31-12-10   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘पुराने वर्ष को विदाई देने के साथ पुराने संस्कारों को विदाई दे निर्विघ्न रहने का दृढ़ संकल्प लो और रहमदिल मास्टर दाता बन मन्सा सेवा द्वारा दु:खी अशान्त आत्माओं को सहारा दो’’

आज बापदादा चारों ओर के बच्चों को नया वर्ष और नई दुनिया की मुबारक देने सूक्ष्म वतन से स्थूल वतन में मुबारक देने आये हैं। सभी बच्चे भी स्नेह और प्यार से अपने मधुबन घर में पहुंच गये हैं। दुनिया वाले तो सिर्फ न्यु वर्ष मनाते हैं जो एक दिन का होता है आप लोग नई दुनिया का संगम पर सदा मनाते रहते हो। आपके सामने नई दुनिया नयनों में सदा समाई हुई है। याद करो और पहुंच जाओ। आंखों में समाई हुई है ना! अनुभव होता है कि अभी-अभी संगम पर हैं आज संगम पर हैं और कल अपने राज्य में गये कि गये! ऐसे नयनों में स्पष्ट दिखाई देती है। दुनिया वाले तो एक दो को एक दिन की मुबारक देते हैं लेकिन आपको बापदादा ने गिफ्ट में गोल्डन वर्ल्ड दी है जो काफी समय चलने वाली है। ऐसी नयनों में समाई हुई है जो एक सेकण्ड में पहुंच सकते हो। सबके सामने अपनी गोल्डन दुनिया नयनों में समाई हुई है। एक सेकण्ड में पहुंच सकते हो ना! आज संगम में हैं कल राज्य अधिकारी बन राज्य करेंगे।

अभी समय अनुसार जानते हो कि आप पूर्वज के भक्त लोग दु:खी और अशान्त होने के कारण आप पूर्वज आत्माओं को कितना पुकार रहे हैं। आवाज सुनने आता है कैसे दु:ख अशान्ति से पुकार रहे हैं? हमें शान्ति दे दो सुख दे दो खुशी दे दो। आवाज सुनने आता है? दो दो ... तो अभी आप आत्माओं को रहमदिल कल्याणकारी दाता के बच्चे रूप में आत्माओं को मन्सा सेवा द्वारा देने का कार्य करना है। बापदादा को तो बड़ा तरस पड़ता है इन दु:खी अशान्त आत्माओं पर। आपको भी तरस पड़ता है ना! (खांसी आई) आज ब्रह्मा बाप की खांसी आ गई है। तो आपको भी आत्माओं के ऊपर तरस पड़ रहा है ना! अभी इस वर्ष में क्योंकि आज के दिन वर्ष नया आ भी रहा है और पुराना वर्ष जाने वाला भी है। तो जाने वाले वर्ष में आपने क्या प्लैन बनाया है? वर्ष तो जायेगा लेकिन आप सबने अपने लिए वर्ष के साथ क्या विदाई देंगे? जैसे वर्ष विदाई लेगा वैसे आप अपनी जीवन में क्या विदाई देंगे? और नया क्या भरेंगे? सदा के लिए विदाई देंगे वा थोड़े समय के लिए? क्योंकि बापदादा ने इशारा दिया है कि अब तक जो पुराने संस्कार रहे हुए हैं उन संस्कारों को मन में देखकर जानकर समाप्त करना ही है। बापदादा को यह पुराने संस्कार पुरूषार्थ में विघ्न रूप दिखाई देते हैं। बच्चे एक तरफ कहते हैं बाबा ही मेरा संसार है फिर पुराने संस्कार कहाँ से आये? संसार ही बाप है तो यह पुराने संस्कार जो पुरूषार्थ में विघ्न डालते हैं यह खत्म होना चाहिए ना! अमृतवेले जब सब रूहरिहान करते हैं तो बाप ने देखा सब अपना पोतामेल देते हैं तो अब तक पुराने संस्कार ही पुरूषार्थ को ढीला करते हैं। तो आज के दिन वर्ष को विदाई देते हुए इन संस्कारों को भी विदाई दे सकते हो? दे सकते हो? हाथ उठाओ। देना पड़ेगा। हाथ उठाना तो बहुत सहज है लेकिन मन का हाथ उठाना है। उठा रहे हैं। पुराने संस्कार को सदा के लिए.. हाथ उठा रहे हो। फिर से उठाओ। अच्छा। बापदादा को मैजारिटी बच्चों ने हाथ उठाकर खुश कर दिया। बापदादा को यही खुशी है कि हिम्मत वाले बच्चे हैं। जहाँ हिम्मत है वहाँ बापदादा का सदा सहयोग है। तो अभी जब हाथ उठाया है तो हर छोटा बड़ा बाप के स्थान सदा के लिए निर्विघ्न हो गये ना! क्योंकि बापदादा के पास जो रिजल्ट आती है उसका कारण पुराने संस्कार होते हैं। तो आज संस्कार संकल्प से समाप्त किया अर्थात् निर्विघ्न भव का वरदान लिया। लिया? वरदान लिया? हिम्मत का फल तो मिलता है ना! और बापदादा का वरदान मिला हुआ है कि एक कदम बच्चों के हिम्मत का और अनेक कदम बाप की मदद के हैं ही है। तो यह संकल्प आज से याद रखना हमने पुराने संस्कार दे दिये। अगर मानो आपके पास वापस आये तो क्या करेंगे? क्या करेंगे? वापस दी हुई चीज अपने पास नहीं रखी जाती है क्योंकि दे दी अर्थात् मेरी नहीं। तो जब मेरी नहीं तो अपने पास कैसे रख सकते? बाप को दिया तो बाप को ही देंगे ना। पक्का है ना दे दिया ना! पक्का? अभी दो-दो हाथ उठाओ। पक्का। पीछे वाले भी उठा रहे हैं।

बापदादा को यही खुशी है कि कलियुग में रहते भी जो बाप द्वारा प्राप्ति हुई है उसका अनुभव अब संगम पर करेंगे। दुनिया के लिए कलियुग है लेकिन आपके लिए संगमयुग अर्थात् सर्व प्राप्तियों का युग है। परमात्म प्राप्तियां सर्व शक्तियां सर्व गुण सर्व ज्ञान का खज़ाना जो प्राप्त है उसका प्रैक्टिकल अनुभव करेंगे। तो आज के दिन बापदादा जिन्होंने भी हाथ उठाया है उन सभी बच्चों को चाहे यहाँ सम्मुख बैठे हैं चाहे दूर बैठे देश विदेश में सुन रहे हैं उन सभी बच्चों को बहुत दिल से क्या दे रहे हैं? मुबारक तो दे रहे हैं लेकिन मुबारक के साथ सभी के मस्तक के ऊपर हाथ रख रहे हैं। आप भी बापदादा भी मन ही मन में डांस कर रहे हैं वाह बच्चे वाह! अभी आप भी मन में डांस कर रहे हो। बोलो हाँ जी।

अभी देखना टीचर्स। जो भी टीचर्स हैं वह हाथ उठाओ। फारेन की टीचर्स भी हैं ना! बापदादा को तो हर एव बच्चे का यह दृढ़ संकल्प सुन खुशी है कि अभी जो बापदादा चाहते हैं कि बाप समान बच्चों ने लक्ष्य रखा है सम्पन्न सम्पूर्ण बनने का उसमें यह निर्विघ्न रहने का दृढ़ संकल्प सम्पन्न समय को भी समीप लायेगा। बापदादा को यह भी खुशी है कि सभी बच्चों ने जो संकल्प किया है वह सम्पन्न करेंगे और जो दुनिया वाले दु:खी हैं अशान्त हैं उसकी मन्सा सेवा कर उन्हों को भी कुछ न कुछ सहारा देते रहेंगे क्योंकि बापदादा को बच्चों का पुकारना चिल्लाना सहन नहीं होता। है तो आपका भी परिवार ना! तो बहुत बढ़ रहा है दु:ख अशान्ति तो अब रहमदिल बनो। यह संकल्प भी साथ में करो कि चलते फिरते अमृतवेले आत्माओं की मन्सा सेवा भी अवश्य करेंगे यह संकल्प ले सकते हो? जैसे यह संकल्प लिया तो संस्कार को समाप्त करेंगे सदा के लिए सदा के लिए लिया है ना! थोड़े समय के लिए तो नहीं। तो जैसे संस्कार को समाप्त कर बाप समान बनेंगे ऐसे दाता के बच्चे बन मास्टर दाता स्वरूप से मन्सा सेवा भी करनी है। इसके लिए तैयार हो? मन्सा सेवा करने के लिए तैयार हो? हाथ उठाओ मन्सा सेवा भी करेंगे? सारे दिन में जो भी टाइम मिले उसमें मन्सा सेवा जरूर करना क्योंकि आप बच्चों को ही सुखमय संसार लाना है। बाप ने आप बच्चों को इसी सेवा के लिए राइटहैण्ड बनाया है। हाथ से दिया जाता है ना। तो आप बाप के राइट हैण्ड हैं। तो बापदादा आप राइट हैण्ड अर्थात् हाथों द्वारा सभी को यह सेवा दिलाने चाहता कि कुछ न कुछ देते रहो। वह चिल्ला रहे हैं दो-दो और आप दु:खियों को सुख दे परेशान को कुछ शक्ति दे करके पुण्य का काम करो। अभी आप बच्चे जो अपने आपको जाना बाप को जाना वर्से के अधिकारी बने तो दूसरों को भी बनाओ क्योंकि अभी सभी मुक्ति चाहते हैं। सभी को मुक्ति में भेज आप बाप के वरदान से राज्य अधिकारी बनेंगे इसलिए बाप यही हर बच्चे को संकल्प दे रहे हैं निर्विघ्न भव सेवाधारी भव। जो बच्चे बाप के बन गये हैं उन बच्चों को संगमयुगी ब्राह्मण जीवन का मजा अनुभव हो रहा है और होता ही रहेगा। जो अपने को चाहे नये आये हैं चाहे पुराने भी हैं लेकिन अपने को समझते हैं बाप के वर्से के अधिकारी हैं अतीन्द्रिय सुख में झूलते रहते हैं और आगे भी जो संकल्प किया है संस्कार पर विजयी बनने का संकल्प लिया है वह सभी आत्मायें कोटों में कोई बने हैं या कोई में भी कोई बने हैं? बच्ची ने कहा है ना जनक ने 108 की माला 16 हजार की माला का खास मिलन करो। तो आप जो समझते हैं कि हम 16 हजार या 108 इस माला में आने ही वाले हैं वह हाथ उठाओ।

नये नये भी उठा रहे हैं। मुबारक हो। निश्चयबुद्धि विजयी होते हैं। बापदादा भी जानते हैं कि जो निश्चयबुद्धि हैं वह आगे जा सकते हैं जायेंगे। अच्छा यहाँ बैठे हैं ना सामने। हाथ उठाओ जो पहली बारी आये हैं। सभी की तरफ से बापदादा आप लोगों को मुबारक दे रहे हैं। निश्चय जो किया है ना वह अमृतवेले सदा इसको रिवाइज करते रहना। अच्छा। बापदादा को बच्चों को देख खुशी होती है कि समय टूलेट के पहले अपने वर्से के अधिकारी बन गये। इसीलिए सर्व परिवार यहाँ आये हुए या अपने-अपने सेन्टरों पर रहने वाले सभी बच्चों की तरफ से भी बापदादा आप सबको मुबारक दे रहे हैं। अभी आप कमाल करना एक हिम्मत है बोलें? हिम्मत है? आप लोग पहले से ही निर्विघ्न रहना। निश्चय और नशा में नम्बरवन जाना। बापदादा को खुशी होती है कि पुराने तो पुराने हैं लेकिन नये थोड़े समय में कमाल दिखायेंगे। अच्छा।

अभी बापदादा चाहे नये हैं चाहे पुराने हैं सभी को एक सेकण्ड का कार्य देते हैं। सभी अभी-अभी एक सेकण्ड में अपने आपको और सभी संकल्पों से दूर कर एक सेकण्ड में अपने को बिन्दू रूप में स्थित कर सकते हैं। करेंगे? एक सेकण्ड में मैं बिन्दू हूँ कोई संकल्प नहीं बिन्दू हूँ। जिसने सेकण्ड में अपने को बिन्दू स्थिति में स्थित किया वह हाथ उठाओ। सेकण्ड में लगाया। अच्छा। अभी यह प्रैक्टिस 15 दिन सारे दिन में हर घण्टे में एक सेकण्ड में बिन्दू लगाओ यह प्रैक्टिस हर एक करना और वहाँ वातावरण में रहकर अपने कार्य में रहते चेक करना कि एक सेकण्ड में बिन्दू रूप में सफलता मिली? क्योंकि यहाँ तो वायुमण्डल भी है लेकिन अपने-अपने स्थान में रहते सेकण्ड में बिन्दू स्वरूप में स्थित हो सकते हैं यह अभ्यास करना क्योंकि बापदादा ने बता दिया है जितना आगे चलते जायेंगे उतना यह एक सेकण्ड में बिन्दू स्थिति में स्थित होने की आवश्यकता पड़ेगी। इसलिए अपने आपको ही चेक करना और अपने-अपने स्थान में रिपोर्ट टीचर को लिखकर देना। फिर टीचर्स द्वारा चाहे यहाँ हैं या नहीं भी हैं सभी के क्लासेज में यह होमवर्क है इसकी रिजल्ट बापदादा के पास आयेगी तो देख लेंगे इससे पता पड़ेगा कि आप 108 या 16 हजार की माला उसके अधिकारी हैं सेकण्ड में रोज की दिनचर्या में कितना सफल हुए उससे पता पड़ेगा कि आप किस योग्य हैं। क्योंकि अभी हाथ उठवायेंगे कौन अपने को समझते हैं प्रैक्टिकल धारणा में कि मैं 108 या 16 हजार की माला में आयेंगे। आप सिर्फ रिजल्ट लिखना उससे समझ जायेंगे क्योंकि दादियां मानो नाम देती हैं तो कोई समझेंगे हम भी आ सकते हैं ना इसलिए इस रिपोर्ट से पता पड़ जायेगा।

बापदादा पूछते हैं कि सदा सेकण्ड में जो रूप अनुभव करने चाहो वह कर सकते हो? सेकण्ड में? 5 स्वरूप जो सुनाये थे वह भी जब चाहो तो सेकण्ड में वह स्वरूप बन सकते हो? यह प्रैक्टिस करके अपने आपका मालूम पड़े कि मैं जो चाहूं उस स्थिति में सेकण्ड में रह सकता हूँ या टाइम लगता है। बाकी बापदादा खुश है कि हाथ उठाने में मैजारिटी हाथ उठाते हैं। अभी यह हाथ उठाया है लेकिन अभ्यास करते-करते यह ऐसा हो जायेगा जैसे अभी द्वापर कलियुग के अभ्यास में देह अभिमान में आना नेचरल हो गया है ऐसे जिस स्वरूप में भी स्थित होने चाहो वह ऐसा ही इजी हो जाए क्योंकि समय ऐसा आने वाला है जिसमें आपको इस अभ्यास की आवश्यकता पड़ेगी। तो यह अभ्यास हर एक अपने-अपने कार्य में होते करते रहो और रिजल्ट अपनी निमित्त टीचर्स को देते रहो। तो इस वर्ष की समाप्ति में यह प्रैक्टिस करते रहना। अपने आपेही करो अपना टीचर भी आप बनो लेकिन रिजल्ट दिखाने के लिए अपना चार्ट देते रहेंगे तो अटेन्शन जायेगा। ऐसा अनुभव करो जैसे हाथ को जहाँ चाहो ठहरे ठहरा सकते हो ना! ऐसे मन को जिस स्थिति में रहाने चाहो उस स्थिति में रहे। महामन्त्र भी यादगार में मनमनाभव है। मन की ड्रिल इसमें सफलता कितनी है वह अपना आप ही अनुभव करो।

बापदादा यही चाहते हैं कि एक-एक बच्चा अभी संगमयुग का सुख संगमयुग की प्राप्तियां हर प्राप्ति के अनुभवी बनें। अपने आपको चेक करना हर प्राप्ति हर शक्ति हर ज्ञान के राज़ को योग की हर विधि को धारणा में भी हर धारणा में अनुभवी बना हूँ? अपनी सारी चेकिंग करते रहो और आगे से आगे बढ़ाते रहो। तो आज बापदादा चेकिंग और प्राप्ति इसको चेक करने के लिए कह रहे हैं। कोई भी प्राप्ति में कम हो गये तो ड्रामानुसार परीक्षायें भी समय अनुसार वही आयेंगी इसलिए सब सबजेक्ट में सम्पन्न और सम्पूर्ण की चेकिंग करो और चेंज करो।

तो आज के दिन बापदादा आप सबके साधारण स्वरूप में भी आपके भविष्य का रूप प्राप्तियों का रूप देख रहे हैं। अच्छा। सभी तरफ के सिकीलधे बापदादा के दिलतख्तनशीन बापदादा के फरमानवरदार आज्ञाकारी तीव्र पुरूषार्थी बच्चों को बापदादा का बहुत-बहुत दिल का प्यार और बापदादा की मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो। बापदादा को भी बच्चों को देख खुशी होती है वाह वाह वाह! मेरे बच्चे वाह!

सेवा का टर्न इन्दौर जोन का है:- सभी इन्दौर निवासी सेवा और याद में लगे हुए हैं। बापदादा को खुशी है कि हर एक अपने-अपने पुरूषार्थ और प्राप्ति के अनुभव से आगे बढ़ रहे हैं और बढ़ते रहेंगे। हिम्मत अच्छी है इसलिए जहाँ हिम्मत है वहाँ हिम्मत का फल और हिम्मत का बल दोनों ही प्राप्त होता है। अभी आगे बापदादा यही चाहते हैं कि हर जोन कोई न कोई सेवा या अपनी स्थिति निर्विघ्न और पुरूषार्थ तीव्र करने वाले बाप के प्यारे हैं और आगे भी बाप के प्यारे बन बढ़ते रहेंगे। अच्छा है। इन्दौर की यही विशेषता है जो गवर्मेन्ट वहाँ की गवर्मेन्ट के पास कनेक्शन अच्छा है। अभी उन्हों को गवर्मेन्ट के निमित्त बने हुए कनेक्शन वाले उन्हों को सेवा में सहयोगी बनाओ। है भी कनेक्शन अच्छा उन्हों से सेवा कराओ। ऐसे कार्य के अर्थ साथी बनाओ जो उन्हों के सहयोग से लोगों के ऊपर प्रभाव पड़े सर्विस में साथी बनाओ। इच्छुक हैं लेकिन थोड़ा आगे बढ़ाओ। घरू बनाओ उन्हों को। आ सकते हैं। बाकी संख्या तो बहुत है। इन्दौर से जो आज पहली बार आये हो वह हाथ ऊंचा करो। इन्दौर वाले ऊंचा हाथ उठाओ। बाकी अच्छा है हर एक जोन अपने-अपने सेवा में सफलता पा रहे हैं और पाते रहेंगे। बापदादा हर बच्चे को देख खुश है। आगे बढ़ रहे हैं बढ़ते रहेंगे।

ज्युरिस्ट विंग:- अच्छा है ज्युरिस्ट विंग अपना कार्य कर भी रहे हैं और आगे भी करेंगे। अच्छा है। पहले भी ज्युरिस्ट विंग को बापदादा ने इशारा दिया था तो ऐसे कोई ज्युरिस्ट निकालो जो आपस में ग्रुप बनाके यह सिद्ध करे कि गीता का भगवान परमात्मा हो सकता है। ऐसे कोई ग्रुप बनाओ। जैसे धर्म वालों को कहा था तो थोड़ा-थोड़ा कोशिश तो की ऐसे ज्युरिस्ट विंग भी ऐसा ग्रुप बनाये जो सिद्ध करे कि गीता का भगवान कौन है? हो सकता है ना! हो सकता है? क्योंकि अब यह दो बातें दुनिया में प्रसिद्ध होनी चाहिए एक गीता का भगवान और दूसरा सर्वव्यापी नहीं है। यह दो बातें धीरे-धीरे प्रसिद्ध हो जाएं। जैसे अभी दुनिया में यह प्रसिद्ध हो गई है कि वास्तव में ब्रह्माकुमारियाँ मन की शान्ति मन की उलझन मेडीटेशन से दूर कर रही हैं। अभी धीरे-धीरे कोई भी मन में अशान्ति वाला समझता है कि ब्रह्माकुमारियों के पास इसका साधन अच्छा है। धीरे-धीरे प्रसिद्ध होता जा रहा है ऐसे यह दो बातें अथॉरिटी वालों के पास प्रसिद्ध हो जाएं। एक दो अगर सैटिस्फाय हो जाए और ऐसा बेफिकर होके कहे कि यह बात समझने की है तो धीरे-धीरे यह बात फैलती जाए। भाषण तो अभी कहते ही हैं कि ब्रह्माकुमारियों का भाषण प्वाइंट टू प्वाइंट होते हैं। सुनने आते हैं समझने लगे हैं। लेकिन मुख्य बात अभी इसका आवाज होना चाहिए। यह दो विशेष बातें हैं। इससे यह सिद्ध हो सकता है कि इनको यह सिखाने वाला कौन! तो ऐसा पुरूषार्थ करो जो सिद्ध हो जाए कि कोई अथ्ाॉरिटी है जो इन्हों को सिखाने वाला है। बाकी अच्छा है जब से यह वर्ग बनाये हैं तब से हर एक ने अपनी सेवा की जिम्मेवारी अच्छी उठाई है। हर एक वर्ग अपने-अपने सेवा में लगे हुए हैं इसलिए इस सेवा के निमित्त बने हुए बच्चों को बापदादा दिल से प्यार दे रहा है सदा आगे बढ़ते चलो। बाप को प्रत्यक्ष करने का नया-नया प्लैन बनाते रहो। अच्छा।

डबल विदेशी भाई बहिनें:- डबल विदेशियों को बापदादा की विशेष यादप्यार। बापदादा ने देखा कि गुप्त ही गुप्त में सेवा की वृद्धि अच्छी कर रहे हैं इसलिए बापदादा समझते हैं कि बाप से दिल का प्यार और नॉलेज का महत्व अच्छा हर एक बच्चे के अन्दर बढ़ रहा है इसलिए विदेशी बच्चे वृद्धि भी अच्छी कर रहे हैं और पुरूषार्थ में भी पहले से दिनप्रतिदिन आगे बढ़ रहे हैं। इसीलिए बापदादा दिल का प्यार और दिल में हिम्मत आगे बढ़ा रहे हैं। सन्तुष्ट है बापदादा। सेवा वृद्धि में कर रहे हैं आगे भी करते रहेंगे। बापदादा को चारों ओर के बच्चों की सेवा में वृद्धि प्राप्त हो रही है। अभी आगे क्या करना है? हर एक जैसे पुरूषार्थ में सेवा में आगे बढ़ रहे हैं वैसे अभी याद की सबजेक्ट में और आगे गुह्य अनुभवों को बढ़ाते चलो। कर्मयोगी का पाठ भी अच्छा बजा रहे हैं उसमें भी याद की यात्रा को और बढ़ाना है। याद की सबजेक्ट में और थोड़ा पावरफुल अनुभव को बढ़ाना यह एक दो को उमंग बढ़ाके इसमें नम्बरवन लेना है। बाकी रिजल्ट में वृद्धि में अच्छा है। अटेन्शन दिया है कि आसपास वालों को अटेन्शन खिंचवायें इसके लिए बापदादा सभी विदेश के बच्चों को मुबारक दे रहे हैं।

डबल विदेशी - चिल्ड्रेन रिट्रीट:- अच्छा सभी बच्चों को बहुतृबहुत याद और प्यार। (छोटे बच्चों ने गीत गाया) अच्छा उमंग उत्साह में हैं। अभी वहाँ जाके और सेवा भी करना और खुशी और योग दोनों को बढ़ाना। अच्छा है।

यूथ रिट्रीट - अच्छा है यूथ का परिवर्तन गवर्मेन्ट भी देखने चाहती है। तो यूथ वाले यह ग्रुप बनाओ। चाहे इन्डिया वाले भी मिलाओ लेकिन यह विशेषता दिखाओ कि संसार में तो दु:ख बढ़ रहा है लेकिन हमारे में शिवबाबा द्वारा खुशी बढ़ रही है। पवित्रता बढ़ रही है। कुछ भी हो जाए जो संकल्प लिया है कि खुद भी सदाचारी बन दुनिया में सदाचार फैलायेंगे उसी में खुद भी आगे बढ़ रहे हैं और दूसरों को भी यह अपनी जीवन बताके आप समान श्रेष्ठाचारी बना रहे हैं। तो यह देख गवर्मेन्ट भी खुश होती है कि इन कुमारों ने यूथ ने अपनी जीवन अच्छी बनाई है और आगे बढ़ाते भी जायेंगे। तो अभी धीरे-धीरे यूथ का भी प्रभाव गवर्मेन्ट तक भी पहुंच रहा है। तो जो दुनिया नहीं कर सकी वह आप करके दिखा रहे हो। दिखाते रहना आवाज फैलाना। अच्छा है। बापदादा को भी यूथ ग्रुप भविष्य कितना ऊंचा बना सकती वह देख खुशी होती है। बढ़ रहे हो बढ़ते चलो और बढ़ाते चलो।

इन्दौर होस्टेल की कुमारियां:- इन्दौर की कुमारियों ने भी प्रोग्रेस अच्छी की है। सेवाकेन्द्र में भी मददगार बनती हैं। बापदादा कुमारियों को देख खुश होते हैं कि यह कुमारियां खुद अपने को तो बचाया लेकिन औरों को भी दिनप्रतिदिन साथ दे उमंग हुल्लास में लाती रहती हैं इसलिए कुमारियां विश्व के आगे एक्जैम्पुल हैं। आप समान बनाती चलो। अपने को सेवा के निमित्त बनाती चलो। आपकी अच्छी प्रगति देख औरों में भी उमंग आता है। तो बाबा को अच्छा लगता है अच्छी हैं अच्छी बनाते आगे बढ़ती चलो।

दादियों से:- (पुराने साल के साथ सब कमी कमज़ोरियां भी परिवर्तन करेंगे) अभी देखेंगे कि अंश मात्र भी नहीं रहें। वह हर एक महसूस करे कि यह तो बदल गये हैं पूरे। यह देखने चाहते हैं सभी।

परदादी से:- यह मुस्कराती रहती है। भले बेड पर है लेकिन मुस्कराती अच्छा है। ऐसे ही सभी सदा मुस्कराते रहो। ठीक है तबियत। चलाना आ गया है। इसको भी चलाना आ गया है। अच्छी हिम्मत है। रूहानी हिम्मत है।

(मनमोहिनी वन में स्टुडियो बनाना है उसका नक्शा रमेश भाई ने बापदादा को दिखाया) अच्छा बनाया है शुरू करो लेकिन सम्भालना पड़ेगा। सभी साथ हैं हो जायेगा।

अच्छा - आज नया वर्ष शुरू हो रहा है तो सभी मधुबन के जो भी स्थान हैं चाहे ज्ञान सरोवर चाहे पाण्डव भवन चाहे यहाँ के शान्तिवन के जो भी निवासी हैं उन्हों को भी बापदादा खास यादप्यार दे रहे हैं क्योंकि जो पास रहते हैं वह सदा सेवा द्वारा अपने को आगे बढ़ा रहे हैं और बढ़ाते रहना क्योंकि वायुमण्डल यहाँ का आनंद लेने के लिए वायुमण्डल का सुख लेने के लिए बाहर से आके अनुभव करते हैं तो यहाँ रहने वाले ऐसे वायुमण्डल में रहने वाले कितने भाग्यवान हैं। बापदादा यही चाहते हैं कि हर एक बच्चा सदा बाप समान सबको खुशी दे और खुशी ले। यहाँ के वायुमण्डल का लाभ जो धारण करने चाहे वह कर सकते हैं। तो बापदादा आज रहने वाले भाग्यवान बच्चों को देख रहे हैं और खुश हो रहे हैं कि मिले हुए भाग्य को अपने कार्य में लगाकर आगे बढ़ते रहेंगे। बापदादा को सभी बच्चों को चाहे सेवाधारी चाहे समार्पित दोनों को देखकर खुशी होती है कि वाह बच्चे वाह! अपने प्राप्त हुए भाग्य को सदा सामने रखते हुए अतीन्द्रिय सुख में झूलते रहो और झुलाते रहो। बापदादा को हर एक के भाग्य पर नाज़ है। कॉमन बात नहीं है ड्रामानुसार यह भाग्य प्राप्त होना भी आपके जीवन का एक बहुत बहुत बड़े में बड़ी प्राप्ति है। बापदादा हर बच्चे को उड़ती कला वाला देखने चाहते हैं। उड़ रहे हैं लेकिन और उड़ती कला में आगे बढ़ो और औरों को साथियों को भी आगे बढ़ाओ। सबको नाम सहित विशेष नये वर्ष की बापदादा मुबारक दे रहे हैं।

हैदराबाद के वी.आई.पीज से:- बापदादा ने देखा कि यह ग्रुप जो आया है भाग्यवान ग्रुप है। आते ही उड़ती कला का अनुभव कर रहे हैं। धीरे धीरे चलने वाले नहीं उड़ान उड़ने वाले। भाग्य लेके ही आये हैं। बहुत अच्छा। अपने घर में पहुंच गये हैं। अपने परिवार में पहुंच गये हैं। कल्प पहले वाला भाग्य इन्हों को था अपना कल्प पहले वाला भाग्य आपने ले लिया। अच्छे हैं। अभी हैदराबाद को ऐसा बनाओ जो बापदादा दृष्टान्त देवे कि वी.आई.पी सर्विस अगर देखना हो तो हैदराबाद में देखो। अच्छा है।

नये वर्ष 2011 के शुभ आगमन पर बापदादा ने सभी बच्चों को बधाईयां दी

सभी को नये वर्ष की मुबारक हो। सारा साल निर्विघ्न और खुशमिजाज रहना। अपनी चलन और चेहरे से सबको खुशी और मुस्कराहट सिखाना। सदा उड़ना और उड़ाना। चलना नहीं उड़ना। उड़ती कला सर्व को प्रिय है। तो उड़ते उड़ते सन्देश देना। सब आपको देखकरके खुशी के झूले में झूलने लगे। हैपी हैपी हैपी न्यु ईयर।