06-03-97   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


शिवजयन्ती की गिफ्ट- मेहनत को छोड़ मुहब्बत के झूले में झूलो

आज स्वयं शिव पिता अपने चारों ओर के आये हुए बच्चों से अपनी जयन्ति मनाने आये हैं। कितना बच्चों का भाग्य है जो स्वयं बाप मिलने और मनाने आये हैं। दुनिया वाले तो पुकारते रहते हैं - आओ, कब आयेंगे, किस रूप में आयेंगे, आह्वान करते रहते हैं और आप बच्चों से स्वयं बाप मनाने के लिए आये हैं। ऐसा विचित्र दृश्य कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा, लेकिन आज साकार रूप में मनाने के लिए भाग-भाग कर पहुंच गये हो। बाप भी चारों ओर के बच्चों को देख हर्षित होते हैं - वाह सालिग्राम बच्चे वाह! वाह साकार स्वरूपधारी होवनहार फरिश्ता सो देवता बच्चे वाह! भक्त बच्चों और आप ज्ञानी तू आत्मा बच्चों में कितना अन्तर है। भगत भावना का, अल्पकाल का फल पाकर खुश हो जाते हैं। वाह-वाह के गीत गाते रहते हैं और आप ज्ञानी तू आत्मायें बच्चे थोड़ा सा अल्पकाल का फल नहीं पाते लेकिन बाप से पूरा वर्सा ले, वर्से के अधिकारी बन जाते हो। तो भक्त आत्मायें और ज्ञानी तू आत्मा बच्चों में कितना अन्तर है! मनाते भक्त भी हैं और मनाने आप भी आये हैं लेकिन मनाने में कितना अन्तर है! शिव जयन्ती मनाने आये हो ना! भाग-भाग कर आये हैं कोई अमेरिका से, कोई लण्डन से, कोई आस्ट्रेलिया से, कोई एशिया से, कितना स्नेह से आकर पहुंचे हैं। तो बापदादा, बाप की जयन्ती साथ में बच्चों की भी जयन्ती है, तो बाप के साथ बच्चों के भी जयन्ती की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। क्योंकि अकेला बाप इस साकार दुनिया में सिवाए बच्चों के कोई भी कार्य कर नहीं सकता। इतना बच्चों से प्यार है। अकेला कर ही नहीं सकता। पहले बच्चों को निमित्त बनाते फिर बैकबोन होकर वा कम्बाइन्ड होकर, करावनहार होकर निमित्त बच्चों से कार्य कराते हैं। साकार दुनिया में अकेला, बच्चों के बिना नहीं पसन्द करता। निराकारी दुनिया में तो आप बच्चे बाप को अकेला छोड़कर चले जाते हो। बाप की आज्ञा से ही जाते हो लेकिन साकार दुनिया में बाप बच्चों के बिना रह नहीं सकते। बच्चे जरूर साथ चाहिए। बच्चों का भी वायदा है साथ रहेंगे, साथ चलेंगे - सिर्फ निराकारी दुनिया तक।

बापदादा देख रहे थे कि सभी बच्चों को बाप की जयन्ती मनाने का कितना उमंग-उत्साह है। तो बाप भी देखो बच्चों के स्नेह में आपके साथ साकार शरीर का लोन लेकर पहुंच गये हैं। इसको कहते हैं अलौकिक प्यार। बच्चे बाप के बिना नहीं रह सकते और बाप बच्चों के बिना नहीं रह सकते। प्यार भी अति है और फिर न्यारे भी अति हैं, इसीलिए बाप की महिमा ही है न्यारा और प्यारा। बच्चे बाप के लिए बहुत प्रकार की गिफ्ट चाहे कार्ड, चाहे कोई चीज़े, चाहे दिल के उमंग के पत्र, जो भी लाये हैं बाप के पास आज के दिन वतन में सब गिफ्ट का म्युजियम लगा हुआ है। आपका म्युजियम है सेवा का और बाप का म्युजियम है स्नेह का। तो जो भी सभी लाये हैं वा भेजे हैं सबका स्नेह सम्पन्न गिफ्ट बाप के पास अभी भी म्युजियम लगा हुआ है। जिन्हों को देख-देख बाप हर्षाते रहते हैं। चीज़ बड़ी नहीं है लेकिन जब चीज़ में स्नेह भर जाता है तो वह छोटी चीज़ भी बहुत महान बन जाती है। तो बापदादा चीज़ को नहीं देखते हैं, कागज के कार्ड को या पत्र को नहीं देखते हैं लेकिन उसमें समाये हुए दिल के स्नेह को देखते हैं। इसीलिए कहा कि बाप के पास स्नेह का म्युजियम है। ऐसा म्युजियम आपके वर्ल्ड में नहीं है। है ऐसा म्युजियम? नहीं है। जब बाप एक- एक प्यार की गिफ्ट को देखते हैं तो देखते ही बच्चे की सूरत उसमें दिखाई देती है। ऐसा कैमरा है आपके पास? नहीं है। गिफ्ट को देखते हुए बापदादा को एक शुभ संकल्प उठा, बतायें? करना पड़ेगा। करेंगे, तैयार हैं? सोचना नहीं।

बापदादा को संकल्प उठा यह गिफ्ट तो बाप के पास पहुंच गई लेकिन साथ में बापदादा को एक और भी गिफ्ट चाहिए। आप लोगों की गिफ्ट बहुत अच्छी है लेकिन बापदादा को और भी चाहिए। तो देंगे गिफ्ट? वैसे भी यह जो यादगार मनाते हैं, शिव जयन्ती अर्थात् कुछ न कुछ अर्पण करते हैं। बलिहार जाते हैं। तो बापदादा ने सोचा, बलिहार तो सब बच्चे गये हैं। बलिहार हो गये हैं या अभी थोड़ा-थोड़ा अपने पास सम्भालकर रखा है? आज के दिन व्रत भी लेते हैं। तो बापदादा को संकल्प आया कि बच्चे जो कभी-कभी थोड़ा सा चलते-चलते थक जाते हैं, मेहनत बहुत महसूस करते हैं या निरन्तर योग लगाना मुश्किल अनुभव करते हैं, सोचते हैं हो तो जायेगा.... बाप को दिलासे देते हैं - आप फिकर नहीं करो, हो जायेगा। लेकिन बापदादा को बच्चों की थकावट वा अकेलापन या कभी-कभी, कोई-कोई थोड़ा सा दिलशिकस्त भी हो जाते हैं, पता नहीं हमारा भाग्य है या नहीं है .... कभी-कभी ऐसा सोचते हैं तो यह बाप को अच्छा नहीं लगता। सबसे ज्यादा बाप को बच्चों की मेहनत अच्छी नहीं लगती। मालिक और मेहनत! बाप के भी बालक सो मालिक हैं। भगवान के भी मालिक और फिर मेहनत करें! तो अच्छा लगेगा? सुनना भी अच्छा नहीं लगता। तो बाप को संकल्प आया कि बच्चे बर्थ डे की गिफ्ट तो जरूर देते ही हैं तो क्यों नहीं आज के दिन सभी बच्चे यह गिफ्ट के रूप में दें। वह स्थूल गिफ्ट जो दी वह तो वतन में इमर्ज हो गई, लेकिन निराकारी दुनिया में तो यह गिफ्ट इमर्ज नहीं होगी। वहाँ तो संकल्प की गिफ्ट पहुंचती है। तो बाप को संकल्प आया कि आज के दिन सब बच्चों से गिफ्ट लेनी है। तो गिफ्ट देंगे या देकर फिर वहाँ जाकर वापस ले लेंगे? कहेंगे, मधुबन का मधुबन में रहा और अपने देश में अपना देश है, ऐसे तो नहीं करेंगे? बच्चे बड़े चतुर हो गये हैं। बाप को कहते हैं कि हम चाहते तो नहीं हैं वापस आये, लेकिन आ जाती है। आ जाती है तो आप स्वीकार क्यों करते हो? आ जाती है यह राइट है, लेकिन कोई चीज़ आपको पसन्द नहीं है और कोई जबरदस्ती भी दे तो आप लेंगे या वापस दे देंगे? वापस देंगे ना? तो स्वीकार क्यों करते हो? माया तो वापस लायेगी लेकिन आप स्वीकार नहीं करो। ऐसी हिम्मत है? सोचकर कहो। फिर वहाँ जाकर नहीं कहना - बाबा क्या करूं, चाहते नहीं हैं लेकिन हो गया। ऐसे पत्र तो नहीं लिखेंगे? आपकी हिम्मत और बाप की मदद। हिम्मत कम नहीं करना फिर देखो बाप की मदद मिलती है या नहीं। सभी को अनुभव भी है कि हिम्मत रखने से बाप की मदद समय पर मिलती है और मिलनी ही है, गैरन्टी है। हिम्मत आपकी मदद बाप की। तो संकल्प क्या हुआ? चेहरे देख रहे हैं - हिम्मत है या नहीं है! हिम्मत वाले तो हो, क्योंकि अगर हिम्मत नहीं होती तो बाप के बनते नहीं। बन गये - इससे सिद्ध होता है कि हिम्मत है। सिर्फ छोटी सी बात करते हो कि समय पर हिम्मत को थोड़ा सा भूल जाते हो। जब कुछ हो जाता है ना तो पीछे हिम्मत वा मदद याद आती है। समय पर सब शक्तियां, समय प्रमाण यूज करना इसको कहा जाता है ज्ञानी तू आत्मा, योगी तू आत्मा।

बापदादा को एक बात की बहुत खुशी है, पता है किस बात की? बोलो। (बहुतों ने सुनाया) सब ठीक बोल रहे हो लेकिन बाप का संकल्प और है। आप बहुत गुह्य सुना रहे हो, नॉलेजफुल हो गये हो ना।

बापदादा खुश हो रहे थे कि कई बच्चों ने पत्र और चिटकी लिखी है कि हम 108 में आयेंगे, बहुत चिटकियां आई हैं। बापदादा ने सोचा जब इतने 108 में आयेंगे, तो 108 की माला पांच लड़ियों की बनानी पड़ेगी। तो 5- 6-7-8 लड़ियों की माला बनायें ना? जिन्होंने संकल्प किया है, लक्ष्य रखा है बहुत अच्छा है। लेकिन सिर्फ इस संकल्प को बीच-बीच में दृढ़ करते रहना। ढीला नहीं करना। ऐसे तो नहीं कहेंगे माया आ गई - अब पता नहीं आयेंगे या नहीं! पता नहीं, पता नहीं...नहीं करना। पता कर लिया, आना ही है। दृढ़ता का ठप्पा लगाते रहना। हाँ मुझे आना ही है, कुछ भी हो जाए, मेरा निश्चय अटल है, अखण्ड है। ऐसा अटल-अखण्ड निश्चय है? तो माया को हिलाने के लिए भेजें? नहीं? डरते हो? माया आपसे डरती है और आप माया से डरते हो? माया अपने दरवाजे देखती है, यहाँ खुला हुआ है, यहाँ खुला हुआ है। ढूंढती रहती है। आप घबराते क्यों हो? माया कुछ नहीं है। कुछ नहीं कहो तो कुछ नहीं हो जायेगी। आ नहीं सकती, आ नहीं सकती, तो आ नहीं सकती। क्या करें....? तो माया का दरवाजा खोला, आह्वान किया। तो अच्छी बात है कि बहुत बच्चों ने 108 में आने की प्रॉमिस किया है। किया है ना? जिन्होंने कहा है कि हम 108 में आयेंगे - वह लम्बा हाथ उठाओ। अच्छी तरह से ड्रिल करो। बहुत अच्छा, मुबारक हो। यह नहीं सोचो कि 108 में कितने आयेंगे, हम कहाँ आयेंगे - यह नहीं सोचो। पहले गिनती करने लग जाते हैं - दादी आयेंगी, दीदी आयेंगी, फिर दादे भी आयेंगे, एडवांस पार्टी वाले भी आयेंगे। हमारा नम्बर आयेगा या नहीं, पता नहीं! बापदादा ने कहा कि बापदादा 8-10 लड़ों की माला बना देंगे, इसलिए आप यह चिंता नहीं करो। औरों को नहीं देखो, आपको नम्बर मिल ही जाना है, यह बाप की गैरन्टी है। आप किनारा नहीं करना। माला के बीच में धागा खाली नहीं करना। एक दाना बीच से टूट जाए, निकल जाए तो माला अच्छी नहीं लगेगी। सिर्फ यह नहीं करना, बाकी बाबा की गैरन्टी है आप जरूर आयेंगे।

आज तो मनाने आये हैं, मुरली चलाने थोड़ेही आये हैं। तो और जो भी हो वह माला में आ जाओ, 108 की माला में सबको वेलकम है। यह तो भक्ति मार्ग वालों ने 108 की माला बना ली। बापदादा तो कितनी भी बढ़ा सकता है। सिर्फ इसमें गिफ्ट तो बाप जरूर लेगा, गिफ्ट को नहीं छोड़ेगा। छोटी सी गिफ्ट है कोई बड़ी नहीं है, क्योंकि बाप ने सभी बच्चों का 6 मास का चार्ट देखा। तो क्या देखा? अगर कोई भी बच्चे थोड़ा भी नीचे-ऊपर होते हैं, अचल से हलचल में आते हैं तो उसका कारण सिर्फ 3 बातें मुख्य हैं, वही तीन बातें भिन्न-भिन्न समस्या या परिस्थिति बनकर आती हैं। वह तीन बातें क्या हैं?

अशुभ वा व्यर्थ सोचना। अशुभ वा व्यर्थ बोलना और अशुभ वा व्यर्थ करना। सोचना, बोलना और करना - इसमें टाइम वेस्ट बहुत होता है। अभी विकर्म कम होते हैं, व्यर्थ ज्यादा होते हैं। व्यर्थ का तूफान हिला देता है और पहले सोच में आता है, फिर बोल में आता है, फिर कर्म में आता है और रिजल्ट में देखा तो किसी का बोल और कर्म में नहीं आता है लेकिन सोचने में बहुत आता है। जो समय बनाने का है, वह सोचने में बीत जाता है। तो बापदादा आज यह तीन बातें सोचना, बोलना और करना - इनकी गिफ्ट सभी से लेने चाहते हैं। तैयार हैं? जिन्होंने दे दी वह हाथ उठाओ। हाथ का वीडियो अच्छी तरह से एक-एक साइड का निकालो। बड़ा हाथ उठाओ। ड्रिल नहीं करते हो इसीलिए मोटे हो जाते हो। अच्छा-सभी ने यह दे दिया। वापस नहीं लेना। यह नहीं कहना कि मुख से निकल गया, क्या करें? मुख पर दृढ़ संकल्प का बटन लगा दो। दृढ़ संकल्प का बटन तो है ना? क्योंकि बापदादा को बच्चों से प्यार है ना। तो प्यार की निशानी है, प्यार वाले की मेहनत देख नहीं सकते। बापदादा तो उस समय यही सोचते कि बापदादा साकार में जाकर इनको कुछ बोले, लेकिन अब तो आकारी, निराकारी है। बिल्कुल सभी मेहनत से दूर मुहब्बत के झूले में झूलते रहो। जब मुहब्बत के झूले में झूलते रहेंगे तो मेहनत समाप्त हो जायेगी। मेहनत को खत्म करें, खत्म करें नहीं सोचो। सिर्फ मुहब्बत के झूले में बैठ जाओ, मेहनत आपेही छूट जायेगी। छोड़ने की कोशिश नहीं करो, बैठने की, झूलने की कोशिश करो।

शिव जयन्ती अर्थात् बच्चों के मेहनत समाप्त की जयन्ती। ठीक है ना? बाप को भी बच्चों पर फेथ है। पता नहीं कैसे कोई-कोई किनारा कर लेते हैं जो बाप को भी पता नहीं पड़ता। छत्रछाया के अन्दर बैठे रहो। ब्राह्मण जीवन का अर्थ ही है झूलना, माया में नहीं। माया भी झुलाती है। अमृतवेले देखो माया ऐसे झुलाती है जो सूक्ष्मवतन में आने के बजाए, निराकारी दुनिया में आने के बजाए निद्रालोक में चले जाते हैं। कहते हैं योग डबल लाइट बनाता है लेकिन माथा भारी हो जाता है। तो माया भी झूला झुलाती है लेकिन माया के झूले में नहीं अचानक के पेपर में पास होना है तो अलबेलेपन को छोड़ अलर्ट बनो। 42 झूलना। आधाकल्प तो माया के झूले में खूब झूलकर देखा है ना। क्या मिला? मिला कुछ? थक गये ना! अभी अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलो, खुशी के झूले में झूलो। शक्तियों की अनुभूतियों के झूले में झूलो। इतने झूले आपको मिले हैं जो यहाँ के प्रिन्स-प्रिन्सेज को भी नहीं होंगे। चाहे जिस झूले में झूलो। अभी प्रेम के झूले में झूलो, अभी आनंद के झूले में झूलो। अभी ज्ञान के झूले में झूलो। कितने झूले हैं! अनगिनत। तो झूले से उतरो नहीं। जो लाडले होते हैं ना तो मांबाप यही चाहते हैं कि बच्चे का पांव मिट्टी में नहीं पड़े या गोदी में हो या झूले में हो या गलीचों में हो। मिट्टी में पांव नहीं जाये। ऐसे होता है ना? तो आप कितने लाडले हो! आप जैसा लाडला कोई है? परमात्म लाडले बच्चे अगर देहभान में आते हैं तो देह क्या है? मिट्टी है ना! देह को क्या कहते हैं? मिट्टी, मिट्टी में मिल जायेगी। तो यह मिट्टी है ना। मिट्टी में पांव क्यों रखते हो? मिट्टी अच्छी लगती है? कई बच्चों को मिट्टी अच्छी लगती है, कई मिट्टी खाते भी हैं। लेकिन आप नहीं खाना, पांव भी नहीं रखो। संकल्प आना अर्थात् पांव रखना। संकल्प में भी देह-भान नहीं आवे। सोचो, याद रखो कि हम कितने लाडले हैं, किसके लाडले हैं! सतयुग में भी परमात्म लाडले नहीं होंगे। दिव्य आत्माओं के लाडले होंगे। लेकिन इस समय परमात्म बाप के लाडले हो। तो बच्चों ने हिम्मत के हाथ से गिफ्ट दी इसलिए बापदादा उसकी थैंक्स करते हैं, शुक्रिया, धन्यवाद।

अच्छा - आज डबल विदेशियों का विशेष दिन है। आये भी बहुत हैं। जो डबल विदेशी बैठे हैं वह हाथ उठाओ। हाल में पौना हिस्सा डबल विदेशी हैं। बाप भी स्वागत करते हैं भले आये, सदा आओ। देखो, बच्चे बढ़ते जाते हैं और पृथ्वी छोटी होती जाती है। जब यह हाल बना था तो सोचते थे इतना हाल भरेगा? अभी हाल तो क्या लेकिन कितनी नीचे गीता पाठशालायें बन गई हैं। बहुत बच्चे नीचे बैठे हैं। (मधुबन में मुरली सुन रहे हैं) अभी देखो नीचे (शान्तिवन) का हाल बनाया तो भी कहते हैं कि संख्या देनी पड़ेगी। इतना बड़ा हाल क्यों बनाया? संख्या देने के लिए या फ्रीडम देने के लिए? इससे क्या सिद्ध होता है? आप सभी को विश्व का मालिक बनना है। तो विश्व का मालिक बनने वाले इतने बड़े, उनके लिए सब छोटा हो जाता है। हाल तो कुछ भी नहीं है, सारी विश्व आपको मिलनी ही है।

(बापदादा ने ड्रिल कराई) मन के मालिक हो ना! तो सेकण्ड में स्टॉप, तो स्टॉप हो जाए। ऐसा नहीं आप कहो स्टॉप और मन चलता रहे, इससे सिद्ध है कि मालिकपन की शक्ति कम है। अगर मालिक शक्तिशाली है तो मालिक के डायरेक्शन बिना मन एक संकल्प भी नहीं कर सकता। स्टॉप, तो स्टॉप। चलो, तो चले। जहाँ चलाने चाहो वहाँ चले। ऐसे नहीं कि मन को बहुत समय की व्यर्थ तरफ चलने की आदत है, तो आप चलाओ शुद्ध संकल्प की तरफ और मन जाये व्यर्थ की तरफ। तो यह मालिक को मालिकपन में चलाना नहीं आता। यह अभ्यास करो। चेक करो स्टॉप कहने से, स्टॉप होता है? या कुछ चलकर फिर स्टॉप होता है? अगर गाड़ी में ब्रेक लगानी हो लेकिन कुछ समय चलकर फिर ब्रेक लगे, तो वह गाड़ी काम की है? ड्राइव करने वाला योग्य है कि एक्सीडेंट करने वाला है? ब्रेक, तो फौरन सेकण्ड में ब्रेक लगनी चाहिए। यही अभ्यास कर्मातीत अवस्था के समीप लायेगा। संकल्प करने के कर्म में भी फुल पास। कर्मातीत का अर्थ ही है हर सबजेक्ट में फुल पास। 75 परसेन्ट, 90 परसेन्ट भी नहीं, फुल पास। यह अवस्था तब आयेगी जब अपने अनुभव में सर्व शक्तियों का स्टॉक प्रैक्टिकल यूज़ में आवे। पहले भी सुनाया - सर्व शक्तियां बाप ने दी, आपने ली लेकिन समय पर यूज़ होती हैं या नहीं, सिर्फ स्टॉक ही है! सिर्फ स्टॉक है लेकिन समय पर यूज नहीं हुआ तो होना या न होना एक ही बात है। यह अनुभव करो परिस्थिति बहुत नाजुक है लेकिन आर्डर दिया मन बुद्धि को कि न्यारे होकर खेल देखो तो परिस्थिति आपके इस अचल स्थिति के आसन के नीचे दब जायेगी। सामना नहीं करेगी। आसन नहीं छोड़ो, आसन में बैठने का अभ्यास ही सिंहासन प्राप्त करायेगा। अगर आसन पर बैठना नहीं आता है, कभी-कभी बैठना आता है तो सिंहासन में भी कभी-कभी बैठेंगे। आसन ही सिंहासन प्राप्त कराता है। अब आसन है फिर सिंहासन है। हलचल वाला आसन पर एकाग्र होकर बैठ नहीं सकता। इसीलिए कहा व्यर्थ समाप्त, अशुभ समाप्त - तो अचल हो जायेंगे और अचल स्थिति के आसन पर सहज और सदा स्थित हो सकेंगे। देखो आप सबका यादगार यहाँ अचलघर है। अचलघर देखा है ना? यह किसका यादगार है? आप सबके स्थिति का यादगार यह अचलघर है। अनुभव करो, ट्रायल करते जाओ, यूज करते जाओ। ऐसे नहीं समझ लेना, हाँ सब शक्तियां तो हैं ही। समय पर यूज़ हों। यूज़ नहीं करेंगे तो लौकिक कार्य करते समय पर धोखा मिल सकता है। इसलिए छोटी-मोटी परिस्थिति में यूज करके देखो। परिस्थितियां तो आनी ही हैं, आती भी हैं। पहले भी बापदादा ने कहा है कि वर्तमान समय अनुभव करते हुए चलो। हर शक्ति का अनुभव करो, हर गुण का अनुभव करो। ऐसे अनुभवी मूर्त बनो जो कोई भी आवे तो आपके अनुभव की मदद से उस आत्मा को प्राप्ति हो जाए। दिन-प्रतिदिन आत्मायें शक्तिहीन हो रही हैं, होती रहेंगी। ऐसी आत्माओं को आप अपनी शक्तियों की अनुभूति यों से सहारा बन अनुभव करायेंगे। अच्छा। मालिक हैं ना! तो मालेकम सलाम, बाप कहते हैं - मालिकों को सलाम। अच्छा।

(66 देशों से बाबा के बच्चे आये हैं) 66 देशों के बच्चों को पदमगुणा मुबारक हो। आखिर तो विश्व में आप ही चारों ओर फैल जायेंगे। जहाँ देखेंगे वहाँ सफेद वस्त्रधारी फरिश्ते दिखाई देंगे। अच्छा।

अमेरिका:- अमेरिका के कितने देशों से आये हैं? (19) 19 देशों के हाथ उठाओ। अमेरिका क्या जलवा दिखायेंगे? देखो नाम बहुत अच्छा है- अमेरिका माना आ मेरे आ। तो अमेरिका सभी खोये हुए बच्चों को आ मेरे, आ मेरे कहके बाप का बना देंगे। ऐसे है ना? बढ़ रहे हैं ना वहाँ? बढ़ते रहेंगे।

अफ्रीका:- (अफ्रीका के 13 देश वाले आये हैं) सब हाथ उठाओ। इसमे साउथ अफ्रीका, मौरीशियस भी है? अफ्रीका क्या करेंगे? अफ्रीका आफरीन के लायक बनेंगे। सेवा का ऐसा नगाड़ा बजायेंगे जो चारों ओर से यही निकले आफरीन है, आफरीन है।

एशिया:- (एशिया के 13 देशों से आयें हैं) एशिया क्या करेगा? सर्व आत्माओं की आशायें पूरी करे। जब सब आत्माओं की आशायें पूरी होंगी तो सब कहेंगे वाह एशिया वाह!

यूरोप:- (यूरोप के 17 देशों से आये हैं) उसमें लण्डन भी है? यूरोप तो विदेश का फाउण्डेशन है। तो फाउण्डेशन सदा ही सबकी नज़रों में आता है कि फाउण्डेशन कितना पक्का है! यूरोप से ही फाउण्डेशन फैला है और भिन्न-भिन्न शाखायें फैली हैं। पहले नम्बर में दो पत्ते निकलते हैं, जब बीज डालते हैं तो दो पत्ते निकलते हैं। तो पहले सेन्टर कौन से निकले? लण्डन और साथ में हांगकांग। तो दो पत्तों की ही कमाल हुई ना। दो पत्तों से तना निकला, तना से डालियां निकली, डालियों से शाखायें निकली और डबल विदेश का वृक्ष हरा भरा हो गया। तो यूरोप के दो पत्ते लण्डन और हांगकांग को बहुत-बहुत पदमगुणा मुबारक हो। (यूरोप वाले हाथ उठाओ) पहले पत्ते हैं तो विस्तार तो होगा ना।

मिडिल ईस्ट:- (3 देशों से आये हैं) यह अच्छे हैं, अभी-अभी आगे बढ़ रहे हैं। अभी थोड़े हैं, अभी मिडिल को मॉडल लेना चाहिए। इतनी सेवा बढ़ाओ जो सब देश वाले आपको मिडिल नहीं, मॉडल लेने वाले कहें। बढ़ायेंगे ना? विश्व का कल्याण होना है तो मिडिल वालों का कल्याण तो करना ही है। नहीं तो विश्व का एक कोना छूटा रह जायेगा तो अच्छा नहीं है। इसीलिए जब भी कोई आपको कहे ना मिडिल ईस्ट है तो कहो नहीं मॉडल इस्ट है।

रशिया:- रशिया के टोटल हाथ उठाओ। अच्छे हैं। रशिया वाले क्या करेंगे? रशिया में ज्यादा समय कम्युनिस्ट का राज्य रहा है और अभी रशिया में देवताओं का राज्य होगा क्योंकि भारत के नजदीक है ना। तो भारत के आसपास आ जायेगा, स्वर्ग बन जायेगा। जो दूर दूर देश हैं, वह दूर होंगे। रशिया नजदीक है, तो देवताओं का राज्य अभी तो नहीं है लेकिन बहुत समय कम्युनिस्ट का रहा है ना, अभी स्वतन्त्र है। अभी फिर राजा-रानी का राज्य होगा। राजा-रानी का राज्य पसन्द है? बहुत अच्छा। वृद्धि बहुत जल्दी-जल्दी हो रही है। बापदादा सेवा से खुश हैं। रशिया वालों ने कहा था ना कि हम बापदादा को फूलों की पंखुडियां डालेंगे, तो ऐसे हाथ कर लो, डल गई और ही खुशबू आ गई। दिल के स्नेह के पुष्प बाप के पास पहुंच गये। अच्छा।

आस्ट्रेलिया- आस्ट्रेलिया हाथ उठाओ। आस्ट्रेलिया के कम आये हैं। आस्ट्रेलिया को अभी फर्स्ट जाना है। आस्ट्रेलिया में बापदादा के बहुत अच्छे आदि रत्न हैं लेकिन अभी थोड़े गुप्त हो गये हैं। भट्ठी में चले गये हैं। अभी रिट्रीट हाउस मिला है ना तो अभी बाहर आयेंगे। फिर आस्ट्रेलिया का झुण्ड दिखाई देगा। आस्ट्रेलिया नक्शे में बहुत बड़ा है तो ब्राह्मण परिवार में भी बड़ा होगा। थोड़ा भट्ठी में पक रहे हैं। आस्ट्रेलिया से बापदादा का बहुत प्यार है क्योंकि लण्डन और आस्ट्रेलिया की रेस थी, लण्डन से भी ज्यादा संख्या आस्ट्रेलिया की थी, अभी गुप्त हो गये हैं। प्रत्यक्ष होंगे। अभी अननोन हैं, वेलनोन हो जायेंगे। अच्छा।

डबल विदेशी रिफ्रेश हो गये? आपके लिए खास बापदादा आये हैं। डबल विदेशियों से डबल प्यार है।

फर्स्ट टाइम वालों से:- फर्स्ट टाइम वाले हाथ उठाओ। बहुत हैं। आज बाप की जयन्ती है तो आप जो पहली बारी आये हैं, तो बाप उन्हों का भी विशेष आज के दिन नया बर्थ डे मना रहे हैं। बर्थ डे का गीत गाओ। अच्छा है। अलौकिक बर्थ डे की पदमगुणा मुबारक हो, बधाई हो। अच्छा।

(आज शिवबाबा के बर्थ डे पर ब्रह्मा बाबा ने कौन सी गिफ्ट बाप को दी?)

ब्रह्मा बाप ने सब पहले ही दे दी है, कुछ रखा ही नहीं। जब सम्पूर्ण बनें तब सब दे दी। उसके पास कुछ है ही नहीं। बच्चों के पास छिपा हुआ है तब तो देंगे। अभी सिर्फ ब्रह्मा बाप आप बच्चों का इन्तजार कर रहा है। रोज़ बांहे पसार कर आओ बच्चे, आओ बच्चे कहते हैं। तो बाप समान बनो और चलो वतन में। परमधाम का दरवाजा ही नहीं खोलते हैं। आपके लिए रूका हुआ है। ब्रह्मा बाबा तो बीच-बीच में कहते हैं, दरवाजा खोलो, दरवाजा खोलो। लेकिन बाप कहते हैं अभी थोड़ा रूको, थोड़ा रूको।

अच्छा-डबल विदेशी सब अच्छी तरह से मिले ना! बड़ा परिवार तो बड़े परिवार में सब बांटना पड़ता है। छोटे परिवार में तो छोटे में बांटा जाता है। बड़ा हो गया तो बड़े के अनुसार ही बांटा जाता है। आप सोचो बड़ा नहीं हो तो राज्य किस पर करेंगे! 5-10 पर करेंगे क्या? इतने 108 माला के दाने तैयार हो गये हैं, तो लोग तो चाहिए जिस पर राज्य करो। इसीलिए बड़ा परिवार होना ही है। अच्छा।

चारों ओर के अति-अति भाग्यवान बच्चे जो स्वयं शिव बाप से शिवजयंती मना रहे हैं, ऐसे पदमगुणा तो क्या लेकिन जितना भी ज्यादा में ज्यादा कहो वह भी थोड़ा है। ऐसे महान भाग्यवान आत्मायें, सदा बाप की आज्ञा पर हर कदम रखने वाले बाप के स्नेही और समीप आत्मायें, सदा मालिकपन के अचल आसन निवासी सो भविष्य सिंहासन निवासी श्रेष्ठ आत्माओं को, सदा बाप के साथ-साथ मौज से मुहब्बत के झूले में झूलते हुए साथ चलने वाले ऐसे बापदादा के साथी बच्चों को बापदादा का बर्थ डे की मुबारक और यादप्यार स्वीकार हो, बाप का सभी मालिकों को नमस्ते।

दादियों से:- अपने-अपने आसन पर बैठ जाओ, छोटी सी राज दरबार है ना। स्वराज्य अधिकारी राजायें अपनी दरबार में बैठ जाओ। (सभा से) आप सभी को भी राज दरबार अच्छी लगती है ना? यह संगम की दरबार है। आप सभी भी नीचे नहीं बैठे हो, ऊपर बैठे हो। देखो यह सिंहासन पर हैं और आप सभी दिल के सिंहासन पर हैं। यह सिंहासन तो छोटा है, दिल का सिंहासन तो बहुत बड़ा है।

(निर्वैर भाई ने बापदादा को गुलदस्ता दिया और मुबारक दी) आपको भी मुबारक। सभी पाण्डवों की तरफ से यह आपकी याद ले आये इसीलिए पाण्डवों को खास मुबारक हो। शक्तियों की तरफ से तो बहुत शक्तियां आई ही हैं इसलिए बहुत-बहुत मुबारक।

आप लोगों को नशा रहता है ना कि हम सिंहासन के अधिकारी हैं? आज फरिश्ते और कल तख्तनशीन। एक एक बच्चा तख्तनशीन बनना ही है। ऐसे नहीं समझना हम शायद प्रजा में जायेंगे, नहीं। रॉयल फैमिली में आना ही है। जब बाप के बने हो तो संगमयुग के वर्से के साथ चाहे राजा बनो, चाहे रॉयल फैमिली के बनों। बनना ही है। राज्य परिवार में आना ही है। समझा।

डबल विदेशियों के बीच में भारतवासी छिप गये हैं। भारतवासी हाथ उठाओ। भारतवासी तो हर एक के मुख पर हैं ही। भारत महान है, भारत स्वर्ग है, भारत ऊंचा है। तो भारतवासी तो ऊंचे हैं ही लेकिन भारतवासी महादानी हैं, डबल विदेशियों को चांस देते हैं इसलिए महादानी भव:।

(बाबा भी भारत का है) बाबा विश्व का है, सिर्फ भारत का नहीं है। विश्व कल्याणकारी है, भारत का कल्याणकारी तो छोटा हो जायेगा। विश्व कल्याणकारी अर्थात् विश्व का बाप है। भारत तो हद हो जायेगी। इसलिए बाप स्वर्ग में नहीं आता, हद हो जायेगी ना। बेहद का बाप बेहद में ही रहता है। डबल विदेशी सदा सर्व वरदानों से भरपूर भव:। बापदादा जानते हैं कितनी मेहनत से एक-एक डालर कहो या जो भी मनी है, वह जमा करके आते हैं। मेहनत और मुश्किलात भारतवासियों को है, विदेशियों को तो प्लेन में बैठे और आ गये। भारतवासियों को तो ट्रेन और बसों में आना पड़ता है लेकिन एक-एक डालर जमा करने की जो टैक्ट (युक्ति) है, वह डबल विदेशियों में ज्यादा है।

शान्तिवन के लिए भी अपने पेट की रोटी बचाकर के भी कर रहे हैं। बापदादा जानते हैं खुद दाल रोटी खायेंगे, शान्तिवन में भेजेंगे। चाहे भारतवासी भी, चाहे विदेशी - सबकी ज्ञान सरोवर चाहे शान्तिवन में जान लगी हुई है। दिल से प्यार है। (आगे क्या होना है?) आगे भी हो जायेगा। शान्तिवन भी अभी पूरा बना नहीं है इसीलिए नेक्स्ट नहीं कहते हैं।

(विनाश के पहले एक-एक कान्टीनेंट में एक-एक बार बाबा आये) देखो, ड्रामा। बाप लण्डन में भी आये, लेकिन मधुबन की महिमा तो मधुबन की है। आगे चलकर क्या होता है, वह बताने से मजा खत्म हो जायेगा। इसीलिए देखो आगे क्या होता है! अच्छा, सौगात को पार्सल कर दिया! वापस नहीं लेना। अच्छा-डबल विदेशी खुश हैं? डबल विदेशी सब आराम से रहे हुए हैं? (सभी भवन फुल हैं) कोई पटरानी नहीं बने हैं? अभी पटरानी बनायेंगे। आपकी जो अटैची है ना, उसको बिस्तरा बनाना, कम से कम तकिया तो बन सकता है। यह भी दृश्य अच्छा होगा ना, अटैची का तकिया होगा, सब आराम से विष्णु के माफिक लेटे हुए होंगे। कितना अच्छा होगा। डबल विदेशियों को पटरानी जरूर बनायेंगे। देखो शुरू-शुरू में स्थापना में पहले यह सभी विशेष आत्मायें तीन फुट की जगह पर सोई हैं। चार फुट भी नहीं, तीन फुट, पट में। विशेष महारथी पट में सोते थे तो जो आदि में हुआ वह आप अन्त में करेंगे ना! कारण तो नहीं बतायेंगे कि कमर में दर्द हो गया? जब कोई भी दर्द होता है ना तो डाक्टर्स भी कहते हैं - सीधा-सीधा पट जैसा सोओ। बेड पर नहीं सोओ, संदल पर सीधा सोओ तो हेल्थ भी ठीक हो जायेगी। यह तो सब एवररेडी हैं। डबल विदेशी अर्थात् डबल एवररेडी। अच्छा। खूब मनाओ।

(बापदादा ने अपने हस्तों से झण्डा लहराया तथा सबको शिवजयन्ती की बधाईयां दी)

सभी बच्चों ने शिव पिता का झण्डा लहराया। ऐसे ही जैसे इस हाल में झण्डा लहराया है, ऐसे सारे विश्व के हाल में यह न्यारा और प्यारा झण्डा जल्दी से जल्दी लहरायेंगे। सबके मुख से, दिल से यही गीत बजेगा, आ गया, आ गया, हमारा बाप आ गया। सबकी दिल से खुशी की तालियां बजेंगी। इसलिए यह झण्डा तो निमित्त-मात्र है लेकिन बहुत ऊंचे ते ऊंचा बाप आ गया, आ गया, जो आना था वो आ गया। हम सबको ले जाने वाला आ गया, यही मन से झण्डा विश्व में लहरेगा। आप सब देखेंगे और आप सबको सफेद-सफेद फरिश्तों के रूप में देखेंगे। बाप के साथ आप सभी के भी गीत गायेंगे। हमारे पूज्य देवीदेवता यें आ गये, आ गये। सिर्फ आप थोड़ा जल्दी तैयार हो जाओ फिर बहुत जल्दी झण्डा लहरायेंगे। फिर सभी पेरशानी से छूट जायेंगे। अच्छा-सभी को प्यारे और न्यारे झण्डे की मुबारक हो।