10-09-75   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


नॉलेजफुल और पावरफुल आत्मा ही सक्सेसफुल

ज्ञान के सागर, शक्ति के सागर, सदा जागती-ज्योति अथक सेवाधारी वत्सों को निद्रा-जीत बनाने वाले शिव बाबा बोले-

सदा हर स्थिति में मास्टर नॉलेजफुल (ज्ञानमूर्त) पावरफुल (शक्ति या योगमूर्त) और सक्सेसफुल (सफलता-मूर्त) स्वयं को अनुभव करते हो? क्योंकि नॉलेजफुल और पावरफुल आत्मा की रिजल्ट (परिणाम) है सक्सेसफुल। वर्तमान समय इन दोनों सब्जेक्ट्स याद अर्थात् पावरफुल और ज्ञान अर्थात् नॉलेजफुल। इन दोनों सब्जेक्ट्स (विषय) का ऑब्जेक्ट (उदेश्य) है सक्सेसफुल। इसी को ही प्रत्यक्ष फल कहा जाता है। इस समय का प्रत्यक्ष फल आपके भविष्य फल को प्रख्यात करेगा। ऐसे नहीं कि भविष्य फल के आधार पर अब के प्रत्यक्ष फल को अनुभव करने से वंचित रह जाओ। ऐसे कभी भी संकल्प नहीं करना कि वर्तमान में कुछ दिखाई नहीं देता है व अनुभव नहीं होता है व प्राप्ति नहीं होती है, यह पढ़ाई तो है ही भविष्य की। भविष्य मेरा बहुत उज्जवल है। अभी मैं गुप्त हूँ अन्त में प्रख्यात हो जाऊंगा-लेकिन भविष्य की झलक, भविष्य की प्रालब्ध व अन्तिम समय पर प्रसिद्ध होने वाली आत्मा की चमक अब से सर्व को अनुभव होनी चाहिए। इसलिए पहले प्रत्यक्ष फल और साथ में भविष्य फल। प्रत्यक्ष फल नहीं तो भविष्य फल भी नहीं। स्वयं को स्वयं प्रत्यक्ष भले ही नहीं करे, लेकिन उनका सम्पर्क, स्नेह और सहयोग ऐसी आत्मा को स्वत: ही प्रसिद्ध कर देते हैं।

यह ईश्वरीय लॉ (नियम) है कि स्वयं को किसी भी प्रकार से सिद्ध करने वाला कभी भी प्रसिद्ध नहीं हो सकता। इसलिये यह संकल्प कि मैं स्वयं को जानता हूँ कि मैं ठीक हूँ दूसरे नहीं जानते व दूसरे नहीं पहचानते, आखिर पहचान ही लेंगे व आगे चलकर देखना क्या होता है? यह भी ज्ञान स्वरूप, याद स्वरूप आत्मा के स्वयं को धोखे देने वाली अलबेलेपन की मीठी निद्रा है। ऐसे अल्पकाल के आराम देने वाले व अल्पकाल के लिये अपने दिल को दिलासा देने वाली माया की निद्रा के अनेक प्रकार हैं। जिस भी बातों में अपनी प्रालब्ध को व प्रत्यक्ष फल की प्राप्ति को खोते हो तो अवश्य अनेक प्रकार की निद्रा में सोते हो। इसलिये कहावत है - जिन सोया तिन खोया।तो खोना ही सोना है। ऐसे कभी भी समय पर सफलता पा नहीं सकते अर्थात् सक्सेसफुल नहीं बन सकते।

सारे कल्प के अन्दर सिर्फ इस संगम युग को ड्रामा प्लेन अनुसार वरदान है - कौन-सा ? संगमयुग को कौन-सा वरदान है? ‘प्रत्यक्ष फल का वरदानसिर्फ संगमयुग को है। अभी-अभी देना, अभी-अभी मिलना। पहले देखते हो - फिर करते हो-पक्के सौदागर हो। संगमयुग की विशेषता है कि इस युग में ही बाप भी प्रत्यक्ष होते हैं, ऊंच ते ऊंच ब्राह्मण भी प्रत्यक्ष होते हैं। आप सबके 84 जन्मों की कहानी भी प्रत्यक्ष होती है। श्रेष्ठ नॉलेज भी प्रत्यक्ष होती है। इस कारण ही प्रत्यक्ष फल मिलता है। प्रत्यक्ष फल का अनुभव कर रहे हो? प्रत्यक्ष फल प्राप्त होते समय भविष्य फल को सोचता रहे ऐसी आत्मा को कौन-सी आत्मा कहेंगे? ऐसी आत्मा को मास्टर नॉलेजफुल कहेंगे या यह भी एक अज्ञान है? किसी भी प्रकार का अज्ञान उसको, अज्ञान की नींद कहते हैं। अपने आप को चेक करो कि किसी भी प्रकार के अज्ञान नींद में सोये हुए तो नहीं हो?

सदा जागती-ज्योति बने हो? जागने की निशानी है जागना अर्थात् पाना। तो सर्व प्राप्ति करने वाले सदा जागती-ज्योति हो? सदा जागती-ज्योति बनने के लिये मुख्य कौनसी धारणा है, जानते हो? जो साकार बाप में विशेष थी - वह बताओ? साकार बाप की विशेष धारणा क्या थी? जागती-ज्योति बनने के लिये मुख्य धारणा चाहिए अथकबनने की। जब थकावट होती है तो नींद आती है - साकार बाप में अथक-पन की विशेषता सदा अनुभव की। ऐसे फॉलो फादर करने वाले सदा जागती-ज्योति बनते हैं। यह भी चेक करो कि चलते-चलते कोई भी प्रकार की थकावट अज्ञान की नींद में सुला तो नहीं देती? इसीलिये कल्प पहले की यादगार में भी निद्राजीत बनने का विशेष गुण गाया हुआ है। अनेक प्रकार की निद्रा से निद्राजीत बनो। यह भी लिस्ट निकालना कि किस-किस प्रकार की निद्रा निद्राजीत बनने नहीं देती जैसे निद्रा में जाने से पहले निद्रा की निशानियाँ दिखाई देती है उस नींद की निशानी है उबासी और अज्ञान नींद की निशानी है उदासी। इसी प्रकार निशानियाँ भी निकालना - इसकी दो मुख्य बातें हैं। एक आलस्य, दूसरा अलबेलापन। पहले यह निशानियाँ आती हैं - फिर नींद का नशा चढ़ जाता है। इसलिये इस पर अच्छी तरह से चैकिंग (जाँच) करना। चैकिंग के साथ चेन्ज (परिवर्तन) करना। सिर्फ चैकिंग नहीं करना - चैकिंग और चेन्ज दोनों ही करना, समझा? अच्छा!

ऐसे स्वयं के परिवर्तन द्वारा विश्व को परिवर्तन करने वाले, बाप समान सदा अथक, हर संकल्प, बोल और कर्म का प्रत्यक्ष फल अनुभव करने वाले, सर्व प्राप्ति स्वरूप विशेष आत्माओं को बापदादा का याद-प्यार और नमस्ते। ओम् शान्ति।