02-03-11   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘इस बर्थ डे पर सभी एक दो को उमंग-उत्साह दिलाते सहयोगी बनते व्यर्थ संकल्प के अक का फूल अर्पण करो मास्टर सर्वशक्तिवान के स्वमान की सीट पर रह इसमें नम्बरवन का इनाम लो’’

आज आप सभी और साथ में चारों ओर के सर्व बच्चे अमृतवेले से लेके बड़े स्नेह भरी मुबारकें अपने प्रेम और खुशी की दे रहे हैं। तो बाप भी आप सभी सिकीलधे बच्चों को इस जयन्ती की मुबारकें देने आये हैं। एक-एक बच्चा बाप के लिए अति प्यारा दिल का दुलारा है। तो बापदादा अपने बाहों की माला से आप सबको मुबारकें दे रहे हैं। बापदादा देख रहे हैं आप तो सामने मुबारक दे भी रहे हो ले भी रहे हो। लेकिन चारों ओर के बच्चे कई स्थानों में मुबारकें दे रहे हैं और बाप भी देश विदेश सब तरफ के बच्चों को अति स्नेह पूर्वक मुबारकें दे रहे हैं।

बापदादा देख रहे हैं हर बच्चा खुशनुमा सूरत से प्यार के सागर में लहरा रहे हैं। बाप को खुशी है कि बाप अकेला नहीं आता है बच्चों के साथ ही आते हैं क्योंकि बाप आते ही हैं यज्ञ रचने। तो यज्ञ में कौन होते हैं? ब्राह्मण। इसलिए बाप अकेले नहीं आते लेकिन साथ बच्चों के आये हैं क्योंकि यही जयन्ती सब जयन्तियों से वन्डरफुल है। सारे कल्प में यह एक ही जयन्ती है जो बाप और बच्चों का साथ में जन्म होता है इसलिए इस जयन्ती को कहा ही जाता है हीरे तुल्य जयन्ती। बाप भी विशेष आदि रत्न बच्चों को विशेष मुबारक दे रहे हैं। तो आप सभी आज मुबारक देने आये हो वा लेने भी आये हो! बाप का कहना ही है साथ रहेंगे साथ उड़ेंगे साथ आयेंगे और ब्रह्मा बाप के साथ राज्य करेंगे। साथ रहने का वायदा है। आप भी क्या कहते हो? हम भी जहाँ बाप वहाँ साथ-साथ होंगे। यह है बच्चों का बाप से बाप का बच्चों से वायदा। कहाँ भी शरीर द्वारा रहते हैं लेकिन दिल में सदा बाप साथ है इसीलिए बाप को दिलाराम कहते हैं। यहाँ यादगार भी दिलवाला मन्दिर है। तो सभी के दिल में साथ में दिलाराम है ना! और बाप सदा बच्चों को कहते हैं कभी भी अकेले नहीं बनना। सदा साथ हैं साथ रहना ही है। अकेले होंगे तो माया अपना चांस लेती है और साथ है तो स्वयं लाइट हाउस साथ है उसके आगे माया दूर से ही भाग जाती नजदीक भी नहीं आ सकती है इसलिए बच्चों का बाप से बाप का बच्चों से सदा साथ का वायदा है। आप सभी का भी वायदा है ना! साथ हैं साथ रहेंगे। अच्छा लगता है ना साथ में। हाँ भले हाथ उठाओ।

बापदादा ने देखा हर बच्चा अमृतवेले बाप से बहुत दिल की बातें करते हैं। वैसे तो समय नहीं मिलता लेकिन अमृतवेले हर एक बहुत मीठी-मीठी दिल की बातें करते हैं और बाप भी हर एक बच्चे को दिल की बातें सुनकर सब बातों का उत्तर भी देते हैं। सभी को एक बात की बहुत खुशी है कि हम दिल से कहते मेरा बाबा तो बाप हाजर हो जाते। हजूर हाजर हो जाते। इसमें सिर्फ दिल की बात है। और कुछ करने की जरूरत नहीं दिल से कहा मेरा बाबा हजूर हाजर।

तो आज चारों ओर से बापदादा के कानों में मीठा गीत बज रहा था। कौन सा गीत? मेरा बाबा प्यारा बाबा मीठा बाबा। और बापदादा भी बच्चों के स्नेह में समाये हुए थे समाये हुए हैं। अभी बापदादा आपके स्नेह के दिव्य कर्तव्य को देख आपके भक्त वह भी कम बुद्धि वाले नहीं हैं। उन्होंने भी आपके यादगार की कॉपी बहुत अच्छी बनाई है। द्वापर में आये पहला पहला जन्म वैसे भी सतोप्रधान होता है क्योंकि परमधाम से आत्मा आती है। तो भक्तों के तरफ भी आज दृष्टि गई। तो कॉपी बड़ी युक्तियुक्त की है क्योंकि आपके शुरू-शुरू वाले विशेष भक्त जैसा आपका प्रैक्टिकल कर्म है वैसे ही उन्होंने भी यादगार की कॉपी अच्छी बनाई है। लेकिन आपका प्रैक्टिकल है उन्हों का यादगार है। जैसे आपने व्रत लिया कौन सा व्रत लिया? पवित्रता का। तो वह भी व्रत लेते हैं व्रत की कॉपी की है लेकिन आपका व्रत एक जन्म में लेने से अनेक जन्म वह व्रत चलता है। वह एक दिन के लिए पवित्र भी रहते और खान-पान भी शुद्ध रखते हैं। आपका 21 जन्मों का व्रत उन्हों का अल्पकाल के लिए है। ऐसे ही जागरण आप रोशनी में आये तो सारे विश्व के अन्दर अंधकार मिटाया। आधाकल्प अंधकार आ नहीं सकता। मन का अंधकार मिटाया और बाहर प्रकृति का दु:ख अंधकार मिटाया। वह भी कॉपी की है जागरण करते हैं। और बात आप बाप के ऊपर बलिहार गये बलि चढ़ गये। पूर्ण सरेन्डर हो गये तो उन्होंने भी कॉपी की है लेकिन अपने को नहीं करते अपने को बलि नहीं चढ़ाते हैं किसको चढ़ाते हैं? जानते हो ना! बकरे को चढ़ाते हैं। बकरे को क्यों ढूंढ़ा और किसको नहीं ढूंढा। सब हंस रहे हैं जानते हो। जो बाप आप बच्चों को बार-बार इशारा देता है मैं पन छोड़ निमित्त भाव धारण करो तो उन्होंने भी बकरे को ढूंढा है क्योंकि वह भी में में करता है। तो भक्तों की बुद्धि कमाल की तो है ना! आपके भक्त हैं ना। बाप के आपके भक्त हैं। इसीलिए बाप आपके भक्तों को भी जो सच्ची दिल से करते हैं उनको कुछ न कुछ फल दे देते। भक्ति का फल वह भी सदा सच्चे और सात्विक रहते हैं खुश रहते हैं। दु:ख में दु:खी नहीं होते हैं क्योंकि भक्ति सच्ची दिल से करते हैं। तो बाप भी आजकल आप बच्चों को यही इशारा देते हैं कि मैंपन नहीं लाओ। मैं जो कहता हूँ वही हो। मैं ही ठीक कहता हूँ वही होना चाहिए। यह मैं मैं एक साधारण है मैं शरीरधारी हूँ देहधारी हूँ लेकिन एक है साधारण मैं और दूसरी है महीन मैं उसमें बाप की देन को भी मैंने किया मैंने बोला मैं करता हूँ बाप की विशेषताओं में भी मैंपन आ जाता है। ज्ञान की समझ विशेषताओं की समझ उसमें भी महीन मैंपन आ जाता है। तो बाप इशारा देते रहते हैं कि मैं और मेरा सदा मेरा बाबा उसी तरफ दिल का लगाव हो। हद का मेरा मेरा नाम मेरा शान इसको समाप्त कर मैं बाबा का बाबा मेरा कितनी खुशी होती है। भगवान मेरा हो गया और क्या चाहिए! तो एक है साधारण मेरा एक है महीन मेरा। यह महीन मेरा मैला कर देती है और मेरा बाबा मालामाल कर देता है।

तो आज बर्थ डे मनाने आये हो। अपना भी बर्थ डे मनाने आये हो ना। बाप बच्चों के बिना कुछ नहीं करता। इसीलिए आज बाप बच्चों के जन्म उत्सव की मुबारक देने आये हैं वाह मेरे बच्चे वाह! अभी एक बात कहूं तैयार हैं! कहें? करना पड़ेगा। हाथ उठाओ करेंगे? डबल फारेनर्स करेंगे? टीचर्स करेंगे? अच्छा। तो आज बापदादा जैसे यादगार में शिव परमात्मा की यादगार में अक के फूल चढ़ाते हैं गुलाब के नहीं और कोई फूल नहीं चढ़ाते अक के फूल चढ़ाते हैं। तो आज बापदादा आपको कौन सी बात अर्पण करो वह होमवर्क देने चाहते हैं। तैयार हो ना! अच्छा।

यह तो बच्चों का बाप को बहुत अच्छा लगता है हाँ जी सब करते हैं। तो आज बर्थ डे पर बाप का यह संकल्प है कि सभी एक दो को उमंग उत्साह दिलाते हुए एक दो के सहयोगी बनते हुए व्यर्थ संकल्प का अक का फूल अर्पण करो। व्यर्थ संकल्प न करना है न सुनना है और न संग में आकर व्यर्थ संकल्पों के संग का रंग लगाना है क्योंकि व्यर्थ संकल्प जहाँ होगा वहाँ याद का संकल्प ज्ञान के मधुर बोल जिसको मुरली कहते हो वह शुद्ध संकल्प स्मृति में नहीं रहेंगे। चाहे मुरली सुनते भी हो पढ़ते भी हो वह तो आवश्यक है। ब्राह्मणों का नियम है लेकिन सुनने तक रहेगी। मन में मनन नहीं चलेगा। सोचेंगे कहेंगे आज की मुरली बहुत अच्छी थी। सोच रही हूँ क्या थी। वरदान भी बहुत अच्छा था लेकिन याद आ जायेगा...। व्यर्थ संकल्प मन बुद्धि को अपने तरफ आकर्षित करने वाले हैं। पता है आपको क्या कहते हैं बाप के आगे? बाबा इन्ट्रेस्टेड समाचार तो सुनना चाहिए ना। नॉलेजफुल बनना होता है लेकिन व्यर्थ बातें पद की प्राप्ति में नुकसान कर देंगी। तो क्या आप सभी व्यर्थ संकल्प का बाप से वायदा करते हो? आप कहेंगे हम तो नहीं चाहते लेकिन वह आ जाते हैं। चाहते नहीं हैं लेकिन आ जाते हैं। तो बाप को दृढ़ संकल्प से देने से पहले देना आता है? बाप को दे दिया। दी हुई चीज अगर आपके पास वापस भी आ जाए तो दी हुई चीज आप रखेंगे कि वापस करेंगे? अगर दी हुई चीज आप अपने पास रखते हो तो आपका टाइटिल क्या होगा? तो बाप को एक बार अपनी रूचि से दृढ़ता से दे दो। और चेक करो बार-बार दी हुई चीज हमारे पास वापस तो नहीं आई! दूसरे की चीज अपनी बनाना इसको अच्छा नहीं मानते हैं। तो रोज आराम के पहले आराम बाद में करना पहले चेक करना - आज सारे दिन में कोई भी व्यर्थ संकल्प आया तो नहीं? किया तो नहीं? दी हुई चीज वापस तो नहीं ले ली?

तो आज बर्थ डे की सौगात देने की हिम्मत है ना! है हिम्मत? हाथ उठाओ हिम्मत है। तो जहाँ हिम्मत है वहाँ बापदादा भी आपको सौगात देगा। आप दिल से मेरा बाबा दयालु कृपालु बाबा आप यह चीज ले लो। अगर दिल से कहेंगे तो बाप एकस्ट्रा गिफ्ट देगा। क्योंकि हिम्मत आपकी एकस्ट्रा मदद बाप देगा। जहाँ हिम्मत है वहाँ बाप की मदद अवश्य है ही यह तो अनुभव किया है ना क्योंकि बापदादा काफी समय से सूचना दे रहा है कि अब तीव्र पुरूषार्थ का रास्ता है तीन बिन्दु लगाना। बिन्दु हूँ बाप बिन्दु को याद करना है और बीती को बिन्दू लगाना फुलस्टाप बिन्दू है। जिसको बापदादा कहते हैं मनन करो बिन्दू बनना है बिन्दू देखना है और बिन्दू लगाना है इसलिए बिन्दु का बहुत महत्व है। आजकल के जमाने में भी बिन्दु का महत्व है। देखो पैसे गिनती करते हैं ना। आजकल सबका प्यार सबसे ज्यादा किससे है? पैसा। तो पैसा बढ़ता कैसे है? बिन्दू लगाते जाओ 10 को बिन्दू लगाओ 100 हो जायेगा। दूसरी बिन्दू लगाओ तो 1000 हो जायेगा। तो बिन्दू का महत्व है लेकिन असली बिन्दू कौन सा है वह भूल गये हैं। तो आज बाप को जन्म दिन की सौगात दी? दी? दिल से दी? क्यों क्या तो नहीं करेंगे। कैसे करूं क्यों करूं? यह कै कै की भाषा खराब है। क्यों करूं कैसे करूं क्यों क्यों कै कै नहीं करना। तो सौगात देने के लिए खुशी-खुशी से हाथ उठाया है या संगठन में मजबूरी से? क्योंकि मजबूरी से करने वाले का सदा नहीं होगा कभीव भी होगा। दिल से करने वाला करना ही है बनना ही है। सौगात दे दी देनी ही है। ऐसा खुशी-खुशी से संकल्प करेंगे तो आप सर्वशक्तिवान बाप के बच्चे मास्टर सर्वशक्तिवान के लिए क्या बड़ी बात है! सीट पर रहना मास्टर सर्वशक्तिवान की सीट पर सदा सेट रहना। भूलना नहीं। स्वमान है ना यह। स्वमान अपना छोड़ा नहीं जाता है। स्वमान के पीछे तो लड़ते हैं। तो इसीलिए आज बाप को प्यार आया कि छोटी सी बातों में अपना स्वमान परमात्मा द्वारा मिला हुआ स्वमान लोगों द्वारा मिला हुआ स्वमान उसमें भी कितना नशा रहता है यह परमात्मा द्वारा स्वमान मिला है मास्टर सर्वशक्तिवान। जो चाहे वह कर सकते हैं। है ना हिम्मत? कांध हिलाओ। हाथ नहीं हिलाओ कांध हिलाओ। हिम्मत है? टीचर्स। आपको कराना पड़ेगा ध्यान देना पड़ेगा। आप करेगी और अटेन्शन दिलाके करायेंगी। निमित्त हो ना। फिर देखेंगे कौन सा क्लास किसका क्लास नम्बर लेता है? फिर अच्छा इनाम देंगे। कौन सा इनाम देंगे वह नहीं बताते हैं। बढ़िया इनाम देंगे। क्लास का क्लास कोशिश करना। ऐसे नहीं एक ने किया नहीं। मैजारिटी करें।

तो आज बापदादा को एक-एक बच्चे के प्रति प्यार आ रहा है कि नम्बरवन में आवे। टू में भी नहीं। पहली राज गद्दी पर नहीं बैठेंगे तख्त पर तो दो बैठेंगे। लेकिन पहली राजधानी पहले राज घराने के सम्बन्ध में आवे। दो नम्बर तो हो गये लेकिन राज्य करना है राज्य अधिकारी बनना है तो पहले राज्य में आवे। तो बापदादा का यही बच्चों से प्यार है कि एक-एक बच्चा कोई न कोई विशेषता में नम्बरवन आवे। नम्बरवार नहीं नम्बरवन। है उमंग? नम्बरवन में आना है कि जो मिले सो अच्छा? अच्छा अच्छा नहीं करना। बाप की आशा है एक-एक बच्चा कोई न कोई कमाल में नम्बरवन आवे। चार सबजेक्ट हैं कोई न कोई सबजेक्ट में नम्बरवन बनना ही है। बनना ही है यह अन्डरलाइन करो। चलो ज्यादा मेहनत नहीं देते कोई न कोई सबजेक्ट में नम्बरवन। यह तो सहज है ना। बाकी आज के दिन एक-एक बच्चा जो भी मिलन मना रहे थे अमृतवेले। बड़ा खुशनुमा खुशी में हँसता हुआ खुशनुमा दिखाई दे रहा था। और बाप ने भी हर बच्चे को सदा उड़ती कला का वरदान दिया। चलती कला नहीं उड़ती कला। तो बापदादा का आज यह वरदान याद रखना। बापदादा ने आपके और अपने जयन्ती पर क्या वरदान दिया? उड़ती कला भव। आपने भी सारा दिन उत्सव शिवरात्रि उत्सव दिल में मनाया है ना। तो सभी अच्छे हैं अच्छे रहेंगे अच्छे ते अच्छा राज्य पद प्राप्त करेंगे। सभी अच्छे हैं ना! बाप तो अच्छा ही देखता है। अच्छा।

चारों ओर के चाहे सम्मुख बैठे हैं चाहे अपने-अपने स्थान पर बैठ मना रहे हैं सभी को बापदादा भी देखकर हर्षित हो रहे हैं और बच्चे भी बाप का मिलन देख खुश हो रहे हैं। लेकिन आज का संकल्प रखना सदा खुश। कभी-कभी वाला नहीं सदा खुश। कोई भी देखे आपके चेहरे को देख सोचे यह बहुत भाग्यवान आत्मा दिखाई देती है। आपका भाग्य चलन और चेहरे से दिखाई दे। ऐसे नहीं सिर्फ मन में बहुत है नहीं। आपका भाग्यवान चेहरा खुशनुमा चेहरा औरों को परिचय करायेगा। चेहरा बोलेगा कुछ है। आपका चेहरा सर्विस करे। बाप तक लावे। खुशनुमा रहना यह भी सेवा का साधन है। तो चारों ओर के बच्चों को आपके भी बर्थ डे की पदमगुणा मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो। अच्छा।

सेवा का टर्न इन्दौर जोन का है:- अच्छा। यह सब इन्दौर के हैं। इन्दौर वाले हिला रहे हैं! (5 स्वरूपों की निशानी हाथ में है) यह अच्छा बनाया है। हर एक को अलग देखने से मालूम होता है कि अपने टर्न पर यज्ञ से प्यार है क्योंकि बाप ने भी पहले आते ही यज्ञ रचा। यज्ञ का सदा आगे बढ़ना भरपूर रखना यही यज्ञ के प्यारे बच्चों का काम है। जैसे सेन्टर का चारों ओर से ध्यान रखते हैं ऐसे ही यज्ञ का ध्यान रखना हर एक बच्चे का कर्तव्य है। बापदादा ने अभी तक देखा कि इस टर्न लेने में सभी पास हुए हैं। कोई की भी कमी नहीं रही है। तो जैसे टर्न के टाइम यज्ञ का ध्यान रखा अनुभव किया अभी अपने सेन्टर पर रहते भी हर एक यज्ञ रक्षक है यज्ञ निवासी रहने वाले सिर्फ नहीं हर एक ब्राह्मण बच्चा यज्ञ प्यारा है यज्ञ रक्षक है। ऐसे अपने को जिम्मेवार समझकर सदा चलना। यह टर्न पूरा हुआ लेकिन वहाँ रहते भी ध्यान हो पूछते रहो। जैसे अभी टर्न में खरीददारी करके भी आते हो ना। ऐसे सदा यज्ञ का ब्राह्मण माना ही यज्ञ रक्षक। तो इतना हर एक ब्राह्मण को ध्यान रखना है। पहले यज्ञ फिर सेन्टर। अटेन्शन देते तो हैं बापदादा जानते हैं कौन-कौन किस प्रकार से अटेन्शन दे रहे हैं और बढ़ रहे हैं। बापदादा सिर्फ इशारा दे रहा है बाकी कर भी रहे हो आगे करते भी रहेंगे। आपका यह यज्ञ स्थान सभी आत्माओं को यज्ञ प्रसाद देने वाला है। तो आप सभी कौन हो? यज्ञ रक्षक कि सेन्टर रक्षक? यज्ञ रक्षक। बापदादा के साथी हो। बापदादा यज्ञ रक्षक है ना। आपका टाइटल क्या है? यज्ञ रक्षक हो ना। अच्छा कर रहे हो और भी अच्छा करते रहेंगे। तन मन धन सेवा चार चीजें हैं। तो यज्ञ रक्षक अर्थात् जैसे चार सबजेक्ट हैं ज्ञान योग धारणा सेवा। ऐसे यह भी चार सबजेक्ट हैं। बाकी बाबा के पास रिजल्ट आती रहती है। बापदादा सब रिजल्ट देखते हैं इन्ट्रेस्ट से देखते हैं। हर बच्चा क्या क्या करत भये..। अच्छा है। बापदादा के पास रिपोर्ट नहीं है लेकिन आगे के लिए भी इशारा दे रहे हैं। अच्छा।

यह क्या कमाल दिखा रहे हैं? कोई न कोई कमाल तो करते हैं ना! बापदादा ने सुना है कि सर्विस में भिन्न-भिन्न प्रोग्राम भिन्न-भिन्न विधियां निकालते हैं और उसको प्रैक्टिकल में ला रहे हैं। यह रिजल्ट तो सुनी। पास हो ना इसमें पास हो? हाथ उठाओ। नया-नया प्लैन बनाते हैं और उसको प्रैक्टिकल में लाते हैं। अच्छा है। ऐसे प्रैक्टिस करके अपने में फिर सभी को उस तरीके का अनुभव कराने के लिए कोई साधन बनाओ। अच्छा। बापदादा मुबारक दे रहे हैं। मुबारक हो मुबारक हो।

डबल विदेशी भाई बहिनें 60 देशों से 1100 आये हैं:- विदेशी बच्चों को भारतवासी देख के बहुत खुश होते हैं क्योंकि बाप का टाइटिल है विश्व कल्याणकारी। सिर्फ भारत कल्याणकारी नहीं तो जब देखते हैं ना तो विदेशी भी अभी इन्डियन संस्कार वाले हो गये हैं क्योंकि सतयुग में राज्य करने वाले हो ना। अधिकारी बनने वाले हो। तो जो बाप का परमात्म कल्चर है वह आपका बन गया है। इसके लिए खुश होते हैं कि हमारे ही भाई कहाँ से कहाँ चले गये भारत से सेवा के लिए चले गये। लेकिन हैं भारतवासी बीज। बीज आपका फॉरेन का नहीं है। पहला असली बीज भारत का है। इसीलिए कहाँ-कहाँ से निकलके भारत का एक कल्चर हो गया है। इन्डियन कल्चर नहीं परमात्म कल्चर। और सब खुशी-खुशी से। बापदादा ने देखा यहाँ इन्डिया में आके इन्डिया का खाना बनाना भी सीख जाते हैं। सामान लेके जाते हैं। तो बीज आपका वही है सिर्फ सेवा के प्रति इतनी भाषायें कौन सीखेगा! एक बारी में कितने देशों से आते हैं अभी इतनी भाषायें कौन सीखेगा? इसीलिए आपको भेजा है सेवा के लिए। असली भारत के हैं और भारत के कल्चर के बन गये हैं क्योंकि भारत में यहाँ परमात्म कल्चर चल रहा है। इन्डियन कल्चर नहीं परमात्म कल्चर। लेकिन बहुत खुशी से सीखते भी हो और चलाते भी हो। परिवर्तन करने में अपने को अच्छा निमित्त बनाया है। तो इसकी मुबारक। हमारे थे हमारे बन गये। याद है ना! भान आता है ना! हम इन्डियन नहीं लेकिन परमात्म कल्चर के थे और अभी लास्ट में आके बने हैं। चार-पांच जन्म सेवा के लिए वहाँ लिये हैं। जो यहाँ आते हैं वह बाबा के थे बाबा के बन गये। यज्ञ के थे यज्ञ के बन गये। कोई-कोई पूछते हैं हम थे कि नहीं थे। बाप कहते हैं सभी थे। अच्छे-अच्छे सर्विसएबुल बच्चे निकले हैं। बापदादा को संगठन मधुबन में करना यह बहुत अच्छी रीति लगती है। परिवार तो देखो कितना है। बड़े परिवार सुखी परिवार। वैसे अगर परिवार बड़ा होता है तो दु:ख होता है लेकिन सुखी परिवार बड़ा परिवार अच्छा लगता है। अच्छा लगता है ना परिवार। परिवार देखके खुशी होती है? थे ही यहाँ के ना। अच्छा। आज स्वहेज भी तो मनायेंगे ना क्योंकि अवतरण का दिन है ना।

दादियों से:- (दादी जानकी 4 दिन के लिए गुजरात टुअर पर जा रही हैं) हिम्मत है ना। संकल्प किया हुआ पड़ा है। (बाबा अंगुली पर नचा रहा है) इसीलिए चल रही हो। अच्छा।

मोहिनी बहन से:- इसको तो चलना ही है। साथ निभाना ही है। बेफिकर। सोचो नहीं। अच्छा है अच्छा होना है। सब अच्छा हो जायेगा। बस।

ईशू दादी से:- यह भी साथी है। (बापदादा ने अंगुली से सबके मस्तक पर तिलक दिया) बधाई का तिलक सभी को मिला। (टी.वी. पर देख रहे हैं) वह भी खुश हो रहे हैं।

(अंकल आंटी ने बहुत-बहुत मुबारक दी है) आप बाप की तरफ से तिलक देना। बाप दे रहा है वह तिलक अनुभव करे।

(प्रीतम बहन के भोग निमित्त कुलदीप बहन और परिवार आया है) उसने भी अच्छा पार्ट बजाया और सबकी दिल से सेवा की। परिवार लक्की परिवार है। जो निमित्त बाप था वह बचपन से परिवार कर बहुत हितकारी था। एक साइकिल पर 4 जने बिठाके मुरली सुनने आते थे। इतना लौकिक परिवार को प्यार कोई नहीं करता बहुत अच्छा उसका वरदान भी परिवार को है।

कुंज दादी ने याद दी है अहमदाबाद हॉस्पिटल में हैं:- उसको फर्क नहीं पड़ता है बार-बार होता है तो उसका कारण क्या? बड़ी उम्र तो कईयों की है। उसका इलाज हो रहा है? क्योंकि सर्विस वाली है ना। बाकी थोड़ा पूछ करके इसको थोड़ा चुस्त कर दो अभी बहुत टाइम बेड पर रही है। अच्छा।

सभी बापदादा के सिकीलधे सर्विसएबुल विश्व में चमकते हुए सितारे आज आपको भी बर्थ डे की मुबारक दे रहे हैं। बाप के साथ हैं साथ रहेंगे साथ चलेंगे साथ राज्य करेंगे। ब्रह्मा बाप का बहुत प्यार है। अकेला नहीं करेगा। तो सभी को पर्सनल एक एक को मुबारक हो। अच्छा।

बापदादा ने अपने हस्तों से झण्डा फहराया और सबको शिव जयन्ती की मुबारक दी

आप सबके तो दिल में बापदादा समाया हुआ है। लेकिन औरों को पता देने के लिए आपका बाप आ गया जो वर्सा लेना हो मुक्ति का या जीवनमुक्ति का आके ले लो यह खबर देने के लिए यह झण्डा लहराया जाता है। यह झण्डा लहराना भी विश्व की सेवा है। आकर्षण तो हो सब गीत गावें। आप सिर्फ नहीं गाओ। सब यह गीत गायें हमारा बाबा आ गया। अभी सेवा जल्दी जल्दी करो। समय कम है सेवा अभी रही हुई है। आपके पड़ोसी को भी पता नहीं भाग्य नहीं बनाया तो अडोसी-पड़ोसी सबको यह सन्देश दे दो आपका बाप आ गया। अभी जहाँ रहते हो ना वहाँ देखना हमारे आस पास कितने हैं जिनको बाप का पता नहीं किसी भी तरीके से नहीं आते हाथ में पर्चा नहीं लेते तो पोस्ट बाक्स में डाल दो सन्देश दे दो उल्हना नहीं रहे हमको पता क्यों नहीं दिया। कैसे भी किसी द्वारा भी यह सन्देश जरूर पहुंचाओ। सेवा सभी की रही हुई है। आपके मोहल्ले में सबको सन्देश मिला। नहीं मिला है तो कर लो। अचानक सब हो जायेगा फिर याद आयेगा हमने नहीं किया हमने नहीं किया। कर लो। समझा। जरूर करना। अच्छा।