15-11-05   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


सच्चे दिल से बाप व परिवार के स्नेही बन मेहनत मुक्त बननेका वायदा करो और फायदा लो

आज बापदादा अपने चारों ओर के श्रेष्ठ स्वराज्य अधिकारी, स्वमानधारी बच्चों को देख रहे हैं। बाप ने बच्चोंको अपने से भी ऊँचा स्वमान दिया है। हर एक बच्चे को पाँव में गिरने से छुड़ाए सिर का ताज बना दिया। स्वयं कोसदा ही प्यारे बच्चों का सेवाधारी कहलाया। इतनी बड़ी अथॉरिटी का स्वमान बच्चों को दिया। तो हर एक अपने कोइतना स्वमानधारी समझते हैं? स्वमानधारी का विशेष लक्षण क्या होता है? जितना जो स्वमानधारी होगा उतना हीसर्व को सम्मान देने वाला होगा। जितना स्वमानधारी उतना ही निमार्कण, सर्व का स्नेही होगा। स्वमानधारी की निशानीहै - बाप का प्यारा साथ में सर्व का प्यारा। हद का प्यारा नहीं, बेहद का प्यारा। जैसे बाप सर्व के प्यारे हैं, चाहे एकमास का बच्चा है, चाहे आदि रत्न भी है लेकिन हर एक मानता है मैं बाबा का, बाबा मेरा। यह निशानी है सर्व केप्यारेपन की, श्रेष्ठ स्वमान की, क्योंकि ऐसे बच्चे फालो फादर करने वाले हैं। देखो बाप ने हर वर्ग के बच्चों को, छोटेबच्चों से लेके, बुजुर्ग समान बच्चों को स्वमान दिया। यूथ को विनाशकारी से विश्वकल्याणकारी का स्वमान दिया।महान बनाया। प्रवृत्ति वालों को महात्मायें, बड़े-बड़े जगतगुरू उनसे भी ऊँचा, प्रवृत्ति में रहते, पर-वृत्ति वाले महात्माओंका भी सिर झुकाने वाला बनाया। कन्याओं को शिव शक्ति स्वरूप का स्वमान याद दिलाया, बनाया। बुजुर्ग बच्चोंको ब्रह्मा बाप की हमजिन्स अनुभवी का स्वमान दिया। ऐसे ही स्वमानधारी बच्चे हर आत्मा को ऐसे स्वमान से देखेंगे।सिर्फ देखेंगे नहीं लेकिन सम्बन्ध-सम्पर्क में आयेंगे। क्योंकि स्वमान देहअभिमान को मिटाने वाला है। जहाँ स्वमानहोगा वहाँ देह का अभिमान नहीं होगा। बहुत सहज साधन है, देह अभिमान को मिटाने का - सदा स्वमान में रहना।सदा हर एक को स्वमान से देखना। चाहे प्यादा है, 16 हजार की माला में लास्ट नम्बर भी है लेकिन लास्ट नम्बरमें भी ड्रामानुसार बाप द्वारा कोई न कोई विशेषता है। स्वमानधारी विशेषता को देख स्वमान देते हैं। उनकी दृष्टि में,वृत्ति में, कृति में, हर एक की विशेषता समाई हुई होती है। जो भी बाप का बना वह विशेष आत्मा है, चाहे नम्बरवारहै लेकिन दुनिया के कोटों में कोई है। ऐसे अपने को सभी विशेष आत्मा समझते हो? स्वमान में स्थित रहना है। देह-अभिमान में नहीं, स्वमान।

बाप को हर एक बच्चे से प्यार क्यों है? क्योंकि बाप जानते हैं मेरे को पहचान, मेरे बने हैं ना। चाहे आज इस मेलेमें भी पहली बार आये हैं, फिर भी बाबा कहा, तो बाप के प्यार के पात्र हैं। बापदादा को चारों ओर के सर्व बच्चे सर्वसे प्यारे हैं। ऐसे ही फालो फादर। कोई भी अप्रिय नहीं, सर्व प्रिय हैं। देखो, जो भी बच्चे मेरा बाबा कहते हैं, तोमेरापन किसने लाया? स्नेह ने। जो भी यहाँ बैठे हैं, वह समझते हो कि स्नेह ने बाप का बना लिया। बाप का स्नेहचुम्बक है, स्नेह के चुम्बक से बाप के बन गये। दिल का स्नेह, कहने मात्र स्नेह नहीं। दिल का स्नेह इस ब्राह्मणजीवन का फाउण्डेशन है। मिलने क्यों आते हो? स्नेह ले आया है ना! जो भी सभी बैठे हैं, आये हैं, क्यों आये हो?स्नेह ने खींचा ना। स्नेह भी कितना है? 100 परसेन्ट है वा कम है?जो समझते हैं स्नेह में हम 100 परसेन्ट हैं,वह हाथ उठाओ। स्नेह में 100 परसेन्ट। थोड़ा भी कम नहीं? अच्छा। तो इतना ही स्नेह आपस में ब्राह्मणों में है?इसमें हाथ उठायें? इसमें परसेन्टेज है। जैसे बाप का सभी से स्नेह है, ऐसे ही बच्चों का भी सर्व से स्नेह, सर्व केस्नेही। दूसरे की कमज़ोरी को देखो नहीं। अगर कोई संस्कार के वशीभूत है, तो फालो किसको करना है? वशीभूतवाले को? आप वशीभूत मन्त्र देने वाले हो, वशीभूत से छुड़ाने वाला मन्त्र, छुड़ाने वाले हो ना! या देखने वाले हो?कि दिखाई दे देता है? अगर कोई खराब चीज़ दिखाई भी देती है, तो क्या करते हैं? देखते रहते हैं या किनारा करलेते हैं? क्योंकि बापदादा ने देखा कि जो दिल के स्नेही हैं, बाप के दिल के स्नेही, सर्व के स्नेही अवश्य होंगे। दिलका स्नेह बहुत सहज विधि है सम्पन्न और सम्पूर्ण बनने की। चाहे कोई कितना भी ज्ञानी हो, लेकिन अगरदिल का स्नेह नहीं है तो ब्राह्मण जीवन में रमणीक जीवन नहीं होगी। रूखी जीवन होगी। क्योंकि ज्ञान में स्नेह बिनाअगर ज्ञान है तो ज्ञान में प्रश्नउठते हैं क्यों, क्या! लेकिन स्नेह ज्ञानसहित है तो स्नेही सदा स्नेह में लवलीन रहतेहैं। स्नेही को मेहनत करनी नहीं पड़ती याद करने की। सिर्फ ज्ञानी है, स्नेह नहीं है तो मेहनत करनी पड़ती है। वहमेहनत का फल खाता, वह मुहब्बत का फल खाता। ज्ञान है बीज लेकिन पानी है स्नेह। अगर बीज को स्नेह का पानीनहीं मिलता तो फल नहीं निकलता है।तो आज बापदादा सर्व बच्चों के दिल का स्नेह चेक कर रहे थे। चाहे बाप से, चाहे सर्व से। तो आप सभी अपनेको क्या समझते हैं? स्नेही हैं? हैं स्नेही? जो समझते हैं दिल के स्नेही हैं, वह हाथ उठाओ। सर्व के स्नेही? सर्वके स्नेही? अच्छा - बाप के तो दिल के स्नेही हैं, सर्व के स्नेही हैं? सर्व के? हर एक समझता है - यह मेरा भाई-बहन है? हर एक समझता है यह मेरा है? समझता है? कि कोई-कोई समझता है? जैसे बाप के स्नेह में सभी हाथउठाते हैं, हाँ बाप के स्नेही हैं ऐसे आप हर एक के लिए हाथ उठायेंगे, कि हाँ यह सर्व के स्नेही हैं? यह सर्टीफिकेटमिलेगा? क्योंकि बापदादा ने पहले भी कहा था कि सिर्फ बाप से सर्टीफिकेट नहीं लेना है, ब्राह्मण परिवार से भीलेना है क्योंकि इस समय बाप धर्म और राज्य दोनों साथ-साथ स्थापन कर रहे हैं। राज्य में सिर्फ बाप नहीं होंगे,परिवार भी होगा। बाप के भी प्यारे, परिवार के भी प्यारे।ज्ञानी बने हो लेकिन साथ में स्नेही भी जरूरी है। स्वमान में रहना और सम्मान देना, यह दोनों जरूरी हैं। बापने ब्राह्मण जन्म लेते ही हर एक बच्चे को सम्मान दिया, तब तो ऊँचे बनें। इस एक जन्म में सम्मान देना है और साराकल्प उसकी प्रालब्ध सम्मान प्राप्त होता है। आधाकल्प राज्य अधिकारी का सम्मान मिलता है, आधाकल्प भक्ति मेंभक्तों द्वारा सम्मान मिलता है। लेकिन इसका, सारे कल्प का आधार है इस एक जन्म में सम्मान देना, सम्मान लेना।

देखो आज इस सीजन का पहला मिलन है। चारों ओर से सब बच्चे स्नेह से इकट्ठे हुए हैं। तो जो पहले बारी आयेँ हैं, वह हाथ उठाओ। बहुत आये हैं। पहले बारी आये हैं और पहला चांस लिया है, तो पहले चांस लेने वालों कोमुबारक है। सभी को अपने परिवार में वृद्धि देख करके खुशी होती है ना। वाह हमारे भाई! वाह हमारी बहिनें पहुँचगये! बापदादा को भी बहुत खुशी होती है। बिछुड़े हुए बच्चे फिर से अपना अधिकार लेने के लिए पहुँच गये हैं। तोसभी खुश हैं या बहुत-बहुत-बहुत खुश हैं? बहुत-बहुत खुश।अच्छा-डबल फारेनर्स भी आये हुए हैं। होशियार हैं डबल फारेनर्स। कोई भी टर्न छोड़ते नहीं हैं। अच्छा है।चांस लेने वाले को चांसलर कहते हैं। तो चांस लेने में होशियार हैं। डबल फारेनर्स को विशेष बापदादा एक बात कीविशेष मुबारक देते हैं। कौन सी? जो कहाँ-कहाँ बिखर गये, देश भी बदल गया, धर्म भी कईयों का बदल गया,कल्चर भी बदल गया लेकिन बदलते हुए पहचानने की आँख बहुत तेज निकली, जो भिन्न होते भी पहचानने मेंहोशियार निकले। पहचान लिया, बाप को अपना बना दिया। परिवार को अपना बना लिया। ब्राह्मण कल्चर को अपनाबना लिया। तो होशियार निकले ना! और बापदादा सदा यह विशेषता देखते हैं कि बाप से भी प्यार है लेकिन सेवा सेभी बहुत प्यार है। सेवा से प्यार होने के कारण बहुत बिजी होते हो ना! डबल सेवा करते हो। डबल भी नहीं, तीनसेवा करते हो, एक लौकिक जॉब, एक ज्ञान की सेवा और साथ में बापदादा ने मैजारिटी को देखा है कि सेन्टर मेंभी कर्मणा सेवा में सहयोगी बनते हैं। तो बापदादा जब देखते हैं तीनों तरफ की सेवा में बच्चे बिजी रहते हैं, खुश होतेहैं और दिल ही दिल में मुबारक देते रहते हैं। अभी-अभी भी बापदादा देख रहे हैं चारों ओर विदेश में कोई रात में,कोई दिन में मिलन मना रहे हैं। अच्छी पुरूषार्थ की गति को बढ़ाने के लिए आपको दादी भी अच्छी मिली है। है नाऐसे? जरा सी कोई कमी देखती है, फौरन क्लास पर क्लास कराती है। किसी भी बच्चे को, चाहे देश वाले चाहेविदेश वालों को, किसी भी सबजेक्ट में मेहनत लगती है, उसका मूल कारण है दिल का स्नेह। स्नेह माना लवलीन।याद करना नहीं पड़ता, याद भुलाना मुश्किल होता। अगर मेहनत करनी पड़ती है तो कारण है दिल के स्नेह कोचेक करो। कहाँ लीकेज तो नहीं है? चाहे लगाव कोई व्यक्ति से, चाहे व्यक्ति की विशेषता से, चाहे कोई साधन से,सैलवेशन से, एकस्ट्रा सैलवेशन, कायदे प्रमाण सैलवेशन ठीक है, लेकिन एकस्ट्रा सैलवेशन से भी प्यार होता है,लगाव होता है। वह सैलवेशन याद आती रहेगी। उसकी निशानी है - कहाँ भी लीकेज होगी तो सदा जीवन में किसी भी कारण से सन्तुष्टता की अनुभूति नहीं होगी। कोई न कोई कारण असन्तुष्टता का अनुभव करायेंगे। और सन्तुष्टताजहाँ होगी उसकी निशानी सदा प्रसन्नता होगी। सदा रूहानी गुलाब के मुआफिक मुस्कराता रहेगा, खिला हुआरहेगा। मूड आफ नहीं होगी, सदा डबल लाइट। तो समझा मेहनत से अभी बच जाओ। बापदादा को बच्चों कीमेहनत नहीं अच्छी लगती। आधाकल्प मेहनत की है, अभी मौज करो। मुहब्बत में लवलीन हो, अनुभव के मोती ज्ञानसागर के तले में अनुभव करो। सिर्फ डुबकी लगाकर निकल नहीं आओ सागर से, लवलीन रहो।सभी ने वायदा तो किया है ना! कि साथ रहेंगे, साथ चलेंगे? किया है, वायदा किया है? साथ चलेंगे या पीछे-पीछे आयेंगे? जो साथ चलने के लिए तैयार हैं वह हाथ उठाओ। तैयार हैं, सोचकर उठाओ, तैयार हैं अर्थात् बापसमान हैं। कौन साथ चलेगा? समान साथ चलेगा ना! तो चलेंगे? एवररेडी? पहली लाइन एवररेडी? एवररेडी?कल चलने के लिए आर्डर करें, चलेंगे? अच्छा प्रवृत्ति वाले चलेंगे? बच्चे नहीं याद आयेंगे? मातायें चलेंगी? मातायेंतैयार हैं? याद नहीं आयेगी? टीचर्स को सेन्टर याद आयेगा, जिज्ञासु याद आयेंगे? नहीं याद आयेगा? अच्छा।सभी निर्मोही हो गये हो? फिर तो बहुत अच्छी बात है। फिर तो मेहनत नहीं करनी पड़ेगी ना।

आज बापदादा सभी को चाहे सम्मुख बैठे हैं, चाहे दूर बैठे भी बाप के दिल में बैठे हैं, सभी को आज का दिन मेहनत मुक्त बनाने चाहते हैं। बनेंगे? ताली तो बजा दी, बनेंगे? कल से कोई दादियों के पास नहीं आयेगा। मेहनतनहीं करायेंगे? मौज से मिलेंगे। जोनहेड के पास नहीं जायेंगे, कम्पलेन नहीं करेंगे, कम्पलीट। ठीक है? अभी हाथ उठाओ। देखो सोच के हाथ उठाना, ऐसे नहीं उठा लेना। पहली लाइन नहीं उठा रही है। आप लोगों ने उठाया। कोई कम्पलेन नहीं। कोई मेरा मेरा नहीं, कोई मेरा नहीं। मैं भी नहीं, मेरा भी नहीं, खत्म। देखो वायदा तो किया है,अच्छा है मुबारक हो लेकिन क्या है, वायदे का फायदा नहीं उठाते हो। वायदा बहुत जल्दी कर लेते हो लेकिन फायदा उठाने के लिए रोज एक तो रियलाइजेशन दूसरा रिवाइज करो, वायदे को रोज रिवाइज करो क्या वायदा किया?अमृतवेले मिलने के बाद वायदा और फायदा दोनों के बैलेन्स का चार्ट बनाओ। वायदा क्या किया? और फायदा क्या उठा रहे हैं? रियलाइज करो, रिवाइज करो, बैलेन्स हो जायेगा तो ठीक हो जायेगा।बापदादा को पता है मीटिंग वालों ने वायदा किया है। मीटिंग वाले उठो। अच्छा पक्का वायदा किया? या फाइल के लिए वायदा किया? फाइल के लिए किया या फाइनल किया? फाइनल किया? ताली बजाओ। अच्छी तरह सेबजाओ। बहुत अच्छा किया, बैठ जाओ। देखो, इतने भी फाइनल हो जायेंगे तो पीछे नम्बर तो जरूर फाइनल होजायेंगे क्योंकि आप विशेष सेवा के आधारमूर्त निमित्त हो और सेवा की सफलता स्व सेवा से ही होती है। स्व की सेवाविश्व की सेवा का आधार है। तो इतने सब वायदा और फायदा उठाने वाले ही हैं, तो आपका निमित्त भाव औरों कोभी सहयोग देगा। बार-बार रियलाइज करना। दिल से रियलाइज करना, क्या करना है, क्या नहीं करना है। `नाको 21 जन्म के लिए आलमाइटी गवर्मेन्ट की सील लगा देना। और हाँ जी, हाँ जी करते रहना। मास्टर सर्वशक्तिमानहैं, जो चाहे वह कर सकते हैं, इतनी अथॉरिटी बाप द्वारा मिली हुई है। पहले कोई भी संकल्प, बोल, कर्म करने केपहले बाप समान है या नहीं? यह चेक करो फिर प्रैक्टिकल में लाओ। जब आपका विवेक हाँ करें, हाँ जी तभी प्रैक्टिकलमें लाओ। समान बनना है तो समान करना भी है। चलना भी है। बापदादा तो हर बच्चे को बहुत-बहुत बड़ी बड़ीउम्मीदों से देखते हैं कि यही बनने हैं, बने थे और अवश्य बनना ही है। सिर्फ दो शब्द याद रखना - निमित्त औरनिमार्कण। इसमें मैं, मेरा दोनों ही खत्म हो जायेगा। निमित्त हूँ और निमार्कण बनना ही है।

आप जो 70 वर्ष मना रहे हो, यह समाचार भी सुना। विदेश भी तैयारी कर रहे हैं और देश वाले भी कर रहे हैं।यही मीटिंग की ना! तो बापदादा इस 70वें वर्ष को किस विधि से मनाने चाहते हैं। सभी को उमंग है ना मनाने का?उमंग है? माताओं को है, डबल विदेशियों को है? मनाना है? सेवा का प्रोग्राम तो आप बनाते ही हो और बनायेंगेभी, इसमें तो होशियार हो। बापदादा ने देखा है प्लैन बहुत अच्छे अच्छे बनाते हैं बापदादा को पसन्द हैं। बापदादाक्या चाहते हैं? बापदादा सिर्फ एक शब्द चाहता है - एक शब्द है - सफल करो, सफल बनो। जो भी खज़ाने हैं,शक्तियाँ हैं, संकल्प हैं, बोल हैं, कर्म भी शक्ति है, यह समय भी खज़ाना है, शक्ति है, खज़ाना है। सबको सफलकरना है। चाहे स्थूल धन, चाहे अलौकिक खज़ाने, सबको सफल करना है। सफलतामूर्त का सर्टिफिकेट लेना हीहै। सफल करो और सफल कराओ। अगर कोई असफल करता है, तो बोल द्वारा शिक्षा द्वारा नहीं, अपने शुभभावना,शुभकामना और सदा शुभसम्मान देने द्वारा सफल कराओ। सिर्फ शिक्षा नहीं दो, अगर शिक्षा देनी भी पड़ती हैलेकिन क्षमा और शिक्षा, क्षमा रूप बनकर शिक्षा दो। मर्सीफुल बनो, रहमदिल बनो। आपका मर्सीफुल रूप अवश्यशिक्षा का फल दिखायेगा। देखो आजकल साइंस वाले भी पहले आपरेशन करते हैं, लेकिन पहले क्या करते हैं?पहले सुला देते हैं। पीछे काटते हैं, पहले ही नहीं काटते हैं,टिंचर भी लगाते हैं, पहले फूँक देते हैं फिरटिंचर लगातेहैं। तो आप भी पहले मर्सीफुल बनो, फिर शिक्षा दो तो प्रभाव डालेगी नहीं तो क्या होता है? आप शिक्षा देने लगतेहो वह पहले ही आपसे ज्यादा शिक्षक है। तो शिक्षक, शिक्षक की शिक्षा नहीं मानता। जो प्वाइंट आप देंगे, ऐसे नहींकरो, ऐसे करो, उसके पास कट करने की 10 प्वाइंट होंगी। इसीलिए क्षमा और शिक्षा साथ-साथ हो, तो इस70वें वर्ष का थीम है - सफल करो, सफल कराओ। सफलतामूर्त बनो। सब सफल करो। डबल लाइट बनना है नातो सफल कर लो। संस्कार को भी सफल करो। जो ओरीज्नल आपके आदि संस्कार, देवताई संस्कार, अनादिसंस्कार आत्मा के उसको इमर्ज करो। उल्टे संस्कारों का संस्कार करो। आदि अनादि संस्कार इमर्ज करो। अभीसभी की कम्पलेन विशेष एक ही रह गई है, संस्कार नहीं बदलते, संस्कार नहीं बदलते। तो 70वें वर्ष में कुछ तोकमाल करेंगे ना। तो यह परिवर्तन की विशेषता दिखाओ। ठीक है ना।70वें वर्ष में करना है ना? करना है, करेंगे?करेंगे या हुआ ही पड़ा है? सिर्फ निमित्त बनना है। अच्छा|बापदादा सभी बच्चों को देख गीत गाते हैं - वाह! बच्चे वाह! अच्छा - अभी क्या करना है?

सेवा का टर्न इन्दौर जोन का है:- बहुत सेवाधारी आये हैं। संगठन अच्छा है। जो सेवा की, दिल के स्नेह सेसेवा की है, उसका प्रत्यक्ष फल भी खुशी अनुभव की? खुशी मिली? सेवा का फल है, प्रत्यक्षफल है खुशी औरभविष्य सेवा का फल पुण्य जमा हुआ। पुण्य का खाता बढ़ गया। तो वर्तमान भी फल मिला और भविष्य भी जमा होगया। अच्छा है हर जोन को चांस मिलता है, विशेष चांस मिलने से वायुमण्डल का फायदा, यज्ञ सेवा के पुण्य काखाता और सेवा से सर्व ब्राह्मणों से सम्बन्ध-सम्पर्क का ईश्वरीय प्यार का नाता बढ़ता है। तो बहुत अच्छा कर रहे हैंऔर कल से तो समाप्ति भी शुरू हो जायेगी। तो बहुत अच्छा किया, सेवा का बल सदा के लिए भरके जाना। अच्छाहै। मातायें भी हैं, कुमारियाँ भी हैं, सब सेवाधारी हैं। पाण्डव तो हैं ही हैं। पाण्डव हाथ उठाओ। पाण्डव ज्यादा हैं। मातायें हाथ उठाओ। कुमारियाँ हाथ उठाओ।जो सेवा का चांस लिया है, तो जो वायदा करके जा रहे हो उसका फायदा विशेष सेवा के रिटर्न में देते रहना।वायदे का फायदा उठाना। सिर्फ वायदा नहीं, फायदा। अच्छा।

इन्दौर-नडियाद होस्टल की कुमारियाँ भी हैं:- नडियाद की थोड़ी हैं। नडियाद की कुमारियाँ ठीक हैं।स्व-उन्नति, सेवा की उन्नति दोनों ही हो रही है? अच्छा है, कुमारियाँ ट्रेनिंग करती हैं और भी ट्रेनिंग की कुमारियाँ आई हैं ना। नडियाद वाली भी आगे आ जाओ। अच्छा। इन सभी कुमारियों ने चाहे नडियाद में हैं, चाहे मधुबन मेंहैं, अभी तो मधुबन की हैं ना। तो सभी ने लक्ष्य पूरा रखा है? लक्ष्य क्या रखा है? सफलतामूर्त बनने का। समस्यानहीं बनना है, समाधानमूर्त बनना है। वायुमण्डल के प्रभाव में नहीं आना है। अपने वायुमण्डल का प्रभाव डालना है,इतनी ताकत भरी है ? आपको वायुमण्डल की मदद नहीं मिले तो क्या करेंगी? अपना वायुमण्डल दिखायेंगी? इतनीताकत है? फिर तो ताली बजाओ, मुबारक हो। बहुत अच्छा, देखो आपका चित्र तो इसमें आ रहा है, यह फोटोनिकल रहा है। तो बापदादा हर मास आपके निमित्त से रिपोर्ट लेगा। मुबारक भी देगा। क्योंकि सफलतामूर्त, सफलताके अधिकारी हैं। तो सफलता के अधिकारी बनना है ना। अच्छा है, एक बात की तो मुबारक है अभी, कि हिम्मत रखकरके आ गई हो। तो आपकी हिम्मत के कदम पर बापदादा की पदमगुणा मदद है ही है। दिलशिकस्त नहीं होना,दिलखुश। अगर कोई भी समस्या आवे ना, तो उसी समय बाप के आगे रख देना, अपने दिल में नहीं रखना। बाबाआप लो, हम तो समाधान स्वरूप हैं। ठीक है? अच्छी हिम्मत वाली हो, और हिम्मत सदा रखती रहना। अच्छा।

कटक में बहुत अच्छा मेगा प्रोग्राम रहा, पुरी में भी बहुत अच्छा प्रोग्राम रहा:- प्रोग्राम तो सब अच्छे कर रहे हो, सन्देश का जो कार्य करना है वह सन्देश तो सबको पहुँच रहा है, सबको पतापड़ता है कि ब्रह्माकुमारियाँ भी हैं और ब्रह्माकुमारियाँ यह कार्य करने चाहती हैं, यह भी मालूम पड़ता जाता है। लेकिनबापदादा की जो पुराने-पुराने बड़े-बड़े सेन्टर चल रहे हैं, उनके प्रति जो शुभ आशा है वह अभी तक पूर्ण नहीं कीहै। यह बापदादा का उलाहना है। वारिस क्वालिटी वा सेवा से भी ऐसे पुरूषार्थ में तीव्र क्वालिटी, वह बापदादा केसामने और अधिक आनी चाहिए। वी.आई.पी. भी आते हैं लेकिन वी.आई.पी. भी वी.वी.आई.पी. बन जायें, वी.आई.पी.,वी.आई.पी. नहीं रहें, आई.पी., आई.पी. नहीं रहें, ब्राह्मण जीवन का अनुभव करें। क्वान्टिटी तो हो रही हैं अभीक्वालिटी का गुलदस्ता हर एक जोन में निकलना चाहिए। हर एक जोन को चारों ओर के ऐसे उम्मींदवार आत्माओंकी विशेष पालना कर समीप सम्बन्ध में लाना है। प्लैन तो बनाते हो अभी इस प्लैन को तीव्र गति दो। क्योंकि कम-से-कम अपने राज्य के पहले जन्म की पावरफुल संख्या, कभी-कभी आने वाले, कभी-कभी नियम वाले नहीं, पक्के जोविन करने वाले वन तारीख, वन जन्म में आने वाले हों, ऐसा गुलदस्ता तैयार करो। चाहे प्रजा भी बने लेकिन प्रजाभी विशेष होगी। प्रजा भी मालिक का अधिकार रखेगी क्योंकि पहले जन्म की शोभा पहले जन्म का भभका तो अलगहोता है ना। तो हर एक जोन अपनी रिजल्ट निकाले, प्रोग्राम तो बहुत किया है, उसकी मुबारक हो। बापदादा उसकोअच्छा समझते हैं, सफल करते हैं, उमंग-उत्साह में आते हैं, और बड़ों-बड़ों के सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हैं, यहअच्छा कर रहे हैं लेकिन रिजल्ट निकालो। कम-से-कम डेढ लाख, लाख आते हैं उनमें से कुछ तो विन करने वाले हों। तो ऐसा प्रोग्राम बनाओ और पुराने सेन्टर वारिस क्वालिटी नये-नये निकालो, जो पुराने हैं उनको तो मुबारकमिलती है, नये-नये वारिस क्वालिटी तैयार करो। रॉयल फैमिली, रॉयल सम्बन्ध-सम्पर्क वाले भी तो चाहिए ना।अच्छा।

अभी एक मिनट, एक मिनट मशहूर है ना! तो एक मिनट जो सभी ने मेहनत मुक्त का वायदा किया है, किया हैना ? किया है? फोटो निकालो। तो अभी एक मिनट के लिए अपने दिल से इस वायदे को दृढ़ता का अण्डरलाइनलगाओ। अपने मन में पक्का करो। अच्छा।

सर्व चारों ओर के स्वमानधारी बच्चों को, सदा बाप के दिल के स्नेही, सर्व के स्नेही श्रेष्ठ आत्माओं को, सदामेहनत मुक्त, जीवनमुक्त अनुभव करने वाले तीव्र पुरूषार्थी बच्चों को सदा वायदा और वायदे का फायदा लेने वाले,बैलेन्स रखने वाले ब्लिसफुल बच्चों को, सदा मौज में रहने वाले, मौज में औरों को भी रहाने वाले, ऐसे संगमयुगी श्रेष्ठ भाग्य के अधिकारी बच्चों को बापदादा का यादप्यार और दिलाराम के दिल की दुआयें स्वीकार हों। यादप्यारऔर नमस्ते।

दादियों से:- ठीक है ना। सभी आप लोगों को देखकर खुश होते हैं। बाप और बच्चों, दोनों को देखकर खुशहोते हैं। दोनों समान। सभी के सिकीलधे हो। सभी का दादियों से विशेष प्यार है ना! बहुत प्यार है। क्योंकि जोनिमित्त बनते हैं, तो निमित्त बनने वालों के ऊपर जिम्मेवारी भी होती है, तो स्नेह भी इतना होता है क्योंकि सबके प्यारऔर दुआओं की उनके जीवन में लिफ्ट मिल जाती है। आप भी जो निमित्त बनते हो उन्हों को भी लिफ्ट मिलती हैलेकिन लिफ्ट की गिफ्ट को कायम रखें तो बहुत फायदा हो सकता है। यह एकस्ट्रा वरदान मिलता है। किसी भीकार्य के लिए, ईश्वरीय कार्य में, यज्ञ सेवा में, विशेष निमित्त बनता है उसको दुआयें और प्यार दोनों की लिफ्ट मिलतीहै। प्यार एक ऐसी चीज़ है जो क्या से क्या बना देती है। आज दुनिया में भी किसी से पूछो क्या चाहिए? कहेंगे प्यारचाहिए। शान्ति चाहिए, वह भी प्यार से मिलेगी। तो प्यार, आत्मिक प्यार सबसे श्रेष्ठ है।(फ्रांस वालों ने बहुत याद दी है ) बापदादा भी बच्चों को विशेष सेवा में परिवर्तन की मुबारक देते हैं। (मार्क नेबहुत मेहनत की है) खास मुबारक हो, ताली बजाओ। देखो जो पुराना गवर्मेन्ट का रिकार्ड था, कल्ट का, वह सभीजगह मिट जायेगा। अच्छी हिम्मत रखी। हिम्मत की मदद मिलती है। योग किया ना दिल से, तो योग का फल मिला,बल मिला। बापदादा भी खुश है। परिवार भी खुश है तब तालियां बजाई ना।

दादी जी से बाबा पूछ रहा है:- तबियत खराब है, बुखार है क्या? यह तो बहादुर है, देखो ठण्डा है या गर्महै? खेल दिखा रही है। तबियत की कमज़ोरी हो जाती है। अभी तो ताकत आ रही है। सभी को कहो मैं ठीक हूँ।बोलो, ठीक हूँ। (मैं बिल्कुल ठीक हूँ) सभी का प्यार है ना।देखो साकारअव्यक्त हुए और व्यक्त में निमित्त बनाया।ऐसे टाइम पर निमित्त बनना, कितनी हिम्मत की बात है। ऐसे टाइम पर हिम्मत दिखाने वाले को सारे आयु तक मददमिलती है। अच्छा।