14-10-15          ओम् शान्ति          “अव्यक्त  बापदादा”          मधुबन
 


``जो बच्चे याद में रहते हैं वह बापदादा के दिल में सदा समाये हुए हैं, सबके दिल में अब यही खुशी है कि हमारा सतयुगी राज्य आया कि आया, सभी ऐसा युग लाने में बिजी हैं''

सभी स्नेही बच्चों की यादप्यार बापदादा तक पहुंच रही है। हर एक की दिल यही बोल रही है मेरा बाबा और बापदादा क्या बोल रहे हैं?  मेरे बच्चे। यह मुलाकात बड़ी सुन्दर है। हॉल को देख करके, हॉल में बच्चों के श्रृंगार को देख करके बापदादा को खुशी हो रही है और यही दिल में आ रहा है वाह बच्चे वाह! हर एक की शकल में मिलन के खुशी की लहर दिखाई दे रही है। यह मिलन कितना वैल्युबुल है। हर एक के दिल में और बापदादा के दिल में भी यही आ रहा है वाह मेरे बच्चे वाह! और बच्चों की दिल में क्या आ रहा है?  वाह बाबा वाह! यह मिलन भी कितना प्यारा है। हर एक के दिल में यही शब्द समाये हुए हैं मेरा बाबा। और बाप के दिल में क्या है?  मेरे बच्चे। एक एक बच्चा चाहे दूर बैठा है, चाहे नजदीक बैठा है, लेकिन कहाँ बैठा है?  इस सीट पर बैठे हैं?  कहाँ सीट मिली है! बापदादा के दिल में हर बच्चा समाया हुआ है। दो आवाज आ रहे हैं। एक तो वाह बाबा वाह! दूसरा फिर बाप का आवाज है वाह मीठे बच्चे वाह! हर एक ने दिल में समाने के बाद सम्मुख नयनों द्वारा देख क्या क्या गीत गा रहे हैं! सबके दिल से एक ही शब्द निकल रहा है मेरे बाबा और बाबा के मुख से क्या निकलता है! मेरे बच्चे। यह बाप और बच्चों का मिलन कितना वन्डरफुल है। बाप भी कितना हार्षित हो रहा है। यह भी कुछ नहीं है, नहीं तो घरों में भी जहाँ भी हैं वहाँ स्थूल में भी इस हॉल में हैं, यह बाप और बच्चों का मिलन कितना न्यारा और प्यारा है। मैजारिटी बच्चे बाप के दिल में समाये हुए हैं। बाप भी एक-एक बच्चे को देख चाहे लास्ट में बैठा है लेकिन बाप के दिल में समाया हुआ है। बाप भी बच्चों को इस आंखों से देख कितने खुश हो रहे हैं वाह बच्चे वाह! एक-एक बच्चा बाप के नयनों का नूर है इसलिए आप सब एक दो में टाइटल देते हैं नयनों के नूर। भले कहाँ भी रहो लेकिन याद करने वाले बच्चों के नयनों में बाप समाया हुआ है। और बाप के दिल में सभी बच्चे समाये हुए हैं, जो याद में हैं वह समाया हुआ है। अपने को देखते हो ना बाप के दिल में समाये हुए। यह दृश्य भी इस संगमयुग का विचित्र दृश्य है, जो अभी बापदादा देख रहे हैं। भले कुर्सी पर हॉल में बैठे हो लेकिन बापदादा क्या अनुभव कर रहे हैं?  सभी दिल में समाये हुए दिल के दीपक हैं। और बापदादा भी हर दीपक को देख कितने खुश हैं! वाह बच्चे वाह! बाप भी बच्चों के सिवाए रह नहीं सकता और बच्चे भी बाप से सम्मुख मिलकर बहुत-बहुत अनुभव करते हैं। अभी भी अनुभव कर रहे हैं। सबके दिल में कौन! क्या कहेंगे सभी! मेरा बाबा। और बाप के दिल में कौन! मेरे बच्चे। यह बाप और बच्चों का दिल का मिलन इस संगम पर ही प्राप्त होता है। तो सबके दिल में कौन! मेरा बाबा। बाप के दिल में कौन! मीठे बच्चे। हर एक अनुभव अपने यथा शक्ति कर रहे हैं। दोनों की तरफ से दिल में कौन! मेरा बाबा, बाप के दिल में कौन! मेरे बच्चे। यह वन्डरफुल मिलन आप बच्चे ही कर सकते हैं। मेरा बाबा और बाप के दिल में कौन! मेरे बच्चे, यह मिलन इस संगमयुग पर ही होता है। देखो कहाँ कहाँ से आ गये। हर एक की दिल क्या कह रही है! मेरा बाबा। और बाप की दिल क्या कह रही है! मेरे बच्चे, सिकीलधे बच्चे। अभी हर एक बच्चे को जैसे आपकी दिल में बाबा समाया हुआ है ऐसे सभी के दिल में बाप आ जाए, यह पुरूषार्थ बच्चे भी कर रहे हैं और बाप बच्चों के पुरूषार्थ को देख करके खुश होते रहते हैं क्योंकि जहाँ बाप है वहाँ और कोई बात आ नहीं सकती। बाप की दिल में बच्चे, बच्चों की दिल में बाप। ऐसे अनुभव है ना! बापदादा भी हर बच्चे को देख कितना खुश होता है। दिल से क्या निकलता! वाह बच्चे वाह! अभी सबके दिल में कौन! मेरा बाबा। और बाप के दिल में कौन?  वाह बच्चे वाह! सारे हॉल का दृश्य देख देख बापदादा हार्षित हो रहे हैं।

(बाबा आपसे मिलन मनाने के लिए 20 हजार भाई बहिनें आये हैं,  डबल विदेशी 60 देशों से 700 आये हैं, सेवा के टर्न में - राजस्थान वाले 4000 आये हैं, पंजाब वाले 10 हजार आये हैं।) अभी सतयुग को लाने का आधार आप बच्चों का है। हर एक बच्चा इसी सेवा में लगा हुआ है। बापदादा को खुशी है कि सभी ऐसा युग लाने में बिजी हैं। बापदादा भी हर बच्चे के अन्दर का उमंग-उत्साह देख खुश हो रहे हैं। अन्दर ही अन्दर कितना पुरूषार्थ कर रहे हैं वह युग लाने का। बापदादा बच्चों का पुरूषार्थ भी चेक करता है। मैजारटी इस धुन में लगे हुए हैं हमारा युग जल्दी से जल्दी आ जाये। आ रहा है,  आप सबके पुरूषार्थ को बापदादा देख खुश है, लेकिन सदा नहीं है। थोड़ा सा सदा का हो जाए तो इस आंखों से देखेंगे। आपके लिए ही तो यह युग है। आप ही युग बदलने का पुरूषार्थ कर रहे हैं और सफलता भी है। सबके दिल में यही उमंग है हमारा युग आया कि आया। वह अपना युग है, अपना युग ला रहे हैं। और होना ही है, यह भी गैरन्टी है। बापदादा भी होवनहार बच्चों को देख खुश होते हैं। क्या गीत गाते! वाह बच्चे वाह! हर एक की सूरत में अपना भविष्य स्पष्ट है, साथ और समय भी है,  अब हम अपने वतन में चलेंगे। सबके दिल में अपना वतन आ रहा है ना! बस सामने खड़ा है। हमारा युग आ रहा है। खुशी हो रही है ना!

डबल विदेशी भाई बहिनें:- यह भी अच्छा है जो सभी को चांस मिल जाता है मिलने का। तो स्पेशल एक-एक जोन को अलग अलग टर्न मिला हुआ है और बापदादा भी बच्चों को देख करके खुश होते हैं वाह मेरे बच्चे वाह! विदेश वालों को भी यह अपना देश प्यारा लगता है। जब आते हैं यहाँ तो उन्हों के अनुभव बताते हैं कि अपने असली स्थान पर आते कितने खुश होते हैं और बाप भी ऐसे बच्चों को देख खुश होते हैं। सभी खुश तो है ही और अभी खुश नहीं होंगे तो कब खुश होंगे, यही समय है बाप और बच्चों के मिलन का, पहचान से। बच्चे भी खुश हो रहे हैं और बाप भी खुश हो रहे हैं वाह! सारी स्मृति आ रही है ना। सारे चक्र की स्मृति आ रही है। अभी तो बाकी थोड़ा समय है, जिसको अपना युग कहते हैं, अभी दूसरे के युग में अपना मिलन मना रहे हैं। लेकिन पक्का याद है कि हमारा युग आया कि आया। जब मधुबन में आते हो, खुश तो अभी रहते ही हो लेकिन मधुबन में आते हो तो खास खुशी होती है कि यहाँ ही हमको राज्य करने आना है। अभी तपस्या कर रहे हैं और यहाँ ही राज्य करने आना है। यह भासना आती है ना! कि हमारे लिए राज्य का स्थान भी है, सेवा का स्थान भी है। खुशी है ना। अपना राज्य स्थान देखकर खुशी हो रही है ना। हमारा यहाँ ही राज्य था और अब तो आया कि आया। ऐसा सहज योग, राजयोग सारे कल्प में नहीं होता। आप ही निमित्त हो और अपना अधिकार फिर से अनुभव कर रहे हो।

देखो यह समय कितना वैल्युबुल है, जो पहचान रहे हैं कि हमको राज्य भाग्य मिल रहा है। हम हैं क्या और क्या बनने वाले हैं! नशा है, खुशी है, हम ही थे और हम ही हो रहे हैं। खुशी है! है खुशी तो हाथ उठाओ। हाँ देखो कितनी खुशी है क्योंकि हमारा युग आने वाला है। देखो, यहाँ सब मातायें दिखाई देती हैं। मातायें खुश कितनी हो रही हैं, वाह हमारा युग आ गया, हमारा युग आ गया। अकेली आप भी नहीं होंगी, युगल होंगे। राज्य करेंगे ना! तो राज्य अकेला थोड़े ही करेंगे। राज्य में तो दोनों ही होंगे ना। तो खुशी होती है हमारा राज्य आ गया। बाप आया ही है राज्य देने के लिए। और सबको कितनी खुशी है! अब अपना राज्य होगा। हमारा राज्य। नशा कितना है! और राज्य की खुशी कितनी है! हमारा राज्य आया कि आया। कितनी खुशी है! बताओ। कैसे बतायेंगे। ताली बजाओ। तालियों का आवाज देखो क्या है! वाह! और सबकी शक्लें देखो, इतनी मुस्करा रही हैं, हमारा राज्य आ गया। खुशी है ना सभी को! तभी तो तालियां बजाई। अभी तो दु:खी होना या रोना उसकी जरूरत ही नहीं है, खुशी के दिन आ गये, हमारा राज्य आ गया, हमारा राज्य... नशा कितना है! दूसरे के राज्य में बहुत टाइम रहे अभी हमारा राज्य, खुशी है ना! भाईयों को खुशी है! बहनों को है?  देखो, चारों ओर खुशी देख करके कितना अच्छा लग रहा है। कोई के दिल में दु:ख की लहर नहीं, खुश और बापदादा भी आप सभी को इस खुशी की बहुत-बहुत-बहुत बधाई दे रहे हैं।

दादी जानकी जी बापदादा से गले मिली:- सभी सोच रहे हैं हम भी मिलें। लेकिन बाबा के ह्दय में सब समाये हुए हो। एक एक एक बाबा के दिल में समाया हुआ है।

मोहिनी बहन:- सब ठीक है ना! (आपके वरदानों से ठीक हैं) वरदान तो है ही। बापदादा क्या कर रहा है! वरदानों से ही चला रहा है क्योंकि यहाँ रह नहीं सकता इसलिए वरदानों से चला रहा है। सभी खुश है ना। बहुत खुश। सभी खुश है। चेहरा दिखाई दे रहा है। सभी के चेहरे दिखाई दे रहे हैं कि सेवा में मजे में हैं। थोड़ा समय सेवा के लिए मिला है, ज्यादा समय नहीं है।

(तीनों भाईयों ने बापदादा को गुलदस्ता दिया) तीनों ही खड़े हो। अच्छा चल रहा है ना! (सभी की तबियतें नीचे ऊपर हैं) वह भी खुशी में ठीक हो जायेगी। फिर भी देखो वायुमण्डल का फर्क तो होता है ना। वहाँ और यहाँ रहने में तबियत में फर्क तो पड़ता है। सभी की तबियत ठीक है। कोई भी ऐसा बीमार नहीं है, सभी ठीक हैं, कोई बीमार नहीं हैं। खुश हैं तो बीमार नहीं। सब खुश है ना! हाथ उठाओ। यह खुशी ही खुराक है। और खुराक मिले या नहीं मिले। यह खुशी की खुराक अच्छी है। (अभी दादी जानकी कहती हैं मैं बीमार हूँ) दादी जानकी भी बीमार नहीं है। यह तो इनका थोड़ा हिसाब-किताब रहा हुआ है, वह जल्दी चुक्तू हो रहा है। अच्छा सम्भाल भी रही है और तबियत भी अच्छी है। बस खुश रहना, यह है दवाई। यह दवाई बीमारी को आने नहीं देगी। आयु के हिसाब से, बीमारी के हिसाब से सभी सोचते हैं लेकिन यह बेफिक्र है। (दादी जानकी जी के 100 वर्ष के सेवाओं की किताब विदेशी भाई बहिनों ने बनाई है, जिसका बापदादा ने विमोचन किया) आप सबके भी तो 100 साल मैजारिटी के हो गये होंगे! (किताब देखकर) बहुत अच्छा है।

(ओमप्रकाश भाई इन्दौर, मोहिनी बहन अमेरिका और कमलेश बहन कटक तीनों बीमार हैं, आपको बहुत याद दी है) जो भी बीमार है उन सभी को लेकिन उसके साथ आप सभी को बहुत बहुत यादप्यार है और सदा याद रहेगी। सभी के दिल में बाबा बाबा है, और बाबा के दिल में कौन! बच्चे।

 

03-11-15          ओम् शान्ति          “अव्यक्त  बापदादा”          मधुबन
 


"प्रभु प्यारों का संगठन संगम के इस महान समय में ही होता है, हर बच्चे के दिल में बाबा और बाबा के दिल में सिकीलधे बच्चे हैं" 

आज बापदादा चारों ओर के बच्चों को देख हर्षित हो रहे हैं क्योंकि हर एक बच्चा बाप को देख हर्षित हो मिलन मना रहा है। यह बाप और बच्चों का रूहानी मिलन कितना प्यारा है। यह मिलन अमर बनाने वाला मिलन है। हर एक बच्चा अमर भव के वरदानी है। कुछ भी हो लेकिन बच्चे बाप से मिलन मनाने में सदा बिजी हैं। सबके मुख से क्या निकल रहा है? वाह बाबा वाह! और बाप के मुख से यही बोल निकल रहे हैं - वाह मेरे सिकीलधे बच्चे वाह! वाह! सबके मुख से वाह-वाह का गीत सुनाई दे रहा है। सबके चेहरे वाह-वाह के गीत गा रहे हैं। बापदादा भी रेसपान्ड दे रहे हैं वाह बच्चे वाह! सबके दिल का आवाज चाहे दूर हैं, चाहे नजदीक हैं लेकिन सबके दिल का आवाज रेसपान्ड कर रहा है, बाप कहते वाह बच्चे वाह और बच्चे कहते वाह बाबा वाह। यह वाह वाह का गीत गूंज रहा है। सबके फेस से आटोमेटिक वाह वाह निकल रहा है। आज की मुबारक सबके मुख से सुनाई दे रही है। सभी एक ही खुशी का गीत गा रहे हैं वाह बाबा वाह! बाप के मुख से गीत है वाह सिकीलधे एक-एक बच्चा वाह! तो इस समय सारी सभा के दिल का आवाज वाह बाबा वाह! बाप का आवाज वाह बच्चे वाह! सब वाह वाह हैं। भले पुरुषार्थी हैं, नम्बरवार भी हैं लेकिन हर एक के मन का आवाज एक ही है वाह वाह! सोच क्या रहे हैं! वाह वाह कर रहे हैं। आप सबके दिल का आवाज वाह वाह का है ना! बाबा कहते वाह सिकीलधे बच्चे वाह और बच्चे कहते वाह बाबा वाह! तो सब कौन बैठे हैं? कहाँ से भी आये हैं लेकिन यह संगठन किन्हों का है? चाहे नम्बरवार भी हैं लेकिन बाप के बच्चे हैं इसलिए जैसे बाप वाह वाह है, हर एक की दिल में क्या बज रहा है? वाह बाबा वाह। बाप की दिल में क्या गीत बज रहा है? वाह बच्चे वाह! भले नम्बरवार हैं लेकिन हर एक के जीवन का लक्ष्य क्या है? विश्व में अगर वाह वाह का संगठन देखना हो तो कहाँ देखने में आयेगा?

आज भी अभी बापदादा वाह वाह का संगठन देख रहा है। चाहे नम्बरवार तो हैं लेकिन हैं वाह वाह! सब प्रभु प्यारे हैं। तो यह संगठन प्रभु प्यारों का है। हर एक चाहे नम्बरवार हो लेकिन मूल आधार सबका एक है। सबके दिल से मुख से क्या निकलता है? वाह बाबा वाह! और बाप के मुख से क्या निकलता है? वाह सिकीलधे बच्चे वाह! तो हर एक अपने को चाहे बैठने में आगे पीछे हो लेकिन हर एक बाप के सिकीलधे हैं। बाप भी हर एक बच्चे को उसी रूप में देख रहे हैं। हर एक के दिल में कौन? तो क्या कहेंगे? वाह वाह बाबा! और बाप की दिल में कौन? हर बच्चा है। नम्बर है लेकिन सिकीलधे सब हैं।

आज का यह संगठन क्या कहेंगे? हर एक बाप का सिकीलधा है। ऐसे अनुभव करते हो ना! सबके सूरत से ऐसा अनुभव हो रहा है कि सबके दिल में एक बाप है। और बाप भी हर बच्चे को देख देख मुस्करा रहा है वाह बच्चा वाह! यह मिलन इस समय का मिलन कितना महान है! सारे कल्प के अन्दर अगर महान समय है तो अब है इसीलिए गायन है संगमयुग महान युग है। बापदादा इसी महानता से बच्चों से मिल रहे हैं। बच्चे कहते हैं बाप महान है, बाप क्या कहते हैं? चाहे कैसा भी बच्चा है लेकिन बाप का अति प्यारा है। भले नम्बरवार है लेकिन बाप को हर बच्चा प्यारा है। बाप का प्यार हर बच्चे को अनुभव में है। प्यार से क्या कहते? मेरा बाबा। और बाप क्या कहते? एक एक को, मेरा बच्चा। एक दो से प्यारे हैं।

आज का दिन मिलन का दिन है। कितने भी बच्चे हैं, कहाँ भी है, कैसा भी है लेकिन बाप का प्यारा है। ऐसे है? हर एक बाप का प्यारा है। हाथ उठाओ। देखो, सभी के हाथ यहाँ आके देखो। दादी यहाँ से देखो सबका कितना प्यार है। सबके प्यार का हाथ उठ रहा है। यहाँ से भी देख रहे हैं। यहाँ बैठे भी देख सकते हैं। जहाँ भी देखो कौन बैठे हैं? हाँ देखो आके कितना मजा आता है। बाप के प्यारे, लाडले बैठे हैं और कितने साधारण बैठे हैं। सभी बाप के प्यारे हैं ना! हाथ उठाओ। यह सीन आके देखो, सब कैसे मुस्कराते हैं। सबके दिल का हाल शक्ल से दिखाई दे रहा है। सबके दिल में कौन? क्या कहेंगे? मेरा बाबा। और बाप क्या कहते हैं? मेरा बच्चा। सभी बाप के प्यारे लाडले हैं ना। हैं? हाथ उठाओ। देखो, बाप देख रहे हैं, आपको देखने में नहीं आता लेकिन बाप कहते हैं एक बारी आके सभा को देखो, कितने प्यारे हैं। कितने लाडले हैं। देखा है? आओ (बापदादा दादी जानकी को बुला रहे हैं) आ सकती हैं। हाँ खड़े होकर देखो। (वन्डरफुल बाबा वाह बाबा वाह, बाबा बहुत अच्छी सभा है) हर एक बच्चा लाडला है।

सेवा का टर्न इन्दौर का है, 7 हजार आये हैं, उसमें होस्टल की 150 कुमारियां हैं:- सब सेवा के लिए एवररेडी हैं। बाप ने देखा हर एक ज़ोन समय पर अपना पार्ट अच्छा बजा रहे हैं और आप सब भी हर ज़ोन के सेवा से सन्तुष्ट हैं ना! सन्तुष्ट है? हाथ उठाओ।

500 डबल विदेशी 55 देशों से आये हैं:- डबल विदेशी ज्यादा आये हैं। डबल विदेशी सभी हाथ उठाओ। देश के भी अच्छे निमित्त बने हुए हैं। डबल विदेशी, वैसे भी विदेशी पुरूषार्थ करने में अच्छे हैं। पुरूषार्थ में आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे नहीं कि इन्डिया वाले नहीं। हर एक बच्चा चाहे इन्डियन हैं, चाहे विदेशी है लेकिन हर बच्चा अच्छे पुरूषार्थ में लगे हुए हैं। हर एक के मन में यही है कि नम्बर आगे से आगे लेना ही है। बापदादा भी बच्चों का पुरूषार्थ देख खुश है कि बाप से, दादा से सभी का चाहे विदेशी चाहे देशी, हर एक का बापदादा से दिल का प्यार अच्छा है और बापदादा का प्यार भी देश विदेश एक-एक बच्चे से दिल का प्यार है। चाहे नम्बर कैसा भी हो लेकिन बाप का प्यार लास्ट बच्चे से भी ज्यादा है क्योंकि हर एक याद में बैठते हैं तो किसकी याद में बैठते हैं? बाप की याद में बैठते हैं। जो बच्चे एक ही बाप की याद में रहते हैं तो बाप भी चाहे देशी चाहे विदेशी सबका प्यारा है। बाप के दिल में कौन? हर एक बच्चा दिल का दुलारा है।

बाप का सभी बच्चों के लिए, चाहे देशी विदेशी हर बच्चे के लिए दिल में प्यार है। बाप ने देखा है कि हर बच्चे का भी बाप से प्यार है तभी चल रहे हैं। अगर बाप से कनेक्शन नहीं हो तो शक्ति कहाँ से लेंगे। बाप से ही तो शक्ति लेके चल रहे हैं। बच्चों का प्यार बाप से अच्छा है। और बाप का प्यार हर बच्चे से है। कहाँ भी है चाहे देश, चाहे विदेश लेकिन हर बच्चा बाप का प्यारा है। चाहे कोई भी हो, बाप का प्यार चला रहा है। बाप को याद ही नहीं करेंगे तो शक्ति कहाँ से मिलेगी। हर एक का सम्बन्ध बाप से है। कोई कहे हमारा बाप से प्यार नहीं है, वह हाथ उठाओ। जो अपने आपको समझते हैं कि हम अपने पुरूषार्थ से चल रहे हैं। पुरूषार्थ कितना भी करें, कोई समझते हैं कि हम अपने पुरूषार्थ से चल रहे हैं, तो वह हाथ उठाओ। (कोई नहीं)

मोहिनी बहन:- सदा बाबा साथ है। हर बच्चे के साथ है। सदा बाप साथ है, ऐसे अनुभव होता है? बाप हर एक बच्चे के सदा साथ है, बाप एक होते भी सबसे निभा सकता है। अभी आप देखो जितने भी बैठे हो, तो किसका साथ है? बाप का ना! तो बाप के साथी हैं, एक-एक के साथ बाप है और साथ रहेंगे। बाप हर एक के साथ है ना।

मोहिनी बहन, न्युयार्क:- जो पार्ट बजा रहे हैं, अच्छा है। (बाबा यहाँ तक ले आये इसलिए आपको बहुत-बहुत थैंक्स) कहाँ भी हो, हर बच्चे का यादप्यार बाप को पहुंचता रहता है। कोई भी दूर नहीं है, दिल में है। सबसे नजदीक हो। (दूरी नहीं लगती है) दूर है भी नहीं।

सभी बाप के दिल में समाये हुए हैं। सभी दिल में हैं ना? दिलवर कौन? बापदादा ही तो दिलवर है। बच्चों का दिल भी बाप के साथ है ही। बिना बाप के साथ के कोई है ही नहीं। साथ हैं, साथ रहेंगे। सभी सदा साथ के अनुभव में रहते हैं ना! हाथ उठाओ।

(रमेश भाई ने पूना के जगदम्बा भवन का नक्शा बापदादा को दिखाया) जितना भी बढ़ाने चाहो उतना बढ़ा सकते हो, चाहे जगदम्बा, चाहे कोई कार्य के निमित्त कोई बच्चा भी है, तो भी हर एक बढ़ सकता है और बढ़ रहा है। बापदादा को खुशी है कि हर एक बच्चा आगे बढ़ रहा है। जितनी भी ताकत है उतना अच्छा पार्ट बजा रहे हैं। हर एक बच्चे में उमंग उत्साह अच्छा है। बापदादा खुश है कि हर एक बच्चा सदा अपने पुरूषार्थ में लगा हुआ है और लगा रहेगा।

सभी अच्छे पुरूषार्थ में आगे बढ़ रहे हैं, यह देख बापदादा खुश है। कुछ भी हो लेकिन अपना पुरूषार्थ अपने साथ है और सारा परिवार भी साथ है, अकेले नहीं हो। साथी हैं और साथ रहेंगे। हर एक के दिल में एक ही बाप याद है।

(बृजमोहन भाई ने दिल्ली - इन्डिया गेट का प्रोग्राम सुनाया, 8 नवम्बर को वहाँ बड़ा प्रोग्राम रखा है, वहाँ दोनों दादियां आ रही हैं उसमें विशेष हम क्या करें?) विशेष यही है कि बाप को प्रत्यक्ष करना है। बाप को प्रत्यक्ष करना अर्थात् सब कुछ करते सब सम्बन्ध एक बाप से रखना है। तो बाप से सम्बन्ध रखने का आधार बहुत अच्छा है। खास संगठित प्रोग्राम रखना है। कोई भी नहीं समझे कि यह दिल्ली का प्रोग्राम है। सबका बाप है, सबका प्रोग्राम है। भले कोई नजदीक है, कोई दूर है लेकिन है सभी का। यही उमंग उत्साह है और इसी को ही बढ़ाना है। कहाँ भी प्रोग्राम है लेकिन हमारा है। एक ही परिवार है। एक ही सबका बाप है। एक हैं, चाहे अनेक दिखाई देते हैं लेकिन सभी एक हैं। यही विशेषता यहाँ की है, टुकड़ा टुकड़ा नहीं है।

(डा.बनारसी भाई ने मेडिकल विंग सेवाओं का बुक दिखाया) अच्छा है, सभी बनाते हैं और बाप खुश होते हैं। बस सब मिल करके चल रहे हैं और चलते रहेंगे।

भूपाल भाई ने उदयपुर के मकान के बारे में पूछा:- जो भी कार्य चलता है ना उसमें सभी का साथ है। एक का नहीं, ब्रह्माकुमारियों का है, कुमार उसमें आ गये। (उदयपुर में सबका आना जाना होता है) आना-जाना तो रहेगा ही, परिवार है ना।

ओमप्रकाश भाई, इन्दौर:- तबियत ठीक है। (पहली बार बीमार हुआ हूँ) सबकी मदद से बाप के साथ से आगे बढ़ते चलो। ठीक चल रहे हैं, आगे बढ़ते रहेंगे। तबियत थोड़ी है ढीली लेकिन ठीक हो जायेगी। अच्छा है। सम्भाल से चलते रहो।

कमलेश बहन, कटक:- ठीक है। अच्छा है। (आपकी ब्लैसिंग से ठीक है) ब्लैसिंग तो सदा है ही। जो भी तबियत में थोड़ा बहुत होता है, तो समय कलियुग का है, इसमें यह सब तो आता ही है लेकिन सब कुछ होते हुए बाप की याद में सूली से कांटा बनाना है। आवे कितना भी सूली के रूप में लेकिन बाप की याद से कांटा बन जाये। अच्छा।

 

30-11-15   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘सदा फखुर में रह बेफिक्र बादशाह बनो, तीव्र पुरूषार्थ द्वारा सम्पन्न और समान बन साथ चलने की तैयारी करो’’

आज बापदादा बेफिक्र बादशाहों की सभा देख रहे हैं। यह सभा इस समय ही लगती है क्योंकि सभी बच्चों ने अपने फिकर बाप को देकर बाप से फखुर ले लिया है। यह सभा अभी ही लगती है। आप भी हर एक सवेरे से उठते कर्म करते भी बेफिक्र और बादशाह बन चलते हो ना! यह बेफिक्र का जीवन कितना प्यारा लगता है। बेफिक्र की निशानी क्या दिखाई देती है? हर एक के मस्तक में लाइट, आत्मा चमकती हुई दिखाई देती है। यह बेफिक्र जीवन कैसे बनी? बाप ने सभी बच्चों के जीवन से फिकर लेकर फखुर दे दिया है। जिनके जीवन में फखुर नहीं फिकर है उनके मस्तक में लाइट नहीं चमकती है। उनके मस्तक में बोझ की रेखायें देखने में आती हैं। तो बताओ आपको क्या पसन्द है? लाइट या बोझ? अगर कोई बोझ भी आता है तो बोझ अर्थात् फिकर बाप को देकर फखुर ले सकते हैं। आप सबको बेफिक्र लाइफ पसन्द है ना! देखने वाले भी बेफिक्र लाइफ पसन्द करते हैं।

तो बापदादा आज चारों ओर के बच्चों के चाहे सम्मुख हैं, चाहे जहाँ भी बैठे हैं, बच्चों के मस्तक बीच चमकती हुई लाइट ही देख रहे हैं। तो सदा बेफिक्र रहते हैं या कभी कोई फिक्र भी आता है? है कोई फिकर? जब बाप ने प्रकृतिजीत, विकारों जीत बना दिया तो फिकर कैसे आ सकता है? तो हाथ उठाओ बेफिकर बने हो? बने हो सदा? सदा बने हो या कभी-कभी? कभी-कभी वाले भी हैं? हाथ तो नहीं उठाते, बापदादा भी नहीं देखने चाहते हैं। बापदादा हर बच्चे को बेफिक्र बादशाह देखने चाहते हैं। अगर कभी-कभी वाले भी हैं तो बहुत सहज विधि है जो भी थोड़ा बहुत फिकर आता है तो मेरे को तेरे में बदल लो। यह हद के मेरेपन को, मेरे को तेरे में बदलने की बहुत सहज विधि है। आप तो कहते ही हो मेरा बाबा, तो अब मेरा क्या रहा? हद का मेरा तो समाप्त हुआ ना! मेरा बाबा हो गया। सभी दिल से कहते हो ना मेरा बाबा! प्यारा बाबा! मीठा बाबा! तो मेरे में तेरे को समाना मुश्किल है क्या? फर्क क्या है? ते और मैं, इतना छोटा सा फर्क है। संकल्प कर लिया सब तेरा और मेरा क्या रहा? मेरा बाबा।

तो बापदादा ने देखा मैजारिटी बच्चों ने हद के मेरे को तेरा बनाया है इसलिए क्या बन गये? बेफिक्र बादशाह। तो आज बापदादा बच्चों को बेफिक्र बादशाह स्वरूप में देख रहे हैं। देखो, भक्ति मार्ग में भी आपके चित्र बनाते हैं तो डबल ताज दिखाते हैं। एक तो लाइट का ताज है ही क्योंकि बेफिक्र आत्मा की निशानी है मस्तक में लाइट चमकती है और दूसरा ताज विकारों पर विजयी बने हो इसलिए ताज दिखाया है इसलिए यह अटेन्शन रखो कि जब बापदादा ने फिकर लेकर फखुर दे दिया तो क्या बन गये? बेफिक्र बादशाह। बादशाह बने हैं तो तख्त भी चाहिए ना! तो बापदादा ने तीन तख्त के मालिक बनाया है। जानते हो तीन तख्त कौन से हैं? एक तख्त भ्रकुटी का, यह तो सबको है ही। दूसरा तख्त है बापदादा का दिलतख्त और तीसरा है विश्व का तख्त, राज्य का तख्त। तो आप सबको यह तीन तख्त प्राप्त हैं ना! सबसे श्रेष्ठ है बापदादा का दिलतख्त। तो चेक करो तख्त पर रहते हो? क्योंकि बापदादा के दिलतख्त पर कौन बैठता है? जिसने सदा स्वयं भी बापदादा काे अपने दिलतख्त में बिठाया है, जो सदा श्रेष्ठ स्थिति में मास्टर सर्वशक्तिवान है। तो चेक करो कि सदा तख्तनशीन हैं? या कभी मिट्टी में भी आ जाते हैं। यह देहभान मिट्टी है। बहुत समय मिट्टी में रहे हैं तो कभी-कभी मिट्टी में तो नहीं चले जाते?

तो बापदादा सभी बच्चों को समय का ईशारा दे रहे हैं। अचानक का पाठ पक्का करा रहे हैं, इसके लिए इस संगम के समय का बहुत-बहुत महत्व रखना है क्योंकि इस एक जन्म में अनेक जन्मों की प्रालब्ध बनानी है इसलिए बापदादा ने इशारा दिया था तो संगम के समय में दो बातों का हर समय अटेन्शन देना है। वह दो बातें तो याद होंगी - समय और संकल्प। बापदादा को सभी ने व्यर्थ संकल्प, संकल्प द्वारा देने की हिम्मत रखी थी। तो चेक करो हिम्मत सदा कायम है? क्योंकि हिम्मते बच्चे, एक बार तो बाप हजार बार मददगार है। तो अभी क्या समझते हो? व्यर्थ संकल्प का जो हिम्मत रख बाप के आगे संकल्प किया वह कायम है? क्योंकि इस व्यर्थ संकल्पों में समय बहुत जाता है और आपका इस समय के प्रमाण कार्य है विश्व की आत्माओं को सन्देश देने का। तो व्यर्थ संकल्प को समाप्त करना है तब दु:खी, अशान्त आत्माओं को सुख शान्ति का अनुभव करा सकेंगे। बापदादा को दु:खी बच्चों को देख तरस पड़ता है। आपको भी अपने भाई-बहिनों को देख तरस तो पड़ता है ना!

बापदादा ने देखा कि वर्तमान समय सभी को रूचि है, प्लैन बनाया भी है, प्रैक्टिकल किया भी है, इस 75 वर्ष की जुबिली मनाने का। बापदादा यही चाहते हैं, प्रोग्राम तो सब अच्छे किये हैं, इसकी मुबारक भी दे रहे हैं। लेकिन अभी समय के प्रमाण जल्दी-जल्दी उन्हों को वारिस बनाओ, जो कुछ न कुछ वर्से के अधिकारी बन जायें। अच्छा- अच्छा बहुत कहते हैं, बापदादा ने भी बच्चों के सेवा की यह रिजल्ट तो देखी है और बाप बच्चों पर खुश भी है। दिल से कर रहे हैं और अभी समय प्रमाण सुनते भी रूचि से हैं। इतना अन्तर तो आया है। अच्छा-अच्छा लगता है लेकिन अच्छा बनाके कुछ न कुछ वर्से के अधिकारी बनाओ। इसके लिए बापदादा ने पहले भी इशारा दिया है कि अभी समय अनुसार तीव्र पुरूषार्थी बनने की आवश्यकता है। तीव्र पुरूषार्थी बनने के लिए मुख्य पुरूषार्थ है सेकण्ड में बिन्दी लगाना। सेकण्ड और बिन्दी, दोनों समान। तो अब बापदादा बच्चों का तो बेफिक्र बादशाह का रूप देख रहा है। अभी इसी रूप को सदा अनुभव करो। कोई भी कुछ भी आवे तो मेरे को तेरे में समा दो।

आज बापदादा ने देखा, गुरूवार का दिन है बहुत बच्चे बापदादा के पास पहुंचे, तो बापदादा ने कहा सप्ताह के दो दिन विशेष हैं। एक गुरूवार दूसरा इतवार, सण्डे। तो गुरूवार के दिन गुरू का दिन है, गुरू से क्या मिलता है? वरदान। तो गुरूवार के दिन वरदान का दिन विशेष है, इस रूप से गुरूवार को मनाओ। कोई न कोई विशेष वरदान अमृतवेले से अपने बुद्धि में इमर्ज रखो। वरदान तो अनेक हैं लेकिन विशेष एक वरदान अपने लिए बुद्धि में रख चेक करो कि वरदानी दिन में वरदान स्वरूप बन, वरदान को रिपीट नहीं करना है लेकिन वरदान स्वरूप बनना है और चेक करते रहो तो आज कितना समय वरदान स्वरूप रहे? सण्डे का दिन विशेष दुनिया में छुट्टी का दिन होता है। तो सण्डे के दिन मनाओ जो भी कुछ अपने जीवन में संकल्प मात्र भी कमज़ोरी हो, स्वप्न मात्र भी कमज़ोरी हो उसको छुट्टी देना है। तो जैसे लोग यह दोनों ही दिन अच्छा बिताते हैं, ऐसे आप भी इन दोनों दिन में विशेष यह लक्ष्य और लक्षण सिर्फ लक्ष्य नहीं लेकिन लक्ष्य के साथ लक्षण को अटेन्शन में रखो। बापदादा ने सभी बच्चों को साथ ले चलने का वायदा किया है। इसके लिए साथ चलने की तैयारी क्या करनी है? बाप तो सेकण्ड में अशरीरी बन जायेंगे लेकिन आपने जो वायदा किया है, बाप ने भी वायदा किया है साथ चलेंगे, तो चेक करो उसकी तैयारी है? सेकण्ड में बिन्दी लगाई, सम्पन्न और सम्पूर्ण बन चला। तो ऐसी तैयारी है? साथ तो चलना है ना! चलना है? कांध हिलाओ। चलना है, अच्छा। पक्का? हाथ में हाथ देना, इसका अर्थ है समान बनना। तो चेक करो समय तो अचानक आना है, तो इतनी तैयारी है जो साथ में चलें?

बाप का बच्चों से प्यार है ना! तो बाप एक को भी साथ चलने में पीछे छोड़ने नहीं चाहते। साथ है, साथ रहेंगे, साथ चलेंगे और साथ राजधानी में राज घराने में आयेंगे। मंजूर है ना! मंजूर है? तैयारी है? मंजूर है में तो हाथ उठा लेंगे, यह हाथ नहीं उठाओ। तैयारी है, इसमें हाथ उठाओ। बड़ा हाथ उठाओ। अच्छा। कल भी विनाश हो जाए तो तैयार हो? लेकिन अपनी सेवा को समाप्त किया है? सेवा तो अभी रही हुई है? सेवा समाप्त हो गई है? सन्देश सबको पहुंच गया है? सिर्फ अपने मोहल्ले में ही देखो, आपने हर एक को बाप आ गया है, वर्सा लेना हो तो ले लो, यह सन्देश दिया है? अभी प्लैन बना रहे हैं। बापदादा ने सुना कि घर-घर में सन्देश देने का प्लैन बना रहे हैं। अच्छा है, सन्देश तो देना ही है, नहीं तो उल्हना मिलेगा। प्रोग्राम बनाया है ना! उठो, बाप को प्लैन बताया है ना! उठो। (मीडिया वालों को उठाया) अच्छा है उल्हना पूरा कर लो क्योंकि होना तो अचानक ही है। तो आपस में मिलकर इसी प्लैन को प्रैक्टिकल में लाओ। आपस में राय सलाह जल्दी करो, समय लग जाता है ना तो उमंग भी थोड़ा कम हो जाता है। बाकी बापदादा को तो पसन्द है कि घर-घर में यह उल्हना पूरा हो जाए तो हमको तो पता नहीं पड़ा, बाप आया और चला भी गया, वंचित रह गये। सभी को उमंग है ना! सबको उमंग है? सेवा करके उल्हना पूरा करना है। उमंग है तो बापदादा का सहयोग भी है। अच्छा।

तो बापदादा के दिल की आश को तो सभी जानते ही हो। समान और सम्पूर्ण, यह दो शब्द सदा चेक करो तो क्या बाप की यह आशा पूर्ण की? क्योंकि बापदादा हर बच्चे को बाप के आशाओं का सितारा समझते हैं। हर एक बच्चे का बाप से प्यार है, यह तो बापदादा भी जानते हैं। इन सभी को मधुबन में लाने वाला क्या है? यह प्यार की ट्रेन में आते हैं। प्यार के प्लेन में आते हैं। तो बाप भी बच्चों के प्यार की सबजेक्ट में बच्चों से खुश है। लेकिन जो दो शब्द बाप चाहते हैं समान और सम्पूर्ण, इसको भी सम्पन्न करना ही है।

तो आज बापदादा चारों ओर के बच्चों को दिल से स्नेह से देख एक-एक बच्चे को दिल के प्यारे की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

सेवा का टर्न इन्दौर और भोपाल का है:- मुबारक हो। यह भी चांस अच्छा लगता है ना! सेवा का भण्डार सहज मिल जाता है। दोनों ॰जोन उमंग-उत्साह से पुरूषार्थ में भी बढ़ रहे हैं और आगे भी हर एक अपने पुरूषार्थ को तीव्र कर आगे बढ़ रहे हैं। बापदादा खुश होते हैं, यह चांस भी एक तो सेवा का फल भी मिलता है और बल भी मिलता है। सबकी न॰जर कहाँ जाती है? अभी किस ॰जोन का टर्न है, वह न॰जर जाती है और सेवा, मधुबन की सेवा अर्थात् सेवा का फल और बल मिलना। तो बहुत अच्छा किया। निर्विघ्न सेवा की, सबको सन्तुष्टता का फल खिलाया। बापदादा को खुशी होती है क्योंकि विशेष चांस मिलता है ना और बच्चे मधुबन में पहुंचते हैं, मधुबन में आना, इतने बड़े परिवार से मिलना और इतने बड़े परिवार की सेवा के निमित्त बनना, यह भी बहुत बड़ा भाग्य बन जाता है। तो निर्विघ्न सन्तुष्टता का फल खाया इसलिए बापदादा विशेष दोनों ॰जोन को मुबारक दे रहे हैं। अच्छा है, हर एक के ऊपर बाप की भी न॰जर जाती और परिवार की भी न॰जर जाती। प्रत्यक्ष आत्माओं को खुशी भी मिलती, खुश करते भी और मिलती भी खुशी, दोनों ही। तो मुबारक हो दोनों को।

ग्राम विकास, सिक्युरिटी और बिजनेस विंग की मीटिंग है:- अच्छा। हर एक अपनी निशानी ले आये हैं। सभी को खुशी होती है और बापदादा को भी एक-एक वर्ग को देख खुशी होती है। बापदादा ने देखा कि हर एक वर्ग कोई न कोई इन्वेन्शन कर अपने वर्ग की सेवा को वृद्धि में ला रहे हैं। और बापदादा तीनों की अलग-अलग रिजल्ट को देख खुश है। जैसे यह जो योगबल के खेती की सेवा बढ़ा रहे हैं और गवर्मेन्ट तक आवाज पहुंच रहा है, गवर्मेन्ट भी खुश हो रही है कि इस द्वारा आत्माओं को फायदा मिल रहा है। हर एक वर्ग देखा गया, कि सेवा में हर एक नम्बरवन है। यह खेती वालों की भी रिपोर्ट देखी, उन्होंने जो अभी बाप ने कहा था तो लिस्ट निकालो, कौन कौन नजदीक सम्बन्ध में आये हैं। तो यह पहला ही वर्ग है जिन्होंने लिस्ट दी है। बापदादा ने देखा कि भिन्नभिन्न प्रकार के कनेक्शन में आये हैं और समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियां अभी गवर्मेन्ट के साथी बन रही हैं क्योंकि प्रैक्टिकल देखते हैं ना कि कितने प्यार से मेहनत करते हैं। तो तीनों वर्ग अच्छी मुबारक योग्य सेवा कर रहे हैं इसलिए मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा यह जो बनाया है, छोटे-छोटे बच्चे, यह सबको दिखाओ। (ग्राम विकास वालों ने कठपुतली का डांस दिखाया) बापदादा ने देखा सभी खुश हो रहे हैं बहुत। अपनी खुशी बच्चों के रूप में दिखा रहे हैं। अच्छा। तो ग्राम विकास का डिटेल अच्छा आया है। वह लिखत में ले आये हैं लेकिन और दो भी हैं वह भी कम नहीं हैं। ऐसे ही बढ़ते रहो बढ़ाते रहो और विश्व में यह आवाज फैलाते रहो कि हम सेवाधारी बन विश्व को, इसमें भी भारत को स्वर्ग सुखमय जरूर बनायेंगे। अभी समझने लगे हैं कि ब्रह्माकुमारियों का यह वायदा, ब्रह्माकुमारियां पूरा कर भी रही हैं और करके ही छोड़ेंगी। तो बापदादा तीनों को अलग-अलग मुबारक दे रहे हैं।

(बिजनेस वालों की सिल्वर जुबिली है) अभी बिजनेस वाले उठो, अच्छा। हिम्मत रखके जो मेहनत की है, उसमें सफलता भी मिली है और आगे भी सफलता आपका जन्म सिद्ध अधिकार है। बापदादा को अच्छा लगता है, यह वर्ग में एक-एक वर्ग में देखा है, टर्न चाहे तीन का हो, चार का हो लेकिन हर एक वर्ग जब से बने हैं तब से सर्विस में वृद्धि हुई है और आगे भी होगी। यह बापदादा देख रहे हैं और एडवांस में मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

1500 टीचर्स आई हैं:- टीचर्स को तो बापदादा सदा ही याद करते, प्यार करते क्योंकि टीचर्स निमित्त बनती हैं हर भाई और बहिनों को आगे बढ़ाने के लिए। टीचर को बापदादा गुरूभाई कहते हैं। गुरूभाई का अर्थ है समान क्योंकि जैसे बाप का कर्तव्य है सदा सेवा में बिजी रहना, ऐसे योग्य टीचर्स बाप समान सदा सेवाधारी और सदा सफलता स्वरूप बन सफल स्वरूप बनाने वाली हैं। बापदादा को टीचर्स प्रति सदा ही दिल में प्यार है। क्यों? टीचर अर्थात् सदा सेवाधारी, सदा बाप समान बनाने वाली और नयों नयों को बाप का परिचय दे अनुभवी बनाके बाप के वर्से के अधिकारी बनाने वाला। तो बापदादा टीचर्स पर खुश है और यही दिल का प्यार, बाप का प्यार स्टूडेन्ट में भी भरकर उन्हों को भी बाप के पूरे वर्से के अधिकारी बनाने वाली हैं। बाप की हर एक टीचर में उम्मींद रहती है कि यह हर एक टीचर जो बाप की आशायें हैं, जो बाप चाहते हैं वह प्रत्यक्ष करने और कराने वाली हैं इसलिए एक- एक टीचर को बापदादा पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

डबल विदेशी भाई बहिनों से:- डबल विदेशी भी बापदादा ने देखा सेवा में भारत की आत्माओं से कम नहीं हैं। बापदादा खुश होते हैं कि हर एक अपने-अपने स्थान में सेवा की वृद्धि भी कर रहे हैं और स्वयं को भी अच्छे उमंग उत्साह में चला रहे हैं। डबल विदेशियों का यह संस्कार है कि जो करेंगे वह उमंग उत्साह से करके पूरा करेंगे और पुरूषार्थ के तरफ भी अटेन्शन है। तो सभी हाथ उठाओ कि सभी तीव्र पुरूषार्थी हैं? तीव्र पुरूषार्थी हैं? अच्छा। सबके तरफ से भी बहुत-बहुत मुबारक है क्यों? तीव्र पुरूषार्थी अर्थात् बापदादा की आशाओं को पूर्ण प्रैक्टिकल करने वाले। तो बापदादा तीव्र पुरूषार्थ की मुबारक दे रहे हैं। तीव्र पुरूषार्थी हैं और सदा तीव्र पुरूषार्थी बन औरों को भी तीव्र पुरूषार्थी बनायेंगे। तो सारा विदेश तीव्र पुरूषार्थी की लिस्ट में आ जाये। ऐसा रिकार्ड कुछ है और कुछ दिखाना है। लेकिन बापदादा पुरूषार्थ की मुबारक दे रहे हैं। मुरली के ऊपर भी अटेन्शन है, यह बापदादा को मुरली का स्नेह अच्छा लगता है। मधुबन से भी प्यार, मुरली से भी प्यार, परिवार से भी प्यार और मेरा बाबा से भी प्यार। अभी सूक्ष्म पुरूषार्थ के तरफ भी अटेन्शन अच्छा है और बापदादा ने देखा कि जनक बच्ची का भी बहुत ध्यान है। यहाँ रहते भी हर क्लास पहले फारेन को पहुंचता है। तो पालना भी अच्छी मिल रही है। यह भी आपका लक है। लकीएस्ट और स्वीटेस्ट दोनों ही हैं। अच्छा।

पहली बार आने वालों से:- यह तो बहुत हैं। हाथ हिलाओ। तो सभी अपने मधुबन घर में पधारे हैं, उसकी बापदादा एक-एक बच्चे को मुबारक दे रहे हैं क्योंकि लास्ट समय के पहले पहुंच गये हो। लास्ट सो फास्ट जाने का चांस है। बापदादा बच्चों को देख खुश हो रहे हैं। आये, भले पधारे और आगे के लिए अब तीव्र पुरूषार्थ कर आगे से भी आगे जाने का दृढ़ संकल्प करो। दृढ़ता सफलता की चाबी है। तो बापदादा जो भी आज बच्चे आये हैं उन्हों को विशेष दृढ़ता के चाबी की सौगात दे रहे हैं। दृढ़ता को कभी भी हल्का नहीं करना। दृढ़ता आपको सदा सहज आगे बढ़ाती रहेगी। तो बापदादा खुश है भले पधारे, अपना वर्सा लेने के लिए आये, इसकी बहुत-बहुत मुबारक। अच्छा।

चारों ओर के सर्व ब्राह्मणों को बापदादा दिल का प्यार और सदा आगे बढ़ने का श्रेष्ठ संकल्प दे रहे हैं। एक-एक बच्चे को बाप देख भी रहे हैं और देख-देख दिल में समा रहे हैं। नजदीक वाले तो बापदादा को सामने देख रहे हैं और आप सब साधन द्वारा सामने ही देख रहे हो। बापदादा भी आप सभी को जहाँ भी बैठे हो तो ऐसे ही देख रहा है जैसे सम्मुख ही बैठे हैं और एक-एक को दिल का प्यार दे रहे हैं। बढ़ते चलो, तीव्र पुरूषार्थ कर आगे से आगे बढ़ते चलो। अच्छा।

सम्मुख बैठने वालों को भी बापदादा का यादप्यार और सदा आगे बढ़ने की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा।

दादी जानकी से:- (सभी क्रिसमस प्यार से मना रहे हैं, सभी ने यादप्यार भेजा है) सबको बापदादा की तरफ से पदमगुणा बधाईयां देना। अच्छा है, बापदादा ने कहा ना सेवा में भी आगे जा रहे हैं। अच्छी सेवा कर रहे हैं, बापदादा खुश है। जहाँ भी प्रोग्राम चलते हैं वहाँ सफलता ही सफलता है। अच्छा है। यहाँ बैठे आप भी उन्हों की सेवा करती हो ना, यह भी अच्छा है।

मोहिनी बहन से:- ठीक रहेंगी। ज्यादा भागदौड़ नहीं करो। बाकी ठीक रहेंगी, आगे चलकर सेवा करेंगी। वंचित नहीं रह सकते। (मुन्नी बहन से) यह भी साथी है, साथ अच्छा दे रही है। (ईशू दादी से) यह तो गुप्त यज्ञ रक्षक है। लेकिन बहुत अच्छा रा॰जयुक्त होके जो भी कार्य कर रही हो, बापदादा खुश है। अच्छा है।

परदादी से:- बहुत अच्छा प्रकृतिजीत बन प्रकृति को चला रही हो। खुश रहती है इसलिए इसकी खुशी भी सेवा करती है। (रूकमणि बहन से) आप भी सेवा में थकेंगी नहीं, क्योंकि इसकी खुशी है ना, वह थकावट को खत्म कर देगी। अच्छा।

(दादी जानकी ने पूछा कि बाबा जनवरी मास में लण्डन और जर्मनी में बुला रहे हैं, जाना चाहिए या नहीं जाना चाहिए?)

बापदादा यही कहते हैं कि हद नहीं रखो, नहीं जाना है। जहाँ आवश्यकता है वहाँ जरूर जाओ। (बाम्बे वाले भी बहुत बुला रहे हैं, क्या बाम्बे जाऊं?) हाँ जरूर जाओ। देखो, जहाँ आवश्यकता है वहाँ जाने में कोई हर्जा नहीं है। सभी जगह नहीं जाओ, जहाँ आवश्यकता है वहाँ जाओ। (भुवनेश्वर नहीं गई, वह बहुत याद कर रहे थे) वह तो बीत गया। अभी जहाँ आवश्यकता समझो कि जरूरी है वहाँ जाने की मना नहीं है। अपने को बंधन में नहीं रखो, स्वतन्त्र रहो। यह जो बंधन डाला है कि नहीं जाना है, वह ठीक नहीं है। एवररेडी। जहाँ जरूरत है वहाँ जाने में हर्जा नहीं है। (सभी सोचते हैं कभी हाँ करती है, कभी ना करती है) नहीं, यह तो बापदादा कह रहा है। एकदम अपने को बंधन में नहीं रखो, नहीं जाना है, नहीं जाना है। (संकल्प है, बंधन नहीं है) संकल्प पूरा हो जायेगा।

(निर्वैर भाई भी कहीं नहीं जाते हैं) यह तबियत के कारण नहीं जाता है। (दादी की तबियत अनुसार अभी नहीं जाना चाहिए), नहीं, यह जा सकती है, लेकिन अपने को बंधन में रखा है कि नहीं जाना है।

रमेश भाई से:- तबियत ठीक है? (अभी स्टूडियो बनकर तैयार हो रहा है) बहुत अच्छा, यह भी सेवा करेगा। तैयार करेंगे, प्रोग्राम होते रहेंगे। अच्छा है। तबियत को चलाने का कोई तरीका सोचो क्योंकि जिम्मेवारी बहुत है। (हम भी तबियत के कारण कहीं नहीं जाते हैं) कोई भी बंधन में, जाना न जाना, वह नहीं रखो। जाना है, आवश्यक है तो शरीर भी साथ देगा। जहाँ आवश्यकता है वहाँ मदद मिलेगी। जब देखो हो सकता है तो ना नहीं करो। चल सकता है शरीर तो जाना चाहिए। कभी तो एकदम खराब होता है, वह बात दूसरी है। बाकी चल सकता है तो सेवा से खुशी होती है, यह भी दवाई है। कितने खुश होते हैं, सबके खुशी की खुराक मिलती है।


31-12-15 ओम् शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन


‘‘ड्रामा में संगम का यह मिलन बहुत-बहुत अमूल्य और न्यारा प्यारा है, यह भी अचानक की लाटरी है जो भाग्यवान बच्चों को ही मिलती है’’

आज सभी दिल के दुलारे हर एक बच्चा अपने दिल के दुलारे बाप से मिलन मना रहे हैं। बापदादा भी चारों ओर के एक-एक बच्चे को देख खुश हो रहे हैं वाह मेरे नयनों में समाया हुआ हर एक बच्चा है क्योंकि हर एक में कोई न कोई विशेषता है जिस विशेषता से बच्चे और बाप का मिलन हो रहा है। कहाँ से भी आये हो लेकिन है सभी बाप के लाडले। हर एक बड़े प्यार से वाह बाबा वाह! कहकर मिलन मना रहे हैं। हर एक बच्चा चाहे आगे बैठे हैं चाहे पीछे। पीछे वाले खास हाथ उठाओ। कितना हर एक के चेहरे पर बाप और बच्चे के मिलन की खुशी न॰जर आ रही है। हर एक की दिल से यही बोल निकल रहे हैं वाह बाबा वाह! आपने यह मिलन का जो साकार में सम्मुख सामने मिलन का मौका दिया, हर एक बच्चा सम्मुख मिलन का गोल्डन चांस ले रहा है। बाप भी बच्चों से मिलन का मौका देख कितना हार्षित हो रहा है। इतनी बड़ी सभा देख बाप भी बार-बार कहते वाह बच्चे वाह! यह मिलन कितना महान है। कहाँ कहाँ से बच्चे मिलन मनाने पहुंच गये हैं। यह बाप और बच्चों का मिलन कितना प्यारा और न्यारा है। हर एक के नयनों में बाप और बच्चे के मिलन का आनंद उनके नयनों में समाया हुआ है। यह सारी सभा का एक-एक बच्चा गीत गा रहे हैं वाह बाबा वाह! और बाप भी गीत यही गा रहे हैं वाह मेरे बच्चे वाह! ड्रामा में यह बाप और बच्चों का मिलन कितना प्यारा है। हर एक बच्चे के दिल से यही गीत सुनाई दे रहे हैं वाह बाबा, वाह आपका दुलार, वाह आपके नयनों का मिलन! यह मिलन सदा दिल में छप गया है। जब चाहे तब इस सीन को इमर्ज करें तो कितने सुख की फीलिंग आती है। दिल से गीत निकलता है वाह बाबा आपकी रूहानी न॰जर, एक-एक बच्चा देखकर कितना हार्षित हो रहा है। ऐसा मिलन सामने से बाप वाह बच्चे वाह कहके मिलन मना रहे हैं। हर एक के नयन इस मिलन में इतने खुश हैं जो हर एक समझता है कि यह साकार दुनिया में साकार रूप में बाप और बच्चों का मिलन वन्डरफुल है। हर एक की दिल कह रही है वाह बाबा वाह! हमने तो सोचा नहीं कि ऐसे बाबा का मिलन हो सकता है, यह मिलन तो बहुत-बहुत-बहुत प्यारा है। यह मिलन तो स्वप्न में भी न था कि ऐसे मिलन हो सकता है। लेकिन यह बाप और बच्चों का मिलन, बच्चे बाप को देखकर प्रसन्न हो गये, वाह बाबा वाह! और बाप भी एक-एक बच्चे को देख कितना खुश हो रहा है, वाह! वाह! वाह! की धुन चल रही है। हर एक के खुशी की लहर, उनकी शक्ल पर चमक रही है। सबके मुख से यही आवाज निकल रहा है वाह बाबा वाह! आज तो आपने मिलन का स्वरूप अनुभव करा दिया। हर एक की दिल से सारे हाल में एक ही आवाज आ रहा है वाह मीठा बाबा वाह! ऐसा मिलन देख सभी इस मिलन के नशे में मगन आत्मायें न॰जर आ रही हैं। सबसे एक ही आवाज है वाह बाबा वाह! हर एक का दिल यही बोल रहा है, सारी सभा के दिल का गीत बड़ा मधुर चल रहा है। यह गीत कितना प्यारा है। साकार रूप में यह मिलन बहुत अमूल्य है। ड्रामा में यह मिलन संगमयुग का बहुत प्यारा और न्यारा है। हर एक के दिल में मेरा बाबा, मेरा बाबा, मेरा बाबा यही है। यहाँ सामने अगर आके देखो तो सबके मस्तक चमक रहे हैं। लाइट पड़ रही है क्योंकि बाप और बच्चे का मिलन साकार में इतना समीप यह देख करके सब अपने को अति भाग्यवान अनुभव कर रहे हैं। बच्चे बाप के साथ होते भी अपने साथियों से मिलने का चांस देख इसमें ऐसे लगे हुए हैं जैसे कोई अचानक लाटरी मिल जाए। यह मिलन एक्जैम्पुल है संगमयुग में बाप और बच्चों के मिलन का और वह भी साकार रूप में मिलन, यह तो किसके स्वप्न में भी नहीं था लेकिन अब सबकी दिल में यह मिलन सदा के लिए समाया हुआ है। हर एक के दिल में क्या है! यह मिलन डायरेक्ट बाप और बच्चे का मिलन यह सोचो कितना महान है। सब इसी दिन का इन्तजार करते थे। ऐसे साकार रूप में मिलन यह बड़ा अमूल्य मिलन है। तो ऐसे मिलन मनाओ जो बाद में इस मिलन का स्वरूप समाया हुआ दिल में वह बार बार दिखाई दे, अनुभव हो कि अभी भी मिलन मना रहे हैं। बाप और बच्चों का मिलन कितना प्यारा है और कितनी खुशी होती है। बाबा मेरा मेरे से मिल गया।

तो आज सभी के मन में बाप और बच्चे का अव्यक्ति मिलन क्या होता है, वह अनुभव सभी बच्चों को बापदादा करा रहे हैं। सभी ने किया, यह मिलन। साधारण बात नहीं है। यह मिलन के भाग्य को लेना, यह हर एक को मिलता है। लेकिन मिले हुए भाग्य को अनुभव में लाना, यह अनुभव भले इतने सारे हैं लेकिन रीयल में अनुभव करना, यह भाग्य की बात है। तो आज बापदादा ऐसे बच्चों का भाग्य देख रहे हैं कि कैसे दिल से मिलन मना रहे हैं, याद करते थे गीत गाके लेकिन अभी गीत क्या मिलन मना रहे हैं। यह भी हर एक का भाग्य है, जो यह भाग्य साकार में यहाँ प्राप्त होने का भाग्य है। ऐसा भाग्य भाग्यशाली ही प्राप्त करता है।

तो बापदादा आज का मिलन देख बहुत खुश है कि बच्चे साकार में मिलन मनाने का अनुभव कर रहे हैं। हर एक के मन में कौन समाया हुआ है? बाबा। मेरा बाबा, प्यारा ब्ाबा। बाप के दिल में तो सारे रात दिन बच्चे ही बच्चे हैं क्योंकि हर एक के दिल में अभी याद ही बाबा है। मिलन भी बाबा का है। तो देखो बाप ने देखा कितना बाप भोला भण्डारी है, याद किया और प्राप्ति हुई। ऐसे है! जो समझते हैं बाप से मिलन हो रहा है, वह हाथ उठाओ। बाप तो बच्चों का चेहरा देख खुश हो रहे हैं तो कितना समय अलग रहे! और अब मिलन हुआ तो कितना मिलन में लगन में मगन हैं। बापदादा भी बच्चों के मिलन में बहुत खुश है। बिछुड़ा हुआ कोई भी मिले तो कितना होता है तो यह भी अलग रहे बहुकाल परन्तु अभी यह मिलन भी हो गया। हो गया ना! हाथ उठाओ। वाह! यह सीन बाबा को बहुत अच्छी लगती है। पीछे वाला भी हाथ उठा रहा है। हर एक के मन की मौज शक्ल से दिखाई दे रही है।

सेवा का टर्न दिल्ली और आगरा का है:- (14 हजार दिल्ली और आगरा के आये हैं, टोटल सभा 24 हजार भाई बहिनों की है) अच्छा है देख लिया। इसमें भी मातायें ज्यादा है। बाप की यह शक्ति सेना कितनी पावरफुल है, यह देख रहे हैं। पाण्डव भी कम नहीं हैं लेकिन पाण्डव सभी को उमंग-उत्साह में बढ़ाने वाले हैं। माताओं के अगर पति नहीं आते तो मातायें बिचारी रह जाती हैं। कोई-कोई तो कितना भी बंधन है लेकिन वह तरीके ऐसे निकालती हैं जो बापदादा भी उनके तरीके देख खुश होते हैं। बापदादा भी जब सुनते हैं ना यह इतनी बांधेली आई कैसे! तो जब कहानियां सुनते हैं तो कहते हैं वाह मातायें वाह! इन्वेन्शन ऐसी निकालती हैं जो और किसकी बुद्धि में आ ही नहीं सकती है इसलिए संगम पर मातायें और इतनी बहादुर निकलें, कोई डर नहीं क्या होगा.., मार भी मिलेगी लेकिन बाबा मिला सब कुछ मिला। अच्छा है, देखो, कितना अन्दाज माताओं का है। सभा में देखो ना तो पौना क्लास माताओं का है। वह बहुत प्यासी रही और प्यासी को अगर पानी मिल जाए तो उसके लिए क्या होता है? अमृत। तो बापदादा बच्चों को देख खुश होते हैं, कई ऐसे मेल भी हैं जिनकी कहानी ऐसी ही है, क्योंकि उन्हों को यह पता नहीं है ना कि यह क्या ची॰ज है! तो बापदादा ऐसे बच्चों को देख करके बहुत खुश होते हैं कि वाह मेरे बहादुर बच्चे वाह!

डबल विदेशी 50 देशों से 500 आये हैं:- अच्छा है, सभी ने हिम्मत रखी है। और हिम्मत की मदद बापदादा देता है। जो डबल विदेशी इस ग्रुप में आये हैं, वह खड़े रहें। अच्छा है। खुश कितने हैं। खड़े हैं, थके हुए भी हैं लेकिन खुश हैं। अच्छा। सभी को यादप्यार तो मिलेगा लेकिन विदेशियों को खास आज यादप्यार दे रहे हैं। वैसे तो जो भी इन्डिया के भी आये हैं उन्हों के भी बंधन ऐसे ऐसे हैं जो फारेन वालों के नहीं हैं। लेकिन बाबा सिर्फ उन्हों की जो चतुराई है, कैसे बंधन को तोड़ा, कैसे फायदा उठाया, यह कहानियां देखकर बाबा भी इन्ज्वाय करता है। तो सभी खुश। सभी दो दो हाथ उठाओ। देखो, दादी (दादी जानकी को) कितना अच्छा लगता है। यहाँ स्टेज से तो और ही अच्छा लगता है। तो सभी ज्ञान के नाते से खुश हैं, प्रेम के नाते से नहीं, ज्ञान के नाते से सभी खुश हैं। अच्छा।

दादी जानकी जी बापदादा से मिल रही हैं:- भाग्य में भी इतनी आयु वाली होते भी जवान है। (दादी जी की आयु 100 साल की हो गई) (दादी ने कहा शरीर बिचारा है लेकिन शक्ति बाबा की है, बाबा चला रहा है, अब बाबा को प्रैक्टिकल सबूत देना है, आया यह भी खुशी की बात है) बाबा समझता है ना! बाबा आपसे करा रहा है। कैसी भी अवस्था हो, लेकिन आप निमित्त हो ना। (परसों हंसा लण्डन लेकर जा रही है)

मोहिनी बहन से:- सदा खुश रहती है ना। यह खुशी इसकी सेवा कर रही है, कितना भी हो लेकिन शक्ल पर हो नहीं लगता। खुशी में चलाती रहती है। सभी चलाते हैं, सभी की आयु आजकल कितनी है। (मोहिनी का 75 वां जन्म दिन है) सब जो भी बहिनें हैं, वैसे तो भाई भी हैं लेकिन अभी बहनों की बात चल रही थी। तो जो भी बहनें हैं, भाई गुप्त हैं। सेवा के कारण बहिनों का नाम हो जाता है, बाकी भाई तो हैं ही, बिना भाईयों के भी काम नहीं चलता। देखो, भाई भी कम नहीं हैं, बहिनें भी कम नहीं है। ब्राह्मण परिवार की जो भी मातायें और भाई हैं, सब बड़े काम के हैं।

(मोहिनी बहन को बापदादा ने जन्म दिन की गिफ्ट दी) ठीक है ना। अपने को चला रही है।

त्रिमूर्ति भाई:- भाई भी आये हैं वाह! वैसे अच्छी-अच्छी मातायें भी अच्छा काम करने वाली हैं। बाहर का काम नहीं लेकिन ब्राह्मणों की सेवा में मातायें अच्छा काम करती हैं। (इन्डिया गेट और लाल किले के प्रोग्राम का एलबम बापदादा को दिखाया)

(नये वर्ष 2016 के आगमन की खुशी में मोमबत्तियां जलाई गई, केक काटा गया, बापदादा ने सबको नये वर्ष की बधाई दी)

दादी जानकी जी ने कहा कि मैं कोई भी प्रकार का संकल्प नहीं चलाती हूँ। बाबा चला रहा है। वन्डर है शरीर कैसा भी है परन्तु कदम-कदम पर दिल से निकलता है मेरा बाबा। जैसे आज शक्ति आई, बाबा ने दी, मुरली सुनाने की। आज बाबा आया खुशी है। बाबा की कमाल है जो यहाँ इतना समय बैठी। मैंने अन्दर से सोचा कल सुबह को भी मुरली सुनायेंगी। तो यह बाबा की हर कदम पर मदद है। यह (हंसा) निमित्त है मेरे को ट्रेवालिंग कराने की। बाबा आया तो कितनी खुशी हुई। अभी तो नये साल में सब निमित्त बने हुए बाबा के बच्चे हर एक अपने-अपने कार्य को अच्छे से अच्छा करेंगे ही।

(बाबा छुट्टी है जाने की) छुट्टी है। अभी पूछके बना दिया है, टिकेट आ गई है। जब भी जरूरत हो जा सकती हो। अभी यही हेड है ना, अभी तो यही फैंसला करेगी कि क्या करना है!

नये वर्ष के आगमन पर सबको मुबारक:- बाबा की आज्ञा अनुसार जा रहे हैं आगे, आगे जाते रहेंगे। विजय तो निश्चित है ही। विजय दाता हमारे साथ है तो विजय कहाँ जायेगी।

सभी को बाबा की याद तो कदम कदम पर है ही और हमारे दिल में अभी निमित्त कौन बाबा ने दिया है! वह भी सबको पता है। बाबा जिसको निमित्त बनाता है, सभी उनके साथी हैं, तो कदम-कदम पर सभी साथ निभायेंगे। आज से नया साल शुरू हो रहा है। नया साल शुरू हुआ है तो उसमें नवीनता का संकल्प जरूर आता है। यह वर्ष जो शुरू हो रहा है उसमें कुछ नवीनता करनी चाहिए, जिसको जो भी संकल्प हो, कोई के नये विचार हो, कुछ नया होना चाहिए तो लिखकर भेज दो। कहने की जरूरत नहीं है। बाकी कोई नवीनता का विचार है तो वह लिखकर भेज दो तो टाइम बच जायेगा। आपका भी संकल्प काम में आ जाये तो अच्छा है इसलिए आप शार्ट में अपना संकल्प लिखके भेज देना। अच्छा। सबको नये वर्ष की बधाई।

18-01-16 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन


‘‘रूचि से पढ़ाई पढ़ने वाले स्टूडेन्ट कभी किसी सबजेक्ट में फेल नहीं हो सकते, फेल होना माना फील करना’’

ओम् शान्ति। सभी ने बापदादा द्वारा पहले तो दृष्टि प्राप्त की, भले देखा तो आपने इन स्थूल नेत्रों द्वारा लेकिन इन नेत्रों में भी बाप की दृष्टि पड़ने से यह दृष्टि भी परिवर्तन हो जाती है। सभी को सारी सभा में कौन दिखाई देते हैं? सभी नम्बरवार ब्राह्मण दिखाई देते हैं। थोड़ा बहुत बीच-बीच में मिक्स तो होता है लेकिन सभी की बुद्धि में बापदादा ही है। हर एक यही सोचते हैं हमारा बाबा आ गया। सभी की बुद्धि में मेरा बाबा, मेरा बाबा आ गया। हर एक के नयनों में यही खुशी की झलक समा गई हैं, मेरा बाबा आ गया। सबके नयनों में कौन? मेरा बाबा। नयनों में भी बाबा दिखाई देता, बुद्धि में भी बाबा ही दिखाई देता इसीलिए आप सबकी आंखों में प्यारा बाबा, मीठा बाबा, मेरा बाबा समा गया है। बाप भी बच्चों को उसी रूप में देखते मेरे बच्चे और बच्चे भी उसी रूप से देख रहे हैं मेरा बाबा। सभी के दिल में क्या दिखाई दे रहा है? मेरा बाबा आ गया। मेरा बाबा, मेरा कहने में कितनी खुशी होती है। मेरा बाबा, भले कितना भी कहें - यह लण्डन के हैं, यह इन्डिया के हैं। कितना भी कहें लेकिन सबसे पहले क्या आता? मेरा बाबा आ गया। बाबा और बच्चे का मिलन हो रहा है। यह मिलन भी विचित्र मिलन है। स्थूल में कोई किस ए॰ज का है, कोई किस ए॰ज का है लेकिन कौन है, तो शार्ट में कहेंगे बाप और बच्चे बैठे हैं। चाहे 100 वर्ष वाला हो, चाहे डेढ़ सौ वर्ष वाला हो लेकिन क्या कहेंगे? सब बाबा के बच्चे बैठे हुए हैं। जब यहाँ बैठते हो आके तो परिचय क्या देंगे? भले किस भी रूप में आये हो लेकिन यहाँ आने से किस रूप में बैठते हो? स्टूडेन्ट रूप में। बाबा के आगे स्टूडेन्ट के रूप में बैठे हैं और बाबा के बच्चे पूरे वर्ल्ड के चारों तरफ के कोई न कोई आये हुए हैं। भले कोई किस देश के, कोई किस देश के हैं लेकिन यहाँ बैठे हुए क्या फील कर रहे हो? गॉडली स्टूडेन्ट हैं और टीचर भी कौन है? स्वयं भगवान हमारे लिए विशेष मिलने आये हैं। भगवान हमसे मिलने आये हैं या हम भगवान से मिलने आये हैं। जो भी आये, पहचानते हैं तो क्या कहेंगे? बाबा के पास जा रहे हैं, बाबा के पास जा रहे हैं और हर एक की शक्ल में मिलने की भावना कितनी दिखाई देती है। सभी की शक्ल में बाप और बच्चों के भावना की सूरत है। सभी की शक्ल में कितना प्यार है, वाह बाबा वाह! सबकी दिल यही गीत गा रही है और कितना प्यार, कैसा बाप और बच्चे के रूप में मिलन, आज की सभा में देखो तो और कोई सम्बन्ध नहीं, बाप और बच्चा। चाहे बुजुर्ग हो, चाहे कोई भी सम्बन्ध में हो लेकिन हैं सब स्टूडेन्ट के रूप में। सभी की बुद्धि में स्टूडेन्ट की भावना समाई हुई है। सभी की बुद्धि में एम आबजेक्ट यही है, अनेक देश अनेक आत्मायें, लेकिन इस ब्राह्मण जीवन में सभी स्टूडेन्ट के रूप में हैं। चाहे बुजुर्ग है, चाहे छोटा बच्चा भी है। वह तो है ही बच्चा लेकिन फिर भी स्टडी करने वाले सब स्टूडेन्ट बैठे हैं।

आज बाबा ने यह कहा, आज बाबा ने यह कहा, आज बाबा ने अशरीरी बनने की बात सुनाई, कितनी अच्छी बातें बाबा सुना रहे हैं। सभी के मन में इस समय अपना रूप भी कौन सा दिखाई दे रहा है? स्टूडेन्ट। चाहे बुजुर्ग है, चाहे छोटा है। काम भी वही कर रहे हैं पढ़ाई और इस पढ़ाई में शक्ति कितनी भरी हुई है। हैं कितने साधारण लेकिन पढ़ाई द्वारा क्या बन रहे हैं? कोई से भी पूछेंगे आज क्या पढ़ने आये हो? तो सब कहेंगे हम मनुष्य से देवता बन रहे हैं और कितने प्यार से पढ़ाई पढ़ते हैं। हर एक ऐसे रूचि से पढ़ रहे हैं लेकिन अगर दूसरी बात बीच में आ गई तो मुख्य बात जो चल रही है वह तो मिस हो जायेगी ना। लेकिन देखा गया मैजारिटी मिक्स तो होता है सबमें लेकिन आये सब पढ़ने के लिए हैं, स्टूडेन्ट रूप में और देखा गया है कि जब सभी स्टडी करने के रूप में आते हैं तो इनकी शक्ल से ही लगता है यह कोई बहुत पढ़ाई में बिजी है और इन्हों को पढ़ाने वाला कौन है? वह अगर ध्यान में रहे तब तो बेड़ा पार हो गया। परमात्मा पढ़ाने वाला है, यह कभी सुना है क्या कि परमात्मा पढ़ाता भी है लेकिन इस पढ़ाई में मैजारिटी सब पास हो जाते हैं क्यों? यहाँ का जो टीचर है, ऐसी विधि से पढ़ाता है जो सुना वह जैसे छपाई हो रही है। भूलता नहीं है। सब खुशी खुशी से पढ़ रहे हैं। अभी भी तो देख रहे हैं ना बहुत थोड़े हैं जो कोई न कोई सरकमस्टांश अनुसार आये पढ़ने के लिए हैं लेकिन कहाँ पढ़ाई के बजाए और कोई सबजेक्ट में अटेन्शन चला जाता है। सबको विशेष जो होमवर्क दिया गया है, कई तो अभी भी उसकी तरफ अटेन्शन दे रहे हैं, अब भी वही याद कर रहे हैं। पढ़ाई से प्यार है, लास्ट टाइम तक भी पढ़ाई में अटेन्शन है। ऐसे स्टूडेन्ट हाल में पौने से भी ज्यादा हैं। यह बापदादा देख रहे हैं कि इस क्लास में बैठे हुए स्टूडेन्ट की विशेषता है और कमाल यह है कि पढ़ाई के तरफ अटेन्शन देने वाले हैं। तो आप कौन हो? वह तो हर एक खुद जानते हैं। लेकिन देखा गया तो अभी के स्टूडेन्ट जो हा॰जर हैं, उन्हों में मैजारिटी पढ़ने के शौकीन हैं। यह देखकरके बाप को भी अच्छा लग रहा है। पढ़ाई के तरफ अटेन्शन अच्छा है। यह रिजल्ट अच्छी है। अभी इसको आगे बढ़ाना है। पढ़ाई में शौक बढ़ाना है। पढ़ने में अटेन्शन देने वाले अच्छे हैं। तो जैसे आज की रिजल्ट में पढ़ाई वाले ज्यादा है और अपनी पढ़ाई शौक से पढ़ रहे हैं। संख्या भी अधिक है। तो देखा गया पढ़ाई पढ़ने वाले भी रूचि वाले हैं और टीचर भी पढ़ाने के शौकीन अच्छे हैं। वह भी हमेशा समझते हैं कि स्टूडेन्ट ज्यादा किसी कारण से फेल न हों, कम मार्क्स न लेवें। यहाँ तो सबने पढ़ाई का फल ले लिया है। सभी पढ़ाई का फल लेने वाले हैं इसीलिए अभी तक बैठे हैं, नहीं तो आधा क्लास तो चला जाता। रूचि की बात होती है, पढ़ाई में रूचि हो तो पढ़ाई छोड़ना बहुत बुरा लगता है। लेकिन देखा गया फिर भी रिजल्ट में यह जो क्लास आया है, इसमें रिजल्ट अनुसार रूचि है पढ़ाई में। ताली बजाओ। पढ़ाई की तरफ अटेन्शन है इसकी बधाई क्योंकि हैं तो स्टूडेन्ट। स्टूडेन्ट और पढ़ाई में रूचि न हो तो यह नहीं शोभता, इसलिए कहा कि सभी स्टूडेन्ट पढ़ाई तरफ अटेन्शन देने वाले हैं। तो जितने हैं उसके अनुसार रिजल्ट अच्छी है इसीलिए इस क्लास को फिर भी कहेंगे पास है और सभी की शक्लें देखो, सभी मुस्करा रहे हैं। हमेशा जो भी करो टाइम तो देते हो ना, चाहे घण्टा हो, चाहे आधा घण्टा हो लेकिन टाइम तो देते हो ना। तो टाइम की वैल्यु है इसलिए आपकी नेचर है जो काम करते होंगे ना, वह पूरा लगाकर ही करते होंगे। तो अभी का क्लास जो है वह अच्छी रिजल्ट देने वाला है और टीचर को कौन से स्टूडेन्ट अच्छे लगते हैं? आप जैसे। भले कहेंगे आज ही हम रेग्युलर हुए हैं लेकिन हुए तो सही ना। रेग्युलर की लिस्ट में आये तो सही ना, एक दिन भी आये। लेकिन यह नहीं सीखना तो एक दिन भी चलेगा, वह तो देखते हैं तो सभी खुश होते हैं। ज्यादा रिजल्ट देख करके खुश होते हैं कि हम भी पास में आ गये। इससे सभी समझ ही गये होंगे। बाकी अटेन्शन देना हमारा फर्ज है क्योंकि देखो टीचर भी मेहनत तो करते हैं ना। तो टीचर्स या स्टूडेन्टस दोनों को ज्यादा पास होने की मुबारक हो, मुबारक हो। अभी कभी भी कोई भी पेपर हो उसमें फेल नहीं होना। यह जो आपको सबक सिखाया, वह यह सिखाया, आज आप पास हो गये हो तो शक्लें देखो और जो फेल हुए हैं वह जैसे कांध नीचे कर लेते, नेचरल हो रहा है। कितना भी चाहें तो भी कांध नीचे हो जाता है। तो जब भी पेपर देने बैठो तो सदा यह दिन याद रखना कि पास होना ही है। टोटल रिजल्ट भी देखी गई, तो हिसाब से भी अच्छी रिजल्ट है। कभी भी जब भी पेपर देने बैठो तो हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि फेल कभी नहीं होना है। फेल होना माना फील करने वाले। सारा साल आपको याद रहेगा कि मैं फेल हुआ, फेल हुआ इसलिए कायदे अनुसार तो बदली हो जायेगी लेकिन यह संकल्प कभी भी नहीं रखना कि जो हुआ सो अच्छा, कभी फेल, कभी पास तो होंगे ही! हमेशा पास तो नहीं होंगे! लेकिन यह शिक्षा तो सबको मिली कि जो पास हुए इसमें, वह कितने हैं और कितने निकले। वह हाथ उठाओ जो पास हुए। हाथ उठाने वाले कम हैं। सभा के हिसाब से कम हैं। हमेशा जब भी पढ़ाई पढ़ते हैं ना, उसमें यह भी लक्ष्य हो कि मुझे पास होके ही दिखाना है। अभी तक जो भी आप लोग पढ़े हैं। पहली से लेकर अब तक जितना भी दर्जे पढ़े हैं उसमें समझो अभी आठवीं का चल रहा है, तो आप कितने पास हुए? पास कितने होने चाहिए? चलो फुल पास नहीं तो थोड़ा कम, एक दो मार्क्स कम हुआ तो ठीक है लेकिन अगर ज्यादा मार्क्स में फेल हुआ तो ठीक नहीं, इसलिए अभी एम क्या रखेंगे? फेल हुआ तो भी एक ही बात है क्या! आप में से भी कोई समझते हैं कि एक दो मार्क्स से पास हुआ तो यह राइट है, या यह भी चलता है...। लक्ष्य यह रखो कि एक भी क्लास मिस नहीं हो क्योंकि स्टूडेन्ट की सदा एम यही रहती है कि मैं पास हो जाऊं। कोशिश करूंगा नहीं, हो जाऊं।

तो आज सभी ने मेहनत की। कितने परसेन्ट ने हाथ उठाया। हाथ तो उठाया लेकिन पास किस नम्बर तक हुए, वह भी तो देखना है ना। पास तो हो गये लेकिन पास ना के बराबर ही हुए, एक दो नम्बर से या ठीक पास जिसको कहते हैं वह हुए। तो हमेशा यह ध्यान रखो किसी भी बात में पास माना पास। फेल का नम्बर आवे, यह अच्छा नहीं। जरूर कोई ऐसी आदत होगी जिसमें बिजी रहते होंगे। फिर भी कितने लोग बैठे हैं यहाँ, जो पास हुए हैं वह हाथ उठाओ। अच्छे हैं, या आगे आगे ही बैठे हैं पास वाले। अच्छा है, जब पास में हाथ उठाते हैं तो नशा कितना चढ़ता है।

सेवा का टर्न महाराष्ट्र ॰जोन का है, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मुम्बई के 15 हजार आये हैं, बाकी सब 22 हजार आये हैं महाराष्ट्र, तो बापदादा भी मुबारक देते हैं क्यों! इम्तहान दिया भी यहाँ हैं और यहाँ के पास भी ज्यादा हुए हैं। तो जो पास हुए हैं उन्हों को बहुत-बहुत बधाई। मेहनत की या लक है तो हो गये हैं। मेहनत किया है? जिसने मेहनत किया है वह हाथ उठाओ। मेहनत कम ने की है जितनी रिजल्ट है। लेकिन फिर भी इतने भी निकले हैं तो यह भी बापदादा को अच्छा लग रहा है। आधे से ज्यादा हैं। अच्छा है।

डबल विदेशी 50 देशों से 550 भाई बहिनें आये हैं:- अच्छा है फिर भी इतने तो निकले हैं। पुरूषार्थ फिर भी किया है अच्छा है। अच्छा, इन पास वालों के लिए ताली बजाओ। क्योंकि रिजल्ट मिलने से यह प्रभाव पड़ता है कि यह स्टूडेन्ट वैसे थे। पढ़ने के तरफ रूचि थी या और किसी बात में रूचि थी। फिर भी अच्छा है, (रतन दादा, रत्ना बहन, लण्डन के) एक ही घर में दोनों पास हैं! दोनों ही पास हो गये, यह तो बहुत अच्छा। अच्छा आप सबकी तरफ से बाप ही इनको मुबारक दे रहे हैं, इतने तो बोलेंगे नहीं इसलिए सभा के बीच में ही दे रहे हैं। अच्छा है रिजल्ट मिलने से उमंग आता है, तो इतनी रिजल्ट कम क्यों हुआ। हर एक समझेगा कि हम भी स्टडी करते तो नम्बर लेने में थोड़ा और आगे बढ़ जाते। और कर सकते हैं थोड़े अलबेले रहे हैं, हो जायेगा, हो जायेगा, नहीं। होना ही है।

(तीनों स्थानों पर फूलों का श्रंगार कलकत्ता वालों ने किया है) अच्छा है, कलकत्ते वाले बहुत आये हैं। इनसे यह सीखो कि हम भी इसी लाइन में उठें। ऐसे ही सीखते जायेंगे। अच्छा है जिन्होंने हाथ उठाया उनकी तरफ से इनको 100 गुणा ज्यादा मुबारक है। अच्छा है। सब उमंग उत्साह में हैं तो दूसरी बारी फिर नम्बर और आगे होंगे। एक बारी किया है ना, तो अभी उमंग आ गया कि हम भी हो सकते हैं तो दुबारा फिर जीत जायेंगे। तो कोशिश करना नम्बर और आगे हो।

फर्स्ट टाइम बहुत आये हैं:- आधा क्लास तो है। इतनी सभा में इतने थोड़ों ने हाथ उठाया। अगर थोड़ा और ज्यादा हो जाते तो कितना अच्छा होता। हम तो कहेंगे कि यह बहुत उमंग-उत्साह होना चाहिए। यह नम्बर लेना कोई रिवाजी बात नहीं है। नाम तो हुआ ना। सारी क्लास उनके मित्र सम्बन्धी कितने खुश हुए। वह भी अगर गिनती करें तो कितने होंगे। उनके माँ बाप चाचा चाची कितने खुश होंगे। लेकिन अच्छा है जो आपने नम्बर तो ले लिया। फिर भी नम्बर में तो आ गये ना। यह भी अच्छा है। ना से अच्छा है।

अच्छा, जो पहले नम्बर वाले आये हैं उन सभी को, इतनी सारी सभा को मुबारक।

दादी जानकी से:- आपको देख करके सबको उमंग आयेगा, यह कर सकती हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते हैं। (मोहिनी बहन,न्युयार्क ने बहुत याद दी, जयन्ती बहन ने भी बहुत याद दी।) याद दी लेकिन आ नहीं सके। (वहाँ भी 18 जनवरी बहुत प्यार से सभी मनाते हैं)

कलकत्ता वालों ने बापदादा को हार पहनाया:- (मुन्नी बहन को देखकर) आप भी तो कलकत्ता से निकली हो ना।

मोहिनी बहन:- (बाबा आपके वरदानों से ठीक हूँ) अभी आगे भी ठीक रहेंगी। वह तो अच्छा है बाबा सभी को वरदान में हाँ हाँ कहता है, सिर्फ याद रखें।

(मधु बहन 20 साल से 18 जनवरी को तीनों स्थान फूलों से सजाती हैं) इन्होंने कोशिश की है नम्बरवन जाने की। कोशिश में अभी थोड़े नम्बर आये फिर दूसरे आ जायेंगे। कोई बात नहीं। लेकिन उमंग आयेगा कि हम थोड़ा पीछे रह गये हैं।

नारायण दादा से:- अभी और आगे जाकर दिखाओ। जैसे अभी नजदीक आके दिखाया, ऐसे इसमें भी नम्बर आगे जाके दिखाओ। कर सकता है। अभी कोई बुढ़ा नहीं है, जवान है। यह करना चाहे तो कर सकता है। ले सकता है, बस सिर्फ थोड़ा जोश भरना अपने में। (सबका सपोर्ट है) आपकी सपोर्ट है! पहले आपकी सपोर्ट है? पहले आपकी सबको सपोर्ट चाहिए। अच्छा।


12-02-16 ओम् शान्ति ‘‘अव्यक्त बापदादा’’ मधुबन


‘‘साइंस के साधनों ने मिलन का रास्ता बहुत सहज बना दिया है लेकिन सबसे अच्छी याद दिल की है, दिल में बाबा बाबा याद हो, बाबा ही दिल में समाया हुआ हो’’

ओम् शान्ति। सभी बापदादा के लाडले बच्चों को देख बापदादा भी बहुत हार्षित हो रहे हैं क्योंकि हर बच्चा बाप को कितना प्यारा है। हर एक का चेहरा देख बापदादा के मन में एक-एक बच्चे की सूरत में बाप की मूर्त देख बाप को भी कितना हर्ष होता है। जैसे बच्चों की हर शक्ल में बाप को देख बाप हार्षित होते हैं ऐसे ही हर एक भारत या विदेश दोनों तरफ के बच्चों को साकार में सामने देख बाप कितना खुश होता है। वाह हर एक बच्चा वाह! सबके नयन अति न्यारे और प्यारे दिखाई दे रहे हैं क्योंकि हर एक की दिल यही बोल रही है वाह बाबा वाह! जो साकार रूप में बाप और बच्चे का यह मिलन कितना प्यारा लग रहा है। कितने समय के बाद साकार में बापदादा बच्चों को देख और बच्चे भी बाप को देख कितना हार्षित होते हैं। हर एक की दिल में यही गीत बज रहा है वाह बाबा वाह! और बाप के दिल में भी यही गीत है वाह बच्चे वाह! हर एक बच्चे के इन आंखों से साकार वतन में यह मुलाकात कितनी प्यारी है। बच्चों के दिल में वाह बाबा वाह! और बाप के दिल में वाह बच्चे वाह! यह थोड़े समय का मिलन कितना प्यारा है। हर बच्चे के दिल में बाप समाया हुआ है। ऐसे प्रेम स्वरूप हर बच्चा दोनों के दिल में मेरा बाबा और बाप के दिल में मेरे बच्चे। इस घड़ी मैजारिटी हर बच्चे सम्मुख बाप को देख दिल में मुख में मेरा बाबा, यही गीत सुन रहे हैं। हर एक के दिल में मेरा बाबा, भले नम्बरवार हैं लेकिन समाया क्या है? मेरा बाबा। और बाप के दिल में कौन? मेरे बच्चे। इतना सम्मुख मिलन मनाते देख सबकी दिल हार्षित हो रही है। बाप भी एक-एक बच्चे के दिल की याद का फोटो देख देख हार्षित हो रहे हैं, वाह बच्चे वाह! यह मिलन, सम्मुख मिलन, चाहे किसी द्वारा है लेकिन यह मिलन, इस मिलन का अनुभव साधारण नहीं, बाप की दिल में, इतने सब बच्चे बाप के दिल में समाये हुए हैं। बच्चों के दिल से वाह बाबा वाह, और बाप के दिल से वाह बच्चे वाह! हर एक की दिल में, बच्चों के दिल में बाबा, बाबा की दिल में बच्चे। यह दिल का मिलन चित्र के रूप में देखो तो हर एक लव में लीन है। हर एक की दिल क्या कह रही है? मेरा बाबा, मीठा बाबा, प्यारा बाबा और बाबा भी एक-एक बच्चे का प्यार दिल में समाये हुए हैं। भक्ति में ऐसे नहीं सोचा था तो ऐसे प्रभु मिलन हम बच्चों के भाग्य में है लेकिन ड्रामा कहें या तकदीर कहें, हर एक बच्चे के भाग्य को देख बाप को कितनी खुशी होती है। वाह बच्चे वाह! ऐसा मिलन जैसे सम्मुख मिल रहे हैं। तो इसको कहेंगे ऐसे मिलन का मौका मिला हुआ है ड्रामा में। बहुत अच्छा मन आनंद में आ जाता है। भले रूप दूसरा है फिर भी मिलन तो है ना! क्या भासना आती है? बाप मिलने आया है। बच्चे मिलने आये हैं। ऐसा भाग्य साकार रूप में ऐसे मिलेगा यह ड्रामा में नूंधा हुआ है, यह देख कितने हार्षित हो रहे हैं।

अभी बाबा की एक ही हर बच्चे के साथ यही दिल है, हर एक की दिल यही कहती है बच्चा हर एक बाप की दिल में समाये हुए रहें और समाते समाते इतनी खुशी का अनुभव करते हैं, जो करते हुए भी दिल नहीं पूरी होती है। दिल से हर समय यही निकलता है, ऐसा बाबा, कलियुग में ऐसी ची॰ज मिले, कितना भाग्य है। परन्तु साइंस वालों को थैंक्स देते हैं जो ऐसा मिलन के रास्ते बनाये हैं जो सम्मुख न होते, सम्मुख का अनुभव कराते हैं। कई बच्चों का अनुभव देख और सुन बाप भी हार्षित होता है। बाप बच्चे को देखकर खुश होते और बाप बच्चे दोनों जब खुश होके मिलते, तो आप अनुभवी हैं और यह साइंस वालों को बापदादा निमित्त बनाने वाले देख दिल ही दिल में उन्हों के भी गीत गाते हैं कि वाह! यह बाप और बच्चे का मिलन सदा होता रहे तो कितना अच्छा है लेकिन ड्रामा में इतना ही है। फिर भी साइंस ने मिलन का रास्ता बहुत सहज बना दिया है। सामने दिखाई भी देता है, सुनने में भी आता है तो बापदादा भी जब बच्चों को देखते हैं तो कितने खुश हो जाते हैं। लेकिन कलियुग में साधन तो बहुत अच्छा बनाया है फिर भी सामने भासना तो देते हैं ना। कुछ भी, रूबरू की भासना तो हो नहीं सकती लेकिन फिर भी बाबा की शक्ल, नयन, चैन, मिलन यह भी एक संगम का वन्डर है। तो सभी बच्चे खुश हो जाते हैं ना देख करके बात करते, मिलते खुश हो जाते हैं इसलिए कोशिश करते हैं मधुबन चलो, मधुबन चलो। और बाप भी हर बच्चे को देख कितना खुश होता होगा! सारे ड्रामा में यह मिलन भी विचित्र है। तो जब भी ऐसा दिन होता है तब हर बच्चा कोशिश करता है पहुंच जायें। लेकिन कलियुग है, कलियुग में सब सुख नहीं पूर्ण होते हैं। होता है लेकिन जो मनुष्य चाहता है वह सब पूरा नहीं हो सकता। तो बापदादा को भी जब सुनते हैं ऐसे मिलन हो सकता है तो अन्दर कितनी खुशी होती है। बच्चों को तो होती है बाप को भी होती है। हर एक के दिल में बाप की याद तो सदा रहती है कि मुश्किल है? जो समझते हैं कि बाप की याद भूलना मुश्किल है वह हाथ उठाना। भूलना मुश्किल है? फिर क्या करते हो आप? दिल में ही समा देते हो! और कई बच्चे तो देखा है इतना दिल में याद आता है जो चुपचाप बैठे हैं अकेले, लेकिन ऐसे ही बैठे हैं जैसे कोई सामने बात कर रहा है क्योंकि सभी को पता है कि यह मिलन का दिवस बहुत अमूल्य है। फिर भी साइंस वालों को थैंक्स तो देंगे ना। किसी भी साधन द्वारा बाप सामने आ जाएं, शब्द सुनने में आ जाएं, खुशी कितनी होती है। तो जब बापदादा सुनते हैं कि यह साधन मिला है, जो सुन भी सकते और मिल भी सकते हैं तो बाबा के मुख से क्या निकलता है? वाह साइंस वाले बच्चे वाह! जो ऐसे साधन बनाये हैं जिस समय भी दिल हो बाबा को देखें, सुनें तो सुन सकते हैं। जैसे हमारे सामने ही बाबा बैठा है, ऐसे साधन भी बनाये तो हैं ना। लेकिन पहली बात है हमारे दिल में ही इमर्ज हो सकता है, मिलन हो सकता है, यह भी ड्रामा में नूंध है। तो बाबा साइंस वालों को बहुत-बहुत याद करते हैं कि और भी कुछ नजदीक का बनाओ, जिसमें बच्चे भी खुश तो बाप भी खुश। यह बताते हैं तो बच्चे कितना योग लगाके साइंस वालों के पीछे पड़ के इन्वेन्शन निकालते हैं। तो बापदादा भी बच्चों का दिल का याद जो है वह देख बैठ नहीं सकते। कोई न कोई साधन निकलता ही रहता जिससे गरीब भी देख सके, साहूकार भी देख सके और सबसे सहज मिलन दिल का मिलन है।

आज सुबह से उठे तो जब तक बाबा मिले तब तक आपके दर्पण में क्या-क्या आया था? घड़ी-घड़ी अभी जायें बाबा आयेगा, बाबा मुरली चलायेगा। यही याद होगा ना। तो साइंस वालों को भी मुबारक है जो कैसे भी इन्वेन्शन निकाली और यहाँ तक भी पहुंच गये, जो आप बाप के सामने और बाप आपके सामने हो जाता। फिर भी इतना तो हो गया ना। है तो छोटा सा मिलन, लेकिन फिर भी है तो मिलन ना। तो बाप भी याद करते बच्चे भी याद करते लेकिन याद का रेसपान्ड मिलता है तो उसमें कितनी खुशी होती है। याद तो सभी करते हैं, कोई भी होगा ना, अन्जान भी होगा छोटा बच्चा तो भी कहेगा आज फोटो दो तो देखें बाबा कैसे मुरली चलाता है। यह है दिल का लगाव। बस बाबा शब्द कहते, सुनते, देखते बाबा बाबा बाबा, बाबा बच्चे में, बच्चे बाबा में समा जाते हैं। और बच्चे भी कोशिश करके देखो कहाँ-कहाँ से कैसे-कैसे पहुंच जाते हैं। यह बाप और बच्चों का मिलन या आत्मा परमात्मा का मिलन कितना अमूल्य है। इस अमूल्य मिलन के समय को संगमयुग कहा जाता है। इस युग की महिमा करो तो कितना नयन गीले हो जाते हैं। तो बाबा इम्तहान लेंगे, अभी अचानक इम्तहान लेंगे कि सारे दिन में कितना टाइम याद रहता है? क्योंकि बहुत प्यारा है, यह तो सभी कहते हैं। यह कर दें, यह कर दें, वह तो ठीक है, दिल में प्यार तो सभी का है लेकिन कितना समय निकालके याद में बैठते हैं, कैसे बैठते हैं वह तो हर एक की हिस्ट्री खुद जानें या बाप जाने। तो सभी बच्चे ठीक हैं? जिनकी तबियत वगैरा सब ठीक है वह हाथ उठाना। सभी का हाथ भी देखो तो कितना अच्छा लगता है। जब हाल फुल हो जाता है तो कितनी सीन अच्छी लगती है। पहले सबसे अच्छी याद तो दिल की है। दिल में बाबा बाबा ही याद हो, चलते फिरते कुछ भी करते इसलिए बाप की भी दिल नहीं रहती, बच्चों की भी दिल नहीं रहती तो ड्रामा में मिलन का साधन भी अच्छा रखा है। साइंस ने इस समय मिलन का रास्ता बहुत अच्छा बनाया है। छोटी सी कैसेट रख दो जब चाहे तब आवाज सुनो। तो बाबा कहते हैं साइंस ने भी कमाल की है। सुनने का भी देखने का भी। लेकिन बाप सदा कहता है यह तो अल्पकाल के साधन है लेकिन सदा आपके साथ हो, वह दिल। दिल में बाबा को याद करो और इमर्ज रहे यह प्रैक्टिस जरूरी है। अच्छा। अभी आज कौन सा तरफ आया है।

सेवा का टर्न ईस्टर्न ॰जोन का है। आसाम, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, नेपाल और तामिलनाडु ॰जोन के 18 हजार आये हैं, टोटल 23 हजार आये हैं:- अच्छा है साइंस वाले भी अपना उल्हना उतार रहे हैं जो दे सकते हैं, देते हैं। लेकिन सबसे सहज याद करने का तरीका जो है वह याद बिना साधन के दिल में आ जाए, निकालना चाहे तो भी नहीं निकले, साधन इतने हैं जो कमाल साइंस का है और ऐसे टाइम पर साइंस का साधन हुआ है जो बच्चे कहाँ भी हों, विलायत में हों या यहाँ हों, सब साधनों से मिलन मना सकते हैं। तो संगम पर सिर्फ बाप का साथ नहीं मिलता लेकिन साधन जो हैं उनका भी बहुत साथ मिलता है। मिलन के लिए कितने साइंस के साधन हैं। यह संगम पर बाप और बच्चों के मिलन के साधन भी कम नहीं हैं इसीलिए साइंस को भी कहेंगे कि हमारे मिलन के निमित्त साइंस बनी है। भले पैसा चाहिए परन्तु दूर बैठे भी मिलन तो हो सकता है चाहे कुछ भी काम करके पैसा इकठ्ठे करें, क्या भी करें।

डबल विदेशी 60 देशों से 700 भाई बहिनें आये हैं:- फिर भी यहाँ के वहाँ के मिलाके अच्छा है जो पहुंच गये हैं। बापदादा को तो खुशी होती है कि बच्चे कैसे भी पैसा इकùा करते, एक तो उन्हों की कमाल बहुत अच्छी होती है, बाबा सुनते हैं कैसे पैसा इकठ्ठा करते हैं। दूसरा दिल में लगन कितनी है और लगन के साथ साधन भी कैसे इकठ्ठे करते हैं, कमाल तो उनकी है क्योंकि पहले तो टिकेट चाहिए। लेकिन बाप ने देखा तो बच्चों की दिल बाप से, बाप की दिल बच्चों से। दिन याद करते रहते हैं, कब मिलन होगा, कब होगा। बच्चों का बाप से और बाप का भी बच्चों से बहुत दिल का प्यार है। बस उन दिनों की तारीख याद करते रहते, कब शुरू होगा। तो सब ठीक हैं? सबकी तबियत ठीक है। बाप को भी बच्चों को देख बहुत खुशी होती है, जितने बच्चे ज्यादा उतनी बाप को खुशी है। सभी को बहुत-बहुत दिल से यादप्यार तो है ही क्योंकि दिल में समाया हुआ कौन है? खास जिस समय यहाँ मुरली चलती है, उस समय भी देखो अपने घरों में भी मुरली के टाइम जब सीजन शुरू होती है तो कैसे भी करके अटेन्शन देके टाइम निकालते हैं। बापदादा भी देखकर हार्षित होते हैं बच्चों की दिल मुरली से कितनी है। खजाना है ना। तो कैसे भी सरकमस्टांश होते भी मुरली सुनने पहुंच जाते हैं। यहाँ भी जो दिल से पहुंचे हैं उन सबका सम्मुख मिलन तो हो गया लेकिन सम्मुख मिलन तो हुआ, अभी इसी मिलन को बढ़ाते जाना। जहाँ तक हो सके वहाँ तक बढ़ाना। यह पुरूषार्थ करते आगे बढ़ते चलो। हाल तो यह भी भर गया है। बाप बच्चों को देख करके खुश होते हैं। जो भी आये हैं उन एक-एक बच्चे को बाप दिल से यादप्यार का रिटर्न यादप्यार दे रहे हैं।

दादी जानकी से:- मेहनत अच्छी की है। प्रकृति से भी अच्छी मेहनत की है। सभी आपको देखकर कितने खुश होते हैं। यह तो अच्छा है जो चलकर फिरकर भी तबियत ठीक है। परन्तु फिर भी आयु के हिसाब से ठीक है। (बेहरीन के इब्राहम भाई की याद बापदादा को दी) अच्छा है एक दो के सहयोगी बनना बहुत अच्छा है। मतलब टोटली जो अभी सेवा चल रही है, अभी ठीक अटेन्शन है। विदेश का असर देश में आता, देश का असर विदेश में हैं। एक दो के मददगार भी हैं।

मोहिनी बहन:- तबियत थोड़ी ढीली है। रेस्ट कर रही है। (आपकी गोद में हूँ) तो वहाँ तो रेस्ट ही है ना। यह सदा ठीक होते ठीक है। अच्छा है।

ईशू दादी से:- (तबियत ठीक नहीं है) घबराना नहीं, घबराने से और ही हो जाता है। जिसके लिए सोचते हैं वह ज्यादा हो जाता है, इसलिए यही सोचो जैसे दवाई हो गई है। बाबा को याद किया, बीमारी की गोली एक बारी ले ली बस। भले जो दवाई है ना, उसको जिस समय लो उस समय समझो यह दवाई हमारे काम में आई। भले धीरे-धीरे आयेगी लेकिन आपको फर्क महसूस होगा, बस। और सभी को पता है कि इनकी तबियत खराब है तो सभी का ध्यान आपमें जायेगा।

तीनो भाईयों से:- सभी खुश हैं। सब खा पी तो रहे हैं ना। यह तो खाते रहना चाहिए। खाओ पिओ, जरूरत नहीं है टोली नहीं खाओ, समझो मेरी तबियत खराब है। भोग तो सभी को आटोमेटिक मिलता है। भोग तो सबके पास बीमारी में भी पहुंच जाता है। लेकिन ऐसा बेफिक्र नहीं बनना। अच्छा है सम्भाल करो लेकिन ज्यादा नहीं, बीच का जैसे होना चाहिए वैसे। क्योंकि यहाँ तो ढेर हैं ना। एक दो को देखकरके भी एक दो का तीर लगता है। (अभी और संख्या बढ़ेगी) साधन अपनायेंगे, आयेंगे तो यही बढ़ोतरी हो जाती है। कहाँ आयेंगे? यहाँ ही तो आयेंगे। (रहने का साधन तो बढ़ाना पड़ेगा) अभी चल रहा है ना। (बहुत बच्चे बाहर बैठे हैं) उसमें कोई नुकसान तो नहीं है ना।

(रमेश भाई ने कहा बाबा आपको और भी आने के टर्न बढ़ाने होंगे) वह तो देख लेंगे। पहले यहाँ के साधन तो ठीक हो जायें। बच्चे बढ़ेंगे तो साधन भी जरूर बढ़ेंगे ना। भाषण सुनें वह अवस्था तो चाहिए। अगर ठीक प्रबन्ध नहीं होगा तो मुरली क्या सुनेंगे! (बरसात से सेफ्टी के लिए हाल के ऊपर दूसरी छत डाली गई है) अच्छा है, साधन तो चाहिए नहीं तो मुरली के समय बरसात के पानी को ही गिनते रहेंगे इसीलिए सबमें लिमिट चाहिए। साधन चाहिए लेकिन साधन के वशीभूत होके नहीं। यहाँ साधन के बिना तो चल ही नहीं सकते, क्योंकि बरसात ऐसी होती है। अगर ज्ञान की रीति से देखें तो टूमच में नहीं जाना है। साधन यू॰ज जरूर करना चाहिए लेकिन हद।

विदेश की बड़ी बहिनों से:- आप लोग अपने शरीर के हिसाब से तो सम्भाल करते ही हो। ऐसे भी नहीं कि शरीर का क्या करें, भोगना तो भोगनी ही पड़ेगी ना। नहीं। अपनी सम्भाल पहले से करो, जब पहले से पता है बीमारी आने की निशानी यह है, उसकी दवाई यह है, वह भी जानते हो। तो पहले सब प्रबन्ध करो। अभी डाक्टर तो छोटे-मोटे सब हो गये हैं, तो शरीर की भी सम्भाल करो। (बाबा से नई वेबसाइट का उद्घाटन कराया) बाकी सब ठीक चल रहा है। अच्छा है। (न्युयार्क की मोहिनी बहन ने सभी की याद दी) याद तो जरूर दो। वह भी खुश होंगे ना। अच्छा है। (दादी जानकी के लिए) इनकी भी सम्भाल अच्छी करना। (बाबा आपको अगली सीजन में फिर आना है) (नीलू बहन ने कहा बाबा रथ को पहले ठीक रखना फिर आने का प्रोग्राम देना) जो ड्रामा में होगा वह होगा, इसीलिए आप सभी अपना विचार भले दे दो लेकिन यह नहीं कहो यह होना चाहिए। नहीं तो इसमें भी फिर जिसमें बाबा आवे वह खुश होते हैं, अगर किसी टर्न में नहीं आता है तो उनके संकल्प चलते हैं, इसलिए यह नहीं चाहती है कि ऐसा हो। सिर्फ एक बात नहीं है, कई बातें हैं। बाबा देखकर उसी अनुसार आपेही करेगा क्योंकि एक की दिल रखो तो वह समझते हैं मैं भी तो हूँ ना। फिर तो सभी खास हैं। हर एक के टर्न में 23- 24 हजार होते हैं। (टी.वी. द्वारा लाखों लोग देखते हैं, ॰जोन वाइज जो यहाँ आते हैं, यह प्रोग्राम बहुत अच्छा है) भले वह आयें, उसकी तो छुट्टी है ही। (बाबा मीटिंग के लिए कोई प्रेरणा आप दें, जो रही हुई सेवा कर सकें) आप लोग भी निकालो। (इस वर्ष की थीम क्या रखें) आप आपस में मीटिंग करो, उसमें पहले निकालो फिर बाबा पास करेंगे।


07-03-16          ओम् शान्ति          “अव्यक्त  बापदादा”          मधुबन
 


‘‘संगमयुग का भाग्य जिसने प्राप्त किया वह महान योगी है, यह युग परमात्म जन्म, परमात्म मिलन का डायमण्ड युग है जिसमें अलौकिक सुख, शान्ति, श्रेष्ठ जन्म और भाग्यवान परिवार की प्राप्ति होती है’’

ओम् शान्ति। सभी के मुखड़े बहुत अच्छा मुस्करा रहे हैं। सभी खुशी-खुशी में बाप का जन्म उत्सव मना रहे हैं। सबके चेहरे बहुत स्नेहयुक्त मीठे-मीठे मुस्कान से, बाप का बर्थ डे बहुत ही स्नेह में मना रहे हैं। बाप बच्चों को मनाते हुए देख खुश हो रहे हैं कि बच्चे बाप और अपने दिव्य जन्म के दिन को मना रहे हैं। आप और अड़ोस पड़ोस के सभी बच्चे बाप के जन्म दिन की, विचित्र दिन की खुशी मना रहे हैं और सबके दिल में इस दिव्य जन्म की, जन्म दिवस की खुशी सबके चेहरे में दिखाई दे रही है। बाप भी बच्चों के इस अलौकिक जन्म के चेहरे देख, बहुत दिल में जन्म दिनकी याद से खुश हो रहे हैं कि वाह हर बच्चा जो अपने इस बर्थ राइट को देख हार्षित हो रहे हैं। सभी को यह अलौकिक जन्म कितना प्यारा है, वह हर एक के चेहरे से दिखाई दे रहा है। हर एक को इस जन्म की,  इसको कहते हैं अलौकिक जन्म, इसकी बहुत खुशी है क्योंकि यह अलौकिक जन्म कितना सबका न्यारा और प्यारा है। सभी इस एक जन्म में अपना अलौकिक जन्म जान अपने इस दिव्य जन्म को देखते बहुत खुश हो रहे हैं क्योंकि यह जन्म स्वयं ब्रह्मा बाप द्वारा ब्रह्माकुमार ब्रह्माकुमारी के नाम से प्रसिद्ध है। हर एक को इस जन्म की बहुत खुशी है कि वाह मेरा यह अलौकिक सुखमय जन्म है और हर एक के मुख पर इस श्रेष्ठ जन्म की बहुत खुशी चेहरे से दिखाई देती है इसलिए गाया भी जाता है कि यह संगमयुग का जो जन्म ब्रह्मा बाप ने दिया, बाप और आप दोनों का जन्म छोटा है लेकिन प्राप्ति सर्व जन्मों से न्यारी और प्यारी है। हर एक बच्चा अपने इस दिव्य जन्म, अलौकिक जन्म की महिमा भूल नहीं सकता क्योंकि यह छोटा सा जन्म है लेकिन विशेषता यह है जो इस छोटे से जन्म में सारे जन्म की बातें जानते हो और इस एक जन्म में अपना भविष्य भी जानते हो इसलिए संगमयुग को डायमण्ड युग कहा जाता है। परमात्म मिलन, परमात्म जन्म,  इसछोटे से युग में अनुभव होता है। सबसे छोटा सा युग है लेकिन प्राप्ति सारे कल्प में इस संगम के जन्म में होती है। अलौकिक सुख, अलौकिक शान्ति और जन्म भी श्रेष्ठ, परिवार भी बहुत भाग्यवान तो ऐसा जन्म इस संगमयुग के एक जन्म का है। बापदादा भी संगम पर ही बच्चों से मिलता है, पहचान से। अलौकिक बाप जिसको ब्रह्मा बाप कहते हैं वह बाप अनुभव में आता है। है छोटा सा युग लेकिन सब जन्मों से यह संगम का युग बहुत-बहुत भाग्यवान है। छोटा सा युग है लेकिन प्राप्ति बहुत है। इतनी प्राप्ति और कोई युग में, जन्म में नहीं होती और साथ-साथ यह संगमयुग ऐसा महान है जो सारे युगों में मुख्य युग यह संगम का गाया हुआ है और संगमयुग में सारे चक्र को जानने का भाग्य प्राप्त होता है।सारे चक्र का जो रहस्य है, वह भी संगमयुग पर ही प्राप्त होता है।

तो आप सभी अभी किस युग में होक्या कहेंगे?  संगमयुग पर हो ना!  जो समझते हैं हम संगमयुग में हैं अभी वह हाथ उठाओ। पीछे का तो देखने में नहीं आता लेकिन आप सुन रहे हो उससे भी जान गये। संगमयुग सब युगों से श्रेष्ठ युग है, छोटा सा है परन्तु भाग्य बहुत बड़ा है। भाग्य संगम का जिसने प्राप्त किया वह महान योगी कहलाता है। यह महान योगी जीवन कितनी महान है!  इस संगमयुग की प्राप्ति से, सबसे श्रेष्ठ सतयुग के जन्मों को भगवान द्वारा आप जानते हो। खुद भगवान संगमयुग पर आपको मिलता है। सारे कल्प में अगर सबसे भाग्यवान युग कहलाये तो संगमयुग ही है। ऐसे युग में आपने भगवान के दिव्य जन्म को पाया है। आज भी क्या मनाने आये हो? संगमयुग का जो भाग्यवान समय है वह पाया है, पा रहे हो, पाते रहेंगे। भले सतयुग के देवतायें बहुत श्रेष्ठ हैं लेकिन यह संगम युग की उससे भी ज्यादा बलिहारी है। संगम पर ही भगवान अपने ओरीज्नल बच्चों को प्राप्त होता है। बाप का प्यार प्रत्यक्ष जन्म में संगम पर ही प्राप्त होता है। हर एक के मुख से यही निकलता वाह संगमयुग का दिव्य जन्म! और जन्म दिन को आप भी मनाते, मन की खुशी का अनुभव करते हो। खुशियां तो बहुत होती हैं लेकिन संगमयुग की खुशियां और उसका गायन संगम पर ही होता है। साथ-साथ संगमयुग की दिव्य प्राप्तियां, वैसे आदमशुमारी तो संगम की बहुत है लेकिन संगमयुग की जो महानता है, वह प्राप्ति का भाग्य आप थोड़े से बच्चों को मिला है। संगमयुग में पहली प्राप्ति, बड़े ते बड़ी प्राप्ति आपको है। स्वयं परमात्मा का अवतरण संगमयुग में ही होता है। संगमयुग के ब्राह्मणों की महिमा बहुत श्रेष्ठ है, जिसमें आप लोग आज बैठे हो यह संगमयुग की प्राप्ति है। सभी कितने खुश हो रहे हैं। संगमयुग और आप, प्राप्ति देखो कितनी ऊंची प्राप्ति, संगमयुग में ही भगवान खुद आके सारा ज्ञान दे रहे हैं। जैसे अभी दे रहा है, इस देन को कम नहीं समझना। डायरेक्ट भगवान संगमयुग पर साधारण रूप में प्रवेश हो दे रहा है। यह भाग्य कम नहीं। यह संगम का एक जन्म महान है। सभी युगों का ज्ञान, सब युगों से श्रेष्ठ कमाई,  सारे कल्प का ज्ञान सब संगम पर प्राप्त होता है। आपके पास लिस्ट होगी संगम पर क्या क्या प्राप्त होता है, जो कोई युग में नहीं होता है। तो संगमयुग की प्राप्ति हुई माना सारे कल्प का जो भाग्य है ना, वह यह छोटा सा युग प्राप्त कराता है। तो बाप हर कल्प में यह संगमयुग की प्राप्ति कराते, खास प्राप्ति क्या है?  ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारी, यह जन्म बहुत श्रेष्ठ है,  इसमें आप सारे कल्प का ज्ञान प्राप्त करते हो। तो यह भाग्य संगम पर ही प्राप्त होता है परमात्मा द्वारा। तो बोलो,  आप सभी संगमयुग के भाग्य को जान आगे बढ़ रहे हो ना!  क्योंकि संगमयुग की महिमा है, जो संगमयुग में ही प्राप्त होता है वह और कहाँ नहीं प्राप्त होता है। तो बापदादा से मिलने आये हो यह भाग्य भी संगम पर मिलता है। यह मिलन कम नहीं है। बहुत बड़ा मिलन है। अच्छा। बाप के जन्म का यादगार अच्छा रखा है। जो रूबरू आते हैं,  वह तो आते ही हैं लेकिन इस प्राप्ति का मूल्य बहुत बड़ा है। बापदादा भी रो॰ज ऐसे बच्चों को देख खुश होते हैं वाह कल्प के भाग्यवान बच्चे वाह!  स्वयं भगवान भी संगमयुगी ब्राह्मणों की महिमा करते हैं। कितना श्रेष्ठ भाग्य है जो कल्प में एक बार परमात्मा द्वारा प्राप्त होता है। हुआ है ना! जिसको यह भाग्य प्राप्त हुआ है, वह हाथ उठाओ। हुआ है? तो यह भाग्य कम भाग्य नहीं है। सुनने में नम्बरवार जरूर हैं लेकिन यह संगमयुग का भाग्य सारे कल्प के अन्दर फर्स्ट नम्बर है। अच्छा,  अभी तो समय बहुत हो गया है।

सेवा का टर्न गुजरात ॰जोन का है, 14 हजार गुजरात के आये हैं, टोटल 22 हजार आये हैं:-
गुजरात वाले आते ठीक हैं। अच्छा है संगमयुग का भाग्य गुजरात ने लिया है। और भी हैं। भिन्न-भिन्न भाग्य
, भिन्न-भिन्न देश वालों ने लिया है। थोड़े में सुनाया कि आधे हैं गुजरात वाले। अच्छा है। बोलो। गुजरात से ज्यादा किसका नम्बर है? गुजरात को संग का रंग लगाना चाहिए। अच्छा है। गुजरात ने जैसे नम्बर लिया है वैसे और भी नम्बर ले सकते हैं। भले दो नम्बर हों,  लेकिन फिर भी दो नम्बर में आ तो गये। तो बापदादा भी गुजरात को कहता है कि अच्छी मेहनत करते हो और आगे भी करते रहेंगे।
डबल विदेशी 100 देशों से 1200 भाई बहिनें आये हैं:- अच्छा है।

अन्दाज के हिसाब से 1200 अच्छे हैं। साकार बाबा जब थे तब बाबा हमेशा कहते थे कि कोई भी जो भी ॰जोन है, वह ऐसे हाथ उठाते जायें। आते तो बहुत हैं, लेकिन चल रहे हैं और सेवाधारी भी हैं और नाम भी अच्छा बाला किया है। तो यह रिजल्ट बताती है तो अच्छी मेहनत करके बढ़े भी हैं,  बढ़ाते भी हैं। हर एक कोशिश कर रहा है आगे बढ़ने की और बढ़ सकते हैं, चांस है।

यह भी मालूम पड़ता है कि गुजरात वृद्धि में अब तक नम्बर आगे गया है। अच्छा है। तो वृद्धि पाना माना अपने ब्राह्मणों की संख्या को बढ़ाना। बाबा को अच्छा लगता है कि जितनी वृद्धि होगी उतना ही जल्दी सतयुग भी आयेगा। कोई नई इन्वेन्शन ऐसी निकालो जो नम्बरवन जैसे गुजरात है उससे भी नम्बर आगे आ जाओ। नम्बर तो आ सकते हो ना। इसमें तो कोई किसको रोक नहीं सकता। लेकिन वृद्धि चाहिए जरूर। क्योंकि सारी दुनिया के हिसाब से अभी हमारे हिसाब में कोई इतना ज्यादा नहीं है। गुजरात जितना अभी आगे गया है उससे भी ज्यादा हो सकता है। जैसे गुजरात ने मेहनत करके अपने को आगे बढ़ाया है, ऐसे हर एक जो भी हैं, भिन्न भिन्न ॰जोन आये हैं, तो जैसे यह मेहनत कर रहे हैं वृद्धिकी,  वैसे और भी कर सकते हैं। नम्बर आगे से आगे जाओ। हो तो सकता है ना!  जो समझते हैं नहीं,  गुजरात से आगे नहीं जा सकते हैं, वह हाथ उठाओ। तो अभी वृद्धि और ज्यादा करो।

दादी जानकी से:-
मेहनत बहुत करती हो इनका लक्ष्य है कि गुजरात को आगे करके दिखायेंगे। भले कोई भी करे
, उमंग सभी में हैं। अभी सभी समझते हैं कि हम नम्बर आगे जायें तो अच्छा है।

ईशू दादी की याद दी, वह अभी अहमदाबाद में चेकिंग के लिए गई हैं:- बीच-बीच में इसको थोड़ा होता है, लम्बा नहीं जाता है। ठीक हो जाता है।

(तीनों भाईयों ने बापदादा को जन्म दिन की बधाई देते हुए गुलदस्ता भेंट किया)

अच्छा है, सब ठीक चल रहे हैं!  उमंग उत्साह में आगे बढ़ रहे हैं। कोई ड्युटी उठावे,  इतने महारथी हो तो कोई बीचबीच में उनकी रिजल्ट पूछे। रिजल्ट पूछने से सब बातों का पता पड़ जाता है। अभी पुरूषार्थ तो सब कर रहे हैं इसमें बाबा ने देखा है तो कईयों में उमंग है लेकिन थोड़ा सा उन्हों को बल चाहिए, जो थोड़ा आगे बढ़ें। वह भी हो जायेगा। बाकी हैं सब ठीक। सब ठीक तो हैं ना!  थोड़ा होगा तो थोड़ा मौसम का होगा। ठीक है ना सभी!  दवा की जरूरत तो नहीं है!  हर एक पुरूषार्थ कर रहा है और बापदादा ने देखा कि पुरूषार्थ के बाद कुछ टाइम तो अच्छा चलता है लेकिन थोड़ा ज्यादा टाइम होता है तो फिर और तरफ जाता है इसके लिए जैसे कोई क्लासेज कराते हैं ना,  तो उसमें सब मिल करके कोई को मुकरर करो,  मास में एक बारी या दो मास में एक बारी आपस में मिल करके यह रिजल्ट निकालें।

बापदादा ने 80 वीं शिवजयन्ती के निमित्त शिव ध्वज फहराया और सबको मुबारक दी।

शिव जयन्ती के दिन पहले तो बाबा याद आता है। शिवबाबा भी और ब्रह्मा बाबा भी और सब बड़ी दादियां भी, सब याद आती हैं। सारी सभा को जो भी सब हैं, सबको जन्म दिन की मुबारक हो।

 

31-03-16          ओम् शान्ति          “अव्यक्त  बापदादा”          मधुबन
 


‘‘हर बच्चे के दिल का प्यार, उनकी स्थिति उनके रूप से (फेस से) दिखाई देता है, हर एक भिन्न-भिन्न सम्बन्ध के प्यार से मिलन मना रहे हैं, मनाते रहेंगे’’

ओम् शान्ति। इस चैतन्य दीपकों के संगठन को देख बापदादा बहुत खुश हो रहे हैं। कहाँ-कहाँ से एक-एक दीपक दीपराज से मिलने आये हैं। दीपराज कितने बड़े दीपकों के संगठन को देख खुश हो रहे हैं, वाह दीप वाह! एक दो को देख देख मुस्करा रहे हैं क्योंकि यह मिलन, एक दो साथी आपस में मिलें और कितने समय के बाद मिलते हैं। तो यह मिलन जो है, इस मिलन की बहुत श्रेष्ठ वैल्यु है। वैसे भी आपस में मिलते हैं, बात करते हैं, मुरली सुनते हैं, खाना खाते हैं, रूहरिहान भी करते हैं, लेकिन यह मिलना कितना प्यारा लगता है क्योंकि संगठन ही चलते फिरते दीपराज और दीपराज के बच्चे, दोनों का आपस में मिलना। बच्चे कहते बाबा, ओ बाबा! और बाबा कहते हाँ बच्चे, मीठे बच्चे।

आज तो बाप आपके लिए ही आये हैं इसलिए इसका नाम ही दीपावली रखा है। दीपकों का मिलन। एक- एक दीपक की, अगर आप ध्यान से बैठके टाइम लेके देखो तो हर एक के फेस से कितनी मीठी मीठी बातें मन में आती हैं। एक-एक का फेस बहुत कुछ बातें मन की अभी इस समय दिल में जो भी है वह कईयों की तो बाहर लिखत में दिखाई दे रही है क्योंकि बाप के सामने दिखाई दे वह समय बहुत कम मिलता है। चाहे फारेन हो, चाहे इन्डिया हो लेकिन बाप के दिल में बच्चे, बच्चों के दिल में बाबा। यह मिलन बहुत स्नेह का स्वरूप देखना हो तो मधुबन में देखो। अभी हर एक की दिल में कौन ? बाबा के दिल में बच्चे, बच्चों की दिल में बाबा। कितना सुन्दर मिलन है। वैसे तो हर एक बच्चे का मुख अन्दर ही अन्दर मुख में जो बातें कर रहे हैं उनका रिकार्ड तो भर रहा है लेकिन अभी उनके फेस के रिकार्ड में स्पष्ट रूप से आ भी रहा है और मिलन भी हो रहा है। अभी इकठ्ठा एक टाइम पर इतनों से तो मिल ही रहे हैं लेकिन यह दिल का मिलन बाप और बच्चे के रूप में, साथी के रूप में, सखा और सखी के रूप में कितना प्यारा है। गीत है ना आपका, तुम्हीं हो माता, तुम्हीं हो पिता....सब कुछ हो। तो आप यहाँ आ करके देखो जिस समय हर एक बच्चे के दिल में यह याद का स्वरूप आता है, आप सोचो तो जब हर एक के चेहरे पर वह मिलन का रूप आता है तो कितना प्यारा लगता होगा! वैसे तो हर एक के दिल में चलते फिरते, कार्य करते भी दिलाराम दिल में दिखाई दे रहा है। लेकिन यह मिलना थोड़े समय का मिलन है यह, लेकिन कितना प्यारा है। हर एक के दिल में विशेष यही है मेरा बाबा। वाह बाबा वाह! आपने हर बच्चे को अपने दिल का कोना दे ही दिया है। हर एक के दिल में देखो अगर ऐसा दिल का नक्शा खींचने वाला हो तो बहुत आपको वन्डर दिखाई देगा - कोई किस रूप में, कोई किस रूप में, एक को ही याद कर रहे हैं।

यह सभा तो छोड़ो लेकिन इस समय चाहे यहाँ चाहे सेन्टर्स पर सभी बच्चों के दिल में कौन दिखाई देता है, मैजॉरिटी। और हर एक की अभी की शक्ल अगर फोटो निकालो तो कितनी खुश दिल है। बाप और बच्चों का यह मिलन दिल को राहत देने वाला है। अगर पूछें किससे भी, आपके दिल में कौन? तो क्या कहेगा? मेरा बाबा। मीठा बाबा। मेरे दिल का दिलवर। और हर एक की शक्ल फोटो निकालो तो शक्ल में फर्क है। हर एक के दिल के आवाज से, हर एक की दिल बोल रही है, वह क्या बोल रही है? है सभी का भाव एक ही लेकिन भिन्न-भिन्न बोल में बोल रहे हैं। सभी की दिल का एक ही आवाज है, दिल का राजा आ गया। हर एक की दिल देखो, कोई ऐसा फोटोग्राफर अभी निकला नहीं है, लेकिन बाप की दिल में हर एक बच्चा कैसे समाया हुआ है, वह सीन अगर आप भी देखो तो देखते ही रह जाओ क्योंकि यहाँ अभी इस समय दिल का अन्दर का नक्शा सबका प्रत्यक्ष रूप में है। अगर एक-एक उस रूप से जो दिल में है, दिखाई देवे तो बहुत आपको आश्चर्य लगेगा, कोई किस रूप में, कोई किस रूप में, किस समय, भिन्न-भिन्न पो॰ज में मिलन मना रहे हैं, वह देखने योग्य है। वहाँ ही एक बच्चे के रूप में है तो दूसरा माँ-बाप के रूप में है, सखा रूप में है, भिन्न-भिन्न रूप में है और हर एक अपने रूप के नशे में बहुत लगे हुए हैं। कोई मेरा बाबा कह रहा, तो कोई मेरा दिल का हार, भिन्न-भिन्न रूप से, जो भिन्न-भिन्न सम्बन्ध प्यार के होते हैं ना वह हर एक के दिल के फेस में प्रत्यक्ष दिखाई देता है। तो आप सोचो हर एक के दिल का फोटो प्रत्यक्ष देख बापदादा को कितना अच्छा लगता होगा! इस साधारण रूप में नहीं लेकिन साधारण रूप के भी दिल में किस रूप से याद कर रहे हैं उसी रूप से दिखाई दे रहा है। तो बोलो, कितना अच्छा लगता होगा! दिल की फोटो, यह फेस तो दिखाई देता ही नहीं है।

तो बापदादा कभी-कभी साकार रूप में इमर्ज हुए, क्लास के रूप में दिखाई देता है, बैठे तो अभी हर एक जो संगमयुग का रूप है उसमें ही हैं लेकिन अगर उसके अन्दर का रूप देखने चाहो तो वह भी स्पष्ट दिखाई देता है। हर एक की दिल खुशी के झूले में झूल रही है। बापदादा भी हर एक का साधारण रूप नहीं देख रहा है लेकिन सम्बन्ध के स्वरूप में बाप और बच्चे के स्वरूप में, ऐसे नहीं इमर्ज करे तो साधारण ही आये लेकिन दिल के प्यार का स्वरूप प्रत्यक्ष है। तो आप देखिये सबके दिल का पूरा-पूरा हाल, अभी इस सभा में दिखाई दे रहा है। तो बापदादा को कितना प्यार, हर एक के दिल का गहरा रूप देख कितना एक-एक के प्रति स्नेह प्रत्यक्ष दिखाई देता है। किसी भी कोने में बैठे हैं, अभी कोना कहाँ और हम कहाँ लेकिन हर एक का चेहरा बापदादा के समीप ही दिखाई देता है। कोई भी ची॰ज बड़ा रूप करके देखो सामने और नेचुरल रूप में देखो तो कितना फर्क पड़ता है। तो बापदादा जब भी आते हैं तो आपका वही ओरीज्नल रूप देखते हैं और दिल से क्या निकलता है? वाह बच्चे वाह! थोड़ा सा टाइम सम्मुख का मिलता है, बात तो फिर भी दिल में ही कर सकते हैं लेकिन दिल की बातें दिल में कर लेते हैं, सम्मुख जैसे बात करते हैं तो सम्मुख का जो अनुभव है, खुशी है, दिल का समाना है, यह अनुभव कितना दिल को प्यारा लगता है। भले कोई लास्ट में बैठा है लेकिन दिल में याद जितनी जिसकी पक्की है, वह ऐसे ही महसूस कर रहा है तो बाबा का साथी बनके बैठा हूँ। तो साथीपन और साक्षीपन, दोनों ही रूप दिखाई दे रहे हैं। हर एक के दिल का अनुभव अपना अपना है। कहते तो सभी यह है कि बाबा की याद बहुत अच्छी अनुभव कर रहे हैं लेकिन अनुभव में भी भिन्न-भिन्न रूप हैं। मैजॉरिटी दिल में संगम का रूप ही मिलन में प्यारा लगता है क्योंकि ओरीज्नल फीलिंग आती है। बाप और बच्चे का मिलन बहुत प्यारा लगता है। भले लास्ट में बैठे हैं यहाँ हिसाब से, लेकिन हैं सब दिल में। दिलाराम और बच्चों की दिल, यह मिलन कितना प्यारा है। तो हर एक अभी कहाँ बैठे हो? कुर्सी पर? हर एक अपने प्यार के नम्बर अनुसार उसी जगह पर बैठे हैं। तो बताओ कैसी सभा लगती होगी? हर एक के दिल का चित्र इस समय क्या है? वह चित्र दिल का हर एक का अभी बाहर के रूप में दिखाई दे रहा है। कितनी अच्छी सभा लग रही होगी। हर एक के दिल का चित्र है। सभी का चेहरा बड़ा सुन्दर, काले काले का नहीं, स्नेह में समाये हुए का मेकप हो जाता है तो आप बताओ क्या सभा लगती होगी? तो ऐसी सभा बाप देख सकता है, सेकण्ड में बाप के आगे जो उसकी स्थिति है उसी अनुसार रूप दिखाई देगा। और सभा बहुत सुन्दर लग रही है। कोई गोरा है, कोई काला है क्या है, लेकिन बाबा को लगन वाला वह चित्र ही न॰जर आ रहा है। लगन का चित्र बस फेस में ही आप देख लो। हर एक का फेस वर्तमान समय के मन की लगन के स्वरूप का प्रत्यक्ष दिखाई दे रहा है।

बापदादा तो यह देखते हैं कि समय अनुसार माताओं की संख्या कम नहीं आती। वह और ही ज्यादा आती है। चाहे टांग में थोड़ा कुछ भी है लेकिन उन्हों को कोई टांगे स्पेशल मिल जाती हैं। तो बापदादा को ऐसे बच्चों के बीच कितना अच्छा लगता है। वाह! भक्ति में इनको भिन्न-भिन्न रूप में दिखाते हैं। बापदादा भी जब यह दिन आता है तो बच्चों को बहुत एक-एक को देखता है। और बच्चे भी उसी स्नेह के रूप में दिखाई देते हैं। हर एक के दिल से वाह बाबा वाह! वाह बाबा वाह! का गीत सुनाई देता है। और बाप को बच्चों के भिन्न-भिन्न रूप में गीत बहुत अच्छे सुर में सुनाई देता है। कोई कैसा दिखाई दे, कोई कैसा नहीं। एक ही सा॰ज में, एक ही लगन के रूप में दिखाई दे रहा है। आप सबके चेहरे कुछ तो बदलते हैं, हैं तो वही चेहरे लेकिन जो अन्दर का प्यार का स्वरूप है वह दिखाई दे रहा है। तो बापदादा को भी आने में, बच्चों को ज्यादा तकलीफ होती होगी लेकिन मन की मौज वह और ही जो दूर-दूर से अपने दिल की लगन से आते हैं उनके चेहरे देख बापदादा दिल में ही बात कर लेते हैं।

अभी इतने स्पीकर तो नहीं लग सकते, दिल का स्पीकर लग सकता है। सभी मिल तो लेते हैं ना! सभी कहते हैं भले कुछ भी हो लेकिन मिलते तो हैं ना! आपको क्या लगता है? इतने में सुख आता है? आता है? चाहना तो यही होगी बहुत टाइम हो। लेकिन बापदादा देखते हैं और ड्रामानुसार यही हो सकता है कि बापदादा हर एक को अपने चाहना अनुसार, क्योंकि चाहना भी इतने सब आप बैठे हो हर एक की चाहना अपनी अपनी होगी। लेकिन प्यार का मिलन चाहे 10 मिनट है, वह 10 मिनट नहीं लगता, एक हिसाब से थोड़ा भी लगता, एक हिसाब से बहुत लगता। तो बापदादा भी एक-एक बच्चे को देख खुश भी होते हैं देखो कहाँ कहाँ-कोने में बैठे हैं। लेकिन यह भी है कि इतने टाइम में भी खुश हो जाते हैं, बाहर से नहीं दिल से क्योंकि और कुछ हो ही नहीं सकता ना! बहुत कोशिश की कि हर एक चाहता है कुछ समय हमको मिले, चाहना तो यह बढ़ती जायेगी यह तो बापदादा भी समझते हैं लेकिन ना से यह भी पसन्द करते हैं। ना से हाँ तो हुई।

आप लोगों को मुश्किल तो नहीं लगती! गर्मी के दिन हैं और गर्मी में आना जाना, माना पहले एक पानी आता है गर्मी का, पीछे मिलन होता है। साधन भी अपनाते हैं लेकिन कलियुग है ना, कलियुग में सब साधन मिलें यह असम्भव हैं। हाँ हम सम्पन्न हो जायेंगे और समाप्ति भी हो जायेगी। लेकिन वह एक मिनट का मिलना भी बहुत प्यारा लगता है। और बाप भी एक दिन में इतने बच्चों से मिल लेता है, तो बाप को भी अच्छा लगता है। ना से तो यह अच्छा है क्योंकि अगर ज्यादा करें तो फिर जैसे ऐसे मिले जैसे दूर से क्योंकि बाबा को भी तो बच्चे प्यारे हैं ना! तो एक के लिए इतनों से मिलना, है तो बहुत मिलने का प्यारा समय लेकिन फिर भी मिलन तो है ना। नाम क्या रखेंगे? बाबा से मिलके आये, चाहे कैसे भी मिलके आये। बापदादा भी समझते हैं कि आजकल के जमाने में गर्मी सर्दी यह अपना आना मिलना यह जैसे चलता आता है वैसे बढ़ता जाता है और चलता रहता है। पहले यह सभायें इतनी बड़ी-बड़ी होती थी! अभी तो कामन लगता है। एक ही सभा में कितने शहर वाले अपने-अपने स्थान से मिलते हैं। अपने स्थान से एक जगह इकठ्ठे तो हुए हो ना। फिर भी कोशिश तो करते हैं जितना टाइम यहाँ बाबा के सामने बैठते हो इकठ्ठे तो हर एक को अपना साधन भी हो सकता है। बाबा को पसन्द तो आता है कि खुले मैदान में हो लेकिन खुले मैदान में सुनना, समझना यह थोड़ा मुश्किल हो जाता है। अभी जबकि समय अभी नजदीक आ रहा है समाप्ति का लेकिन फिर भी मिलन तो हो जाता है ना। इतना दूर दूर, कितना दूर से मिल रहे हैं। और बाप को भी अच्छा लगता है सिर्फ धैर्य से जैसे प्रोग्राम मिलता है वैसे ही चलें। बाप जब देखता है ना बच्चे थोड़े हलचल में आ गये हैं तो दिल में लगता तो है! लेकिन बाप और बच्चों का मिलन यह छूटता भी नहीं है। तो सभी जो भी अभी आये हैं, कितना कष्ट मिला या नहीं मिला, अच्छा मिला या थोड़ी तकलीफ हुई, बापदादा सभी से मिल रहे हैं। जो थोड़ी बहुत तकलीफ भी हुई होगी तो उसका भी प्रबन्ध होगा तो करेंगे जरूर। हर एक समझता है हम भी मिलके आयें, वह भी प्रबन्ध देखो थोड़ा सार्विस को आगे बढ़ाओ। जो निमित्त बनी हुई आत्मायें हैं उनकी सेवा करके इनको बढ़ा सकते हैं लेकिन हिम्मत वाला चाहिए वह। नहीं तो थोड़ा चार छ: पुलिस वाला आयेगा तो दूसरे दिन सभी डरेंगे, इसीलिए ऐसा हंगामा भी नहीं करना है। सरकार नारा॰ज नहीं होवे। होती तो फिर भी होगी! परन्तु ऐसा नहीं, सुख के साधन भी हैं। और कौन हैं आपमें जो समझे इस रीति से मिलना जो है वह भी अच्छा है, जो समझते हैं यह भी अच्छा है जो चल रहा है, वह हाथ उठाना। सभी ने उठाया है। आप सोचेंगे और भी अच्छा हो सकता है लेकिन सब कुछ देखना पड़ता है। हमारी देखो, दादी है कितनी एज है। भले इनसे भी बड़े होंगे। क्योंकि आज की सभा में ऐसे बुजुर्ग-बुजुर्ग दिखाई दे रहे हैं। पसन्द है ना आप लोगों को। न चाहते भी पसन्द है। चाहते नहीं हो ऐसे, लेकिन करना ही पड़ता है। और बापदादा समझते हैं कि अपना राज्य जब होगा तब इतने साधन होंगे जो हम यू॰ज नहीं कर सकेंगे, इतने होंगे और जब होने चाहिए तब हर एक सोचता है कि अगर यह प्रबन्ध होता तो बहुत अच्छा! और बापदादा से जब बच्चे मिलते हैं तो एक- एक से मिलना तो बहुत मुश्किल है लेकिन सभी से दृष्टि लेते हैं और देते हैं। यह भी अच्छा जो इतने हाल भी आपको मिले हैं!  बाप तो मिला ना! चाहे थोड़ी गर्मी सहन करनी पड़ी। या सुनने में थोड़ा कम आया। यह होता है लेकिन यह भी धीरे-धीरे ठीक तो कर रहे हैं और करते भी रहेंगे। लेकिन बाप और बच्चों का मिलना तो है ही कि समझते हो इससे नहीं मिले तो अच्छा!  नहीं। बाप को भी तो याद आते हैं ना बच्चे। ऐसे नहीं कि बाप को याद नहीं आते। बाप को भी याद आते हैं, बहुत दिन हुए हैं बच्चे मिले नहीं है, लेकिन देखना पड़ता है। लेकिन जब भी बाबा मिलते हैं बच्चों से तो बहुत प्यारे लगते हैं। थोड़ी गर्मी, पसीना थोड़ा देना पड़ता है लेकिन बाबा के आगे वह क्या ची॰ज! भक्ति में क्या कुछ करते हैं, यह तो ज्ञान है। आराम तो मिलता है ना। बैठे तो ठीक हो ना सभी। भले आराम से लेटे हुए नहीं हो लेकिन बैठे तो ठीक हो ना। और ऐसा ही होना चाहिए अगर लेटने का करेंगे तो आधा तो परमधाम में चले जायेंगे। तो बापदादा को भी जब आना होता है ना, तो बहुत न॰जारे सामने आते हैं। यह तो होंगे ही फिर भी प्रकृति भी हम लोगों को अच्छा सहारा देती है। जहाँ बस स्टैण्ड नहीं है ना, वहाँ बस स्टैण्ड बना रहे हैं। जहाँ कहाँ मुश्किल है तो कोशिश कर रहे हैं कि सब ठीक हो जाए। लेकिन चाहिए दिल की लगन और थोड़ा सा बस स्टैण्ड में ठहरना, आयेंगे तो भी दूर बैठेंगे। जैसे अभी लास्ट में जो बैठे हैं उन्हों को क्या दिखाई देगा! लेकिन सब अच्छे ड्रामानुसार मिलन मना रहे हैं और मनाते रहेंगे। पसन्द है ना! इतने बैठे, ऐसे बैठें। तो पसन्द हैं! सोचेंगे इस पर भी। यह झण्डे लहरा रहे हैं, क्योंकि बिचारों को ऐसे थोड़ा आने-जाने में मुश्किल होता होगा ना। फिर भी दिल बड़ी है। जितने गरीब हैं, उतनी दिल बड़ी है। अच्छा। अभी यह भी समाप्ति करनी पड़ती है।

सेवा का टर्न यू.पी. बनारस और पश्चिम नेपाल का है, 13 हजार यू.पी. से आये हैं और टोटल 27 हजार आये हैं:- ज्यादा करके यू.पी. आई है। यहाँ अच्छा दिखाई दे रहा है। हम लोगों ने बहुत मेहनत की आप लोग तो सुखी में आये हो। हम लोगों के दिनों में तो स्कूटर भी नहीं थे। यह धीरे धीरे आये हैं। तो सभी खुश है ना। खुश हैं, खुश होके मिलते रहेंगे।

डबल विदेशी 50 देशों से 900 आये हैं:- तकलीफ तो होती होगी। हम लोगों ने जब शुरू किया तो कैसी हालत थी लेकिन अभी धीरे-धीरे समझ में आ गया। पसन्द है ना यह। यह ऐसे चले तो भी पसन्द है ना! अच्छा। तो सभी समझदार तो हैं ही। समझ सकते हैं, कहने की जरूरत भी नहीं है। जैसा समय महंगाई में बढ़ता जाता है उसी अनुसार प्रबन्ध किया जाता है। अटेन्शन है कि सहज जितना हो सके उतना होवे। लेकिन कोई न कोई कारण आते हैं जिसके कारण थोड़ा पैसा बढ़ाना पड़ता है फिर भी बाबा हमारे साथ है जो हम लोगों को सैलवेशन गवर्मेन्ट भी देती है।

अच्छा है ना, आपको पसन्द है! सब आराम से मिलते भी और मिल करके जायेंगे। घर में जायेंगे तो खाना पीना दोनों टाइम मिलेगा। बाकी जो भी कोई सहूलियत हो सकती है तो अपना विचार दे दो। क्यों नहीं हुआ, क्यों नहीं हुआ! यह जोर नहीं दो। जितना हो सकेगा उतना आपकी बात मानी जायेगी।

दादियों से:- सभी बाबा को कहते हैं कि ऐसा सहज करो जो किसी को मुश्किल नहीं लगे! सभी बाबा कहते हैं और हो जायेगा। (दादी जानकी को अपने पास बिठाया) आप एक का आराम से बैठना माना सबका बैठना। प्रोग्राम तो आप लोग ही बनायेंगे ना। आप ही मालिक हो ना।

(मोहिनी बहन का 75वां जन्म दिन मनाया जा रहा है, मोहिनी बहन ने बापदादा को सुन्दर माला पहनाई, बापदादा ने मोहिनी बहन को माला पहनाई):-

जो भी बना रहे हैं, वह जनरल में भी यू॰ज कर रहे हैं। कोई उल्हना आया तो नहीं है। धीरे-धीरे जो भी कठिनाई है ना, वह खत्म करेंगे। अटेन्शन देंगे।

तीनों भाईयों ने बापदादा को गुलदस्ता दिया:- सब ठीक हो। जैसे जैसे मीटिंग करते जाते हो वैसे-वैसे थोड़ा स्पष्ट होता जाता है। (पूना जगदम्बा भवन का प्लैन बापदादा को दिखाया) (बृजमोहन भाई ने सीडी की ओपनिंग कराई)

ईशू बहन से:- तबियत ठीक है ना!

(एस.डी.एम. साहेब और एस.पी. साहेब बापदादा से मिल रहे हैं):- अभी मिल लिये ना। (बहुत अच्छा सहयोग देते हैं) देश का काम है ना। सबको करना चाहिए। देश का काम है कोई ब्रह्माकुमारी पसर्नल नहीं करती हैं।

अच्छा। अभी सभी मिले। अभी आगे चलके भी मिलन होता रहेगा। जैसे प्रोग्राम बनाते हैं वैसे बनाना।