28-12-78   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


परमात्म प्रत्यक्षता का आधार - सत्यता

अव्यक्त बापदादा बोले: -

आज बाप-दादा सर्व बच्चों को शक्ति सेना वा पाण्डव सेना के रूप में देख रहे हैं। सेनापति अपनी सेना को देख हर्षित भी हो रहे हैं और साथ-साथ अपनी सेना के महारथी वा घोड़े सवार दोनों के कर्त्तव्य को देख रहे हैं - महारथी क्या कर रहे हैं, घोड़ सवार क्या कर रहे हैं - दोनों ही अपना-अपना पार्ट बजा रहे हैं। अब तक ड्रामा अनुसार जो भी हरेक ने पार्ट बजाया वह नम्बरवार अच्छा कहेंगे - लेकिन अब क्या करना है - महारथियों को अब अपनी कौन-सी महावीरता दिखानी है। बाप-दादा विशेष महावीरनियों और महावीरों के सेवा के पार्ट को देख रहे थे - अब तक सेवा के क्षेत्र में कहाँ तक पहुँचे हैं! जैसे स्थूल सेना का सेनापति नक्शे के आधार पर सदा देखते रहते हैं कि सेना कहाँ तक पहुँची है! कितनी एरिया के विजयी बने हैं! अस्त्र शस्त्र, बारूद अर्थात् सामग्री कहाँ तक स्टाक में जमा है! आगे क्या लक्ष्य है! लक्ष्य की मंज़िल से कहाँ तक दूर हैं! किस स्पीड से बढ़ते जा रहे हैं! - वैसे आज बाप-दादा भी आदि से अब तक की सेवा के नक्शे को देख रहे थे। रिजल्ट क्या देखा! महावीर वा महावीरनियाँ सेवा के क्षेत्र में आगे बढ़ते जा रहे हैं - शस्त्र भी सब साथ में हैं - एरिया भी बढ़ाते जा रहे हैं - लेकिन अभी तक आत्मिक बम लगाया है, अभी परमात्म बम लगाना है। आत्मिक सुख वा आत्मिक शान्ति की अनुभूति रूहानियत की अनुभूति के भिन्न भिन्न शस्त्र नम्बरवार समय प्रमाण कार्य में लगाया है लेकिन लास्ट बम अर्थात् परमात्म बम है बाप की प्रत्यक्षता का। जो देखे, जो सम्पर्क में आ करके सुने उन्हीं द्वारा यह आवाज़ निकले कि बाप आ गये हैं - डायरेक्ट आलमाइटी अथॉरिटी का कर्त्तव्य चल रहा है। यह अन्तिम बाम्ब है जिससे चारों ओर से आवाज़ निकलेगा - अभी यह कार्य रहा हुआ है। यह कैसे होगा और कब होगा? परमात्म प्रत्यक्षता का आधार सत्यता है। सत्यता ही प्रत्यक्षता है - एक स्वयं के स्थिति की सत्यता दूसरी सेवा की सत्यता। सत्यता का आधार है स्वच्छता और निर्भयता। इन दोनों धारणाओं के आधार से सत्यता द्वारा ही प्रत्यक्षता होगी। किसी भी प्रकार की अस्वच्छता अर्थात् ज़रा भी सच्चाई सफाई की कमी है तो कर्त्तव्य की सिद्धि, प्रत्यक्षता हो नहीं सकती।

सच्चाई और सफाई- सच्चाई अर्थात् जो मैं हूँ जैसा हूँ सदा उस ओरीज़नल सत्य स्वरूप में स्थित होना। अर्थात् आत्मा के औरीज़नल सतोप्रधान स्वरूप में स्थित रहना है रजो और तमो स्टेज सच्चाई की ओरीज़नल स्टेज नहीं। यह संगदोष की स्टेज है। किसका संग? माया अथवा रावण का। आत्मा की सत्यता सतोप्रधानता है। तो पहली यह सच्चाई है। दूसरी बात- बोल और कर्म में भी सच्चाई अर्थात् सत्यता की स्टेज सतोप्रधानता है वा अभी रजो और तमो मिक्स हैं! सत्यता नेचरल संस्कार रूप में हैं वा पुरूषार्थ से सत्यता की स्टेज को लाना पड़ता है! जैसे बाप को ट्रुथ अर्थात् सत्य कहते हैं वैसे ही आत्मिक स्वरूप की वास्तविकता भी सत्य अर्थात् ट्रुथ है। तो सत्यता सतोप्रधानता को कहा जाता है, ऐसी सच्चाई है!

सफाई अर्थात् स्वच्छता। ज़रा भी संकल्प द्वारा भी अशुद्धि अर्थात् बुराई को वा अवगुण को टच नहीं करें - अगर बुद्धि वा संकल्प द्वारा भी स्वीकार किया अर्थात् धारण किया तो सम्पूर्ण सफाई नहीं कहेंगे। जैसे स्थूल में भी कोई प्रकार की गन्दगी को देखना भी अच्छा नहीं लगता, देखने से किनारा कर देंगे, ऐसे बुराई को सोचना भी बुराई को टच करना हुआ। सुनना और बोलना वा करना यह तो स्वयं ही बुराई को धारण करते हैं। सफाई अर्थात् स्वच्छता, संकल्प मात्र भी अशुद्धि न हो। इसको कहा जाता है सच्चाई और सफाई अर्थात् स्वच्छता। दूसरी बात है निर्भयता । निर्भयता की परिभाषा भी बड़ी गुह्य है!

पहली बात- अपने पुराने तमोगुणी संस्कार पर विजयी बनने की निर्भयता। क्या करूँ, होता नहीं, बहुत प्रबल है, यह भी निर्भयता नहीं। अन्य आत्माओं के सम्पर्क और सम्बन्ध में स्वयं के संस्कार मिलाना और अन्य के संस्कार परिवर्तन करना इसमें भी निर्भयता हो। पता नहीं चल सकेंगे, निभा सकेंगे मेरा मानेंगे वा नहीं मानेंगे इसमें भी अगर भयता है तो इसको सम्पूर्ण निर्भयता नहीं कहेंगे। तीसरी बात- विश्व की सेवा में अर्थात् सेवा के क्षेत्र में वायुमण्डल वा अन्य आत्माओं के सिद्धान्तों की परिपक्वता को देखते हुए संकल्प में भी उन्हीं की परिपक्वता वा वातावरण वायुमण्डल का प्रभाव पड़ना यह भी भयता है। यह बिगड़ जायेंगे, हंगामा हो जायेगा - हलचल हो जायेगी इससे भी निर्भयता हो। जब आत्मिक ज्ञानी आप तना द्वारा निकली हुई शाखाएँ वह भी अपने अल्पज्ञ मान्यता में निर्भयता का प्रभाव डालती हैं, अपनी अल्प मत को प्रत्यक्ष करने में निर्भय होती हैं, झूठ को सच करके सिद्ध करने में अटल ओर अचल रहती हैं, तो सर्वज्ञ बाप के श्रेष्ठ मत वा-अनादि आदि सत्य को प्रत्यक्ष करने में संकोच करना भी भय है। शाखाएँ हिलने वाली होती हैं, तना अचल होता है तो शाखाएँ निर्भय हो और तना में संकोच के भय की हलचल हो इसको क्या कहेंगे! इसलिए जो प्रत्यक्षता का आधार स्वच्छता और निर्भयता है उसको चेक करो। इसी को ही सत्यता कहा जाता है। इस सत्यता के आधार पर ही प्रत्यक्षता है। इसलिए अन्तिम पावरफुल बाम्ब परमात्म प्रत्यक्षता अब शुरू नहीं की है। अब तक की रिजल्ट में राजयोगी आत्माएँ श्रेष्ठ हैं, राजयोग श्रेष्ठ है, कर्त्तव्य श्रेष्ठ है, परिवर्तन श्रेष्ठ है। यह प्रत्यक्ष हुआ है लेकिन सिखाने वाला डायरेक्ट आलमाइटी है - ज्ञान सूर्य साकार सृष्टि पर उदय हुआ है यह अभी गुप्त है - परमात्म बाम्ब की रिज़ल्ट क्या होगी!

विश्व की सर्व आत्माओं के अल्पकाल के सहारे सब समाप्त हो एक बाप का सहारा अनुभव होगा। जैसे साइन्स के बाम्बस द्वारा देश का देश समाप्त हो पहला दृश्य कुछ भी नज़र नहीं आता - सब समाप्त हो जाता है ऐसे इस अन्तिम बाम्ब द्वारा सर्व अल्पकाल के साधना रूपी साधन समाप्त हो एक ही यथार्थ साधन राजयोग द्वारा हरेक के बीच बाप प्रत्यक्ष होगा। विश्व में विश्व पिता स्पष्ट दिखाई देगा। हर धर्म की आत्मा द्वारा एक ही बोल निकलेगा कि हमारा बाप हिन्दुओं वा मुसलमानों का नहीं- सबका बाप। इसको कहा जाता है परमात्म बाम्ब द्वारा अन्तिम प्रत्यक्षता। अब रिज़ल्ट सुनी कि क्या कर रहे हैं और क्या करना है! अब के वर्ष परमात्म बाम्ब फैंको। बाप को स्वच्छता और निर्भयता के आधार से सत्यता द्वारा प्रत्यक्षता करो। अच्छा।

ऐसे बाप को विश्व के आगे प्रत्यक्ष करने वाले, सदा निर्भय, सदा एक ही धुन में मस्त रहने वाले रमता सहज राजयोगी, अन्तिम समय को समीप लाने वाले, अर्थात् सर्व आत्माओं की मनोकामनाएँ पूर्ण करने वाले बाप समान दया वा रहम के सागर, ऐसे रहमदिल बच्चों को बाप-दादा का यादप्यार और नमस्ते।

पार्टियों के साथ बातचीत

सभी अपने श्रेष्ठ भाग्य के गुणगान करते हुए सदा खुशी में रहते हो? ऐसा श्रेष्ठ भाग्य जिसका गायन स्वयं भगवान करे, ऐसा भाग्य फिर कभी मिलेगा? भविष्य में भी ऐसा भाग्य नहीं होगा, अब नहीं तो कब नहीं, ऐसी खुशी होती है? भाग्य का सितारा सदैव चमकता रहे तो चमकती हुई चीज़ की तरफ स्वतः ही सबका अटेन्शन जाता है, यह क्या है! ऐसे हरेक के मस्तक बीच भाग्य का सितारा सदैव चमकता रहे तो विश्व की नज़र आटोमेटिकली जाएगी कि यह कौन से भाग्य का सितारा चमकता हुआ दिखाई दे रहा है। जैसे कोई विशेष सितारा विशेष रूप से चमकता है तो आटोमेटिक सबका अटेन्शन जाता है ऐसे भाग्य का सितारा सबको आकर्षित करे। ऐसा चमकता हुआ सितारा स्वयं को भी दिखाई दे और विश्व को भी। चमकती हुई चीज़ न चाहते भी, नज़र घुमाते भी दिखाई देती है, तो भले चारों तरफ नज़र घुमायें लेकिन आखिर में आपके तरफ ही नज़र आएगी, ऐसा चमकता हुआ भाग्य अनुभव होता है?

इस समय की ऊँची स्थिति की रिज़ल्ट सारे कल्प में ऊँचे - इस समय की ऊँची स्थिति वाले उच्च पद पाने वाले होंगे, विश्व में पूज्य के रूप में भी ऊँचे होंगे, बाप के बच्चे भी ऊँचे, भक्ति में भी ऊँचे और ज्ञान में भी ऊँचा राज्य करने में भी ऊँच होंगे। हर पार्ट ऊँचा बजाने कारण, ऊँचे ते ऊँची आत्मा अनुभव करेंगे।