31-12-09   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘नये वर्ष में सभी आत्माओं को सन्देश देकर गोल्डन वर्ल्ड की गिफ्ट दो, बाप समान बनने के लिए देही-अभिमानी रहने की नेचर नेचुरल बनाओ’’

आज बापदादा हर एक बच्चे को स्नेह और बापदादा के लव में लवलीन स्वरूप में देख रहे हैं। एक एक बच्चा परमात्म प्यार में चमक रहा है। सभी बच्चे प्यार के विमान में पहुंच गये हैं। वैसे तो न्यु ईयर मनाने के लिए आये है लेकिन सभी के नयनों में क्या दिखाई दे रहा है? न्यु ईयर, नया साल तो निमित्त मात्र है लेकिन आप सभी के नयनों में क्या उमंग है? तीन बधाईयां दे रहे हो। एक अपने नये जीवन की बधाई और दूसरी नये युग की बधाई और तीसरी परिवार और बाप से मिलन की बधाई। आपके नयनों में क्या घूम रहा है? अपना नव युग सामने आ रहा है ना! दिल में उमंग आ रहा है कि नया युग आया कि आया। नये युग की चमकीली ड्रेस इतना सामने स्पष्ट है कि आज संगमयुग पर हैं और जल्दी से यह चमकीली ड्रेस पहननी है। सामने देख देख खुश हो रहे हैं। विदाई भी दे रहे हैं और बधाई भी ले रहे हैं। जैसे पुराने साल को विदाई देते हैं फिर वह साल भूल जाता है, नया साल ही सामने आता है। ऐसे ही आपके सामने पुरानी दुनिया को बधाई नहीं, लेकिन नई दुनिया को बधाई दे रहे हैं। पुरानी दुनिया को विदाई दे रहे हैं। तो आज सभी को उमंग-उत्साह है नये युग का, लोग भी नये वर्ष की बधाई देते हैं और साथ-साथ गिफ्ट भी देते हैं। तो बापदादा भी आप बच्चों को पुराने स्वभाव संस्कार को विदाई देकरके नई दुनिया में जाने की गिफ्ट दे रहे हैं, जिस नई दुनिया में प्राप्ति ही प्राप्ति है। शॉर्ट में यही कहे तो अप्राप्त नहीं कोई वस्तु नई दुनिया में। ऐसे गोल्डन वर्ल्ड की गिफ्ट बापदादा ने आप हर एक बच्चे को सौगात दे दी है। आपको भी नशा है ना कि हम गोल्डन वर्ल्ड के अधिकारी बन रहे हैं। ऐसी गिफ्ट और कोई दे नहीं सकते हैं। बाप ने हर एक बच्चे को यह डायरेक्शन दिया है कि सभी आत्माओं को यह बाप का वर्सा गोल्डन वर्ल्ड का सन्देश देकरके उनको भी आप गिफ्ट दो। आपके पास कौन सी गिफ्ट है? एक तो नई दुनिया की गिफ्ट दो और दूसरा आपके पास बहुत खज़ाने हैं। गुणों का खज़ाना, शक्तियों का खज़ाना, स्वमान के खज़ाने, कितने खज़ाने हैं। तो सभी को कोई न कोई गुण, कोई न कोई शक्ति की गिफ्ट दो जिस गिफ्ट से उन्हों की जीवन बदल जाए और गोल्डन दुनिया के अधिकारी बन जाये क्योंकि आजकल देख रहे हो चारों ओर दु:ख अशान्ति बढ़ रहा है। चारों ओर भय और चिंता हर एक में है। ऐसे दु:खी अशान्त आत्माओं को कम से कम यह सन्देश जरूर दो कि अब बाप आये हैं अब से अविनाशी वर्से के अधिकारी बन जाओ। यह सन्देश हर आत्मा को दे भी रहे हो लेकिन अभी भी कई बाप के बच्चे सन्देश से भी वंचित रहे हुए हैं। फिर भी एक बाप के बच्चे हैं ना तो अपने भाई बहिनों को यह सन्देश की गिफ्ट जरूर दो। कोई भी रह नहीं जाए। कर रहे हैं सेवा, बापदादा बच्चों की सेवा देख खुश है लेकिन बाप की यही आशा है कि मेरा कोई भी बच्चा सन्देश से रह नहीं जाये। उल्हना नहीं दे कि आपको गोल्डन वर्ल्ड की सौगात मिली और हमको पता नहीं पड़ा। हमारा बाप आया लेकिन हमें सन्देश नहीं मिला इसलिए इस नये साल में यही प्रयत्न करो, आपस में प्लैन बनाओ कि कोई भी कोना रह नहीं जाये। उल्हना नहीं मिले लेकिन खुश हो जाये, मालूम तो पड़े कि हमारा बाप आ गया। वंचित नहीं रह जाएं। तो इस नये साल में क्या करेंगे? आपस में मिलके प्लैन बनाओ, बापदादा को हर एक बच्चे के ऊपर रहम आता है। तो आपको भी भाई-बहिनों के ऊपर अभी विशेष रहमदिल, कल्याणकारी स्वरूप धारण कर सबको सन्देश देना है। कम से कम ऐसा तो उल्हना नहीं देवे।

तो आज सभी बच्चे नये वर्ष मनाने के उमंग उत्साह से पहुंच गये हैं। बापदादा एक-एक बच्चे को देख क्या गीत गाते?जानते हो ना! वाह बच्चे वाह! जो पहले बारी भी आये हैं उन्हों को भी बापदादा कह रहे हैं कि लक्की हो जो समय समाप्त के पहले बाप के बन गये। नये बच्चों को बापदादा पदम पदमगुणा लक्की बनने की मुबारक दे रहे हैं। आजकल बापदादा एक बात सभी बच्चों में देखने चाहते हैं जानते हो कौन सी? जैसे हर एक के दिल में उमंग है, लक्ष्य है कि हम बाप समान बनने वाले ही हैं, बनेंगे नहीं, बनने वाले ही हैं तो जैसे लक्ष्य है, ऐसे अभी बापदादा लक्ष्य के साथ लक्षण भी देखने चाहते हैं। जैसे समान बनने का लक्ष्य है ऐसे ही समान बनने के लक्षण भी हों। अभी लक्ष्य बहुत ऊंचा है लेकिन लक्षण पर विशेष अटेन्शन देना है। समान, जितना बड़ा लक्ष्य उतना ही बड़ा लक्षण हो। अभी कोई-कोई बच्चे लक्षण धारण करना चाहते हैं लेकिन बीच-बीच में फिर भी कह देते हैं, चाहते बहुत हैं लेकिन.... तो यह लेकिन निकल जाए। आपकी चलन और चेहरा दूर से ही जितना बड़ा लक्ष्य है, इतना लक्षण चेहरे से दिखाई दे, चलन से दिखाई दे। जैसे आप पहले देह-अभिमान में थे लेकिन जब देह-अभिमान में थे तो देह-अभिमान की नेचर नेचुरल थी, कभी पुरूषार्थ किया क्या कि देह अभिमान आवे, नेचर नेचुरल देह-अभिमान रहा। आधाकल्प पुरूषार्थ नहीं किया, ऐसे ही अब भी देही-अभिमानी बनने की नेचर नेचुरल है! जब देह-अभिमान की नेचर नेचुरल रही, कभी याद आता है कि देह-अभिमान में आ जाऊं, यह पुरूषार्थ किया? अभी भी देह-अभिमान और देही-अभिमान, तो देही-अभिमानी बनने में भी मेहनत क्यों! क्योंकि बापदादा के पास समाचार आते हैं कि कभी-कभी देह-अभिमान को मिटाने की मेहनत करनी पड़ती है। जब देह-अभिमान नेचुरल रहा तो देही-अभिमान में मेहनत क्यों? तो बापदादा को मेहनत बच्चों की अच्छी नहीं लगती। मेहनत मुक्त बन जाएं और नेचुरल नेचर बन जाए, इसको कहा जाता है लक्ष्य और लक्षण समान। फिर आप देखो बाप समान बनना बहुत सहज और नेचुरल लगेगा। जैसे ब्रह्मा बाप को देखा इतने बड़े परिवार की जिम्मेवारी होते भी नेचुरल नेचर देही अभिमानी की रही। चाहे बच्चों के ऊपर भी जिम्मेवारी है लेकिन ब्रह्मा बाप के आगे वह जिम्मेवारी क्या लगती है! कोई भी जिम्मेवारी है, मानो ज़ोन की जिम्मेवारी है, या कोई आफीशियल यज्ञ कारोबार की जिम्मेवारी है लेकिन वह जिम्मेवारी ब्रह्मा बाबा के आगे क्या है! ब्रह्मा बाप ने शिवबाबा की मदद से प्रैक्टिकल में दिखाया कि करावनहार करा रहे हैं, हम करनहार बन बाप समान न्यारे और प्यारे हैं। तो बाप समान बनने चाहते तो यह चेक करो कुछ भी चाहे मन्सा, चाहे वाचा चाहे कर्मणा ड्युटीज हैं लेकिन मैं करनहार हूँ, ट्रस्टी हूँ, करावनहार मालिक शिवबाबा है, यह करावनहार का पाठ चलते-चलते भूल जाता है। तो लक्ष्य और लक्षण दोनों को समान बनाना है। अब पुराने साल को विदाई देने के साथ इस लक्ष्य को लक्षण में लाना है। नया साल तो नई बातें। क्या करूं, माया आ जाती है, चाहते नहीं हैं लेकिन आ जाती है यह शब्द वा संकल्प पुराने वर्ष के साथ इसको भी विदाई दो। सिर्फ साल को विदाई नहीं देना। बापदादा ने सुनाया था कि माया भी बापदादा के पास आती है और क्या कहती है? मैं तो समझती हूँ, मेरे जाने का समय है लेकिन कोई-कोई बच्चे आह्वान करते हैं मेरा तो मैं क्या करूं। तो आज विदाई के साथ माया के भिन्न-भिन्न रूप को भी विदाई देनी है। है हिम्मत? हिम्मत है? हाथ उठाओ। विदाई देने की हिम्मत है? पीछे वालों को हिम्मत है? जिसमें हिम्मत हो, वह हाथ उठाओ। तो बाप इस हिम्मत की बहुत पदम-पदम गुणा बधाई देते हैं। क्यों? क्यों बापदादा इस पर जोर दे रहे हैं? क्योंकि आप सभी देख रहे हो दुनिया की हालतें बिगड़ने में शुरू जोर से हो रही हैं और बापदादा का यह महावाक्य कुछ समय से चल रहा है कि अचानक होना है। तो अचानक होना है और अगर बहुत समय का अभ्यास नहीं होगा तो बताओ अचानक के समय अभ्यास की आवश्यकता है ना! अभी-अभी देखो बापदादा ने होम वर्क दिया, 10 मिनट, टोटल 24 बारी 10-10 मिनट का होमवर्क दिया, तो कई बच्चों को मुश्किल हो रहा है। तो सोचो, अगर 10 मिनट का अभ्यास का नहीं हो सकता तो अचानक में उस समय क्या करेंगे? बापदादा जानते हैं कि 24 बारी में कईयों को समय थोड़ा कम मिलता है, लेकिन बापदादा ने ट्रायल की कि 10 मिनट एक ही स्मृति में जब चाहे, जैसे चाहे वैसे कर सकते हैं, बापदादा यह नहीं कहते अभी भी 10 मिनट करो, अच्छा नहीं हो सकता, जिसको हो सकता है वह करे, अगर नहीं हो सकता है तो 5 मिनट करो, 5 मिनट से 7 मिनट, 6 मिनट, जितना भी बढ़ा सको उतनी ट्रायल करो। बापदादा खुद ही कह रहा है इसमें ऐसी बात नहीं है। अगर 10 मिनट ज्यादा टाइम लगता है तो चलो 8 मिनट करो, 9 मिनट करो, जितना ज्यादा कर सको उतनी आदत डालो क्योंकि बहुतकाल का वरदान प्रैक्टिकल में अभी कर सकते हैं। अगर अभी बहुतकाल का अभ्यास नहीं होगा तो अभी के बहुतकाल का पुरूषार्थ की जो प्राप्ति है, आधाकल्प की उस बहुतकाल में फर्क पड़ जायेगा। अगर अभी कम समय देंगे, जितना हो सकता है उतना बापदादा ने छुट्टी दे दी है, अगर 5 मिनट से ज्यादा करो, 10 मिनट नहीं हो सकता है तो 7 मिनट करो, 8 मिनट करो, 5 मिनट की भी छुट्टी है। लेकिन अगर कोई भी समय 10 मिनट हो तो अच्छा है। ऐसा समय आयेगा जो आप लोगों को खुद अपने लिए और विश्व के लिए भी किरणें देनी पड़ेगी। इसीलिए बापदादा छुट्टी देते हैं, जितना ज्यादा समय कर सको, उतना प्रैक्टिस करो क्योंकि अभी का बहुत समय भविष्य का आधार है। ठीक है? मुश्किल लगता है, कोई बात नहीं है, अभी तो कोई हर्जा नहीं है और बाप को सुनाया यह बहुत अच्छा किया क्योंकि मानो 10 मिनट बैठ नहीं सको, सोच में ही चला जाए, तो 5 मिनट भी गये, इसीलिए बापदादा कहे कम से कम 5 मिनट से कम नहीं करना। जितना बढ़ा सको उतना बढ़ाओ। ठीक है स्पष्ट हुआ? क्योंकि बापदादा हर एक को बहुत श्रेष्ठ स्वरूप में देखते हैं। बापदादा ने इसकी निशानी हर एक बच्चे को कितने स्वमान दिये हैं। स्वमान की लिस्ट अगर निकालो तो कितनी बड़ी है?

आज बापदादा अमृतवेले चक्कर लगाने गये। क्या देखने गये? कि बापदादा ने स्वमानों की बहुत बड़ी माला दी है। अगर एक-एक स्वमान में स्थित होके उस स्थिति में बैठो, चलो तो स्वमान कहते जाओ और माला घुमाते जाओ तो बहुत मजा आयेगा। स्वमान की लिस्ट रखी है लेकिन एक-एक स्वमान कितना बड़ा है और किसने दिया है! वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी ने एक-एक बच्चे को अनेक स्वमानों की लिस्ट दी है। उसको यूज करो क्योंकि और कोई अथॉरिटी नहीं जो इस स्वमान को आपके कम कर सके। और किस को भी इतने स्वमानों की माला नहीं मिली है। तो बापदादा ने देखा सतयुग में तो राज्य भाग्य मिलेगा लेकिन यह स्वमानों की माला संगमयुग की देन है। बापदादा जब भी बच्चों को देखते हैं तो हर एक बच्चे के स्वमान की स्थिति से देखता है - वाह बच्चा वाह! तो स्वमान की अथॉरिटी में रहो, मैं कौन! कभी कौन सा स्वमान सामने रखो, कभी कौन सा स्वमान सामने रखो और चेक करो तो आज अमृतवेले जो विशेष स्वमान बुद्धि में रखा वह स्वमान खज़ाना है ना, इसको यूज किया! क्योंकि खज़ाना बढ़ने का साधन है जितना खज़ाने को कार्य में लगायेंगे उतना खज़ाना बढ़ता है। तो आज बापदादा देख रहे थे कौन-कौन बच्चा है, किसके पास स्वमान के स्मृति की माला बड़ी थी किसके पास छोटी। जहाँ स्वमान होगा वहाँ देहभान खत्म हो जाता है। तो आज बापदादा ने चक्र लगाया और देखा जैसे स्वमान का खज़ाना है, ऐसे एक-एक शक्ति, एक-एक गुण इस्तेमाल करो उसको, कार्य में लगाओ। तो यह जो प्राबलम होती है माया आ गई, माया आ नहीं जाती लेकिन माया के लिए तो बाबा ने सुना दिया है कि माया कहती है मेरे को आवाह्न करते हैं तब जाती हूँ, ऐसे नहीं जाती हूँ, कोई भी हल्का संकल्प करना माना माया को आवाह्न किया, शक्तियों को छोड़ता है तो माया को आवाह््न किया। चाहते नहीं है लेकिन आ जाती है। बलवान कौन? चाहते नहीं हैं लेकिन आ जाती, तो माया बलवान हुई या आप? तो आज पुराना वर्ष समाप्त हो रहा है, नये वर्ष में नया उमंग, नया उत्साह, क्योंकि संगमयुग का गायन है, एक-एक दिन उत्साह भरा हुआ है अर्थात् उत्सव है। तो उमंग-उत्साह है तो हर दिन उत्सव है इसलिए पक्का रखना, राज अपना चलते फिरते भी चार्ट देखना। चेक करना, चेक करेंगे तो चेंज करेंगे ना। चेक ही नहीं करेंगे तो चेंज कैसे करेंगे!

तो आज नये साल के लिए बापदादा का विशेष यही संकल्प है कि हर बच्चा जैसे पुराने वर्ष को विदाई देते हो वैसे माया को विदाई दो। व्यर्थ संकल्प को विदाई दो क्योंकि मैजारिटी यही देखा गया है कि व्यर्थ संकल्प ज्यादा आते हैं। ज्यादा विकारी संकल्प कम हैं, हैं कम लेकिन व्यर्थ जो हैं, उसका नाम निशान समाप्त हो जाए, हर संकल्प समर्थ हो, व्यर्थ नहीं हो क्योंकि व्यर्थ संकल्प में, सिर्फ संकल्प नहीं चलता लेकिन व्यर्थ टाइम भी जाता और बाप समान बनने में दूरी हो जाती है। आपकी चाहना तो है समान बनें, तो हाथ तो उठाया है। लेकिन बापदादा सदा कहता है कि मन का हाथ उठाना, यह हाथ उठाना तो इजी है। तो विदाई देने की हिम्मत है? है हिम्मत? हाथ उठाओ। अच्छा, हिम्मत वाले हैं। बस हिम्मत को कायम रखना। अगर हिम्मत होगी तो जो लक्ष्य रखा है वह हो ही जायेगा क्योंकि बापदादा भी साथ है। बापदादा चाहते हैं कि मेरा कोई भी बच्चा पीछे नहीं रह जाए। हाथ में हाथ देके चले। शिव बाप निराकार है, हाथ नहीं है लेकिन श्रीमत ही उनके हाथ हैं। श्रीमत पर कदम-कदम चलना अर्थात् हाथ में हाथ देके चलना। तो सभी को नये वर्ष की नव जीवन की और नव युग की तीनों की पदम पदमगुणा मुबारक हो।

अच्छा जो इस बारी नये आये हैं वह उठ खड़े हो जाओ। अच्छा। बहुत आये हैं। आधा संगठन तो नया है। तो आपको सभी नये आने वालों को, सारे ब्राह्मण परिवार, बापदादा सबके तरफ से मधुबन आने का मुबारक है, मुबारक है, मुबारक है। मुबारक के साथ एक बात याद रखना तो अभी कामन पुरूषार्थ का समय गया, अभी समय है तीव्र पुरूषार्थ का, तो आप सभी लेट आये हो लेकिन बापदादा के प्यारे हो। टू लेट के बजाए लेट आये हो, बापदादा खुश है कि फिर भी लक के समय पहुंच गये हो इसलिए जो भी आये हो, बापदादा के प्यारे हो इसलिए चलना नहीं उड़ना। अभी चलेंगे ना तो नम्बर आगे नहीं ले सकेंगे इसीलिए उड़ती कला में चलना। चलना नहीं उड़ना। तो उड़ना तो फास्ट होता है ना। तो उड़ती कला से आगे जा सकते हो। यह मार्जिन है। इसी को ही तीव्र पुरूषार्थ कहते हैं। तो क्या करेंगे? उड़ेंगे। उड़ेंगे? अच्छा। जो भी बातें ऐसी आवे जो बेकार हैं, आनी नहीं चाहिए लेकिन आ जाती हैं क्योंकि पेपर तो होना है ना! तो क्या करेंगे? अगर ऐसी कोई बात आवे तो बापदादा को दे देना। देना आता है ना! लेना तो आता है लेकिन देना भी आता है ना। छोटे बन जाना। जैसे छोटे बच्चे होते हैं ना वह क्या करते हैं कोई भी चीज़ पसन्द नहीं आती है तो क्या करते हैं? मम्मी यह आप सम्भालो। ऐसे ही छोटे बनके बाप को दे दो। फिर अगर आवे, आयेगी, बापदादा ने देखा है कि बहुत समय रखी है ना, तो छोडने से फिर आती भी है लेकिन अगर आवे भी तो यही सोचना कि दी हुई चीज़ यूज की जाती है क्या! देना अर्थात् आपके पास आई, तो अमानत आई। आपने तो दे दी ना! तो आपकी रही नहीं। अमानत में ख्यानत नहीं करना चाहिए। आपको मदद मिलेगी तो यह मेरी नहीं है, यह अमानत है। मैंने दे दी इसमें फायदा हो जायेगा। क्योंकि समय कम है और पुरूषार्थ आपको तीव्र करना है। तो जो भी नये आये हैं बापदादा उन्हों को लक्की और लवली कहते हैं, जो आ तो गये अभी मेरा बाबा कहा है ना। हाथ उठाओ जो कहते हैं मेरा बाबा। जो भी आये हैं, मेरा बाबा कहते हैं। तो जब मेरा बाबा कहा तो और कोई मेरा है क्या! बाबा ही मेरा है ना। तो बाप पर अधिकार रख वरके अमानत समझके बाप को दे दो। अपने पास आने नहीं देना। अच्छा है। फिर भी बाप को खुशी है, बाप को पहचान तो लिया। अभी सिर्फ यह ध्यान पक्का-पक्का रखना, उड़ना है, चलना नहीं है उड़ना है। अच्छा, बहुत हैं। अच्छा ब्राह्मणियाँ जो हैं क्लास टीचर्स, उन्हों को भी अपने नये भाई-बहिनों के ऊपर क्षमा करनी है। हर सप्ताह इन्हों का हालचाल पूछते रहना, कोई प्रॉबलम तो नहीं है! और कोई भी प्रॉबलम हो तो सुना देना, उसका निवारण ले लेना। छोड़ नहीं देना। आया और गया, दिल में रखना नहीं। अच्छा। सारे परिवार की भी मुबारक है।

सेवा का टर्न गुजरात ज़ोन का है:- (8 हजार गुजरात के हैं) बापदादा ने पहले भी कहा था गुजरात अर्थात् गुजर गई रात। तो गुजरात में सदा ही आगे से आगे बढ़ने और बढ़ाने का उमंग-उत्साह रहता भी है और रहना भी चाहिए क्योंकि गुजरात में भी, महाराष्ट्र में भी हैं लेकिन गुजरात में भी संख्या या सेन्टर कम नहीं हैं। तो गुजरात में सेवा तो चारों ओर है, गीता पाठशालायें भी बहुत हैं लेकिन अभी रहा हुआ काम क्या है? अभी गुजरात को हर एक सेन्टर, गीता पाठशाला की बात छोडो, अपने-अपने सेन्टर के वारिसों की लिस्ट निकालनी चाहिए। वारिस, स्टूडेन्ट नहीं वारिस उनकी लिस्ट गुजरात में सबसे बड़ी होनी चाहिए क्योंकि बापदादा समय की सूचना तो दे रहे हैं तो समय अनुसार अभी नये वर्ष में यह भी सेवा में अटेन्शन देना है। सभी ज़ोन वालों को भी कहते हैं कि यह ज़ोन में लिस्ट निकालो, कि सभी ज़ोन में से वारिसों की लिस्ट में नम्बरवन कौन है? क्योंकि अभी गोल्डन एज के लिए राजाई तैयार करनी है ना! तख्त पर तो लक्ष्मी नारायण ही बैठेंगे, एक ही बैठेंगे लेकिन जो वहाँ की राज्य अधिकारी सभा है, वह भी तो बनानी है ना। रॉयल प्रजा भी बनानी है, साधारण प्रजा भी बनानी है। तो ऐसे वारिस बनाओ जो सम्बन्ध-सम्पर्क में अभी भी नजदीक हों और वहाँ भी नजदीक हों। जो वारिस होगा उसकी निशानी क्या होगी? एक तो वारिस अर्थात् हर श्रीमत पर चलने वाले। बाप ने कहा और बच्चे ने किया। हर कार्य में चाहे मन्सा, चाहे वाचा, चाहे कर्मणा, चाहे सम्बन्ध सम्पर्क में फैमिली लाइफ वाला हो, आने वाला स्टूडेन्ट नहीं फैमिली नेचर वाला हो। फैमिली का अर्थ होता है एक दो को जानना और एक दो को समझकर चलना, परिवार में भी ठीक हो और 4 निश्चय जो सुनाये थे, 4 ही निश्चय में जो वारिस होगा वह प्रैक्टिकल लाइफ में हो। सारे परिवार का प्यारा होगा, कोई का प्यारा कोई का नहीं, नहीं। सारे परिवार का प्यारा होगा। तो ऐसे वारिस क्वालिटी अभी वह चाहिए। प्रजा तो बनती जायेगी, साधारण प्रजा। लेकिन अभी नजदीक वाले वारिस क्वालिटी बनाओ। राजधानी तो यहाँ ही तैयार करनी है ना। इसलिए इसमें कौन सा ज़ोन वारिस क्वालिटी में नम्बरवन है, यह इस वर्ष में देखना है और दूसरा काम दिया था वर्ग वालों को, एक वारिस बनाना और दूसरा जो सम्बन्ध सम्पर्क में हैं उन्हों को माइक बनाना। तो माइक और वारिस यह दोनों बनाना, अभी समय है। जैसा समय बीतता जायेगा तो उसमें बहुत समय का पुरूषार्थ कम हो जायेगा। इसलिए गुजरात कमाल करेगा ना! अच्छा है। गुजरात में टीचर्स भी बहुत हैं। टीचर्स हाथ उठाओ। देखो कितनी टीचर्स हैं तो एक-एक सेन्टर एक-एक वारिस तो निकालो और पुराने सेन्टर हैं। बापदादा के डायरेक्ट इशारे से गुजरात की सेवा आरम्भ हुई है तो बापदादा की दृष्टि से गुजरात हुआ है। वह भी तो काम करेगी ना। हैण्डस अच्छे हैं। कर सकते हैं। करने वाले हैं और कर भी सकते हैं। तो सेन्टर ने प्रोग्राम तो बहुत किये हैं और अच्छे करते हैं। प्रोग्राम अच्छे किये हैं अभी वारिस में नम्बरवन जाओ। ठीक है! करेंगे? टीचर्स हाथ उठाओ। तो इस वर्ष में, वर्ष के अन्दर जितनी टीचर हैं उतने वारिस मधुबन में लायेंगे। लायेंगे? हाँ आज तो गुजरात का टर्न है इसलिए उसको कह रहे हैं लेकिन बापदादा सभी ज़ोन को कह रहा है। नम्बरवन कौन जाता है उसको प्राइज देंगे। जो वन नम्बर जायेगा उसको अच्छी प्राइज देंगे। सभी ज़ोन वाली जो बैठी हैं ना वह हाथ उठाओ। और कौन है? भाई भी उठाओ। ठीक है। उठाया। अच्छा है। अभी देखेंगे पहला नम्बर कौन जाता है। क्वालिटी भी देखेंगे। वारिस तो बनाया लेकिन उसकी क्वालिटी क्या है! क्योंकि बापदादा अभी समय की सूचना बार-बार दे रहे हैं। फिर नहीं कहना हमने तो समझा अभी टाइम पड़ा है क्योंकि अपने को भी सम्पन्न बनाना है, सेवा में भी आगे जाना है दो काम हैं। एक पुरूषार्थ, पुरूषार्थ में एक याद और दूसरी सेवा दोनों में नम्बरवन हो। तीसरा स्वभाव संस्कार उसमें परिवर्तन। यह नहीं कोई कहे यह है तो अच्छा, है तो अच्छा.. नहीं कहे। है अच्छा। इसको कहा जाता है अच्छे ते अच्छा क्योंकि हालतें बदलती जायेंगी। आप चाहते हुए भी सेवा नहीं कर सकेंगे। बातें ऐसी होंगी जो व्यर्थ संकल्प चला देंगी। इसलिए तीव्र पुरूषार्थ, धरनी पर पांव नहीं हो, उड़ते रहो। फरिश्ते के पांव धरती पर नहीं दिखाते हैं। तो स्थूल पांव नहीं लेकिन यह स्थिति के पांव। तो गुजरात बापदादा के मधुबन के सहयोगी बहुत हैं। नजदीक हैं ना। तो कभी भी कोई भी बात हो तो पहले किसको बुलावा होता है? आते हैं ना फोन, गुजरात से इतने भेज दो। अच्छा है। नजदीक का फायदा है, प्राप्ति भी है। इसलिए गुजरात के जो रेग्युलर स्टूडेन्ट हैं उन सबको बापदादा की एक-एक श्रीमत पर चलने वाला सैम्पुल बनना है। कोई भी सेन्टर पर जाये तो ऐसे दिखाई दे कि यह सब बापदादा के नजदीक वाले रत्न हैं। ठीक है! स्टूडेन्ट समझते हैं हाथ उठाओ, ऐसा, कोई भी श्रीमत कम नहीं हो। ठीक है हिम्मत वाले हैं। अच्छी हिम्मत है।

ज्युरिस्ट, कलचरल और सिक्युरिटी विंग:- अच्छा है तीनों ही विंग अपना-अपना कार्य अच्छा बढ़ा रही हैं। बापदादा ने देखा है कि हर एक को उमंग रहता है कि हमको करना है लेकिन अभी जो बापदादा ने काम दिया है कि ऐसे माइक तैयार करो जो सभा में एक एक्जैम्पुल दिखाये, जो वायुमण्डल है तो ब्रह्माकुमार बनने से कारोबार नहीं कर सकेंगे, वह अनुभव सुनने से प्रैक्टिकल देखे कि यहाँ एक नहीं है, एक वर्ग के भी अनेक हैं। तो प्रैक्टिकल अनुभवी देखने से उमंग आता है और सहज भी लगता है कि हम भी ऐसे कर सकते हैं। तो विंग में रेग्युलर स्टूडेन्ट बनाने की सेवा बहुत अच्छी हो सकती है। जितनी भी आपने सेवा की है उससे रेग्युलर स्टूडेन्ट कितने बने हैं? जब से वर्गों की सेवा शुरू हुई है तब से लेके अब तक रिजल्ट निकालो कि हर एक वर्ग वालों के स्टूडेन्ट रेग्युलर कितने बने हैं! और कौन सी क्वालिटी वाले बने हैं? क्योंकि काफी समय वर्ग की सेवा चली है और करते सभी प्यार से हैं। क्योंकि चांस मिला है, अलग-अलग सेवा करने का। इसीलिए अभी यह रिजल्ट निकालो। कनेक्शन वाले कितने हैं? रेग्युलर कितने हैं? जो रेग्युलर होंगे उनका तो चार्ट अच्छा ही होगा। तो हर एक वर्ग वाले यह रिजल्ट निकाले, कभी कभी आने वाले तो होते हैं। कोई फंक्शन में आ गये, कोई प्रोग्राम में आ गये लेकिन बाप के बने कितने? क्योंकि यह कार्य चलता ही रहता है तो रिजल्ट भी तो निकलनी चाहिए। अच्छा है। यह तीनों ही विंग बापदादा ने देखा है कि उमंग उत्साह से आपस में मीटिंग भी करते हैं बीच-बीच में उत्साह दिलाने के पत्र व्यवहार भी करते हैं और रिजल्ट तो होगी ही क्योंकि हर वारी हर वर्ष बापदादा भी डायरेक्शन देते रहते हैं तो अच्छा है सेवा का चांस लेते हैं। सब सन्तुष्ट हैं? तीनों के हेड हाथ उठाओ। अच्छा। तो आपके विंग में जो भी आते हैं, मीटिंग करते हैं, प्रोग्राम बनाते हैं, आपस में मिलते रहते हैं तो सभी उमंग उत्साह में हैं?जो प्लैन बनता है, मानो मीटिंग में प्रोग्राम बना लेकिन जो सभी ज़ोन हैं उसमें जो आपका प्लैन बना, वह आपके विंग का मेम्बर उसी अपनी एरिया में प्रैक्टिकल में लाते हैं, यह समाचार आप लेते रहते हो? क्योंकि विंग का बड़ा आफिस तो एक सेन्टर पर होता है लेकिन सेवा सारे जोन में होनी है, सिर्फ एक दो में नहीं, जो मेम्बर हैं वह अपने स्थान में तो कराते होंगे लेकिन जिस सेन्टर के मेम्बर नहीं हैं वहाँ भी आपने जो प्लैन बनाया वह चला क्योंकि वर्ल्ड की बात है ना यह। तो यह भी अटेन्शन रखो रिजल्ट मांगो, एक-एक सेन्टर ने प्रैक्टिकल में लाया और मुश्किल क्या है, नहीं लाया तो क्या मुश्किल है? उसको विंग वाले सैलवेशन दें। जैसे अभी प्रोग्राम किया, एक साथ किया तो उसका प्रभाव अलग होता है ऐसे एक ही प्रोग्राम विंग का सभी जगह चले तो वह नाम बाला हो जायेगा। ऐसे रिपोर्ट लो और सभी शहरों में हर एक विंग का काम चलना चाहिए। तभी तो नाम बाला होगा ना। बाकी बापदादा खुश है। मेहनत करते हैं, तीनों ही अपना-अपना नाम समझना। काम कर रहे हैं लेकिन फैलाओ। हर स्थान से ऐसा कोई नामीग्रामी निकले। उसको उमंग दिलाना पड़ेगा। ठीक है ना! अच्छा।

60 देशों से 650 डबल विदेशी भाई बहिनें आये हैं:- पहले फॉरेन का यूथ ग्रुप उठे। अच्छा है। फॉरेन में यूथ ग्रुप सेवा कर रहा है। यह बापदादा ने समाचार भी सुना है और बापदादा को अच्छा लगा है कि ऐसे विशेष यूथ फॉरेनर्स तैयार हो जो एक दिन दिल्ली में सारे यूथ नहीं लेकिन थोड़े-थोडे फॉरेन के थोड़े यहाँ के ऐसे ग्रुप बनाके दिल्ली में प्राइम मिनिस्टर या जो बड़े मिनिस्टर हैं उनसे मिलने जावें, वह प्रैक्टिकल देखें तो फॉरेन वाले भी यूथ बदल रहे हैं। इन्डिया वाले भी बदल रहे हैं क्योंकि गवर्मेन्ट को अभी यूथ की प्रॉबलम ज्यादा है तो ऐसे समय पर अगर गवर्मेन्ट के पास प्रैक्टिकल देखे, एक्जैम्पुल देंखे तो वह समझेंगे और गवर्मेन्ट का जो विशेष वर्ग का मिनिस्टर है उस वर्ग वाले उनके पास खास जाके मिले तो वह समझे कि ऐसे दु:ख और अशान्ति के वायुमण्डल में, एक तरफ दु:ख अशान्ति दूसरे तरफ तमोगुणी वायब्रेशन, दोनों के बीच यह यूथ परिवर्तन कर चल रहा है तो उनका संस्था के तरफ अटेन्शन जायेगा। हर वर्ग अपने मुख्य जो मिनिस्टर हों, प्राइममिनिस्टर नहीं उसके वर्ग का मिनिस्टर, कम से कम उसके पास छोटा ग्रुप ही जाये जो समाचार सुनावे। सारे मिनिस्ट्री में यह पता पड़ जायेगा तो यह सब वर्गो की सेवा करते हैं। अच्छा है। बापदादा भी यूथ ग्रुप में परिवर्तन देख खुश होते हैं। लेकिन ऐसे यूथ जायें जो स्वयं अपने से सन्तुष्ट हों। प्रैक्टिकल लाइफ में हो। भले कोई सुनाये नहीं सुनाये लेकिन बाप का नियम है कि एक्जैम्पुल वह बनें जो पहले खुद में सन्तुष्ट हो। और यूथ प्रॉबलम अपनी हल करने के लिए जो भी निमित्त हैं उनकी मदद लें। कुछ भी हो अपनी कमज़ोरी मिटाना ही है। ऐसे यूथ वायबे्रशन फैला सकते हैं। आवाज फैला सकते हैं। जैसे जैसे आवाज फैलेगा वैसे वैसे इस कार्य का दुनिया में प्रभाव पड़ेगा। तो ग्रुप वाले जो ग्रुप निमित्त बने हैं उनको बहुत अपनी सम्भाल करनी है, पूरा एक्जैम्पुल बनना है। ठीक है ना। सब यूथ ठीक हैं। हाथ उठाओ। तो बापदादा आप सभी को देखके बहुत-बहुत खुश है। ऐसे एक्जैम्पुल बहुत कार्य करेंगे। अभी तो आप जायेंगे फिर आपको खुद निमन्त्रण देंगे। अच्छा है। बढ़ रहे हो और बढ़ते चलो, बापदादा की यही सारे यूथ, इन्डिया के यूथ या फॉरेन के यूथ दोनों में बहुत बहुत शुभ आशायें हैं। बधाई भी है और आशायें भी हैं। अच्छा।

डबल विदेशी छोटे बच्चे:- यह एक ही ग्रुप है बच्चों का। (बच्चों ने गीत गाया - छोटे-छोटे फूल हैं हम और किसी से नहीं हैं कम) सभी बच्चे फूल बनकर ही रहते हो ना। जो बाप की श्रीमत है उस पर चलते हो? जो चलता है वह हाथ उठाओ। अच्छा। अच्छा है लक्की बच्चे हो जो छोटेपन में ही बाप का मिलन हो गया। और सभी आपको देख खुश हो रहे हैं। ऐसा भी दिन आयेगा जो बड़े बड़े लोग, बड़ी बड़ी कम्पन्नी वाले आप बच्चों को बुलायेंगे, ऐसे तकदीरवान बच्चे कौन हैं जो ऐसे बने हैं इसीलिए हर बच्चा अपनी धारणायें पक्की रखना। कभी भी कोई धारणा भूलना नहीं क्योंकि आप बापदादा और लौकिक बाप तीन के बच्चे हो। तो कमाल दिखायेंगे ना। तो सभी बहुत अच्छी कमाल करके दिखाना। अच्छा।

सभी डबल विदेशी भाई बहिनों से:- अच्छा, सिन्धी ग्रुप भी आया है, बहुत अच्छा। प्यार है ना बाबा से। बाप से प्यार है ना बहुत। बाप भी याद करते हैं क्यों? क्यों याद करते हैं? सिन्ध में ही बाप आया ना! तो जिस देश में आया वहाँ की सौगात तो होनी चाहिए ना। इसीलिए बाप कहते हैं कि सिन्धी ग्रुप ऐसा कोई कार्य करके दिखावे जो अनेक सिन्धी आत्माओं की सेवा के निमित्त बनें।

बापदादा को अच्छा लगता है कि हर सीजन में फॉरेनर्स मधुबन के श्रृंगार बनते हैं। अच्छा उमंग उत्साह है, 60 देशों से आये हैं तो इतनी सेवा है ना। और जो भी जिस देश में हैं वहाँ सेवा के बिना तो रह नहीं सकते। जो भी मिलता होगा उसको क्या सुनायेंगे? और बातों में तो जायेंगे नहीं तो इतने देशों में सेवा हो रही है ना। अभी तो औरों को सन्देश देने के लिए फॉरेनर्स के अच्छे-अच्छे ग्रुप बन गये हैं। भिन्न भिन्न कोर्स भी कराते हैं। तो बापदादा ने देखा जैसे भारत वाले सेवा फैला रहे हैं ऐसे फॉरेनर्स भी सेवा फैलाते रहेंगे तो सारे विश्व में बाप का सन्देश तो पहुंच जायेगा। फॉरेन वाले भी अपनी अपनी एरिया में कोशिश कर रहे हैं, किया भी है तो आस पास में कोई न कोई प्रोग्राम बनाके भी सन्देश दे दो। तो बापदादा को अच्छा लगता है जो सेवा में भिन्न- भिन्न प्रोग्राम करते रहते हैं, सन्देश देते रहते हैं वह हाथ उठाओ। सेवा करते रहते हैं, करते हैं ना! क्यों? बाप कहते हैं मेरा एक-एक बच्चा पैगाम देने वाला पैगम्बर है। पैगाम तो देते हो ना! तो हर बच्चा पैगम्बर है, पैगाम देने वाला है। किसी से भी मिलेंगे तो क्या बात करेंगे? कम से कम अनुभव तो जरूर सुनायेंगे ना। तो सन्देश तो दिया ना! तो बापदादा को भी अच्छा लगता है। और फॉरेनर्स को बापदादा खास क्यों याद करता है? करते तो सभी बच्चों को हैं लेकिन फॉरेनर्स को खास भी याद करता है क्यों याद करता? कि यही एक ब्रह्माकुमारियों की स्टेज है जहाँ एक ही स्टेज पर सब भिन्न-भिन्न धर्म वाले, भिन्न-भिन्न डे्रस वाले, एक ही डे्रस वाले बन स्टेज पर बैठते हैं। अभी आप किस ड्रेस में बैठते हैं? सफेद ड्रेस में बैठते हैं, तो धर्म मुस्लिम भी क्रिश्चियन भी, बौद्धी भी सब एक स्टेज पर बैठते हैं और एक परिवार के बन गये। यह विशेषता बहुत अच्छी है। सभी सेवा करते हो ना! अभी नया वर्ष आ रहा है ना तो नया वर्ष का फायदा उठाना, अपने अपने कनेक्शन वालों को यह बात सुनाना, गिफ्ट देना, कहना कि हमारी गिफ्ट न्यारी है। हर एक सम्बन्धी को, कनेक्शन वाले को मुबारक देने जाना और गिफ्ट देना कोई न कोई गुण या शक्ति की, कहना हम आपको सबसे न्यारी गिफ्ट देने आये हैं। इस गिफ्ट से आपका वर्तमान और भविष्य बहुत अच्छा बन जायेगा उनको ऐसी अच्छी अच्छी बातें सुनाना। क्योंकि नया वर्ष एक चांस है सेवा करने का। अच्छा बापदादा खुश है, फॉरेन सेवा पर खुश है। संगठन भी अच्छा करते हैं। अभी और आगे बढ़ते जाना। हर कार्य में आगे से आगे बढ़ते रहना। अच्छा। पीछे बैठने वाले उठो।

पीछे बैठने वालों को बापदादा वरदान देते हैं मधुबन में मेले में आये हो ना। तो मधुबन के मेले में जो भी आये हैं, पीछे बैठने को मिला है तो ऐसे नहीं समझना कि हम पीछे वाले हैं, जो पीछे बैठे हैं ना वह बाप के दिल में हैं। (आने वाले 22 हजार से ऊपर हैं, टोटल 25 हजार का ग्रुप है, बाहर सब जगह बैठे हैं) भले आये, मौसम को नहीं देखा, जगह को नहीं देखा, सर्दी को नहीं देखा, टेन्ट में भी सोये हैं। जो टेन्ट में सोये हैं ना, बापदादा सभी टेन्ट में खास चक्र लगाने आया था। पीछे बैठे हुए को बापदादा अपने दिल में समाते हैं। इसलिए बापदादा का जो भी जहाँ बैठे हैं वहाँ उन्हों को बापदादा सामने नयनों में समाकर यादप्यार भी दे रहे हैं, मुबारक भी दे रहे हैं। अभी तो दिनप्रतिदिन अपना ब्राह्मण परिवार बढ़ना ही है। तो बापदादा भी परिवार को देख खुश होते हैं, वाह ईश्वरीय परमात्म परिवार वाह! अच्छा।

आज 12 बजे तक बैठना है। साथ बैठने का चांस है।

अभी चारों ओर के देश विदेश के हर एक बाप के प्यारे, बाप के लाडले, बाप के सिकीलधे बच्चों को विदाई और बधाई। और बापदादा ने सुनाया कि पुराने वर्ष के साथ पुराने संस्कार को भी विदाई देने वाले, स्वभाव को भी विदाई देने वाले महावीर बच्चे, हर कदम में पदमों की कमाई करने वाले बापदादा जो सदा स्वमान देते हैं, उस स्वमान की स्थिति में रह अनुभव करने वाले, हर एक बच्चे को बापदादा ऐसे रूप में देखते कि यह एक एक बच्चा 21 जन्म के वर्से के अधिकारी, सारे कल्प में 21 जन्म के अधिकारी बनने का वर्सा आप बच्चों को ही मिलता है। तो ऐसे श्रेष्ठ अधिकारी चारों ओर के बच्चों को बापदादा, बाप शिक्षक और गुरू के रूप से तीनों ही रूपों से यादप्यार और नमस्ते दे रहा है।

दादी रूकमणी से:- अच्छा है शरीर को चलाना आता है। मन की जवानी है, मन जवान है। अच्छा है। लेकिन सेवा की साथी तो बनकर रही है ना। अच्छा।

परदादी से:- अच्छा है इसको भी चलना अच्छा आता है। चलाने वाले भी अच्छे हैं चलना भी अच्छा आता है।

तीनों भाईयों से:- नये वर्ष में कुछ नया करके दिखायेंगे ना। (नये वर्ष में क्या नवीनता करना है?) एक तो परिवार को अपनी स्थिति में पावरफुल बनाने के प्लैन और दूसरा सेवा में नये नये प्रकार के, जैसे फंक्शन किया, यह भी एक तरीका हुआ लेकिन अभी दूसरे प्रकार से कोई ग्रुप-ग्रुप को उन्हों का बड़ा संगठन करके जैसे वकील है, जज है, उनके ग्रुप को अलग सारे ज़ोन को इकठ्ठा करे एक बड़े स्थान पर और हों अलग-अलग वर्ग के लेकिन ज़ोन वाइज हर वर्ग के इकठ्ठे हो। ऐसा बड़ा संगठन, भले टेंट लगाओ बड़े स्थान पर लेकिन ऐसा-ऐसा एक एक ग्रुप की रिजल्ट निकालो और उनका कनेक्शन जोड़ो कि इसके बाद आपको क्या करना है। भाषण सुनकर चले जावें नहीं, लेकिन भाषण के बाद आप जितने भी चाहें यह यह कर सकते हो और उनका प्रोग्राम बनाओ कि कनेक्शन में रहें, फोन द्वारा कनेक्शन रखें, लिखापढ़ी द्वारा रखें, कनेक्शन उसका बढ़ता जाए। एक एक प्रोग्राम बड़े-बड़े स्थान पर हो। कहाँ वकीलों का रखो, कहाँ नेताओं का रखो। ऐसे बड़े-बड़े स्थान पर ग्रुप को नजदीक लाओ, मिक्स ग्रुप भी हो। दोनों प्रकार का कर सकते हो, एक वर्ग का ग्रुप होता है तो सबका अटेन्शन जाता है। मिक्स करने से अटेन्शन कम जाता है। दोनों करके देखो। एक जगह वह करो, एक जगह वह करो दोनों की रिजल्ट देखो फिर आगे का प्रोग्राम बनाओ।

ओमेक्स कम्पन्नी के चेयरमैन भ्राता रोहतास गोयल तथा उनके परिवार से:-

जैसे बिल्डिंग का काम सफल हो रहा है ना, ऐसे यह सेवा का काम भी सफल करना। जहाँ भी जाओ वहाँ सन्देश दे दो। जाना तो है ही तो सन्देश तो दे सकते हो। सेन्टर्स की बहनें कोर्स करावे लेकिन आप सन्देश दो। तो आपको जो अनुभव हुआ है, वो अनुभव सुनाओ। आप कनेक्शन रखो और दूसरों का कनेक्शन जुडवाओ। अच्छा है। सभी मिलके सन्देशवाहक बनो, जायेंगे सेन्टर पर। एड्रेस दो, फोन पर कनेक्शन रखो बस। पैगम्बर बनो, पैगाम दो। सभी अच्छे हैं। सभी सेवा कर सकते हैं।

सभी अच्छे हैं, उमंग उत्साह में हैं उन्हों को सन्देश देकर उमंग दिलाओ। दु:खी हैं उन्हों को सुख का सन्देश दो। देखो, यह आयु में भी अनुभवी है तो बहुत सेवा कर सकते हैं।

2009 की विदाई 2010 की बधाई - रात्रि 12 बजे के बाद:-

सभी ने हैपी न्यु ईयर कहा, लेकिन हम आप सभी के लिए सदा हैपी है, आज की दुनिया के हिसाब से हैपी न्यु ईयर किया लेकिन संगमयुग का हर दिन हमारा उत्सव है। सदा उत्सव रहता है क्योंकि उत्साह रहता है। संगमयुग का हैपी संगमयुग है। तो आप सभी को बहुत-बहुत-बहुत परिवर्तन की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। जैसे नया वर्ष है वैसे नये संस्कार, पुराने संस्कार को विदाई और नये संस्कार का आगमन इसीलिए सदा ही हर्षित है और सदा ही हर्षित रहेंगे, हमारे लिए आपके लिए हर वर्ष कल्याणकारी है, आगे बढ़ने बढ़ाने वाला है इसलिए सदा हैपी, हैपी, हैपी।