31-12-11 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


‘‘नये वर्ष में तीव्र पुरूषार्थी भव के वरदान द्वारा अपने चेहरे से फरिश्ता रूप दिखाओ, लाइट माइट स्वरूप ज्वालामुखी योग से व्यर्थ को जलाओ, दु:खी अशान्त आत्माओं को शक्तियों का दान दो’’

आज ब्राह्मण परिवार के रचता अपने चारों ओर के परिवार को देख रहे हैं। है छोटा सा परिवार, छोटा सा संसार है लेकिन बहुत प्यारा है क्योंकि कोटों में से कोई है। क्यों प्यारे हैं? क्योंकि बाप को पहचाना है। बाप से वर्से के अधिकारी बने हैं। तो जैसे बाप प्यारे हैं वैसे यह ब्राह्मण परिवार भी प्यारा है। बापदादा ने जन्मते ही हर बच्चे के मस्तक में भाग्य के सितारे को चमकाया है इसलिए यह छोटा सा संसार अति प्यारा है। आप सभी भी अपना इतना स्वमान जानते हो ना! बापदादा भी एक-एक बच्चे को देख खुश होते हैं और क्या गीत गाते हैं? वाह बच्चे वाह!

आज तो सभी इस श्रेष्ठ दिन पर बाप से मिलने आये हैं। आज का दिन है संगम का दिन। विदाई भी है और बधाई भी है। वैसे भी संगम का महत्व है। जहाँ भी सागर और नदी का संगम होता है उसका बहुत महत्व होता है। तो आज के दिन का भी महत्व बहुत गायन योग्य है। पुराना वर्ष समाप्त और नया वर्ष आरम्भ होना है। आज के दिन सभी के दिल में आगे आने वाले वर्ष के लिए कितना उमंग है! हर एक ने अपने-अपने दिल में प्लैन बनाया है क्या छोड़ना है और क्या बनना है, दोनों ही प्लैन बनाया है? बनाया है? जिसने आने वाले वर्ष के लिए अपने आगे बढ़ने का, तीव्र पुरूषार्थ का प्लैन बनाया है वह हाथ उठाना। बनाया है! मुबारक हो। क्योंकि सब जानते हैं कि बापदादा हर बच्चे के लिए क्या चाहता है। बापदादा हर बच्चे के लिए यही शुभ भावना रखते हैं कि हर बच्चा बाप समान सम्पन्न और सम्पूर्ण बन जाये। अब तो समय भी साथ दे रहा है। तो हर एक ने अपने मन में अपने प्रति नया प्लैन बनाया है ना! कुछ छोड़ना है और कुछ आगे बढ़ना है। तो छोड़ना क्या है? बापदादा ने देखा कि पुराने संसार और सम्बन्ध में छोड़ने में सबका पुरूषार्थ पर अटेन्शन भी है। एक बात जो छोड़ने भी चाहते हैं लेकिन अब तक बापदादा ने देखा कि पुराने संस्कार उसको छोड़ने में थोड़ी मेहनत लगती है। तो बापदादा यही चाहते हैं कि इस नये वर्ष में हर एक बच्चा अपना निज़ी संस्कार का संस्कार कर ले। आप सब भी इसी संकल्प को पूरा करने चाहते हैं ना! क्योंकि पुराना संस्कार जिसको आप लोग कहते हो मेरी नेचर है, भाव नहीं है लेकिन नेचर है। तो नेचर इस जन्म के ब्राह्मण की नहीं है लेकिन पुरानी है। तो उस पुराने संस्कार का आज के दिन, हर एक अपने को तो जानते हैं तो आज वर्ष की विदाई के साथ-साथ उस पुराने संस्कार को छोड़ने का दृढ़ संकल्प कर सकते हो? कर सकते हो? चाहते भी हैं, ऐसा नहीं है कि चाहते नहीं हैं लेकिन फिर भी बार-बार पुरूषार्थ में तीव्रता लाने में वही संस्कार भिन्न-भिन्न रूप से विघ्न डालते हैं तो बापदादा यही चाहते हैं कि वर्ष को विदाई देने के साथ आज के दिन उसको भी विदाई दे दो। इसके लिए तैयार हैं, जो तैयार हैं वह हाथ उठाओ। इसके लिए क्या करेंगे? अपने लिए कोई प्लैन भी सोचा है? इसके लिए सबसे अच्छी बात है दृढ़ संकल्प। संकल्प है, होना चाहिए लेकिन संकल्प में तीव्रता चाहिए। जैसे ब्राह्मण बनने के साथ-साथ यह प्रतिज्ञा की कि कोई भी अशुद्ध भोजन स्वीकार नहीं करना है। तो बापदादा ने देखा इसमें दृढ़ संकल्प द्वारा मैजारिटी पास हैं। जैसे तन के लिए अशुद्ध भोजन का संकल्प किया और प्रैक्टिकल कर रहे हो, ऐसे ही मन के लिए यह दृढ़ संकल्प करना है कि कभी भी किसी के प्रति भी किसी भी सरकमस्टांश प्रमाण कोई भी व्यर्थ संकल्प न कर सदा हर आत्मा के प्रति शुभ भावना, शुभ कामना रखनी ही है। मन का भोजन है संकल्प, तो जैसे तन के लिए दृढ़ संकल्प मैजारिटी ने किया है, ऐसे ही क्या मन के लिए व्यर्थ संकल्प, अशुद्ध भावना मिटा नहीं सकते? हर आत्मा के प्रति दिल का स्नेह और सहयोग अपने मन में नहीं रख सकते हैं?

तो आज बापदादा इस पुराने वर्ष के साथ इस वृत्ति वा दृष्टि को हर बच्चे से विदाई चाहते हैं। यह दृढ़ संकल्प कर सकते हो? कर सकते हैं? बोलो, मातायें, टीचर्स, सब भाई भी चाहते हैं। हाँ हाथ उठाओ। कल से किसी भी आत्मा के प्रति अगर कोई भी व्यर्थ है, व्यर्थ भावना वा व्यर्थ भाव उसकी आज समाप्ति समारोह मनाने चाहते हैं। बोलो, टीचर्स सब तैयार हैं? टीचर दो दो हाथ उठाओ। उठाओ। अच्छा। जिन्होंने नहीं उठाया वह उठाओ। जिन्होंने नहीं उठाया वह थोड़ा सा उठके खड़े हो जाओ। अच्छा हैं! जो पुरूषार्थ करेंगे लेकिन दृढ़ संकल्प नहीं करेंगे, ऐसे हैं? जो उठे हैं वह लक्ष्य और पुरूषार्थ करेंगे तो हाथ उठाओ। क्योंकि समय का अटेन्शन रखें, यह सोचो कि सभी को इस संगम समय में भविष्य बहुत समय की सफलता प्राप्त करनी हैं। 21 जन्म का वर्सा लेना है। तो कहाँ यह एक जन्म और कहाँ 21 जन्म। तो इस एक जन्म में भी काफी समय अपना पुरूषार्थ तीव्र करना पड़े तभी बहुत समय की जो प्राप्ति करनी है, बाप से प्यार है ना तो साथ रहना है ना! नजदीक रहना है ना! ब्रह्मा बाप के साथी बनके राज्य अधिकारी बनना है ना! तो अब भी इतना समय बाप समान तो बनना पड़े। ब्रह्मा बाप का एक-एक बच्चे से कितना प्यार है वह तो जानते ही हो। हर एक कहता है मेरा बाबा। बाबा को जितना मेरे से प्यार है उतना किससे नहीं है, मेरे से प्यार है। तो यह प्यार, बापदादा दोनों का प्यार इस जन्म में ही अनुभव कर रहे हो। और जिससे प्यार होता है उसकी बात कभी भी टाली नहीं जाती है। तो ब्रह्मा बाप से सबका प्यार है, कितना प्यार है? बहुत प्यार है। चाहे दिखा नहीं सकते हैं लेकिन बाप जानते हैं कि प्यार सभी बच्चों का है, नम्बरवार है लेकिन प्यार है इसमें बापदादा भी सभी बच्चों को सर्टीफिकेट देते हैं कि प्यार है। प्यार तो है लेकिन बाप ने देखा कि कभी-कभी नटखट हो जाते हैं, तो बाप उस समय क्या करता? बाप देख-देख विशेष शक्ति देता रहता क्योंकि बाप यही चाहते हैं कि हर बच्चा राजा बच्चा है, दुनिया में जो लाडला बच्चा होता है उसको राजा बच्चा कहते हैं। होता राजा नहीं लेकिन कहते हैं राजा बच्चा लेकिन आप सभी बापदादा के अब भी राजा बच्चा हो और भविष्य में भी राजा बच्चा हो। अभी स्वमान है, स्वराज्य है। अभी आत्मा का राज्य सर्व कर्मेन्द्रियों के ऊपर है। तो स्वराज्यधारी अभी हो और विश्व राज्यधारी भविष्य में हो। तो राजा बच्चे हो ना! हैं तो कांध हिलाओ।

तो बापदादा आज अमृतवेले चारों ओर, चाहे विदेश चाहे देश, चारों ओर चक्र लगाने गये। तो क्या देखा? योग में अमृतवेले बैठते मैजारिटी हैं लेकिन स्नेह में बैठते हैं, बापदादा से बातें भी करते हैं, आत्मिक स्मृति में भी बैठते, बापदादा से शक्ति भी लेते हैं लेकिन अभी बापदादा आने वाले नये वर्ष में नवीनता चाहते हैं क्योंकि अभी समय दिनप्रतिदिन नाज़ुक आना ही है। तो ऐसे समय पर अभी ज्वालामुखी योग चाहिए। वह ज्वालामुखी योग की आवश्यकता अभी आवश्यक है। ज्वालामुखी योग अर्थात् लाइट माइट स्वरूप शक्तिशाली, क्योंकि समय प्रमाण अभी दु:ख, अशान्ति, हलचल बढ़नी ही है इसलिए अपने दु:खी, परेशान आत्माओं को विशेष ज्वालामुखी योग द्वारा शक्तियां देने की आवश्यकता पड़ेगी। दु:ख अशान्ति के रिटर्न में कुछ न कुछ शक्ति, शान्ति अपने मन्सा सेवा द्वारा देनी पड़ेगी। जो आपने इस समय की टॉपिक रखी है, एक परिवार। उसके प्रमाण जब एक परिवार है, तो अशान्त आत्माओं को कुछ तो अंचली देंगे इसीलिए बापदादा अगला वर्ष जो आया कि आया उसके लिए विशेष अटेन्शन खिंचवा रहे हैं कि अभी ज्वालामुखी योग की आवश्यकता है। ज्वालामुखी योग द्वारा ही जो भी संस्कार रहे हुए हैं वह भी भस्म होने हैं।

अभी आपकी एडवांस पार्टी के साथी आप सबसे यह चाहते हैं कि अभी समय को, समाप्ति के समय को सामने लाओ। अब रिटर्न जरनी याद रखो। आपकी दीदी याद दिला रही है कि मुझे सदा यह याद रहता था ‘‘अब घर जाना है’’, अब घर जाना है। आपकी दादी यही याद दिला रही है कि जैसे मुझे याद रहा अभी सम्पन्न बनना है, सम्पूर्ण बनना है, धुन लगी रही। तो आज विशेष अमृतवेले वतन में बापदादा से मिलन मनाते कह रहे थे कि अभी हमारे तरफ से, जो भी दादियां गई हैं सब मिलके कह रही थी अब ज्वालामुखी योग की बहुत आवश्यकता है, चाहे औरों को शक्ति देने के लिए, चाहे अपने ब्राह्मण परिवार को सम्पन्न बनाने के लिए। अभी समय को समीप लाने वाले आप निमित्त हो इसलिए आने वाले वर्ष में क्या करेंगे? विशेष क्या करेंगे? एक दो के स्नेही सहयोगी बन हर एक सेन्टर, सेवास्थान ज्वालामुखी योग का वायब्रेशन और कर्म में एक दो के स्नेही सहयोगी बन हर एक को आप अटेन्शन में रखते जो भी कमी है उसमें सहयोग दो। मन्सा द्वारा अन्य आत्माओं की सेवा करो और अपने सहयोग द्वारा ब्राह्मण साथियों की विशेष सेवा करो, तभी हम लोगों की दिल की आश पूरी होगी।

तो आज वतन में एडवांस पार्टी अगले साल के लिए आप सबको याद भी दे रही थी और अपने दिल की आशायें भी बता रही थी। तो बोलो, बापदादा का संकल्प तो सुना ही लेकिन साथ में अपने दादियों की भी अगले वर्ष के लिए शुभ भावनायें भी सुनी ना! बापदादा तो सभी बच्चों को चाहे कोई कमज़ोर है, चाहे तीव्र पुरूषार्थी है सबको तीन मुबारक दे रहे हैं - एक नव जीवन की मुबारक, दूसरी नव वर्ष की मुबारक और तीसरी नव दुनिया में साथी बन चलने की मुबारक।

बापदादा ने यह भी कहा कि सभी अपने अन्दर अपने लिए समय निश्चित करो कि कब तक अपने को बाप समान बनायेंगे। अपने अन्दर अपने लिए निश्चित करो। तो निश्चित करना आता है ना? बापदादा तो आज हर बच्चे को देख यही वरदान दे रहे हैं अगले वर्ष में हर बच्चा तीव्र पुरूषार्थी भव। अमृतवेले जब याद में बैठते हो और जब उठने का समय होता है उस समय बापदादा का यह वरदान अपने दिल में याद रखना तीव्र पुरूषार्थी भव। जैसे बापदादा ने दो बातें पहले ही अटेन्शन में दिलाई हैं क्योंकि संगम का समय अचानक समाप्त होना है। तो एक समय, दूसरा संकल्प, दोनों पर हर घड़ी अटेन्शन। बापदादा की यह भी हर बच्चे के प्रति शुभ भावना है कि हर बच्चा इस वर्ष में क्या बनें? क्या बनेंगे? जो भी आपके चेहरे में देखे आपके चेहरे से फरिश्ता रूप दिखाई दे। फलानी हूँ, फलाना हूँ नहीं। फरिश्ता अनुभव में आवे। इसके लिए ज्वालामुखी योग, कोई व्यर्थ नहीं। लाइट और माइट स्वरूप योग से व्यर्थ को जलाओ। समर्थ फरिश्ता नज़र आये। जिसको भी देखे, क्योंकि बाप के सिकीलधे बच्चे तो हो। बाप ने आपको खास कहाँ-कहाँ से चुन करके अपना बनाया है। तो लक्ष्य रखो मैं ब्राह्मण सो फरिश्ता हूँ। तो अमृतवेले अपनी दिनचर्या में यह याद रखना मैं ब्राह्मण सो फरिश्ता हूँ। चलते फिरते फरिश्ता रूप, फरिश्ता स्वरूप तो अच्छा लगता है ना! ब्रह्मा बाप फरिश्ता बना, फॉलो फादर।

तो इस वर्ष का वरदान जो दिया तीव्र पुरूषार्थी, साधारण पुरूषार्थ नहीं, साधारण पुरूषार्थ है तो राज्य के साथी नहीं बनेंगे। और बाप यही चाहता है जितने भी स्टूडेन्ट, बापदादा की मुरली अध्ययन करने वाले हैं, गॉडली स्टूडेन्ट हैं वह सबके सब क्या बनेंगे? फरिश्ता। सब बोझ उतर जायेगा। कोई भी संस्कार का बोझ समाप्त हो जायेगा। तो इस वर्ष का होमवर्क क्या रहा? फरिश्ता स्वरूप में रहना है, इसको ही कहा जाता है तीव्र पुरूषार्थ। अभी हर एक सेन्टर, हर सप्ताह, हर स्टूडेन्ट की रिजल्ट देखे की तीव्र पुरूषार्थी रहे? अगर कोई भी बात आई, उसके लिए सहयोगी बन करके, स्नेह से उनको हिम्मत दे और अपने सेन्टर को, स्टूडेन्ट को तीव्र पुरूषार्थी बनाये, हर सप्ताह रिजल्ट देखे क्योंकि समय हलचल का होना ही है।

तो आज के संगम दिन पर विदाई और बधाई के दिन पर चारों ओर के, जहाँ भी जो बैठे हैं बच्चे, बापदादा देख रहे हैं कैसे सभी साइंस के साधनों द्वारा देख भी रहे हैं और देख-देख कितने खुश हो रहे हैं। तो चारों ओर के बच्चों को बापदादा विशेष वरदान दे रहे हैं सदा सन्तुष्टमणि भव। सन्तुष्ट रहना, सन्तुष्ट करना। अच्छा।

सेवा का टर्न - ईस्टर्न, तामिलनाडु और नेपाल का है:- (15 हजार आये हैं) बंगाल:- बंगाल में सर्विस और साथ-साथ पुरूषार्थ हर एक अपना अच्छा कर रहे हैं और बापदादा हर बच्चे को देख खुश हो रहे हैं कि हर एक ने अपना भाग्य अच्छा बनाया है। सेवा भी हर एक यथा शक्ति कर रहे हैं, इसलिए बापदादा बच्चों को देख खुश है और बच्चे भी सदा खुश हैं भी और खुश रहेंगे।

सभी सेवाधारियों को खड़ा किया:- पौना क्लास तो इसी ज़ोन का है। बापदादा ने देखा तो सभी ज़ोन, जो भी हैं उनसे यह बड़ा ज़ोन है। एक ज़ोन में 5 छोटे-छोटे ज़ोन हैं। बापदादा को खुशी है कि बच्चों ने जो भी जहाँ निमित्त हैं उन निमित्त हुए बच्चों ने सेवा अच्छी की है। वृद्धि भी अच्छी की है क्योंकि बापदादा ने देखा कि इस एक ज़ोन में कितने छोटे-छोटे ज़ोन आ जाते हैं लेकिन सब निर्विघ्न, अपने पुरूषार्थ में सेफ हैं, उसकी बापदादा मुबारक दे रहे हैं और अगर कोई भी छोटी मोटी कमी हो तो आने वाले वर्ष में यह सभी 5 ही ज़ोन एकदम बापदादा के आगे सर्टीफिकेट भेजना कि हम सब निर्विघ्न, एवररेडी, तीव्र पुरूषार्थी हैं। यह रिजल्ट 5 ही छोटे-छोटे ज़ोन भेजना। बाकी बापदादा यह रिजल्ट देखके खुश हैं कि अपने टर्न में पौना क्लास तो आ गया है। तो इतनी वृद्धि है तब तो पहुंचे हो ना। कोई नये भी होंगे लेकिन नये बच्चे भी तीव्र पुरूषार्थी भव का वरदान ले तीव्र पुरूषार्थी बन औरों की भी सेवा, तीव्र सेवा कर भाग्य बनायेंगे तब सभी मानेंगे सचमुच यह आत्मायें तो सुखदाता के बच्चे सुखदाता हैं। बहुत बड़ा ज़ोन है, बापदादा खुश है। देखो, आप लोग टी.वी. में देखो पौना क्लास तो यही है। बापदादा स्पेशल इस ज़ोन को वरदान देते हैं कि सदा खुशनसीब, खुशनुमा आत्मायें हैं। अच्छा।

ज्युरिस्ट विंग:- बापदादा ने आपके मीटिंग की एजेन्डा देखी थी, बच्ची ने बताई थी तो अभी आगे जो बापदादा ने कार्य दिया है कि प्रसिद्ध करो गीता का भगवान कौन? अभी इस सेवा में लग जाओ। ग्रुप-ग्रुप बनाओ और उसकी रिजल्ट आनी चाहिए कि क्या-क्या विचार हुए। दिल्ली वालों ने भी अच्छा किया था। बृजमोहन बच्चे ने किया ना, आपने किया ना तो रिजल्ट क्या निकली? रिजल्ट निकली? बताओ। (धर्मगुरूओं के साथ ट्राई किया था, अभी ज्युरिस्ट विंग के साथ मिलकर इसे करेंगे) (मुम्बई मेले में 3 स्टाल गीता के भगवान के रखे थे) अच्छा। जो भी पुरूषार्थ किया है, वह कर तो रहे हैं लेकिन इसकी थोड़ी समरी बनाओ, सब इकठ्ठे होके, जिन्होंने भी थोड़ा-थोड़ा किया है वह अच्छा किया है लेकिन अभी इस प्वाइंट को विशेष अटेन्शन देके, क्योंकि अभी जो भी आपने यह 75 वर्ष का मनाया है, इसमें आपके साथी बहुत बने हैं। बड़े-बड़े परिचय वाले भी बने हैं इसलिए अभी इस प्वाइंट को अच्छी तरह से सिद्ध करो जैसे जगह-जगह पर यह जुबिली के फंक्शन विये हैं ना वैसे हर स्थान पर कुछ न कुछ ग्रुप बनाओ लायक हो ग्रुप, जो इस प्वाइंट को पुरूषार्थ करके आप लोगों को समाचार देते रहें और समाचार सुनके उनको आप लोग डायरेक्शन देते रहो। दो तीन को निमित्त बनाओ। इसकी कमेटी बनाओ। सिर्फ जज नहीं अगर कोई भी इसमें रूचि रखता हो और आप समझते हो कि यह कर सकते हैं तो ऐसा ग्रुप तैयार करो क्योंकि अभी सभी की बुद्धि में यह आ गया है कि ब्रह्माकुमारियां जो कर्तव्य कर रही हैं उससे ही कुछ बदल सकता है। इन फंक्शन से यह रिजल्ट निकली है इसलिए अभी इसी प्वाइंट को और थोड़ा अटेन्शन देके, ग्रुप बनाके कोई भी हो जज हो या कोई भी हो। जैसे यह बृजमोहन करता रहता है ना ऐसे ग्रुप बनाके रिजल्ट निकालो। और यह प्वाइंट आवश्यक है इससे ही परिवर्तन आयेगा। तो क्या करेंगे अभी? (अभी आपके यह डायरेक्शन जरूर पालन करेंगे)। अच्छा, जो भी विंग आये हैं उन सभी को बापदादा मुबारक दे रहे हैं।

डबल विदेशी ग्रुप:- (बच्चे और यूथ ग्रुप, बच्चों ने गीत गाया) बहुत अच्छा, बापदादा ने आप सबका यादप्यार भी देखा। आप सबकी याद और प्यार बाबा ने स्वीकार किया। अभी जिन्होंने भी यह ट्रेनिंग की है वह अपने अपने हमजिन्स को, बच्चे छोटे हैं तो छोटे बच्चों का ग्रुप बनाके लाना। बीच वाले हैं तो वह ग्रुप बनाके लाना और बड़े हैं तो बड़े अपना ग्रुप बनाके लाना। सेवा करना और प्रुफ मधुबन में ले आना। है ना हिम्मत। हिम्मत है? अच्छा है। ट्रेनिंग की रिजल्ट भी बापदादा ने देखी है, उमंग से की है और मधुबन में की है। कितने अच्छे वायुमण्डल में की है तो इस ट्रेनिंग का रिजल्ट अवश्य निकलना ही है। इसलिए बापदादा की पदम पदम पदमगुणा मुबारक हो, मुबारक हो।

सिन्धी ग्रुप तथा डबल विदेशी:- डबल फारेनर्स का लक्ष्य ही है तीव्र पुरूषार्थ करना। बापदादा को खुशी है कि डबल फारेनर्स के जो संस्कार है, जो करना है वह पूरा ही करना है। आधा, पौना नहीं करना है, करना है तो पूरा ही करना है, यह विशेषता बाप ने देखा कि विदेश सेवा में आगे बढ़ गया है और कोने-कोने में भी स्थान खोल रहे हैं। तो बापदादा उमंग उत्साह देख मुबारक तो सदा देते हैं, डबल विदेशियों को पदम पदमगुणा मुबारक है। बाबा सेवा में सन्तुष्ट है। बाकी हर एक विदेशी हर एक सेन्टर निर्विघ्न, यह भी रिपोर्ट फॉरेन की आनी है। सेन्टर निर्विघ्न है, यह जो भी सेन्टर समझते हैं कि सेन्टर निर्विघ्न है तो वह रिपोर्ट भेजे फिर बाबा उसको प्राइज़ देगा। लेकिन निर्विघ्न सब हों। सबको निर्विघ्न बनाके रिपोर्ट दो। अगर है तो अभी से मुबारक है। अगर बनना है तो फिर रिपोर्ट आने पर मुबारक देंगे। बाकी बापदादा यह तो कहेंगे कि फॉरेन, फौरन करने में होशियार है। जो बनाया वह फौरन किया, फॉरेन फौरन। अच्छा है। सिन्धी ग्रुप भी आया है, मुबारक हो। देखो, आप सभी जो भी सिन्धी हैं वह बाबा के भारत के सिकीलधे हैं क्योंकि फॉरेन में जाके भी भारत का जो खून भरा हुआ है उसकी लाज़ रखी है। बापदादा खुश होते हैं और अमर हैं। अमर हैं, इसलिए अमर भव का भी वरदान है। आज यह खास आये हैं अच्छा है, जिस प्रोग्राम से आये हैं ना वह बापदादा को पसन्द है। अच्छा किया है। अभी आप सिन्धी जो रेग्युलर स्टूडेन्ट हैं वह तो हैं ही लेकिन अभी दूसरे बारी आओ तो जो नये-नये आपने बनाये हैं वह लेके आना। ग्रुप तो बना होगा ना। तो वह लेके आना क्योंकि बापदादा यह विश्व को दिखाने चाहता है कि बाप ने भारत में जन्म लिया, उसका कारण यह निमित्त बनें। तो जिन्हों की भी सेवा की है उन्हों को साथ लाना। नये नयों को साथ लाना, ग्रुप बनाके लाना। बाकी बापदादा खुश है कि सेवा में भी आगे बढ़ रहे हैं, अपने पर अटेन्शन देने में भी आपकी निमित्त बनी हुई जनक बच्ची अटेन्शन अच्छा रख रही है इसलिए रिजल्ट अच्छी है। और बापदादा को भी फॉरेन में चक्र लगाने का समय मिलता है। कौन सा समय मिलता है? अमृतवेला। विदेश के भी सेन्टर पर बापदादा चक्र लगाता है लेकिन अभी एडीशन ज्वालामुखी योग। यह ज्वालामुखी योग सभी को समीप लायेगा क्योंकि शक्ति मिलेगी ना। आप भी लाइट माइट रूप बनेंगे। चलते फिरते भी लाइट माइट स्वरूप होंगे तो लोगों को भी वायब्रेशन आयेगा। फिर मेहनत कम और फल ज्यादा निकलेगा। जैसे भारत में अनुभव किया कि अभी जगह-जगह जो भी फंक्शन किये हैं, उसमें रिजल्ट पहले से अच्छी निकली है। और बाप बच्चों को जो भी निमित्त बनी हैं दादियां या दीदियां उन्हों को विशेष मुबारक देते हैं कि बापदादा के संग साथी बनकरके 75 वर्ष पूरे करके मैदान पर आये हैं, इसकी बहुत-बहुत-बहुत-बहुत मुबारक है। दादे भी हैं, सिर्फ दीदियां दादियां नहीं, दादे भी हैं। अच्छा।

अभी दादियां भी मिल करके कोई नया प्लैन बनाओ। क्या कहती हैं? (दादी जानकी ने कहा - बाबा जनवरी मास का बहुत महत्व है। जनवरी मास में अगर सभी मिलकर पुरूषार्थ करें, ऐसी सेवा का कोई प्लैन बन जाए, जो सबके दिल से जिगर से निकले कि मेरा बाबा, ऐसी मेरी भावना है। निर्वैर भाई ने कहा - आपस में बैठकर कुछ नया प्लैन बनायेंगे, जैसा दादी चाहती हैं, आप चाहते हैं, सबके दिल से मेरा बाबा निकले, उसके अनुसार योजना बनायेंगे।) सब अपने अन्दर एक संकल्प रखो, हमको निर्विघ्न बनना ही है, बनाना ही है। जिसको भी जो देखे, ऐसे लगे यह कौन मेरे सामने आ गया है। देख देखके खुश होता रहे। बापदादा नये वर्ष में नवीनता चाहते हैं, वही संस्कार नहीं चाहते हैं। एक-एक बच्चा बाप समान दिखाई दे। फॉलो ब्रह्मा बाप। सरकमस्टांश, बातें सब कुछ बाप के आगे आई लेकिन फरिश्ता बन गये। तो फरिश्ता बनना ही है यह दृढ़ संकल्प हर एक अपने आपसे करे क्योंकि अपने आपसे करेंगे तो अटेन्शन रहेगा। मुझे बनना है बस। और आपके बनने से नेचरल वायब्रेशन फैलेगा। तो अभी क्या लक्ष्य रखा? फरिश्ता बनना ही है, बोलो। पक्का है ना! पीछे वाले बनना ही है। आज 12 बजे सब यहाँ छोड़ के जाना। जो भी कमी हो ना छोड़के जाना। अच्छा।

सभी को बहुत बहुत बापदादा के दिल का प्यार और मुबारक हो।

दादी जानकी से:- (कुंज ने बहुत याद भेजी है) बहुत अच्छी बच्ची है लेकिन हिसाब किताब के कारण आ नहीं सकी। (आंटी अंकल की याद दी) बापदादा के दिल की डिब्बी में रहते हैं। यह एक एक्जैम्पुल हैं और बच्चे भी कितने अच्छे निकाले हैं। (जयन्ती बहन कुवेत में गई हैं, वजीहा के पास) वजीहा बच्ची हिम्मत वाली है। इसके कारण परिवार का कल्याण हुआ है। (शान्ति बहन, दिल्ली ने याद भेजी है) जो भी तबियत के कारण या ड्रामा के कारण नहीं पहुंच सके हैं उनको बापदादा नाम सहित, अपना नाम याद रखना और बापदादा नाम सहित बहुत बहुत बहुत बहुत यादप्यार दे रहा है।

परदादी से:- मुबारक हो, आपका ज़ोन कितना बड़ा है देखा। सबसे बड़ा ज़ोन है। बड़ी दिल है इसलिए बड़ा ज़ोन है।

(बृजमोहन भाई से) सभी जगह सेवा की है, इसकी मुबारक हो। जहाँ भी प्रोग्राम हुआ है वहाँ पहुंचे हो इसकी मुबारक हो। (रमेश भाई, सन्तोष बहन से) बाम्बे ने मिल करके किया इसकी बहुत मुबारक। हर एक ने हाथ डाला। यह अच्छा है और इससे वायब्रेशन अच्छा। (जानकी दादी से) जहाँ सेवा है वहाँ जाना तो पड़ता है। लण्डन वालों ने प्यार से त्याग किया है तो उनको समय पर तो मदद देनी पड़ेगी। बाकी आप खुद समझदार हो अपनी तबियत का ख्याल रखो।

नये वर्ष 2012 के शभरम्भ पर सभी बच्चों को बधाई

चारों ओर के परिवार, ईश्वरीय परिवार को बापदादा और सर्व मधुबन में आये हुए ब्राह्मणों सहित सबको पदम पदमगुणा मुबारक हो, मुबारक हो। अभी नये वर्ष में बापदादा ने जो होमवर्क दिया, वह करके सभी बापदादा को फरिश्ता रूप दिखाना। अभी-अभी आज के दिन दृढ़ निश्चय करो, मैं कौन, मैं फरिश्ता, मैं फरिश्ता, मैं फरिश्ता हूँ, यही सभी चेहरा और चलन बाप के सामने, विश्व के सामने दिखाना है। तो सभी बापदादा के इस मुबारक को ‘‘मैं कौन’’ बोलो, फरिश्ता। पक्का याद रहेगा। अमृतवेले योग करने के बाद फिर से याद करने के बाद फिर से याद करना, मैं कौन? मैं फरिश्ता। फरिश्ता हूँ और फरिश्ता रूप से बाप समान सम्पन्न सम्पूर्ण बनूंगा ही। पक्का। पक्का! अच्छा। तो सभी को पदम पदमगुणा मुबारक हो, मुबारक हो। गुडनाईट।

मोहिनी बहन का 71 वां जन्म दिन है: सदा खुशनुम: हो और सभी को खुशी की मुबारक देते रहना।

जानकी दादी का 96 वां जन्म दिन है:- आप तो चक्रवर्ती राजा हो। चक्र लगाते सभी को फरिश्ता बनाते जाना।