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05-11-70 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन


डिले इज़ डेन्जर” 

हरेक अपने लाइट और माईट को देख परख सकते हैं? अपने आप को परखने की शक्ति अपने में अनुभव करते हो? अपने को अब तक पुरुषार्थी मूर्त समझते हो वा साक्षात् और साक्षात्कार मूर्त भी समझते वा अनुभव करते हो? वा समझते हो कि यह अन्तिम स्टेज है? अभी-अभी आपके भक्त आपके सम्मुख आयें तो आपकी सूरत से उनकी किस मूर्त का साक्षात्कार होगा। कौन-सा साक्षात्कार होगा? साक्षात्कार मूर्त सदैव सम्पूर्ण स्थिति का साक्षात्कार करायेंगे, लेकिन अभी अगर आपके सामने कोई आये तो उन्हें ऐसा साक्षात्कार करा सकेंगे? ऐसे तो नहीं कि आपके पुरुषार्थ की उतराई और चढ़ाई का उन्हें साक्षात्कार होता रहेगा। फोटो निकालते समय अगर कोई भी हलचल होती है तो फोटो ठीक निकलेगा? ऐसे ही हर सेकण्ड ऐसे ही समझो कि हमारा फोटो निकल रहा है। फोटो निकालते समय सभी प्रकार का ध्यान दिया जाता है वैसे अपने ऊपर सदैव ध्यान रखना है। एक-एक सेकण्ड इस सर्वोत्तम वा पुरुषोत्तम संगमयुग का ड्रामा रूपी कैमरे में आप सभी का फोटो निकलता जाता है। जो वही चित्र फिर चरित्र के रूप में गायन होता आएगा। और अभी के भिन्न-भिन्न स्टेज के चित्र, भिन्न-भिन्न रूप में पूजे जायेंगे। हर समय यह स्मृति रखो कि अपना चित्र ड्रामा रूपी कैमरे के सामने निकाल रहा हूँ। अब के एक-एक चित्र एक-एक चरित्र गायन और पूजन योग्य बनने वाले हैं। जैसे यहाँ भी जब आप लोग कोई ड्रामा स्टेज पर करते हो और साक्षात्कार करते हो तो कितना ध्यान रखते हो। ऐसे ही समझो बेहद की स्टेज के बीच पार्ट बजा रही हूँ वा बजा रहा हूँ। सारे विश्व की आत्माओं की नज़र मेरी तरफ है। ऐसे समझने से सम्पूर्णता को जल्दी धारण कर सकेंगे। समझा। एक स्लोगन सदा याद रखो जिससे सहज ही जल्दी सम्पूर्ण बन सको। वह कौन सा स्लोगन याद रखेंगे? (जाना है और आना है) यह तो ठीक है। लेकिन जाना कैसे है सम्पूर्ण होकर जाना है वा ऐसे ही? इसके लिए क्या याद रखना? डिले इज़ डेन्जर। अगर कोई भी बात में देरी की तो राज़ भाग के अधिकार में इतनी देरी पड़ जाएगी। इसलिए यह सदैव याद रखो कि वर्तमान समय के प्रमाण एक सेकण्ड भी डिले नहीं करनी है। आजकल कम्पलीट अर्थात् सम्पूर्ण कर्मातीत बनने के लिए पुरुषार्थ करते-करते मुख्य एक कम्पलेन समय प्रति समय सभी की निकलती है। चाहते हैं कम्पलीट होना लेकिन वह कम्पलीट होने नहीं देती। वह कौन सी कम्पलेन है? व्यर्थ संकल्पों की। कम्पलीट बनने में व्यर्थ संकल्पों के तूफ़ान विघ्न डालते हैं। यह मैजारिटी की कम्पलेन है। अब इसको मिटाने लिए आज युक्ति बताते हैं। मन की व्यर्थ संकल्पों की कम्पलेन कैसे पूरी होगी? याद की यात्रा तो मुख्य बात है लेकिन इसके लिए भिन्न-भिन्न युक्तियाँ हैं। वह कौन-सी? जो बड़े आदमी होते हैं उन्हों के पास अपने हर समय की अपॉइन्टमेंट की डायरी बनी हुई होती है। एक-एक घंटा उन्हों का फिक्स होता है। ऐसे आप भी बड़े ते बड़े हो ना। तो रोज़ अमृतवेले सारे दिन की अपनी अपॉइन्टमेंट की डायरी बनाओ। अगर अपने मन को हर समय अपॉइन्टमेंट में बिज़ी रखेंगे तो बीच में व्यर्थ संकल्प समय नहीं ले सकेंगे। अपॉइन्टमेंट से फ्री रहते हो तब व्यर्थ संकल्प समय ले लेते हैं। तो समय की बुकिंग करने का तरीका सीखो। अपने आप की अपॉइन्टमेंट खुद ही बनाओ कि आज सारे दिन में क्या-क्या करना है। फिर समय सफल हो जायेगा। मन को किसमें अपाइन्ट करना है। इसके लिए 4 बातें बताई हैं। 1-मिलन, 2-वर्णन, 3- मगन, 4- लगन। लगन लगाने में भी समय बहुत जाता है ना। तो मगन की अवस्था में कम रहते हैं। इसलिए लगन, मगन, मिलन और वर्णन। वर्णन है सर्विस, मिलन है रूह-रूहान करना। बापदादा से मिलते हैं ना। तो इन चार बातों में अपने समय को फिक्स करो। अगर रोज़ की अपनी दिनचर्या फिर्क्स करने के लिए अपॉइन्टमेंट सारे समय की फिक्स होगी तो बीच में व्यर्थ संकल्पों को डिस्टर्ब करने का समय ही नहीं मिलेगा। जैसे कोई बड़े आदमी होते हैं तो बिज़ी होने के कारण और व्यर्थ बातों तरफ ध्यान और समय नहीं दे सकते हैं। ऐसे अपनी दिनचर्या में समय को फिक्स करो। इतना समय इस बात में, इस समय इस बात में लगाना है। ऐसी अपॉइन्टमेंट अपनी निश्चित करो तब यह कम्पलेन ख़त्म होगी और कम्पलीट बन जाएगी।

अच्छा !!!


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