25-03-05   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


मास्टर सूर्य बन अनुभूति की किरणें फैलाओ, विधाता बनो, तपस्वी बनो

आज बापदादा अपने चारों ओर के होलीहंस बच्चों से होली मनाने के लिए आये हैं। बच्चे भी प्यार की डोर में बंधे हुए होली मनाने के लिए पहुंच गये हैं। मिलन मनाने के लिए कितने प्यार से पहुंच गये हैं । बापदादा सर्व बच्चों के भाग्य को देख रहे थे कितना बड़ा भाग्य, जितने ही होलीएस्ट हैं उतने ही हाइएस्ट भी हैं। सारे ल्प में देखो आप सबके भाग्य से ऊंचा भाग्य और किसी का नहीं है। जानते हो ना अपने भाग्य को? वर्तमान समय भी परमात्म पालना, परमात्म पढ़ाई और परमात्म वरदानों से पल रहे हो। भविष्य में भी विश्व के राज्य धिकारी बनते हो। बनना ही है, निश्चित है, निश्चय ही है। बाद में भी जब पूज्य बनते हो तो आप श्रेष्ठ आत्माओं जैसी पूजा विधिपूर्वक और किसी की भी नहीं होती है। तो वर्तमान, भविष्य और पूज्य स्वरूप में हाइएस्ट अर्थात् ऊंचे ते ऊंचे हैं। आपके जड़ चित्र उन्हों की भी हर कर्म की पूजा होती है। अनेक धर्म पिता, महान आत्मायें हुए हैं लेकिन ऐसे विधि पूर्वक पूजा आप ऊंचे ते ऊंचे परमात्म बच्चों की होती है क्योंकि इस समय हर कर्म में कर्मयोगी बन कर्म करने की विधि का फल पूजा भी विधिपूर्वक होती है। इस संगम समय के पुरूषार्थ की प्रालब्ध मिलती है। तो ऊंचे ते ऊंचे भगवन आप बच्चों को भी ऊंचे ते ऊंची प्राप्ति कराते हैं।

होली अर्थात् पवित्रता, होलीएस्ट भी हो तो हाइएस्ट भी हो। इस ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन ही पवित्रता है। संकल्प मात्र भी अपवित्रता श्रेष्ठ बनने नहीं देती। पवित्रता ही सुख, शान्ति की जननी है। पवित्रता सर्व प्राप्तियों की चाबी है। इसलिए आप सबका स्लोगन यही है -``पवित्र बनो, योगी बनो।'' जो होली भी यादगार है, उसमें भी देखो पहले जलाते हैं फिर मनाते हैं। जलाने के बिना नहीं मनाते हैं। अपवित्रता को जलाना, योग के अग्नि द्वारा अपवित्रता को जलाते हो, उसका यादगार वह आग में जलाते हैं और जलाने के बाद जब पवित्र बनते हैं तो खुशियों में मनाते हैं। पवित्र बनने का यादगार मिलन मनाते हैं क्योंकि आप सभी भी जब अपवित्रता को जलाते हो, परमात्म संग के रंग में लाल हो जाते हो तो सर्व आत्माओं के प्रति शुभ भावना शुभ कामना का मिलन मनाते हो। इसका यादगार मंगल मिलन मनाते हैं। इसलिए बापदादा सभी बच्चों को यही स्मृति दिलाते हैं कि सदा हर एक से दुआयें लो और दुआयें दो। अपने दुआओं की शुभ भावना से मंगल मिलन मनाओ क्योंकि अगर कोई बद-दुआ देता भी है, वह तो परवश है अपवित्रता से लेकिन अगर आप बद-दुआ को मन में समाते हो तो क्या खुश रहते हो? सुखी रहते हो? कि व्यर्थ संकल्पों का क्यों, क्या, कैसे, कौन.. इस दु:ख का अनुभव करते हो। बद-दुआ लेना अर्थात् अपने को भी दु:ख और अशान्ति अनुभव कराना। जो बापदादा की श्रीमत है सुख दो और सुख लो, उस श्रीमत का उल्घंन हो जाता है। तो अभी सभी बच्चे दुआ लेना और दुआ देना सीख गये हो ना! सीखा है?

प्रतिज्ञा और दृढ़ता, दृढ़ता से प्रतिज्ञा करो - सुख देना है और सुख लेना है। दुआ देनी है, लेनी है।  है प्रतिज्ञा, हिम्मत है? जिसमें हिम्मत है आज से दृढ़ता का संकल्प लेते हैं दुआ लेंगे, दुआ देंगे, वह हाथ उठाओ। पक्का? पक्का? कच्चा नहीं होना। कच्चे बनेंगे ना - तो कच्चे फल को चिड़िया बहुत खाती है। दृढ़ता सफलता की चाबी है। सभी के पास चाबी है? है चाबी? चाबी कायम है, माया चोरी तो नहीं कर लेती? उसको भी चाबी से प्यार है। सदैव संकल्प करते हुए यह संकल्प इमर्ज करो, मर्ज नहीं, इमर्ज। इमर्ज करो मुझे करना ही है। बनना ही है। होना ही है। हुआ ही पड़ा है। इसको कहा जाता है निश्चयबुद्धि, विजयन्ती। ड्रामा विजय का बना ही पड़ा है। सिर्फ रिपीट करना है। बना बनाया ड्रामा है। बना हुआ है, रिपीट कर बनाना है। मुश्किल है? कभी-कभी मुश्किल हो जाता है! मुश्किल क्यों होता है? अपने आप ही सहज को मुश्किल कर देते हो। छोटी सी गलती कर लेते हो - पता है कौन सी गलती करते हो? बापदादा को उस समय बच्चों पर बहुत रहम क्या कहें, प्यार आता है। क्या प्यार आता है? एक तरफ तो कहते कि बाप हमारे कम्बाइन्ड है, है कम्बाइन्ड? कम्बाइन्ड है?साथ नहीं कम्बाइन्ड। कम्बाइन्ड है? डबल फारेनर्स कम्बाइन्ड है? पीछे वाले कम्बाइन्ड है? गैलरी वाले कम्बाइन्ड है?

अच्छा आज तो बापदादा को समाचार मिला कि मधुबन निवासी पाण्डव भवन, ज्ञान सरोवर और यहाँ वाले भी अलग हाल में सुन रहे हैं। तो उन्हों से भी बापदादा पूछ रहे हैं कि बापदादा कम्बाइन्ड हैं? हाथ उठा रहे हैं। जब कम्बाइन्ड है, सर्व शक्तिवान बापदादा कम्बाइन्ड है फिर अकेले क्यों बन जाते? अगर आप कमज़ोर भी हो तो बापदादा तो सर्वशक्तिवान है ना! अकेले बन जाते हो तब ही कमज़ोर बन जाते हो। कम्बाइन्ड रूप में रहो। बापदादा हर एक बच्चे के हर समय सहयोगी हैं। शिव बाप परमधाम से आये क्यों हैं? किसलिए आये हैं?बच्चों के सहयोगी बनने के लिए आये हैं। देखो ब्रह्मा बाप भी व्यक्त से अव्यक्त हुए किसलिए? साकार शरीर से अव्यक्त रूप में ज्यादा से ज्यादा सहयोग दे सकते हैं। तो जब बापदादा सहयोग देने के लिए आफर कर रहे हैं तो अकेले क्यों बन जाते? मेहनत में क्यों लग जाते? 63 जन्म तो मेहनत की है ना! क्या वह मेहनत के संस्कार अभी भी खींचते हैं क्या? मुहब्बत में रहो, लव में लीन रहो। मुहब्बत मेहनत से मुक्त कराने वाली है। मेहनत अच्छी लगती है क्या? क्या आदत से मजबूर हो जाते हो? सहज योगी हैं, बापदादा विशेष बच्चों के लिए परमधाम से सौगात लाये हैं, पता है क्या सौगात लाये हैं? तिली पर भिस्त लाया है। (हथेली पर स्वर्ग लाये हैं) आपका चित्र भी है ना। राज्य भाग्य लाये हैं बच्चों के लिए। इसलिए बापदादा को मेहनत अच्छी नहीं लगती।

बापदादा हर बच्चे को मेहनत मुक्त, मुहब्बत में मगन देखने चाहते हैं। तो मेहनत वा माया की युद्ध से मुक्त बनने का आज संकल्प द्वारा होली जलायेंगे? जलायेंगे? जलाना माना नाम-निशान गुम। कोई भी चीज़ जलाते हैं तो नाम-निशान खत्म हो जाता है ना! तो ऐसी होली मनायेंगे? मनायेंगे? हाथ तो हिला रहे हैं। बापदादा हाथ देख करके खुश हो रहा है। लेकिन, लेकिन है? लेकिन बोलें क्या कि नहीं? मन का हाथ हिलाना। यह हाथ हिलाना तो बहुत इजी है। अगर मन ने माना करना ही है तो हुआ ही पड़ा है। नये-नये भी बहुत आये हैं। जो पहले बारी मिलन मनाने के लिए आये हैं, वह हाथ उठाओ। डबल फारेनर्स में भी हैं।

अभी जो भी पहले बारी आये हैं, बापदादा विशेष उन्हों को अपना भाग्य बनाने की मुबारक दे रहे हैं। लेकिन यह मुबारक स्मृति में रखना और सदा यह लक्ष्य रखो क्योंकि फाइनल रिजल्ट आउट नहीं हुई है। सबको चांस है, लास्ट में आने वाले भी, पहले वालों से लास्ट में आये हो ना, तो लास्ट वाले लास्ट सो फास्ट और फास्ट सो फर्स्ट आ सकते हैं। छुट्टी है, जा सकते हो। यह सदा याद रखना मुझे अर्थात् मुझ आत्मा को फास्ट और फर्स्ट क्लास में आना ही है। हॉ, वी.आई.पी बहुत आये हैं ना, टाइटल वी.आई.पी का है। जो वी.आई.पी आये हैं वह लम्बा हाथ उठाओ। वेलकम। अपने घर में आने की वेलकम, भले पधारे। अभी तो परिचय के लिए वी.आई.पी. कहते हैं लेकिन अभी वी.आई.पी से वी.वी.वी. आई.पी बनना है। देखो देवतायें आपके जड़ चित्र वी.वी.वी. आई.पी हैं तो आपको भी पूर्वज जैसा बनना ही है। बापदादा बच्चों को देखकर खुश होते हैं। रिलेशन में आये। जो वी.आई.पी आये हैं उठो। बैठे-बैठे थक भी गये होंगे, थोड़ा उठो। अच्छा।

मातायें जो पहली बार मिल रही है, वह उठो। यह सब पहली बारी आये हैं। अच्छा पाण्डव जो पहले बारी आये हैं वह उठो। बापदादा को खुशी है, क्यों? बच्चों ने सेवा अच्छी की है। सेवा का सबूत बापदादा ने देखा। इस सीजन में मैजारिटी हर ग्रुप में पहले बारी मिलने वाले आधा से भी ज्यादा हैं। इसलिए जिन बच्चों ने मेगा प्रोग्राम किया वा अपने-अपने स्थान में सेवा की है और सबूत दिया है उन सभी बच्चों को बापदादा सेवा की मुबारक, दिल की दुआयें दे रहे हैं। अभी आगे क्या करना है?

दादी ने सन्देश भेजा, आगे क्या करना है? तो बापदादा बच्चों को देख खुश तो है ही लेकिन आगे के लिए जो भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आये हैं उन आत्माओं की विशेष ग्रुप-ग्रुप में हर सेन्टर वाले बुलाकर उनका फाउण्डेशन पक्का करने की पालना करो। रिलेशन तो जोड़ दिया, सम्बन्ध जोड़ा, चाहे कभी-कभी आने वाले, चाहे रेगुलर आने वाले, चाहे सम्पर्क में आये, चाहे सम्बन्ध में आये, लेकिन रिलेशन के साथ-साथ आत्माओं का बाप के साथ कनेक्शन ऐसा मजबूत करो जो ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़े इन्हों को। माया से बार-बार युद्ध नहीं करनी पड़े। मन की लगन ऐसी पक्की करो जो विघ्न आ नहीं सके। जहाँ बाप से लगन है वहाँ विघ्न नहीं आ सकता। असम्भव है। इसलिए सन्देश देने की सेवा करो लेकिन जो सेवा का फल निकला है उस फल को मजबूत बनाओ, पक्का बनाओ। कच्चा फल नहीं रह जाये क्योंकि समय फास्ट जा रहा है। समय का कोई भरोसा नहीं, कब भी क्या भी हो सकता है और अचानक होना है। बापदादा को पता भी है कब होना है लेकिन बतायेंगे नहीं क्योंकि अचानक पेपर होना है। इसलिए जमा का खाता बहुत बढ़ाओ।

वर्तमान समय बापदादा दो बातों पर बार-बार अटेन्शन दिला रहे हैं - एक स्टॉप, बिन्दी लगाओ, प्वाइंट लगाओ। दूसरा - स्टॉक जमा करो। दोनों जरूरी हैं। तीन खज़ाने विशेष जमा करो - एक अपने पुरूषार्थ की प्रालब्ध अर्थात् प्रत्यक्ष फल, वह जमा करो। दूसरा - सदा सन्तुष्ट रहना, सन्तुष्ट करना। सिर्फ रहना नहीं, करना भी। उसके फल स्वरूप दुआयें जमा करो। दुआओं का खाता कभी-कभी कोई बच्चे जमा करते हैं लेकिन चलते-चलते कोई छोटी-मोटी बात में कनफ्यूज हो करके, हिम्मतहीन हो करके जमा हुए खज़ाने में भी लकीर लगा देते हैं। तो दुआओं का खाता भी जमा हो। उसकी विधि सन्तुष्ट रहना, सन्तुष्ट करना। तीसरा - सेवा द्वारा सेवा का फल जमा करना या खज़ाना जमा करना और सेवा में भी विशेष निमित्त भाव, निर्मान भाव, निर्मल वाणी। बेहद की सेवा। मेरा नहीं, बाबा। बाबा करावनहार मुझ करनहार से करा रहा है, यह है बेहद की सेवा। यह तीनों खाते चेक करो -तीनों ही खाते जमा हैं? मेरापन का अभाव हो। इच्छा मात्रम् अविद्या। सोचते हैं इस वर्ष में क्या करना है? सीजन पूरी हो रही है अब 6 मास क्या करना है? तो एक तो खाते जमा करना, चेक करना अच्छी तरह से। कहाँ कोने में भी हद की इच्छा तो नहीं है? मैं और मेरापन तो नहीं है? लेवता तो नहीं है? विधाता बनो, लेवता नहीं। न नाम, न मान, न शान, किसी के भी लेवता नहीं, दाता, विधाता बनो।

अभी दु:ख बहुत-बहुत बढ़ रहा है, बढ़ता रहेगा। इसलिए मास्टर सूर्य बन अनुभूति की किरणें फैलाओ। जैसे सूर्य एक ही समय में कितनी प्राप्तियां कराता है, एक प्राप्ति नहीं कराता। सिर्फ रोशनी नहीं देता, पावर भी देता है। अनेक प्राप्तियां कराता है। ऐसे आप सभी इन 6 मास में ज्ञान सूर्य बन सुख की, खुशी की, शान्ति की, सहयोग की किरणें फैलाओ। अनुभूति कराओ। आपकी सूरत को देखते ही दु:ख की लहर में कम से कम मुस्कान आ जाये। आपकी दृष्टि से हिम्मत आ जाये। तो यह अटेन्शन देना है। विधाता बनना है, तपस्वी बनना है। ऐसी तपस्या करो जो तपस्या की ज्वाला कोई न कोई अनुभूति कराये। सिर्फ वाणी नहीं सुनें, अनुभूति कराओ। अनुभूति अमर होती है। सिर्फ वाणी थोड़ा समय अच्छी लगती है सदा याद नहीं रहती। इसलिए अनुभव की अथॉरिटी बन अनुभव कराओ। जो भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आ रहे हैं उन्हों को हिम्मत, उमंग-उत्साह अपने सहयोग से बापदादा के कनेक्शन से दिलाओ। ज्यादा मेहनत नहीं कराओ। न खुद मेहनत करो न औरों को कराओ। निमित्त हैं ना! तो वायब्रेशन ऐसे उमंग-उत्साह का बनाओ जो गम्भीर भी उमंग-उत्साह में आ जाये। मन नाचने लगे खुशी में। सुना क्या करना है? देखेंगे रिजल्ट। किस स्थान ने कितनी आत्माओं को दृढ़ बनाया, खुद दृढ़ बने, कितनी आत्माओं को दृढ़ बनाया, साधारण पोतामेल नहीं देखेंगे, भूल नहीं की, झूठ नहीं बोला, कोई विकर्म नहीं किया, लेकिन कितनी आत्माओं को उमंग-उत्साह में लाया, अनुभूति कराई, दृढ़ता की चाबी दी। ठीक है ना, करना ही है ना। बापदादा भी क्यों कहे कि करेंगे! नहीं, करना ही है। आप नहीं करेंगे तो कौन करेगा? पीछे आने वाले? आप ही कल्प-कल्प बाप से अधिकारी बने थे, बने हैं और हर कल्प बनेंगे। ऐसा दृढ़ता पूर्वक बच्चों का संगठन बापदादा को देखना ही है। ठीक है ना! हाथ उठाओ, बनना ही है, मन का हाथ उठाओ। दृढ़ निश्चय का हाथ उठाओ। यह तो सब पास हो गये हैं। पास हैं ना? अच्छा।

सभी खुश हैं? प्रबन्ध से ज्यादा आ गये हैं। (23 हजार से भी अधिक पहुंच गये हैं) कोई बात नहीं, जब ज्यादा आयेंगे तो दादी का संकल्प चलेगा ना, बढ़ाने का। भले आये। अच्छा है - हाल को कभी तो छोटा होना ही चाहिए। होना चाहिए ना! पहली लाइन वाले होना चाहिए ना। तब तो बनायेंगे ना! ड्रामा में वृद्धि होनी ही है। सेवाधारी थक तो नहीं जाते? किसका टर्न है अभी? गुजरात का है। गुजरात तो बड़ा है। गुजरात वाले उठो। आधा हाल तो गुजरात है। (7 हजार हैं) तो गुजरात के सेवाधारी बहुत आये हैं इसलिए सेवा लेने वाले भी बहुत आ गये हैं। थक तो नहीं गये? नहीं। मातायें, मातायें रोटी बेल-बेल कर थक गई? नहीं थकी। सबसे मेहनत का काम है रोटी बनाना। गुजरात वालों को वरदान है - जैसे देश के हिसाब से समीप है, ऐसे ही बापदादा के दिल के भी समीप रहना है। रहते भी हैं, रहना भी है। बापदादा ने देखा कि कभी भी कोई भी आवश्यकता में गुजरात हाज़िर हो जाता है। तो हाज़िर होने वाली आत्माओं के लिए बापदादा भी सदा हाज़िर है।

अच्छा - आज बापदादा को सन्देश ज्ञान सरोवर, पाण्डव भवन और शान्तिवन वालों ने दिया है कि हमें दूर बैठे नजदीक देखना। तो बापदादा सभी स्थान निवासी शार्ट में सभी तरफ के मधुबन निवासी चाहे बहनें, चाहे भाई सभी को सम्मुख देख रहे हैं। दूर नहीं है, दिल पर हैं और बापदादा दिल से याद प्यार दे रहे हैं। वैसे तो दिखाई नहीं देते, आज विशेष दिखाई दे रहे हैं। अच्छा।

डबल विदेशी:- हाथ हिलाओ। बापदादा ने सभी डबल विदेशी बच्चों की जो रिफ्रेशमेंट हुई है, वह देखा। चार्ट अच्छा बनाया है। अच्छा किया है और अच्छे ते अच्छे ही रहना है। कभी भी कोई पूछे - हालचाल क्या है?तो सभी का एक ही जवाब हो - कुशल हाल है, फरिश्ते की चाल है। ठीक है ना। पसन्द है? ऐसे नहीं, अमेरिका अफ्रीका में जाकर बदल जाओ। बदलना नहीं और उड़ना है और उड़ाना है। उमंग उत्साह के पंख सदा हैं ही। दूसरों को भी उमंग-उत्साह के पंख लगाने हैं। यह अच्छा है, बापदादा सब समाचार सुनते रहते हैं। मधुबन का लाभ अच्छे ते अच्छा उठाने का प्रोग्राम बनाते हैं, यह देखके सुनके बापदादा खुश होते हैं। सिर्फ अमर भव का वरदान भूलना नहीं, अमर भव। 60 देशों से आये हैं। 60 देशों के एक-एक भिन्न-भिन्न देश वाले हाथ उठाओ, देखें 60 हैं, जो आस्ट्रेलिया से आये, अफ्रीका से आये, अमेरिका से आयें, वह हाथ उठाओ। भले पधारे। अच्छा है बापदादा और सर्व ब्राह्मण परिवार भी आप सबको देखके खुश होते हैं। क्यों जितने देशों में आप कर रहे हो, उतने देशों की भाषा सीखने के लिए भारतवासियों को सहयोग दे दिया आपने। इसीलिए आप सबको देखके खुश होते हैं। अच्छे, उमंग-उत्साह में हैं और सदा रहने वाले हैं। सब टीचर्स ठीक हैं ना! बहुत मेहनत की कि उमंग-उत्साह में रहे? अच्छा प्रोग्राम बनाते हैं, बापदादा खुश होते हैं। अभी बापदादा डबल विदेशियों से एक बात चाहते हैं - सुनायें?

बापदादा ने सुना है कि डबल विदेशी ईमेल बड़े लम्बे-लम्बे करते हैं। जनक बच्ची को बहुत बिजी कर दिया है। रात को जागना पड़ता है। तो यह भी शार्टकट करते जाओ, लम्बा नहीं। ठीक है ना! शार्ट तो हो सकता है। तो ठीक है? शार्ट करेंगे? भले समाचार भेजो लेकिन शार्ट, 3-4 लाइन, ज्यादा में ज्यादा 5 लाइन में। हो सकता है ना! जो शार्टकट करेंगे वह हाथ उठाओ। जो करते ही नहीं हैं वह हाथ नहीं उठाते हैं, होशियार हैं। अच्छा है। अच्छा।

माताओं को भावना और प्यार की मुबारक हो विशेष। पाण्डवों को सदा नम्बरवन और विन करने की मुबारक हो और आये हुए निशानी वी.आई.पी. उन सभी बच्चों को भी सदा हर कदम में उमंग-उत्साह द्वारा आगे कनेक्शन बढ़ाने की, कदम में पदम की कमाई जमा करने की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।

अच्छा - चारों ओर के दिलतख्तनशीन बच्चों को, दूर बैठे भी परमात्म प्यार का अनुभव करने वाले बच्चों को, सदा होली अर्थात् पवित्रता का फाउण्डेशन दृढ़ करने वाले, स्वप्न मात्र भी अपवित्रता के अंशमात्र से भी दूर रहने वाले महावीर, महावीरनी बच्चों को, सदा हर समय सर्व जमा का खाता, जमा करने वाले सम्पन्न बच्चों को, सदा सन्तुष्टमणि बन सन्तुष्ट रहने और सन्तुष्ट करने वाले बाप समान बच्चों को बापदादा का यादप्यार, दुआयें और नमस्ते।

दादियों से:- दादियां तो गुरू भाई हैं ना, तो साथ में बैठो। तो भाई साथ में बैठते हैं। अच्छा है। बापदादा रोज़ स्नेह की मालिश करते हैं। निमित्त है ना! यह मालिश चला रही है। अच्छा है - आप सभी का एक्जैम्पुल देख करके सभी को हिम्मत आती है। निमित्त दादियों के समान सेवा में, निमित्त भाव में आगे बढ़ना है। अच्छा है आप लोगों का यह जो पक्का निश्चय है ना - करावनहार करा रहा है, चलाने वाला चला रहा है। यह निमित्त भाव सेवा करा रहा है। मैं पन है? कुछ भी मैं पन आता है? अच्छा है। सारे विश्व के आगे निमित्त एक्जैम्पुल है ना। तो बापदादा भी सदा विशेष प्यार और दुआयें देते ही रहते हैं। अच्छा। बहुत आये हैं तो अच्छा है ना! लास्ट टर्न फास्ट गया है। अच्छा।

डबल विदेशी मुख्य टीचर्स बहिनों से:- सभी मिलके सभी की पालना करने के निमित्त बनते हो यह बहुत अच्छा पार्ट बजाते हो। खुद भी रिफ्रेश हो जाते हो और दूसरों को भी रिफ्रेश कर देते हो। अच्छा प्रोग्राम बनाते हो। बापदादा को पसन्द है। खुद रिफ्रेश होंगे तब तो रिफ्रेश करेंगे। बहुत अच्छा। सभी ने रिफ्रेशमेंट अच्छी की। बापदादा खुश है। बहुत अच्छा।