21-06-74   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


महान् पद की बुकिंग के लिये महीन रूप से चैकिंग आवश्यक

लॉ एण्ड ऑर्डर वाले, विश्व-राज्य की स्थापना करने वाले, सर्व-शक्तियों व सर्व-गुणों रूपी खजाने से मालामाल करने वाले, त्रिमूर्ति के रचयिता शिव बाबा बोले:-

आज सभी तकदीरवान विशेष आत्माओं की विशेषता को देख रहे हैं। कोई-कोई अपनी विशेषता को भी यथार्थ रीति से नहीं जानते हैं, कोई-कोई जानते हैं लेकिन वे अपनी विशेषता को कार्य में नहीं लगा सकते और कोई-कोई जानते हुए भी उस विशेषता में सदा स्थित नहीं रह सकते। वे कभी विशेष आत्मा बन जाते हैं या कभी साधारण आत्मा बन जाते हैं। कोटों में कोऊ अर्थात् पूरे ब्राह्मण परिवार में से बहुत थोड़ी आत्मायें अपनी विशेषता को जानती भी हैं, विशेषता में रहती भी हैं और कर्म में आती भी हैं। अर्थात् अपनी विशेषता से ईश्वरीय कार्य में सदा सहयोगी बनती हैं। ऐसी सहयोगी आत्मायें बापदादा की अति स्नेही हैं। ऐसी आत्मायें सदा सरलयोगी व सहजयोगी व स्वत:योगी होती हैं। उनकी मूर्त में सदा ऑलमाइटी अथॉरिटी की समीप सन्तान की खुमारी और खुशी स्पष्ट दिखाई देती है अर्थात् सदा सर्व-प्राप्ति सम्पन्न लक्षण - उनके मस्तक से, नैनों से और हर कर्म में अनुभव होता है। उनकी बुद्धि सदा बाप समान बनने की, एक ही स्मृति में रहती है। ऐसी आत्माओं का हर कदम बाप-दादा के कदम पिछाड़ी कदम ऑटोमेटिकली स्वत: चलता ही रहता है।

ऐसी आत्माओं में मुख्य तीन बातें दिखाई देंगी। कौन-सी? तीनों सम्बन्ध निभाने वाले त्रिमूर्ति स्नेही आत्मायें तीन बातों से सम्पन्न होंगी। बाप के सम्बन्ध से उनमें क्या विशेषता होगी?-फरमानबरदार। शिक्षक के रूप से क्या होगी? शिक्षा में वफादार और ईमानदार चाहिये। सतगुरू के सम्बन्ध में आज्ञाकारी। तो यह तीनों विशेषतायें ऐसी त्रिमूर्ति स्नेही आत्माओं में स्पष्ट दिखाई देंगी। अब इन तीनों में अपने को देखो कि कितने परसेन्ट है। क्या सारे दिन की दिनचर्या में तीनों ही सम्बन्धों की विशेषतायें दिखाई देती हैं? इनसे ही अपनी रिज़ल्ट को जान सकते हो। कोई-कोई तो बाप के स्नेही या विशेष शिक्षक के स्नेही या सतगुरू के स्नेही बनकर चल भी रहे हैं, लेकिन बनना त्रिमूर्ति-स्नेही है। तीनों की परसेन्ट पास की होनी चाहिये। एक बात में पास विद ऑनर हो जाओ और दो बातों में मार्क्स कम हो जाए, तो रिज़ल्ट में बाप के समीप आने वाली आत्माओं में न आ सकेंगे। इसलिए तीनों में ही अपनी परसेन्टेज को ठीक करो।

जब मास्टर ऑलमाइटी अथॉरिटी हो, तो व्यर्थ संकल्पों को मिटाने में भी अथॉरिटी बनो। जब वर्ल्ड आलमाइटी की सन्तान कहलाते हो, तो क्या आप अपने संस्कार, स्वभाव वा संकल्पों पर विजयी बनने की अथॉरिटी नहीं बन सकते? अथॉरिटी जिसके अन्दर सब पर लॉ एण्ड ऑर्डर हो तब ही विश्व पर ला एण्ड ऑर्डर वाला राज्य चला सकेंगे। विश्व के पहले स्वयं को लॉ एण्ड ऑर्डर में चला सकते हो? अगर अभी से लॉ एण्ड ऑर्डर में चलने के संस्कार दिखाई नहीं देते, तो भविष्य में विश्व पर भी राज्य नहीं चला सकते। चलने वाले ही चलाने वाले बनते हैं। चलने में कमजोर हो और चलाने की उम्मीद रखें, यह तो स्वयं को खुश करना है। पहले अपने आप से पूछो:’’मेरे संकल्प, मेरे लॉ एण्ड ऑर्डर में हैं?’’ मेरा स्वभाव लॉ एण्ड ऑर्डर में है? अगर लॉ-लेस है तो क्या मास्टर ऑलमाइटी अथॉरिटी कहलाने के अधिकारी हो सकते हैं? ऑलमाइटी अथॉरिटी कभी किसी के वशीभूत नहीं हो सकते। क्या ऐसे बने हो?

अभी पुरूषार्थियों के स्वयं की चैकिंग का समय चल रहा है। चैकिंग के समय चैक  नहीं करेंगे, तो अपनी तकदीर को चेंज नहीं कर सकेंगे। जो जितने महीन रूप से स्वयं की चैकिंग करते हैं, उतना ही भविष्य महान् पद की प्राप्ति की बुकिंग होती है। तो चैकिंग करना-अर्थात् बुकिंग करना, ऐसे करते हो? या कि जब बुकिंग समाप्त हो जायेगी फिर करेंगे? सबसे श्रेष्ठ बुकिंग कौन-सी है? अष्ट रत्नों की सीट कौन-सी है? क्या एयर-कण्डीशन्ड सीट ली है? एयर-कन्डीशन के लिए कन्डीशन्स  हैं। जैसे एयर-कण्डीशन में, जब जैसे चाहे, वैसे एयर की कन्डीशन कर सकते हैं। ऐसे ही अपने को, जहाँ चाहो, जैसे चाहो वैसे सैट कर सको, तो एयर कण्डीशन की सीट ले सकते हो। इसके लिए सर्व खजाने जमा हैं? कौन-से सर्व खजाने? खजाने सुनाने में तो सब होशियार हो, जैसे सुनाने में होशियार हो, ऐसे ही जमा करने में भी होशियार हो जाओ। सर्व खजाने जमा चाहिये। अगर एक कम है, तो एयरकण्डीशन सीट नहीं मिलेगी फिर तो फर्स्ट डिवीजन में आ सकते हो। अभी अपनी बुकिंग देखो। अभी तो आपको फिर भी चान्स है। लेकिन जब चान्स समाप्त हो जायेगा, तो फिर क्या करेंगे? इसलिए अब मुख्य पुरूषार्थ चाहिये। हर समय, हर बात में, हर सब्जेक्ट में और हर सम्बन्ध की विशेषता में, स्वयं को चैक करना है। समझा!

ऐसे त्रिमूर्ति स्नेही, स्वयं के और विश्व के नॉलेज में त्रिकालदर्शी, तीसरे नेत्र द्वारा स्वयं की सूक्ष्म चैकिंग करने वाले, बाप-दादा के सदा समीप, स्नेही और सदा सहयोगी रहने वाले, लॉ एण्ड ऑर्डर में सदा चलने वाले विशेष आत्माओं को बापदादा का याद-प्यार गुडनाइट और नमस्ते। ओम शान्ति।

इस मुरली का सार

1. तकदीरवान विशेष आत्माएं अपनी विशेषताओं को जानते हुए, ईश्वरीय कार्य में सदा सहयोगी बनती हैं। उनकी बुद्धि सदा बाप-समान बनने की एक ही स्मृति में रहती हैं।

2. त्रिमूर्ति स्नेही आत्मा बाप के सम्बन्ध में फरमानबरदार, शिक्षक के रूप में वफादार व ईमानदार और सतगुरू के सम्बन्ध में आज्ञाकारी होगी।

3. वर्तमान समय स्वयं को लॉ एण्ड ऑर्डर में चला सकने वाला मास्टर ऑलमाइटी अथॉरिटी ही भविष्य में विश्व पर लॉ एण्ड ऑर्डर वाला राज्य चला सकता है।

4. महीन रूप से अपनी चैकिंग करने वाला ही, भविष्य में महान् पद की बुकिंग करा सकता है।

5. अष्ट रत्नों की एयर-कण्डीशन्ड सीट की बुकिंग के लिए, सर्वशक्तियों व सर्व-विशेषताओं रूपी खजाने जमा होने ज़रूरी हैं।