15-02-83       ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा       मधुबन


विश्व शांति सम्मलेन के समाप्ति समारोह पर प्राण अव्यक्त बापदादा के मधुर अनमोल महावाक्य

आज बेहद का बाप सेवा के निमित्त बने हुए सेवाधारी बच्चों को देख रहे हैं। जिस भी बच्चे को देखें, हरेक, एक दो से श्रेष्ठ आत्मा है। तो बापदादा हरेक श्रेष्ठ आत्मा की, सेवाधारी आत्मा की विशेषता को देख रहे हैं। बापदादा को हर्ष है कि हरेक बच्चा इस विश्व परिवर्तन के कार्य में आधारमूर्त, उद्धारमूर्त है। सभी बच्चे बापदादा के कार्य में सदा सहयोगी आत्मा हैं। ऐसे सहयोगी, सहजयोगी, श्रेष्ठ विशेष आत्माओं को वा सेवा के निमित्त बने हुए बच्चों को देख बापदादा अति स्नेह के सुनहरी पुष्पों से बच्चों का स्वागत और मुबारक की सैरीमनी मना रहे हैं। बापदादा हर बच्चे को मस्तकमणि, सन्तुष्टमणि, ह्दयमणि जैसे चमकते हुए स्वरूप में देखते हैं। बापदादा भी सदा एक गीत गाते रहते हैं, कौन सा गीत गाते हैं, जानते हो ना? यही गीत गाते- वाह मेरे बच्चे, वाह! वाह मीठे बच्चे, वाह! वाह प्यारे ते प्यारे बच्चे, वाह! वाह श्रेष्ठ आत्मायें वाह! ऐसा ही निश्चय और नशा सदा रहता है ना। सारे कल्प में ऐसा भाग्य प्राप्त नहीं हो सकता जो भगवान बच्चों के गीत गाये। भक्त, भगवान के गीत बहुत गाते हैं। आप सब ने भी बहुत गीत गाये हैं। लेकिन ऐसे कब सोचा कि कब भगवान भी हमारे गीत गायेंगे! जो सोचा नहीं था वह साकार रूप में देख रहे हो। विश्व शान्ति की कांफ्रेंस कर ली। सभी बच्चों ने मुख द्वारा बहुत अच्छी अच्छी बातें सुनाई और मन द्वारा सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना, श्रेष्ठ कामना के शुभ संकल्प के वायब्रेशन भी चारों ओर, ज्ञान सूर्य बन फैलाए। लेकिन बापदादा सभी भाषण करने वालों का सार सुना रहे हैं। । आप लोगों ने तो चार दिन भाषण किये और बापदादा एक सेकण्ड का भाषण करते हैं। वह दो शब्द हैं - रियलाइजेशन और सॉल्युशन। जो भी आप सबने बोला उसका सार रियलाइजेशनही है। आत्मा को नहीं भी समझें लेकिन मानव के मूल्य को जानें तो भी शान्ति हो जाए। मानव विशेष शक्तिशाली स्वरूप है। अगर यह भी रियलाइज कर लें तो मानव के हिसाब से भी मानव धर्म स्नेहहै, न कि लड़ाई झगड़ा। इससे आगे चलो  - मानव जीवन का व मानवता का आधार आत्मा पर है। मैं कौन सी आत्मा हूँ, क्या हूँ, यह रियलाइज कर लें तो शान्ति तो स्वधर्म हो जायेगा। फिर आगे चलो - ‘‘मै श्रेष्ठ आत्मा हूँ, सर्वशक्तिवान की सन्तान हूँ’’, यह रियलाइजेशन निर्बल से शक्ति स्वरूप बना देगी। शक्ति स्वरूप आत्मा वा मास्टर सर्वशक्तिवान आत्मा जो चाहे, जैसे चाहे वह प्रैक्टिकल में कर सकती है, इसलिए सुनाया कि सारे भाषणों का सार एक ही है -’’रियलाइजेशन’’। तो बापदादा ने सभी भाषण सुने हैं ना।! बापदादा सदा बच्चों के साथ हैं ही। अच्छा –

सभी सेवा में समर्पित बच्चों को, सभी जोन से आये हुए बच्चों को, एक- एक यही समझे कि बापदादा मेरे को कह रहे हैं। एक एक से बात कर रहे हैं। सभी बच्चों ने जो प्रत्यक्ष सबूत दिखाया, उसके रिटर्न में बापदादा हरेक बच्चे को नाम सहित, रूप तो देख रहे हैं, नाम सहित मुबारक दे रहे हैं। अब तो जब आप समय परिवर्तन की सूचना दे रहे हो, तो बापदादा के मिलने का भी परिवर्तन होगा ना। आप सबका संकल्प है हमारा परिवार वृद्धि को पाए तो पुरानों को त्याग करना पड़ेगा। लेकिन यह त्याग ही भाग्य है। दूसरों को आगे बढ़ाना ही स्वयं को आगे बढ़ाना है। ऐसे नहीं समझना - क्यों बाप दादा को विदेशी बच्चे प्रिय हैं, देश वाले नहीं हैं। वा कोई विशेष बच्चे प्रिय है। बापदादा का तो हरेक बच्चा दिल का सहारा, मस्तक के ताज की मणी है। इसलिए बापदादा सबसे पहले अपने राइट हैण्ड्स सहयोगी बच्चों को अति दिल व जान, सिक व प्रेम से याद दे रहे हैं। यह तो जरूर है दूर से आने वाले, सम्पर्क में आने वालों को सम्बन्ध में लाने के लिए आप सभी खुशी-खुशी उन्हीं को आगे बढ़ा रहे हो और बढ़ाते रहेंगे।

इस समय सब सेवा के प्रति आये हो। इसलिए यह भी सेवा हो गई। हरेक जोन का नाम लेवे क्या? अगर एक-एक नाम लेंगे तो कोई रह जाए तो? इसलिए सभी जोन समझें कि बापदादा मुझे पहला नम्बर रख रहे हैं। सर्व देश के वा विदेश के, अब तो सभी मधुबन निवासी हे, इसलिए सर्व विश्व शान्ति हाल में उपस्थित बच्चों को, ओम् शान्ति भवन निवासी बच्चों को बाप दादा, सदा याद में रहो, याद दिलाते रहो, हर कदम यादगार चरित्र बनाते चलते चलो। हर सेकण्ड अपने प्रैक्टिकल लाइफ के आइने द्वारा सर्व आत्माओं को स्वका, बाप का साक्षात्कार कराते चलो, ऐसे वरदानी महादानी सदा सम्पन्न बच्चों को बापदादा का याद प्यार और नमस्ते।

राबर्ट मूलर (असिस्टेंट सेके्रट्री जनरल यू.एन.ओ.) के प्रति महावाक्य –

सेवा में श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ पार्टधारी आत्मा हो। जैसे मन में यह श्रेष्ठ संकल्प रखा कि जिस कार्य के लिए निमित्त बने हो वह करके ही दिखायेंगे। यह संकल्प बाप दादा और सारे ब्राह्मण परिवार के सहयोग से साकार में आता ही रहेगा। संकल्प बहुत अच्छा है। प्लैन भी बहुत अच्छे-अच्छे सोचते हो। अभी इसी प्लैन के बीच में जब यह स्प्रिचुअल पावर एड हो जायेगी तो यह प्लैन साकार रूप लेते रहेंगे। बाप दादा के पास बच्चों के सभी उमंग पहुँचते रहते हैं। सदा अटल रहना। हिम्मतवान बनकर आगे बढ़ते जाना। वह दिन भी इन आँखों से दिखाई देगा कि विश्व शान्ति का झण्डा विश्व के चारों ओर लहरायेगा। इसलिए आगे बढ़ते चलो। दुनिया वाले दिलशिकस्त बनायेंगे। आप मत बनना। एक बल एक भरोसा, इसी निश्चय से चलते रहना। जिस समय कोई भी परिस्थिति आये तो बाप को साथी बना लेना। तो ऐसा अनुभव करेंगे कि मैं अकेला नहीं हूँ, मेरे साथ विशेष शक्ति है। स्वप्न पूरा हो जायेगा। जहाँ बाप है, वहाँ कितने भी चाहे तूफान हों, वह तोफा बन जायेंगे। निश्चय बुद्धि विजयन्ति’ - यह टाइटल याद रखना कि मैं निश्चय बुद्धि विजयी रत्न हूँ। अच्छा ।

स्टीव नारायण (वाइस प्रेजीडेन्ट, ग्याना) के प्रति महावाक्य –

अपने को बाप के दिलतख्तनशीन समीप रत्न अनुभव करते हो? दूरदेश में रहते भी दिल से दूर नहीं हो। बच्चों का सर्विस में उमंग उल्लास देख बापदादा हर्षित होते हैं और नम्बरवन देते हैं। सदा उड़ती कला में रहने वाले, बाप दादा के नूरे रत्न हो। इसलिए बाप दादा मुबारक देते हैं।

(आन्टी बेटी से) - आपको नया जन्म लेते ही आशीर्वाद मिली हुई है कि आप सर्विसएबुल हो। अनुभवी मूर्त हो। ग्याना में रहते हुए भी विश्व सेवा अर्थ निमित्त मूर्त हो और रहेंगी। याद द्वारा बाप के सहयोग और वरदानों का अनुभव होता है ना! आपकी याद बाप को पहुँचती रहती है। सर्व संकल्प सिद्ध होते रहते हैं ना! आप एक श्रेष्ठ आत्मा के एक ही श्रेष्ठ संकल्प से सारा परिवार श्रेष्ठ पद को पा रहा है। पद्मापद्म भाग्यशाली हो।