15-12-09   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘परिवार के साथ प्रीत निभाने के लिए नॉलेजफुल बन बाप समान साक्षीपन की स्थिति में रहना है, बाप, स्व, ड्रामा और परिवार चारों में निश्चयबुद्धि बन विजयी बनना है’’

आज समर्थ बाप अपने समर्थ बच्चों को देख रहे हैं क्योकि हर एक बच्चा स्नेह से बाप समान बनने का पुरूषार्थ बहुत लगन से कर रहे हैं। बापदादा बच्चों को देख खुश होते हैं और दिल में बच्चों के गीत गाते हैं वाह बच्चे वाह!क्योंकि बच्चे बाप के भी सिर के ताज हैं। देखो बच्चों की पूजा डबल रूप में होती है, बाप की पूजा एक रूप में होती है। तो बच्चे बाप से भी बाप द्वारा आगे जाते हैं इसलिए बाप बच्चों के पुरूषार्थ को देख खुश है। नम्बरवार तो हैं लेकिन पुरूषार्थ का लक्ष्य आगे बढ़ा रहे हैं। आज अमृतवेले चारों ओर के बच्चों में एक बात जो ज्ञान का फाउण्डेशन है वह देखा। फाउण्डेशन है निश्चय। कहा हुआ भी है निश्चयबुद्धि विजयी। तो आप सबका निश्चय देखा, सभी का नम्बरवार बाप में तो निश्चय है ही, उसकी निशानी सभी बाप को पहचान बाप के बने हैं और यहाँ भी आये हैं, बाप से मिलने के लिए। बाप में हर एक बच्चे का अटूट निश्चय है लेकिन बाप के साथ और भी निश्चय पक्का होना चाहिए वह है स्व में निश्चय। साथ में ड्रामा में निश्चय और परिवार में निश्चय। इन चार प्रकार के निश्चय में पक्के होना अर्थात् निश्चयबुद्धि विजयन्ती बनना। तो चेक करो कि इन चार निश्चय में पक्के हैं? बाप में तो सभी कहते हैं मेरा बाबा और मैं बाप की। बाप के ऊपर मेरा कहके पूरा बाप का अधिकार प्राप्त कर लिया। सदा बाप के द्वारा अधिकारी बन सर्व खज़ानों के अधिकारी बन गये। साथ में स्व में भी निश्चय जरूरी है क्यों? अगर स्व में निश्चय नहीं है तो दिलशिकस्त बन जाते हैं। स्व में निश्चय यही है कि मैं बाप द्वारा स्वमानधारी हूँ, स्वराज्य अधिकारी हूँ। स्वयं बाप ने मुझे कितने स्वमान दिये हैं। एक एक स्वमान को स्मृति में लाओ तो कितना नशा चढ़ता है! आजकल किसी को भी कोई टाइटल मिलता है तो वह भी अपना भाग्य समझते हैं। लेकिन आप बच्चों को एक-एक स्वमान किसने दिया! स्वयं बापदादा ने हर बच्चे को स्वमानधारी बनाया है। एक-एक स्वमान को याद करते खुशी में उड़ते हो। तो स्व में भी इतना सदा निश्चय का नशा रहे कि मैं बाप द्वारा स्वराज्य अधिकारी, स्वमान अधिकारी कोटो में कोई आत्मा हूँ। जैसे बाप में निश्चय है तो साथ में स्व में भी निश्चय आवश्यक है क्योंकि अगर स्व में निश्चय है तो जहाँ निश्चय है वहाँ हर कर्म में निश्चयबुद्धि अर्थात् स्वमानधारी विजयी है। निश्चय का अर्थ ही है सफलता। ऐसे नहीं कि हमारा तो बाप में निश्चय है, बाप में है वह तो बहुत अच्छा लेकिन साथ में बाप के स्व का नशा भी आवश्यक है मैं कौन! एक-एक स्वमान को याद करो तो निश्चय और नशा आपके चलन और चेहरे से दिखाई देगा। दे रहा है और दिखाई देता रहेगा। साथ में तीसरी बात तो ड्रामा में भी निश्चय बहुत जरूरी है क्योंकि ड्रामा में समस्यायें भी आती हैं और सफलता भी होती है। अगर ड्रामा में पक्का निश्चय है तो ड्रामा के निश्चय से जो निश्चयबुद्धि है वह समस्या को समाधान स्वरूप में बदल देता है क्योंकि निश्चय अर्थात् विजय। तो किसके ऊपर विजयी बनता? परिवर्तन करने में, एक सेकण्ड में समस्या परिवर्तन हो समाधान रूप बन जाती है। हलचल में नहीं आयेंगे, अचल रहेंगे क्योंकि ड्रामा के ज्ञान से अडोल अचल बन जाते हैं। यह निश्चय रहता है कि मैं ही कल्प पहले भी समाधान स्वरूप अर्थात् सफल आत्मा बना था, बनी हूँ और कल्प के बाद भी मैं ही बनूंगी। तो यह नशा ड्रामा का निश्चय पक्का कराता। फखुर रहता है, नशा रहता है मैं थी, मैं ही हूँ और मैं ही बनेंगी इसलिए इस पुरूषार्थी जीवन में ड्रामा का निश्चय भी आवश्यक है और साथ में चौथा है परिवार का निश्चय क्योंकि बाप ने आते ही परिवार को पैदा किया। तो जैसे बाप में निश्चय है वैसे परिवार में भी निश्चय आवश्यक है क्योंकि परिवार किसका है? और इतना बड़ा परिवार और किसका हो सकता है! तो परिवार में भी निश्चय अति आवश्यक है क्योंकि इतना बड़ा परिवार विश्व में किसका है? आप जितना परिवार चेक करो विश्व में, किसका है? परिवार की रीति से किसी भी डिवाइन फादर का भी नहीं है वहाँ फॉलोअर हैं, यहाँ परिवार है। परिवार के साथ ही सेवा में, सम्बन्ध में रहते हो। ऐसे नहीं कि हमारा तो बाप से ही कनेक्शन है, परिवार से नहीं हुआ तो क्या हुआ। परिवार का निश्चय तो आपका 21 जन्म चलना है। जानते हो ना! परिवार के साथ ही सम्बन्ध में आने से मालूम होता है कि मैं इतने बड़े परिवार में सभी से निश्चयबुद्धि हो चल रहे हैं, परिवार में चलने के लिए यह अटेन्शन देना पड़ता है कि परिवार में हर एक के संस्कार भिन्न-भिन्न हैं और होंगे। आपका यादगार माला है, माला में देखो कहाँ एक नम्बर और कहाँ 108वां नम्बर क्योंकि परिवार में भिन्न-भिन्न संस्कार हैं। तो इतने बड़े परिवार में चलते संस्कारों को समझ एक दो में एक परिवार, एक बाप एक राज्य, तो एक होके चलना है। परिवार में जैसे बड़ा परिवार है, ऐसे ही एक दो में बड़ी दिल, हर एक के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना की स्थिति में स्थित हो चलना है क्योंकि परिवार के बीच ही संस्कार स्वभाव आता है। लेकिन कोई समझे परिवार से क्या है, बाबा से तो है। लेकिन यहाँ धर्म अौर राज्य दोनों की स्थापना है, सिर्फ धर्म नहीं है, दूसरे जो भी धर्म पिता आये हैं उनका सिर्फ धर्म है, राज्य नहीं है, यहाँ तो आप सबको राज्य भी करना है। तो राज्य में परिवार की आवश्यकता होती है और 21 जन्म भिन्न-भिन्न रूप से परिवार के साथ ही रहना है, परिवार को छोड़ कहाँ जा नहीं सकते। तो चेक करो ऐसे नहीं समझना कि बाप जाने मैं जानूं। बाप से ही कार्य है लेकिन अगर इन चार निश्चय में से एक भी निश्चय कम है तो हलचल में आ जायेंगे। सेवा के साथी, बाप तो सकाश देने वाले हैं लेकिन साथी कौन? साकार का साथ तो परिवार का है तो बाप ने देखा है कि तीन निश्चय में मैजारिटी ठीक चल रहे हैं लेकिन परिवार के साथ में निभाना, संस्कार मिलाना, एक-एक को कल्याण की भावना से देखना और चलना, इसमें कई बच्चे यथाशक्ति बन जाते हैं। लेकिन बाप ने देखा कि जो परिवार के निश्चय में नॉलेजफुल होके सदा बाप समान साक्षीपन की स्थिति में साथ में आते हैं, रहते हैं वही नम्बरवन या नम्बरवन डिवीजन में आते हैं। तो चेक करो भाव स्वभाव परिवार में होता है, तो छोटी-छोटी गलतियां भी होती हैं, विघ्न आते हैं वह परिवार के सम्बन्ध में ही आती हैं। तो सबसे आवश्यक इस परिवार के सम्बन्ध में पास होना है। अगर परिवार में चलने में तोड़ निभाने में कोई भी कमी होती है तो वह विघ्न छोटा हो या बड़ा हो लेकिन तंग करता है। यह क्यों, यह कैसे, परिवार के कनेक्शन में आता है। तो क्यों के बजाए, क्यों नहीं करना है, लेकिन हमें मिलकर चलना है, परिवार की प्रीत निभानी है क्योंकि यह बाप का परिवार है, भगवान का परिवार है। रिवाजी परिवार नहीं है। नशा रहना चाहिए कि वाह बाबा, वाह ड्रामा, वाह मैं और वाह परिवार! ठीक है? चेक करते हो? चार ही में पास हो? चार ही में? एक में भी कम नहीं। चेक करो। अभी-अभी चेक करो क्योंकि विजयी बनने का साधन ही यह है। परिवार के बीच संस्कार निकलते हैं और वह संस्कार मिलाना खुद भी परिवर्तन करना और परिवार को भी इतनी ऊंची दृष्टि से देखना। बापदादा ने पहले भी कहा है कि बापदादा लास्ट बच्चे को भी अति भाग्यवान समझते हैं क्यों? भगवान को पहचानना, साधारण रूप में बाप को पहचानना, जो इतने बड़े-बड़े महात्मायें भी पहचान नहीं सके, लेकिन बापदादा का लास्ट बच्चा भी मेरा बाबा कहता है। दिल से मेरा बाबा कहते हैं। तो बापदादा जैसे लास्ट बच्चे की भी विशेषता देख, जैसे बच्चों को लाड प्यार, यादप्यार देते हैं वैसे लास्ट वालों को भी देते हैं। तो चेक करो कि तीन में ठीक हो या चारों में ठीक हो या दो में ठीक हो या एक में ठीक हो? चेक किया? किया चेक? जो समझते हैं कि मैं चार ही मैं, चार ही निश्चय में बाप, आप, ड्रामा और परिवार, चार ही निश्चय में ठीक हूँ वह हाथ उठाओ। ठीक हैं? अच्छा ठीक हैं। पेपर लें? हाँ उठाओ। अच्छा परिवार में पास हो? परिवार के सम्बन्ध में आना, क्योंकि परिवार को छोड़ तो कहाँ जायेंगे नहीं, रहना ही है, निभाना ही है। तो इसमें पास हो? कभी ऐसे आता है कि यह नहीं होता तो अच्छा होता, यह क्यों करते हैं, यह क्यों होता है, यह संकल्प आता है... एकदम परिवार का नशा, चार ही निश्चय वाला कभी भी ऐसे वैसे संकल्प में भी नहीं करेगा। संकल्प में आये कि ऐसे क्यों होता है, लेकिन मुझे वह क्यों वा क्या हिलावे नहीं, मूड नहीं बदली करे। इसको कहते हैं चार ही में पास। हाथ तो उठाया, बापदादा को खुश किया है परन्तु बापदादा को यह जो परिवार की बात है उसमें कभी कभी-बातें सुननी पड़ती हैं, देखनी पड़ती हैं। एकदम बड़ी दिल हो, सबको शुभ भावना, शुभ कामना से ठीक करना है, क्योंकि परिवार ही एक है। एकमत होके चलना और चलाना है। सिर्फ चलना नहीं है, चलाना भी है इसलिए बापदादा इस बात पर अटेन्शन दिला रहे हैं कि परिवार में जो किसी भी हलचल में पास हो जाते हैं, व्यर्थ नहीं चलता है, उन्हें दूसरों को ऐसा बनाना है। अभी तो आप अपने-अपने सेन्टर पर कितने रहते हो, चलो ज्यादा में ज्यादा 25-50, इतने होते नहीं हैं लेकिन मानों बड़े स्थान हैं, उसमें भी 50-60 अच्छा ज्यादा में ज्यादा 100 भी समझो, इतने हैं नहीं लेकिन समझ लो, तो बापदादा ने सभी सेन्टर्स के बच्चों को लास्ट को भी अपना प्यारा कहके चलाया और प्यार की निशानी है रोज़ बापदादा यादप्यार क्या देता? मीठे मीठे, जानता है खट्टे भी हैं लेकिन मीठे खट्टे कभी यादप्यार में कहा है?उन्हों को भी लाडले कहता है, न सिर्फ कहता है लेकिन मेरा बच्चा है, मेरे भाव से चलाता है क्योंकि ड्रामा में, माला में सब एक नम्बर नहीं हैं, यह रिजल्ट है। संस्कार भिन्न-भिन्न होते हैं, होना है, नहीं तो सब राजा बन जायें, प्रजा कौन बनेगा! राज्य किस पर करेंगे? अच्छी प्रजा भी तो चाहिए, रॉयल प्रजा, राजधानी है ना। ऐसे हर एक अपने को चेक करे, परिवार में किसी भी बात में संस्कार खराब हैं, लेकिन मेरा संस्कार क्या? अगर खराब को देख मेरा संस्कार भी खराब हो गया, तो मैं भी तो खराब हो गया। खराब अच्छे को भी बदल लेता है।

बाप ने स्थापना के समय 350-400 को इकठ्ठा सम्भाला है, इतना तो अभी किसी का इकठ्ठा रहने वाला परिवार नहीं है। चलो, ड्युटी अलग अलग है लेकिन वह ड्युटी है और परिवार में ड्युटी है। रिवाजी परिवार, रिवाजी ड्युटी, रिवाजी रीति से दिनचर्या बिताना, यह नहीं है, न्यारा और प्यारा परिवार है। इसमें डिस्टर्ब होना, फिर बहाना तो यह देते कि इसने किया तब यह हुआ। यह किया तो यह हुआ, लेकिन बाप के आगे भी क्या आपोजीशन नहीं हुई! भागन्ती भी हुए ना! यह आपोजीशन नहीं है! लेकिन बाप ने फिर भी कहा, कोई भागन्ती भी हो गये तो भी टोली भेजो, उनको बुलाने की कोशिश करो, सर्विस करो, याद दिलाओ। ऐसे चार ही निश्चय में पास होना है वा तीन में, दो में? नम्बरवन होना है। इसके लिए विनाश की तैयारियां होते भी अभी विनाश रूका हुआ है। प्रकृति भी बाप के पास आती है, प्रकृति भी कहती अब बहुत बोझ हो गया है। प्रकृति भी बोझ से छूटने चाहती है। माया भी कहती है कि मैं जानती हूँ कि मेरा पार्ट अभी जाने वाला है लेकिन ब्राह्मण परिवार में ऐसे भी बच्चे हैं जो छोटी बात में मेरे साथी बन जाते हैं। बिठा देते हैं मेरे को। तो अपना राज्य लाने में यह चार निश्चय परसेन्ट में हैं इसलिए समय भी रूक रहा है। बाकी माया और प्रकृति दोनों रेडी हैं। अब बताओ आर्डर करें? बच्चे अगर एवररेडी नहीं हैं तो माया और प्रकृति को आर्डर करें? करें?हाथ उठो। तैयार हो? ऐसे नहीं हाथ उठाओ। पेपर आयेगा, आयेगा पेपर। एवररेडी?

अभी बापदादा की हर बच्चे में यही आशा है कि कैसे को मिटाके ऐसे करो। कैसे करूं, कैसे हो, नहीं। ऐसे हो। क्या करें नहीं, ऐसे करें। यह आश कब तक पूरी करेंगे? कितना टाइम चाहिए? क्योंकि सभी को तैयार होना है। अगर आप तैयार हो, हाथ उठाया, तो उन्हों का काम क्या है? एक दो को आप समान बनाना। जिन्होंने हाथ उठाया, वह आप समान बना सकते हो? परिवार को तैयार कर सकते हो? इसमें हाथ उठाओ। कर सकते हैं? अच्छा कितना टाइम चाहिए? कितना टाइम चाहिए? एक वर्ष। कितना चाहिए? कितना टाइम चाहिए? टीचर्स बतावें कितना टाइम चाहिए? पाण्डव बतावें ना! हाथ तो उठाया, कितना टाइम चाहिए। परिवार है, तो परिवार में सहयोग तो देना पड़ेगा ना। परिवार से कट तो होंगे नहीं, छोड़के जाना तो है नहीं, रहना तो यहाँ ही है तो परिवार को भी तैयार करना पड़ेगा ना। लौकिक में भी जब अच्छी बुद्धि थी, (आजकल नहीं) तो एक दो के सहयोगी बन आगे बढ़ाते थे, गांव को भी अपना परिवार समझते थे और यह तो अलौकिक परिवार है क्योंकि खिटखिट जो होती है, माया जो आती है वह परिवार की बात में आती है, सम्बन्ध में आती है, वेस्ट थॉट्स सम्बन्ध के कनेक्शन में चलते हैं। तो हाथ उठाने वाले बतायेंगे? क्या बोलते हैं? कोई बोले, माइक दो। (इसी सीजन में पूरा करेंगे) इसके साथ जो हैं वह हाथ उठाओ। यह फोटो निकालना। टीचर्स, इस सीजन में एक दो को सहयोग देकर, एक दो को भी आगे बढ़ाके और बाप की आशा को पूर्ण करेंगे, ठीक है? इसमें हाथ उठाओ। हाथ तो उठाके खुश कर दिया। अच्छा है। बाप कहते हैं एक बल एक भरोसा। अगर दोनों ही बातें हैं तो क्या नहीं हो सकता है! बाप ने कितने थोड़े समय में स्थापना का पार्ट बजाया! अभी तो सब नॉलेजफुल बन गये हैं। डबल लाइट भी बन गये हैं। बापदादा जानते हैं कि यह सबजेक्ट थोड़ा अटेन्शन देने की है। पहले भी काम दिया था कि कम से कम एक सेन्टर जो है वह भी निर्विघ्न बने, सेन्टर के बाद ज़ोन बने, चलो ज़ोन भी छोड़ो, हर एक शहर समझो, कोई भी शहर है, दिल्ली है, अहमदाबाद है, कलकत्ता है, कोई एक कलकत्ता भी निर्विघ्न बन जाए, कलकत्ते के, दिल्ली के भी बैठे हैं और यह जिसका टर्न है कर्नाटक, कर्नाटक की सब टीचर्स बैठी हैं। कर्नाटक का एक एक सेन्टर और सेन्टर के कनेक्शन में जो हैं वह भी अगर एक हो जाएं तो उस ज़ोन को, शहर को भी बापदादा इनाम देगा। अच्छी सौगात देंगे, कोई निमित्त बनके दिखाये। मुख्य सेन्टर और उसके साथी सेन्टर, सारा परिवार तो बनना है ही लेकिन अभी तक रिजल्ट नहीं है। चलो मधुबन वालों ने हाथ उठाया है, अच्छा है। क्या नहीं कर सकते हैं। लेकिन करना पड़ेगा। ठीक है ना! पसन्द है? सभी को पसन्द है? लेकिन बापदादा ने इस सीजन के पहले सीजन में तीन चार बार कहा है, कोई की भी अभी तक रिजल्ट नहीं आई है। क्या यह समझते हो कि यह भी बात अचानक होनी है? चलो अचानक हो भी जाए लेकिन बापदादा ने कहा है कि बहुत समय का अभ्यास चाहिए तब ही बहुतकाल का अधिकार प्राप्त करेंगे।

तो अभी क्या करना है? लगन की अग्नि को जलाओ। करना ही है। इसके लिए एक बात में सभी पास भी हैं, हाथ उठाओ, जो समझता है बापदादा से हमारे दिल का प्यार 100 परसेन्ट है। 100 परसेन्ट है? लम्बा हाथ उठाओ। तो प्यार का रिटर्न क्या होता है? प्यार का रिटर्न होता है समान बनना, सम्पन्न बनना, सम्पूर्ण बनना। तो अभी बापदादा एक ड्रिल बताता है, सभी कहते हैं बापदादा दोनों से प्यार है, हाथ उठाया, होंगे तो नम्बरवार लेकिन हाथ उठाया तो बापदादा मानते हैं। दोनों से प्यार है ना। ब्रह्मा बाप से और शिव बाप से दोनों से प्यार है ना! दोनों से है? हाथ उठाओ। अच्छा, दोनों से है। बहुत अच्छा धन्यवाद। अच्छा, दोनों के समान बनने चाहते हो। हाथ नहीं उठाओ, कांध हिलाओ। अच्छा। दोनों से प्यार है तो शिव बाप है निराकारी, ठीक है और ब्रह्मा बाप है फरिश्ता। फरिश्ता है ना! तो कल से नहीं, आज से ही अभी से सारे दिन में दोनों बाप से प्यार है तो कभी अपने को निराकार बाप समान निराकारी स्थिति में अभ्यास करो, फालो फादर। और कभी फरिश्ता बनकरके साकार रूप ब्राह्मण नहीं, ब्राह्मण तो हो ही, कर्म भले करो लेकिन कर्म करते भी फरिश्ता स्थिति में रहो तो कर्म का बोझ प्रभाव नहीं डालेगा। ब्रह्मा बाप से प्यार है तो ब्रह्मा बाप ने कर्म सब किया, निमित्त बना लेकिन ब्रह्मा बाप के ऊपर कितना बोझ था। आप कोई के ऊपर इतना बोझ नहीं है, है कोई, ब्रह्मा बाप से ज्यादा किसके ऊपर बोझ है, जिम्मेवारी है? वह हाथ उठाओ। कोई नहीं उठाता। तो ब्रह्मा बाप ने इतनी जिम्मेवारी निभाते हुए कार्य में कैसे रहा, कर्म में भी फरिश्ता रूप रहा ना! तो आपका भी ब्रह्मा बाप से प्यार है, तो कभी फरिश्ता रूप में रहो, कभी निराकार स्थिति में रहो, यह प्रैक्टिस, ब्रह्मा बाबा कहके ब्रह्मा बाप समान फरिश्ता बन जाओ और शिव निराकार बाप को याद कर निराकारी स्थिति में स्थित हो जाओ, यह कर सकते हो? यह कर सकते हो या मुश्किल है? जो कर सकते हैं बीच-बीच में, वह बीच-बीच में ऐसे करें जो लगातार हो जाए, अपने कर्म के हिसाब से जो आपकी दिनचर्या है उसके हिसाब से फिक्स करो। कम से कम सारे दिन में 12 बारी फरिश्ता बनो, 12 बारी निराकार स्थिति में स्थित रहो, यह कर सकते हो? हाथ उठाओ। कर सकते हो? मुश्किल नहीं है ना! सहज है ना! सहज है? सहज में हाथ उठाओ। अच्छा, करना है। यह पक्का करो। फिर तो जो लक्ष्य रखा है ना, इस सीजन के अन्त तक परिवर्तन हो सकता है। अगर यह ड्रिल 24 टाइम करेंगे तो लगातार हो जायेगा ना। ठीक है ना, हो सकता है! हाथ उठाओ। हो सकता है! फिर तो बापदादा की तरफ से पदम पदम पदम पदम गुणा मुबारक हो, मुबारक हो। लेकिन ढीला नहीं छोड़ना। सभी निश्चय करो हमको इसमें नम्बरवन होना है। नम्बरवार नहीं होना, नम्बरवन क्योंकि बापदादा के पास समय बहुत आता है। प्रकृति तो चिल्लाती है, बोझ सहन नहीं होता। माया भी विदाई लेने चाहती है लेकिन कहती है मैं क्या करूं, ब्राह्मण कोई न कोई ऐसा काम संस्कारों वश होकर करते हैं जो मुझे आह््वान करते हैं तो मुझे जाना ही पड़ता है। तो बापदादा क्या जवाब दे! इसलिए जैसे समय आगे बढ़ रहा है, अभी आप लोग सेवा में भी अन्तर देख रहे हो ना! सेवा का रिटर्न अभी सभी चाहते हैं, कुछ हो, कुछ हो। ब्रह्माकुमारियां जो कहती थी वह अभी ठीक हो रहा है। पहले कहते थे विनाश, विनाश नहीं कहो, अब तो कहते हैं कब होगा, आप ही तारीख बताओ। अभी सुनने चाहते हैं, पहले बहाना देते थे, तो यह भी फर्क हो रहा है ना! प्रैक्टिकल देख रहे हो ना इसलिए अभी जो बापदादा से वायदा किया है उसको निभाते रहना। ठीक है! बापदादा ने सभी समाचारों की रिजल्ट सुनी है, जो भी चला है, अच्छा चला और रिजल्ट भी अच्छी उमंग-उत्साह की रही है इसलिए अभी लक्ष्य रखो होना ही है, करना ही है, समाप्ति को समीप लाओ। आप थोड़े हिलते हो ना तो समाप्ति भी दूर हो जाती है। आपको ही समाप्ति को समीप लाना है क्योंकि राज्य करने वाले तैयार नहीं होंगे तो समय क्या करेगा? इसलिए सब बहाना, कारण, कारण शब्द को समाप्त करो। निवारण सामने लाओ। हाथ भले थोड़ोने उठाया लेकिन आप सबका भी यही लक्ष्य है ना कि दु:खियों को सन्देश दे मुक्त करें। उन्हों को मुक्त करने के बिना आप मुक्ति में जा नहीं सकते। तो इन्हों को मुक्त करो क्योंकि बाप आया है ना तो सारे विश्व के बच्चों को वर्सा तो देंगे ना। आपको जीवनमुक्ति का वर्सा देंगे लेकिन सभी बच्चे तो है ना। उनको भी वर्सा तो देना है ना। तो उन्हों का वर्सा है मुक्ति, आपका वर्सा है जीवनमुक्ति। जब तक मुक्ति नहीं देंगे तो आप भी जा नहीं सकते। इसके लिए यह ड्रिल करो। 24 बारी। रात और दिन के 24 घण्टे हैं और 24 बार करना है, नींद के टाइम, नींद भले करो। बापदादा यह नहीं कहते कि नींद नहीं करो। नींद करो लेकिन दिन में बढ़ाओ। जब कोई फंक्शन करते हो तो सारा सारा दिन काम करते हो ना। जागते हो ना! अच्छा।

सेवा का टर्न कर्नाटक ज़ोन का है:- अच्छा पौना क्लास तो कर्नाटक है। चांस अच्छा लेते हैं। बापदादा भी खुश होते हैं कि इस टर्न में छुट्टी मिल जाती है आने की। तो जितने भी सेवाधारी आते हैं सेवा भी करते हैं और अपना भाग्य भी बनाते हैं तो कर्नाटक, नाटक है ना। तो नाटक में पार्ट बजाने में कर्नाटक नम्बरवन होगा ना। आप कितने बारी कर्नाटक, कर्नाटक कहते हो, जब नाटक शब्द कहते हो तो बेहद का नाटक भी याद आता है ना। तो इस बेहद के नाटक में भी नम्बरवन आना ही है। यह पक्का है ना! आना ही है, बनना ही है, चाहे कुछ भी करना पड़े, एवररेडी। है एवररेडी? कुछ भी करना पड़े तो एवररेडी। हाथ उठाओ। देखो पौना क्लास तो करने वाले हैं। नम्बरवन पार्ट अर्थात् निर्विघ्न बन निर्विघ्न बनाना है। सिर्फ अपने को निर्विघ्न नहीं बनाना, साथियों को भी बनाना है, है हिम्मत। कर्नाटक को हिम्मत है तो हाथ उठाओ। दो दो हाथ उठाओ। अच्छा। कितने टाइम में बनेंगे? कितने टाइम में बापदादा को रिजल्ट देंगे? कोई भी करे, जो ओटे सो अर्जुन। दो तीन टर्न के बाद या एक टर्न के बाद? जो कहते हैं दो चार टर्न के बाद, वह हाथ उठाओ। अच्छा। विशेष निमित्त तो यहाँ आगे हैं ना। अच्छा जो सेन्टर की मुख्य बहिने हैं वह हाथ उठाओ। सेन्टर के मुख्य भाई या बहन लम्बा हाथ उठाओ। तो क्या विचार है? जो समझते हैं तो तीन चार टर्न के बाद हम प्रैक्टिकल करके दिखायेंगे वह मुख्य हाथ उठाओ। मुख्य हैं, भाई भी उठाओ। दिखायेंगे। अच्छा आज कर्नाटक का टर्न है तो आप निमित्त करके दिखाओ, पक्का। आप और आपके संबंध में सेन्टर, पक्का है? पाण्डव पक्का है? अच्छा है। क्या नहीं हो सकता है! सिर्फ दृढ़ता चाहिए। यह नहीं हो, क्या करें होगा या नहीं होगा, नहीं, होना ही है। दृढ़ निश्चय। जहाँ दृढ़ता है वहाँ सफलता है ही। तो यह भी भाग्य है जो आप पहला नम्बर एक्जैम्पुल बनेंगे। उसका भी फल है, उसका भी बल है। अच्छा है। तो कर्नाटक यह कमाल दिखायेगा। पक्का? कर्नाटक की विशेषता है, जो कर्नाटक के निमित्त बहन बनी (दादी ह्दयपुष्पा), वह पुरानी बहिन, उनकी विशेषता क्या थी? सेन्टर खोलने की उनकी रीति बहुत अच्छी थी। सेन्टर कितने खुल गये? तो निमित्त उमंग-उत्साह वाली थी और आप सब भी निमित्त हो, तो उसकी विशेषता अपने में लानी है। सिर्फ सेन्टर नहीं बनाओ निर्विघ्न सेन्टर। ठीक है। पसन्द है ना! अच्छा है। कमाल करके दिखायेगा कर्नाटक। दूसरों को भी करना है, ऐसे नहीं कर्नाटक ही करेगा, उन्होंने हिम्मत रखी है, इसी हिम्मत का फल और बल मिलेगा। बाकी अच्छा है, कर्नाटक में भी सेवाओं का अच्छा रिजल्ट दिखाई देता है। वृद्धि होती जा रही है। अभी कोई माइक और वारिस सामने नहीं आया है। लेकिन इस निर्विघ्न बनने का अगर प्रैक्टिकल दिखायेंगे तो वह भी निकल आयेगा। अच्छा। बापदादा को सभी कर्नाटक वालों में यही आशा है कि करके दिखाने वाले हैं। अच्छा है। कुछ भी हो, संकल्प को पूरा करके दिखाना। बापदादा की उम्मीदें हैं। अच्छा।

आपने जो ड्रिल सुनाई वह कितना समय ड्रिल करनी है? : कम से कम 10 मिनट।

बिजनेस विंग और एज्युकेशन विंग:- यह वर्ग जो बने हैं उसमें सर्विस बढ़ाने का शौक अच्छा है। और बापदादा ने देखा है कि हर एक विंग में उमंग-उत्साह है कि हम नये से नई बात करके दिखायें, निमित्त बनके दिखायें तो यह दोनों विंग जो हैं वह भी सर्विस अच्छी कर रहे हैं। एज्युकेशन वाले भी अपनी सर्विस, अपने-अपने प्रकार से कर रहे हैं और बिजनेस वाले भी अपने प्रकार से कर रहे हैं। अभी हर एक विंग अपना ग्रुप बनाये, यह ग्रुप अभी बनाया नहीं है, जिस ग्रुप में हर वर्ग के हों। मानो बिजनेस वर्ग है, उसके ग्रुप में सब वर्ग वाले एक ग्रुप हो अलग। जो कोई भी प्रोग्राम हो तो हर एक वर्ग वाले ऐसा प्रसिद्ध हो जिसका आवाज सुन करके लोगों में उमंग आवे तो हम भी कर सकते हैं। अभी बापदादा ने रिपोर्ट सुनी कि एक ग्रुप ने ऐसा प्लैन बनाया है, वी.आई. पी ग्रुप ने बनाया है। अच्छा है। हर एक वर्ग सारे इन्डिया में अपने अपने सेन्टर्स को यह सेवा देवे और जो भी वह समझते हैं कि यह वी.आई.पी ऐसा है, तो वह सभी वर्ग वाले एक स्थान पर अपना-अपना चुना हुआ वी.आई. पी. सब वर्ग वाले मीटिंग करो, यह प्लैन बापदादा ने दिया है, तो सभी ऐसे करो और उन्हों को निमित्त बनाओ। उन्हों की विशेष सेवा करो, जो माइक के साथ स्नेही सहयोगी बन जाएं। सिर्फ माइक नहीं बनें लेकिन स्नेही सहयोगी बनें क्योंकि स्नेह और सहयोग से उन्हों को आशीर्वाद मिलती है, पुरूषार्थ में आगे बढ़ने की। तो बापदादा और भी जो वर्ग आये हैं उन सभी वर्गो को कह रहे हैं, इसी सीजन में बापदादा हर ग्रुप का रिजल्ट देखने चाहते हैं। मधुबन में नहीं भी आवे लेकिन अपने वर्ग का जो हेड क्वार्टर हो उसमें इकठ्ठा करें फिर बापदादा रिजल्ट देख करके सीजन के लास्ट में ऐसे सहयोगियों से मिलने का सोचेंगे। तो सुना, यह करना है। आशा ने दिया था? (आशा बहन-ओ.आर.सी) आपने दिया था ना। अच्छी बात है, अगर वर्ग वाले स्पष्ट समझने चाहे तो इनसे समझ लेना। बापदादा यह क्यों कहते हैं क्योंकि आप लोग जो पक्के ब्राह्मण हैं उन्हों को समय पर साक्षी होके देखना पड़ेगा, मन्सा सेवा इतनी बढ़ेगी जो आप लोगों के साथी बनके वह सेवा करें। वह सेवा करें और आप साक्षी होके मन्सा सेवा करो। जैसे ब्रह्मा बाप ने सेवा लायक बनाया, स्वयं साक्षी होकर देखा ना। ऐसे जो निमित्त बड़ी आत्मायें हैं, जो सर्विस को बढ़ाने वाली हैं, वह समय पर और सेवा में बिजी रहती हैं, लेकिन यह सेवा आपके योग्य तैयार किये हुए करें, जिसकी आवाज में अनुभव की आकर्षण हो, पोजीशन की आकर्षण नहीं लेकिन अनुभव की आकर्षण। वह प्रभाव बहुत जल्दी पड़ेगा क्योंकि बापदादा की उन्हों को, निमित्त बनने वालों को एकस्ट्रा मदद मिलती है, कोई भी हो, जिसको बापदादा का समय पर विशेष वरदान मिलता है, उसकी रिजल्ट वह खुद भी नहीं जान सकता कि क्या होती है, लेकिन यह एकस्ट्रा बापदादा की मदद है। वरदान है। वह नहीं बोलता, वरदान बोलता है इसलिए ऐसी आत्मायें तैयार करो, तो बापदादा समय प्रमाण उन्हों को भी वरदान दे आगे बढ़ाये। यह सभी वर्गो को बापदादा कह रहा है। अच्छा कर रहे हो, आगे भी बढ़ रहे हो, यह बापदादा सभी वर्गो को मुबारक देते हैं जो और 3-4 वर्ग वाले आये हैं, वह उठो।

यूथ, पोलीटिशन, स्पोर्ट, एडमिनिस्ट्रेशन:- यह एक बात सभी को करनी है इसलिए साथ में उठाया है। तो वर्ग वालों की सेवा पर बापदादा खुश है लेकिन अभी आप साक्षी दृष्टा बनते जाओ। आपका अभी काम है दूसरे ग्रुप को तैयार करना क्योंकि अचानक ऐसे सरकमस्टांश बनेंगे जो आप लोगों को बहुत तपस्या वरनी पड़ेगी। मन्सा सेवा करनी पड़ेगी। समय नाजुक आ रहा है और बढ़ता रहेगा। अभी मन्सा सेवा इतनी फोर्स से नहीं हो रही है। हो रही है, कोई कोई का मन्सा सेवा का प्रभाव भी पड़ रहा है लेकिन बहुत कम। और लास्ट के समय मन्सा सेवा के सिवाए वाचा नहीं चलेगी। जिन्हों को निमित्त बनायेंगे उन्हों को भी अभी चांस है, जब नाज़ुक समय आयेगा तो उन्हों को भी चांस नहीं मिलेगा इसलिए अभी उन्हों को चांस दे दो, नजदीक आयेंगे, वारिस भी बन सकते हैं क्योंकि अभी हालातें आपके हर ग्रुप के कार्य को मदद कर रही हैं। अभी सभी समझते हैं कुछ होना चाहिए, होना चाहिए। बिचारों को पता तो है नहीं लेकिन चाहना है कुछ परिवर्तन होना चाहिए। आप तो जानते हो ना कि परिवर्तन होना है और क्या होना है। वह चिंता में है, क्या होगा, क्या होगा! आप जानते हो कि हमारा राज्य आना ही है, खुशी है। अति में जा रहा है और अन्त होके आदि आनी है इसलिए आप सर्विस करने वालों को अभी जल्दी-जल्दी छांटों और उन्हों को आगे बढ़ाओ। अच्छा-अच्छा तो कहते हैं अभी उन्हों को अच्छा बनाने की सेवा दो। आप साक्षी दृष्टा बनके उनको शक्ति दो। अच्छा। स्पोर्ट भी आया है। यूथ विंग की रजत जयन्ती है। पोलीटिशयन ने यह प्लैन बनाया है, अच्छा है। यह जो भी नाम लिया है यह मुख्य विंग हैं। तो मुबारक तो बाबा सभी को दे रहा है, अभी मुबारक और देंगे जब ग्रुप तैयार करेंगे। यह नहीं कह रहे हैं कि आबू में ले आना। पहले वहाँ तैयार करो फिर बापदादा समाचार सुनेंगे, रिजल्ट देखेंगे फिर मधुबन में बुलायेंगे। तो सभी जो भी आये हो, उन्होंने आगे का प्लैन समझा। हाथ उठाओ। समझा क्या करना है? अभी जल्दी-जल्दी करो। अचानक कुछ भी हो सकता है जो आपको सेवा करने का भी टाइम नहीं मिलेगा। सरकमस्टांश ऐसे भी बीच-बीच में आ सकते हैं इसीलिए जैसे तीव्र पुरूषार्थी ग्रुप बनाया है ना, ऐसे यह तीव्र सर्विस का ग्रुप बनाके तैयार करो। अच्छा। बापदादा बहुत-बहुत मुबारक दे रहे हैं।

डबल विदेशी :- अभी डबल विदेशी नहीं कहो, डबल पुरूषार्थी। ठीक है ना। डबल पुरूषार्थी हैं ना। डबल पुरूषार्थी बच्चे अपनी सेवा का जो मधुबन में चांस लेते हैं भिन्न-भिन्न प्रकार से, यह बापदादा को बहुत अच्छा लगता है क्योंकि एक दो के संगठन का बल मिलता है, कहाँ क्या प्राब्लम होती है, कहाँ क्या प्राब्लम होती है, तो एक दो के अनुभव से और बड़ों के डायरेक्शन से, पालना से सहज हो जाता है। वायुमण्डल का भी बल मिलता है, जिम्मेवारी कम होती है, समय वहाँ कम मिलता है यहाँ समय फ्री मिलता है, एक ही काम के लिए। वहाँ भिन्न-भिन्न जिम्मेवारियां होती हैं और टाइम देना ही पड़ता है, यहाँ एक ही काम होता है, या सेवा या स्व कल्याण। और दिनप्रतिदिन बापदादा ने देखा कि सर्विस की रूपरेखा अच्छी बढ़ रही है। फारेन के यूथ की भी रिजल्ट सुनी। और हर एक जो सेवा में आगे बढ़ रहे हैं, तो बापदादा देख रहे हैं कि धीरे धीरे दो बातें नजदीक आ रही हैं - एक तो गवर्मेन्ट या विशेष लोग उनके नजदीक जाने का चांस अच्छा मिल रहा है और धीरे धीरे आपस में प्लैन बनाकर गवर्मेन्ट तक अपने अपने देश की गवर्मेन्ट तक पहुंचने का भी साधन बन जायेगा। तो अच्छा है। विदेश में भी नाम बाला होना है और देश में तो होना ही है। यूथ ग्रुप का भी बापदादा ने समाचार सुना, इन्डिया का भी और फारेन का भी, इन्डिया में भी अभी प्लैन बनाते हैं। लेकिन इससे पहले भारत में यह प्लैन बनायें जो गवर्मेन्ट तक आवाज जाये, शुरू शुरू में बापदादा ने देखा था कि यूथ ग्रुप को प्रेजीडेंट प्राइममिनिस्टर के पास ले गये थे, पहले ग्रुप गया था, अभी सब साधन आपके साथ हैं, अभी आपका टी.वी. में भी आ सकता है सिर्फ मिलाओ नहीं, लेकिन उन्हों को सुनाने का चांस लो। यूथ से मिले और शार्ट टाइम में सुनें कि क्या क्या करते हैं। तो हर वर्ग वालों को ऐसा ग्रुप बनाना चाहिए जो मिनिस्ट्री तक पहुंचे और जो मुख्य मिनिस्टर प्राइममिनिस्टर हैं उन तक आवाज पहुंचे। बाकी अच्छा है, बापदादा ने देखा कि फारेन में भी वृद्धि हो रही है, होती रहेगी। सेन्टर भी जो रहे हुए हैं उसका प्लैन बनाते रहते हैं और स्व पुरूषार्थ का अटेन्शन है और अण्डरलाइन कर स्व पुरूषार्थ में भी नवींनता लाते रहना। ठीक है। अच्छा।

आप सबको भी अच्छा लगता है ना, फारेनर्स हर ग्रुप में आते हैं, अच्छा लगता है ना क्योंकि हमारे परिवार में यह भी नवीनता है। फारेन के भी वैरायटी सब आते हैं। ऐसा परिवार तो किसका भी नहीं होगा जो एक ही स्थान पर कोई भी विशेष देश रह नहीं जाए। अभी देखो मुस्लिम देश भी आगे आगे आ रहे हैं। अरेबियन भी आ रहे हैं। तो वैरायटी परिवार एक भी वंचित न रह जाए, यही लक्ष्य है कि सभी बच्चों तक पहुंचकर बाप का सन्देश दे वारिस निकालें, परिवार के बिछुड़े हुए परिवार में मिलायें, यह देख बापदादा खुश है और खुशी बढ़ाते चलो। अभी तो आपके पास निमन्त्रण पीछे निमन्त्रण आने वाले हैं, क्यों? अन्त में यही रहना है, यही है, यही है, यही है। अभी सभी किनारे छूटकर सभी को बाप के संबंध में या सन्देश सुनने में चांस मिलना ही है। नहीं तो उल्हना आपको सबका बहुत मिलेगा। मन्सा से भी आत्माओं को आकर्षित कर आगे बढ़ा सकते हो। सम्बन्ध, सम्पर्क में ला सकते हो। मन्सा की सेवा अभी कम है। लेकिन अभी से शुरू करेंगे तो अन्त में कोई रह नहीं जायेगा। कभी भी अगर फुर्सत मिलती हो तो फरिश्ता रूप में जैसे ब्रह्मा बाप ने आप सभी को मन्सा सेवा द्वारा आकर्षित किया, घर बैठे हिम्मत दी और चल पड़े, ऐसे आप भी फरिश्ते रूप से मन्सा सेवा कर सकते हो, फरिश्ता बनके, यह अनुभव भी बढ़ाते चलो क्योंकि दु:ख की लहर, जैसे सागर अचानक लहरों में बढ़ता जाता है, तेज लहरें बीच-बीच में आ जाती हैं ना। ऐसे अभी जितना समय बढ़ता जायेगा तो बीच बीच में भी ऐसी लहर दु:ख की अशान्ति की बीच बीच में बढ़ती रहेगी। कोई कारण ऐसे बनेंगे जो दु:ख की लहर बढ़ेगी इसलिए औरों को तैयार करो वाचा के लिए। लेकिन फाउण्डेशन पक्का हो। अपना प्रभाव डालने वाले नहीं हो। रीयल ज्ञान का प्रभाव डालने वाले हो। कभी कभी ब्राह्मण बच्चे भी अपना प्रभाव डालने लगते हैं, कोई भी सेवा में बाप की तरफ आकर्षित करो, पर्सनल नहीं। अगर पर्सनल अपने पर प्रभावित करते तो उसका पुण्य नहीं बनता। अच्छा।

चारों ओर के पुरूषार्थ में आगे बढ़ने वाले, जैसे अभी 15 दिन का काम बापदादा ने दिया था, उसकी रिजल्ट जो समझते हैं, जैसे बापदादा ने कार्य दिया, उसी प्रमाण मन्सा, वाचा, कर्मणा, समय, संकल्प यथार्थ रहा, वह हाथ उठाओ।

अच्छा। बहुत थोड़ों ने उठाया है। जिन्होंने 15 दिन का काम अच्छी रिजल्ट में किया, वह हाथ उठाओ। थोड़ो ने किया है बाकी औरों की भी रिजल्ट आई है, जो यहाँ नहीं हैं उन्हों की भी रिजल्ट आई है। बहुत करके वेस्ट थॉट्स की रिजल्ट सभी ने अटेन्शन अच्छा दिया है। लेकिन सारा ब्राह्मण परिवार एक जैसा पुरूषार्थ में चले, वह रिजल्ट संगठन की अभी लानी है। मैजारिटी रिजल्ट में सभी बातों की एक जैसी अच्छी रिजल्ट हो, वह कम है। किसकी किसमें है, किसकी किसमें है। अभी इस ड्रिल से सभी को सदा के लिए अपने पुरूषार्थ की गति तीव्र करनी है क्योंकि बहुतकाल चाहिए। मानो पीछे कर भी लेंगे लेकिन बहुतकाल का भी सम्बन्ध है इसलिए सभी अटेन्शन दें मुझे करना है, कोई करे नहीं करे, लेकिन मुझे एवररेडी बनना ही है। अच्छा –

चारों ओर के बाप के स्नेही, जो स्नेही होते हैं वह सहयोगी जरूर होते हैं, स्नेह का रिटर्न प्रत्यक्ष रूप वह हर कार्य में तन-मन-धन-जन में एक दो के सहयोगी जरूर होंगे। तो ऐसे स्नेही और सहयोगी बच्चे, जो सदा बाप के प्यार में लवलीन रहने वाले हैं, लव में नहीं, लेकिन लवलीन रहने वाले और सदा बाप के सर्व कार्य में समय संकल्प लगाने वाले, क्योंकि संगमयुग में समय और संकल्प की बहुत वैल्यु है, एक जन्म में अनेक जन्मों की प्रालब्ध बनाने वाले, ऐसे तीव्र पुरूषार्थी हर गुण, हर शक्ति को, हर समय अनुसार कार्य में लगाने वाले ऐसे गुण सम्पन्न, शक्ति सम्पन्न बच्चों को बहुत-बहुत पदम पदम गुणा यादप्यार और नमस्ते।

निर्मला दीदी से:-  अच्छा चक्र लगाकर आई। (आस्ट्रेलिया गई थी) अच्छा दोनों तरफ पार्ट बजा रही हो, बहुत अच्छा। रिजल्ट भी अच्छी है।

(दादी जानकी से): यह भी चक्र लगाकर आई। बहुत अच्छा खेल किया, खेल ही है। (सोलार सिस्टम जो हमारे पास लगा है वह सब पेपर्स में आया है) बापदादा ने कहा था कि यह जो सोलार का कर रहे हैं तो ऐसा टाइम आयेगा जो और तरफ अंधियारा होगा और एक ही आपके स्थान में रोशनी होगी। यह भी सब खेल देखेंगे। (यूथ अभी गवर्मेन्ट तक जायेंगे, ऐसा प्रोग्राम बनाया है) गवर्मेन्ट समझे कि यह यूथ अच्छे हैं। यह भी हो जायेगा।

बृजमोहन भाई से:- सेवा कर रहे हैं, सेवा करते रहेंगे। जो इशारे मिलते रहते हैं उसको प्रैक्टिकल ला रहे हो, इसकी मुबारक हो। (रमेश भाई, उषा बहन से) दोनों ही ठीक हैं ना। जो निमित्त आत्मायें हैं उनको देख करके सभी को उमंग आता है, यह जैसे करते हैं हम भी करें तो आप निमित्त हैं औरों को भी उमंग-उत्साह दिलाने के। बहुत अच्छा किया।

परदादी से: - बहुत अच्छा पार्ट बजा रही हो, विष्णु के समान लेटे लेटे पार्ट बजा रही हो। आपको देखके सबको उमंग आता है कि ऐसे पार्ट बजा सकते हैं। बहुत अच्छा।