26-08-84 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
दादीजी, मोहिनी बहन और जगदीश भाई को विदेश सेवा पर जाने की छुट्टी देते हुए अव्यक्त बापदादा
ज्ञान सूर्य, ज्ञान चन्द्रमा बापदादा ज्ञान सितारों बच्चों प्रति बोले-
आज त्रिमूर्ति मिलन देख रहे हैं। ज्ञान सूर्य, ज्ञान चन्द्रमा और ज्ञान सितारों का मिलन हो रहा है। यह त्रिमूर्ति मिलन इस ब्राह्मण संसार के विशेष मधुबन मण्डल में होता है। आकाश मण्डल में चन्द्रमा और सितारों का मिलन होता है। इस बेहद के मधुबन मण्डल में सूर्य और चन्द्रमा दोनों का मिलन होता है। इन दोनों के मिलन से सितारों को ज्ञान सूर्य द्वारा शक्ति का विशेष वरदान मिलता है और चन्द्रमा द्वारा स्नेह का विशेष वरदान मिलता है। जिससे लवली और लाइट हाउस बन जाते हैं। यह दोनों शक्तियाँ सदा साथ-साथ रहें। माँ का वरदान और बाप का वरदान दोनों सदा सफलता स्वरूप बनाते हैं। सभी ऐसे सफलता के श्रेष्ठ सितारे हो। सफलता के सितारे सर्व को सफलता स्वरूप बनने का सन्देश देने के लिए जा रहे हो। किसी भी वर्ग वाली आत्मायें जो भी कोई कार्य कर रहीं हैं, सभी का मुख्य लक्ष्य यही है कि हम अपने कार्य में सफल हो जाएं। और सफलता क्यों चाहते हैं, क्योंकि समझते हैं हमारे द्वारा सभी को सुख शान्ति की प्राप्ति हो। चाहे अपने नाम के स्वार्थ से करते हैं, अल्पकाल के साधनों से करते हैं लेकिन लक्ष्य स्व-प्रति वा सर्व-प्रति सुख शान्ति का है। लक्ष्य सभी का ठीक है लेकिन लक्ष्य प्रमाण स्व स्वार्थ के कारण धारण नहीं कर सकते हैं। इसलिए लक्ष्य और लक्षण में अन्तर होने के कारण सफलता को पा नहीं सकते। ऐसी आत्माओं को अपने मुख्य लक्ष्य को प्राप्त करने का सहज साधन यही सुनाओ -एक शब्द का अन्तर करने से सफलता का मन्त्र प्राप्त हो जायेगा। वह है - ‘स्वार्थ के बजाए सर्व के सेवा-अर्थ’। स्वार्थ लक्ष्य से दूर कर देता है। सेवा अर्थ यह संकल्प लक्ष्य प्राप्त करने में सहज सफलता प्राप्त कराता है। किसी भी लौकिक चाहे अलौकिक कार्य अर्थ निमित्त हैं, उसी अपने-अपने कार्य में सन्तुष्टता वा सफलता सहज पा लेंगे। इस एक शब्द के अन्तर का मन्त्र हर वर्ग वाले को सुनाना।
सारे कलह-कलेश, हलचल, अनेक प्रकार के विश्व के चारों ओर के हंगामे इस एक शब्द - ‘‘स्वार्थ’’ के कारण हैं। इसलिए सेवा भाव समाप्त हो गया है। जो भी जिस भी आक्यूपेशन वाले हों जब अपना कार्य आरम्भ करते हैं तो क्या संकल्प लेते हैं? निस्वार्थ सेवा का संकल्प करते हैं लेकिन लक्ष्य और लक्षण चलते-चलते बदल जाता है। तो मूल कारण चाहे कोई भी विकार आता है उसका बीज है - ‘‘स्वार्थ’’। तो सभी को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की सफलता की चाबी दे आना। वैसे भी लोग मुख्य चाबी ही भेंट करते हैं। तो आप सभी को सफलता की चाबी भेंट करने के लिए जा रही हो और सब कुछ दे देते हैं लेकिन खज़ाने की चाबी कोई नहीं देता है। जो और कोई नहीं देता वही आप देना। जब सर्व खज़ानों की चाबी उनके पास हो गई तो सफलता है ही। अच्छा - आज तो सिर्फ मिलने के लिए आये हैं।
राजतिलक तो 21 जन्म मिलता ही रहेगा और स्मृति का तिलक भी संगम के नाम-संस्कार के दिन बापदादा द्वारा मिल ही गया है। ब्राह्मण हैं ही - स्मृति के तिलकधारी और देवता हैं राज्य तिलकधारी। बाकी बीच का फरिश्ता स्वरूप, उसका तिलक है - सम्पन्न स्वरूप का तिलक, समान स्वरूप का तिलक। बापदादा कौन सा तिलक लगायेंगे? सम्पन्न और समान स्वरूप का तिलक। और सर्व विशषताओं की मणियों से सजा हुआ ताज। ऐसे तिलकधारी, ताजधारी फरिश्ते स्वरूप सदा डबल लाइट के तख्तनशीन श्रेष्ठ आत्मायें हो। बापदादा इसी अलौकिक श्रृंगार से सेरीमनी मना रहे हैं। ताजधारी बन गये ना! ताज, तिलक और तख्त। यही विशेष सेरीमनी है। सभी सेरीमनी मनाने आये हो ना। अच्छा!
सभी देश और विदेश के सफलता के सितारों को बापदादा सफलता की माला गले में डाल रहे हैं। कल्प-कल्प के सफलता के अधिकारी विशेष आत्मायें हो। इसलिए सफलता जन्म सिद्ध अधिकार, हर कल्प का है। इसी निश्चय, नशे में सदा उड़ते चलो। सभी बच्चे याद और प्यार की मालायें हर रोज बड़े स्नेह की विधि पूर्वक बाप को पहुँचाते हैं। इसी की कापी भक्त लोक भी रोज माला जरूर पहनाते हैं। जो सच्ची लगन में मगन रहने वाले बच्चे हैं वह अमृतवेले बहुत बढ़िया स्नेह के श्रेष्ठ संकल्पों के रत्नों की मालायें, रूहानी गुलाब की मालायें रोज बापदादा को अवश्य पहनाते हैं, तो सभी बच्चों की मालाओं से बापदादा श्रृंगारे होते हैं। जैसे भक्त लोग भी पहला कार्य अपने ईष्ट को माला से सजाने का करते हैं। पुष्प अर्पण करते हैं। ऐसे ज्ञानी तू आत्मायें स्नेही बच्चे भी बापदादा को अपने उमंग उत्साह के पुष्प अर्पण करते हैं। ऐसे स्नेही बच्चों को स्नेह के रिटर्न में बापदादा पद्मगुणा स्नेह की, वरदानों की, शक्तियों की मालायें डाल रहे हैं। सभी का खुशी का डान्स भी बापदादा देख रहे हैं। डबल लाइट बन उड़ रहे हैं और उड़ाने के प्लैन बना रहे हैं। सभी बच्चे विशेष पहला नम्बर अपना नाम समझ पहले नम्बन में मेरी याद बाप द्वारा आई है ऐसे स्वीकार करना। नाम तो अनेक हैं। लेकिन सभी नम्बरवार याद के पात्र हैं। अच्छा –
मधुबन वाले सभी शक्तिशाली आत्माएँ हो ना। अथक सेवा का पार्ट भी बजाया और स्व-अध्ययन का पार्ट भी बजाया। सेवा में शक्तिशाली बन अनेक जन्मों का भविष्य और वर्तमान बनाया। सिर्फ भविष्य नहीं लेकिन वर्तमान भी मधुबन वालों का नाम बाला है। तो वर्तमान भी बनाया, भविष्य भी जमा किया। सभी ने शारीरिक रेस्ट ले ली। अब फिर सीजन के लिए तैयार हो गए, सीजन में बीमार नहीं होना है, इसलिए वह भी हिसाब-किताब पूरा किया। अच्छा –
जो भी आये हैं सभी को लाटरी तो मिल ही गई। आना अर्थात् पद्मगुणा जमा होना। मधुबन में आत्मा और शरीर दोनों की रिफ्रेशमेन्ट हैं। अच्छा -’’
जगदीश भाई से - सेवा में शक्तियों के साथ पार्ट बजाने के निमित्त बनना यह भी विशेष पार्ट है। सेवा से जन्म हुआ, सेवा से पालना हुई और सदा सेवा में आगे बढ़ते चलो। सेवा के आदि में पहला पाण्डव ड्रामा अनुसार निमित्त बने। इसलिए यह भी विशेष सहयोग का रिटर्न है। सहयोग सदा प्राप्त है और रहेगा। हर विशेष आत्मा की विशेषता है। उसी विशेषता को सदा कार्य में लगाते विशेषता द्वारा विशेष आत्मा रहे हो। सेवा के भण्डार में जा रहे हो। विदेश में जाना अर्थात् सेवा के भण्डार में जाना। शक्तियों के साथ पाण्डवों का भी विशेष पार्ट है। सदा चान्स मिलते रहे हैं और मिलते रहेंगे। ऐसे ही सभी में विशेषता भरना। अच्छा –
मोहिनी बहन के साथ:- सदा विशेष साथ रहने का पार्ट है। दिल से भी सदा साथ और साकार रूप में श्रेष्ठ साथ की वरदानी हो। सभी को इसी वरदान द्वारा साथ का अनुभव कराना। अपने वरदान से औरों को भी वरदानी बनाना। मेहनत से मुहब्बत क्या होती है। मेहनत से छूटना और मुहब्बत में रहना - यह सबको विशेष अनुभव हो, इसलिए जा रही हो। विदेशी आत्मायें मेहनत नहीं करना चाहती हैं, थक गई हैं। ऐसी आत्माओं को सदा के लिए साथ अर्थात् मुहब्बत में मगन रहने का सहज अनुभव कराना। सेवा का चान्स यह भी गोल्डन लाटरी है। सदा लाटरी लेने वाली सहज पुरुषार्थी। मेहनत से मुहब्बत का अनुभव क्या है - ऐसी विशेषता सभी को सुनाकर स्वरूप बना देना। जो दृढ़ संकल्प किया वह बहुत अच्छा किया। सदा अमृतवेले ये दृढ़ संकल्प रिवाइज करते रहना। अच्छा –
बाम्बे वालों के लिए याद प्यार - बाम्बे में सबसे पहले सन्देश देना चाहिए। बाम्बे वाले बिजी भी बहुत रहते हैं। बिजी रहने वालों को बहुत समय पहले से सन्देश देना चाहिए, नहीं तो उल्हाना देंगे कि हम तो बिजी थे, आपने बताया भी नहीं। इसलिए उन्हों को अभी से अच्छी तरह जगाना है। तो बाम्बे वालों को कहना कि अपने जन्म की विशेषता को सेवा में विशेष लगाते चलो। इसी से सफलता सहज अनुभव करेंगे। हरेक के जन्म की विशेषता है, उसी विशेषता को सिर्फ हर समय कार्य में लगाओ। अपनी विशेषता को स्टेज पर लाओ। सिर्फ अन्दर नहीं रखो, स्टेज पर लाओ। अच्छा –