03-04-12 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


‘‘मेरे को तेरे में परिवर्तन कर बेफिक्र बादशाह बनो, बाप की मोहब्बत और सेवा में मन को इतना बिजी कर दो जो व्यर्थ आने की मार्जिन न रहे’’

आज बापदादा चारों ओर के अपने बेफिक्र बादशाहों को देख रहे हैं। हर एक बच्चा सवेरे से उठ बेफिक्र स्थिति में स्थित हो हर कर्म करता है। हर एक बच्चे को अनुभव है कि यह बेफिक्र बादशाह की जीवन बादशाही भी और बेफिक्र भी, कितनी प्यारी लगती है क्योंकि आप सभी ने बाप को फिक्र देकरके फखुर ले लिया है। फखुर भी अविनाशी फखुर ले लिया है। हर एक अनुभव करते हैं कि यह बेफिक्र जीवन कितनी प्यारी है। दिनरात कोई भी बात का फिक्र नहीं लेकिन फखुर है। जानते हो कि यह बेफिक्र रहने की जीवन बाप ने इस एक जन्म के लिए नहीं लेकिन अनेक जन्मों के लिए बेफिक्र बादशाह बना दिया। अभी अनुभव करते हो बेफिक्र जीवन अगर है तो सदा मस्तक में दिव्य ज्योति चमकती रहती है। और अगर फिकर है तो माथे पर अनेक प्रकार के दु:खों का टोकरा भरा हुआ होता है। यह बेफिक्र जीवन की विधि बहुत सहज है। जो भी हद का मेरा-मेरा है उसको तेरा कर दिया। मेरा और तेरा में एक मात्रा का ही फर्क है। मे और ते। लेकिन मेरे को तेरा करने से जीवन कितनी खुशनुमा बन जाती है। बन गई है ना! कांध हिलाओ, बन गई। बेफिक्र जीवन बन गई।

अभी बापदादा यही हर बच्चे से चाहता है कि फिकर वाली जीवन का आधार है व्यर्थ संकल्प, तो हर बच्चे के अन्दर व्यर्थ संकल्प का निशान भी नहीं रहे क्योंकि जब मेरे को तेरे में बदल दिया तो आप क्या हो गये? आप हो गये बेफिक्र बादशाह और यह बेफिक्र बादशाह की जीवन कितनी प्यारी है। हर कर्म करते बेफिक्र बादशाह। कोई फिक्र नहीं क्यों, क्या, कैसे, कब तक... यह सब समाप्त हो गये। बापदादा आज इस सीजन के लास्ट दिन यही चाहते हैं कि हर एक बच्चा व्यर्थ को मेरे के बदले तेरा कर दे। बाप आपेही भस्म कर देंगे। आप सिर्फ एक मात्रा का अन्तर करो, मंजूर है! हो सकता है? अगर हो सकता है तो हाथ उठाओ। बहुत अच्छा क्योंकि यह 5-6 मास आप सभी को विश्व के आगे दु:खी आत्माओं को पावरफुल वृत्ति द्वारा सुख शान्ति की किरणें देनी हैं। इसी में ही अपना मन बिजी रखना है। व्यर्थ संकल्प भी किसमें आते हैं? मन में आते हैं ना! तो बापदादा यही चाहते हैं कि हर एक बेफिक्र बादशाह बच्चा अपने मन को अर्थात् वृत्ति को इतना बिजी रखे जो व्यर्थ को आने की मार्जिन ही नहीं रहे। मेहनत नहीं करनी पड़े लेकिन बाप के मोहब्बत में इतना बिजी रहो, वृत्ति की सेवा में इतना मन को बिजी रखो जो युद्ध भी नहीं करनी पड़े। कई बच्चे कहते हैं चाहते नहीं हैं लेकिन आ जाते हैं। इसको क्या कहेंगे? कि मन को बाप के प्यार और सेवा में बिजी नहीं रखा। सभी से पूछते हैं कि आपका प्यार बाप से कितना है? तो क्या कहते? बेहद है। तो जिससे प्यार होता है उसका कहना मानना कोई मुश्किल नहीं होता। तो आप सभी का बाप से अटूट प्यार है ना! कि कभी-कभी है? सदा है या कभी-कभी है? जो कहते हैं सदा प्यार है वह हाथ उठाओ। सदा प्यार है, देखो सोचो, सदा प्यार है तो बाप का कहना और बच्चे का करना। यह तो जानते हो ना!

तो अभी इस सीजन में बापदादा बच्चों को यही दृढ़ संकल्प कराने चाहते हैं, तैयार हो ना! कांध हिलाओ। तैयार हो दृढ़ संकल्प करने के लिए? पीछे वाले तैयार हैं? मातायें भी तैयार हैं? पाण्डव भी तैयार हैं? अच्छा हाथ उठाओ। इसमें दो-दो हाथ उठाओ। हाथ उठाते हो तो बापदादा को खुश तो कर देते हो। अभी जैसे यह हाथ उठाया ऐसे मन का हाथ उठाओ। कभी भी व्यर्थ संकल्प को आने नहीं देंगे। उनका काम है आना, आपका काम क्या है? समाप्त कर देना। तो इस सीजन में बापदादा ने पहले भी कहा है कि दो बातों का ध्यान रखना है एक तो संकल्प, दूसरा समय। जानते हो आप, इस संगम का समय एक-एक मिनट का कनेक्शन 21 जन्म के साथ है। और इस समय बापदादा का बच्चों से, बच्चों का बाप से प्यार है। तो संगम समय का एक सेकण्ड, सेकण्ड नहीं है क्योंकि 21 जन्मों का कनेक्शन है। अगर अब नहीं समय को बचाया तो 21 जन्म जो बाप से प्यार है और हर एक चाहता है कि बाप के साथ अब भी रहें, साथ भी चलें। अपने घर लौटना है ना अभी। तो घर में भी साथ में चलें और फिर राज्य में भी बापदादा के साथ विशेष ब्रह्मा बाबा के साथ राजधानी में नजदीक साथ में आयें इसलिए ब्रह्मा बाप तो फरिश्ता रूप में है और आपको साथ में चलना है तो क्या करना पड़े? फरिश्ता बनना पड़े ना! फरिश्ता बनेंगे, बनना ही है ना!

बाप ब्रह्मा के हाथ में हाथ देके साथ चलना है, तो हाथ क्या है? फरिश्ते को स्थूल हाथ तो हैं नहीं। ब्रह्मा बाप का हाथ क्या है? श्रीमत। तो बापदादा की यही श्रीमत है कि अब बेफिक्र बादशाह बन सदा जैसे आपकी जगदम्बा ने पुरूषार्थ किया, बाप का कहना और जगत अम्बा का करना। ऐसे जगत अम्बा को फॉलो करो। समय और संकल्प को सफल करना ही है। व्यर्थ नहीं जाये। सुनाया ना एक-एक संकल्प का 21 जन्म का कनेक्शन है। तो बापदादा यही चाहते हैं कि सदा मन को बिजी रखो। चाहे मुरली के मनन में, चाहे सेवा में, हर समय बिजी रहो। अपना चार्ट बनाओ हर समय बीच-बीच में जो बापदादा ने ड्रिल सुनाई है भिन्न-भिन्न, जानते हो ना ड्रिल अशरीरी बनने की। अपने तीन स्वरूप स्मृति की ड्रिल। जानते हो ना! जैसे बाप के तीन रूप हैं ऐसे आपके भी तीन रूप हैं। ब्राह्मण, फरिश्ता और देवता, इन तीनों रूपों में ड्रिल द्वारा अपने मन को बिजी रखो इसलिए महामन्त्र क्या है? मनमनाभव।

बाकी बापदादा का हर बच्चे से बहुत-बहुत प्यार है इसलिए बापदादा यही चाहते हैं कि हर बच्चा विजयी भव के वरदानी बनें। सुनाया था ना कि कई बच्चे सोचते हैं हम विजयी तो बनें लेकिन माला तो 108 की है, तो विजयी बनके माला में तो आ नहीं सकेंगे लेकिन बापदादा का इतना प्यार है कि आप विजयी बनो तो बापदादा माला में भी लड़े लगा देगा। आप सिर्फ विजयी बनो। तो क्या संकल्प है? विजयी बनना ही है ना! कि सिर्फ 108 विजयी बनेंगे? नहीं। बाप का हर बच्चा विजयी है। बापदादा हर बच्चे के मस्तक में क्या देख रहे हैं? विजय का तिलक क्योंकि साधारण रूप में बाप को पहचान लिया है ना! चाहे लास्ट बच्चा है, पुरूषार्थ में ढीला है लेकिन उसमें यह विशेषता है कि साधारण रूप में आये हुए बाप को पहचान मेरा बाबा तो कहता इसलिए हर एक बच्चे को हिम्मत रख विजय प्राप्त करनी ही है। सिर्फ क्या करना है? कोई मेहनत की बात नहीं है, प्यार की बात है। बापदादा से प्यार है, परिवार से प्यार है तो प्यार वाले से अलग नहीं रहा जाता है। तो ब्रह्मा बाबा से कितना प्यार है? जो समझते हैं कि ब्रह्मा बाप से शिव बाप से हमारा अटूट प्यार है वह हाथ उठाओ। अटूट, अटूट? बहुत अच्छा। तो दूसरी सीजन में बापदादा क्या देखने चाहता है? जानते तो हो। 5 मास 6 मास मिलना है आपको, व्यर्थ से समर्थ संकल्प करने में।

तो बोलो, मधुबन वाले उठो, चाहे नीचे चाहे ऊपर। बहुत हैं। तो मधुबन वाले बापदादा को प्यारे हैं। ऐसे नहीं दूसरे प्यारे नहीं हैं। वह प्यारे हैं लेकिन मधुबन वालों से एक बात का विशेष प्यार है, वह क्या? मन्सा में याद तो सब करते हैं। योगी तू आत्मायें तो सभी हैं, ज्ञानी आत्मायें भी सभी हैं लेकिन मधुबन वालों को अपना भविष्य सहज बनाने की एक लिफ्ट है। वह लिफ्ट क्या है? जो भी मधुबन में आते हैं, उनकी सेवा के निमित्त हैं। जैसे खाना बनाने वाले जो भी कोई ड्युटी करने वाले हैं। बापदादा तो कहते हैं कोई झाडू लगाने वाला भी है ना, वह भी भाग्यवान है क्यों? जो भी आते हैं वह यह वायुमण्डल देख आपके दिल के प्यार की शक्ति देख खुश हो जाते हैं। चाहे खाना बनाने वाला, चाहे कोई भी ड्युटी वाला है लेकिन मधुबन वालों को चांस है। मधुबन का प्यार और शक्तिशाली वायुमण्डल बनाने का, इसलिए बापदादा मधुबन वालों को बहुत-बहुत मुबारक दे रहे हैं कि यह सीजन समाप्त की और आगे के लिए भी अपने मन में आत्माओं को सन्तुष्ट करने में और शक्तिशाली अनुभव कराने में निमित्त बनते रहेंगे इसलिए सब ताली बजाओ मधुबन वालों के लिए। अच्छा।

आज बापदादा को अमृतवेले मधुबन के सेवाधारी सामने आये। हर एक से बापदादा वतन में भी मिले और खास आपको पहले भी बताया है वि्ा चार बजे के समय आपकी एडवांस में गई हुई विशेष दादियां जरूर आती हैं। तो आज भी विशेष दादियाँ और विशेष भाई पहुंचे थे। उन्होंने खास मधुबन वालों को इमर्ज करने के लिए कहा। विशेष दीदी और दादी दोनों ने और विशेष भाईयों ने भी मधुबन वालों को याद किया। और दादी ने विशेष याद दी और साथ में वतन का आम, जानते हो ना वतन का फल कितना बढ़िया होता है, लाठी नहीं लगानी होती है, जो फल चाहिए वह आप हाथ से ही ले सकते हो। तो दादी ने कहा आज मधुबन वालों से आम की पिकनिक करते हैं। दूसरी दादियां तो साथ में थी और विशेष भाई भी थे। तो बापदादा ने कहा उन्हों से पूछो तो मधुबन के लिए आपको मन में क्या आता है? तो दादी क्या बोली? पता है, जानते तो हो, दादी को तो जानते हैं ना! दादी कहती थी मेरी यह अभी तक भी दिल है कि हर एक मधुबन वाला चाहे पुरूषार्थ में कोई भी कमी अभी रह गई है उसका तो पुरूषार्थ करना है लेकिन मैं एक बात चाहती हूँ, मधुबन वालों से। वह क्या चाहती हूँ? एक-एक मधुबनवासी बाप समान बन जाये। वैसे तो सभी को बनना है लेकिन मधुबन विशेष है, मधुबन वालों को दादी से प्यार था, यह दादी कहती थी मुझे पता है। तो प्यार के रिटर्न में मैं यही चाहती हूँ कि जैसे मम्मा ने लक्ष्य रखा बाबा ने कहा मम्मा ने किया, यह तो मधुबन वाले जानते ही हैं। ऐसे ही अमृतवेले से लेके रात तक हर एक मधुबन वाले अगर बाबा के साथ मेरे से भी प्यार है, दादियों से भी प्यार है, तो जैसे मम्मा ने बाप की हर राय जीवन में लाई, ऐसे हमने भी लाई। तो अगर दादियों से प्यार है, तो यही करके दिखायें, सवेरे से रात तक ऐसा कोई संकल्प बोल कर्म नहीं लावें जो दादियों को या बाप को या किसी को भी पसन्द नहीं हो। यह हमारा सन्देश खास मधुबन वालों को देना। तो हमने (गुल्जार दादी ने) दादी को कहा, दादी आप मधुबन में कभी चक्र लगाती हो? अभी मैं (गुल्जार बहन) वतन का समाचार मधुबन वालों को सुना रही हूँ। तो मैंने गुल्जार बहन ने, उनको कहा दादी मधुबन वालों को तो आप जो कहेंगे वह करेंगे। तो मैंने ठीक कहा, करेंगे? हाथ उठाओ। दो-दो हाथ उठाओ। करेंगे? बहुत अच्छा।

तो आज इस सीजन का लास्ट है ना, तो और भी वतन में रौनक थी। दूसरे आप मधुबन वाले तो मिलके मर्ज हो गये, लेकिन दादियों ने डबल विदेशियों को भी इमर्ज किया। डबल विदेशी उठो। तो विशेष दादियों के बदले, दादी कह रही थी तो दादी ने कहा कि मुझे डबल विदेशियों की यह बात बहुत अच्छी लगती है क्योंकि जब हम वहाँ थे और इन्हों की सीजन शुरू हुई तो मैंने देखा इन्हों को मधुबन में आने के लिए टिकेट के लिए कितनी युक्ति से इकठ्ठा करते थे टिकेट का पैसा और जब हम सुनती थी तो ऐसे-ऐसे इकठ्ठा करके आये हैं तो मुझे बहुत प्यार आता था और डबल विदेशियों का मैंने देखा उमंग उत्साह भी बहुत अच्छा था। आने से ही मेरा बाबा कहके इतने खुश होते थे जो मेरा कहने में ही मेरा हो जाते थे, उनकी शक्ल, उनका उमंग बहुत अच्छा दिखाई देता था, इसलिए डबल विदेशियों को हम और बापदादा कहते थे कि डबल विदेशी मधुबन का श्रृंगार हैं। तो अभी भी डबल विदेशी जो कार्य भी मधुबन का होता है वह बहुत रूचि से करते हैं इसलिए हमारी भी डबल विदेशियों को बहुत बहुत बहुत बहुत यादप्यार देना और कहना सदा बाप के दिल में आप हो और आपके दिल में बाप है, यही वरदान हमारे तरफ से देना। तो यह था आज अमृतवेले वतन का समाचार।

बाकी सभी चारों ओर के जो दूर बैठे हैं या सम्मुख बैठे हैं सभी को बापदादा क्या देख रहे हैं? बापदादा देख रहे हैं हर एक के मस्तक में चमकती हुई ज्योति चमक रही है। सभी के मन में संकल्प यही है कि हमारे को कैसा बनना है? जैसे बाप वैसे हम। यह उमंग उत्साह भी सभी के मन में है।

बाकी तो इस सीजन में बापदादा टीचर्स को विशेष उठाने चाहते हैं। सब टीचर्स उठो। देखो। कितनी टीचर्स हैं। चौथा हाल तो टीचर्स हैं। तो टीचर्स को देख बापदादा भी खुश होते हैं क्योंकि बाप समान सीट का भाग्य मिला है। बाप की मुरली सुनाने की सीट मिली है। बाप हमेशा टीचर्स को साथी कहते हैं। अभी टीचर्स के लिए बापदादा एक बात चाहते हैं। सुनायें क्या? बापदादा चाहते हैं कि हर एक टीचर चेहरे से ब्रह्मा बाप समान ऐसे खुशनुमा नज़र आये। नज़र आवे अन्दर पुरूषार्थ होगा भी लेकिन आपकी सूरत से बाप प्रत्यक्ष हो। कोई को भी देखे तो आपमें बाप की चमक दिखाई दे। ऐसे चेहरे से सेवा करने वाली बाप को प्रत्यक्ष कर ही लेंगी। अब समय आ गया है, बाप को अपने चेहरे से प्रत्यक्ष करने का। तो टीचर्स को सदा मेरा बाबा तो स्वत: ही याद है। अभी बाप को चेहरे से प्रत्यक्ष करना है। कर सकते हैं ना! कर सकते हैं तो करो। देखो अभी तक की रिजल्ट में क्या सभी कहते हैं। ब्रह्माकुमारियां बहुत अच्छा काम कर रही हैं, बाप प्रत्यक्ष नहीं है। वह अभी भी गुप्त है। तो अभी समय समीप आ रहा है तो आप द्वारा चाहे निमित्त टीचर्स हैं या कोई भी बच्चा है, अभी बाप को प्रत्यक्ष करो। ब्रह्माकुमारियां अच्छा कार्य कर रही हैं, यह तो हो गया। यहाँ तक पहुंच गये हो। लेकिन अभी यह प्रत्यक्ष करो कि स्वयं परमात्मा ब्रह्मा तन में प्रत्यक्ष हो ब्रह्माकुमारियों को ऐसे योग्य बना रहे हैं। अभी यह प्वाइंट रही हुई है। गीत तो गाते हैं मेरा बाबा आ गया, लेकिन अभी अन्य आत्माओं के अन्दर यह प्रत्यक्ष हो कि भगवान स्वयं प्रत्यक्ष हो यह कार्य बहिनों द्वारा या भाईयों द्वारा करा रहे हैं। यह प्रत्यक्षता करनी है ना! कब करेंगे? अब। क्या कहेंगे? अब ना! (अभी शुरू करेंगे, अगली सीजन तक हो जायेगा) आप सभी साथ में हो, अगली सीजन तक हो जायेगा? हाथ उठाओ जो समझते हैं! थोड़े हाथ उठा रहे हैं। जो हाथ नहीं उठा रहे हैं वह देखेंगे, और आप करेंगे। टीचर्स ने तो संकल्प किया है ना! क्योंकि देख रहे हो बापदादा तो कहते ही हैं कि सब अचानक होना है। कोई बच्चे समझते हैं अचानक, अचानक भी बहुत समय हो गया है। अभी होना चाहिए। लेकिन अचानक तब हो जब बच्चे भी बाप समान बन जायें। आपकी सूरत मूरत एक-एक बोल बाप को प्रत्यक्ष करे। हो जाना तो है ही। होना ही है अभी सिर्फ निमित्त बनना है। अभी अगली सीजन में क्या करेंगे? एक तो अपने को बाप समान बनायेंगे। जो भी कमी रह गई है, उसको सम्पन्न करेंगे। और बापदादा को खुशी है किस बात की? तो बच्चों ने जैसे अभी छोटे मोटे सेन्टर ने वाणी द्वारा प्रसिद्ध किया कि हम क्या कार्य कर रहे हैं। वायुमण्डल को चेंज किया है। इसकी बापदादा मुबारक दे रहे हैं। जिन्होंने जहाँ भी प्रोग्राम्स किये हैं, अच्छे किये हैं, और सभी के अटेन्शन में भी आया है कि ब्रह्माकुमारियां सचमुच गुप्त रूप में अपने कार्य का समय 75 वर्ष पूरा किया है। अभी यह कहें कि ब्रह्माकुमारियों का भगवान बाबा आ गया है। लक्ष्य है ना! तो अगले सीजन तक यह कार्य आरम्भ हो जाना चाहिए। इसका प्रत्यक्ष प्रोग्राम बनाना। प्रोग्राम बनाते हैं ना, मीटिंग करते हैं ना! तो मीटिंग में यह प्रोग्राम बनाओ कि अभी सब बच्चों को पता तो पड़े कि वर्सा देने वाला बाप आ गया। वंचित नहीं रह जाएं। बाप को तो बच्चों के दु:ख को देख बहुत तरस पड़ता है। जब दु:ख में चिल्लाते हैं, बाप को तरस पड़ता है। आप देव और देवियों को भी बहुत पुकारते हैं। तो अगली सीजन में एक तो व्यर्थ का नामनिशान नहीं, मंजूर है? मंजूर है! दिल का हाथ उठाओ। दिल का हाथ उठाना। व्यर्थ होता क्या है, यह मालूम ही गुम हो जाए। जैसे स्वर्ग की शहजादियां आती हैं ना तो उनको दु:ख और अशान्ति का पता ही नहीं है, कहते हैं क्या कहते हैं, यह क्या होता है। ऐसे ही ब्राह्मण परिवार में व्यर्थ का पता ही न हो, व्यर्थ होता क्या है। स्वचिंतन, स्वचिंतक। अच्छा।

सेवा का टर्न दिल्ली और आगरा:- अच्छा है, सभी टी.वी. में रौनक देखो (मेरा बाबा की पट्टी सब हिला रहे हैं) बहुत अच्छा। अभी झण्डे नीचे करो। अच्छा। दिल्ली वालों को तो अपनी दिल बड़ी करनी पड़ेगी। क्यों? जो भी ब्राह्मण हैं वह देवता बनके कहाँ आयेंगे? दिल्ली में ही आयेंगे ना! तो दिल्ली वालों को बहुत बड़ी दिल बनानी पड़ेगी। देखो अगर ब्रह्मा बाप भी कृष्ण बनके आयेंगे, तो भी कहाँ आयेंगे! दिल्ली में ही आयेंगे। तो दिल्ली वालों को अभी भी दिल्ली के ब्राह्मण संख्या दिल खोलके बढ़ानी पड़ेगी। सब ज़ोन से ज्यादा संख्या दिल्ली में होनी चाहिए। झण्डा लहराया है ना यहाँ, ऐसे एक-एक दु:खी आत्माओं के दिल में बाप का झण्डा लहराओ। तो झण्डे यह व्यर्थ नहीं जायें, यही झण्डे सत्य रूप से दु:खियों के दिल में लहराओ। बाकी सेवा तो हो रही है। सेवा तो करते हैं लेकिन बापदादा ने देखा कि इस वर्ष कोई भी ज़ोन सेवा में पीछे नहीं गया है। सभी ने दिल बड़ी करके खुशी-खुशी से जो भी प्रोग्राम किये हैं, बहुत सुन्दर रूप से और लोगों में यह स्पष्ट किया है कि आप आत्मा हो, शरीर नहीं हो। यह बात मैजारिटी ने माना है। अब आत्मा जैसे प्रत्यक्ष की है, ऐसे परमात्मा की प्रत्यक्षता का पक्का करो। इसमें बापदादा देखेंगे कि नम्बरवन कौन लेता है? आत्मा का पाठ तो कईयों ने पक्का किया है अभी परमात्मा वर्सा दे रहा है, कुछ तो वर्सा ले लेवें। आपका परिवार है ना! वंचित नहीं रह जायें। तो क्या करना है? वह भी बता दिया। बाकी दिल्ली फाउण्डेशन है। वह भी दिन आयेगा जो यह सारी मिनिस्ट्री सोचेगी कि यह जो कह रहे हैं वह मानना ही पड़ेगा। यह कमाल करके दिखाओ। नम्बरवन दिल्ली करे या कोई भी करे, उसको बापदादा इनाम देंगे। अभी जो रही हुई बात है उसको पूरा करो। उमंग है ना! उमंग है? दिल्ली वालों को तो है ना! अच्छा।

डबल विदेशी:- बापदादा चाहते हैं कि जैसे आपको टाइटिल मिला है डबल विदेशी, ऐसे आपका टाइटिल हो डबल पुरूषार्थी। तीव्र पुरूषार्थी। तीव्र पुरूषार्थी डबल विदेशी आये हैं। हो सकता है? जैसे डबल विदेशी हो वैसे तीव्र पुरूषार्थी। कोई भी साधारण पुरूषार्थी नहीं। बापदादा खुश होते हैं, हिम्मत रख करके पहुंच जाते हैं। कोई भी टर्न इस सीजन में नहीं देखा है जिसमें विदेशी नहीं आये हों। तो जैसे यह हिम्मत रख करके कर रहे हो। ऐसे ही अभी यह एक्जैम्पुल दिखाओ कि डबल विदेशी अर्थात् तीव्र पुरूषार्थी। हो सकता है? हाथ उठाओ। तो अगले ग्रुप में जो भी आयेंगे वह तीव्र पुरूषार्थी ग्रुप। जो आगे बढ़े, ऐसे अगले सीजन में बापदादा सभी को उठवायेंगे, जो भी तीव्र पुरूषार्थी बने हैं, बीच में रूकावट नहीं हुई है, उसको उठायेंगे। तो डबल विदेश तो उठेंगे ही। और भी तीव्र पुरूषार्थ करना और ऐसा तीव्र पुरूषार्थ करना जो बापदादा के आगे हाथ उठा सको। ठीक है मंजूर है? पहली लाइन मंजूर है! मधुबन वालों को पसन्द है ना! यह सब मधुबन वाले बैठे हैं। पसन्द है? मधुबन वाले फिर उठो। अच्छा। यह टी.वी में आ रहे हैं। अगर बापदादा कहे कि यह कौन-कौन थे, वह टी. वी. से निकाल सकते हैं। अच्छा। तो जो भी आये हैं, वैसे तो सुन सभी रहे हैं लेकिन मधुबन वाले तीव्र पुरूषार्थियों में हाथ उठायेंगे। उठायेंगे? अभी हाथ उठाओ। अच्छा। आपको तो पदमगुणा मुबारक है। बहुत अच्छा। बापदादा नोट करेंगे, हर एक ज़ोन से कितने तीव्र पुरूषार्थी हैं। आप लिस्ट देना। हर एक ज़ोन वाले, जो नहीं भी आवे तो लिस्ट जरूर ले आवे जो तीव्र पुरूषार्थ करते हैं उन्हों का नाम लिस्ट लावें। ठीक है। पीछे वाले, ठीक लगता है? आपको ठीक लगता है? बहुत अच्छा। बापदादा को तीव्र पुरूषार्थी बहुत पसन्द हैं। कब तक साधारण पुरूषार्थ करेंगे। चलना है ना अभी तो घर जाना है ना! तो तीव्र पुरूषार्थी बनके जाना है ना! बापदादा को, सुनाया भी हर एक बच्चा विजयी हो, यह अच्छा लगता है। यह हुआ, यह हुआ... यह समाचार सुनना अच्छा नहीं लगता है। तो कम से कम जो भी ज़ोन हैं, वह इन 6 मास में, सभी ने तीव्र पुरूषार्थ किया, यह रिजल्ट तो दे सकते हो। अगर 6 मास तीव्र पुरूषार्थ करेंगे तब तो आदत पड़ जायेगी। पड़ जायेगी ना आदत! तो रिजल्ट लेंगे तीव्र पुरूषार्थी 6 मास में कितने बनें? और बापदादा इनाम भी देंगे। जिस ज़ोन में ज्यादा से ज्यादा तीव्र पुरूषार्थी होंगे उनको इनाम भी देंगे। मंजूर है! मंजूर है मधुबन वाले? अच्छा।

पहली बार बहुत आये हैं:- बहुत अच्छा। जो भी पहले बारी आये हैं उन्हों को बापदादा बहुत-बहुत मुबारकें दे रहे हैं। क्यों? क्योंकि इस दु:ख के वायुमण्डल को पार करते हुए सुख चैन के तरफ पहुंच तो गये हैं। हर एक आने वाला अपने जीवन द्वारा और आत्माओं को भी परिचय तो दे सकेंगे। और आने वालों को यह भी मालूम हो कि लास्ट सो फास्ट जाकरके आप भी पुरूषार्थी बन ऊंच बन सकते हो क्योंकि बाप को मान लिया ना! तो बाप द्वारा वर्से के अधिकारी बन गये। बापदादा को खुशी है कि समय समाप्त होने के पहले अपने घर में तो पहुंच गये। बाप को भी खुशी है कि बच्चे अपने परिवार में पहुंच गये हैं। अपने घर में पहुंच गये हैं। वह है कार्य करने का स्थान लेकिन घर परमात्मा का घर सो आपका घर इसलिए बाप पदमगुणा खुश है कि बिछुड़े हुए बच्चे अपने परिवार में, अपने घर में पहुंच गये हैं। अभी लास्ट सो फास्ट बन सकते हो। मार्जिन है। अगर तीव्र पुरूषार्थ करेंगे तो जितना आगे बढ़ने चाहो उतना बढ़ सकते हो। सिर्फ अटेन्शन देना पड़ेगा बस। और बापदादा को तो खुशी होगी कि वाह बच्चे वाह! तो भले आये, और आते हुए अपने आपको आगे बढ़ाते रहना। तीव्र पुरूषार्थ करते रहना, ओम् शान्ति। अच्छा।

सभी चारों ओर के बच्चों को बापदादा का दिल का यादप्यार और साथ-साथ बाप हर एक बच्चे को अपने स्वमान के नशे में निश्चय में देख हर्षित होते हैं, कभी भी स्वमान को नहीं छोड़ना। स्वमानधारी अर्थात् सदा सर्व प्राप्तिवान, स्वमान की लिस्ट बड़ी लम्बी है, रोज़ एक-एक स्वमान स्मृति में रख स्वरूप में लाते तीव्र पुरूषार्थी बन आगे बढ़ते चलो। बापदादा को दिल में बिठाके और अपने को बापदादा के दिल में बिठाके निर्भय होके मास्टर सर्वशक्तिवान बन चलते रहो, उड़ते रहो और उड़ाते रहो। ओम् शान्ति।

मोहिनी बहन से:- चलना आ गया है ना। चलते जाना। साथ हैं, हाथ है और क्या चाहिए। (दादी जानकी जी आज तबियत के कारण स्टेज पर नहीं आई हैं) बापदादा तो सामने देख रहा है, बच्ची कहाँ भी है लेकिन बाप के दिल में बैठी है। बापदादा बच्ची को सर्व शक्तियों की किरणें दे रहे हैं। सेवा के निमित्त बनी हुई आत्मा हो इसलिए सभी आत्मायें भी परिवार भी आपको यादप्यार दे रहा है। निमित्त हो, निमित्त बनना ही है। बाकी यह थोड़ा बहुत हिसाब किताब, यह भी चुक्तू हो ही जायेगा। बापदादा और परिवार की शुभ आशायें आपके साथ हैं और सदा रहेंगी। अच्छा।

परदादी से:- ठीक है, हर्षितमुख। बहुत अच्छा है। कितनी भी कुछ तकलीफ हो लेकिन शक्ल से नहीं लगता। साक्षी होके चल रही हो। साक्षी होके चलने में होशियार हो। नम्बर ले लेंगी।

तीनों भाइयों से:- यह मिलने की विधि बहुत अच्छी है। अभी विशेष यही है कि वायुमण्डल को और पावरफुल बनाओ। जो दरवाजे से कोई आवे तो अनुभव करे कि कौन से स्थान पर आ रहे हैं। शान्ति तो अनुभव करते हैं लेकिन शक्ति की अनुभूति हो कि यहाँ से जो चाहे वह मिल सकता है। ऐसा वायुमण्डल कहाँ नहीं देखा है, विचित्र स्थान है यह। यह अनुभव करें। और आपस में मिलकर जो भी डिपार्टमेंट वाले हैं उन्हों को सप्ताह में एक या दो बारी आपस में कोई विषय पर टाइम निकालके हालचाल पूछके कोई प्रबन्ध चाहिए, सैलवेशन चाहिए, वह भी पूछे और साथ-साथ कोई न कोई प्वाइंट का होमवर्क देवे जो फिर दूसरी बारी पूछे। तो हर एक डिपार्टमेंट में यह होना चाहिए। नहीं तो सिर्फ कामकाज करते हैं ना बिजी हो जाते हैं। आपस में कुछ रूहरिहान भी करें। जैसे तीव्र पुरूषार्थी ग्रुप करता है ना। तो यह इतना नहीं कर सकते। हफ्ते दो में यह प्रोग्राम अपने डिपार्टमेंट में रखें तो पता पड़ेगा क्या है क्या नहीं। कुछ चाहिए सैलवेशन तो बतावे, फिर सोच समझके देवें। मतलब कुछ ज्ञान का भी डिपार्टमेंट में हो सिर्फ काम काम नहीं। यह हो सकता है ना। हो सकता है? तो यह करो। सेन्टर वाले आपस में रात में बैठते हैं और बैठना चाहिए। चाहे हफ्ते में बैठें चाहे 15 दिन में बैठें। पॉजिटिव करेंगे तो निगेटिव दबता जायेगा। सब राय करके यह मीटिंग होगी ना उसमें राय करो।

(हू एम आई फिल्म को एज्युकेशनल फिल्म के रूप में गवर्मेन्ट ने पास किया है) सभी को यह खबर पहुंचाओ। कुछ न कुछ आवाज फैलाते जाओ। अभी क्या है, वायुमण्डल ठीक है। अभी जो भी करेंगे ना उसका प्रभाव पड़ेगा

(अभी 6 मास तो नहीं मिलेंगे) मिलते रहेंगे, अमृतवेले तो मिलेंगे।