31-10-06   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


सदा स्नेही के साथ अखण्ड महादानी बनो तो विघ्न-विनाशक, समाधान स्वरूप बन जायेंगे

आज प्रेम के सागर अपने परमात्म प्रेम के पात्र बच्चों से मिलने आये हैं। आप सब भी स्नेह के अलौकिक विमान से यहाँ पहुंच गये हो ना! साधारण प्लेन में आये हो वा स्नेह के प्लेन में उड़कर पहुंच गये हो? सभी के दिल में स्नेह की लहरें लहरा रही हैं और स्नेह ही इस ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन है। तो आप सभी भी जब आये तो स्नेह ने खींचा ना! ज्ञान तो पीछे सुना, लेकिन स्नेह ने परमात्म स्नेही बना दिया। कभी स्वप्न में भी नहीं होगा कि हम परमात्म स्नेह के पात्र बनेंगे। लेकिन अब क्या कहते हो? बन गये। स्नेह भी साधारण स्नेह नहीं है, दिल का स्नेह है। आत्मिक स्नेह है, सच्चा स्नेह है, नि:स्वार्थ स्नेह है। यह परमात्म स्नेह बहुत सहज याद का अनुभव कराता है। स्नेही को भूलना मुश्किल होता है, याद करना मुश्किल नहीं, भूलना मुश्किल होता है। स्नेह एक अलौकिक चुम्बक है। स्नेह सहज योगी बना देता है। मेहनत से छुड़ा देता है। स्नेह से याद करने में मेहनत नहीं लगती। मुहब्बत का फल खाते हैं। स्नेह की निशानी विशेष चारों ओर के बच्चे तो हैं ही लेकिन डबल विदेशी स्नेह में दौड़-दौड़ कर पहुंच गये हैं। देखो, 90 देशों से कैसे भागकर पहुंच गये हैं! देश के बच्चे तो हैं ही प्रभु प्रेम के पात्र, लेकिन आज विशेष डबल विदेशियों को गोल्डन चांस है। आप सबका भी विशेष प्यार है ना! स्नेह है ना। स्नेह है कितना! कितना? तुलना कर सकते हो किससे! कोई तुलना नहीं हो सकती।

आप सबका एक गीत है ना - न आसमान में इतने तारे हैं, ना सागर में इतना जल है..., बेहद का प्यार, बेहद का स्नेह है। बापदादा भी स्नेही बच्चों से मिलने पहुंच गये हैं। आप सब बच्चों ने स्नेह से याद किया और बापदादा आपके प्यार में पहुंच गये हैं। जैसे इस समय हर एक के चेहरे पर स्नेह की रेखा चमक रही है। ऐसे ही अब एडीशन क्या करना है? स्नेह तो है, यह तो पक्का है। बापदादा भी सर्टीफिकेट देते हैं कि स्नेह है। अभी क्या करना है? समझ तो गये हो। अभी सिर्फ अण्डरलाइन करना है - सदा स्नेही रहना है, सदा। समटाइम नहीं। स्नेह है अटूट लेकिन परसेन्टेज में अन्तर पड़ जाता है। तो अन्तर मिटाने के लिए क्या मन्त्र है? हर समय महादानी, अखण्डदानी बनो। सदा दाता के बच्चे विश्व सेवाधारी समान। कोई भी समय मास्टर दाता बनने के बिना नहीं रहें क्योंकि कार्य विश्व कल्याण का बाप के साथ-साथ आपने भी मददगार बनने का संकल्प किया है। चाहे मन्सा द्वारा शक्तियों का दान वा सहयोग दो। वाचा द्वारा ज्ञान का दान दो, सहयोग दो, कर्म द्वारा गुणों का दान दो और स्नेह सम्पर्क द्वारा खुशी का दान दो, कितने अखण्ड खज़ानों के मालिक, रिचेस्ट इन दी वर्ल्ड हो। अखुट और अखण्ड खज़ाने हैं। जितने देंगे उतने बढ़ते जाते हैं। कम नहीं होंगे, बढ़ेंगे क्योंकि वर्तमान समय इन खज़ानों के मैजॉरिटी आप सबके आत्मिक भाई और बहनें प्यासी हैं। तो क्या अपने भाई बहिनों के ऊपर तरस नहीं पड़ता! क्या प्यासी आत्माओं की प्यास नहीं बुझायेंगे? कानों में आवाज नहीं आता ‘‘हे हमारे देव देवियाँ हमें शक्ति दो, सच्चा प्यार दो’’। आपके भक्त और दु:खी आत्मायें दोनों ही दया करो, कृपा करो, हे कृपा के देव और देवियाँ कहकर चिल्ला रहे हैं। समय की पुकार सुनाई देती है ना! और समय भी देने का अब है। फिर कब देंगे? इतना अखुट अखण्ड खज़ाने जो आपके पास जमा हैं, तो कब देंगे? क्या लास्ट टाइम, अन्तिम समय देंगे? उस समय सिर्फ अंचली दे सकेंगे।

तो अपने जमा हुए खज़ाने कब कार्य में लगायेंगे? चेक करो हर समय कोई न कोई खज़ाना सफल कर रहे हैं! इसमें डबल फायदा है, खज़ाने को सफल करने से आत्माओं का कल्याण भी होगा और साथ में आप सब भी महादानी बनने के कारण विघ्न-विनाशक, समस्या स्वरूप नहीं, समाधान स्वरूप सहज बन जायेंगे। डबल फायदा है। आज यह आया, कल यह आया, आज यह हो गया, कल वह हो गया। विघ्न-मुक्त, समस्या मुक्त सदा के लिए बन जायेंगे। जो समस्या के पीछे समय देते हो, मेहनत भी करते हो, कभी उदास बन जाते, कभी उल्हास में आ जाते, उससे बच जायेंगे क्योंकि बापदादा को भी बच्चों की मेहनत अच्छी नहीं लगती। जब बापदादा देखते हैं, बच्चे मेहनत में हैं, तो बच्चों की मेहनत बाप से देखी नहीं जाती। तो मेहनत मुक्त, पुरूषार्थ करना है लेकिन कौन सा पुरूषार्थ? क्या अभी तक अपनी छोटी-छोटी समस्याओं में पुरूषार्थी रहेंगे! अब पुरूषार्थ करो अखण्ड महादानी, अखण्ड सहयोगी, ब्राह्मणों में सहयोगी बनो और दु:खी आत्मायें, प्यासी आत्माओं के लिए महादानी बनो। अब इस पुरूषार्थ की आवश्यकता है। पसन्द है ना! पसन्द है! पीछे वाले पसन्द है! तो अभी कुछ चेंज भी करना चाहिए ना, वही स्व प्रति पुरूषार्थ बहुत टाइम किया। कैसे पाण्डव! पसन्द है? तो कल से क्या करेंगे? कल से ही शुरू करेंगे या अब से? अब से संकल्प करो - मेरा समय, संकल्प विश्व प्रति, विश्व की सेवा प्रति। इसमें स्व का ऑटोमेटिक हो ही जायेगा, रहेगा नहीं, बढ़ेगा। क्यों? किसी को भी आप उसकी आशायें पूरी करेंगे, दु:ख के बजाए सुख देंगे, निर्बल आत्माओं को शक्ति देंगे, गुण देंगे, तो वह कितनी दुआयें देंगे। और दुआयें लेना सबसे लेना सबसे सहज साधन है, आगे बढ़ने का। चाहे भाषण नहीं करो, प्रोग्राम ज्यादा नहीं कर सकते हो, कोई हर्जा नहीं, कर सकते हो तो और ही करो। लेकिन नहीं भी कर सकते हो तो कोई हर्जा नहीं, सफल करो खज़ानों को। सुनाया ना - मन्सा से शक्तियों का खज़ाना देते जाओ। वाणी से ज्ञान का खज़ाना, कर्म से गुणों का खज़ाना और बुद्धि से समय का खज़ाना, सम्बन्ध-सम्पर्क से खुशी का खज़ाना सफल करो। तो सफल करने से सफलता मूर्त बन ही जायेंगे, सहज। उड़ते रहेंगे क्योंकि दुआयें एक लिफ्ट का काम करती हैं, सीढ़ी का नहीं। समस्या आई, मिटाया, कभी दो दिन लगाया, कभी दो घण्टा लगाया, यह सीढ़ी चढ़ना है। दुआयें सफल करो, सफलता मूर्त बनो, तो लिफ्ट में सेकण्ड में पहुंच जायेंगे, जहाँ चाहो। चाहे सूक्ष्मवतन में पहुंचों, चाहे परमधाम में पहुंचो, चाहे अपने राज्य में पहुंचो, सेकण्ड में। लण्डन में प्रोग्राम किया था ना वन मिनट। बापदादा तो कहते हैं वन सेकण्ड। वन सेकण्ड में दुआओं की लिफ्ट में चढ़ जाओ। सिर्फ स्मृति का स्वीच दबाओ बस, मेहनत मुक्त।

तो बापदादा आज डबल विदेशियों का दिन है ना तो पहले डबल विदेशियों को किस स्वरूप में देखने चाहते हैं? मेहनत मुक्त, सफलता मूर्त, दुआओं के पात्र। बनेंगे ना? क्योंकि डबल विदेशियों का बाप से प्यार अच्छा है, शक्ति चाहिए लेकिन प्यार अच्छा है। कमाल तो की है ना? देखो 90 देशों से अलग-अलग देश, अलग-अलग रसम-रिवाज लेकिन 5 ही खण्डों के एक चन्दन के वृक्ष बन गये हैं। एक वृक्ष में आ गये हैं। एक ही ब्राह्मण कल्चर हो गया, अभी है क्या इंगलिश है, कल्चर हमारा इंगलिश है, नहीं ना। ब्राह्मण है ना? जो समझते हैं अभी तो हमारा ब्राह्मण कल्चर है वह हाथ उठाओ। ब्राह्मण कल्चर और एडीशन नहीं। एक हो गये ना। इसकी मुबारक दे रहे हैं बापदादा कि सभी एक वृक्ष के बन गये। कितना अच्छा लगता है! किसी से भी पूछो, अमेरिका से पूछो, यूरोप से पूछो, आप कौन हो? तो क्या कहेंगे? ब्राह्मण है ना! कि नहीं, यू.के. के हैं, अफ्रीकन हैं, अमेरिकन हैं नहीं, सब एक ब्राह्मण हो गये। एक मत हो गये, एक स्वरूप के हो गये ब्राह्मण और एक मत श्रीमत। मजा आता है ना इसमें। मजा है? कि मुश्किल है? मुश्किल तो नहीं है ना! कांध हिला रहे हैं, अच्छा है।

बापदादा सेवा में नवीनता क्या चाहता है? जो भी सेवा कर रहे हो - बहुत-बहुत-बहुत अच्छी कर रहे हो, उसकी तो मुबारक है ही। लेकिन आगे एडीशन क्या करना है? आप लोगों के मन में है ना कोई नवीनता चाहिए। तो बापदादा ने देखा, जो भी प्रोग्राम किये हैं, समय भी दिया है, और मुहब्बत से ही किया है, मेहनत भी मुहब्बत से की है और अगर स्थूल धन भी लगाया है तो वह तो पदमगुणा होके आपके परमात्म बैंक में जमा हो गया है। वह लगाया क्या, जमा किया है। रिजल्ट में देखा गया कि सन्देश पहुँचाने का कार्य, परिचय देने का कार्य सभी ने बहुत अच्छा किया है। चाहे कहाँ भी किया, अभी दिल्ली में हो रहा है, लण्डन में हुआ और बापदादा को डबल फारेनर्स का कॉल ऑफ टाइम करते हैं, पीस ऑफ माइण्ड करते हैं, यह सब प्रोग्राम बहुत अच्छे लगते हो। जो भी और काम कर सको करते रहो, लेकिन सन्देश मिलता है, स्नेही भी बनते हैं, सहयोगी भी बनते हैं, सम्बन्ध में भी कोई-कोई आ जाते हैं लेकिन अभी एडीशन चाहिए- कि जब भी कोई बड़ा प्रोग्राम करते हो उसमें सन्देश तो मिलता है, अनुभव करके जायें कुछ, अनुभव बहुत जल्दी आगे बढ़ाता है। जैसे यह कॉल ऑफ टाइम में, या पीस ऑफ माइन्ड में थोड़ा-थोड़ा अनुभव ज्यादा करते हैं। लेकिन जो बड़े प्रोग्राम होते हैं उसमें सन्देश तो अच्छा मिल जाता है, लेकिन जो भी आवे उसके पीठ करके कुछ न कुछ अनुभव करे, क्योंकि अनुभव कभी भूलता नहीं है और अनुभव ऐसी चीज़ है जो न चाहते हुए भी उस तरफ खीचेंगे। तो पहले बापदादा कहते हैं जो सभी ब्राह्मण भी हैं, जो भी ज्ञान की प्वाइंटस हैं, उनका स्वयं अनुभवी बने हो? हर शक्ति का अनुभव किया है, हर गुण का अनुभव किया है? आत्मिक स्थिति का अनुभव किया है? परमात्म प्यार का अनुभव किया है? ज्ञान समझना इसमें तो पास हो, नॉलेजफुल तो बन गये हो, इसमें तो बापदादा भी रिमार्क्स देते हैं, ठीक है। आत्मा क्या, परमात्मा क्या, ड्रामा क्या, ज्ञान तो समझ लिया है, लेकिन जब चाहे जितना समय चाहें, जिस भी परिस्थिति में हो, उस परिस्थिति में आत्मिक बल का अनुभव हो, परमात्म शक्ति का अनुभव हो, वह होता है? जिस समय, जितना समय, जैसे अनुभव करने चाहो वैसे होता है? कि कभी कैसे कभी कैसे? सोचो आत्मा हूँ, और फिर बार-बार देहभान आ जाए, तो क्या अनुभव काम में आया? अनुभवी मूर्त हर सब्जेक्ट के अनुभवी मूर्त, हर शक्तियों के अनुभवी मूर्त। तो स्वयं में भी अनुभव को और बढ़ाओ, है, ऐसे नहीं कि नहीं है, लेकिन कभी-कभी है, समटाइम। तो बापदादा समटाइम नहीं चाहते हैं, समाथिंग हो जाता है, तो समटाइम भी हो जाता है क्योंकि आप सबका लक्ष्य है, पूछते हैं क्या बनने का लक्ष्य है? तो कहते हो बाप समान। एक ही जवाब सभी देते हो। तो बाप समान, तो बाप समटाइम और समाथिंग नहीं था, ब्रह्मा बाप सदा राज़युक्त, योगयुक्त, हर शक्ति में सदा, कभी-कभी नहीं। अनुभव जो होता है, वह सदाकाल चलता है, वह सम टाइम नहीं होता है। तो स्वयं अनुभवी मूर्त बन हर बात में, हर सबजेक्ट में अनुभवी, ज्ञान स्वरूप में अनुभवी, योगयुक्त में अनुभवी, धारणा स्वरूप में अनुभवी। आलराउण्ड सेवा मन्सा वाचा कर्मणा, सम्बन्ध-सम्पर्क सबमें अनुभवी, तब कहेंगे पास विद आनर। तो क्या बनने चाहते हो? पास होने चाहते हो या पास विद ऑनर बनने चाहते हो? पास करने वाले तो पीछे भी आयेंगे, आप तो टूलेट से पहले आ गये हो, चाहे अभी नये भी आये हैं लेकिन टूलेट का बोर्ड नहीं लगा है। लेट का लगा है, टूलेट का नहीं लगा है। इसीलिए चाहे कोई नये भी हैं लेकिन अभी भी तीव्र पुरूषार्थ करे, पुरूषार्थ नहीं तीव्र, तो आगे जा सकता है। क्योंकि नम्बर आउट नहीं हुआ है। सिर्फ दो नम्बर आउट हुए हैं, बाप और माँ। अभी कोई भी भाई बहन का तीसरानम्बर आउट नहीं हुआ है। भले आप कहेंगे दादियों से बहुत प्यार है, बाप का भी दादियों से प्यार है, लेकिन नम्बर आउट नहीं हुआ है। इसीलिए आप बहुत-बहुत सिकीलधे, लाडले भाग्यवान हो, जितना उड़ने चाहो उड़ो क्योंकि देखो जो छोटे बच्चे होते हैं ना उसको बाप अपनी अंगुली देके चलाता है, एकस्ट्रा प्यार करता है, और बड़े को अंगुली से नहीं चलाता है, अपने पांव से चलता है। तो नया भी कोई मेकप कर सकता है। गोल्डन चांस है। लेकिन जल्दी में जल्दी टूलेट का बोर्ड लगना है, इसलिए पहले ही कर लो। नये जो आये हैं पहली बारी, वह हाथ उठाओ। अच्छा। मुबारक हो। पहले बारी अपने घर मधुबन में पहुंच गये हो, इसलिए बापदादा और सारे परिवार चाहे देश वाले, चाहे विदेश वाले सबकी तरफ से पदम-पदमगुणा मुबारक हो।

अभी सुना - जितना हो सके योग्य आत्मायें देख करके अनुभवी मूर्त बनाओ। फिर आपको कहना नहीं पड़ेगा, आते रहो। आप कहेंगे नहीं आओ, तो भी आयेंगे। अनुभव ऐसी चीज़ है। स्वयं को भी अनुभव में बढ़ाओ, जितना-जितना अनुभव में और महादानी बनके सेवा में बिजी रहेंगे ना, तो यह जो टाइम वेस्ट होता है ना समस्याओं में, दादियों को भी समय देना पड़ता है और अपने को भी समय देना पड़ता है, वह समय बच जायेगा क्योंकि समय के महत्व को भी जानते हो, अचानक होना है। कई भाई बहिनें सोचते हैं थोड़ा सा इशारा मिल जाए ना, 10 साल हैं, 20 साल है, कितना है, लेकिन बापदादा ने कह दिया है, अचानक होना है। एवररेडी रहना है। फास्ट गति करो अभी - स्वयं की भी, औरों को भी योग्य बनाने की। अच्छा है, फॉरेन की सेवा भी अच्छी वृद्धि को प्राप्त कर रही है। 90 देशों तक पहुंच गये हो, बाकी क्या रहा! 10 तो और बढ़ाओ, 100 तो हो जायें। (जयन्ती बहन ने सुनाया, 129 कन्ट्री तक पहुंच गये हैं, 100 में रजिस्ट्री भी हो चुकी है, बाकी में कुछ न कुछ बाबा का कार्य चल रहा है) अच्छा है, बापदादा ने अफ्रीका का भी समाचार सुना, वह भी थोड़े टाइम में अच्छी वृद्धि कर ली है। अच्छा है। बापदादा खुश होते हैं, कि मर्सीफुल आत्मायें हैं। आत्माओं के प्रति प्यार है, और देखो कहाँ-कहाँ से बच्चे पहुंचे हुए हैं चाहे और धर्म में भी चले गये हैं, कितने बिखर गये हैं। तो अपने परिवारको तो ढूंढकर निकालना है ना। अच्छा कर रहे हैं सभी। अभी दिल्ली में भी बड़ा प्रोग्राम, है तो मेला कामन, लेकिन नये रूप से करने से लोगों को भी रूचि होती है। लण्डन का प्रोग्राम भी बहुत अच्छा किया, और इतने लोगों को परिचय भी मिला, अभी जो एड्रेसेज हैं उससे कान्टैक्ट करके, जहाँ से भी आये, जिस प्रोग्राम में भी कोई आते हैं तो एड्रेस और फोन जरूर लिखाओ, चाहे 8-10 जगह पर रखो, क्योंकि तभी उन्हों को बुला करके, समय दे करके फिर उनको आगे बढ़ा सकेंगे। बाकी समय का बिगुल तो अचानक बजना है, उसके पहले अपने भाई बहिनों का कल्याण तो करना है ना। तरस आता है ना? अब छोटी-छोटी बातों में टाइम नहीं लगाओ। जैसे देखो मक्खी आती है, मच्छर आता है, ठहरने देते हो, फौरन उड़ा देते हो, कि बैठने देंगे। अच्छा मच्छर भले आओ। कोई भी समस्या क्या है? मच्छर और मक्खी तो है। फौरन भगाओ। उन्हों का काम है आना, माया आने का काम नहीं छोड़ती है, लेकिन ब्राह्मण भगाने के काम में कभी कभी थोड़ी देरी लगा देते हैं। बाकी बापदादा ने सभी देशों का कुछ-कुछ परिवर्तन किया है, वह लिखत देखी, 5-6 खण्डों का देखा। लेकिन परिवर्तन किया और लिखा है, उसकी मुबारक तो है लेकिन इसको अविनाशी बनाना। ऐसे नहीं कि कोई छोटी सी बात आ गई, परिवर्तन बदल जाये, यह नहीं करना। अमरभव का वरदान लो। जो परिवर्तन किया है, बापदादा ने सुना, कोई कोई ने परिवर्तन अच्छा किया है लेकिन सदा शब्द को कभी नहीं भूलना क्योंकि माया भी सुन रही है तो यह प्रतिज्ञा कर रहे हैं, वह भी तो अपना अजमाइस करेगी ना, लेकिन आप तो मायाजीत हो ना, मायाजीत तब तो जगतजीत बनेंगे। तो माया को देख करके, माया का आना देख करके आप याद करो मेरा काम भगाना है। वह भी आपको सिखलाती है, कि मैं आना नहीं छोडूंगी, आप विजय पाना नहीं छोड़ो, तो क्या? अभी छोटे-छोटे मच्छर और मक्खी को आने नहीं देना। सम्पूर्ण स्थिति के आगे यह छोटी-छोटी चीज़ें क्या हैं!

अच्छा आप सबकी प्यारी-प्यारी मीठी दादी सम्मुख आ गई है। (वीडियो कानफ्रेनसिंग से) बहुत मीठा मुस्करा रही है | देखो सभी हाथ हिलाओ, देखेगी वहाँ दिखाई देगा। अच्छा है। देखो, दादी ने ब्रह्मा बाप से भी ज्यादा समय सेवा का पार्ट बजाया है। तो विशेष हीरो एक्टर है ना। देखो दादी आपको देख करके सभी बहुत-बहुत खुश हो रहे हैं। (दादी ने सभी डबल विदेशियों को खास याद देते दीवाली की मुबारक दी) देखो, यह भी प्रैक्टिकल दिवाली है ना, आप प्रैक्टिकल इतने जगे हुए दीपक चमक रहे हो तो दादी को दीवाली याद आ रही है। कितनी रिमझिम है, एक एक के मस्तक में आत्मा चमक रही है, तो यह दीपक कितने अच्छे हैं, अविनाशी दीपक हैं। (दादी ने कहा - सभी बाबा-बाबा कर रहे हैं, बाबा आपकी बहुत याद आ रही है) अभी जल्दी आ जायेगी। देखो, बीमारी कितनी भी हो लेकिन दर्द की फीलिंग नहीं हो तो वह बीमारी आराम देती है। हीरो एक्टर है ना, शान्ति की देवी है। अभी जल्दी आ जायेगी, मिलेगी आप सबसे। अच्छा, लण्डन के प्रोग्राम का जस्ट ए मिनट ग्रुप:- बहुत अच्छा यह विशेषता अच्छी रही जो एक साथ और देशों ने भी भाग लिया या देखा भी, तो यह नवीनता अच्छी रही और इसको और भी रिफाइन कर एक ही समय पर अनेक तरफ एक ही सेवा का आवाज हो। तो यह अच्छा है। रिफाइन होता जायेगा और बढ़ता जायेगा तो सभी को पता पड़ेगा कि एक ही समय पर एक ही आवाज चारों ओर गूंज रहा है, तो सभी ने मेहनत बहुत अच्छी की और दिल से किया और विशेषता लण्डन की यह रही कि बड़ी दिल से बेफिक्र होकरके किया। इसकी मुबारक हो। कोई भी प्रोग्राम अगर बड़ी दिल से करते हैं तो अच्छा होता है। क्या होगा, कैसे होगा, यह कै कै नहीं आवे, होना ही है, करना ही है, सफलता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है। तो यह अच्छा रिजल्ट है। बड़ी दिल लण्डन की है ही। जनक बच्ची की बड़ी दिल नम्बरवन है क्यों, क्या नहीं सोचती। और हो ही जाता है। सभी ने देखा होगा तो कितना सहज हो गया। बापदादा ने सुना कि खर्चा तो हुआ लेकिन और ही बचत हुई। बच गया, और ही बढ़ गया, कम नहीं हुआ। तो यह किसकी कमाल है? बड़े दिल की। कभी भी कोई भी प्रोग्राम करो तो पहले बड़ी दिल करेंगे तो सफलता होगी। तो मुबारक है। बड़ी दिल की और बड़े प्रोग्राम की। बाकी रिफाइन तो होता रहेगा। एडीशन तो होती रहेगी। अभी पीठ करना, इतने जो आये, उनसे कम से कम कुछ तो सम्बन्ध सम्पर्क वाले स्टूडेन्ट तो बने ना, बनेंगे। (अमेरिका की मोहिनी बहन का बहुत अच्छा सहयोग रहा) सभीने मिलके किया है ना। अच्छा है। बहुत अच्छा। संगठन की शक्ति कमाल करती ही है। तो संगठित होकरके किया, सफलता है, सफलता रहेगी। थकावट नहीं हुई ना। खुशी हो गई। जब देखा सभा में रौनक हो गई तो खुशी हो गई। अच्छा। मुबारक हो।

आई.टी. ग्रुप:- अच्छा है आप लोगों के कार्य से सभी तरफ जो समाचार मिलता है तो सभी की दिल खुश हो जाती है क्योंकि परिवार है ना, तो परिवार में समाचार मिलने से खुशी होती है। तो अच्छा किया है, चलता तो रहता था काम, लेकिन अभी संगठित रूप में मिल करके कायदे प्रमाण कर रहे हैं, बढ़ा रहे हैं, यह बहुत अच्छा बनाया भी है और बढ़ाया भी है। इसमें आपोजीशन तो होगी लेकिन आप अपनी पोजीशन में दृढ़ हैं तो आपोजीशन खत्म हो जायेगी। आपोजीशन हो तब तो आपको उमंग आवे, यह करें, यह करें.. तो आपोजीशन पोजीशन को बढ़ा लेती है और सफलता मिलती भी है और मिलती रहेगी। यह निश्चित है। कभी भी कुछ भी हो जाए घबराना नहीं, सफलता आपके साथ है। आपोजीशन के साथ नहीं है, पोजीशन वालों के साथ है। बहुत अच्छा कर रहे हैं, हर एक देश में सिस्टम अच्छी बनाई है। (आई.टी.ग्रुप की मुख्य मोहिनी बहन हैं) अच्छा है, कोई कायदे प्रमाण निमित्त बनता है ना तो जो भी कार्य होता है उसमें कायदे से फायदा होता है। अच्छा हिम्मत रखकर उठाया है, इसकी बहुत-बहुत मुबारक हो। हर एक देश से बापदादा के पास समाचार आते रहते हैं, कैसे आपस में मीटिंग करते हो, कैसे आगे का प्लैन बनाते हो वह बापदादा के पास पहुंचते हैं इसीलिए मुबारक हो, मुबारक हो।

आर.सी.ओ ग्रुप:- अच्छा यह प्लैनिंग बुद्धि वाली आत्मायें हैं। नये-नये प्लैन बनाते रहते हो। चारों ओर सेवा की वृद्धि और ब्राह्मण आत्माओं में भी वृद्धि कैसे हो, विधि क्या हो, यह आपस में मिलकर जो मीटिंग करते हो वह बहुत अच्छा है। बापदादा के पास सब समाचार तो उसी समय ही पहुंच जाते हैं, क्योंकि बाप स्विच आन करता है टी.वी. का तो उसमें सब दिखाई-सुनाई देता है, तो बापदादा को पसन्द है। आपस में मिलके प्लैन और प्रोग्राम बनाते हो और प्रैक्टिकल में लाने का अच्छा पुरूषार्थ करते हो। बढ़ते चलो, बढ़ना है और सफलता बच्चों के गले का हार है। अच्छा है। मुख्य सभी इकट्ठे हो जाते हैं तो प्लैन भी ऐसे ही बड़े अच्छे बनते हैं। सभी देश के मिल जाते हैं। अच्छा, बहुत अच्छा। बढ़ते रहो, उड़ते रहो।

सेवा के निमित्त और भी मुख्य बहिनें बाबा के सामने खड़ी हुई:- अच्छा यह भिन्न-भिन्न देश की हैं, आपस में मिलके भविष्य सेवा के प्लैन बनाते हैं, चारों ओर के वायुमण्डल को जानकर, वायुमण्डल को भी एक दो की राय से पावरफुल बनाते हो क्योंकि वायुमण्डल का प्रभाव बहुत जल्दी पड़ता है। तो सेवा के भी प्लैन वृद्धि के बनाते हो और फिर सेन्टर्स के भी वायुमण्डल को शक्तिशाली बनाने के प्लैन जो आपस में राय सलाह करके बनाते हो, उससे देखा गया है कि समय प्रति समय वायुमण्डल अच्छा ही बनता जाता है। वृद्धि भी अच्छी है और विधि भी अच्छी है। और विधि की सिद्धि भी है। तो संगठन की शक्ति है ना! संगठन की शक्ति बहुत कमाल करती है, करना ही है। आपस का मिलना भी हो जाता है और सेवा की वृद्धि विधि भी हो जाती और एक दो के समीप भी आ जाते हैं। तो यह जो प्रोग्राम बनाया है, बापदादा को पसन्द है। और ड्रामानुसार आपको मधुबन का भी चांस मिल जाता है। यह संगठन बहुत करके मधुबन के वायुमण्डल में होता है। और भी संगठन की शक्ति को बढ़ाते जाओ। जब शक्ति सेना अपने को प्रत्यक्ष करेगी तब बाप प्रत्यक्ष होगा क्योंकि शक्ति और पाण्डवों के द्वारा ही बाप प्रत्यक्ष होना है। तो पहले शक्तियां या पाण्डव खुद अपने को सम्पूर्ण प्रत्यक्ष करेंगे तब बाप प्रत्यक्ष होगा। हर एक के चेहरे में बाप ही दिखाई देगा। इतनी संगठन में शक्ति है। तो अच्छा लगा। आप सभी को भी अच्छा लग रहा है ना। संगठन की शक्ति को बढ़ाते चलो। बाप को प्रत्यक्ष करते चलो। मुबारक हो। अच्छा है, मैजारटी भारत की बहनें हैं। देखो, पहले भारत गया है विदेश को जगाने, अभी विदेश भारत में जगायेगा। मैजारिटी भारत की है। तो विदेश भारत को कब जगायेंगे? यह आई.टी. ग्रुप जगायेगा? अच्छा है, कनेक्शन अच्छा हो रहा है।

सर्व अफ्रीका ग्रुप:- देखो, अफ्रीका वालों को एक बात की बहुत-बहुत मुबारक है - जो वायदा किया वह पूरा निभाया है। संगठन की शक्ति से एक दो के सहयोगी अच्छे बने हैं और ऐसे देश जहाँ अपने परिवार के लोग पहुंच गये हैं, उन भाई बहिनों को ढूंढकर निकालना, मेहनत भी की है, तो विधि भी अच्छी की है और समय पर सफलता प्राप्त कर ली है, उसकी बहुत-बहुत मुबारक हो। अच्छा किया है, मेहनत अच्छी की है। जो निमित्त बने हैं ना, वह भी आपस में संगठित रूप में अच्छे चले हैं और चल रहे हैं, यह भी है ना? (जयन्ती बहन को, आप भी उठो) अच्छा किया, एक दो का सहयोग अच्छा है। बापदादा को दिखाया था शक्तियां भी निमित्त हैं और पाण्डव भी निमित्त हैं। बहुत अच्छा रिकार्ड रखा है। बहुत अच्छा, सफलता की माला तो बापदादा पहना रहा है, वह माला तो क्या पहनायेंगे फिर उतार देंगे लेकिन सफलता की माला एक एक को बापदादा पहना रहा है। अच्छा। पदमगुणा मुबारक हो।

दिल्ली ओ.आर.सी. में एस.एम.एल की ट्रेनिंग करने, कराने वाला ग्रुप:- अच्छा है जितना अभ्यास करते हैं उतना पुण्य कमाते हैं, दूसरों को सेवा करके परिवर्तन कराना, यह सेवा का पुण्य जमा हो जाता है और यह पुण्य वर्तमानसमय खुशी दिलाता है और भविष्य में भी जमा होता है। जितनों को करायेंगे, किसलिए किया है? कराने के लिए ना! तो इतने सारे हैण्ड कराने के लिए तैयार हो गये। तो कितने पुण्य जमा होंगे! सेवा अर्थात् पुण्य जमा करना, कोई भी ग्रुप हो। जितने भी ग्रुप ने भिन्न-भिन्न प्रकार की सेवायें की हैं, उन्हों का पुण्य जमा हो गया और जमा करते रहना। इसीलिए सीखे हो ना! होशियार हो गये ना! औरों को भी करा सकेंगे ना? एक दो को आगे बढ़ाना, यह भी अच्छा किया, निमित्त बने ना? निमित्त बनने वाले का भी पुण्य जमा होता है। तो बापदादा खुश है, लेकिन जो सीखा है वह सिखाने में नम्बरवन आना। अपने तक नहीं रखना। काम में लगाना। समय दिया है और निमित्त का समय लिया है तो और आगे बढ़ाना। मुबारक हो, मुबारक हो। बहुत अच्छा, जो ग्रुप में नहीं भी उठे हैं, उन्हों को भी बहुत-बहुत मुबारक है। किसी न किसी सेवा में तो आपका भी ग्रुप है, इसीलिए इनएडवांस मुबारक हो।

अच्छा - अभी सेकण्ड में जिस स्थिति में बापदादा डायरेक्शन दे उसी स्थिति में सेकण्ड में पहुंच सकते हो! कि पुरूषार्थ में समय चला जायेगा? अभी प्रैक्टिस चाहिए सेकण्ड की क्योंकि आगे जो फाइनल समय आने वाला है, जिसमें पास विद ऑनर का सर्टीफिकेट मिलना है, उसका अभ्यास अभी से करना है। सेकण्ड में जहाँ चाहे, जो स्थिति चाहिए उस स्थिति में स्थित हो जाएं। तो एवररेडी। रेडी हो गये। अभी पहले एक सेकण्ड में पुरूषोत्तम संगमयुगी श्रेष्ठ ब्राह्मण हूँ, इस स्थिति में स्थित हो जाओ.... अभी मैं फरिश्ता रूप हूँ, डबल लाइट हूँ..., अभी विश्व कल्याणकारी बन मन्सा द्वारा चारों ओर शक्ति की किरणें देने का अनुभव करो। ऐसे सारे दिन में सेकण्ड में स्थित हो सकते हैं! इसका अनुभव करते रहो क्योंकि अचानक कुछ भी होना है। ज्यादा समय नहीं मिलेगा। हलचल में सेकण्ड में अचल बन सकें इसका अभ्यास स्वयं ही अपना समय निकाल बीच-बीच में करते रहो। इससे मन का कन्ट्रोल सहज हो जायेगा। कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर बढ़ती जायेगी। अच्छा - चारों ओर के बच्चों के पत्र भी बहुत आये हैं, अनुभव भी बहुत आये हैं, तो बापदादा बच्चों को रिटर्न में बहुत-बहुत दिल की दुआयें और दिल का याद प्यार पदम-पदमगुणा दे रहे हैं। बापदादा देख रहे हैं - चारों ओर के बच्चे सुन भी रहे हैं, देख भी रहे हैं। जो नहीं भी देख रहे हैं, वह भी याद में तो हैं। सबकी बुद्धि इस समय मधुबन में ही है। तो चारों ओर वे हर एक बच्चे को नाम सहित यादप्यार स्वीकार हो। सभी सदा उमंग-उत्साह के पंखों द्वारा ऊंची स्थिति में उड़ते रहने वाले श्रेष्ठ आत्माओं को, सदा स्नेह में लवलीन रहने वाले समाये हुए बच्चों को, सदा मेहनत मुक्त, समस्या मुक्त, विघ्न मुक्त, योगयुक्त, राज़युक्त बच्चों को, सदा हर परिस्थिति में सेकण्ड में पास होने वाले, हर समय सर्व शक्ति स्वरूप रहने वाले मास्टर सर्वशक्तिवान बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते। आप सबकी प्यारी दादी को भी बहुत-बहुत दुआयें और यादप्यार।

दादियों से:- यह मुक्त अवस्था भी बहुत काल की चाहिए। ग्रहचारी हो या विघ्न हो, कोई भी ऐसी चीज़ न रहे। स्वदर्शन चलाते रहें ना, तो परदर्शन, पराचिंतन खत्म हो जाए। पहले डबल विदेशी करके दिखायें, करेंगे ना? निमित्त बनके दिखाना। मायामुक्त, माया को विदाई दे दो, बाप की बधाईयां मिलेगी। माया को सदा के लिए विदाई देना अर्थात् बाप की बधाईयां लेना। (दादी की तरफ से मोहिनी बहन ने भाकी पहनी) आप सबको पता है कि आप सबकी एक परदादी भी है, तो वह भी बहुत मीठा पार्ट बजाने वाली है। उसने भी बहुत-बहुत बाप के साथ आप सबको भी बहुत याद भेजी है और बापदादा उसकी हिम्मत पर बहुत खुश है। कोई भी डाक्टर आता है, तो डाक्टर को भी ज्ञान देने शुरू कर देती है। डाक्टर उसको समझते हैं पेशेन्ट और वह उसको ज्ञान देकरके पेशेन्स में रहना सिखाती है। तो वह भी बहुत अच्छा पार्ट बजा रही है और याद में रह करके आगे से आगे उड़ रही है। बेड में होते भी उड़ रही है। तो सबने याद दी, परदादी को तो बहुत बड़ी याद चाहिए ना। अच्छा। बहुत अच्छा। (दादी की तरफ से मोहनी बहन ने और दादी जानकी ने बापदादा को भाकी पहनी) आप तो भाकी में हो, ऐसे औरों को भी लेना पड़ेगा। (मुन्नी बहन, ईशू दादी ने भी खास याद दी है) अच्छा दादी के साथ सेवा के निमित्त बने हुए मुन्नी बच्ची, डाक्टर जी, और भी जो भाई बहिनें दिल से सेवा कर रहे हैं, अच्छी सेवा कर रहे हैं, इसीलिए दिल से सेवा करने वालों को बापदादा दिलाराम की दिल से दुआयें भी हैं, यादप्यार भी है। परदादी के भी सेवाधारियों को यादप्यार विशेष बापदादा दे रहे हैं। आप भी दे रहे हो ना? मुन्नी, ईशू, पारला की योगिनी और साथी भी सेवा अच्छी कर रहे हैं और हॉस्पिटल में जो ब्राह्मण आत्मायें सेवा कर रही हैं, उन सबको यादप्यार। (मुन्नी बहन कह रही हैं - 40 साल में बाबा पहली बार ऐसा हुआ है जो आप मधुबन में हो हम बम्बई में हैं) बापदादा आप सबको मधुबन में देख रहे हैं, कहाँ भी हो मधुबन में बाप के सामने हो। सामने हैं सिर्फ फरिश्ते रूप में हैं। (दादी बाबा को भाकी पहन रही है)

विदेश की बड़ी बहिनों से:- एक दो के विचार से, विचार लेकर संगठित रूप में सेवा में चल रहे हो इसकी मुबारक हो। बापदादा का जन्म से वरदान है। (सब टेन्शन मुक्त हैं) अगर इन्हों को टेन्शन होगा तो दूसरों का क्या हाल होगा! इन्हों के पीछे तो लाइन है ना। इन्हों को तो टेन्शन स्वप्न में भी नहीं क्योंकि लाइन बड़ी है। यह तो हैं लेकिन विश्व की भी लाइन है, वही लहर फैलेगी। हेल्थ भी अच्छी है, वेल्थ भी बहुत है, हैपी भी है। सब हेल्दी हैं, बापदादा को खुशी है कि भारत की बहनों ने विदेश सम्भाल लिया है। (बम्बई, दिल्ली की कमाल है) गुजरात भी है, गुजरात का नाम भी तो रखो ना। कारोबार भी अच्छी चल रही है। (इस बार जनवरी मास स्पेशल होगा) इस बार जनवरी मास ऐसा मनाओ जो विघ्नमुक्त का सर्टीफिकेट हो। सभी को सर्टीफिकेट मिले। नवीनता करो। नवीनता होगी तो उड़ जायेंगे। अभी उड़ने का ही समय है क्योंकि अचानक कुछ भी हो सकता है, हलचल का समय है। उसमें आप अचल। यही सबको वायब्रेशन आवे कि हम हलचल में हैं, यह अचल हैं। होना ही है। अच्छा है। बहुत-बहुत मुबारक।

दादी शान्तामणि, दादी मनोहर इन्द्रा, दादी रत्नमोहिनी:- त्रिमूर्ति मधुबन के निमित्त हो, मधुबन अर्थात् उसमें सब आ गया। तो निमित्त समझकर चलते चलो, उड़ते चलो। आदि रत्न तो हो ना। तो आदि रत्न में आदि देव के संस्कार आटोमेटिकली भरे हुए हैं, उसको प्रैक्टिकल में लाओ। सभी आप लोगों को देखके कितने खुश हो जाते हैं। तो खुशी दे रहे हो, खुशी देते रहेंगे। बहुत अच्छा। (दादी शान्तामणि) शान्तामणि दादी तो पांच चिड़ियाओं में भी है, जो निमित्त बनी, उसमें भी है।