30-05-74   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


सेवा में बाप के सदा सहयोगी और एवर-रेडी बनो!

सर्व आत्माओं को नॉलेज की लाइट-माइट देने वाले लाइट हाउस और माइट हाउस, सर्व के शुभ-चिन्तक तथा रूहानी सेनापति शिव बाबा बोले:-

युद्ध-स्थल पर उपस्थित योद्धे सर्व शस्त्रं से श्रृंगारे हुए, एवर-रेडी, एक सेकेण्ड में, किसी भी प्रकार के ऑर्डर को प्रैक्टिकल में लाने वाले, क्या सदा विजयी अपने को समझते हो? अभी-अभी ऑर्डर हो, कि दृष्टि को एक सेकेण्ड में रूहानी या दिव्य बनाओ, कि जिसमें देह के अभिमान का, ज़रा भी अंश-मात्र न हो और संकल्प-मात्र में भी न हो, तो क्या स्वयं को ऐसा बना सकते हो? या बनाने में समय लगावेंगे? अगर एक सेकेण्ड से दो सेकेण्ड भी लगाये, तो क्या उसे एवर-रेडी कहेंगे? ऑर्डर हो, कि अपनी श्रेष्ठ स्मृति के आधार पर इस अन्य आत्मा की स्मृति को प्रिवर्तन करके दिखलाओ, तो क्या ऐसे एवररेडी हो? ऑर्डर हो, कि वर्तमान वायुमण्डल को अपनी ईश्वरीय वृत्ति से, अभी-अभी परिवर्तन करो तो क्या कर सकते हो? ऑर्डर हो, कि अपनी वर्तमान सर्वशक्तिमान् स्थिति से किसी अन्य आत्मा की परिस्थिति-वश स्थिति को परिवर्तन करो तो क्या आप कर सकते हो? ऑर्डर हो, कि मास्टर रचयिता बन अपनी रचना को शुभ भावना से व शुभ-चिन्तक बन, भिखारियों को उनकी माँग प्रमाण सन्तुष्ट करो तथा महादानी और वरदानी बनो तो क्या सर्व को संतुष्ट कर सकते हो? या तो कोई संतुष्ट होंगे और या कोई वंचित रह जावेंगे? सर्व-शक्तियों के भण्डारे से क्या स्वयं को भरपूर अनुभव करते हो? क्या सर्व-शस्त्र आपके सदा साथ रहते हैं? सर्व-शस्त्र अर्थात् सर्व-शक्तियाँ। अगर एक भी शस्त्र या शक्ति कम है व कमजोर है, तो क्या वह एवर-रेडी कहला सकेंगे? जैसे बाप एवर-रेडी अर्थात् सर्व-शक्तियों से सम्पन्न हैं, तो क्या वैसे फालो-फादर हो?

वर्तमान समय बाप के सहयोगियों का ऐसा एवर-रेडी ग्रुप चाहिए। हरेक ग्रुप की कोई-न-कोई निशानी व विशेषता होती है ना? तो ऐसे एवर-रेडी ग्रुप की निशानी क्या है, क्या जानते हो? लौकिक मिलिट्री की तो निशानी देखी होगी। हर एक ग्रुप का मेडल अपना-अपना होता है, तो इस रूहानी मिलिट्री का या एवर-रेडी ग्रुप का मेडल कौन-सा है? क्या यह स्थूल बैज है? यह तो सर्विस का सहज साधन है और सदा साथ का साधन है लेकिन फर्स्ट ग्रुप का मेडल व निशानी है-विजय माला। एक तो विजय माला में पिरोने वालों का है-एवर-रेडी ग्रुप। इसी निश्चय और नशे में सदा विजय की माला पड़ी हुई होती है। सदा विजय’-यही माला पहली निशानी है। ऐसे एवर-रेडी बच्चे इसी स्मृति से सदा श्रृंगारे हुए होंगे। दूसरी निशानी, सदा साक्षी और सदा साथीपन के कवचधारी होंगे। सर्वशक्तियाँ, ऐसे एवर-रेडी के हर समय ऑर्डर मानने वाली सिपाही व साथी रहेंगी। ऑर्डर किया और हर शक्ति जी-हजूर करेगी। उनका मस्तिष्क सदा मस्तक मणि अर्थात् आत्मा की झलक से चमकता हुआ दिखाई देगा। उनके नैन रूहानी लाइट और माइट के आधार से सर्व-आत्माओं को मुक्ति और जीवन-मुक्ति का मार्ग दिखाने के निमित्त बने हुए होंगे। उनका हर्षितमुख अनेक जन्मों के अनेक दु:खों को विस्मृत करा, एक सेकेण्ड में अन्य को भी हर्षित बना देगा? क्या ऐसा एवर रेडी ग्रुप है व विजय की माला गले में है? अथवा और युक्तियाँ औरों से लेते रहते हो या शस्त्रं को किनारे कर, समय पर शस्त्रं की भीख मांगते रहते हो?-यह शक्ति दो, यह सहयोग दो व यह आधार प्राप्त हो। यह संकल्प करना भी भीख मांगना है। ऐसे भिखारी-महादानी, वरदानी कैसे बन सकेंगे? भिखारी, भिखारी को क्या दे सकता है? अपने को देखो, क्या एवर-रेडी ग्रुप के योग्य बने हैं? ऐसे नहीं कि ऑर्डर करें एक, और प्रैक्टिकल हो दूसरा। ऐसे कमजोर तो नहीं हो ना? अभी फिर भी कुछ गैलप (Gallop) करने का चॉन्स है, अभी किसी भी ग्रुप में अपने को परिवार्तित कर सकते हो। लेकिन कुछ समय बाद, गैलप करने का समय भी समाप्त हो जायेगा और जिन्होंने जैसे और जितना पुरूषार्थ किया है, वे वहां ही रह जावेंगे। फिर चाहे कितनी भी एप्लिकेशनडालो लेकिन मंजूर नहीं होगी, मजबूर हो जायेंगे। इसलिए बाप-दादा फिर भी कुछ समय पहले वारनिंग दे रहे हैं, जिससे कि पीछे आने वालों का भी बाप के प्रति कोई उल्हना नहीं रहेगा। इसलिये सेकेण्ड-सेकेण्ड व हर संकल्प के महत्व को जान, अपने को महान् बनाओ। परखने की शक्ति का, स्वयं के प्रति और सेवा के प्रति प्रयोग करो तब ही स्वयं की कमजोरियों को मिटा सकेंगे, और सर्व के प्रति उन्हों को इच्छापूर्वक सम्पन्न कर, महादानी और महावरदानी बन सकेंगे। अच्छा।

ऐसे सदा शुभ-चिन्तक, सदा शुभ-चिन्तन में रहने वाले, सर्व की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले, सदा मस्तकमणि द्वारा सर्व-आत्माओं को नॉलेज की लाइट देने वाले व सदा लाइट और माइट हाउस, बाप-दादा के सदा सहयोगी बच्चों को बाप-दादा का याद प्यार, गुडनाइट और नमस्ते।