25-10-09   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘सर्व खज़ानों से सम्पन्न अपने चेहरे वा चलन से अलौकिकता का साक्षात्कार कराओ’’

आज सर्व खज़ानों के दाता अपने खज़ानों के मालिक बच्चों को देख रहे हैं। हर एक बच्चा सर्व खज़ानों से सम्पन्न है क्योंकि बाप ने सर्व बच्चों को एक जैसा एक ही समय में सर्व खज़ाने दिये हैं। तो बापदादा अपने बालक सो मालिक बच्चों से मिलने आये हैं। बच्चों ने बुलाया तो बाप बच्चों के स्नेह में पहुंच गये हैं। खज़ाने तो बहुत हैं, सबसे पहला खज़ाना है ज्ञान धन, जिस ज्ञान धन से मालामाल हो गये, महादानी बन औरों को भी बांटते रहते हो। जिस ज्ञान के खज़ाने से जो भी भिन्न-भिन्न बंधन में आत्मा फँस गई उन सब बंधनों से मुक्त हो गये। बन्धनयुक्त से बन्धनमुक्त हो गये। साथ में योग अर्थात् याद का खज़ाना, जिससे शक्तियों की अनेक शक्तियां प्राप्त की है, ऐसे ही धारणा द्वारा सर्व गुणों की अनुभूति अर्थात् खज़ाना मिला। साथ में धारणा की शक्ति से सर्व के स्नेह की शक्ति, सर्व के प्यारे और न्यारेपन की शक्ति का खज़ाना प्राप्त किया। सर्व के स्नेह का खज़ाना अनुभव किया। साथ में सर्व ब्राह्मण सम्बन्ध से अपार खुशी का खज़ाना अनुभव किया। लेकिन सर्व खज़ानों के साथ जो विशेष खज़ाना है वह है संगम के समय का खज़ाना। जिस आत्मा को समय के खज़ाने का महत्व है वह सदा अनेक प्राप्तियों के मालिक बन जाते हैं क्योंकि संगमयुग का समय है बहुत छोटा लेकिन समय से प्राप्तियां ज्यादा है। सबसे ज्यादा संगमयुग की श्रेष्ठ से श्रेष्ठ प्राप्ति है स्वयं भगवान बाप रूप में, शिक्षक रूप में, सतगुरू के रूप में प्राप्त होता है। संगमयुग में छोटे से जन्म में 21 जन्म की प्राप्ति, जिसमें तन, मन, धन, जन सर्व प्राप्ति हैं और गैरन्टी है 21 जन्म फुल, आधा नहीं, पौना नहीं लेकिन फुल 21 जन्म की गैरन्टी है। तो सबसे ज्यादा जो महत्व है वह है संगमयुग का एक-एक सेकण्ड अनेक वर्षों के समान है। तो बोलो, सर्व खज़ानों से सम्पन्न तो हैं? सम्पन्न है ना? इसलिए बापदादा सदा समय की स्मृति दिला रहे हैं। कई बच्चे समझते हैं कि एक दो मिनट अगर और कुछ सोच लिया, तो 2 मिनट ही तो हैं। लेकिन जितना समय का महत्व है उस अनुसार तो 2 मिनट नहीं, 2 मास भी नहीं, दो वर्ष के समान हैं। इतना महत्व है संगम के समय का। सर्व शक्तियों की, सर्व गुणों की, परमात्म प्यार की, ब्राह्मण परिवार के प्यार की और कल्प पहले वाले ईश्वरीय हक की। सर्व प्राप्ति इस छोटे से युग में हैं और कोई भी युग में यह सर्व प्राप्ति नहीं। राज्य भाग्य होगा, आप सबका राज्य होगा, सुख शान्ति सब होगा लेकिन परमात्म मिलन का, अतीन्द्रिय सुख का, सर्व ब्राह्मण परिवार का, आदि मध्य अन्त की नॉलेज का वह अब संगम पर ही मिला है, हर कल्प मिलता रहेगा।

तो बापदादा हर बच्चे के चेहरे से देखते हैं कि खज़ाने जमा कितने हैं। खज़ाने तो मिले लेकिन हर एक ने कितना जमा का खाता बढ़ाया है, वह हर एक के चेहरे से, चलन से दिखाई देता है और आप सब भी अपने आपको जानते हो कि मैंने कितना जमा किया है? अभी बापदादा की यही दिल की आश है कि खज़ाने मिले तो हैं लेकिन अब समय सिर्फ वर्णन करने का नहीं है लेकिन आपका चेहरा और चलन प्रत्यक्ष अनुभव कराये कि यह आत्मायें कोई विशेष हैं, न्यारे हैं और परमात्म प्यारे हैं क्योंकि आगे चलकर समय परिवर्तन होने से आपकी सेवा सिर्फ वर्णन करने से नहीं, समय नाजुक होने से इतना समय कोई निकाल नहीं सकेगा लेकिन आपके खज़ाने सम्पन्न चेहरे से, चलन से आपकी अलौकिकता का दूर से ही साक्षात्कार होगा। तो ऐसा पुरूषार्थ अभी अपना प्रत्यक्ष करो। जैसे ब्रह्मा बाप को देखा, चाहे संगठन के बीच में भी रहा तो भी दूर से वह पर्सनैलिटी चमक अनुभव हुई। ऐसे अभी विशेष डबल विदेशी, बापदादा डबल पुरूषार्थी कहते हैं तो बापदादा निमित्त आज डबल विदेशी बच्चों को देख खुश है। पुरूषार्थ वृद्धि का अच्छा कर रहे हैं, पालना भी सभी को बहुत अच्छी मिल रही है, निमित्त बनी हुई आत्माओं से, और बापदादा को एक बात सभी की बहुत अच्छी लगती है कि सर्व आत्मायें हर वर्ष अपना संगठन का मिलन मधुबन में विशेष करते हैं क्योंकि मधुबन का वायुमण्डल रिफ्रेशमेंट में बहुत सहयोग देता है और एक ही जिम्मेवारी, स्व-परिवर्तन, मन्सा सेवा एक दो के अनुभवों का अच्छा चांस मिलता है। तो बापदादा इस बात पर मुबारक देते हैं।

अभी कुछ कमाल अपने-अपने स्थान पर जाकर करना, कुछ न्यारापन जो बाप को प्यारा है वह प्रैक्टिकल में अनुभव कराना जिससे मधुबन की रिफ्रेशमेंट का सहयोग वहाँ भी अनुभव करते रहेंगे। तो आज विशेष डबल पुरूषार्थी ग्रुप का मिलन है और देखो आप सभी से इन्डिया वाले बच्चों का इतना प्यार है जो पहला चांस आपको ही देते हैं। तो पहले चांस का रिजल्ट पहला नम्बर लेना है। अच्छा लगता है, बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि डबल विदेशी या डबल पुरूषार्थी बच्चों ने बाप का एक विशेष टाइटिल प्रत्यक्ष किया है। जो विदेश में मैजारिटी तरफ के बाप के बच्चों को निकाल उनकी भी तकदीर की तस्वीर बना दी है, इसीलिए लगन से जो चारों ओर मेहनत कर रहे हैं, उससे बाप का विश्व कल्याणकारी कर्तव्य प्रसिद्ध किया है। इसीलिए बापदादा हर बच्चे को वाह! बच्चा वाह! की मुबारक देते हैं। अभी भी जैसे भारत में कोने-कोने में सन्देश देने की सेवा चलती रहती है ऐसे वहाँ भी उमंग-उत्साह है कि रहे हुए देश में सन्देश दे दें क्योंकि समय पर कोई भरोसा नहीं। बापदादा ने पहले से ही कहा है कि अचानक क्या भी हो सकता है इसलिए सन्देश देने का वा अपने प्रोग्रेस का अभी-अभी, कभी-कभी नहीं, बापदादा ने कहा ही है कि वास्तव में ब्राह्मणों की डिक्शनरी में कभी-कभी शब्द शोभता नहीं है, अभी-अभी, संकल्प किया करना ही है। देखेंगे, करेंगे, यह गे-गे का शब्द ही नहीं है। इसलिए आपकी मम्मा ने भी यही लक्ष्य रखा, याद दिलाने का कि अब नहीं तो कब नहीं।

तो डबल पुरूषार्थी बच्चे अभी-अभी करने वाले हैं या कभी-कभी? जो समझते हैं कि अभी-अभी करके दिखाने वाले हैं, वह हाथ उठाओ। करना ही है। करना ही है। करेंगे नहीं, करना ही है। याद रखना, अपने आपही अपना चार्ट रखना और बापदादा ने पहले ही सुनाया है कि हर रात्रि को बापदादा को अपने सारे दिन का चार्ट सुनाने के बाद अपना दिमाग खाली करके सोने से आपको नींद भी अच्छी आयेगी और साथ में रोज़ का हालचाल देने से दूसरे दिन याद रहता है कि बाबा को हमने अपना कहा है, तो वह स्मृति सहयोग देती है। धर्मराजपुरी के लिए जाना नहीं पड़ेगा। दे दिया ना और परिवर्तन कर लिया तो धर्मराजपुरी से बच जायेंगे। अभी दूसरे वर्ष, देखा तो किसने नहीं है लेकिन अभी लक्ष्य रखो, वर्ष को छोड़ो, कम से कम जितने थोड़े समय में अपने को जो बाप की आश है कि चेहरा दिखाई दे, चलन दिखाई दे, वह जल्दी से जल्दी प्रैक्टिकल में करके दिखाओ। हिम्मत है, तो हाथ उठाओ। हिम्मत है? हिम्मत है? अच्छा मुबारक हो। बापदादा तो हर बच्चे में निश्चय और हिम्मत का उमंग-उत्साह अभी-अभी देख रहा है। लेकिन जाते-जाते प्लेन में थोड़ा कम नहीं करना। बढ़ाते रहना। दृढ़ संकल्प की चाबी जो बापदादा ने दी है उसको सदा ही कायम रखना। करना ही है, अभी-अभी, गे गे नहीं। वह समय अभी गया। हो जायेगा, होना ही है। हो जायेगा नहीं, होना ही है। डबल पुरूषार्थी का टाइटिल बापदादा ने जो दिया है, उसको सदा याद रखना।

बाकी बापदादा ने रिजल्ट सुनी, बापदादा ने जो सेवा का प्लैन दिया, उसमें भारत ने भी कम नहीं किया और विदेश ने भी कम नहीं किया है। इस वरदान को मैजारिटी स्थानों में उमंग-उत्साह से किया है और रिजल्ट भी अलग-अलग स्थान की आ रही है। तो बापदादा चाहे भारत के बच्चों को, चाहे विदेश के बच्चों को पदम-पदम गुणा प्रैक्टिकल लाने में मुबारक दे रहे हैं।

अभी इस वर्ष में विशेष कौन सी बात प्रैक्टिकल में करनी है, वह सुना दिया कि अभी चेहरे में चमक दिखाई दे, जो भी देखे, प्रत्यक्षता के निमित्त बनना है, बाप को प्रत्यक्ष करना है तो क्या करना है? सदा मुस्कराता हुआ चेहरा, कोई चिंतन में, कोई उलझन में नहीं, बापदादा ने सुनाया था कि अभी दो शब्द याद करो माया को इशारा करो गेट आउट और अपने को गेस्ट हाउस में अनुभव करो। यह दुनिया आपकी नहीं है, गेस्ट हाउस है, अब तो घर जाना ही है। घर के नजारे मन में बुद्धि में दिखाई दें। तो आटोमेटिकली घर आया कि आया, आपका एक गीत है, अब घर चलना है। तो यह लहर हर एक चाहे भारत, चाहे विदेश, अब यह अनुभव प्रत्यक्ष करके दिखाओ। बेहद का वैराग्य, गेस्ट हाउस में दिल नहीं लगती। जाना है, जाना है, याद रहता है। तो बेहद का वैराग्य यह कोई भी प्रकार का, मन के संकल्पों का आपस में संगठन के माया के विघ्नों का एकदम समाप्त कर देगा। यह माया के तूफान आपके लिए तोहफा बन जायेंगे। यह जो छोटे-मोटे पेपर आते हैं यह पेपर नहीं लगेंगे लेकिन एक अनुभव बढ़ाने की लिफ्ट लगेंगे। गिफ्ट और लिफ्ट। समझा।

अभी लक्ष्य रखो बेहद के वैरागी और हिम्मत उमंग-उत्साह के पंखों से उड़ते रहो और उड़ाते रहो। अभी उड़ने का समय है, पंख अपने सदा चेक करो कमज़ोर तो नहीं हो रहे हैं! तो बापदादा डबल विदेशियों का विस्तार देख खुश है, अभी क्या देखने चाहते हैं? हर बच्चा बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण, सर्व खज़ानों से सम्पन्न और हर श्रीमत जो मिलती रही है, उसमें सम्पूर्ण। पसन्द है? पसन्द है तो ताली बजाओ। अच्छा। यह ताली हर दिन याद करना, अपने आप ही मन में बजाना, बाहर से नहीं मन में बजाना। यह होम वर्क है। अच्छा।

90 देशों से 2300 भाई बहिनें आये हुए हैं:- (पांचों खण्डों के भाई बहिनों को अलग-अलग ग्रुप में खड़ा किया)

1- अमेरिका, कैनाडा और कैरेबियन के भाई बहिनें, 2- आस्टे्रलिया, एशिया, न्युजीलैण्ड फिजी, 3- यूरोप, यू.के., मिडिलईस्ट 4- अफ्रीका, साउथ अफ्रीका, मौरीशियस, 5- रशिया, सी.आई.एस., बाल्टिक रीजन

सभी तरफ आगे बढ़ने का संकल्प और आपस में रूहरिहान भी की है, बापदादा के पास समाचार आता रहता है। अभी एवररेडी ग्रुप बनाओ। जो देश जितने भी आये हैं, उन देशों में बापदादा प्राइज देंगे, क्या प्राइज देंगे वह तो देखेंगे उस समय। लेकिन बापदादा डबल पुरूषार्थी बच्चों के हर एरिया के ग्रुप को यही कहते हैं कि कोई भी ग्रुप जो नम्बरवन, एक देश के एक-एक शहर में जितने भी सेन्टर हैं, मानों अमेरिका है, अमेरिका के कनेक्शन में जो भी देश हैं, वह सभी देश आपस में राय कर प्रोग्राम बनायें कि यहाँ सभी निर्विघ्न रहेंगे, एवररेडी रहेंगे, मायाजीत रहेंगे, स्नेही और सेवा में सहयोगी रहेंगे। जो नम्बरवन हो उसको बापदादा प्राइज देगा। चलो एक नहीं तो तीन वो देंगे। एक दो तीन। तीन नम्बर। वैसे तो एक को दिया जाता है लेकिन डबल पुरूषार्थी हैं ना तो तीन को चांस देंगे। पसन्द है? हाँ हाथ हिलाओ। पसन्द है? कितना टाइम चाहिए? यह टीचर सुनावें, कितना टाइम चाहिए प्राइज लेने में? बताओ। (फरवरी तक) सभी देशों की टीचर्स हाथ उठाओ। ठीक है? तैयार होंगे ना! फिर बापदादा प्राइज देंगे। बहुत अच्छा। इसकी ताली तो बजाओ। अच्छा।

भारत का भी टर्न आयेगा। अभी तो आप लोगों का टर्न है। बापदादा भी खुश होते हैं वाह तीव्र! पुरूषार्थी बच्चे वाह!अच्छा, अभी क्या करना है? अच्छा।

चारों ओर के तीव्र पुरूषार्थी हिम्मत और उमंग उत्साह से उड़ने वाले, चलने वाले नहीं, उड़ने वाले, चारों ओर के बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण बनने वाले बापदादा के दिलतख्तनशीन, सदा बाप के कम्बाइन्ड रूप का अनुभव और सहयोग लेने वाले हर एक बाप के सिकीलधे, स्नेही बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।

दादियों से:- बाप के साथ आप सबका भी सहयोग रहा है ना। बच्चे और बाप दोनों के सहयोग से यज्ञ चला है, चलता रहेगा। निमित्त तो आप भी हो ना। साकार में एक ने कहा दूसरे ने किया। एक दो के सहयोगी बन उड़ रहे हो। बाबा उड़ते हुए देख खुश होते हैं। (दादी जानकी ने कहा कमाल है गुल्जार दादी की) वह तो साथ में है ही। बापदादा की यही शुभ इच्छा है कि आप सभी जो निमित्त हैं वह सदा एक दिखाई पड़ें। भिन्न-भिन्न नहीं, एक दिखाई दें। एक ने कहा दूसरे ने राय दी और एक हो गये। तभी तो यज्ञ चल रहा है। आप सबकी एकता से ही चल रहा है, चाहे बाहर से दिखाई नहीं दे लेकिन संकल्प में, विचारों में एक रह करके और आगे बढ़ाना है क्योंकि अभी आप सबके ऊपर नजर है। अच्छा।

परदादी से:- बहुत अच्छा पार्ट बजा रही हो, शक्ल से बीमार नहीं लगती हो। बापदादा बच्ची को देख खुश होते हैं। तभी तो शक्ल ऐसी चमकती है। शक्ल से बीमार नहीं लगती।

रमेश भाई से:- ऊषा की तबियत ठीक है, उसको याद देना।

बृजमोहन भाई से:- इन्डिया में किया उसका भी प्रभाव अच्छा पड़ा। सभी को सन्देश मिला, इन्टे्रस्ट बढ़ा, अच्छा किया। मिलकरके एक दो में राय लेकरके अच्छा किया। अभी भी कई कर रहे हैं, अच्छा है सन्देश तो मिल जाए, टी.वी. द्वारा भी अच्छा किया। मेहनत अच्छी की।

डबल विदेशी मुख्य बहिनों से:- यहाँ सबको इक्ठ्ठा होना अच्छा लगता है ना! फ्री माइन्ड। वहाँ तो सेवा का, स्टूडेन्ट का ख्याल रहता है। यहाँ एक ही काम है, आपस में मिलकर करते हो यह बापदादा को बहुत अच्छा लगता है। एक साथ बन जाता है ना तो एक ही जैसा चलता है। बापदादा को बहुत पसन्द है। (जयन्ती बहन से) ठीक है। तबियत ठीक हो गई। सभी की तबियत ठीक है। (मोहिनी बहन से) इसका भी हिसाब पूरा हुआ। वह तो सभी को होता है। अभी हर एक को अपनी तबियत की नब्ज का पता पड़ गया है, क्यों होता है, क्या करना है। नॉलेजफुल हो गये हैं इसीलिए शरीर पुराना है, आत्मा हिम्मत वाली है। सेवा के लिए एवररेडी। अभी तो समय अनुसार आप लोगों को अलर्ट होना पड़ेगा। (बहुत निमन्त्रण मिलते रहते हैं) अभी इन्ट्रेस्ट लेना शुरू हो गया है। अभी फिर पीछे दूसरे टर्न में सुनायेंगे, कि अभी और सेवा का क्या रूप होना चाहिए।

अंकल-आंटी ने आपको बहुत-बहुत याद दिया है:- उनको कहना आपको लाख बार, पदम पदम यादप्यार। (बाबा आप हमारी दुनिया में देखने तो आओगे) ऊपर बैठकर भी देखेंगे।

निजार भाई से:- (हैदराबाद में सर्व इन्डिया का प्रोग्राम 7-8 नवम्बर को है) यह भी एक नये प्रकार की ट्रायल हो जायेगी। अच्छा है, प्रोग्राम अच्छा है। पहले एक सैम्पुल हो जायेगा। (सारी इन्डिया में 32 सिटी में करने का प्लैन बनाया है) होते रहेंगे, अभी तो पहला अच्छा हो जायेगा।

शांतामणी दादी से:- शेश शैया पर सोई हुई हो। जैसे विष्णु को दिखाते हैं ना शेश शैया पर आराम से लेटा हुआ, ऐसे आप भी लेटी हुई हो। बहुत अन्दर कमाई हो रही है। अपनी सूक्ष्म मन्सा सेवा करती रहो।

कार्तिकेयन भाई तथा अन्य मेहमानों से:- ड्रामा की प्वाइंट तो पक्की है ना! जो कुछ होता है, अच्छा होता है, अपने लिए उस आत्मा का कल्याण और रिजल्ट बहुत अच्छी है। अच्छे में अच्छी है, आप फिकर नहीं करो, बेफिकर। बाप देख रहा है, सब अच्छा है। देखो, सेवा का प्रत्यक्ष रूप तो दिखाया है। बहुत अच्छा किया, हिम्मत दिखाई ना। हिम्मत का फल बहुत अच्छा होता है। बापदादा के रजिस्टर में हिम्मतवान में आपका नाम रजिस्टर्ड है।