15-12-2001 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
"एकव्रता बन पवित्रता की धारणा द्वारा रूहानियत में रह मनसा सेवा करो"
आज रूहानी बाप चारों ओर के रूहानी बच्चों की रूहानियत को देख रहे हैं। हर एक बच्चे में रूहानियत की झलक कितनी है? रूहानियत नयनों से प्रत्यक्ष होती है। रूहानियत की शक्ति वाली आत्मा सदा नयनों से औरों को भी रूहानी शक्ति देती है। रूहानी मुस्कान औरों को भी खुशी की अनुभूति कराती है। उनकी चलन, चेहरा फ़रिश्तों के समान डबल लाइट दिखाई देता है। ऐसी रूहानियत का आधार है पवित्रता। जितनी-जितनी मन-वाणी-कर्म में पवित्रता होगी उतना ही रूहानियत दिखाई देगी। पवित्रता ब्राह्मण जीवन का शृंगार है। पवित्रता ब्राह्मण जीवन की मर्यादा है। तो बापदादा हर बच्चे की पवित्रता के आधार पर रूहानियत को देख रहे हैं। रूहानी आत्मा इस लोक में रहते हुए भी अलौकिक फ़रिश्ता दिखाई देगी।
तो अपने आपको देखो, चेक करो - हमारे संकल्प, बोल में रूहानियत है? रूहानी संकल्प अपने में भी शक्ति भरने वाले हैं और दूसरों को भी शक्ति देते हैं। जिसको दूसरे शब्दों में कहते हो रूहानी संकल्प मनसा सेवा के निमित्त बनते हैं। रूहानी बोल स्वयं को और दूसरे को सुख का अनुभव कराते हैं। शान्ति का अनुभव कराते हैं। एक रूहानी बोल अन्य आत्माओं के जीवन में आगे बढ़ने का आधार बन जाता है। रूहानी बोल बोलने वाला वरदानी आत्मा बन जाता है। रूहानी कर्म सहज स्वयं को भी कर्मयोगी स्थिति का अनुभव कराते हैं और दूसरों को भी कर्मयोगी बनाने के सैम्पुल बन जाते हैं। जो भी उनके सम्पर्क में आते हैं वह सहजयोगी, कर्मयोगी जीवन का अनुभवी बन जाते हैं। लेकिन सुनाया रूहानियत का बीज है पवित्रता। पवित्रता स्वप्न तक भी भंग न हो तब रूहानियत दिखाई देगी। पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं, लेकिन हर बोल ब्रह्माचारी हो, हर संकल्प ब्रह्माचारी हो, हर कर्म ब्रह्माचारी हो। जैसे लौकिक में कोई-कोई बच्चे की सूरत बाप समान होती है तो कहा जाता है कि इसमें बाप दिखाई देता है। ऐसे ब्रह्माचारी ब्राह्मण आत्मा के चेहरे में रूहानियत के आधार पर ब्रह्मा बाप समान अनुभव हो। जो सम्पर्क वाली आत्मायें अनुभव करें - यह बाप समान है। चलो 100 परसेन्ट नहीं भी हो तो समय अनुसार कितनी परसेन्ट दिखाई दे? कहाँ तक पहुँचे हैं? 75 परसेन्ट, 80 परसेन्ट, 90 परसेन्ट, कहाँ तक पहुँचे हैं? यह आगे की लाइन बताओ, देखो बैठने में तो आपको नम्बर आगे मिला है। तो ब्रह्माचारी बनने में भी नम्बर आगे होंगे ना! हैं आगे कि नहीं?
बापदादा हर बच्चे की पवित्रता के आधार पर रूहानियत देखने चाहते हैं। बापदादा के पास सबका चार्ट है। बोलते नहीं हैं लेकिन चार्ट है, क्या-क्या करते हैं, कैसे करते हैं, सब बापदादा के पास चार्ट है। पवित्रता में भी अभी कोई-कोई बच्चों की परसेन्टेज़ बहुत कम है। समय के अनुसार विश्व की आत्मायें आप आत्माओं को रूहानियत का सैम्पुल देखने चाहती हैं। इसका सहज साधन है - सिर्फ एक शब्द अटेन्शन में रखो, बार-बार उस एक शब्द को अपने आप अण्डरलाइन करो, वह एक शब्द है - एकव्रता भव। जहाँ एक है वहाँ एकाग्रता स्वत: ही आ जाती है। अचल, अडोल स्वत: ही बन जाते हैं। एकव्रता बनने से एकमत पर चलना बहुत सहज हो जाता है। जब है ही एकव्रता तो एक की मत से एकमती सद्गति सहज हो जाती है। एकरस स्थिति स्वत: ही बन जाती है। तो चेक करो - एकव्रता हैं? सारे दिन में मनबुद्धि एकव्रता रहता है? हिसाब में भी आदि हिसाब एक से शुरू होता है। एक बिन्दी और एक शब्द, एक अंक लगाते जाओ, एक बिन्दी लगाते जाओ तो कितना बढ़ता जायेगा! तो और कुछ भी याद नहीं आवे, एक शब्द तो याद रहेगा ना! समय, आत्मायें आप एकव्रता आत्माओं को पुकार रहे हैं। तो समय की पुकार, आत्माओं की पुकार - हे देव आत्मायें सुनने नहीं आती? प्रकृति भी आप प्रकृतिपति को देख-देख पुकार रही है - हे प्रकृतिपति रूहानी संकल्प स्वयं में व दूसरों में शक्ति भरने वाले हैं आत्मायें, अब परिवर्तन करो। यह तो बीच-बीच में छोटे-छोटे झटके लग रहे हैं। बिचारी आत्माओं को बार-बार दु:ख के, भय के झटके नहीं खिलाओ। आप मुक्ति दिलाने वाली आत्मायें मास्टर मुक्तिदाता कब इन आत्माओं को मुक्ति दिलायेंगे? क्या मन में रहम नहीं आता? कि समाचार सुन करके चुप हो जाते हो, बस, हो गया, सुन लिया। इसलिए बापदादा हर बच्चे का अभी मर्सीफुल स्वरूप देखने चाहते हैं। अपनी हद की बातें अभी छोड़ दो, मर्सीफुल बनो। मनसा सेवा में लग जाओ। सकाश दो, शान्ति दो, सहारा दो। अगर मर्सीफुल बन औरों को सहारा देने में बिजी रहेंगे तो हद की आकर्षणों से, हद की बातों से स्वत: ही दूर हो जायेंगे। मेहनत से बच जायेंगे। वाणी की सेवा में बहुत समय दिया, समय सफल किया, सन्देश दिया। आत्माओं को सम्बन्ध सम्पर्क में लाया, ड्रामानुसार अब तक जो किया वह बहुत अच्छा किया। लेकिन अभी वाणी के साथ मनसा सेवा की ज्यादा आवश्यकता है। और यह मनसा सेवा हर एक नया, पुराना, महारथी, घोड़ेसवार, प्यादा सब कर सकते हैं। इसमें बड़े करेंगे, हम तो छोटे हैं, हम तो बीमार हैं, हम तो साधनों वाले नहीं हैं..... कोई भी आधार नहीं चाहिए। यह छोटे-छोटे बच्चे भी कर सकते हैं। बच्चे, मनसा सेवा कर सकते हैं ना? (हाँ जी) इसलिए अभी वाचा और मनसा सेवा का बैलेन्स रखो। मनसा सेवा से आप करने वालों को भी बहुत फायदा है। क्यों? जिस आत्मा को मनसा सेवा अर्थात् संकल्प द्वारा शक्ति देंगे, सकाश देंगे वह आत्मा आपको दुआ देगी। और आपके खाते में स्व का पुरूषार्थ तो है ही लेकिन दुआओं का खाता भी जमा हो जायेगा। तो आपका जमा खाता डबल रीति से बढ़ता जायेगा। इसलिए चाहे नये हैं, चाहे पुराने हैं, क्योंकि इस बारी नये बहुत आये हैं ना! नये जो पहले बारी आये हैं, वह हाथ उठाओ। पहले बारी आये हुए बच्चों से भी बापदादा पूछते हैं कि आप आत्मायें मनसा सेवा कर सकती हो? (बापदादा ने पाण्डवों से, माताओं से सबसे अलग-अलग पूछा आप मनसा सेवा कर सकते हो?) यह तो बहुत अच्छा हाथ उठाया, चाहे कोई टी.वी. से देख सुन रहे हैं, चाहे सम्मुख सुन रहे हैं, अभी बापदादा सभी बच्चों को जिम्मेवारी देते हैं कि रोज़ सारे दिन में कितने घण्टे मनसा सेवा यथार्थ रीति से की, उसका हर एक अपने पास चार्ट रखना। ऐसे नहीं कहना हाँ कर ली। यथार्थ रूप में कितने घण्टे मनसा सेवा की, वह हर एक चार्ट रखना। फिर बापदादा अचानक चार्ट मंगायेंगे। डेट नहीं बतायेंगे। अचानक मंगायेंगे, देखेंगे कि जिम्मेवारी का ताज पहना या हिलता रहा है? जिम्मेवारी का ताज पहनना है ना! टीचर्स ने तो जिम्मेवारी का ताज पहना हुआ है ना! अभी उसमें यह एड करना। ठीक है ना! डबल फारेनर्स हाथ उठाओ। यह जिम्मेवारी का ताज अच्छा लगता है, तो ऐसे हाथ उठाओ। टीचर्स भी हाथ उठाओ आपको देखकर सबको प्रेरणा मिलेगी। तो चार्ट रखेंगे? अच्छा, बापदादा अचानक एक दिन पूछेगा, अपना- अपना चार्ट लिखकर भेजो, फिर देखेंगे क्योंकि वर्तमान समय बहुत आवश्यकता है। अपने परिवार का दु:ख, परेशानी आप देख सकते हो! देख सकते हो? दु:खी आत्माओं को अंचली तो दो। जो आपका गीत है - एक बूंद की प्यासी हैं हम... आज के समय में सुख शान्ति के एक बूंद की आत्मायें प्यासी हैं। एक सुख-शान्ति के अमृत की बूंद मिलने से भी खुश हो जायेंगी। बापदादा बार-बार सुनाते रहते हैं - समय आपका इन्तजार कर रहा है। ब्रह्मा बाप अपने घर का गेट खोलने का इन्तजार कर रहा है। प्रकृति तीव्रगति से सफाया करने का इन्तजार कर रही है। तो हे फ़रिश्ते, अभी अपने डबल लाइट से इन्तजार को समाप्त करो। एवररेडी शब्द तो सब बोलते हो लेकिन सम्पन्न और सम्पूर्ण बनने में एवररेडी बने हो? सिर्फ शरीर छोड़ने के लिए एवररेडी नहीं बनना है, लेकिन बाप समान बनकर जाने में एवररेडी बनना है।
यह मधुबन के सब आगे-आगे बैठते हैं, अच्छा है। सेवा भी करते हैं। मधुबन वाले एवररेडी हैं? हंसते हैं, अच्छा पहली लाइन वाले महारथी एवररेडी हैं? बाप समान बनने में एवररेडी? ऐसे जाना तो एडवांस पार्टी में जायेंगे। एडवांस पार्टी तो न चाहते बढ़ती जाती है। अभी वाणी और मनसा सेवा के जहाँ एक है वहाँ एकाग्रता स्वतः ही आ जाती है बैलेन्स में बिजी हो जायेंगे तो ब्लैसिंग बहुत मिलेंगी। डबल खाता जमा हो जायेगा - पुरूषार्थ का भी और दुआओं का भी। तो संकल्प द्वारा, बोल द्वारा, वाणी द्वारा, कर्म द्वारा, सम्बन्ध-सम्पर्क द्वारा दुआयें दो और दुआयें लो। एक ही बात करो बस दुआयें देनी हैं। चाहे कोई बद्दुआ दे तो भी आप दुआ दो क्योंकि आप दुआओं के सागर के बच्चे हो। कोई नाराज़ हो आप नाराज़ नहीं हो। आप राज़ी रहो। ऐसे हो सकता है? 100 जने आपको नाराज़ करें और आप राज़ी रहो, हो सकता है? हो सकता है? दूसरी लाइन वाले बताओ हो सकता है? अभी और भी नाराज़ करेंगे, देखना! पेपर तो आयेगा ना। माया भी सुन रही है ना! बस यह व्रत लो, दृढ़ संकल्प लो - ‘‘मुझे दुआयें देनी हैं और लेनी हैं, बस’’। हो सकता है? माया भले नाराज़ करे ना! आप तो राज़ी करने वाले हो ना? तो एक ही काम करो बस। नाराज़ न होना है, नकरना है। करे तो वह करे, हम नहीं होवें। हम न करें न होवें। हर एक अपनी जिम्मेवारी ले। दूसरे को नहीं देखें, यह करती है, यह करता है, हम साक्षी होके खेल देखने वाले हैं, सिर्फ राज़ी का खेल देखेंगे क्या, नाराज़गी का भी तो बीच-बीच में देखना चाहिए ना। लेकिन हर एक अपने आपको राज़ी रखे।
मातायें, पाण्डव हो सकता है? बापदादा नक्शा देख लेंगे। बापदादा के पास बहुत बड़ी टी.वी. है, बहुत बड़ी है। एक एक का देख सकते हैं, किस समय कोई क्या कर रहा है, बापदादा देखता है लेकिन बोलता नहीं है, आपको सुनाता नहीं है। बाकी रंग बहुत देखते हैं। छिप-छिपकर क्या करते हो वह भी देखता है। बच्चों में चालाकी भी बहुत है ना! चालाक बहुत हैं। अगर बापदादा बच्चों की चालाकियां सुनायें ना तो सुनकर ही आप थोड़ा सा सोचने लगेंगे, इसलिए नहीं सुनाते हैं। आपको सोच में क्यों डालें। लेकिन करते बहुत होशियारी से हैं। अगर सबसे होशियार देखना हो तो भी ब्राह्मणों में देखो। लेकिन अभी किसमें होशियार बनेंगे? मनसा सेवा में। नम्बर आगे ले लो। पीछे नहीं रहना। इसमें कोई कारण नहीं। समय नहीं मिलता, चांस नहीं मिलता, तबियत नहीं चलती, पूछा नहीं गया, यह कुछ नहीं। सब कर सकते हो। बच्चों ने दौड़ लगाने का खेल खेला था ना, अभी इसमें दौड़ लगाना। मनसा सेवा में दौड़ लगाना। अच्छा।
कनार्टक का टर्न है - कर्नाटक वाले जो सेवा में आये हैं, वह उठो। इतने सब सेवा के लिए आये हैं। अच्छा है, यह भी सहज श्रेष्ठ पुण्य जमा करने का गोल्डन चांस मिलता है। भक्ति में कहा जाता है - एक ब्राह्मण की भी सेवा करो तो बड़ा पुण्य होता है और यहाँ कितने सच्चे ब्राह्मणों की सेवा करते हो। तो यह अच्छा चांस मिलता है ना! अच्छा लगा कि थकावट हुई? थके तो नहीं! मज़ा आया ना! अगर सच्ची दिल से पुण्य समझ करके सेवा करते हैं तो उसका प्रत्यक्ष फल है, उसको थकावट नहीं होगी, खुशी होगी। यह प्रत्यक्षफल पुण्य के जमा का अनुभव होता है। अगर थोड़ा भी किसी कारण से थकावट होती या थोड़ा सा महसूस करते तो समझो सच्ची दिल से सेवा नहीं है। सेवा अर्थात् प्रत्यक्षफल, मेवा। सेवा नहीं करते मेवा खाते हैं। तो कनार्टक के सभी सेवाधारियों ने अपनी अच्छी सेवा का पार्ट बजाया और सेवा का फल खाया।
अच्छा सभी टीचर्स ठीक हैं। टीचर्स को तो कितने बारी सीजन में टर्न मिलता है। यह टर्न मिलना भी भाग्य की निशानी है। अभी टीचर्स को मनसा सेवा में रेस करनी है। लेकिन ऐसे नहीं करना कि सारा दिन बैठ जाओ, मैं मनसा सेवा कर रही हूँ। कोई कोर्स करने वाला आवे तो आप कहो नहीं, नहीं मैं तो मनसा सेवा कर रही हूँ। कोई कर्मयोग का टाइम आवे तो कहो मनसा सेवा कर रही हूँ, नहीं। बैलेन्स चाहिए। कोई कोई को ज्यादा नशा चढ़ जाता है ना! तो ऐसा नशा नहीं चढ़ाना। बैलेन्स से ब्लैसिंग है। बैलेन्स नहीं तो ब्लैसिंग नहीं। अच्छा।
दिल्ली के सेवाधारी भी आये हैं, उठो कौन-कौन आये हैं? इन्जीनियर्स आये हैं। उद्घाटन तो कर लिया ना! अच्छा किया। सभी ठीक हैं। थक तो नहीं गये हैं? नहीं, और मकान भी बनाने के लिए देवें, एवररेडी हैं? और मकान बनाने का आर्डर देवें? अच्छा। यह तो एवररेडी हैं, विश्वकर्मा के समान जो आप आर्डर करो वह बन जायेंगे। हैं ना! ब्राह्मण परिवार के संगमयुगी विश्वकर्मा का पार्ट बजाने वाले। द्वापर वाले नहीं, संगम वाले। बहुत अच्छा है। सभी बहुत खुश हुए। मुहूर्त में सब खुश होकर आये, इसलिए सफलता है। थोड़ा-बहुत तो होता ही है। लेकिन मैजारिटी सब देख देख खुश हुए। इसलिए आप सबको दुआयें मिली। आपके खाते में दुआयें जमा हुई। ठीक है ना! एक-एक विशेष आत्मा है। किसी भी ड्युटी पर रहे लेकिन विशेष आत्मायें हैं। इसीलिए देखो आप लोगों को विशेष निमन्त्रण मिला। बहुत अच्छा किया, बापदादा और परिवार खुश है। ठीक है ना?
अभी सभी एक सेकण्ड में मनसा सेवा का अनुभव करो। आत्माओं को शान्ति और शक्ति की अंचली दो। अच्छा।
चारों ओर के सर्व श्रेष्ठ रूहानियत का अनुभव कराने वाले रूहानी आत्माओं को, सर्व संकल्प और स्वप्न में भी पवित्रता का पाठ पढ़ने वाले ब्रह्माचारी बच्चों को, सर्व दृढ़ संकल्पधारी, मनसा सेवाधारी तीव्र पुरुषार्थी आत्माओं को, सदा दुआयें देने और लेने वाले पुण्य आत्माओं को बापदादा का, दिलाराम बाप का दिल व जान, सिक व प्रेम सहित याद-प्यार और नमस्ते।
दादी जी, दादी जानकी जी से पर्सनल मुलाकात
बापदादा ने त्रिमूर्ति ब्रह्मा का दृश्य दिखाया। आप सबने देखा? क्योंकि बाप समान, बाप के हर कार्य में साथी हो ना! इसलिए यह दृश्य दिखाया। बापदादा ने आप दोनों को विशेष पावर्स की विल की है। विल पावर भी दी और सर्व पावर्स की विल भी की। इसलिए वह पावर्स अपना काम कर रही हैं। करावनहार करा रहा है, और आप निमित्त बन कर रहे हो। मजा आता है ना! करन करावनहार बाप करा रहा है। इसलिए कराने वाला करा रहा है, आप बेफिकर होकर कर रहे हैं। फिकर नहीं रहता है ना! बेफिकर बादशाह। (दादी जानकी ने कहा कि बापदादा से मास्टर डिग्री लेनी है)
मास्टर डिग्री तो पास करना ही है। हुई पड़ी है। सिर्फ थोड़ा रिपीट करना है। पास हुई पड़ी है ना! अनेक कल्प अनेक बार पास की है, अभी सिर्फ रिपीट करना है। रिपीट करने में मुश्किल नहीं होता है। नहीं तो मास्टर डिग्री प्राप्त करने वाले कौन होंगे! और आपके साथी होंगे। साथी तो चाहिए ना! लेकिन बनना तो है ही। पास हुआ पड़ा है। कितने बार पास किया है? (अनेक बार) अनेक बार किया है और हुआ ही पड़ा है। अच्छा।
तबियत के भी नॉलेजफुल। थोड़ा-थोड़ा नटखट होता है। इसमें भी नॉलेजफुल बनना ही पड़ेगा क्योंकि सेवा बहुत करनी है ना। तो तबियत भी साथ देती है। तो डबल नॉलेजफुल। अच्छा।
ओम् शान्ति।