05-03-08 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘संगम की बैंक में साइलेन्स की शक्ति और श्रेष्ठ कर्म जमा करो, शिवमन्त्र से मैं-पन का परिवर्तन करो’’
आज बापदादा चारों ओर के बच्चों के स्नेह को देख रहे हैं। आप सभी भी स्नेह के विमान में यहाँ पहुंच गये हो। यह स्नेह का विमान बहुत सहज स्नेही के पास पहुंचा देता है। बापदादा देख रहे हैं कि आज विशेष सभी लवलीन आत्मायें परमात्म प्यार के झूले में झूल रही हैं। बापदादा भी चारों ओर के बच्चों के स्नेह में समाये हुए हैं। यह परमात्म स्नेह बाप समान अशरीरी सहज बना देता है। व्यक्त भाव से परे अव्यक्त स्थिति में अव्यक्त स्वरूप में स्थित कर देता है। बापदादा भी हर बच्चे को समान स्थिति में देख हर्षित हो रहे हैं।
आज के दिन सभी बच्चे शिवरात्रि, शिवजयन्ती बाप और अपना जन्मदिन मनाने आये हैं। बापदादा भी अपने-अपने वतन से आप सभी बच्चों का जन्म दिन मनाने पहुंच गये हैं। सारे कल्प में यह जन्म दिन बाप का वा आपका न्यारा और अति प्यारा है। सारे कल्प में कोई का भी बर्थ डे परम आत्मा नहीं मनाते, आत्मा, आत्मा का मनाते हैं लेकिन यह अलौकिक जन्म परम आत्मा आप आत्माओं का मनाते हैं। साथ में इस जन्म की विशेषता और भी अलौकिक है, जो सारे कल्प में हो नहीं सकती। ऐसा कभी नहीं सुना होगा कि बाप और बच्चों का एक ही दिन बर्थ डे होता है। तो इस जन्मदिन का यह भी महत्व है कि बाप और बच्चों का एक ही दिन जन्मदिन, आप सभी बाप के साथ मना रहे हो। इस जन्मदिन को शिवजयन्ती भी कहते हैं और शिवरात्रि भी कहते हैं। तो जन्म के साथ कर्तव्य का भी यादगार है। अंधकार मिटने का और प्रकाश फैलने का यादगार है। तो ऐसे अलौकिक जन्म दिन आप बापदादा के साथ मनाने वाले भाग्यवान आत्मायें हो। बाप बच्चों को पदम-पदम गुणा इस दिव्य जन्म की बधाईयां भी दे रहे हैं, दुआयें भी दे रहे हैं और दिल का यादप्यार भी दे रहे हैं। मुबारक हो, पदमगुणा मुबारक हो, मुबारक हो।
भक्त लोग भी इस उत्सव को बड़ी भावना और प्यार से मनाते हैं। आपने जो इस दिव्य जन्म में श्रेष्ठ अलौकिक कर्म किया है, अभी भी कर रहे हो। वह यादगार रूप में चाहे अल्पकाल के लिए अल्प समय के लिए मनाते हैं लेकिन भक्तों की भी कमाल है। यादगार मनाने वालों, यादगार बनाने वालों की भी देखो कितनी कमाल है। जो कापी करने में होशियार तो निकले हैं क्योंकि आपके ही भक्त हैं ना। तो आपकी श्रेष्ठता का फल उन यादगार बनाने वालों को वरदान रूप में मिला है। आप एक जन्म के लिए एक बार व्रत लेते हो, सम्पूर्ण पवित्रता का। कापी तो की है एक दिन के लिए पवित्रता का व्रत भी रखते हैं। आपका पूरा जन्म पवित्र अन्न का व्रत है और वह एक दिन रखते हैं। तो बापदादा आज अमृतवेले देख रहे थे कि आप सबके भक्त भी कम नहीं हैं। उन्हों की भी विशेषता अच्छी रही है। तो आप सभी ने पूरे जन्म के लिए पक्का व्रत चाहे खान-पान का, चाहे मन के संकल्प की पवित्रता का, वचन का, कर्म का, सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हुए कर्म का पूरे जन्म के लिए पक्का व्रत लिया है? लिया है या थोड़ा-थोड़ा लिया है? पवित्रता ब्राह्मण जीवन का आधार है। पूज्य बनने का आधार है। श्रेष्ठ प्राप्ति का आधार है।
तो जो भी भाग्यवान आत्मायें यहाँ पहुंच गये हैं वह चेक करो कि यह जन्म का उत्सव पवित्र बनने का चारों प्रकार से, सिर्फ ब्रह्मचर्य की पवित्रता नहीं, लेकिन मन-वचन-कर्म-सम्बन्ध सम्पर्क में भी पवित्रता। यह पक्का व्रत लिया है? लिया है? जिन्होंने लिया है पक्का, थोड़ा-थोड़ा कच्चा नहीं, वह हाथ उठाओ। पक्का, पक्का? पक्का? कितना पक्का? कोई हिलावे तो, हिलेंगे? हिलेंगे? नहीं हिलेंगे? कभी-कभी तो माया आ जाती है ना, कि नहीं, माया को विदाई दे दी है? या कभी कभी छुट्टी दे देते हो, आ जाती है! चेक करो - तो पक्का व्रत लिया है? सदा का व्रत लिया है? वा कभी कभी का? कभी थोड़ा, कभी बहुत, कभी पक्का, कभी कच्चा - ऐसे तो नहीं हो ना! क्योंकि बापदादा से प्यार में सभी 100 परसेन्ट से भी ज्यादा मानते हैं। अगर बापदादा पूछते हैं कि बाप से प्यार कितना है? सब बहुत उमंग उत्साह से हाथ उठाते हैं। प्यार में परसेन्टेज कम ही की होती है, मैजारिटी की है। तो जैसे प्यार में पास हो, बापदादा भी मानते हैं कि मैजारिटी प्यार में पास हैं, लेकिन पवित्रता के व्रत में चारों रूप में मन्सा-वाचा-कर्मणा, सम्बन्ध-सम्पर्क चारों ही रूप में सम्पूर्ण पवित्रता का व्रत निभाने में परसेन्टेज आ जाती है।
अभी बापदादा क्या चाहते हैं? बापदादा यही चाहते कि जो प्रतिज्ञा की है, समान बनने की, तो हर एक बच्चे की सूरत में बाप की मूर्त दिखाई दे। हर एक बोल में बाप समान बोल हो, बापदादा के बोल वरदान रूप बन जाते हैं। तो आप सब यह चेक करो, हमारी सूरत में बाप की मूर्त दिखाई देती है? बाप की मूर्त क्या है? सम्पन्न, सब बात में सम्पन्न। ऐसे हर एक बच्चे के नयन, हर एक बच्चे का मुखड़ा बाप समान है? सदा मुस्कराता हुआ चेहरा है? कि कभी सोच वाला, कभी व्यर्थ संकल्पों की छाया वाला, कभी उदास, कभी बहुत मेहनत वाला, ऐसा चेहरा तो नहीं है? सदा गुलाब, कभी गुलाब जैसा खिला हुआ चेहरा, कभी और नहीं बन जाये। क्योंकि बापदादा ने यह भी जन्मते ही बता दिया है कि माया आपके इस श्रेष्ठ जीवन का सामना करेगी। लेकिन माया का काम है आना, आप सदा पवित्रता के व्रत लेने वाली आत्माओं का काम है दूर से ही माया को भगाना।
बापदादा ने देखा है कई बच्चे माया को दूर से भगाते नहीं, माया आ जाती, आ जाने दे देते हैं अर्थात् माया के प्रभाव में आ जाते हैं। अगर दूर से नहीं भगाते तो माया की भी आदत पड़ जाती है क्योंकि वह जान जाती है कि यहाँ हमको बैठने देंगे, बैठने देने की निशानी है माया आती है, सोचते हैं कि माया है, लेकिन फिर भी क्या सोचते? अभी सम्पूर्ण थोड़ेही बने हैं, कोई नहीं सम्पूर्ण बना है। अभी तो बन रहे हैं, बन जायेंगे, गें गें करने लग जाते हैं तो माया को बैठने की आदत पड़ जाती है। तो आज जन्मदिन तो मना रहे हैं, बाप भी दुआयें, मुबारक तो दे रहे हैं लेकिन बाप हर एक बच्चे को लास्ट नम्बर वाले बच्चे को भी किस रूप में देखने चाहते हैं? लास्ट नम्बर भी बाप का प्यारा तो है ना! तो बाप लास्ट नम्बर वाले बच्चे को भी सदा गुलाब देखने चाहते हैं, खिला हुआ। मुरझाया हुआ नहीं। मुरझाने का कारण है थोड़ा सा अलबेलापन। हो जायेगा, देख लेंगे, कर ही लेंगे, पहुंच ही जायेंगे.... तो यह गें गें की भाषा नीचे गिरा देती है। तो चेक करो - कितना समय बीत गया, अभी समय की समीपता का और अचानक होने का इशारा तो बापदादा ने दे ही दिया है, दे रहा है नहीं, दे ही दिया है। ऐसे समय के लिए एवररेडी, अलर्ट आवश्यक है। अलर्ट रहने के लिए चेक करो - हमारा मन और बुद्धि सदा क्लीन और क्लियर है? क्लीन भी चाहिए, क्लियर भी चाहिए। इसके लिए समय पर विजय प्राप्त करने के लिए मन में, बुद्धि में कैचिंग पावर और टचिंग पावर दोनों बहुत आवश्यक हैं। ऐसे सरकमस्टांश आने हैं जो कहाँ दूर भी बैठे हो लेकिन क्लीन और क्लियर मन और बुद्धि होगा तो बाप का इशारा, डायरेक्शन, श्रीमत जो मिलनी है, वह कैच कर सकेंगे। टच होगा यह करना है, यह नहीं करना है। इसीलिए बापदादा ने पहले भी सुनाया है तो वर्तमान समय साइलेन्स की शक्ति अपने पास जितनी हो सके जमा करो। जब चाहो, जैसे चाहो वैसे मन और बुद्धि को कन्ट्रोल कर सको। व्यर्थ संकल्प स्वप्न में भी टच नहीं करे, ऐसा माइन्ड कन्ट्रोल चाहिए। इसीलिए कहावत है मन जीते जगतजीत। जैसे स्थूल कर्मेन्द्रिय हाथ है, जहाँ चाहो जब तक चाहो तब तक आर्डर से चला सकते हो। ऐसे मन और बुद्धि की कन्ट्रोलिंग पावर आत्मा में हर समय इमर्ज हो। ऐसे नहीं योग के समय अनुभव होता है लेकिन कर्म के समय, व्यवहार के समय, सम्बन्ध के समय अनुभव कम हो। अचानक पेपर आने हैं क्योंकि फाइनल रिजल्ट के पहले भी बीच-बीच में पेपर लिये जाते हैं।
तो इस बर्थ डे पर विशेषता क्या करेंगे? साइलेन्स की शक्ति जितना जमा कर सको, एक सेकण्ड में स्वीट साइलेन्स की अनुभूति में खो जाओ क्योंकि साइन्स और साइलेन्स, साइंस भी अति में जा रही है। तो साइंस पर साइलेन्स के शक्ति की विजय परिवर्तन करेगी। साइलेन्स की शक्ति से दूर बैठे किस आत्मा को सहयोग भी दे सकते हो। सकाश दे सकते हो। भटका हुआ मन शान्त कर सकते हो। ब्रह्मा बाबा को देखा जब भी कोई अनन्य बच्चा थोड़ा हलचल में वा शारीरिक हिसाब-किताब में रहा तो सवेरे-सवेरे उठकर बच्चे को साइलेन्स के शक्ति की सकाश दिया और वह अनुभव करते थे। तो अन्त में इस साइलेन्स की सेवा का सहयोग देना पड़ेगा। सरकमस्टांश अनुसार यह बहुत ध्यान में रखो, साइलेन्स की शक्ति या अपने श्रेष्ठ कर्मो की शक्ति जमा करने की बैंक सिर्फ अभी खुलती है और कोई जन्म में जमा करने की बैंक नहीं है। अभी अगर जमा नहीं किया फिर बैंक ही नहीं होगी तो किसमें जमा करेंगे! इसलिए जमा की शक्ति को जितना इकठ्ठा करने चाहो उतना कर सकते हो। वैसे लोग भी कहते हैं जो करना है वह अब कर लो। जो सोचना है अब सोच लो। अभी जो भी सोचेंगे वह सोच, सोच रहेगा और कुछ समय के बाद जब समय की सीमा नजदीक आयेगी तो सोच पश्चाताप के रूप में बदल जायेगा। यह करते थे, यह करना था... तो सोच नहीं रहेगा, पश्चाताप में बदल जायेगा। इसीलिए बापदादा पहले से ही इशारा दे रहा है। साइलेन्स की शक्ति, एक सेकण्ड में कुछ भी हो, साइलेन्स में खो जाओ। यह नहीं पुरूषार्थ कर रहे हैं! जमा का पुरूषार्थ अभी कर सकते हो।
तो बापदादा का बच्चों से स्नेह है, बापदादा एक-एक बच्चे को साथ ले जाना चाहते हैं। जो वायदा है साथ रहेंगे, साथ चलेंगे... वह वायदा निभाने के लिए समान साथ चलेगा। सुनाया था ना - डबल फारेनर्स को हाथ में हाथ देके चलना अच्छा लगता है, तो श्रीमत का हाथ में हाथ हो, बाप की श्रीमत वह आपकी मत इसको कहते हैं हाथ में हाथ। तो ठीक है - आज बर्थ डे उत्सव मनाने आये हो ना! बापदादा को भी खुशी है कि मेरे बच्चे, फखुर है बाप को कि मेरे बच्चे सदा उत्साह में रहते उत्सव मनाते रहते हैं। हर रोज उत्सव मनाते हो या विशेष दिन पर? संगमयुग ही उत्सव है। युग ही उत्सव का है। और कोई युग संगमयुग जैसा नहीं है। तो सबको उमंग-उत्साह है ना कि हमें समान बनना ही है। है? बनना ही है, या देखेंगे, बनेंगे, करेंगे, गें गें तो नहीं है? जो समझते हैं बनना ही है, वह हाथ उठाओ। बनना ही है, त्याग करना पड़ेगा, तपस्या करनी पड़ेगी। तैयार है कुछ भी त्याग करना पड़े। सबसे बड़ा त्याग क्या है? त्याग करने में सबसे बड़े ते बड़ा एक शब्द विघ्न डालता है। त्याग तपस्या वैराग्य, बेहद का वैराग्य, इसमें एक ही शब्द विघ्न डालता है, जानते तो हो। कौन सा एक शब्द है? ‘मैं’, बॉडी कान्सेस की मैं। इसलिए बापदादा ने कहा जैसे अभी जब भी मेरा कहते हो तो पहले क्या याद आता? मेरा बाबा। आता मेरा बाबा आता है ना! भले मेरा और कुछ भी करो लेकिन मेरा कहने से आदत पड़ गई है पहले बाबा आता है। ऐसे ही जब मैं कहते हैं, जैसे मेरा बाबा भूलता नहीं है, कभी किसको मेरा कहो ना तो बाबा शब्द आता ही है, ऐसे ही जब मैं कहो तो पहले आत्मा याद आवे। मैं कौन, आत्मा। मैं आत्मा यह कर रही हूँ। मैं और मेरा, हद का बदल बेहद का हो जाए। हो सकता है? हो सकता है? कांध तो हिलाओ। आदत डालो, मैं, फौरन आवे आत्मा। और जब मैं-पन आता है तो एक शब्द याद आवे - करावनहार कौन? बाप करावनहार करा रहा है। करावनहार शब्द करने के समय सदा याद रहे। मैं-पन नहीं आयेगा। मेरा विचार, मेरी ड्युटी, ड्युटी का भी बहुत नशा होता है। मेरी ड्युटी... लेकिन देने वाला दाता कौन! यह ड्युटीज प्रभु की देन हैं। प्रभु की देन को मैं मानना, सोचो अच्छा है?
तो बापदादा अभी लास्ट दो टर्न है, एक मास सीजन समझो, इस वर्ष की सीजन समाप्त होने में। तो समाप्ति में बापदादा क्या समाप्ति कराना चाहता है? एवररेडी हैं कि सोचना पड़ेगा? चाहे यहाँ आवे या नहीं आवे लेकिन हर एक स्थान से बापदादा रिजल्ट चाहते हैं। यह एक मास ऐसा नेचरल नेचर बनाओ क्योंकि नेचरल नेचर जल्दी में बदलती नहीं है। तो नेचरल नेचर बनाओ जो बताया ना - सदा आपके चेहरे से बाप के गुण दिखाई दें, चलन से बाप की श्रीमत दिखाई दे। सदा मुस्कराता हुआ चेहरा हो। सदा सन्तुष्ट रहने और सन्तुष्ट करने की चाल हो। हर कर्म में, कर्म और योग का बैलेन्स हो। कई बच्चे बापदादा को बहुत अच्छी-अच्छी बातें सुनाते हैं, बतायें क्या कहते हैं? कहते हैं बाबा आप समझ लो ना मेरी यह नेचर है, और कुछ नहीं है, मेरी नेचर ही यह है। अभी बापदादा क्या कहे? मेरी नेचर है? मेरा बोल ऐसा है, कई ऐसे कहते हैं, क्रोध थोड़ेही किया, मेरा बोल थोड़ा बड़ा है, थोड़ा तेज बोला, क्रोध थोड़ेही किया सिर्फ तेज बोला। देखो कितनी मीठी-मीठी बातें हैं। बापदादा कहते हैं जिसको आप मेरी नेचर कहते हो मेरा कहना ही रांग है। मेरी नेचर यह रावण की नेचर है या आपकी नेचर है। आपकी नेचर अनादिकाल आदि काल, पूज्य काल यह ओरीज्नल नेचर है। रावण की चीज़ को मेरा-मेरा कहते हो ना इसीलिए जाती नहीं है। पराई चीज़ को अपना बनाकर रखा है ना, कोई पराई चीज़ को अपने पास सम्भालकर रखे, छिपाकर रखे, अच्छा माना जाता है? तो रावण की नेचर, पराई नेचर उसको मेरा क्यों कहते हो? बड़े फखुर से कहते हैं मेरा दोष नहीं है, मेरी नेचर है। बापदादा को भी रिझाने की कोशिश करते हैं। अभी यह समाप्ति समारोह करेंगे! करेंगे? करेंगे? देखो, दिल से कहो, मन से करो, जहाँ मन होगा ना, वहाँ सब कुछ हो जायेगा। मन से मानो कि यह मेरी नेचर नहीं है। यह दूसरे की चीज़ है, वह नहीं रखनी है। आप तो मरजीवा बन गये ना। आपकी ब्राह्मण नेचर है या पुरानी नेचर है? तो समझा बापदादा क्या चाहते हैं? भले मनोरंजन मनाओ, डांस करो, खेल करो लेकिन... लेकिन है। सब कुछ करते भी समान बनना ही है। समान बनने के बिना साथ चलेंगे कैसे! कस्टम में, धर्मराजपुरी में ठहरना पड़ेगा, साथ नहीं चलेंगे। तो क्या, बताओ दादियां, एक मास रिजल्ट देखें! देखें? बोलो, देखें। देखें? एक मास अटेन्शन रखेंगे। एक मास अगर अटेन्शन रखा तो नेचरल हो जायेगा। मास का एक दिन भी छोड़ना नहीं। अच्छा जिम्मेवारी उठाती हैं दादियां। सभी इकट्ठे होके एक दो के प्रति शुभ भावना शुभ कामना का हाथ फैलाओ। जैसे कोई गिरता है ना तो उसको हाथ से प्यार से उठाते हैं तो शुभ भावना और शुभ कामना का हाथ, एक दो को सहयोग देके आगे बढ़ाते चलो। ठीक है? सिर्फ आप चेक कम करते हो, करके पीछे चेक करते हो, हो गया ना! पहले सोचो, पीछे करो। पहले करो पीछे सोचो नहीं। करना ही है।
डबल विदेशी क्या समझते हैं? करेंगे? करेंगे? डबल विदेशी करेंगे? बहुत अच्छा। अगर डबल विदेशी एक्जैम्पुल बन जायें तो बापदादा बहुत-बहुत दुआओं की वर्षा करेगा। क्या सोचा डबल विदेशियों ने? एक्जैम्पुल बनेंगे? बनेंगे तो दो हाथ उठाओ। कमाल है, बापदादा डबल विदेशियों को अभी से हिम्मत और उमंग उत्साह की दुआयें दे रहे हैं। भारत वाले भी कम नहीं हैं, वह भी अन्दर-अन्दर सोच रहे हैं। वह सोचते हैं करके ही दिखायेंगे। ठीक है ना भारत वाले। देखो। भारत ने क्या नहीं किया? भारत वाले बाप को ऊपर से नीचे ले आये। कमाल तो की ना भारत वालों ने। उसके आगे यह क्या बड़ी बात है। अच्छा - जो समझते हैं कि बाप से और दादी से भी बहुतबहुत प्यार है वह हाथ उठाओ। प्यार है, अच्छा। कितना प्यार है? अभी आपका दिल कौन सा गीत गाता है? इतना प्यार करेगा कौन? जितना बच्चे करते बाप को, बाप करता बच्चों को। इतना प्यार कोई करेगा। तो प्यार के पीछे क्या छोड़ना थोड़ेही है, यह तो पाना है, छोड़ना नहीं है।
बापदादा शिव मन्त्र चलाके सभी को सम्पन्न रूप में देखते हैं। आपके पास भी शिव मन्त्र है ना! है? है ना? छू मन्त्र नहीं, शिव मन्त्र। तो शिव मन्त्र चलाओ। तो अगली बार सोच समझ करके अपना प्लैन आपेही बनाओ। बनाके देते हैं ना तो बहाने बहुत करते हैं, यह हो गया, यह हो गया.. अपना प्लैन आप ही बनाओ। आज बाप का जन्म दिन मना रहे हो ना, तो जन्म दिन पर क्या करते हैं? कोई न कोई गिफ्ट देते हैं। देते हैं ना? तो बाप को क्या गिफ्ट देंगे? जो बाप ने कहा वह करके दिखाना, यही गिफ्ट देना। और बापदादा भी आप सबको गिफ्ट दे रहा है, आपका भी तो जन्म दिन है ना, क्या गिफ्ट दे रहे हैं? पक्का, जो लेने चाहे वह ले सकते हैं। विशेष वरदान है, लेकिन वरदान काम में तब आयेगा जब रोज अमृतवेले इस वरदान को रिवाइज करेंगे। गिफ्ट को रिवाइज करेंगे। तो बापदादा यही गिफ्ट दे रहे हैं - एक कदम हिम्मत का कभी नहीं छोड़ना, तो बापदादा हजार कदम मदद का देगा। ऐसे नहीं देखना देखें बाबा मदद करता है या नहीं, इम्तहान नहीं लेना। बंधा हुआ है बाप। आप भी बंधे हुए हो बाप भी बंधा हुआ है। तो इस गिफ्ट को रोज बार-बार देखना। कोई बढ़िया गिफ्ट होती है तो उसको बार बार देखते हैं बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया। तो रोज अमृतवेले देखना और कर्म करते कर्मयोगी जीवन में भी बीच-बीच में रिवाइज करना। अच्छा। गिफ्ट ली, गिफ्ट दी। अच्छा है।
बापदादा तो चारों ओर देख रहे हैं, सब अपनी अपनी कुटिया में, स्क्रीन में देख रहे हैं, सामने दिखाई दे रहे हैं। जो नहीं भी आये हैं, सभी को बापदादा यह गिफ्ट दे रहे हैं। बापदादा देखते हैं, सभी को चाहे दिन है, चाहे रात है, चाहे टाइम का फर्क है लेकिन प्यार जागरण करा देता है। बाकी सभी बच्चों का कार्ड भेजा नहीं भेजा, ईमेल भेजा नहीं भेजा, लेकिन दिल के संकल्प का ईमेल बापदादा के पास सभी का पहुंच गया है। उत्साह में नाच रहे हैं, यह भी बापदादा देख रहे हैं। तो जो भी जहाँ भी हैं, एक बच्चे का भी यादप्यार नहीं पहुंचा हो, यह है ही नहीं। सबका पहुंच गया है। और बापदादा रेसपान्ड कर रहे हैं सदा उमंग-उत्साह का उत्सव मनाते रहना। अच्छा।
अभी बापदादा कौन सी ड्रिल कराने चाहते हैं? एक सेकण्ड में शान्ति की शक्ति स्वरूप बन जाओ। एकाग्र बुद्धि, एकाग्र मन। सारे दिन में एक सेकण्ड बीच-बीच में निकाल अभ्यास करो। साइलेन्स का संकल्प किया और स्वरूप हुआ। इसके लिए समय की आवश्यकता नहीं। एक सेकण्ड का अभ्यास करो, साइलेन्स। अच्छा।
सेवा का टर्न इन्दौर जोन का है:- अच्छा है शक्ति सेना ज्यादा है। पाण्डव भी कम नहीं हैं। तो देखो नाम ही है इन्डोर, सदा अन्तर्मुखता की तपस्या में रहने वाले। अच्छा है, देखो इन्दौर की स्थापना में विशेषता है। जानते हो ना - ब्रह्मा बाप के अव्यक्त होने से पहले ब्रह्मा बाप की प्रेरणा से यह इन्दौर का फाउण्डेशन पड़ा है। कितना लक्की हैं और ब्रह्मा बाप की आशाओं को पूर्ण कर रहे हैं ना! जिस उमंग से, जिस विशेषता से बापदादा ने प्रेरणा दी उसी प्रेरणा प्रमाण सभी बापदादा को रेसपाण्ड कर रहे हैं ना! अच्छा है - सेवा का उमंग उत्साह अच्छा रहा है और रहता रहेगा। अभी इन्दौर कमाल करे, क्या कमाल करेंगे टीचर्स? पहला नम्बर लेंगे! परिवर्तन। जो बापदादा ने कहा है उसमें पहला नम्बर इन्दौर ले। लेंगे! लेंगे? क्योंकि संगठन की शक्ति तो है। संगठन की शक्ति देखो, 5 पाण्डव, तो 5 के संगठन ने क्या कमाल की? तो संगठन में शक्ति होती है। तो इतना बड़ा संगठन है तो क्या नहीं कर सकते हैं! जो चाहे वह कर सकते हैं। तो कमाल करके दिखाओ, जो अभी तक नहीं किया है वह करके दिखाओ। है हिम्मत! हिम्मत है ना टीचर्स! है हिम्मत? अच्छी हैं। देखो हिम्मत कर बड़े-बड़े प्रोग्राम्स भी तो करते हो ना। तो नम्बरवन हर सबजेक्ट में बनना ही है, यह दृढ़ संकल्प करो। बापदादा ने देखा है जो हिम्मत रखते हैं, उनको बाप की मदद का अनुभव होता जरूर है। लेकिन अलबेलापन बीच में आता है, यह तो होता ही है। तीव्र पुरूषार्थ के बजाए कभी पुरूषार्थी, कभी तीव्र पुरूषार्थी बन जाते हैं। सदा तीव्र पुरूषार्थ की लहर स्वयं में भी और सर्व को भी दिलावे, यह नहीं समझो हम तो ठीक चल रहे हैं। एक दो को सहयोग देके संगठित रूप में नम्बरवन बनें। कैसा भी गिरा हुआ हो, उसको भी साथी बनाके चलना सिखाओ। सहयोगी बनो। तो क्या करेंगे इन्दौर? संगठन को निर्विघ्न, विघ्न का नाम-निशान नहीं हो। जिसको भी देखो उसके चेहरे में बापदादा की चलन दिखाई दे। क्या समझते हैं पाण्डव? करेंगे? करेंगे। शक्तियां क्या समझती हैं? यही सोचो हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा। हम ही करेंगे। ऐसे उमंग उत्साह सदा रखो। और कर सकते हो। संगठन में बहुत ताकत होती है। अच्छा। नम्बरवन विजयी भव का वरदान सदा याद रखना।
55 देशों से 1 हजार डबल विदेशी आये हैं:- बापदादा ने देखा है कि डबल विदेशी अपना नियम बहुत अच्छा निभाते हैं। आना है तो आते ही हैं और सभी ने मधुबन के सीजन की रौनक बढ़ाने का संकल्प कर लिया है तो हर टर्न में देखा गया है डबल विदेशियों का श्रृंगार मधुबन में होता ही है। ताली बजाओ। अच्छा है। दिनप्रतिदन विदेश के सेवास्थानों में भी एक दो को उमंग उत्साह मिलन मनाते हुए, उमंग-उल्हास दिलाने में भी बापदादा ने देखा कि इस समय एक दो के स्थान में भी आके शुभ भावना रखने का अच्छा कर रहे हैं। सिस्टम भी अच्छी बनाते रहते हैं। बापदादा खुश होते हैं कि कैसे भी पहुंच जाते हैं। दूरदेशी नहीं लगते हैं, जैसे यहाँ के ही लगते हैं। वैसे तो सबसे दूरदेश वाला कौन है? डबल फारेनर्स कि बापदादा? तो दूरदेशी को अपने हमजिन्स दूरदेशी प्यारे लगते हैं। अच्छा।
डबल विदेशी कुछ प्रॉमिस करना चाहते हैं (न्युयार्क की मोहिनी बहन ने वायदे पढ़े और सभी ने रिपीट किया) दृढ़ संकल्प है कि
• हम हर कदम पर श्रीमत की पालना करेंगे।
• मैं सब विघ्नों से सदा के लिए दूर रहूंगी/रहूंगा।
• स्वमान की सीट पर रहेंगे और सदा सबको सम्मान देंगे।
• बापदादा की जो उम्मीदें हैं वह सब पूरा करेंगे।
मीठा बाबा, प्यारा बाबा, शुक्रिया बाबा।) शुक्रिया बच्चे।
(माताओं की रिट्रीट भी चली) बापदादा ने सुना था समाचार अच्छा है। बहुत अच्छा। अच्छा है, डबल फारेनर्स आगे से आगे उड़ते चलो और उड़ाते चलो। अच्छा।
चारों ओर के जन्म उत्सव मनाने वाले भाग्यवान आत्माओं को सदा उत्साह में रहने वाले संगमयुग के उत्सव को मनाने वाले, ऐसे सर्व उमंग उत्साह के पंखों से उड़ने वाले बच्चों को, सदा मन और बुद्धि को एकाग्रता के अनुभवी बनाने वाले महावीर बच्चों को, सदा समान बनने के उमंग को साकार रूप में लाने वाले फॉलो फादर करने वाले बच्चों को, सदा एक दो के स्नेही सहयोगी हिम्मत दिलाने वाले बाप से मदद का वरदान दिलाने वाले वरदानी बच्चों को, महादानी बच्चों को बापदादा का यादप्यार और पदम पदम पदम पदमगुणा मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।
दादियों से:- बापदादा के दिल में तो आप एक एक रतन महान हो क्योंकि अनेक आत्माओं के उमंग उत्साह बढ़ाने के निमित्त हो। आपका उमंग देख स्वत: ही उन्हों में उमंग आता है। दिलाना नहीं पड़ता है, नेचरल पहुंच जाता है। आपका संगठन बहुत-बहुत पक्का है। पक्का करना नहीं है, है। एक-एक रत्न संगठन का श्रृंगार है। (मनोहर दादी से) क्लास में जाती तो है, आज्ञाकारी रही, बाप ने कहा आपने किया इसीलिए आज्ञाकारी लिस्ट में है। और आप तो सारा संगठन जी हाँ, जी हाँ करने वाले हो। (दादी जानकी ने कहा कि बाबा आपने कहा था - सदा हजूर हाजिर रहेगा, वही अनुभव होता रहता है) बंधा हुआ है बाप। देखो निमित्त बने हुए ग्रुप पर तो विशेष नज़र रहती है ना। निमित्त वालों के ऊपर बापदादा का प्यार और नज़र सदा रहती है। (बाबा आंखे गुलाबी हो जाएं तो हर्जा तो नहीं है) वह प्यार है, आंसू नहीं है। (अभी क्या करना है) बनके बनाना है। आपको बनाने की ड्युटी है। उड़ाने की ड्युटी है। सहज है। (मोहनी बहन ने अंकल आंटी, परदादी आदि सबकी याद बापदादा को दी) सभी की याद बाप के पास पहुंच गई।
बापदादा ने अपने हस्तों से झण्डा फहराया और सभी बच्चों को शिव जयन्ती की बधाईयां दी:
आज के दिन तो इस हाल में यह झण्डा लहराया लेकिन अभी वह भी दिन आयेगा, आना ही है जब सारे विश्व में जगह-जगह पर यह झण्डा लहराने की सेरीमनी भी होगी। और सभी आत्माओं के दिल में यह ऑटोमेटिक गीत बजेगा - ‘‘हमारा बाबा आ गया। हमारा मुक्तिदाता वरदाता बाप आ गया।’’ सारे वर्ल्ड में यह आटोमेटिक सबके दिलों में गीत बजने शुरू हो जायेगा। आपके दिल में तो यह गीत बज रहा है ना। आ गया, मिल गया। वरदान मिल गये, दुआयें मिल गई, तो यह झण्डा, जैसे आपके दिल में लहराता रहता है ऐसे विश्व की आत्माओं के दिल में लहराना ही है। प्राप्ति नहीं कर सकें वर्से की, लेकिन अहो प्रभु, अहा प्रभु, आप आ गये, यह गीत तो गाना ही है। तो बहुत अच्छा है, आप सबका भाग्य है, जो बाप के साथ झण्डा लहरा रहे हैं और सभी जगह देख रहे हैं, जैसे आप देख रहे हो वहाँ बापदादा भी देख रहा है। जगह-जगह पर झण्डा देख रहे हैं। आपके भाई बहन ऐसे कांध हिला रहे हैं। अच्छा।