिए सभी आत्मायें भी परिवार भी आपको यादप्यार दे रहा है। निमित्त हो, निमित्त बनना ही है। बाकी यह थोड़ा बहुत हिसाब किताब, यह भी चुक्तू हो ही जायेगा। बापदादा और परिवार की शुभ आशायें आपके साथ हैं और सदा रहेंगी। अच्छा।

परदादी से:- ठीक है, हर्षितमुख। बहुत अच्छा है। कितनी भी कुछ तकलीफ हो लेकिन शक्ल से नहीं लगता। साक्षी होके चल रही हो। साक्षी होके चलने में होशियार हो। नम्बर ले लेंगी।

तीनों भाइयों से:- यह मिलने की विधि बहुत अच्छी है। अभी विशेष यही है कि वायुमण्डल को और पावरफुल बनाओ। जो दरवाजे से कोई आवे तो अनुभव करे कि कौन से स्थान पर आ रहे हैं। शान्ति तो अनुभव करते हैं लेकिन शक्ति की अनुभूति हो कि यहाँ से जो चाहे वह मिल सकता है। ऐसा वायुमण्डल कहाँ नहीं देखा है, विचित्र स्थान है यह। यह अनुभव करें। और आपस में मिलकर जो भी डिपार्टमेंट वाले हैं उन्हों को सप्ताह में एक या दो बारी आपस में कोई विषय पर टाइम निकालके हालचाल पूछके कोई प्रबन्ध चाहिए, सैलवेशन चाहिए, वह भी पूछे और साथ-साथ कोई न कोई प्वाइंट का होमवर्क देवे जो फिर दूसरी बारी पूछे। तो हर एक डिपार्टमेंट में यह होना चाहिए। नहीं तो सिर्फ कामकाज करते हैं ना बिजी हो जाते हैं। आपस में कुछ रूहरिहान भी करें। जैसे तीव्र पुरूषार्थी ग्रुप करता है ना। तो यह इतना नहीं कर सकते। हफ्ते दो में यह प्रोग्राम अपने डिपार्टमेंट में रखें तो पता पड़ेगा क्या है क्या नहीं। कुछ चाहिए सैलवेशन तो बतावे, फिर सोच समझके देवें। मतलब कुछ ज्ञान का भी डिपार्टमेंट में हो सिर्फ काम काम नहीं। यह हो सकता है ना। हो सकता है? तो यह करो। सेन्टर वाले आपस में रात में बैठते हैं और बैठना चाहिए। चाहे हफ्ते में बैठें चाहे 15 दिन में बैठें। पॉजिटिव करेंगे तो निगेटिव दबता जायेगा। सब राय करके यह मीटिंग होगी ना उसमें राय करो।

(हू एम आई फिल्म को एज्युकेशनल फिल्म के रूप में गवर्मेन्ट ने पास किया है) सभी को यह खबर पहुंचाओ। कुछ न कुछ आवाज फैलाते जाओ। अभी क्या है, वायुमण्डल ठीक है। अभी जो भी करेंगे ना उसका प्रभाव पड़ेगा

(अभी 6 मास तो नहीं मिलेंगे) मिलते रहेंगे, अमृतवेले तो मिलेंगे।