30-11-09   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘बाप वा सर्व का प्रिय बनने के लिए सन्तुष्टमणि बन हर परिस्थिति के प्रभाव से मुक्त रहो’’

आज चारों ओर के सन्तुष्ट आत्माओं को देख रहे हैं। सन्तुष्ट मणियां चारों ओर अपने मणि की चमक फैला रही हैं। सबसे बड़े से बड़ी स्थिति है ही सन्तुष्टता की। सदा सन्तुष्ट सभी को प्रिय लगते हैं। बाप को तो प्रिय है ही, सदा सन्तुष्ट वही रह सकता है जिसको सर्व प्राप्तियां हैं। प्राप्तियों का आधार सन्तुष्टता है इसलिए ऐसी आत्मायें सर्व ब्राह्मण आत्माओं को प्रिय हैं। सर्व प्राप्तियां अर्थात् सदा सन्तुष्ट। सन्तुष्ट आत्मा का वायुमण्डल में भी प्रभाव पड़ता है और सर्व प्राप्तियां हैं परमात्मा की देन। परमात्मा बाप द्वारा सर्व शक्तियां, सर्व गुण, सर्व खज़ाने प्राप्त की हुई आत्मा सदा सन्तुष्ट रहती है। सन्तुष्ट आत्मा की स्थिति सदा प्रगतिशील रहती है। परिस्थिति सन्तुष्ट आत्मा के ऊपर प्रभाव नहीं डाल सकती क्योंकि जहाँ सन्तुष्टता है वहाँ सर्व शक्तियां सर्व गुण स्वत: ही आते हैं। एक सन्तुष्टता अनेक गुणों को अपना लेती है। तो हर एक अपने से पूछे कि मैं सदा सन्तुष्ट आत्मा रहती हूँ! सन्तुष्ट आत्मा सदा सर्व के, बाप के समीप और समान स्थिति में रहती है। लेकिन इस स्थिति में रहने के लिए बहुत साक्षी दृष्टा अवस्था चाहिए, त्रिकालदर्शी अवस्था चाहिए। हर कर्म त्रिकालदर्शी अर्थात् हर बात को तीनों कालों को परख फिर कर्म करने वाले। इसके लिए दो बातें आवश्यक हैं। वह दो बातें हैं सम्बन्ध और सम्पत्ति। सम्बन्ध भी अविनाशी, सम्पत्ति भी अविनाशी। वह प्राप्त होता है अविनाशी बाप द्वारा। जब अविनाशी सम्पत्ति और सम्बन्ध प्राप्त हो जाता तो आत्मा सदा सन्तुष्ट और बाप की, सर्व आत्माओं की अति प्रिय हो जाती है। कोई भी परिस्थिति माया के रूप में आती है तो घबराते नहीं हैं। ऐसे महसूस करते हैं जैसे बेहद के पर्दे पर मिक्की माउस का खेल चल रहा है। परेशान नहीं होते, मिक्की हाउस का खेल देख मनोरंजन करते हैं। माया के भिन्न-भिन्न रूप, भिन्न-भिन्न मिक्की माउस के रूप में अनुभव करते हैं। ऐसी स्थिति का अनुभव बाप द्वारा सर्व को प्राप्त करना ही हैं और किया भी है।

बापदादा देखते हैं निर्भय, एकाग्र बुद्धि बन कोई भी परिस्थिति में डगमग नहीं होते। ऐसे विजयी आत्मायें सदा जो बाप की हर बच्चे में शुभ आशा है कि हर बच्चा सदा विजयी बन बाप को अपना विजय का स्वरूप दिखावे, तो हर एक अपने से पूछे मैं कौन? बापदादा ने पहले भी सुनाया है कि कभी-कभी का शब्द समय प्रमाण अभी ब्राह्मण डिक्शनरी से समाप्त कर दो। जब बाप से वर्सा सदा का लेना है तो हर प्राप्ति सदा प्राप्त हो क्योंकि बाप के दिल की आशाओं को पूर्ण करने वाले आशाओं के दीपक हैं। उनके संकल्प में भी कभी-कभी शब्द आ नहीं सकता क्यों? सदा बाप के साथ और बाप के साथी हैं। साथ रहने वाले भी और साथी बन विश्व परिवर्तन का कार्य करने वाले।

तो बोलो, यह सदा का वरदान बापदादा द्वारा प्राप्त कर लिया है ना! यह तो जन्म लेते ही बापदादा हर बच्चे को सदा यही वरदान देते हैं, सदा योगी भव, पवित्र भव। उस वरदान द्वारा जो भी प्राप्तियां होती हैं वह सदा के लिए होती हैं। कभी-कभी के लिए नहीं। तो सभी बच्चे सदा के अधिकारी हैं क्योंकि बाप का हर बच्चे से चाहे लास्ट बच्चा है लेकिन बाप को हर बच्चे से दिल का प्यार है क्योंकि जो बड़े-बड़े लोग हैं, अपने को समझदार समझते हैं वह भी बाप को पहचान नहीं सके, लेकिन बापदादा के लास्ट बच्चे ने बाप को पहचान लिया। दिल से कहते हैं मेरा बाबा इसलिए बाप का हर बच्चे से अविनाशी प्यार है इसलिए हर बच्चे को बाप का वरदान है। रोज़ बापदादा चाहे नम्बरवार हैं लेकिन एक ही समय, एक ही वरदान सभी बच्चों को इकठ्ठा देते हैं। हर रोज़ बापदादा का हर बच्चा नम्बरवार भले है लेकिन मेरा बाबा कहा तो वरदान के अधिकारी बन गया। हर एक बच्चे को चाहे कहाँ भी रहते हैं, इण्डिया में रहते हैं या फॉरेन में रहते हैं लेकिन वरदान सभी को एक ही बापदादा का मिलता है और वरदान को प्राप्त कर खुश भी होते हैं लेकिन दो प्रकार के बच्चे हैं एक बच्चे वरदान को देख खुश जरूर होते हैं लेकिन आगे नम्बर वही लेते हैं जो सिर्फ वरदान को देख खुश नहीं होते, वर्णन नहीं करते कि यह मेरा वरदान है लेकिन वरदान को फलीभूत करते हैं। वरदान से लाभ लेकर वरदान का फल निकालते हैं। बीज है लेकिन बीज को फलीभूत नहीं करें, फल नहीं निकालें तो सिर्फ खुशी होती है, वरदान से फल निकालने के लिए जैसे कोई भी बीज होता है, उसका फल निकालने के लिए उनको पानी और धूप चाहिए तभी फल निकलता है। तो यहाँ भी हर बच्चे को जब वरदान का फल निकालना है, जिससे विस्तार होता जाए, अपने ही मन में वरदान के फल द्वारा वृद्धि होती जाए, तो यहाँ भी बाप कहते हैं कि वरदान का फल निकालने के लिए बार-बार वरदान को स्मृति में लाओ। स्मृति स्वरूप के स्थिति में स्थित रहो। बार-बार सिमरण नहीं लेकिन स्मृति, यह है पानी देना और स्वरूप में स्थित होना यह है धूप लगाना। तो यह फलीभूत होने से स्वयं में भी बहुत शक्ति भरती है और दूसरे को भी उस फल द्वारा शक्ति का अनुभव करा सकते हैं।

तो बापदादा अभी क्या चाहते हैं? हर बच्चा, क्योंकि बापदादा कुछ समय से लेके वा\नग दे ही रहे हैं समय की। हर बच्चे की पढ़ाई की रिजल्ट का समय अचानक आना है। इसके लिए सदा एवररेडी। साथ-साथ बापदादा यह भी इशारा दे रहे हैं कि अभी समय है उड़ती कला के तीव्र पुरूषार्थ का। चल रहे हैं नहीं, उड़ रहे हैं। साधारण रीति से अपनी दिनचर्या व्यतीत करना, अब वह समय कामन पुरूषार्थ का गया इसलिए बापदादा इशारा दे रहे हैं, हर सेकण्ड, हर संकल्प चेक करो। मानो अपना तीव्र पुरूषार्थ न कर एक घण्टा साधारण पुरूषार्थ में रहे तो एक घण्टे में अचानक अगर फाइनल पेपर का टाइम आ गया तो अन्त मते सो गति, वह एक घण्टे का साधारण पुरूषार्थ कितना नुकसान कर देगा! इसलिए बापदादा हर बच्चे को, हर संकल्प, हर सेकण्ड समय के महत्व को, समय प्रति समय इशारा दे रहे हैं। हलचल के समय अचल रहने का पुरूषार्थ तीव्र पुरूषार्थी ही कर सकता। साधारण पुरूषार्थी एवररेडी बनने में समय लगा देगा और बापदादा ने कहा है कि सेकण्ड में बिन्दी अर्थात् फुलस्टॉप, अगर तीव्र पुरूषार्थ नहीं होगा तो क्या होता है? अनुभवी तो हैं। फुलस्टॉप के बजाए क्वेश्चन मार्क तो नहीं बन जायेगा! बिन्दी कितना सहज है और क्वेश्चन कितना टेढ़ा बांका है। फुलस्टॉप तो फुलस्टॉप हो जाए। क्वामा की मात्रा भी नहीं हो, आश्चर्य की मात्रा भी नहीं हो। क्या करूं, यह सोचने का भी समय नहीं मिलेगा। तो कोई भी बच्चा यह सोच नहीं सकता कि इतना फास्ट पुरूषार्थ करना ही पेपर में पास होना है।

तो बापदादा देखते हैं अभी भी कारणे अकारणें क्यों, क्या, कैसे, ऐसे.. यह कोई-कोई बच्चों के रोज़ के चार्ट में दिखाई देता है। बहुतों के चार्ट में बापदादा ने देखा है कि वेस्ट थॉट्स की लहर समय ले लेती है और वेस्ट की रफ्तार ऐसी तीव्र होती है जो साधारण संकल्प का एक घण्टा और फास्ट संकल्प का एक मिनट। इसलिए आज यह देख रहे थे कि सबकी प्रिय, बापदादा की प्रिय सन्तुष्ट आत्मायें कौन-कौन हैं? सन्तुष्ट आत्मा के संकल्प में भी यह क्यों, क्या की भाषा स्वप्न में भी नहीं आयेगी क्योंकि उस आत्मा को तीन विशेष बातें, तीन बिन्दियां, आत्मा, परमात्मा और ड्रामा, तीन ही समय पर कार्य में लगा सकते हैं क्योंकि ऐसे समय पर शक्तियों का खज़ाना आवश्यक है और मास्टर सर्वशक्तिवान वह हैं जो जिस समय जिस शक्ति को आर्डर करे वह हाज़िर हो जाए। चाहिए सहनशक्ति और आ जावे सामना करने की शक्ति, तो है शक्ति लेकिन उस समय काम की नहीं है। तो सर्व खज़ानों की चाबी है तीन बिन्दियां – आप, बाप और ड्रामा।

तो बापदादा का एक संकल्प है, बतायें? करना पड़ेगा। जो करने के लिए तैयार हैं, वह हाथ उठाओ। करना पड़ेगा। करना पड़गा। हाथ उठा रहे हैं। मन का हाथ उठा रहे हैं या शरीर का हाथ उठा रहे हैं? मन का हाथ पक्का होता है। बापदादा समय प्रमाण हर एक बच्चे से यह शुभ आशा रखते हैं कि 15 दिन के बाद फिर बाप का मिलना होता है, तो यह जो 15 दिन बीतें उसमें यह विशेष अभ्यास करो ट्रायल के लिए, रहना तो सदा है लेकिन 15 दिन की ट्रायल करो और अपने-अपने कनेक्शन वाले सेन्टर्स को भी कराओ, चक्कर लगाके फोन करके उनको याद दिलाओ कि होमवर्क कर रहे हो? होमवर्क क्या है? इजी है, हर एक भिन्न-भिन्न सरकमस्टांश बातों से क्रास तो करते ही हैं लेकिन यह 15 दिन हर एक को संकल्प, वाणी और कर्म में कम से कम 80 प्रतिशत की मार्क्स लेनी हैं। फिर भी बापदादा 20 परसेन्ट छुट्टी देते हैं। है मंजूर। मंजूर हैं? देवें। यह काम देवे। अच्छा 15 दिन, माया भी सुन रही है। बातें तो आयेंगी, बातों को नहीं देखना, पास होना है, यह याद रखना। 15 दिन कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन बापदादा के पास हर एक सच्ची दिल, साफ दिल स्वप्न में भी संकल्प, वाणी और कर्म में पास होके दिखायें। हो सकता है? हो सकता है? टीचर्स बताओ हो सकता है? 15 दिन तो कुछ भी नहीं हैं लेकिन बापदादा ट्रायल के लिए संकल्प भी वेस्ट नहीं, युद्ध नहीं विजयी। 15 दिन के फुल विजयी। मुश्किल है या इजी है? इजी है, हाथ उठाओ। इजी है? तो बापदादा यह 15 दिन की रिजल्ट देखेंगे। फिर आगे बढ़ायेंगे। 15 दिन तो कोई भी कर सकता है ना! कर सकते हैं ना! मधुबन वाले, मधुबन वाले हाथ उठाओ। यह आगे आगे मधुबन बैठा है। बहुत अच्छे हैं। फॉरेनर्स या इण्डिया वाले सभी को करना है। गांव वाले या बड़े शहर वाले सबको 15 दिन का रिकार्ड रखना है। क्या क्यों का, क्या करें बात ही ऐसी हुई, नहीं बताना। 80 परसेन्ट लेना ही है। फिर भी बापदादा हल्का कर रहा है, 20 परसेन्ट छोड़ रहा है क्योंकि बापदादा देखते हैं कि कहाँ-कहाँ चलते चलते माया अलबेला और आलस्य, रॉयल आलस्य यह था, यह था, यह रॉयल आलस्य, अलबेलापन यह तीव्र पुरूषार्थ में कमी डालता है क्योंकि अभी बापदादा सभी जो भी स्टूडेन्ट हैं, हर एक स्टूडेन्ट को अभी पहले यह 15 दिन की रिहर्सल कराके कुछ समय ऐसे ही अभ्यास कराने चाहते हैं, जो सभी से हाथ उठवाये, एवररेडी। सब हाथ उठा सके, समय का भी अभ्यास चाहिए। इसलिए यह थोड़ा सा अभ्यास कराते हैं। अच्छा। अभी क्या करना है?

सेवा का टर्न पंजाब ज़ोन का है:- अच्छा है पंजाब, जहाँ 5 नदियां बहती हैं, नदियों का प्रभाव भी नामीग्रामी अच्छा है। तो ज्ञान गंगायें भी प्रसिद्ध हैं ना! पंजाब बहुत अच्छा कार्य कर रहे हैं, पंजाब की विशेषता है कि पंजाब की कुमारियां बहुत अच्छी इकट्ठीसर्विसएबुल निकली। ताली बजाओ। पंजाब में पहले पहले बेधड़क होके सन्यासियों के सम्मेलन में भाषण किया। सन्यास भी बहुत अच्छा कार्य है, यह स्टेज पर बैठ बोला, अभी शुरूआत थी और पंजाब के कनेक्शन से समय प्रति समय यहाँ बड़े-बड़े सन्यासी मठ वाले आबू में सम्मेलन करने आये हैं और काफी संख्या में आते हैं, आते तो और देश के भी हैं लेकिन खास संगठन वह हरिद्वार से आते हैं। कनेक्शन भी है। तो पंजाब को ड्रामानुसार यह सन्यासियों महात्माओं की सेवा का चांस अच्छा मिला हुआ है और कर भी रहे हैं। पंजाब में स्थापना के समय पर जैसे सेवा आरम्भ हुई वैसे सहयोगी और वारिस क्वालिटी वाले निमित्त बनें। जितना ही हंगामें वाले थे उतने ही शेर क्वालिटी भी निकली। अभी पंजाब को क्या करना है? यह विशेषता तो है अभी पंजाब वाले कोई ऐसा शेर तैयार करें नामीग्रामी, जो सभा में माइक बन अपना अनुभव सुनाये। माइक बड़ा हो, छोटा नहीं। जैसे गवर्मेन्ट के वी.आई.पी तो अलग होते हैं लेकिन महात्माओं में भी वी.आई.पी होते हैं, ऐसा कोई बड़ा माइक तैयार करो, जो अपने अनुभव से औरों को उमंग में लाये। ऐसा कोई निकालो, तैयारी करो। हो सकता है क्योंकि आजकल सभी समझते हैं कि साधू सन्त की सेवायें तो द्वापर से शुरू हुई लेकिन आप समान ऐसे बड़ा गुरू दूसरे को, शिष्य को बनावें, ऐसा एक्जैम्पुल नहीं होता और बापदादा ने अपने से भी होशियार बच्चों को तैयार किया है, जो पब्लिक में आते हैं, इसलिए पंजाब कोई नवीनता करके दिखाओ। वी.आई.पी तो सब तरफ से आते हैं लेकिन आप ऐसा लाओ जो सभी सुनकरके जग जावें, सन्देश मिल जाये। हो सकता है? देखेंगे। थोड़ा समय तो लगता है लेकिन ऐसा कोई तैयार करके दिखाओ। बाकी वृद्धि तो हो रही है। अभी देखो आधी सभा पंजाब की खड़ी हुई है। सेवा वृद्धि को हो रही है, उसकी मुबारक हो। (कुम्भ मेले की तैयारी हो रही है) यह चांस अच्छा है। हो जायेगा। अच्छा। सेवा का चांस लेने वाले और आने का चांस लेने वाले क्योंकि जिसका टर्न होता है उसकी संख्या को चांस अच्छा मिलता है। यह भी अच्छा साधन बना हुआ है, तो सभी पंजाब वाले भाई-बहिनें मातायें कुमारियां-कुमार, बुजुर्ग सभी को बापदादा और सभा में बैठे हुए सभी का बहुत-बहुत मुबारक हो, मुबारक हो।

मीडिया विंग:- अच्छा है, मीडिया ने सेवा तो अच्छी की है और बापदादा ने देखा कि बाप के इशारे प्रमाण सभी ने जो इस बारी आवाज फैलाने की, सन्देश देने की सेवा की, सब ब्राह्मणों के मुख में भी यही रहा बापदादा ने कहा है, बापदादा ने कहा है, उसको प्रैक्टिकल रूप देने में सभी ने पुरूषार्थ अच्छा किया और मीडिया वालों ने भी चारों ओर के तरफ का सभी जगह क्या-क्या हुआ, वह दिखाने में मेहनत अच्छी की। पहले करने वालों ने उमंग से किया, चाहे बड़े चाहे छोटे लेकिन छोटों ने भी कम नहीं किया। बापदादा चाहते हैं कि जिन्होंने भी बड़े सेन्टर या छोटे सेन्टर ने प्रोग्राम किया, सन्देश देने का, जिन्होंने इस प्रोग्राम में सेवा की, निमित्त बनें, जिसको बड़ा प्रोग्राम कहते हैं वह उठो। जिन्होंने भी काम किया। सेन्टर वाले भी उठ सकते, जिन-जिन सेन्टर्स ने प्रोग्राम किया, वह सभी उठें। बापदादा को अच्छा लगा। टीचर्स कम उठी हैं। बापदादा पदमगुणा मुबारक देते हैं कि ऐसे ही बीच-बीच में थोड़े समय के बाद सन्देश देने का उमंग उत्साह से जगह जगह पर प्रोग्राम बनाते रहो। क्योंकि समय का कोई भरोसा नहीं। कम से कम यह तो कहें हमारा बाबा आ गया। हमने नहीं पहचाना, लेकिन बाप आया मैंने नहीं पहचाना। आपका फर्ज है सभी को आवाज द्वारा सूचना देना। तो आप सभी ने जो तन से, मन से, धन से सेवा की, उसके लिए आपका पदम पदमगुणा रिटर्न जमा हो गया। और सेवा का फल भी मिला। सेन्टर्स पर आ रहे हैं। और आगे के लिए यह करने का बल भी मिला। फल भी मिला, बल भी मिला। तो अच्छा है। सभी ने अपने रूचि से किया। बापदादा सभी का उमंग उत्साह देख, बाप से प्यार देख मुबारक दे रहे हैं। ऐसे ही कोई न कोई प्रोग्राम बनाते रहो। छोटे-छोटे सेन्टर्स में सब प्रबन्ध आ गया ना। नहीं तो सोचते हैं प्रोग्राम करना माना पहले प्रबन्ध करना पड़ेगा। लेकिन यह अचानक सभी जगह तन मन धन का खुशी खुशी से प्रबन्ध हो गया। किसने भी कैसे करें, यह नहीं कहा, करना है। ऐसे ही आपस में एक दो के साथी बन एक दो को उमंग उत्साह का साथ दे आगे बढ़ते चलो। ठीक है ना। अच्छा है, मुबारक हो, मुबारक हो। जो नहीं आये हैं उन्हों को भी मिल जायेगी मुबारक। अच्छा।

मीडिया वाले उठो - अच्छा है, अभी अटेन्शन दिया है, मीडिया द्वारा सर्विस अच्छी हो रही है। रेग्युलर स्टूडेन्ट भी बने हैं। इन्हों को भी बधाई हो (रवी भाई, सिवानी बहन और कनुप्रिया बहन से) अच्छा है, जितना जो सेवा करते हैं उसका फल है सदा खुशी रहती है। सेवा का फल खुशी, निर्विघ्न। कभी-कभी नहीं, सदा। तो अच्छा कर रहे हैं और सब राय करके कैसे इसको भी बढ़ाना है, देश में चाहे विदेश में, सब एक दो में राय करके सबकी राय से जो कार्य होता है, उसमें सफलता सहज होती है। तो राय करते राय बहादुर बन एक दो की सुनना और करना। हो जायेगा अभी टाइम ही क्या है इसलिए मीडिया वाले, इतने लोग है ना मीडिया वाले तो अपने-अपने एरिया में सन्देश देने का प्रोग्राम भी बनाओ। यह तो मधुबन या निमित्त बने हुए ने किया लेकिन हर एक को अपने-अपने एरिया में, जो मीडिया वाले हैं उन्हों को किसी रूप से सन्देश अपनी एरिया में फैलाना चाहिए। अच्छा कर रहे हैं, मुबारक हो।

ट्रांसपोर्ट विंग:- दोनों ही डिपार्टमेंट का कार्य आजकल जरूरी है क्योंकि दिन प्रतिदिन एक्सीडेंट बहुत हो रहे हैं। तो दोनों डिपार्टमेंट एक्सीडेंट कम हों, अकाले मृत्यु न हो, चिल्लाते चिल्लाते दु:खी होके न जायें, इसके पुरूषार्थ के लिए प्लैन बनाते रहते हैं, अभी भी बनाया है, बापदादा ने जब स्थापना की, बच्चे जब पढ़ने के लिए आये शुरू में तो शुरू में ही बापदादा कहते थे कि यह मृत्युलोक है, तो बच्चे थे ना, वह कहते थे मृत्युलोक कैसे है। क्योंकि मृत्यु तो देखा नहीं बच्चे थे। लेकिन अभी हर एक देख रहा है कि यह समय मृत्यु का ज्यादा है, कोई ऐसा दिन नहीं होगा जिसमें एक दो अकाले मृत्यु न होता हो। तो अच्छा है दोनों को जोरशोर से अपना कार्य बढ़ाना चाहिए। सब आपको मुबारक देंगे क्योंकि लोग भी चाहते हैं कि यह अकाले मृत्यु नहीं हो। तो बहुत अच्छा, आपस में मीटिंग करते हैं, बापदादा ने देखा है जब से यह वर्गो की सेवा शुरू हुई है तो कई सेन्टर के बच्चों को चांस मिला है सेवा करने का लेकिन एक बात बापदादा की अभी तक पूरी नहीं की है, याद है? बापदादा ने कहा था हर एक वर्ग का कोई ऐसा नामीग्रामी स्पीकर निकालो, माइक निकालो, और एक स्टेज पर तीन चार वर्ग के विशेष व्यक्ति अपना अनुभव सुनायें। आपस में एक ग्रुप बनावें जिसमें हर वर्ग का एक विशेष हो, जैसे ब्राह्मण परिवार को निमन्त्रण देकर बुलाते हैं स्पीच के लिए, वैसे उन पार्टी को जहाँ तहाँ निमन्त्रण देके भाषण का चांस दो। तो देखे कि हर वर्ग वाले कैसे कमल पुष्प के समान रह आगे बढ़ सकते हैं। अच्छा है।

समाज सेवा विंग:- समाज सेवा, समाज में यह आवाज फैल जाये तो यह क्या सेवा कर रहे हैं? समाज सेवा तो वास्तव में सब वर्ग वालों की कर सकते हैं। और आपस में बापदादा ने देखा है कि हर वर्ग उमंग उत्साह से संगठन में आते हैं और सेवा भी कर रहे हैं। एक दो को मदद भी दे रहे हैं। अब समाज में आवाज फैले। अगर समाज को ठीक करना है तो ब्रह्माकुमारियों के पास जाके देखो। कैसे समाज की सेवा हो सकती है। हर एक अच्छा करता है, चांस भी लेते हैं तो बढ़ो और बढ़ाओ। समाज में थोड़ा आवाज फैलाओ कि यह क्या कर रहे हैं। अच्छा।

डबल विदेशी:- डबल विदेशियों ने यह अच्छा चांस लिया है, हर एक ग्रुप में डबल विदेशी आते ही हैं। चतुर हैं। अपना चांस अलग भी लेते हैं और फिर हर ग्रुप में भी आते हैं। नाम डबल पड़ा हुआ है ना तो डबल फायदा लेते हैं। और भारतवासी भी आप सबको चांस लेते हुए देख खुश होते हैं। और यह बड़ा प्रोग्राम भी फॉरेन में भी अच्छा किया है चाहे एक नाम का फर्क किया लेकिन सेवा अच्छी हुई। बापदादा ने फॉरेन में भी सेवा की रिजल्ट सुनी भी है और देखी भी है। अभी बापदादा यही चाहते हैं कि देश वा विदेश का हर बच्चा एवररेडी सदा रहे। जैसे अच्छे स्टूडेन्ट जो होते हैं पढ़ाई में वह सदा यही इन्तजार करते हैं कि जल्दी-जल्दी इम्तहान हो, ऐसे ही हर बच्चा ऐसा एवररेडी हो कि कल भी कुछ हो जाए तो एवररेडी। सब सबजेक्ट में, चार ही सबजेक्ट में एवररेडी। समय आया और पास विद ऑनर बना। यही बापदादा की सभी बच्चों के प्रति शुभ आशा है और डबल विदेशी को तो बापदादा डबल पुरूषार्थी का टाइटिल देता ही है। तो बहुत अच्छा डबल चांस लेने वाले हो। अच्छा।

वर्ल्ड रिलीजस कॉन्फ्रेंस आस्ट्रेलिया में हो रही है जिसमें दादी जानकी जी जा रही हैं:- अच्छा है उन्हों को भी समय की पहचान और बाप की पहचान समय और बाप दोनों की पहचान, कम से कम यह उल्हना न दें कि हमारा बाबा आया, हमको पता नहीं पड़ा। तो सन्देश देने में तो आप होशियार हो ही। हाँ कराने वाला तो बाप है लेकिन करने वाला भी योग्य होगा तब बाप भी करायेगा। तो अच्छा है। आप पहुंच रही हो तो बहुत अच्छा। बापदादा तो साथ है ही। साथ भी है, साथी भी है। अच्छा।

पहले बारी कितने आये हैं, वह उठो:- अच्छा है आपको बापदादा के सामने आने के दिन का बहुत-बहुत मुबारक हो, मुबारक हो। बाप की नजर बच्चों पर पड़ी और बच्चों की नजर बाप के ऊपर पड़ी। तो बहुत-बहुत बधाईयां हैं। अच्छा। और केक तो नहीं है लेकिन खुशी का केक खा लो। अच्छा है, अभी देरी से आये हो लेकिन फास्ट जाके नम्बर आगे ले सकते हो। इसलिए बापदादा की तरफ से और सर्व आपके साथी भाई और बहिनों का, सबका मुबारक हो, मुबारक हो। ऐसा मिसाल होगा जो लास्ट आने वाला भी फास्ट जाके फर्स्ट लाइन में आ सकता है। अच्छा।

चारों ओर के बापदादा की आशाओं को पूर्ण करने वाले आशाओं के दीपक, क्यों, क्या की भाषा से न्यारे रहने वाले सदा एकरस, सदा एक बाबा दूसरा न कोई, बाप में ही विशेष जीवन के तीन सम्बन्ध, बाप, शिक्षक, सतगुरू अनुभव करने वाले, बाप से वर्सा, टीचर से पढ़ाई का वर्सा और सतगुरू से वरदानों का वर्सा प्राप्त करने वाले पदमगुणा भाग्यवान हर बच्चे को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।

दादियों से:- सभी को मदद भी सभी ने अच्छी की है। किसी को सोच नहीं करना पड़े कैसे करें, करना ही है। एक दो की मदद से सभी प्रोग्राम अच्छे हुए। आवाज तो फैल गया। सन्देश तो मिला अभी आगे बढ़ो। क्योंकि टापिक ही थी ना वरदान लेना है। तो योग के प्रोग्राम से अनुभव किया।

सन्तोष बहन (सायन) ने याद दिया है:- उसको याद देना। बहुत-बहुत यादप्यार स्वीकार हो।

दादी निर्मलशांता से:- हिम्मत करने से बाप की मदद तो है ही। अच्छा है, कर्मभोग को भी कर्मयोग से बदल दिया। बहुत अच्छा।

रमेश भाई ऊषा बहन, अनीला बहन- अभी तीनों की तबियत ठीक है। यहाँ सबकी शक्ति मिलती है। वायुमण्डल की मदद मिलती है। अच्छा है, यहाँ अच्छे हैं तो अच्छा है। जब तक रह सको, रहो। (रमेश भाई) आप अपना काम करो, यह अपना करे। (ऊषा बहन से) आप यहाँ बैठे सेन्टर्स पर फोन घुमा करके खुश खैराफत देती रहो। इनका काम अपना है, आपका अपना है। (इनके 50 साल मनाये) 50 वर्ष निर्विघ्न निभाया, आगे आगे बढ़ते रहे, पीछे नहीं रहे, उसकी मुबारक अच्छी है। एक दो के मददगार भी बनें और सेवा के भी मददगार हैं। यह भी खुश हो रही है। बापदादा को शांता माता भी बहुत याद रहती है। फाउण्डेशन रही। गुप्त रत्न थी।

बृजमोहन भाई से:- प्रोग्राम बनाते रहना, यह पूरा हुआ बस खत्म नहीं। टॉपिक अलग प्रकार की थोड़ा चेंज करके रखें।(वी.आई.पी बापदादा से मिल रहे हैं):- जो हिम्मत रखते हैं उसको मदद 100 गुणा मिलती है। तो मिलती रहेगी। भले वह भी ड्युटी बजाओ, तब तक हैं जब तक ड्युटी बजाओ लेकिन डबल काम, सिंगल नहीं।

2- शक्ति भरके कनेक्शन पूरा रखो। जिनका कनेक्शन रखेंगी उतना रिलेशन पक्का होता जायेगा। अगर टाइम नहीं भी मिले ना तो डेली फोन पर भी प्रेजेन्ट मार्क डालो तो पक्की स्टूडेन्ट नम्बरवन हो जायेंगी।

जो आत्मा गई, वह भी कनेक्शन में गई। बेटों को कोई न कोई कारण से सम्बन्ध में लाओ। रेग्युलर नहीं तो फंक्शन में लाओ, उनकी सेवा करो, वह भी ठीक रहेगा। इस सम्पर्क में साथ भी मिलेगा और भविष्य भी बनेगा। कनेक्शन नहीं तोड़ना। पक्का। तो बापदादा अभी भी शक्ति दे रहा है, आगे भी बढ़ायेगा। कोई फिकर नहीं करो, बेफिकर होकर सेवा करो। बापदादा साथ है।

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चेक करनाः

1) हर सरकमस्टांस वा बातों के बीच - संकल्प, वाणी और कर्म में व्यर्थ से मुक्त रहे?

2) स्वप्न में भी क्यों, क्या से मुक्त विजयी रहे?

3) हलचल में भी अचल रहे? फुलस्टॉप लगाया या क्वेश्चन मार्क?