28-02-10   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘देहभान के मैं-मैं की होली जलाकर परमात्म, संग के रंग की होली मनाओ’’

आज होलीएस्ट बाप अपने होली बच्चों से होली मनाने आये हैं। चारों ओर के बच्चे दूर दूर से स्नेह में दिल में समा रहे हैं। बापदादा चारों ओर के बच्चों के मस्तक में भाग्य का सितारा चमकता हुआ देख रहे हैं। इतना बड़ा भाग्य सारे कल्प में और किसका भी नहीं होता। इस संगमयुग के प्राप्ति के आधार से आप बच्चे ही इतने श्रेष्ठ पवित्र बनते हो जो भविष्य में आप डबल पवित्र बनते हो। आत्मा भी पवित्र और शरीर भी पवित्र। सारे कल्प में चक्र लगाके देखो कोई धर्मात्मा भी डबल पवित्र नहीं बना है। आप बच्चे डबल पवित्र भी बनते हो और डबल पवित्रता की निशानी डबल ताजधारी बनते हो।

आज होली सब मनाते हैं लेकिन आप इस समय जो डबल होली बनते हो उसका यादगार उत्सव के रूप में होली मनाते हैं। आपके ही हर कदम-कदम का जीवन का महत्व उत्सव के रूप में मनाते हैं। आप इस संगम पर हर दिन, हर कदम उमंग और उत्साह में रहते हो तो आपके उमंग-उत्साह का यादगार यह उत्सव के रूप में मनाते हैं। क्यों उमंग उत्साह रहता? क्योंकि आप परमात्मा के संग के रंग की होली मनाते हो। तो आपका हर कदम उत्सव के रूप में मनाते हैं। अभी होली में पहले जलाते हैं फिर मनाते हैं। आप भी संगम पर अभी अपने पुराने संस्कार स्वभाव को योग अग्नि में जलाते हो क्योंकि अपने पुराने संस्कार को जलाने के बिना परमात्म संग का रंग लग नहीं सकता, परमात्म मिलन हो नहीं सकता। तो आपने योग अग्नि में संस्कारों को जलाया फिर परमात्म संग के रंग में रंगे। तो आजकल जलाते भी हैं और रंग भी लगाते हैं लेकिन आपके अध्यात्मिक रूप को स्थूल रूप दे दिया है। वह स्थूल आग जलाते, स्थूल रंग लगाते क्योंकि अभी बॉडीकान्सेस वृत्ति है। आप होली बनते हो वह होली मनाते हैं। सारे कल्प में कोई भी अध्यात्मिक होली मनाके डबल होली नहीं बनें। तो आप सभी जो भी जहाँ से आये हो तो परमात्म संग के होली में आये हो। परमात्म संग की होली मनाने आये हैं। आप होली के लिए कहते हो कि होली अर्थात् जो बात हो चुकी वह हो ली। तो ड्रामा अनुसार जो बीत चुका उसको कहते हैं हो ली, बीती सो बीती। कोई भी व्यर्थ बात चित पर नहीं लाते हैं, हो चुकी, ऐसी होली मनाते रहते हो ना। आप सभी ने होली अर्थात् पवित्र बनने का पूर्ण पुरूषार्थ कर पवित्रता को धारण किया है तभी भविष्य में आपको डबल पवित्रता की निशानी डबल ताज दिखाते हैं।

तो आज के दिन आप हर एक बच्चा क्या जलाके जायेंगे? बापदादा ने देखा कि जन्मदिन पर जो बाप ने होम वर्क दिया था - क्रोध को जन्मदिन पर जन्मदिन की गिफ्ट दे दो। तो उसकी रिजल्ट बापदादा के पास कुछ बच्चों की आज पहुंची है। बापदादा ने देखा कि कहाँ-कहाँ बच्चों ने अटेन्शन दिया है। आप सबने भी अपनी रिजल्ट निकाली होगी तो जो भी आज बैठे हैं, उन्होंने अपनी रिजल्ट निकाली, जिन्होंने अपनी रिजल्ट में कन्ट्रोल किया और सफलता का अनुभव किया वह हाथ उठाओ। सफलता को प्राप्त किया! बड़ा हाथ उठाओ। टीचर्स हाथ उठाओ, फारेनर्स हाथ उठाओ। (सभी ने उठाया) अच्छा। मुबारक हो। इससे आप सबने अपने में हिम्मत रखी और हिम्मत का फल प्राप्त हो सकता है, यह अनुभव किया। तो क्या अगर इस अनुभव को आगे भी लक्ष्य रखके बार-बार चेकिंग करते और आगे बढ़ाने चाहे तो समझते हो कि सम्भव है? सम्भव है? आगे हो सकता है? वह हाथ उठाओ। अच्छा। हो सकता है? टीचर्स हो सकता है? पाण्डव हो सकता है? अच्छा। सम्भव हो सकता है, नहीं, होना ही है इसकी ताली बजाओ। अच्छा। अभी तो ज्यादा दिन नहीं हुए हैं लेकिन अभी हर तीन मास के बाद आज से तीन मास अटेन्शन रख क्रोध का टेन्शन खत्म कर सकते हो? कर सकते हो? वह हाथ उठाओ। अच्छा। यह तो खुशखबरी बहुत अच्छी है, क्यों? क्रोध का कारण क्या होता है? क्रोध का बीज क्या होता है? आप सदा अपना भविष्य स्वरूप सामने रखो, आपका भविष्य स्वरूप कितना सजा सजाया हर्षित चेहरा है और बापदादा को देखो उसमें भी ब्रह्मा बाप को सामने लाओ क्यों? शिव बाप तो है ही निराकार लेकिन ब्रह्मा बाप आपके सदृश्य साकार रूपधारी, आपके सदृश्य जिम्मेवारी का ताजधारी फिर भी सदा मुस्कराता हुआ, खुशनुमा चेहरा क्योंकि इन विकारों पर विजय प्राप्त कर आपके आगे शरीर होते कार्य करते एक्जैम्पुल रहा। ब्रह्मा बाप से ज्यादा आपकी जिम्मेवारी है?ब्रह्मा बाप की जिम्मेवारी के आगे आपकी जिम्मेवारी तो कुछ भी नहीं है। और लास्ट तक देखा कर्मातीत वायब्रेशन में अव्यक्त फरिश्ते बन गये। तो अभी बापदादा को दी हुई सौगात वापस तो नहीं लेंगे ना! बापदादा समझते हैं कि कारोबार में आते हैं तो कहाँ-कहाँ ऐसे सरकमस्टांश बनते हैं, कईयों ने रिजल्ट में भी लिखा कि तेज आवाज हो जाता है। मूड में थोड़ी तेजी आ जाती है। लेकिन जब ऐसी बातें सामने आती हैं तब ही तो विजयी बनने का चांस है। बातों का काम है आना लेकिन आपका नॉलेज है बातों से पार हो विजयी बनना। तो पसन्द है? क्रोध को विदाई देंगे सदा के लिए या तीन मास के लिए? कितना समय की हिम्मत है? जो समझते हैं सदा के लिए क्रोध जीत बनना मुश्किल नहीं है, होना ही है वह हाथ उठाओ। होना ही है। अच्छा। बापदादा खुश है क्यों? आपके लास्ट जन्म में भी आपकी महिमा क्या गाते हैं? आपके देवता रूप के आगे आपकी महिमा सर्वगुण सम्पन्न, सम्पूर्ण निर्विकारी यह गाते हैं। तो आपका यह बनने का पार्ट अभी संगमयुग का ही गायन है। बापदादा के दिल की विशेष आशा है बतायें? कांध हिलाओ बतायें? बापदादा अभी से, अभी से हर एक बच्चे को सदा खिला हुआ गुलाब का पुष्प देखने चाहते हैं। खुशनसीब, खुशनुमा। बातों का काम है आना, यह भी समझ लो। बातें आयेंगी लेकिन अपना लक्ष्य लक्षण में लाना है। घबराना नहीं। तो जैसे अभी कहते हैं कि ब्रह्माकुमारियां पवित्रता का बहुत पाठ पढ़ाती हैं, ऐसे प्रसिद्ध हो कि ब्रह्माकुमारियां क्रोधमुक्त बनाती हैं क्योंकि क्रोध से मुक्त होना सब चाहते हैं। तनाव होता है ना! तो तनाव पैदा होता है इसलिए सभी चाहते हैं लेकिन उन्हों को विधि नहीं आती है। जैसे पवित्र बनना असम्भव समझते थे लेकिन अभी आप सबके अनुभव के आधार से समझते हैं कि हो सकता है। ऐसे अभी इस वर्ष यह लहर फैलाओ कि क्रोध जीत बनना हो सकता है, कोई मुश्किल नहीं है। ऐसा एक्जैम्पुल के अनुभव प्रैक्टिकल में स्टेज पर लाओ। बापदादा ने देखा है कि बहुत बच्चे कार्य करते भी क्रोध जीत बने हैं। ऐसे दृष्टान्त आपके परिवार में, ब्राह्मण परिवार में बने हैं। तो इस वर्ष क्या करेंगे? होली मनाने आये हो ना! तो होली में क्या करते हैं? कुछ जलाते हैं ना! तो आज की होली में आप क्या जलायेंगे? क्रोध का तो कर लिया, इसको पक्का करेंगे! लेकिन बापदादा ने देखा कि तनाव में आने का कारण देह अभिमान का ‘मैं’ शब्द है। देहभान का ‘मैं’, एक है मैं आत्मा हूँ - यह ‘मैं’ है, लेकिन देहभान का मैं शब्द अभिमान का भी होता, अपमान का भी होता और दिलशिकस्त का भी मैं-मैं नीचे गिराता। तो आज क्रोध जीत में आगे बढ़ने के लिए बॉडी कान्सेस का मैं इसको योग अग्नि में जलाओ। अनेक मैं-मैं को जलाओ और एक मैं आत्मा हूँ, इस ‘मैं’ शब्द को पक्का करो और बाकी ‘मैं’ आज योग अग्नि में जलाके जाओ। अनेक मैं है ना। तो आज जलाने की होली मनायेंगे! क्योंकि क्रोध का कारण तनाव बहुत होता है। तो इस ‘मैं’ को समाप्त करने के लिए आज अपने अन्दर संकल्प लो। जलाना है क्योंकि यह भी तो बोझ है ना। तो ट्रेन में जाओ, प्लेन में जाओ तो यह बोझ यहाँ जलाके जाओ। जला सकते हो? जो समझते हैं हिम्मते बच्चे मददे बाप साथ है ही, तो विजय भी साथ है, जो यह सोचते हैं कि मुझे विजयी बनना ही है, वह हाथ उठाओ। बनना ही है अच्छा। जो आज वी.आई.पी आये हैं वह हाथ उठा रहे हैं। जो वी.आई.पी आये हैं उठो, खड़े हो जाओ। हाथ उठा रहे हैं। ताली तो बजाओ। विजयी बनेंगे? देखो। जो भी विजयी बनेंगे, उस एक-एक को माला पहना रहे हैं। मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा। हिम्मत वाले अभी जो भी वी.आई.पी आये हैं हिम्मत वाले हैं इसीलिए बापदादा वरदान दे रहे हैं। इस समय आप जो भी वी.आई.पी किसी भी कार्य में बने हो एक जन्म के लिए लेकिन बापदादा आप हिम्मत वाले बच्चों को अब वी.आई.पी नहीं कहेंगे, बच्चे कहेंगे। बापदादा यह वरदान देते हैं, गैरन्टी देते हैं कि आप सभी 21 जन्म वी.आई.पी बनेंगे। यह इलेक्शन, सेलेक्शन नहीं चलेगी। तो सभी सिर्फ एक बात छोड़ना नहीं, जैसे अभी सम्बन्ध में सम्पर्क में आये हो ऐसे इस ब्राह्मण परिवार के कनेक्शन को छोड़ना नहीं। जितना कनेक्शन रखेंगे उतना रिलेशन पक्का होगा और बाप का वरदान प्राप्त कर ही लेंगे। तो मंजूर है? कनेक्शन रखना मंजूर है? हाथ उठाओ। अच्छा। (बापदादा ने फूलों की माला उठाकर आगे बढ़ाई) यह माला आप सभी पहनना।

और आप सभी नये बच्चे वा रीयल गोल्ड बच्चे सदा बाप के आज्ञाकारी हो ना! तो आज इस मैं को जलाके ही जाना। जो पहले बारी आये हैं वह उठो। अच्छा। बापदादा पहले बारी आने वाले बच्चों को पहले बारी आने की पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। लेकिन जैसे अभी पहले बारी आये हो ऐसे ही पहला नम्बर फर्स्ट डिवीजन, पहला नम्बर में तो फिक्स है लेकिन फर्स्ट डिवीजन में आयेंगे, यह हिम्मत है, हाथ उठाओ जिसमें हिम्मत है? देखो सोच के उठाओ। अच्छा। तो लक्ष्य रखो कि हम लास्ट आये हैं लेकिन फास्ट जायेंगे क्योंकि समय का कोई भरोसा नहीं। अभी जो करना है वह तीव्र पुरूषार्थी बन कर लो क्योंकि बहुत समय का पुरूषार्थ आप सबको थोड़े समय में पूरा करना पड़ेगा। तो हिम्मत है? है हिम्मत? हाथ उठाओ। देखो फोटो निकल रहा है आपका। बापदादा ऐसे हिम्मत वालों को मुबारक देते हैं कि हिम्मत आपकी मदद बाप की। लेकिन हिम्मत नहीं हारना। अपने भाग्य का सितारा सदा चमकाते रहना क्योंकि इस जन्म का तीव्र पुरूषार्थ, पुरूषार्थ नहीं तीव्र पुरूषार्थ अनेक जन्मों का भाग्य बनाने वाला है इसलिए हिम्मत कभी नहीं हारना। बातें आयेंगी लेकिन बात महावीर नहीं है, आप सर्वशक्तिवान के बच्चे हो, आपके आगे बात क्या है! बात आती है और चली जाती है। जो चली जाने वाली है उसके पीछे अपनी तकदीर नहीं गंवाना। अच्छा बैठो।

तो सभी को बापदादा स्नेह से मुबारक दे रहे हैं, किस बात की? हिम्मत रखी है और बापदादा हर एक बच्चे के हिम्मत के संकल्प पर खुश है। तो होली मनाई? जलाने की होली तो मनाई। और परमात्म संग के रंग की होली भी मनाई। जलाई भी मनाई भी।

अभी बापदादा सभी बच्चों को एक ड्रिल कराने चाहते हैं। वह ड्रिल है, चारों ओर की परिस्थितियां हैं, कहाँ कोई परिस्थिति है, कहाँ कोई परिस्थिति है, ऐसे चारों ओर के परिस्थितियों के बीच में आप एक सेकण्ड में एकाग्र हो सकते हो? ऐसी प्रैक्टिस स्वयं में अनुभव करते हो? या समझो जिस समय आपको कारणे अकारणे किसी बात के प्रति व्यर्थ संकल्प का तूफान आ गया है, ऐसे समय पर आप अपने मन बुद्धि को एकाग्र कर सकते हो? यह एकाग्रता के शक्ति की ड्रिल समय पर करके देखी है? अगर ऐसे समय पर एक सेकण्ड में एकाग्रता की शक्ति कार्य में नहीं आती तो आगे चलकर ऐसी परिस्थिति बार-बार आयेगी। तो आज बापदादा सेकण्ड में फुलस्टाप अर्थात् एकाग्र स्थिति के अभ्यास पर अटेन्शन खिंचवाना चाहता है क्योंकि प्रकृति अपने भिन्न-भिन्न रंग दिखाने शुरू कर दिये हैं। चारों ओर क्या-क्या हो रहा है, वह आप सब ज्यादा जानते हो। तो ऐसे मन-बुद्धि को भटकाने वाली बातें आनी ही हैं, तो अभी यह प्रैक्टिस करो कि मन को बुद्धि को आप एक सेकण्ड में परमधाम में टिका सकते हो! अभी अपने को फरिश्ते रूप में टिकाओ। अभी अपने को मैं ब्राह्मण मास्टर सर्वशक्तिवान स्थिति में हूँ, इस मास्टर सर्वशक्तिवान स्थिति में स्थित हो जाओ। (बापदादा ने ड्रिल कराई) ऐसी प्रैक्टिस सारे दिन में जब भी समय मिले, बार-बार मन को एकाग्र करके देखो। जहाँ चाहो, जो चाहो वहाँ मन एकाग्र हो। पुरूषार्थ एक मिनट लगे, एक सेकण्ड में फुलस्टॉप क्योंकि ऐसा समय हलचल का अभी तैयारी कर रहा है इसलिए माइण्ड कन्ट्रोल -मन मेरा है, मैं मन नहीं, मेरा मन है तो मेरे के ऊपर मैं का कन्ट्रोल है? यह ड्रिल बहुत आवश्यक है।

तो सभी जो भी आये हैं, बापदादा को एक-एक बच्चा प्यारा है। क्यों? कैसा भी है लेकिन बापदादा हर बच्चे को कोटों में कोई आत्मा देखते हैं। चाहे पुरूषार्थ में कमज़ोर है लेकिन बाप का प्यारा बना है। दिल से कहते हैं मेरा बाबा इसलिए बाप का भी अति प्यारा है। सिर्फ बापदादा एक बात फिर से याद दिला रहा है कि अपना चेहरा सदा खुशनुमा, खुशी में चमकता रहे। बातें चली जायें लेकिन खुशी नहीं जाये। संगमयुग की खुशी परमात्म गिफ्ट है। तो होली अर्थात् कोई ऐसी बातें आवें तो याद करना कि होली मनाके आये हैं, जो होली बात हो ली, खुशी नहीं जाये। परमात्म सौगात, खज़ाना खुशी है।

बापदादा सदा कहते हैं यह स्लोगन सदा याद रहे खुश रहना है और खुशी बांटनी है। जितना बांटेंगे उतनी बढ़ेगी और खुशनुमा चेहरा चलते फिरते ऑटोमेटिक सेवा करता रहेगा। जो भी देखेगा वह यही सोचेगा क्या मिला है। तो आज होली की दिलखुश मिठाई है खुशी। सबने खाई? सदा खाते रहना। इसमें कोई बीमारी नहीं होगी। अच्छा।

सेवा का टर्न दिल्ली और आगरा ज़ोन का है:- दिल्ली वाले बड़ी दिल वाले क्योंकि दिल्ली राजधानी, अब की भी राजधानी और भविष्य में भी राजधानी। और दिल्ली में बापदादा की दिल की आशायें भी हैं और आशायें पूरी भी की हैं। सेवा के हिसाब से दिल्ली में भी सेवा हो रही है और आजकल जो बच्चों ने छोटे बड़े शहरों में उमंग से सेवा की है उसकी रिजल्ट में बापदादा खुश है। दिल्ली वालों पर भी खुश है। दिल्ली वाले अभी एक ऐसी कमाल दिखायें, बोलें? जो बापदादा की शुरू से एक बात रही हुई है कि दिल्ली वाले या कोई भी, लेकिन आज दिल्ली है गीता का भगवान कौन? इस बात को किसी भी विधि से ऐसा ग्रुप बनावे जो खुद कहे कि गीता का भगवान परमात्मा है, ऐसा पहले छोटा ग्रुप तैयार करके दिखावे। एनाउन्स नहीं करे लेकिन ऐसा छोटा ग्रुप, कई कनेक्शन वाले हैं, कई जज आते हैं, कई बड़े-बड़े कनेक्शन में आते हैं, उन्हों को समझाके उन्हों को तैयार करे, ग्रुप करे कि सचमुच भगवान कौन? यह हो सकता है? हो सकता है? नई बात करके दिखाओ। पहले ग्रुप तैयार करो जिसमें सभी पोजीशन वाले हों, भिन्न-भिन्न पोजीशन वाले हो, धार्मिक लोग भी हो, जज भी हो, वकील भी हो, साधारण पोजीशन वाले भी हो, ऐसा ग्रुप तैयार करो क्योंकि यह बात प्रसिद्ध होनी है ना! प्रत्यक्ष करनी ही है गीता का भगवान कौन? तो दिल्ली में सब प्रकार के लोग हैं और जहाँ धर्म स्थान हैं, वहाँ जाके भी अगर कोई ऐसे निकलें तो वह भी कर सकते हैं। एक ग्रुप तैयार करो।

बाकी बापदादा ने बच्चों का पुरूषार्थ और हिम्मत देखी कि बाप ने कहा बच्चों ने चारों ओर सेवा की धूम मचाई। इसके लिए बापदादा दिल से दुआयें दे रहे हैं कि बच्चों में उमंग उत्साह है और आगे भी और बढ़ता रहेगा। बाकी बापदादा ने समाचार सुना है अभी भिन्न-भिन्न प्रोग्राम दिल्ली में चल रहे हैं, बाप की सौगात जो बच्चों को मिली है, स्थान मिला है,(ओ.आर.सी.) उसको कार्य में ला रहे हैं। इसकी विशेष मुबारक दे रहे हैं। उमंग-उत्साह बच्चों में है, सिर्फ थोड़ा सा समय डाल देते हैं।

दिल्ली में बाप और जगत अम्बा दोनों ने सेवा की है। ब्रह्मा बाप ने भी सेवा की और जगदम्बा ने भी सेवा की है और जमुना का किनारा तो दिल्ली में ही है। राजधानी भी अपनी जमुना किनारे होनी है। तो दिल्ली वालों को सभी को स्थान देना पड़ेगा। दिल बड़ी है ना! बड़ी दिल। बापदादा हर स्थान के बच्चों की महिमा करते हैं वाह मेरे बच्चे वाह! तो दिल्ली के बच्चों की भी, टर्न है आपका तो विशेष बापदादा सेवा के सहयोग की, स्नेही बनान्ो की मुबारक हो, मुबारक हो। अभी यह करके दिखाओ। ऐसा कोई ग्रुप, जो भी ज़ोन हिम्मत रखे ऐसा ग्रुप बनाके लावे। जो निमित्त बने आवाज फैलाने का, जो रही हुई प्वाइंटस हैं उसको अभी करके दिखाओ। अच्छा है। बापदादा बच्चों की सेवा भी देखते रहते हैं तो सेवा भी हो रही है और सेवा के साथ स्व की स्थिति में आगे बढ़ने का उमंग भी अच्छा है। अच्छा है।

डबल विदेशी:- बापदादा ने सुना कि 90 देशों से आये हैं। तो बापदादा कहते हैं वाह डबल विदेशी वाह! सभी खुशी में तो उड़ते रहते हो ना! सेवा का उमंग और तीव्र पुरूषार्थ का उमंग, दोनों ही एक दो में सहयोगी बन दिलाते रहते हैं। बापदादा को मधुबन में आके हर ग्रुप को रिफ्रेश करना, हिम्मत बढ़ाना यह बहुत अच्छा लगता है और आजकल जो लहर फैलाई है, स्पेशल भùी करना, एकान्तवासी बनना, यह लहर बहुत अच्छा है। चाहे जनरल प्रोग्राम तो चलते हैं लेकिन यह छोटे-छोटे ग्रुप बनाकर जो स्व-उन्नति के लिए प्रोग्राम करते हैं यह उन्नति का साधन बहुत अच्छा है। टीचर्स ने भी किया है। अच्छा है। पाण्डवों ने भी किया है क्योंकि यह स्पेशल अटेन्शन जाता है, स्व के प्रति। तो मधुबन में जो रिफ्रेशमेंट करने उमंग से आते हैं, यह बापदादा को बहुत अच्छा लगता है। समय निकाला और समय का लाभ लेके जाते हैं। एक जनरल प्रोग्राम का लाभ, बापदादा से मिलने का लाभ और स्पेशल अपनी स्व-उन्नति का लाभ। वैसे बापदादा सभी तरफ वालों को यही राय देते हैं कि अपने-अपने यहाँ भी छोटे-छोटे ग्रुप को स्व-उन्नति का चांस देके अनुभव को बढ़ाओ। चाहे 5 का ग्रुप बनाओ, छोटे सेन्टर हैं। आजकल विशेष अटेन्शन फर्स्ट स्व-उन्नति। कन्ट्रोलिंग पावर। जो ड्रिल बताई एकाग्रता की शक्ति पर अटेन्शन। तो बापदादा देश वाले और विदेश वाले दोनों से अटेन्शन देने में सेवा में और स्व-उन्नति में अटेन्शन है, लेकिन और भी बढ़ाते जाओ क्योंकि बापदादा ने दो बातें बार-बार अटेन्शन में दी हैं एक अचानक और दूसरा बहुतकाल का पुरूषार्थ जमा होना चाहिए। हो जायेगा नहीं, हो रहा है नहीं, तीव्र है? अभी कोई भी धारणा में तीव्र है परिवर्तन कर रहे हैं, नहीं। अभी-अभी करना है। हो जायेगा नहीं। कभी नहीं, अभी। बाकी बापदादा डबल विदेशियों की वृद्धि को देख भी खुश है। हर एक कोशिश कर रहा है जो भी एरिया रही हुई है वह विदेश में भी पूरी करें। उल्हना विदेश में भी रहना नहीं चाहिए। हो रहा है बापदादा खुश है लेकिन और भी अगर कहाँ कोना रहा हुआ हो तो अटेन्शन देके वह भी उल्हना पूरा कर दो। कब शब्द नहीं बोलना, अब। तो बापदादा हर एक पर खुश है। अमृतवेले विदेश में भी चक्र लगता है। ऐसे नहीं सिर्फ मधुबन में या भारत में चक्र लगाते हैं। विदेश में चक्र लगाना बापदादा को कितना टाइम चाहिए? तो हर एक बच्चे के चार्ट को बापदादा चक्र लगाके देखते रहते हैं। प्यार भी है ना! प्यार है बच्चों का, बाप का भी तो क्या करेंगे? चक्र तो लगायेंगे ना! सभी जगह जाते हैं, ऐसे नहीं सिर्फ लण्डन अमेरिका, नहीं, सभी जगह चक्र लगाते हैं। और बापदादा की हर सीजन में विदेशी मिस नहीं होते, अभी यह जो रीति बनाई है, यह अच्छी बनाई है। रौनक है। बापदादा हमेशा कहते हैं मधुबन का बच्चे श्रृंगार हैं। तो डबल विदेशियों के आने से मधुबन का श्रृंगार हो जाता है। हाँ, ताली बजाओ। आप सभी को भी अच्छा लगता है ना! डबल विदेशी हर टर्न में आते हैं, हिम्मत रखते हैं। आज 90 देशों से आये हैं। बापदादा को बच्चों का प्यार देखके कुछ भी हो, सरकमस्टांश नहीं देखते, स्नेह को देखते हैं। तो यह 90 देशों से किससे आये हैं? स्नेह से। तो बापदादा खास जैसे डबल विदेशी कहते हैं वैसे सौगुणा मुबारक और दुआयें दे रहे हैं। अच्छा बैठ जाओ।

आई.टी. ग्रुप:- अच्छा है, बापदादा ने देखा है कि आई.टी. ग्रुप द्वारा बच्चों को भी लाभ मिला है, जो दूर बैठे सामने देखते हैं। और सेवा में भी टी.वी. द्वारा सन्देश अच्छे मिलते रहे हैं। सिर्फ इस डिपार्टमेंट को हर देश के टी.वी. ग्रुप को ऐसा उमंग उत्साह में लाना है जो देश की देश में भी सेवा हो, जैसे अभी एक स्टूडेन्ट द्वारा सेवा जहाँ तहाँ हो रही है, ऐसे हर ज़ोन में हर बड़े स्थान में जहाँ सन्देश पहुंच सकता है, वहाँ भी इसका फायदा लेना चाहिए। जहाँ तहाँ प्रोग्राम चलते हैं वह भी दिखा सकते हैं, अपनी एरिया में। जो अपनी एरिया के साधन होते हैं, अच्छी बातें फैलाने की, वह भी हर देश कर रहा है, या नहीं कर रहा है उसकी भी चेकिंग होनी चाहिए। बाकी साधन अच्छा है। कर भी रहे हो, लेकिन बढ़ाते चलो। ऐसे अट्रेक्शन के प्रोग्राम बनाते रहो और चारों ओर भेजते रहो तो चारों ओर फैलता जाए। बाकी बापदादा खुश है कि दिन प्रतिदिन इस डिपार्टमेंट को भी कायदे में ला रहे हैं और आगे बढ़ता रहेगा, यह बापदादा को खुशी है। अच्छा है। आपस में मीटिंग की, उमंग उल्हास बढ़ाया, ऐसे ही उमंग उत्साह, समाचार की लेन देन बढ़ाते रहो। अच्छा है, मुबारक हो। अच्छा।

बापदादा फिर से इशारा दे रहे हैं कि स्व पुरूषार्थ, स्व पुरूषार्थ से स्व उन्नति और सेवा की उन्नति दोनों तरफ अटेन्शन देते रहो, आगे बढ़ते रहो और सदा उड़ते रहो, उड़ाते रहो। अच्छा।

चारों ओर के बापदादा के स्नेह में समाये हुए याद और सेवा में आगे से आगे बढ़ने और बढ़ाने वाले, अमृतवेला सबसे अच्छा पावरफुल बनाने वाले और मन्सा सेवा द्वारा रहमदिल, दयालु, कृपालु बन आत्माओं को कुछ न कुछ अंचली देने वाले अपने इस विधि को आगे बढ़ाते चलो। बापदादा देखते हैं कि हर एक बच्चा उमंग उत्साह में रहता है लेकिन अभी एडीशन क्या करो? सदा शब्द एडीशन करो। कभी-कभी शब्द डिक्शनरी से निकाल दो। तो चारों ओर के बच्चों ने होली भी मनाई, जलाई भी और संग का रंग भी लगाया, बीती सो बीती की होली भी मनाई, इसीलिए बापदादा चारों ओर के बच्चों को सम्मुख दिल में देख रहे हैं। बापदादा की पदम पदम गुणा यादप्यार और नमस्ते।

दादियों से:- बाबा के, ड्रामा के बंधन में बंधे हुए हैं। अच्छा है एक दो में राय करके हाँ जी, हाँ जी करते खुद भी उड़ते रहो और सभी को उड़ाते रहो। अच्छा।

मोहिनी बहन से:- प्यार से आगे बढ़ती रहती हो। (बीच-बीच में तबियत बिगड़ जाती है) वह गलती से होता है। अपने कुछ टाइम का नीचे-ऊपर हो जाता है बाकी बापदादा मददगार है। जो हो चुका है उसको थोड़ा सुधारने में टाइम लगता है, पुराना शरीर है। हो जायेंगी। सिर्फ दिनचर्या और दवाई एक्यूरेट टाइम पर करते रहो क्योंकि अभी कुछ समय आपको दवाईयों का आधार लेना पड़ेगा, हो जायेगा।

सभी के सिर पर हाथ है, यह तो एक के ऊपर रखा, लेकिन आप सभी के सिर के ऊपर बाप का हाथ है।

परदादी से:- यह तो ब्राह्मण जीवन का इनको सौगात है कि सदा हर्षित रहती है। कुछ भी हो लेकिन हर्षित रहती है। उड़ती रहती, नाचती रहती। पेशेन्ट नहीं है लेकिन उड़ती कला वाली है।

निवैर भाई से:- आपको भी सदा की, हर घड़ी की मुबारक

बृजमोहन भाई से:- सेवा में बिजी रहते हो अच्छा है।

रमेश भाई से:- अच्छा है गवर्मेन्ट के कायदे तो बदलते हैं लेकिन आप अपने ब्राह्मण परिवार के जो भी सहज हो सके, सहज, सहज कर चलते चलो, चलाते चलो। अपने डिपार्टमेंट को सहज बनाते जाओ। तो सभी खुशी-खुशी से सहयोगी बनते रहें क्योंकि यज्ञ का कार्य आपके डिपार्टमेंट के ऊपर आधारित है। तो ऐसे सहज कर दो, भले मुश्किल हो, गवर्मेन्ट तो मुश्किल करेगी, लेकिन मुश्किल को भी सहज विधि ढूंढकर सहज चलाते चलो। बाकी गवर्मेन्ट तो अपना काम करेगी, आप अपना काम करो। अच्छा है। (बजेट में)वह तो आयेंगी। उन्हों का काम वह तो करेंगे ना। और हम अपना काम करें। वह राईट हैं अपने काम में, उन्हों की प्राबलम हैं ना। पाण्डव गवर्मेन्ट की प्राबलम नहीं है, खुशी खुशी से।

भूपाल भाई से:- कारोबार ठीक है? (पानी की दिक्कत है) यह पानी की ट्रक्स थोड़ी बढ़ा दो ना। वह तो अभी की सीजन है। बाकी स्टॉक करो, स्टॉक को बढ़ाओ। स्थान को, ट्रक्स को बढ़ाने से सहज हो जायेगा। तो स्थान भी बढ़ाओ, ट्रक्स भी बढ़ाओ, स्टॉक भी बढ़ाओ।

विदेश की बड़ी बहिनों से:- बहुत अच्छा ग्रुप बनाके पुरूषार्थ में आगे बढ़ा रहे हो। बापदादा को तो मधुबन की यह सीजन बहुत अच्छी लगती है। एक साल के लिए डोज मिल जाता है। यह भùी का अनुभव बहुत अच्छा है। आपस का ग्रुप बनाया है ना, यह अच्छा है। हर साल नया नया कुछ करते जाओ। (बहरीन में अच्छी सेवा चल रही है) साइलेन्स की तरफ जितना अटेन्शन खिंचायेंगे अच्छा है। (जयन्ती बहन से) अच्छा कर आई मुबारक हो।

हैदराबाद शान्ति सरोवर में नया हाल बना है, जिसका उद्घाटन बापदादा बटन दबाकर कर रहे हैं:-इस स्थान से सेवा बढ़ेगी, बहुतों को सन्देश मिलेगा। सिर्फ आपस में जल्दी जल्दी मीटिंग करते रहो अभी क्या करना है, अभी क्या करना है, यह प्लैन बनाते रहो, प्रैक्टिकल लाते रहो। पाण्डव और शक्तियां दोनों ही मिलकर प्लैन बनाओ आगे क्या करना है, आगे क्या करना है। एक पूरा हो दूसरा करो फिर यह स्थान काम में आ जायेगा।