13-10-75   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


संगमयुग में साथ निभाना सारे कल्प का आधार बन जाता है

नई दुनिया का साक्षात्कार कराने वाले, विश्व-परिवर्तक शिव बाबा बोले :-

अपनी नई दुनिया में कृष्ण के साथ झूला कौन झूलेगा? झूलने का मजा है। झुलाने वालों का तो पार्ट ही और है। जो यहाँ अपने जीवन में, जीवन के आदि से अन्त तक बाप के साथ रहे हैं अर्थात् बुद्धियोग से साथ रहे हैं - साकार रूप में साथ रहना यह तो लक्क है। लेकिन साकार के साथ होते हुए भी बुद्धि का साथ यदि सदा रहा है, जीवन के आदि से अन्त तक साथ रहे हैं, वही वहाँ भी हर जीवन के आयु के भिन्नभिन्न पार्ट में, बचपन में भी साथ रहेगे, पढ़ाई में भी साथ रहेगे, खेलने में भी और फिर राज्य करने में भी साथ रहेगे। तो यहाँ सदा साथ रहने वाले वहाँ भी सदा साथ रहेगे।

जैसे उस फर्स्ट आत्मा को नशा और खुशी होगी वैसे साथ रहने वाली आत्माओं को भी वैसा ही नशा और खुशी होगी। जो अभी बाप-समान बनते हैं उन्हों को वहाँ भी समान नशा होगा। तो सर्व-स्वरूप से साथ रहना - यह भी विशेष पार्ट है। बाल, युवा और वानप्रस्थ सब अवस्थाओं में साथ। इसका आधार यहाँ के जीवन के आदि, मध्य और अन्त तक साथ निभाने का है। मज़ा तो इसमें है ना? जो फर्स्ट में साथ रहते हैं, वह फिर 84 जन्मों में ही, भक्ति काल में अल्पकाल के राजे बनने में व कोई भी पार्ट बजाने में भी कोई-न-कोई साथ का सम्बन्ध कायम करते रहेगे। भक्ति भी साथ-साथ शुरू करेंगे। चढ़ेंगे भी साथ, पर गिरेंगे भी साथ। तो अभी का साथ निभाने का आधार सारे कल्प के साथ का आधार बन जाता है। अच्छा।

इस मुरली का सार

1. जो यहाँ संगमयुग में बुद्धियोग से बाप के सदा साथ रहते हैं वही सारे कल्प में, जीवन के भिन्न-भिन्न पार्ट में भी साथ रहेगे।

2. जो अभी बाप-समान बनते हैं उनकी भविष्य में भी फर्स्ट आत्मा के समान ही नशा व खुशी कायम रहेगी।