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18-01-70 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन


सम्पूर्ण विल करने से विल-पॉवर की प्राप्ति

आज किसलिए बुलाया हैं? आज बापदादा क्या देख रहे हैं? एक एक सितारे को किस रूप में देख रहे हैं? सितारों में भी क्या विशेषता देखते हैं? हरेक सितारे की सम्पूर्णता की समीपता देख रहे हैं। आप सभी अपने को जानते हो कि कितना सम्पूर्णता के समीप पहुँचे हो? सम्पूर्णता के समीप पहुँचने की परख क्या होती हैं? सम्पूर्णता की परख यही है कि वह सभी बातों को सभी रीति से, सभी रूपों से परख सकते हैं। आज सारे दिन में क्या-क्या स्मृति आई? चित्र स्मृति में आया वा चरित्र स्मृति में आया? चित्र के साथ और कुछ याद आया? (शिक्षा याद आई, ड्रामा याद आया)। चित्र के साथ विचित्र भी याद आया? कितना समय चित्र की याद में थे कितना समय विचित्र की याद में थे या दोनों की याद मिली हुई थी? विचित्र के साथ चित्र को याद करने से खुद भी चरित्रवान बन जायेंगे। अगर सिर्फ चित्र और चरित्र को याद करेंगे तो चरित्र की ही याद रहेगी। इसलिए विचित्र के साथ चित्र और चरित्र याद आये। आज के दिन और भी कोई विशेष कार्य किया? सिर्फ याद में ही मग्न थे कि याद के साथ और भी कुछ किया? (विकर्म विनाश) यह तो याद का परिणाम हैं। और विशेष क्या कर्त्तव्य किया? पूरा एक वर्ष अपना चार्ट देखो? इस अव्यक्ति पढ़ाई, इस अव्यक्त स्नेह और सहयोग की रिजल्ट चेक की? इस अव्यक्त स्नेह और सहयोग का १२ मास का पेपर क्या हैं, चेकिंग की? चेकिंग करने के बाद ही अपने ऊपर अधिक अटेंशन रख सकते हैं। तो आज के दिन स्वयं ही अपना पेपर चेक करना है। व्यक्त भाव से अव्यक्त भाव में कहाँ तक आगे बढ़े – यह चेकिंग करनी है। अगर अव्यक्ति स्थिति बढ़ी है तो अपने चलन में भी अलौकिक होंगे। अव्यक्त स्थिति की प्रैक्टिकल परख क्या है? अलौकिक चलन। इस लोक में रहते अलौकिक कहाँ तक बने हो? यह चेक करना है। इस वर्ष में पहली परीक्षा कोनसी हुई? इस निश्चय की परीक्षा में हरेक ने कितने-कितने मार्क्स ली। वह अपने आप को जानते हैं। निश्चय की परीक्षा तो हो गयी। अब कौन सी परीक्षा होनी हैं? परीक्षा का मालुम होते भी फ़ैल हो जाते है। कोई-कोई के लिए यह बड़ा पेपर है लेकिन कोई-कोई का अब बड़ा पेपर होना है। जैसे इस पेपर में निश्चय की परीक्षा हुई वैसे ही अब कौन सा पेपर होना है? व्यक्त में भी अब भी सहारा है। जैसे पहले भी निमित्त बना हुआ साकार तन सहारा था वैसे ही अब भी ड्रामा में निमित्त बने हुए साकार में सहारा हैं। पहले भी निमित्त ही थे। अब भी निमित्त हैं। यह पुरे परिवार का साकार सहारा बहुत श्रेष्ठ है। अव्यक्त में तो साथ है ही। जितना स्नेह होता है उतना सहयोग भी मिलता है। स्नेह की कमी के कारन सहयोग भी कम मिलता है। साकार से स्नेह अर्थात् सारे सिजरे से स्नेह। साकार अकेला नहीं हैं। प्रजापिता ब्रह्मा तो उनके साथ परिवार है। माला के मनके हो न। माला में अकेला मनका नहीं होता है। माला में एक ही याद के सूत्र में, स्नेह में परिवार समाया हुआ है। तो यह जैसे माला में स्नेह के सूत्र में पिरोये हुए हैं। दैवी कुल तो भविष्य में है, इस ब्राह्मण कुल का बहुत महत्व है। जितना-जितना ब्राह्मण कुल से स्नेह और समीपता होगी उतना ही दैवी राज्य में समीपता होगी। साकार में क्या सबूत देखा? बापदादा किसको आगे रखते हैं? बच्चों को। क्योंकि बच्चों के बिना माँ बाप का नाम बाला नहीं हो सकता। तो जैसे साकार में कर्म करके दिखाया वही फॉलो करना है। यहाँ पेपर पहले ही सुनाया जाता है। निश्चय का पेपर तो हुआ। लेकिन अब पेपर होना है हरेक के स्नेह, सहयोग और शक्ति का। अब वह समय नजदीक आ रहा है जिसमे आप का भी कल्प पहलेवाला चित्र प्रत्यक्ष होना है। अनेक प्रकार की समस्याओं को परिवर्तन के लिए ऊँगली देनी है। कलियुगी पहाड़ तो पार होना ही है। लेकिन इस वर्ष में मन की समस्याएं, तन की समस्याएं, वायुमण्डल की समस्याएं सर्व समस्याओं के पहाड़ को स्नेह और सहयोग की अंगुली देनी है। तन की समस्या भी आनी है। लौकिक सम्बन्ध में तो पास हो गए। लेकिन यह जो अलौकिक सम्बन्ध है, उस सम्बन्ध द्वारा भी छोटी-मोती समस्याएं आएँगी। लेकिन यह समस्याएं सभी पेपर समझना, यह प्रैक्टिकल बातें नहीं समझना। यह प्पपेर समझना। अगर पेपर समझकर उनको पास करेंगे तो पास हो जायेंगे। अभी देखना है पेपर आउट होते भी कितने पास होते हैं। फिर इस पेपर की रिजल्ट सुनायेंगे। इस समय अपने में विल पावर धारण करना है। अभी विल पावर नहीं आई है। यथा योग्य यथा शक्ति पावर है।

विल पावर कैसे आ सकेगी? विल पावर आने का साधन कौन सा है? विल पावर की कमी क्यों हैं? उसके कारण का पता है? याद की कमी भी क्यों है? बाप ने साकार में कर्म करके दिखाया है, विल पावर कैसे आई। पहला पहला कदम कौन सा उठाया? सभी कुछ विल कर दिया? विल करने में देरी तो नहीं की? जो भी बुरे है अन्दर वा बाहर। वह सम्पूर्ण विल नहीं की है तब तक विल पावर आ नहीं सकती। साकार ने कुछ सोचा क्या? कि कैसे होगा, क्या होगा, यह कब सोचा? अगर कोई सोच-सोच कर विल करता है तो उसका इतना फल नहीं मिलता। जैसे झाटकू और बिगर झाटकू का फर्क होता है। पहले स्वीकार कौन होता है? जो पहले स्वीकार होता है उनको नंबर वन की शक्ति मिलती है। जो पहले स्वीकार नहीं होते उनको शक्ति भी इतनी प्रप्प्त नहीं होती है। इस बात पर सोचना। बापदादा वर्तमान के साथ भविष्य भी जनता है। तो भविष्य कर्मबन्धन की रस्सियों को काटना अपना कर्त्तव्य है। अगर कोई भी रस्सी टूटी हुई नहीं होती है तो मन की खिंचावट होती रहती है। इसलिए रस्सियाँ कटवाने के लिए ठहरे हैं। रस्सियाँ अगर टूटी हुई है तो फिर कोई रुक सकता है? छुटा हुआ कब कोई भी बंधन में रुक नहीं सकता।

आज के दिवस पर क्या करना है और अगले वर्ष के लिए क्या तैयारी करनी है – वह सभी याद रखना है। विदेही को युगल बनायेंगे तो विदेही बनने में सहयोग मिलेगा। विदेही बनने में सहयोग कम मिलता है, सफ़लता कम देखने में आती तो समझना चाहिए कि विदेही को युगल नहीं बनाया है। कमाल इसको कहा जाता ही जो मुश्किल बात को सहज करें। सहज बातों को पार करना कोई कमाल नहीं है। मुश्किलातों को पार करना वह है कमाल। अगर मुश्किलातों में ज़रा भी मुरझाया तो क्या होगा? एक सेकंड में सौदा करनेवाले कहाँ फँसते नहीं हैं। फ़ास्ट जाने वाला कहाँ फँसेगा नहीं। फँसनेवाला फ़ास्ट नहीं जा सकेगा। लास्ट स्थिति को देख फ़ास्ट जाना है। अब भी फ़ास्ट जाने का चांस है। सिर्फ एक हाई जम्प लगाना है। लास्ट में फ़ास्ट नहीं जा सकेंगे। अच्छा-


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