17-05-73 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
जैसा लक्ष्य वैसा लक्षण
ज्ञान का सागर, सर्व शक्तिवान्, आनन्द का सागर, दया का सागर, कल्याणकारी बाबा बोले:-
जो विशेषतायें बाप की हैं क्या वह अपने में अनुभव करते हो? जैसे सभी को अपनी इस पढ़ाई के मुख्य चार सब्जेक्ट्स सुनाते हो ना वैसे मुख्य विशेषतायें भी चार हैं क्या उनको जानते हो? चार सब्जेक्ट्स के प्रमाण चार विशेषतायें हैं-नॉलेजफुल, (Knowledgeful) ‘पॉवरफुल’ ‘सर्विसएबल’ और ‘ब्लिसफुल’ (Blissful)। यह मुख्य चार विशेषतायें क्या अपने में अनुभव करते हो? इन चारों की परसेन्टेज में बहुत अन्तर है या थोड़ा?
फॉलो-फादर करने वाले हो ना? चारों ही जो सब्जेक्ट्स हैं वह जीवन में नेचरल (Natural) रूप में हैं कि अभी उतराई चढ़ाई का नेचरल रूप है? कितना परसेन्टेज नेचरल रूप में है? चौदह कला तक नेचरल रूप हुआ है? सम्पूर्ण स्टेज को पाने के लिए अब पुरूषार्थ की स्पीड (Speed) तेज नहीं होगी, तो क्या समय के अनुसार अपने को सम्पन्न बना सकेंगे? टेम्पररी (Temporary) कार्य के लिए बापदादा की व अपनी मत के अनुसार जो स्टेज बनती है, वह दूसरी बात है लेकिन लास्ट स्टेज के प्रमाण क्या ऐसी स्पीड में आगे जा रहे हो? क्या अपनी स्पीड से सन्तुष्ट हो? इसके लिए भी प्लान बनता है या कि सिर्फ सर्विस के ही प्लान बनाते हो?
जैसे सर्विस के भिन्न-भिन्न प्लान्स बनाते हो तो क्या वैसे ही अपनी स्पीड से संतुष्ट रहने के लिए भी कोई प्लान बनाते हो? जो प्रैक्टिकल में प्राप्ति या सफलता होती है उसी अनुसार ही स्पीड तेज होगी। जब अपनी स्पीड से संतुष्ट हो तो फिर पॉवरफुल प्लान बनाना चाहिए ना? अगर देखते हो सर्विस में सफलता कम है तो क्या इसके लिये कुछ नई बातें सोचते हो? भिन्न-भिन्न रीति से चला कर क्या इस धरती को ठीक करने का भी प्र्यत्न करते हो? स्वयं न कर पाते हो तो संगठन के सहयोग से भी इसको ठीक करते हो ना? वैसे इस बात के लिये इतना ही स्पष्ट है? इतनी लगन है अपने प्रति? कितनी फिक्र है? क्या प्लान बनाते हो? क्या अपनी स्पीड को बढ़ाने के लिए कोई नया प्लान बनाया है? क्या एकान्त में रह, याद की यात्रा बढ़ाने का प्लान बनाते हो?
जैसे जो विशेष सर्विस की स्टेज पर आने वाले हैं उन को अपने हर कार्य को सैट करने का अनुभव करने का प्लान बनाना पड़ता है ना? वैसे ही अमृत वेले अपने पुरूषार्थ की उन्नति का प्लान सैट करना है। आज किस विषय पर वा किस कमजोरी पर विशेष अटेन्शन (Attention) देकर इसकी परसेन्टेज बढ़ावे। हर-एक अपनी हिम्मत के अनुसार वह प्लान-बुद्धि में रखे कि आज के दिन में क्या प्रैक्टिकल में लायेंगे और कितनी परसेन्टेज तक इस बात को पुरूषार्थ में लायेंगे? अपनी दिनचर्या के साथ यह सैट करो और फिर रात को यह चेक करो कि अपनी सैट की हुई प्वॉइन्ट को कहाँ तक प्रैक्टिकल में और कितनी परसेन्टेज तक धारण कर सके? यदि नहीं कर सके तो उसका कारण? और किया तो किस-किस विशेष युक्ति से अपने में उन्नति का अनुभव किया? यह दोनों रिजल्ट सामने लानी चाहिये और अगर देखते हो कि जो आज का लक्ष्य रखा था उस में उतनी सफलता नहीं हुई वा जितना प्लान बनाया उतना प्रैक्टिकल नहीं हो पाया तो उसको छोड़ नहीं देना चाहिये।
जैसे स्थूल कार्य में लक्ष्य रखने से अगर किसी कारण वश वह अधूरा हो जाता है तो उसको सम्पन्न करने का प्रयत्न करते हो न? वैसे ही रोज के इस कार्य को लक्ष्य रखते हुए सम्पन्न करना चाहिए। एक बात में विशेष अटेन्शन होने से विशेष बल मिलेगा। कोई भी कार्य करते हुए स्मृति आयेगी और स्मृति-स्वरूप भी हो ही जायेंगे। जैसे एक्स्टर्नल नॉलेज (External Knowledge) में भी अगर कोई पाठ पक्का किया जाता है तो जैसे उसको दोबारा, तीसरी बार, चौथी बार पक्का किया जाता है और उसे छोड़ नहीं दिया जाता, तो ऐसे ही इसमें भी अपना लक्ष्य रख कर एक-एक बात को पूरा करते जाओ। इसमें अलबेलापन नहीं चाहिए। सोच लिया, प्लान बना लिया, लेकिन प्रैक्टिकल करने में यदि कोई परिस्थिति सामने आये तो संकल्प की दृढ़ता होगी कि करना ही है तो उतनी ही दृढ़ता सम्पूर्णता के समीप लावेगी। वर्तमान समय प्लान भी है लेकिन इसमें कमी क्या है? दृढ़ता की। दृढ़ संकल्प नहीं करते हो। विशेष रूप में अटेन्शन देकर दिखावे की वह कमजोरी है। महारथियों को अर्थात् सर्विसएबल श्रेष्ठ आत्माओं को सर्विस के साथ सैल्फ-सर्विस (Self-Service) का भी अटेन्शन चाहिए।
एक है सैल्फ-सर्विस (Self-Service) दूसरी विश्व-कल्याण के प्रति सर्विस। क्या दोनों का बैलेन्स (Balance) ठीक रहता है? अभी इस प्रमाण अपने श्रेष्ठ संकल्प को प्रैक्टिकल में लाओ। सिर्फ सोचो नहीं। जैसे लोगों को भी कहते हो ना कि सोचते-सोचते समय न बीत जाए। इसी प्रकार अपनी उन्नति के प्लान सोचने के साथ-साथ प्रैक्टिकल में दृढ़-संकल्प से करो। अगर रोज एक विशेषता को सामने रखते हुए अपने प्लान को प्रैक्टिकल में लाओ तो थोड़े ही दिनों में अपने में महान् अन्तर महसूस होगा। इस विशेष वरदान भूमि में अपनी उन्नति के प्रति भी कुछ प्लान बनाते हो वा सिर्फ सर्विस करके, मीटिंग कर के चले जाते हो। अपनी उन्नति के लिए रात का समय तो सभी को है। जब विशेष सर्विस प्लान प्रैक्टिकल में लाते हो तो क्या उन दिनों में निद्राजीत नहीं बनते हो? अपनी उन्नति के प्रति अगर निद्रा का भी त्याग किया तो क्या समय नहीं मिल सकता है? यहाँ तो और कार्य ही क्या है? जैसे और प्लान्स बनाते हो वैसे अपनी उन्नति के प्रति भी कोई विशेष प्लान प्रैक्टिकल में लाना चाहिए। यहाँ जो भी उन्नति का साधन प्रैक्टिकल में लायेंगे उसमें सभी तरफ से सहयोग की लिफ्ट मिलेगी। जो लक्ष्य रखते हो इस प्रमाण प्रैक्टिकल में लक्षण नहीं हो पाते, जब कि कारण को भी और निवारण को भी समझते हो?
नॉलेजफुल तो हो गए हो बाकी कमी क्या है जो कि प्रैक्टिकल में नहीं हो पाता? पॉवरफुल न होने के कारण नॉलेज को प्रैक्टिकल में नहीं कर पाते हो। पॉवरफुल बनने के लिए क्या करना पड़े?-प्रैक्टिकल प्लान बनाओ। अगर अभी तक आप लोग ही तैयार नहीं होंगे तो आप लोगों की वंशावली कब तैयार होगी? प्रजा कब तैयार होगी? इस बारी प्रैक्टिकल में कुछ करके दिखाना। पुरूषार्थ में हरएक के बहुत अच्छे अनुभव होते हैं। जिस अनुभव के लेन-देन से एक-दूसरे की उन्नति के साधन सुनते अपने में भी बल भर जाता है। ऐसा क्लास कभी करते हो? अच्छा। ओम् शान्ति।