07-11-89   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


तीनों सम्बन्धों की सहज और श्रेष्ठ पालना

अव्यक्त बापदादा अपने बच्चों प्रति बोले –

आज विश्व-स्नेही बापदादा चारों ओर के विशेष बाप-स्नेही बच्चों को देख रहे हैं। बाप का स्नेह और बच्चों का स्नेह दोनों एक-दो से ज्यादा ही है। स्नेह मन को और तन को अलौकिक पंख लगाए समीप ले आता है। स्नेह ऐसा रूहानी आकर्षण है जो बच्चों को बाप की तरफ आकर्षित कर मिलन मनाने के निमित्त बन जाता है। मिलन मेला चाहे दिल से, चाहे साकार शरीर से-दोनों अनुभव स्नेह की आकर्षण से ही होता है। रूहानी परमात्म-स्नेह ने ही आप ब्राह्मणों को दिव्य जन्म दिया। आज अभी-अभी रूहानी स्नेह की सर्चलाइट द्वारा चारों ओर के ब्राह्मण बच्चों की स्नेहमयी सूरतें देख रहे हैं। चारों ओर के अनेक बच्चों के दिल के स्नेह के गीत, दिल का मीत बापदादा सुन रहे हैं। बापदादा सर्व स्नेही बच्चों को चाहे पास हैं, चाहे दूर होते भी दिल के पास हैं, स्नेह के रिटर्न में वरदान दे रहे हैं –

‘‘सदा खुशनसीब भव! सदा खुशनुमा भव। सदा खुशी की खुराक द्वारा तन्दरूस्त भव! सदा खुशी के खज़ाने से सम्पन्न भव!''

रूहानी स्नेह ने दिव्य जन्म दिया, अब वरदाता बापदादा के वरदानों से दिव्य पालना हो रही है। पालना सभी को एक द्वारा, एक ही समय, एक जैसी मिल रही है। लेकिन मिली हुई पालना की धारणा नम्बरवार बना देती है। वैसे विशेष तीनों सम्बन्ध की पालना अति श्रेष्ठ भी है और सहज भी है। बापदादा द्वारा वर्सा मिलता, वर्से की स्मृति द्वारा पालना होती - इसमें कोई मुश्किल नहीं। शिक्षक द्वारा दो शब्दों की पढ़ाई की पालना में भी कोई मुश्किल नहीं। सतगुरू द्वारा वरदानों के अनुभूति की पालना - इसमें भी कोई मुश्किल नहीं। लेकिन कई बच्चों के धारणा की कमज़ोरी के कारण समय-प्रति-समय सहज को मुश्किल बनाने की आदत बन गई है। मेहनत करने के संस्कार सहज अनुभव करने से मजबूर कर देते हैं और मजबूर होने के कारण, धारणा की कमज़ोरी के कारण परवश हो जाते हैं। ऐसे परवश बच्चों की जीवनलीला देख बापदादा को ऐसे बच्चों पर रहम आता है। क्योंकि बाप के रूहानी स्नेह की निशानी यही है-कोई भी बच्चे की कमी, कमज़ोरी बाप देख नहीं सकते। अपने परिवार की कमी अपनी कमी होती है, इसलिए बाप को घृणा नहीं लेकिन रहम आता है। बापदादा कभी-कभी बच्चों की आदि से अब तक की जन्मपत्री देखते हैं। कई बच्चों की जन्मपत्री में रहम-ही-रहम होता है और कई बच्चों की जन्मपत्री राहत देने वाली होती है। अपनी आदि से अब तक की जन्मपत्री चेक करो। अपने आपको देख करके जान सकते हो - तीनों सम्बन्ध के पालना की धारणा सहज और श्रेष्ठ है? क्योंकि सहज चलना दो प्रकार का है-एक है वरदानों से सहज जीवन और दूसरी है लापरवाही, डोंट-केयर - इससे भी सहज चलते हैं। वरदानों से वा रूहानी पालना से सहज चलने वाली आत्मायें केयरफुल होंगी, डोंट-केयर नहीं होंगी। लेकिन अटेन्शन का टेन्शन नहीं होगा। ऐसी केयरफुल आत्माओं का समय, साधन और सरकमस्टांश प्रमाण ब्राह्मण परिवार का साथ, बाप की विशेष मदद सहयोग देती है। इसलिए सब सहज अनुभव होता है। तो चेक करो-यह सब बातें मेरी सहयोगी हैं? इन सब बातों का सहयोग ही सहजयोगी बना देता है। नहीं तो कभी छोटा सा सरकमस्टांश, साधन, समय, साथी आदि भले होते चींटी समान हैं लेकिन छोटी चींटी महारथी को भी मूर्च्छित कर देती है। मूर्च्छित अर्थात् वरदानों की सहज पालना की श्रेष्ठ स्थिति से नीचे गिरा देती है। मजबूर और मेहनत-यह दोनों मूर्च्छित की निशानी हैं। तो इस विधि से अपनी जन्मपत्री को चेक करो। समझा क्या करना है?

अच्छा - सदा तीनों सम्बन्धों की पालना में पलने वाले, सदा सन्तुष्टमणि बन सन्तुष्ट रहने और सन्तुष्टता की झलक फैलाने वाले, सदा फास्ट पुरुषार्थी बन स्वयं को फर्स्ट जन्म में फर्स्ट अधिकार प्राप्त कराने वाले, ऐसे खुशनसीब बच्चों को वरदाता बाप का यादप्यार और नमस्ते।

पार्टियों से मुलाकात

सभी दूर-दूर से आये हैं। सबसे दूर से तो बापदादा आते हैं। आप कहेंगे-हमको तो मेहनत लगती है। बापदादा के लिए भी, बेहद में रहने वाले और हद में प्रवेश हो-यह भी तो न्यारी बात हो जाती है। फिर भी लोन लेना होता है। आप लोग टिकट लेते हो बाप लोन लेता है। सभी को वरदान मिले? चाहे 7-8 तरफ से आये हो लेकिन हर जोन का कोई-न-कोई है ही। इसलिए सब जोन यहाँ हाजिर हैं। विदेश भी और देश भी है। इन्टरनेशनल ग्रुप हो गया ना। अच्छा।

तमिलनाडु ग्रुप:- सबसे बड़ा ग्रुप तमिलनाडु है। तमिलनाडु की विशेषता क्या है? स्नेह के वायब्रेशन को कैच करते हैं। बाप से स्नेह अविनाशी लिफ्ट बन जाती है। सीढ़ी पसन्द है या लिफ्ट पसन्द है? सीढ़ी है मेहनत, लिफ्ट है सहज। तो स्नेह में कभी भी अलबेले नहीं होना, नहीं तो लिफ्ट जाम हो जायेगी। क्योंकि अगर लाइट बन्द हो जाती है तो लिफ्ट का क्या हाल होता है? लाइट बन्द होने से, कनेक्शन खत्म होने से जो सुख की अनुभूति होनी चाहिए वह नहीं होती। तो स्नेह में अलबेलापन है तो बाप से करेन्ट नहीं मिलेगी, इसलिए फिर लिफ्ट काम नहीं करेगी। स्नेह अच्छा है, अच्छे में अच्छा करते रहना। तो इस लिफ्ट की गिफ्ट को साथ ले जाना।

मैसूर ग्रुप:- मैसूर की विशेषता क्या है? मैसूर निवासी बच्चों को बापदादा गिफ्ट दे रहे हैं -’’संगमयुग की सुहावनी मौसम का फल''। संगमयुग का फल क्या है? मौसम का फल जो होता है वह मीठा होता है। बिना मौसम का फल कितना भी बढ़िया हो लेकिन अच्छा नहीं होता। तो मैसूर निवासी बच्चों को संगमयुग के मौसम का फल है ‘‘प्रत्यक्षफल''। अभी-अभी श्रेष्ठ कर्म किया और अभी- अभी कर्म का प्रत्यक्ष फल मिला। इसलिए सदा अपने को इस नशे की स्मृति में रखना कि हम संगमयुग के मौसम का प्रत्यक्षफल खाने वाले हैं, प्राप्त करने वाले हैं। वैसे भी वृद्धि अच्छी कर रहे हैं। तमिलनाडु में भी वृद्धि बहुत अच्छी हो रही है।

ईस्टर्न जोन ग्रुप:- ईस्ट से क्या निकलता है? सूर्य निकलता है ना। तो ईस्टर्न जोन वालों को बापदादा एक विशेष पुष्प दे रहे हैं। वह है विशेषता के आधार पर। ‘‘सूर्यमुखी'' जो सदा ही सूर्य की सकाश में खिला हुआ रहता है। मुख सूर्य की तरफ होता है इसलिए सूर्यमुखी कहा जाता है और उसकी सूरत भी देखेंगे तो जैसे सूर्य की किरणें होती हैं - ऐसे चारों ओर उसकी पंखुड़ी किरणों के समान सार्किल में होती हैं। तो सदा ज्ञान-सूर्य बापदादा के सम्मुख रहने वाले, कभी भी ज्ञानसू र्य से दूर होने वाले नहीं। सदा समीप और सदा सम्मुख। इसको कहते हैं सूर्यमुखी फूल। तो ऐसे सूर्यमुखी पुष्प के समान सदा ज्ञान-सूर्य के प्रकाश से स्वयं भी चमकने वाले और दूसरों को भी चमकाने वाले - यह है ईस्टर्न जोन की विशेषता। वैसे भी देखो ज्ञान सूर्य ईस्टर्न जोन से प्रगट हुआ है। प्रवेशता तो हुई ना! तो ईस्टर्न जोन वाले सबको अपने राज्य, दिन में ले जाने वाले, रोशनी में ले जाने वाले हैं।

बनारस ग्रुप:- बनारस की विशेषता क्या है? हर एक में रूहानी रस भरने वाले। बिना रस नहीं, रस के बिना नहीं हैं। लेकिन सर्व में रूहानी रस भरने वाले, सभी को परमात्म-स्नेह का, प्रेम का रस अनुभव कराने वाले। क्योंकि जब बाप के प्रेम के रस में भरपूर हो जाते हैं तो और सर्व रस फीका लगता है। आत्माओं में परमात्म-प्रेम का रस भरने वाले। क्योंकि वहाँ भक्ति का रस बहुत है। भक्ति के रस वालों को परमात्म-प्रेम रस का अनुभव कराने वाले। सदा ज्यादा रस किसमें होता है? बनारस वाले सुनाओ। रसगुल्ले में। देखो नाम ही पहले रस से शुरू होता है। तो सदा ज्ञान का रसगुल्ला खाने वाले और खिलाने वाले। तो सदैव अमृतवेले पहले मन को, मुख को रसगुल्ले से मीठा बनाने वाले और औरों को भी मन से और मुख से मीठा बनाने वाले। इसलिए बनारस को मिठाई दे रहे हैं - रसगुल्ला।

बम्बई ग्रुप:- बाम्बे को पहले से ही वरदान मिला हुआ है - नरदेसावर अर्थात् सभी को साहूकार बनाने वाला। नरदेसावर का अर्थ ही है जो सदा धन से सम्पन्न रहता है। बाम्बे वालों की विशेषता है -’’गरीब को साहूकार बनाने वाले'' जो बाप का टाइटल है -’’गरीब निवाज।'' तो बाम्बे वालों को भी बापदादा टाइटल दे रहे हैं -’’गरीब-निवाज बाप के बच्चे, गरीबों को साहूकार बनाने वाले।'' इसलिए सदा स्वयं भी खज़ानों से सम्पन्न और औरों को भी सम्पन्न बनाने वाले। इसलिए विशेषता है गरीब निवाज बाप के सहयोगी साथी। तो बाम्बे वालों को टाइटल दे रहे हैं। मिठाई नहीं, टाइटल।

कुल्लू-मनाली ग्रुप:- कुल्लू मनाली की विशेषता क्या है? कुल्लू में देवताओं का मेला लगता है जो और कहीं नहीं लगता। तो कुल्लू और मनाली वालों को देवताओं के मिलन का स्थान कहा जाता है। तो देवता का अर्थ ही है ‘‘दिव्यगुणधारी''। दिव्यगुणों की धारणा का यादगार देवता रूप है। तो देवताओं के प्यार का, मिलन का सिम्बल इस धरनी का है। इसलिए बापदादा ऐसे धरनी के निवासी बच्चों को विशेष दिव्यगुणों का गुलदस्ता गिफ्ट में दे रहे हैं। इसी दिव्यगुणों के गुलदस्ते द्वारा चारों ओर आत्मा और परमात्मा का मेला करते रहेंगे। वह देवताओं का मेला करते हैं, आप दिव्यगुणों के गुलदस्ते द्वारा आत्मा-परमात्मा का मेला मना भी रहे हो लेकिन और जोर-शोर से मेला मनाओ जो सब देखें। देवताओं का मेला तो देवताओं का रहा लेकिन यह मेला तो सर्वश्रेष्ठ मेला है। इसलिए दिव्यगुणों के खुशबूदार गुलदस्ते की गिफ्ट को सदा अपने साथ रखो।

मीटिंग वालों के प्रति:- मीटिंग वाले किसलिए आये हैं? सेटिंग करने। प्रोग्राम की सेटिंग, स्पीकर्स की सेटिंग। सीटिंग कर सेटिंग करने के लिए आये हो। जैसे स्पीच के लिए सेट किया है या प्रोग्राम बनाया है, ऐसे ही स्पीकर्स या जो भी आने वाले ऑब्जर्वर हैं, उन्हों को अभी से ऐसे श्रेष्ठ वायब्रेशन दो जो वह सिर्फ स्पीच की स्टेज थोड़े टाइम के लिए सेट नहीं करें लेकिन सदा अपने श्रेष्ठ स्टेज पर सेट हो जाएँ। इसलिए बापदादा मीटिंग वालों को अविनाशी सेटिंग की मशीन गिफ्ट में देते हैं जिससे सेट करते रहना। आजकल तो मशीनरी युग है ना। मनुष्यों द्वारा जो कार्य बहुत समय लेता है वो मशीनरी द्वारा सहज और जल्दी हो जाता है। तो अभी अपने सेटिंग की मशीनरी ऐसे प्रयोग में लाओ जो बहुत जल्दी-से-जल्दी सेटिंग होती जाए। क्योंकि अपनी सुनहरी दुनिया वा सुखमय दुनिया के प्लैन अनुसार सीट तो सबकी सेट करनी है ना। प्रजा को भी सेट करना है तो प्रजा की प्रजा को भी सेट करना है। राजे-रानी तो सेट हो रहे हैं लेकिन रॉयल फैमिली है, साहूकार फैमिलीज हैं, फिर प्रजा है, दास-दासी हैं - कितनी सेटिंग करनी है! तो अब सेटिंग की मशीनरी को मीटिंग वाले विशेष फास्ट बनाओ। फास्ट बनाना अर्थात् अपने को फास्ट पुरुषार्थी बनाना। यह उसका स्विच है। मशीन का स्विच होता है ना। तो फास्ट मशीनरी का स्विच है-फास्ट पुरुषार्थी बनना अर्थात् फास्ट सेटिंग की मशीनरी को ऑन करना। बड़ी जिम्मेवारी है। तो अभी अपने राजधानी के सेटिंग की मशीनरी को फास्ट करो।

डबल विदेशी ग्रुप:- डबल विदेशी बच्चे आजकल सेटेलाइट की योजना कर रहे हैं। बाप को प्रत्यक्ष करने की धुन में बहुत अच्छे आगे बढ़ रहे हैं। इसलिए बापदादा सदा सेट डबल लाइट रहने' की गिफ्ट दे रहे हैं। वो सेटेलाइट का प्रोग्राम करने का सोच रहे हैं और बापदादा सदा सेट डबल लाइट की गिफ्ट दे रहे हैं। सदा अपनी डबल लाइट की स्थिति में सेट रहने वाले - ऐसे डबल विदेशी बच्चों को बापदादा दिलाराम अपने दिल का स्नेह गिफ्ट में दे रहे हैं। अमेरिका निवासी बच्चे विशेष याद कर रहे हैं। बहुत अच्छे उमंग-उत्साह से विश्व में सेवा करने का साधन अच्छा बना है। यू.एन. भी सेवा की साथी बनी हुई है। भारत सेवा वा फाउण्डेशन है। इसलिए भारत का भी विशेष सर्विसएबुल साथी (जगदीश जी) गये हुए हैं। फाउण्डेशन भारत है और प्रत्यक्षता के निमित्त विदेश। प्रत्यक्षता का आवाज दूर से भारत में नगाड़ा बनकर के आयेगा। बच्चों के वायब्रेशन आ रहे हैं। वैसे तो लंदन निवासी भी साथी हैं, आस्ट्रेलिया वाले भी विशेष सेवा के साथी हैं, अफ्रीका भी कम नहीं। सभी देशों का सहयोग अच्छा है। बापदादा देशविदेश के हर एक निमित्त बने हुए सेवाधारी बच्चों को अपनी-अपनी विशेषता प्रमाण विशेष यादप्यार दे रहे हैं। हर एक की महिमा अपनी-अपनी है। एक-एक की महिमा वर्णन करें तो कितनी हो! लेकिन बापदादा के दिल में हर एक बच्चे की विशेषता की महिमा समाई हुई है।

मधुबन निवासी सेवाधारी भी सेवा के हिम्मत की मदद देने वाले हैं। इसलिए जैसे बाप के लिए गाया हुआ है-’’हिम्मते बच्चे मददे बाप'', इसी रीति से जो भी सेवा चलती है, सीजन चलती है-तो मधुबन निवासी भी हिम्मत के स्तम्भ बनते हैं और मधुबन वालों की हिम्मत से आप सबको रहने, खाने, सोने, नहाने की मदद मिलती है। इसलिए बापदादा सभी मधुबन निवासी बच्चों को हिम्मत की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।