17-05-72
ओम शान्ति अव्यक्त
बापदादा मधुबन
संगठन
रूपी किले को मज़बूत
बनाने का
साधन
पाण्डव
भवन को पाण्डवों
का किला कहते हैं।
किले का गायन भी
है। ऐसे ही जो यह
ईश्वरीय संगठन
है, यह संगठन भी
किला ही है। जैसे
स्थूल किले को
बहुत मजबूत किया
जाता है, जिससे
कोई भी दुश्मन
वार कर
न सके। इस
रीति से
मुख्य
किला
है संगठन का। इसमें
भी इतनी मजबूती
हो जो कोई भी विकार
दुश्मन के रूप
से वार कर न सके।
अगर कोई दुश्मन
वार कर लेता है
तो
ज़रूर किले की मजबूती
की कमी है। यह तो
संगठन रूपी किला
है, इसकी मजबूती
के लिए तीन बातों
की आवश्यकता है।
अगर तीनों बातें
मजबूत हैं तो इस
किले के अन्दर
कोई भी रूप से कभी
भी कोई दुश्मन
वार नहीं कर सकेंगे।
दुश्मन प्रवेश
भी नहीं कर सकते,
हिम्मत नहीं हो
सकती। वह तीन बातें
कौनसी हैं, जिससे
मजबूत हो सकते
हैं? एक - स्नेह; दूसरा
- स्वच्छता और तीसरा
है रूहानियत यह
तीनों बातें अगर
मजबूत हैं तो कब
कोई का वार नहीं
होगा। अगर कहां
भी, कोई भी वार करता
है, उनका कारण इन
तीनों में कोई-ना-कोई
कमी है। या स्नेह
की कमी है या फिर
रूहानियत की कमी
है। तो संगठन रूपी
किले को मजबूत
करने के लिए इन
तीन बातों पर बहुत
अटेन्शन चाहिए।
हरेक स्थान पर
इन बातों का फोर्स
रखकर भी यह लाना
चाहिए। जैसे स्थूल
में भी वायुमण्डल
को शुद्ध करने
के लिए एअर Öौश करते
हैं। उससे अल्पकाल
के लिए वायुमण्डल
चेन्ज हो जाता
है। इस रीति से
इसमें भी इन बातों
का प्रैशर डालना
चाहिए जिससे वायुमण्डल
का भी असर निकल
जाए। कोई को भी
आकर्षण करने की
मुख्य
बातें
यही होती हैं।
स्नेह से, स्वच्छता
से प्रभावित तो
हो जाते हैं लेकिन
मुख्य
तीसरी
बात
रूहानियत की
जो है, यह है
मुख्य। दो बातों
से प्रभावित होकर
गए। यह तो उन्हों
के प्रति विशेष
वृति और दृष्टि
में अटेन्शन रहा।
उसकी रिजल्ट में
यह लेकर के गए।
तो जैसे लोगों
को भी यह
मुख्य
बातें
आकर्षण करने के
लिए निमित्त बनती
हैं ना। वैसे एक
दो को संगठन में
लाने के लिए वा
संगठन में
शक्ति
बढ़ाने के लिए आपस
में भी यह तीन बातें
एक दो को देकर के
अटेन्शन दिलाने
की आवश्यकता है।
अगर तीनों में
से कोई भी बात की
कमजोरी है तो
ज़रूर कोई
ना कोई विकनेस
है। जो
सफ़लता
होनी
चाहिए वह नहीं
हो पाती,
ज़रूर कोई
कमी है। तो यह बातें
बहुत ध्यान में
रखनी हैं। किले
की मजबूती होती
है एक दो के संगठन
से। अगर किले की
दीवार में एक भी
ईंर्ट वा पत्थर
का सहयोग पूरा
ना हो तो वह किला
सेफ नहीं हो सकता।
ज़रा भी
हिला तो कमजोरी
आ जाएगी। भले कहने
में तो एक ईंट की
कमी है लेकिन कमजोरी
चारों ओर फैलती
है। तो वैसे ही
मजबूती के लिए
तीन बातें बहुत
ज़रूरी
हैं। फिर कोई वायब्रेशन
भी टच नहीं कर सकता।
अपने ऊपर अटेन्शन
कम है। जैसे साकार
बाप साकार रूप
में लाइट-हाउस,
माइट-हाउस दूर
से ही दिखाई देते
थे, ऐसे रूहानियत
की मजबूती होने
से कोई भी अन्दर
आएंगे तो लाइट-हाउस,
माइट-हाउस का अनुभव
करेंगे। जैसे स्नेह
और स्वच्छता बाहर
के रूप में दिखाई
देती है, वैसे ही
रूहानियत वा अलौकिकता
बाहर रीति से प्रत्यक्ष
दिखाई दे, तब जय-जयकार
होगी। ड्रामा प्रमाण
जो भी कुछ चल रहा
है उसको यथार्थ
तो कहेंगे ही लेकिन
साथ-साथ शक्ति
रूप का भी अनुभव
होना चाहिए। यह
अलौकिकता
ज़रूर होनी
चाहिए।
यह स्थान
अन्य स्थानों से
भिन्न है। स्वच्छता
वा स्नेह तो दुनिया
में भी अल्पकाल
का मिलता है लेकिन
रूहानियत कम है।
यह ईश्वरीय कार्य
चल रहा है, कोई साधारण
बात नहीं है -- यह
अनुभव यहां आकर
करना चाहिए। वह
तब होगा जब अपने
अलौकिक नशे में
रहकर के निशाना
लगाएंगे। यह लक्ष्य
ज़रूर रखना
है -- अपने चरित्र
द्वारा, चलन द्वारा,
वाणी द्वारा, वृत्ति
द्वारा, वायुमण्डल
द्वारा, सभी प्रकार
के साधनों से बाप
के प्रैक्टिकल
पार्ट की प्रत्यक्षता
अवतरण-भूमि पर
तो प्रत्यक्ष मिलनी
चाहिए। सिर्फ स्नेह,
स्वच्छता की प्रशंसा
तो कहां भी कर सकते
हैं, छोटे-छोटे
स्थानों में भी
प्रभाव पड़ सकता
है लेकिन कर्म-भूमि,
चरित्र-भूमि द्वारा
भूमि में आने की
विशेषता होनी चाहिए।
जैसे कोई को घेराव
डालकर के चारों
ओर उसको अपने तरफ
आकर्षित
करने
लिए करते हैं।
तो बाप के साथ स्नेह
में भी समीप लाने
की प्वाईंट्स का
घेराव डालो। इसके
लिए विशेष इस भूमि
पर सम्पर्क में
आने वालों को सम्बन्ध
में
समीप लाना चाहिए।
जो सम्पर्क में
आने वाले हैं वही
सम्बन्ध में समीप
आ सकते हैं।
चारों
ओर यही आवाज कानों
में गूंजता रहे,
चारों ओर यही वायुमण्डल
उन्हों को भले
देता रहे, इसके
लिए तीन बातों
की आवश्यकता है।
अब तक जो हुआ वह
तो कहेंगे ठीक
हुआ। अच्छा तो
सभी होता है। लेकिन
अब की स्टेज प्रमाण
अब होना चाहिए
अच्छे से अच्छा।
जबकि चैलेन्ज करते
हो - 4 वर्ष में विनाश
की ज्वाला प्रत्यक्ष
हो जाएगी; तो स्थापना
में भी
ज़रूर बाप
की प्रत्यक्षता
होगी तब तो कार्य
होगा ना। अच्छा!
कमाल यह है जो विस्तार
द्वारा बीज को
प्रगट करें। विस्तार
में बीज को गुप्त
कर देते हैं। अब
तो वृक्ष की अन्तिम
स्टेज है ना। मध्य
में गुप्त होता
है। अन्त तक गुप्त
नहीं रह सकता।
अति विस्तार के
बाद आखरीन बीज
ही प्रत्यक्ष होता
है ना। मनुष्य
आत्माओं की यह
नेचर होती है जो
वैराइटी में
आकर्षित
अधिक
होते हैं। लेकिन
आप लोग किसलिए
निमित हो? सभी आत्माओं
को वैराइटी वा
विस्तार के आकर्षण
से अटेन्शन निकालकर
बीज तरफ
आकर्षित
करना।
अच्छा!