26-01-77   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


अन्तर्मुखता द्वारा सूक्ष्म शक्ति की लीलाओं का अनुभव

साइलेन्स (Silence;शान्ति) शक्ति द्वारा आत्माओं की सेवा करने की विधि बताते हुए विश्व-कल्याणकारी पिता शिवबाबा बोले :-

अपनी वास्तविक साइलेन्स की शक्ति को अच्छी तरह से जान गए हो? जैसे वाणी की शक्ति का, कर्म की शक्ति का प्रत्यक्ष परिणाम दिखाई देता है, वैसे सभी से पावरफुल (Powerful;शक्तिशाली) साइलेन्स शक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण देखा है, अनुभव किया? जैसे वाणी द्वारा किसी आत्मा को परिवर्तन कर सकते हो, वैसे साइलेन्स की शक्ति द्वारा अर्थात् मन्सा द्वारा किसी आत्मा की वृत्ति, दृष्टि को परिवर्तन करने का अनुभव है? वाणी द्वारा तो जो सामने हों उनका ही परिवर्तन करेंगे, लेकिन मन्सा द्वारा वा सायलेंस की शक्ति द्वारा कितनी भी स्थूल में दूर रहने वाली आत्मा हो, उनको सम्मुख का अनुभव करा सकते हो। जैसे साइंस (Science;विज्ञान) के यंत्रों द्वारा दूर का दृश्य सम्मुख अनुभव करते हो, वेसे साइलेन्स की शक्ति से भी दूरी समाप्त हो सामने का अनुभव आप भी करेंगे और अन्य आत्माएं भी करेंगी। इसको ही योगबल कहा जाता है। लेकिन जैसे साइंस के साधन का यंत्र भी तब काम करेगा जिसका कनेक्शन (Connection;जोड़) मेन स्टेशन (Main Station) से होगा, इसी प्रकार साइलेन्स की शक्ति द्वारा अनुभव तब कर सकेंगे, जब कि बाप-दादा से निरन्तर क्लीयर कनेक्शन (Clear Connection;सीधा सम्बन्ध) होगा। वहाँ सिर्फ कनेक्शन होता है, लेकिन यहाँ कनेक्शन अर्थात् रिलेशन (RELATION;सम्बन्ध)। सभी क्लीयर अनुभव होंगे तब मन्सा शक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण देख सकेंगे।

अभी तक मन्सा शक्ति द्वारा आत्माओं का आह्वान  कर परिवर्तन करने की यह सूक्ष्म सेवा बहुत कम करते हो। जब आत्मिक शक्ति वाली, सेमी प्योर (Semi Pure;अर्द्ध पवित्र) आत्माएं अपनी साधना द्वारा आत्माओं का आह्वान  कर सकती हैं, अल्पकाल के साधनों द्वारा दूर बैठी हुई आत्माओं को चमत्कार दिखाकर अपनी तरफ आकर्षित कर सकती हैं, तो परमात्म शक्ति अर्थात् सर्व श्रेष्ठ शक्ति क्या नहीं कर सकती? इसके लिए विशेष एकाग्रता चाहिए। संकल्पों की भी एकाग्रता, स्थिति की भी एकाग्रता। एकाग्रता का आधार है - अन्तर्मुखता।अन्तर्मुखता में रहने से अन्दर ही अन्दर बहुत कुछ विचित्र अनुभव करेंगे। जैसे दिव्य दृष्टि में सूक्ष्मवतन, सूक्ष्मसृष्टि अर्थात् सूक्ष्मलोक की अनेक विचित्र लीलाएं देखते हो, वैसे अन्तर्मुखता द्वारा सूक्ष्म शक्ति की लीलाएं अनुभव करेंगे। आत्माओं का आह्वान  करना, आत्माओं से रूह-रूहान करना, आत्माओं के संस्कार, स्वभाव को परिवर्तन करना, आत्माओं का बाप से कनेक्शन जुड़वाना, ऐसे रूहानी लीला का अनुभव कर सकते हो? अप्राप्त आत्मा को, अशान्त, दु:खी, रोगी आत्मा को दूर बैठे भी शान्ति, शक्ति, निरोगीपन का वरदान दे सकते हो? जैसे शक्तियों के जड़ चित्रों में वरदान देने का स्थूल रूप हस्तों के रूप में दिखाया है, हस्त भी एकाग्र रूप दिखाते हैं। वरदान का पोज (Pose,स्थिति) हस्त, दृष्टि और संकल्प एकाग्र ही दिखाते हैं, ऐसे चैतन्य रूप में एकाग्रचित की शक्ति को बढ़ाओ, तो रूहों की दुनिया में रूहानी सेवा होगी। रूहानी दुनिया मूलवतन नहीं लेकिन रूह रूह को आह्वान  करके रूहानी सेवा करे। यह रूहानी लीला का अनुभव करो। यह रूहानी सेवा फास्ट स्पीड़ (तीव्र गति) में कर सकते हो। तो वाचा और कर्मणा की सेवा में, जो तेरी-मेरी का टकराव होता है, नाम, मान, शान का टकराव होता है, स्वभाव, संस्कारों का टकराव होता है, समय व सम्पत्ति का अभाव होता है, इसी प्रकार के जो भी विघ्न पड़ते हैं, यह सर्व विघ्न समाप्त हो जायेंगे। रूहानी सेवा का एक संस्कार बन जायेगा। इसी संस्कार में भी तत्पर रहेंगे। इस वर्ष यह पॉवरफुल सर्विस भी आरम्भ करो। जो भी आत्माएं वाणी द्वारा व प्रैक्टीकल लाईफ (Practical Life;व्यवहारिक जीवन) के प्रभाव द्वारा सम्पर्क में आई हैं, वा सम्पर्क में आने की उम्मीदवार हैं, उन आत्माओं को रूहानी शक्ति का अनुभव कराओ। मेहनत का अनुभव, महानता का अनुभव कराया है। अब मेहनत तथा महानता के साथ रूहानियत का भी अनुभव कराओं। तीनों बातों का अनुभव हो।

इस शिवरात्रि पर ऐसी स्थूल और सूक्ष्म स्टेज बनाओ, जिससे आने वाली आत्माओं को अपने स्वरूप रूह और रूहानियत का अनुभव हो। वाणी द्वारा वाणी से परे जाने का अनुभव हो। ऐसे सम्पर्क में आने वाली आत्माओं का विशेष प्रोग्राम रखो। लक्ष्य रखो कि अनुभव कराना है, न कि सिर्फ भाषण करना है, चाहे छोटे-छोटे संगठन बनाओ लेकिन रूहानियत और रूहानी बाप के सम्बन्ध और अनुभव में समीप लाओ। कुछ नवीनता करो। स्थान और स्थिति दोनों से दूर से ही रूहानियत की आकर्षण हो। जनरल सन्देश देने की बात अलग है। वह करना है भले करो, लेकिन यह जरूर करो। इसके लिए निमित्त बनी हुई आत्माओं को अर्थात् सर्विसएबल (Serviceable;सेवाधारी) आत्माओं को विशेष उस दिन एकाग्रता का अन्तर्मुखता का व्रत रखना पड़ेगा। इस व्रत से वृत्तियों को परिवर्तन करेंगे। जैसे भक्त लोग स्थूल भोजन का व्रत रखते हैं, तो सार्विसेबल ज्ञानी तू आत्माओं को व्यर्थ संकल्प, व्यर्थ बोल, व्यर्थ कर्म की हलचल से परे एकाग्रता अर्थात् रूहानियत में रहने का व्रत लेना पड़े। तब आत्माओं को ज्ञान सूर्य का चमत्कार दिखा सकेंगे। कोई अलौकिक प्लान (Plan;योजना) बनाओ। जैसे भक्ति में अगरबत्ती की खुशबू दूर से आकर्षण करेगी। समझा, अब क्या करना है? सम्पर्क वालों को सम्बन्ध में लाओ। अनुभवों द्वारा उन विशेष आत्माओं को आवाज़ फैलाने के निमित्त बनाओ। अच्छा।

ऐसे रूहानियत में एकाग्रता का अनुभव कराने वाले, हर संकल्प और हर सेकेण्ड रूहानी सेवा में तत्पर रहने वाले, रूह को अनुभवों द्वारा राहत देने वाले, ऐसे रूहानी सेवाधारियों को बाप-दादा का याद-प्यार ओर नमस्ते।

दादी जी के

साथ साकार रूप में एकाग्रता की शक्ति के कई प्रत्यक्ष प्रमाण देखे। दूर बैठे हुए बच्चे प्रैक्टीकल अनुभव करते थे कि आज विशेष रूप से बाप-दादा ने मुझे याद किया वा विशेष रूप से मुझे शक्ति की प्राप्ति का अनुभव करा रहे हैं। संकल्प और बातें दोनों तरफ की मिलती थी। ऐसे प्रैक्टीकल अनुभव देखे ना? जैसे टेलीफोन द्वारा कोई मैसेज (Message;सन्देश) मिलना होता है, तो रिंग (Ring;घंटी) बजती है। वैसे बाप का सन्देश वा संकल्प का डायरेक्शन बच्चों को जब पहुँचता है तो अन्दर ही अन्दर आत्मा में अचानक खुशी की लहर में रोमांच खड़े हो जाते हैं। लेकिन जैसे कई रिंग सुनते हुए भी अनसुना कर देते तो मैसेज नहीं ले सकते। वैसे बच्चों को अनुभव होते जरूर हैं, लेकिन अलबेलेपन में चला देते हैं। एकाग्रता की शक्ति की लीला को कैच (Catch) नहीं कर पाते। लेकिन अनुभव होता जरूर है। वैसे आत्माओं को भी आत्माओं का होता है, लेकिन जैसे तारों में हलचल हो जाए, टेलीफोन के स्तम्भों में हलचल हो जाए तो मैसेज कैच नहीं कर सकते। वहाँ वातावरण का, वायुमण्डल का प्रभाव होता है; यहाँ फिर वृत्ति का प्रभाव होता है। वृत्ति चंचल होने के कारण मैसेज को कैच नहीं कर पाते। तो इस वर्ष में एकाग्रता का दृढ़ संकल्प करने वाला ग्रुप तैयार होना चाहिए, जो यह विचित्र अनुभव कर सके। यह सागर के तले में जाकर अनुभव के हीरे, मोती लेना और वह है ज्ञान सागर की लहरों में लहराने का अनुभव करना। लहरों में हो यह तो अनुभव किया अब अन्दर तले में जाना है। अमूल्य खज़ाने तले में मिलते हैं। यह बात पक्की करने से और सभी बातों से आटोमेटिकली किनारा हो जायेगा। इसको ही स्वचिन्तन, स्वदर्शन, समर्थ सेवा कहा जाता है। लाईट हाऊस (Light House) माईट हाऊस (Might House) की यह स्टेज है। फिर दृष्टि का दान देना पड़ेगा। नज़र से निहाल करने की यह स्टेज है। एकाग्रता शक्ति बहुत विचित्र रंग दिखा सकती है। वो सिद्धियां वाले भी एकाग्रता से ही सिद्धि प्राप्त करते हैं। स्वयं की औषधि भी एकाग्रता की शक्ति से कर सकते हैं। अनेक रोगियों को निरोगी भी बना सकते हैं। बहुत विचित्र अनुभव इससे कर सकती हो। कोई ने चलती हुई चीज़ को रोका, यह एकाग्रता की सिद्धि है। स्टॉप कहो तो स्टॉप हो जाए तब वरदानी रूप में जय-जयकार के नारे बजेंगे। अभी वाह-वाह के नारे लगाते हैं। भाषण बहुत अच्छा किया, मेहनत बहुत अच्छी की है, लाईफ बहुत अच्छी है। फिर जय-जयकार के नारे बजेंगे। तो इस वर्ष का एम आब्जेक्ट (AIM-Object;उद्देश्य) समझा ना। डबल सेवा चाहिए। अमृतवेले यह स्पेशल (Special;विशेष) सेवा कर सकती हो। फिर भक्तों के आवाज़ भी सुनाई देंगे। ऐसे समझेंगे जैसे यहाँ सम्मुख कोई बुला रहे हैं, यह शक्ति बढ़ानी है। जितना भी समय मिले दो मिनट, पांच मिनट - चले जाओ इस एकाग्रता की शक्ति में। तो थोड़ा-थोड़ा करते भी जमा हो जायेगा, तब शक्तियों द्वारा सर्व शक्तिवान की प्रत्यक्षता होगी। शक्तियों की सम्पूर्णता जैसे अन्धों के आगे आईने का काम करेगी। सम्पूर्णता वर्ष अर्थात् यह सम्पूर्णता। अच्छा।