20-11-72
ओम शान्ति अव्यक्त
बापदादा मधुबन
स्थिति
का आइना –
सर्विस
सदा विजयी
अपने को अनुभव
करते हो? जब
विश्व
पर विजयी
बन राज्य करने
वाले हो तो अब स्वयं
सदा विजयी बने
हो? जिस
विश्व
के ऊपर
राज करने वाले
हो उस राज्य के
अधिकारी अपने को
अभी से
समझते हो?
पहले स्वयं के
सर्व अधिकार प्राप्त
किये हैं वा अभी
करने हैं? जो स्वयं
के सर्व अधिकार
प्राप्त करते हैं
वही
विश्व
के अधिकारी
बनते हैं। तो अपने
से पूछो कि स्वयं
के सर्व अधिकार
कहां तक प्राप्त
किये हैं? सर्व
अधिकार कौनसे हैं?
जानते हो? जो आत्मा
की
मुख्य
शक्तियां
वर्णन करते हो
मन, बुद्धि और संस्कार,
- इन तीनों स्वयं
की शक्तियों के
ऊपर विजयी अर्थात्
अधिकारी बने हो?
अपनी शक्तियों
के अधीन तो नहीं
होते हो? जो
विश्व
की सेवा
के निमित्त बने
हुये हैं, उन्हों
की यह स्थिति तो
सहज और स्वत: ही
होगी ना। वा पुरूषार्थ
कर स्थित होना
पड़ता है? पुरूषार्थ
की सिद्धि का अनुभव
अपने में करते
जा रहे हो वा संगम
का समय सिर्फ पुरूषार्थ
का ही है और सिद्धि
भविष्य की बात
है? संगम पर ही सिद्धि-स्वरूप
वा मास्टर सर्वशक्तिवान
स्वरूप अनुभव करना
है वा नहीं? अभी
से ही अनुभव करना
है वा अंत में कुछ
थोड़ा समय करना
है? सिर्फ उम्मीदों
के सितारे ही रहना
है? अभी से सिद्धि-स्वरूप
अनुभव होना चाहिए।
सिद्धि तब प्राप्त
होगी जब स्वयं
के सर्व अधिकार
प्राप्त होंगे।
मन, बुद्धि और संस्कार
- तीनों को स्वयं
जैसा चाहें वैसा
चला सकें, ऐसा अब
हो तब ही अन्य आत्माओं
के मन, बुद्धि व
संस्कारों को चेंज
कर सकेंगे। अगर
स्वयं को चेंज
करने में समय लगता
है वा सदा विजयी
न हैं तो औरों को
विजयी बनाने में
समय और शक्ति ज्यादा
लगानी पड़ती है।
सर्विस
आप सभी
की स्थिति का आइना
है। तो आइने में
क्या दिखाई देता
है? जैसे आप
पुरुषार्थी
आत्माओं
की स्टेज बनी है,
वैसे जिन्हों की
सर्विस
करते
हो उन्हों को अनुभव
होता है? अपनी स्टेज
कहां तक बनाई है
-- इसका साक्षात्कार
सर्विस
से करते
जा रहे हो। कौन-सी
स्टेज बनाई है?
कहां तक पहुंचे
हो?
सर्विस
अच्छी
लगती है। खुश होकर
गये ना। सभी से
ज्यादा खुशी किसको
हुई?
सर्विस
की सिद्धि
को देख कर खुशी
हुई? बाप
का परिचय
लेकर गये। जैसे
ब्राह्मण आत्माओं
में मैजारिटी की
स्टेज में विशेष-
विशेष गुण प्रसिद्ध
दिखाई पड़ते हैं
-- एक प्योरिटी और
दूसरा स्नेह। इन
दो बातों में मैजारिटी
पास हैं। ऐसे ही
सर्विस
की रिजल्ट
में स्नेह और प्योरिटी
यह स्पष्ट दिखाई
देता है अथवा आने
वाले अनुभव करते
हैं। लेकिन जो
नवीनता वा नॉलेज
में विशेषता है,
वह नॉलेजफुल स्टेज
वा मास्टर सर्वशक्तिवान्
की स्टेज वा सर्वशक्तिवान्
बाप की प्रैक्टिकल
कर्त्तव्य की विशेषता
विशेष रूप से जो
अनुभव करने का
है, वह अभी कमी है।
‘शक्ति अवतार’ जो
नाम बाला होना
है वह शक्ति रूप
का वा सर्वशक्तिवान्
बाप का पूरा परिचय
अनुभव करते हैं?
आपके जीवन से प्रभावित
हुए, स्नेह और सहयोग
से प्रभावित हुए
लेकिन श्रेष्ठ
नॉलेज और नॉलेजफुल
के ऊपर इतना प्रभावित
हुए जैसे निमित्त
बने हुये ब्राह्मण
स्वयं शक्ति रूप
का अनुभव अपने
में भी परसेन्टेज
में करते हैं, ऐसे
ही
सर्विस
के आइने
में शक्ति रूप
का अनुभव स्नेह
और सहयोग की तुलना
में कम करते हैं।
जो कुछ चल रहा है,
जो कर रहे हो वह
ड्रामा प्रमाण
बहुत अच्छा है
लेकिन अभी समय
प्रमाण, समीपता
के प्रमाण शक्ति
रूप का प्रभाव
स्वयं शक्ति रूप
हो दूसरों के ऊपर
डालेंगे तब ही
अंतिम प्रत्यक्षता
समीप ला सकेंगी।
शक्ति का झण्डा
लहराओ। जैसे कोई
झण्डा लहराया जाता
है तो ऊंचा होने
के कारण सभी की
नजर आटोमेटिकली
जाती है। ऐसे ही
शक्ति का झण्डा,
अपनी श्रेष्ठता
वा सारी सृष्टि
से नवीनता का झण्डा
अब लहराओ। जो कहां
भी किस आत्मा को
अनुभव नहीं हो
सकता है, ऐसा विशेष
अनुभव सर्व आत्माओं
को कराओ। तो
सर्विस
दर्पण
हुआ ना। अपने सर्व
शक्ति स्वरूप से
सर्वशक्तिवान्
बाप का परिचय देने
वाले, अपनी शक्ति
द्वारा सर्व शक्तियों
का साक्षात्कार
कराने वाले,
विश्व
पर शक्ति
का झण्डा लहराने
वाले स्नेही, सहयोगी
और शक्ति रूप श्रेष्ठ
आत्माओं को बाप-दादा
का याद-प्यार और
नमस्ते।