17-03-2007   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


"श्रेष्ठ वृत्ति से शक्तिशाली वायब्रेशन और वायुमण्डल बनाने का तीव्र करो, दुआ दो और दुआ लो"


आज प्यार और शक्ति के सागर बापदादा अपने स्नेही, सिकीलधे, लाडले बच्चो से मिलने के लिए आये है । सभी बच्चे भी दूर-दूर से स्नेह की आकर्षण से मिलन मनाने के लिए पहुंच गये है । चाहे सम्मुख बैठे है, चाहे देश विदेश मे बैठे हुए स्नेह का मिलन मना रहे है । बापदादा चारो ओर के सर्व स्नेही, सर्व सहयोगी साथी बच्चो को देख हर्षित होते हैं । बापदादा देख रहे हैं मैजॉरिटी बच्चो के दिल में एक ही संकल्प है कि अभी जल्दी से जल्दी बाप को प्रत्यक्ष करें । बाप कहते है सभी बच्चो का उमंग बहुत अच्छा है, लेकिन बाप को प्रत्यक्ष तब कर सकेंगे जब पहले अपने को बाप समान सम्पन्न सम्पूर्ण प्रत्यक्ष करेंगे । तो बच्चे पूछते है बाप से कि कब प्रत्यक्ष होगा? और बाप बच्चों से पूछते है कि आप बताओ, आप कब स्वयं को बाप समान प्रत्यक्ष करेंगे ? अपने सम्पन्न बनने की डेट फिक्स की है ? फ़ोरिन वाले तो कहते है एक साल पहले डेट फिक्स की जाती है । तो अपने को बाप समान बनने की आपस मे मीटिंग करके डेट फिक्स की है?

बापदादा देखते हैं आजकल तो हर वर्गकी भी मीटिंग्स बहुत होती है । डबल फारेनर्स की भी मीटिंग बापदादा ने सुनी । बहुत अच्छी लगी । सब मीटिंग्स बापदादा के पास तो पहुच ही जाती हैं । तो बापदादा पूछते है कि इसकी डेट कब फिक्स की है ? क्या यह डेट ड़ामा फिक्स करेगा या आप फिक्स करेंगे ? कौन करेगा ? लक्ष्य तो आपको रखना ही पड़ेगा । और लक्ष्य बहुत अच्छे ते अच्छा, बढिये ते बढिया रखा भी है, अभी सिर्फ जैसा लक्ष्य रखा है उसी प्रमाण लक्षण, श्रेष्ठ लक्ष्य के समान बनाना है । अभी लक्ष्य और लक्षण मे अन्तर है । जब लक्ष्य और लक्षण समान हो जायेंगे तो लक्ष्य प्रैक्टिकल में आ जायेगा । सभी बच्चे जब अमृतवेले मिलन मनाते है और संकल्प करते है तो वह बहुत अच्छे करते है । बापदादा चारो ओर के हर बच्चे की रूहरिहान सुनते है । बहुत सुन्दर बाते करते है । पुरुषार्थ भी बहुत अच्छा करते है लेकिन पुरुषार्थ में एक बात की तीव्रता चाहिए । पुरुषार्थ है लेकिन तीव्र पुरुषार्थ चाहिए । तीव्रता की दृढ़ता उसकी एडीशन चाहिए ।

बापदादा की हर बच्चे के प्रति यही आश है कि समय प्रमाण हर एक तीव पुरुषार्थी बने । चाहे नम्बरवार है, बापदादा जानते है लेकिन नम्बरवार मे भी तीव्र पुरुषार्थ सदा रहे, उसकी आवश्यकता है । समय सम्पन्न होने मे तीव्रता से चल रहा है लेकिन अभी बच्चो को बाप समान बनना ही है, यह भी निश्चित ही है सिर्फ इस में तीव्रता चाहिए । हर एक अपने को चेक करे कि मै सदा तीव्र पुरुषार्थी हूँ?  क्योंकि पुरुषार्थ मे पेपर तो बहुत आते ही हैं और आने ही है लेकिन तीव्र पुरुषार्थी के लिए पेपर मे पास होना इतना ही निश्चित है कि तीव्र पुरुषार्थी पेपर मे पास हुआ ही पडा है । होना है नही, हुआ ही पड़ा है, यह निश्चित है । सेवा भी सभी अच्छी रूचि से कर रहे है लेकिन बापदादा ने पहले भी कहा है कि वर्तमान समय के प्रमाण एक ही समय पर मन्सा-वाचा और कर्मणा अर्थात् चलन और चेहरे द्वारा तीनो ही प्रकार की सेवा चाहिए । मन्सा द्वारा अनुभव कराना, वाणी द्वारा ज्ञान के खजाने का परिचय कराना और चलन वा चेहरे द्वारा समूर्ण योगी जीवन के प्रैक्टिकल रूप का अनुभव कराना, तीनो ही सेवा एक समय करनी है । अलग- अलग नहीं, समय कम है और सेवा अभी भी बहुत करनी है । बापदादा ने देखा कि सबसे सहज सेवा का साधन है - वृत्ति द्वारा वायब्रेशन बनाना और वायब्रेशन द्वारा वायुमण्डल बनाना क्योकि वृत्ति सबसे तेज साधन है । जैसे साइंस की राकेट फास्ट जाती है वैसे आपकी रूहानी शुभ भावना, शुभ कामना की वृत्ति, दृष्टि और सृष्टि को बदल देती है । एक स्थान पर बैठे भी वृत्ति द्वारा सेवा कर सकते है । सुनी हुई बात फिर भी भूल सकती है लेकिन जो वायुमण्डल का अनुभव होता है, वह भूलता नही है । जैसे मधुबन मे अनुभव किया है कि ब्रह्मा बाप की कर्मभूमि, योग भूमि, चरित्र भूमि का वायुमण्डल है । अब तक भी हर एक उसी वायुमण्डल का जो अनुभव करते है वह भूलता नही है । वायुमण्डल का अनुभव दिल मे छप जाता है । तो वाणी द्वारा बडे-बड़े प्रोग्राम तो करते ही हो लेकिन हर एक को अपनी श्रेष्ठ रूहानी वृत्ति से, वायब्रेशन से वायुमण्डल बनाना है, लेकिन वृत्ति रूहानी और शक्तिशाली तब होगी जब अपने दिल मे, मन मे किसी के प्रति भी उल्टी वृत्ति का वायब्रेशन नही होगा । अपने मन की वृत्ति सदा स्वच्छ हो क्योंकि किसी भी आत्मा के प्रति अगर कोई व्यर्थ वृत्ति या ज्ञान के हिसाब से निगेटिव वृत्ति है तो निगेटिव माना किचडा, अगर मन में किचडा है तो शुभ वृत्ति से सेवा नहीं कर सकेंगे । तो पहले अपने आपको चेक करो कि मेरे मन की वृत्ति शुभ रूहानी है ? निगेटिव वृत्ति को भी अपनी शुभ भावना शुभ कामना से निगेटिव को भी पॉजिटिव में चेंज कर सकते हो क्योंकि निगेटिव से अपने ही मन में परेशानी तो होती है ना ! वेस्ट थोट्स तो चलते हैं ना ! तो पहले अपने को चेक करो कि मेरे मन में कोई खिटखिट तो नही है? नम्बरवार तो हैं, अच्छे भी है तो साथ मे खिटखिट वाले भी हैं, लेकिन यह ऐसा है, यह समझना अच्छा है । जो रोंग है उसको रोंग समझना है, जो राइट है उसको राइट समझना है लेकिन दिल में बिठाना नही है । समझना अलग है, नॉलेजफुल बनना अच्छा है, रांग को रांग तो कहौ ना ! कई बच्चे कहते हैं बाबा आपको पता नही यह कैसे है ! आप देखो ना तो पता पड जाए । बाप मानते है आपके कहने से पहले ही मानते है कि ऐसे है, लेकिन ऐसी बातों को अपनी दिल में वृत्ति में रखने से स्वयं भी तो परेशान होते हो । और खराब चीज अगर मन में है, दिल में है तो जहाँ खराब चीज है, वेस्ट थॉटस है, वह विश्व कल्याणकारी कैसे बनेंगे ? आप सभी का आक्यूपेशन क्या है ? कोई कहेगा हम लण्डन के कल्याणकारी हैं, दिल्ली के कल्याणकारी हैं, यूपी के कल्याणकारी हैं ? या जहाँ भी रहते हो, चलो देश नहीं तो शहर के कल्याणकारी है, आक्यूपेशन सब यही बताते कि विश्व कल्याणकारी हैं । तो सब कौन हो ? विश्व कल्याणकारी हो ? हैं तो हाथ उठाओ । (सभी ने हाथ उठाया) विश्व कल्याणकारी ! विश्व कल्याणकारी ! अच्छा । तो मन में कोई भी खराबी तो नही है ? समझना अलग चीज है, समझो भले, यह राइट है यह रोंग है, लेकिन मन में नही बिठाओ । मन में वृत्ति रखने से दृष्टि और सृष्टि भी बदल जाती है ।

बापदादा ने होम वर्क दिया था - क्या दिया था ? सबसे सहज पुरुषार्थ है जो सभी कर सकते है, मातायें भी कर सकती हैं, बूढ़े भी कर सकते हैं, युवा भी कर सकते हैं, बच्चे भी कर सकते हैं, वह यही विधि है सिर्फ एक काम करो किसी से भी सम्पर्क में आओ - 'दुआ दो और दुआ लो।' चाहे वह बददुआ देता है, लेकिन आप कोर्स क्या कराते हो ? निगेटिव को पॉजिटिव में बदलने का, तो अपने को भी उस समय कोर्स कराओ । चैलेन्ज क्या है ? चैलेन्ज है कि प्रकृति को भी तमोगुणी से सतोगुणी बनाना ही है । यह चैलेन्ज है ना ! है ? आप सबने यह चैलेन्ज की है कि प्रकृति को भी सतोप्रधान बनाना है ? बनाना है ? कांध हिलाओ, हाथ हिलाओ । देखो, देखादेखी नहीं हिलाना । दिल से हिलाना, क्योकि अभी समय प्रमाण वृत्ति से वायुमण्डल बनाने के तीव्र पुरुषार्थ की आवश्यकता है । तो वृत्ति में अगर जरा भी किचडा होगा, तो वृत्ति से वायुमण्डल कैसे बनायेंगे ? प्रकृति तक आपका वायब्रेशन जायेगा, वाणी तो नहीं जायेगी । वायब्रेशन जायेगा और वायब्रेशन बनता है वृत्ति से, और वायब्रेशन से वायुमण्डल बनता है । मधुबन में भी सब एक जैसे तो नही है । लेकिन ब्रह्मा बाप और अनन्य बच्चो के वृत्ति द्वारा, तीव्र पुरुषार्थ द्वारा वायुमण्डल बना है ।

आज आपकी दादी याद आ रही है, दादी की विशेषता क्या देखी ? कैसे कंट्रोल किया? कभी भी कैसी भी वृत्ति वाले की कमी दादी ने मन में नही रखी । सभी को उमंग दिलाया । आपकी जगदम्बा माँ ने वायुमण्डल बनाया । जानते हुए भी अपनी वृत्ति सदाशुभ रखी, जिसके वायुमण्डल का अनुभव आप सभी कर रहे हो । चाहे फॉलो फादर है लेकिन बापदादा हमेशा कहते हैं कि हर एक की विशेषता को जान उस विशेषता को अपना बनाओ । और हर एक बच्चे में यह नोट करना, बापदादा का जो बच्चा बना है उस एक एक बच्चे मे, चाहे तीसरा नम्बर है लेकिन यह ड़ामा की विशेषता है, बापदादा का वरदान है, सभी बच्चों में चाहे 99 गलतियां भी हो लेकिन एक विशेषता जरूर है । जिस विशेषता से मेरा बाबा कहने का हकदार है । परवश है लेकिन बाप से प्यार अटूट होता है । इसीलिए बापदादा अभी समय की समीपता अनुसार हर एक जो भी बाप के स्थान हैं, चाहे गांव मे है, चाहे बड़े जोन मे है, सेंटर्स पर है लेकिन हर एक स्थान और साथियों मे श्रेष्ठ वृत्ति का वायुमण्डल आवश्यक है । बस एक अक्षर याद रखो अगर कोई बददुआ देता भी है, तो लेने वाला कौन ? क्या देने वाला, लेने वाला एक होता है या दो ? अगर कोई आपको कोई खराब चीज़ दे, आप क्या करेंगे? अपने पास रखेंगे ? या वापस करेगे या फेंक देंगे कि अलमारी मे सम्भाल के रखेंगे ? तो दिल में सम्भाल के नही रखना क्योंकि आपकी दिल बापदादा का तख्त है । इसीलिए एक शब्द अभी मन में पक्का याद कर लो, मुख मे नहीं मन में याद करो - दुआ देना है, दुआ लेना है । कोई भी निगेटिव बात मन में नहीं रखो । अच्छा एक कान से सुना, दूसरे कान से निकालना तो आपका काम है कि दूसरे का काम है ? तब ही विश्व मे, आत्माओ में फास्ट गति की सेवा वृत्ति से वायुमण्डल बनाने की कर सकेंगे । विश्व परिवर्तन करना है ना! तो क्या याद रखेंगे ? याद रखा मन से ? दुआ शब्द याद रखो, बस क्योंकि आपके जड़ चित्र क्या देते है?  दुआ देते है ना ! मन्दिर में जाते हैं तो क्या मांगते है ? दुआ मागते हैं ना ! दुआ मिलती है तभी तो दुआ मागते हैं । आपके जड़ चित्र लास्ट जन्म में भी दुआ देते है, वृत्ति से उनकी कामनाये पूरी करते है । तो आप बार-बार ऐसे दुआ देने वाले बने हो तब आपके चित्र भी आज तक दुआये देते हैं । चलो परवश आत्माओ को अगर थोडा सा क्षमा के सागर के बच्चे क्षमा दे दी तो अच्छा ही है ना ! तो आप सभी क्षमा के मास्टर सागर हो ? हो या नही हो? हो ना! कहो पहले मै । इसमें हे अर्जुन बनो । ऐसा वायुमण्डल बनाओ जो कोई भी सामने आये वह कुछ न कुछ स्नेह ले, सहयोग ले, क्षमा का अनुभव करे, हिम्मत का अनुभव करे, सहयोग का अनुभव करे, उमंग-उत्साह का अनुभव करे । ऐसे हो सकता है ? हो सकता है ? पहली लाइन वाले हो सकता है ? हाथ उठाओ । पहले करना पडेगा । तो सभी करेगे ? टीचर्स करेगी ?

अच्छा - अभी लास्ट टर्न मे 15 दिन पडे हैं, ठीक है ना । मधुबन मे तो मदद है ही, आप सभी जितने भी है, जहाँ के भी हो लेकिन यह 15 दिन यह प्रैक्टिस करना कि दुआ देना है और दुआ लेना है । ठीक है ? यह होमवर्क ठीक है? करेंगे ? मधुबन वाले, अच्छा है, मधुबन वालो को सीट बहुत अच्छी मिली है, सीट अच्छी ले ली है, होशियार है मधुबन वाले, सीट अच्छी पकड ली है । अभी नम्बरवन की भी सीट लेनी है क्योकि मधुबन वासी बनना, भाग्य की निशानी है । और अभी सभी कहाँ के हो ? लण्डन के, अमेरिका के, अभी सभी मधुबन के हो । इस समय तो मधुबन के हो ना? कितना अच्छा है । अभी सब मधुबन निवासी हैं । तो 15 दिन के बाद बापदादा रिजल्ट लेगे, ठीक है ? पीछे वाले ठीक है ? ऊपर गैलरी मे भी बैठे है । गैलरीवाले ठीक है? अच्छा । अभी विश्वको बहुत आवश्यकता है । आप निवारण मूर्त बन जाओ । आपके निवारण मूर्त बनने से आत्माये निर्वाण में जा सकेंगी । अगर आप निवारण मूर्त नहीं बनेगे तो आत्माये बिचारी निर्वाण में जा नही सकेगी । निर्वाण का गेट आपको ही खोलना है । बाप के साथ-साथ गेट खोलेगे ना ? गेट की सेरीमनी करेंगे ना?  अभी डेट बनाना आपस मे । बापदादा सब मीटिंग सुनते है, बापदादा को क्या है, स्वीच आन किया, सुना । एक ही समय पर सभी जोन, सभी देश की बातें सुन सकते है, सुनने चाहे तो । अभी बेहद मे आओ । कोई कोई बच्चे थोड़े ज्यादा गम्भीर बनते है, गम्भीरता अच्छी है लेकिन ज्यादा गम्भीरता सीरियस लगता है, तो सीरियस किसको अच्छा नहीँ लगता है । गम्भीर बनो लेकिन अन्दर गम्भीरता हो, बाहर चेहरा मुस्कराता हो । मुस्कराता हुआ चेहरा सभी को पसन्द आता है और ऐसे ज्यादा गम्भीर वाला चेहरा उससे डरते है, दूर भागते है । सहयोगी नही बनेगे । ब्रह्मा बाप का मुस्कराना, जगत अम्बा माँ का मुस्कराना, अपनी दादी का मुस्कराना, याद है ना ! डबल फारेनर्स को भी दादी का मुस्कराता चेहरा अच्छा लगता है ना ! हाथ हिला रहे है । हँसो नहीं, मुस्कराओ । जोर से हंसना नही, मुस्कराना क्योंकि बापदादा को अभी तीव्र पुरुषार्थ चाहिए । क्यों ? क्योंकि बापदादा ने देखा कि बहुत काल का संस्कार आवश्यक है । अगर अन्त में तीव्र पुरुषार्थ करेंगे तो बहुतकाल में जमा नही होगा । और बहुतकाल में अगर आपका जमा नहीं होगा तो 21 जन्म का बहुतकाल का अधिकार भी कम हो जायेगा । तो बापदादा नहीं चाहता है कि एक भी बच्चे का अधिकार कम हो, जब मेरा बाबा कहा, तो मेरा बाबा कहने वाले बच्चे का अधिकार कम नहीं होना चाहिए क्योंकि बाप का तो चाहे लास्ट बच्चा है, बाप जानता है, लास्ट है लेकिन कभी मुरली में नहीं कहा कि वह लास्ट बच्चा है । मीठे मीठे बच्चे कहते है तो जो कडुवे है उन्हो को छोडके मीठे बच्चों को याद प्यार, यह कभी कहा है ? जानते तो हैं कि वह लास्ट बच्चा है लेकिन फिर भी मीठे मीठे बच्चे कहते है, कडुवा नही कहते है । तो बाप समान बनना है ना ! बापदादा को खुशी होती है, जब सभी का लक्ष्य पूछते हैं तो कहते हैं बाप समान बनना है, लास्ट नम्बर भी यही कहता है, तो बापदादा खुश होते है, फिर भी लक्ष्य ऊंचा रखा है तो लक्षण भी आते जायेंगे । बहुतकाल जरूर इकट्ठा करना है फिर लास्ट में नही उल्हना देना कि हमें तो बहुतकाल याद ही नही था । 63 जन्म के बहुतकाल का प्रभाव अभी तक भी देख रहे हैं । चाहते नही है हो जाता है, यह क्या है ? बहुतकाल का प्रभाव है । इसलिए बापदादा हर एक प्यारे से प्यारे बच्चों को यही कहते हैं तीव्र पुरुषार्थी भव ! होमवर्क याद रखना, 15 दिन के बाद रिजल्ट पूंछेगें । 15 दिन मे संस्कार पड जायेगे ना ! तो आगे भी होगा । यहाँ तो वायुमण्डल की मदद है ना । और सब मधुबन वाले ड्यूटी में हैं या जोन जिसका टर्न है, वह ड्यूटी पर है और तो सब फ्री है । तो क्या करेंगे ? दादी (दादी जानकी से) सुनाओ क्या करेंगे? करके दिखायेंगे ? करके ही दिखाना है । (बाबा जरूर आपको प्रत्यक्ष करके दिखायेंगे) पहले अपने को प्रत्यक्ष करो तब बाप प्रत्यक्ष होगा । क्योकि आप द्वारा होना है ना ! तो बाप कहते है आप कब अपने को प्रत्यक्ष करेंगे ? आपसे तो बाप प्रत्यक्ष हो ही जायेगा । है उमंग ? कितना उमंग है ? बहुत उमंग है ? सभी को जितना बहुत-बहुत उमंग है उतना ही बापदादा पदम-पदम-पदमगुणा इन एडवांस मुबारक दे रहे है । अच्छा ।

जगह जगह से बच्चो के ईमेल और पत्र तो आते ही हैं । तो जिन्होंने पत्र भी नही लिखा है लेकिन संकल्प किया है तो संकल्प वालों का भी याद प्यार बापदादाके पास पहुंच गया है । पत्र बहुत मीठे मीठे लिखते हैं । पत्र ऐसे लिखते है जो लगता है कि यह उमंग-उत्साह में उडते ही रहेंगे । फिर भी अच्छा है, पत्र लिखने से अपने को बंधन में बांध लेते हैं, वायदा करते है ना ! तो चारों ओर के जो जहाँ देख रहे है या सुन रहे हैं, उन सभी को भी बापदादा सम्मुख वालों से भी पहले यादप्यार दे रहे हैं क्योंकि बापदादा जानते हैं कि कहाँ कोई टाइम है, कहाँ कोई टाइम है लेकिन सब बड़े उत्साह से बैठे हैं, याद में सुन भी रहे है । अच्छा ।

सेवा का टर्न - यूपी. और इन्दौर लोन का है - (सामने टीचर्स खड़ी है) यह सब टीचर्स है । दोनो तरफ की टीचर्स है । अच्छा है । बापदादा को टीचर्स पर भी नाज है क्योंकि हिम्मत रखकर सरेण्डर होके सारी जीवन सेवा के प्रति लगाने का संकल्प ले लिया है । टीचर्स पक्की है ना? पक्के है कि थोड़े थोडे कच्चे है? टीचर्स कच्चे नहीं बनना । टीचर्स अर्थात् अपने फीचर्स से फ्यूचर दिखाने वाली । अभी संगमयुग का फ्यूचर है - फरिश्ता भव । और भविष्य का फीचर्स है - देवता भव । तो जो भी सेवाधारी ग्रुप आया है, उनको डबल नशा है कि फरिश्ता सो देवता बनना ही है ! सभी पक्के है ना? हाँ देखो, आपका फोटो आ रहा है, तो ऐसा नहीं हो कि फोटो दिखाई नहीं दे, पक्के रहना । क्योकि जब कहाँ थोड़ी बहुत हलचल होती है ना तो कई बहुत जल्दी घबरा जाते हें । गहराई में नही जाते, घबरा जाते है । अगर गहराई में जाये ना, तो कभी भी कितना भी बडा हलचल वाला पेपर हो या बात हो लेकिन गहराई मे जाने वाले जैसे समुद्र होता है ना, तो समुद्र के तले में जाने वाले बहुत माल लेके आते हैं । ऊपर-ऊपर वाले नही, ऊपर वालो को तो मछली मिलेगी लेकिन गहराई मे जाने वाले बहुत चीज़ें ले आते हैं । तो यहाँ भी कोई भी बात होवे, बातें तो आयेगी, बाते नहीं आयेगी - यह बापदादा नही कहेगा । जितना आगे जायेगे उतनी सूक्ष्म बाते आयेगी क्योकि पास विद आनर होना है ना । टीचर्स ने क्या सोचा है ?  पास विद आनर होना है या 33 मार्क्स से पास होना है ? पास विद आनर होना है तो हाथ उठाओ । इन्हो का अच्छी तरह से फोटो निकालो । अच्छा । तो हलचल मे घबराना नहीं । बापदादा को उस समय भूल जाते हो, अकेले बन जाते हो ना तो छोटी बात भी बडी लगती है । बापदादा कम्बाइण्ड है, कम्बाइण्ड रखो, अनुभव करो तो देखो पहाड भी रूई बन जायेगा । कोई बडी बात नही है । कितने बारी पास हुए हो, कितने कल्प पास हुए हो, पता है ? नशा है ? अनेक बार मैं ही पास हुआ हूँ, अभी रिपीट करना है । नई बात नहीं है, सिर्फ रिपीट करना है, यह स्मृति रखो । तो इन्दौर और यूपी, यूपी को तो साकार माँ बाप की बहुत पालना मिली है । तो यूपी को तो कमाल करना है । और इन्दौर की भी विशेषता है कि साकार बाप की प्रेरणा से सेण्टर खुला है । ऐसे है ना ? दोनों की विशेषता है, तो अभी दोनों ही करो कमाल । ऐसा वायुमण्डल बनाके दिखाओ, जैसे अभी किसको भी परिचय देते हो तो क्या कहते हो ? मधुबन में आके देखो, कहते हो ना ! तो अभी अपने जोन को, अपने स्थान को ऐसा बनाओ जो किसको भी कहें कि इन्दौर मे जाके देखो, यूपी मे जाके देखो । ठीक है ना ? पसन्द है ना ? क्या नही हो सकता है ! आप एक-एक मास्टर सर्वशक्तिवान के संकल्प में इतनी ताकत है जो चाहो वह हो सकता है । सिर्फ दृढता चाहिए । दृढता की चाबी कभी-कभी माया चोरी कर देती है । इस चाबी को सदा यूज करो, ऐसे नही सम्भाल के रखो, दिमाग में है, चाबी है लेकिन समय पर यूज करो । समय बीत जाता है ना, फिर क्या कहते हैं, करना तो ऐसे था, था, था करते है । तो था, था नही करना । समय पर करना । तो जोन नम्बरवन हो जायेगा । सभी का लक्ष्य अच्छा है, नम्बरवन होना है । यही लक्ष्य है ना, कि जो भी नम्बर मिले ठीक है ? बापदादा को भी हर जोन प्यारे ते प्यारा है, क्योंकि हर जोन में कोई न कोई विशेषता है, लेकिन अभी खास विशेषता प्रत्यक्ष नहीं किया है । होना तो है ही । होना तो है ! नही, हुआ ही पडा है, सिर्फ रिपीट करो । तो सब खुश है ? कभी खुशी तो नही गंवाते ? खुशी गई जीवन गई । नीरस जीवन में कोई मजा नहीं । तो अच्छा है, कोई कमाल करके दिखाओ । अभी बापदादा ने सभी जोन को कहा है कोई नवीनता करके दिखाओ । अभी नवीनता नहीं दिखाई है । यह बड़े प्रोग्राम करना, यह वर्गीकरण के प्रोग्राम करना, यह तो हो रहे है, होते रहेंगे । अब कोई नवीनता दिखाओ । उसमें देखे कौन सा जोन आगे जाता है, विदेश जावे या देश जाये । जो सब कापी कर सके, ऐसी नवीनता हो । देखेंगे, कौन करता है । करना तो है ही । अच्छा । बहुत अच्छा चांस लिया, बापदादा कहते है जो हर विशेषता मे चांस लेते हैं वह चांसलर बन जाते है । यज्ञ सेवा का पुण्य जमा किया, बहुत बडा पुण्य जमा किया क्योंकि यहाँ वायुमण्डल और बेफिकर की मदद है, कोई जिम्मेवारी का फिकर नही, जो ड्यूटी मिली वही करनी है, बस । तो दोनो जोन ने बहुत-बहुत कमाई जमा की? थोडी तो नही की, बहुत की? अच्छा ।

96 देशों से 900 विदेशी भाई-बहिनें आये हैं - विदेश वाले संख्या बढाने मे अच्छा रिकार्ड दिखा रहे है । एक तरफ संख्या बढा रहे है और दूसरी तरफ एरिया को सम्पन्न बनाने का भी उमंग अच्छा है । बापदादा ने सुना कि मैजॉरिटी सभी तरफ अभी एक दो को उमंग आ रहा है, हर एक अपनी एरिया को चेक करके सन्देश देने का प्रोग्राम बना रहे है । भिन्न-भिन्न विधि से कर रहे है लेकिन जो भी कर रहे हो वह अच्छा कर रहे हो । अपना उल्हना उतार रहे हो । यह उमंग-उत्साह स्वयंम को भी उड़ाता है, और औरो मे भी खुशी की लहर फैलाता है । जैसे कोई डूबे हुए को पत्ते का भी सहारा मिल जाता है, तिनके का सहारा मिल जाता है ना, ऐसे दुःखी आत्माओं को सहारा मिल जाता है । उनके मन से जो दुआये निकलती है वह आपके पुण्य के खाते मे जमा हो जाती है । यह गुह्य हिसाब है । जितनों को जो प्राप्ति होती है, आपके खाते मे वो प्राप्ति जमा हो जाती है । बाकी अच्छा मीटिंग का भी समाचार सुना, अच्छा अटेंशन दे रहे है । अपनी अवस्था का भी अच्छा चांस लेते है और सेवा के प्रोग्राम मे भी अच्छा भविष्य प्रोग्राम बना देते है । एक उमंग अच्छा है, कि जो स्नेही सहयोगी है उन्हो को और सहजयोगी बनाने मे समीप लाये है । यह भारत वाले भी करते है लेकिन फारेन वाले भी अच्छा कर रहे है । अभी सभी मैजॉरिटी जहॉ-जहाँ सेवा करते हो चाहे वीआईपी है, चाहे साधारण है लेकिन समझते है कि यहाँ कुछ मिलता है । कुछ नवीनता है, अभी यह वायुमण्डल पहले से काफी चेंज हो गया है । पहले कितना मुश्किल से बुलाने पर आते थे, अभी तो वह खुद कहते हैं कि हमको चांस लेने दो, फर्क हो गया ना । तो विदेश की सेवा पर भी बापदादा खुश है । लेकिन स्व की सेवा में क्या सुनाया? तीव्र पुरुषार्थी, पुरुषार्थी सभी हैं लेकिन तीव्र पुरुषार्थी बनना है, जो सोचा वह किया, बाप ने कहा बच्चों ने किया । यही आपके जगत अम्बा की युक्ति थी, नम्बरवन हो गई । तो रात को और चलते फिरते भी चेक करो कि जो बाप ने कहा करना है, चलना है, सोचना है, वह किया ? जो बाप ने कहा वह करना ही है । बाकी वृद्धि भी है और अटेंशन भी है । प्रोग्राम भी अच्छे बनाये है । डबल मुबारक हो । अच्छा ।

भिन्न-भिन्न वर्ग वाले भी आये हैं, बापदादा को मालूम है, अपनी अपनी मीटिंग्स कर रहे हैं । जो भी वर्ग वाले आये है, प्लैन तो बहुत अच्छा बना रहे है, अभी सिर्फ एडीशन यह करो कि जब भी मीटिंग करते है तो हमेशा स्व और सेवा दोनो का बैलेन्स रख एक दो को सेवा का उमंग भी दिलाओ, लेकिन साथ में स्वउन्नति का उमंग-उत्साह भी दिलाओ । बैलेन्स रखो । तो डबल करने से डबल ब्लैसिंग मिलेगी । यह ऑटोमेटिक ब्लैसिंग मिलती है, देनी नहीं पड़ती है ऑटोमेटिक मिलती है । बापदादा ने देखा है - स्व-उन्नति का भी समाचार भेजा है । (स्पार्क मीटिंग का समाचार रमेश भाई ने लिखकर सन्देशी द्वारा बापदादा के पास भेजा था) रमेश जो कर रहे हैं ना, उसमे स्व-उन्नति का भी लिखा है, उसको बार-बार अटेंशन दिलाओ । जैसे सेवा में प्रैक्टिकल कर लेते हो ना, ऐसे स्व-उन्नति में प्रैक्टिकल किया या नही उसका भी चार्ट रखो । बाकी समाचार मिला था, सोचा अच्छा है । जिन्होंने भी मीटिग की है बापदादा को समाचार मिला है । अभी तक बापदादा को एक बात का वर्ग वालो ने रेसपान्ड नही दिया है, याद है ? कौन सा रेसपान्ड नही दिया है ? बापदादा चाहते है हर एक वर्ग का एक एक विशेष स्नेही भी हो, सहयोगी भी हो, वीआईपी भी हो, माइक भी हो और सहजयोग के इंटरेस्ट वाला भी हो, ऐसा हर वर्ग का एक-एक का ग्रुप बाप के आगे आवे, सभी वर्ग का, एक वर्ग का नहीं, कभी कोई आईपी आते हैं, वीआईपी आते हैं वह वेलकम । लेकिन बापदादा एक ही समय पर हर वर्ग के ऐसे क्वालिफिकेशन वाले ग्रुप को देखने चाहता है । आईपीज का ग्रुप आता है लेकिन वर्गीकरण का एक विशेष माइक हो, आप सकाश बनो वह स्पीकर बने । आप माइट वह माइक । तो यह अभी करके दिखाना । फारेन वाले तो प्रोग्राम करते है, उसमे आ जाते है । काल आफ टाइम भी करते हैं, उसमें भी आईपी आ जाते हैं । यह वर्गीकरण के रूप में माइक लाना । यह ध्यान रखना । (ऐसे हर वर्ग के भारत में तैयार हैं, बापदादा मिलने की डेट दें ) अभी सभी वर्गो से एक-एक माइक हो, ऐसा ग्रुप लाओ, उसके लिए टाइम देंगे । अच्छा । सभी ने संकल्प किया, तीव्र पुरुषार्थ कर नम्बरवन बनना ही है । किया? हाथ उठाओ । अच्छा अभी टीचर्स उठा रही हैं । पहली लाइन तो है ही ना । अच्छा है -

बापदादा ने यह भी डायरेकशन दिया कि सारे दिन मे बीच-बीच में 5 मिनिट भी मिले, उसमे मन की एक्सरसाइज करो क्योंकि आजकल का जमाना एक्सरसाइज़ का है । तो 5 मिनट में मनकी एक्सरसाइज करो, मन को परमधाम मे लेके आओ, सूक्ष्मवतन में फरिश्तेपन को याद करो फिर पूज्य रूप याद करो, फिर ब्राह्मण रूप याद करो, फिर देवता रूप याद करो । कितने हुए? पांच । तो पांच मिनट मे 5 - यह एक्सरसाइज करो और सारे दिन में चलते फिरते यह कर सकते हो । इसके लिए मैदान नही चाहिए, दौड़ नही लगानी है, न कुर्सी चाहिए, न सीट चाहिए, न मशीन चाहिए । जैसे और एक्सरसाइज शरीर की आवश्यक है, वह भले करो, उसकी मना नहीं है । लेकिन यह मन की ड्रील, एक्सरसाइज, मन को सदा खुश रखेगी । उमंग-उत्साह में रखेगी, उड़ती कला का अनुभव करायेगी । तो अभी- अभी यह ड्रील सभी शुरू करो - परमधाम से देवता तक । (बापदादा ने ड्रील कराई) अच्छा -

चारों ओर के सदा अपने वृत्ति से रूहानी शक्तिशाली वायुमण्डल बनाने वाले तीब्र पुरुषार्थी बच्चों को, सदा अपने स्थान और स्थिति को शक्तिशाली वाईब्रेशन में अनुभव कराने वाले दृढ़ संकल्प वाले श्रेष्ठ आत्माओं को, सदा दुआ देने और दुआ लेने वाले रहमदिल आत्माओं को, सदा अपने आपको उड़ती कला का अनुभव करने वाले डबल लाइट आत्माओं को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते ।

दादियों से - आप लोगो का संगठन सभी को सकाश देता है । देता है ना ? क्योकि फिर भी अनुभवी हो ना ! तो अनुभवी का प्रभाव ज्यादा पडता है । आदि से आप आत्माओं मे बाप और माँ ने अनुभवी मूर्त बनने का संस्कार डाल दिया है । डाला है ना ! बापदादा भी खुश होते हैं । अच्छा है, ठीक है ? कैसी भी तबियत है लेकिन यज्ञ का श्रंगार हो । (दादी शान्तामणि को देखकर) चाहे भागदौड नही भी कर सकते है लेकिन आप लोगो को देख करके भी, आप लोगो की हाजिरी भी सभी को बल देती है । आदि रत्न हो ना ! तो आदि के संस्कार पावरफुल, आदि की भट्ठी सभी याद करते है ना ! वह साकार की पालना सभी याद करते है । अच्छा ।

मोहिनी बहन ने दादी जी की याद बापदादा को दी - बापदादा भी बहुत-बहुत याद दे रहे हैं । बाप को सिर्फ याद नही है, सभी को याद है । बाप भी याद करते है । इसीलिए जैसे ब्रह्मा बाप एक एग्जाम्पल था, वैसे दादी भी एक एग्जाम्पल है । अचानक के पार्ट को कितना सहज कर दिया । ब्रह्मा बाप ने यज्ञ को रचा, लेकिन दादी ने ब्रह्मा बाप से भी ज्यादा समय यज्ञ सम्भाला । इसीलिए सभी के दिल मे दादी की याद है ही । क्योंकि उनके गुण, उसका चेहरा, उसकी चलन विशेष रही है, इसीलिए सबके दिल मे विशेष याद है ही है । अभी सभी ने योग किया ना, यह प्यार की निशानी है । अभी और जोर से योग करो जो दादी मधुबन मे पहुंच जायेगी । जैसे वह आक्सीजन देते है ना, वेंटीलेटर से देते है तो सायंस पावर से आपकी साइलेन्स पावर कम थोडे ही है । और योग लगाओ, पावरफुल योग । देखो, आपके योग से डाक्टर्स को टचिंग हुई, कोई तो विधि चेंज की ना । अभी धीरे- धीरे कर रहे है, आप सभी के दृढ संकल्प से विधि भी निकल आयेगी । ठीक है ना ! और योग लगाओ, योग को कम नही करना । अच्छा । जो भी सेवाधारी हैं मुन्नी है, योगिनी है, गुप्ता है और कुमारियां भी है सभी दिल से सेवा कर रहे है, बापदादा आपके दिल की मेहनत देख खुश हैं और आपकी मेहनत अवश्य रूप दिखायेगी ।

निर्वेर भाई ने सबकी याद दी - सभी का मन यहाँ है, तन वहाँ है । (अभी सबका एक ही संकल्प है दादी चले, फिरे) होना तो है ही । अच्छा है ।

बृजमोहन भाई से - दिल्ली में कोई ऐसी नई इन्वेशन करो जो सब कर सके, छोटे बडे सब कर सके ।

विदेश की मुख्य बहनों से - बहुत अच्छा है, विदेश को अनुभवी आत्मायें होने के कारण अच्छा आगे बढ़ा रहे हो क्योंकि जो आप लोगों में बाप की डायरेक्ट पालना का बीज है, वह बीज फल दे रहा है । अभी सेवा की वृद्धि और उमंग-उत्साह बढ रहा है । पहले जो नाजुकपन था, अभी नाजुकपन खत्म हो गया है । वह कलचर भी खत्म हो गया है, क्योकि आप लोग एग्जाम्पल हो ना, तो आपके एग्जाम्पल को देखकर अभी समझ गये है कि क्या करना है । बाकी प्लैन बहुत अच्छा बनाया है । यह ग्रुप-ग्रुप बनाके जो उन्होंने के अनुसार ट्रेनिंग देते है ना, वह बहुत अच्छा । टीचर्स भी रिफ्रेश और आने वाले भी रिफ्रेश हो जाते हें । जिस डिपार्टमेंट को जो चाहिए वह मिलता है, यह अच्छा है । और अटेंशन दिलाना भी बहुत जरूरी है । अच्छा किया है । यज्ञ में भी अटेंशन दिया, यह भी बहुत अच्छा किया है क्योकि यज्ञ के हो । सिर्फ सेवा के लिए बाहर गये हैं । तो आप लोगो का जरा भी इशारा अच्छा होता है, इसमे खराब नही मानो, अच्छा है । बापदादा खुश है । इतना टाइम भी देते तो हो ना । अभी ऐसा एक दो के विचारो में समीप आओ जो सभी समझे कि यह सब एक है, 6 नही है एक है, इतना एक दो के विचारो के भी नजदीक । हो रहा है, बापदादा देख रहे हैं किया है और आगे भी करते रहेंगे । (दिल से बहुत थैक्स) आपको बहुत थैक्स ।