31-12-07   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


             ``नये वर्ष को समाप्ति वर्ष, श्रेष्ठ वर्ष और दुनिया को जगाने का वर्ष, इस रूप में मनाओ''

ओम् शान्ति। सभी जो भी बैठे हैं, एक ही परिवार है। ऐसा परिवार कभी सुना था, देखा था! नहीं। ऐसा अलौकिक परिवार अभी ही देखा और अभी सब भविष्य के लिए तैयार हो रहे हैं। तो सभी नया वर्ष, नया साल मनायेंगे, अभी अपनी वह नई दुनिया आ रही है, कितना बढ़िया है, आप सब भी भविष्य परिवार के पात्र तैयार दिखाई दे रहे हैं। तो सभी को नये वर्ष की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।

नये वर्ष में नया तो कुछ दिखाना ही है लेकिन ऐसा दिखायें जो जन्म-जन्म उसकी प्रालब्ध हमारे साथ हो।
(निर्वैर भाई और बृजमोहन भाई ने बापदादा से नये वर्ष के लिए विशेष प्रेरणायें पूछी, जैसे - नये वर्ष को क्या नाम दें, क्या विशेष अटेन्शन रखें, इसमें क्या पुरूषार्थ करें?)

नये वर्ष को समाप्ति वर्ष, श्रेष्ठ वर्ष और दुनिया को जगाने का वर्ष मानें और देखें कि कैसे यह वर्ष भी कमाल दिखाता है।
जो भी सभी ब्राह्मण हैं वह सब उमंग में हैं कि आगे क्या होगा, जानते भी हैं कि क्या होगा! अभी तो नई दुनिया का सभी स्वप्न देख रहे हैं कि अभी नया वर्ष, नई रीति, नई प्रीत सब नया नया बदल रहा है। जैसे युग बदल रहा है, वैसे युग के साथ सब रीति-रिवाज, कायदे सब उसी प्रमाण चलने हैं। तो आज अपने नये संसार में जाने के लिए यही संकल्प करना है कि हमें पास तो होना ही है। दो पास, एक पास, पास (समीप) जाने की और दूसरी पास इम्तहान पास करने की, वह भी पास मिलनी ही है। पास तो आपको मिलेगी ही लेकिन पास के साथ यही बाबा चाहते हैं कि हर एक बच्चा अपने को किसी भी रीति से पास जरूर करे। यह समय ही पास करने का है, इसके लिए अभी अपने आपको चेक करो और भविष्य के ऊपर अटेन्शन दो, पास करना अर्थात् सब कुछ होते हुए भी जो भविष्य है उसको पास करने के लिए इतना पुरूषार्थ करे जो यही भविष्य हमारे साथ रहे और सबके मुख से यही निकले - पास पास पास। सभी की शक्लें बता रही हैं कि सभी ने अभी तक जो पुरूषार्थ किया है, पीछे किया है वा नहीं किया है वह बात और है लेकिन अभी इस समय फुल पास की एम रखी है और ब्राह्मण ही पास होंगे। ब्राह्मण हैं, तो ब्राह्मणों को पहली पहली सौगात यही है। और सारी सभा के अन्दर यही उमंग है तो अब जल्दी-जल्दी हम पास हो जायें तो कितनी सबको खुशी होगी। सभी खुश हैं अभी हम परिवर्तन होने वाले हैं।

(नये वर्ष के लिए देश विदेश के भाई बहिनों के लिए बाबा आपकी क्या प्रेरणा है, सब सुनना चाहते हैं)
सभी अपने को क्या समझते हैं! समझते हैं कि हमारा अधिकार तो है ही है कि समझते हैं पता नहीं क्या होगा, कैसा होगा! इसके विचार भले चलें लेकिन ठहर नहीं जायें। यह ठहरना अच्छा नहीं है। अभी तो हमको राज्यभाग्य लेना है। पहले अपने ऊपर राज्य, दूसरों पर तो रहता ही है, यह तो प्रसिद्ध हो रहे हैं कि स्व का राज्य बहुत बड़ा है और सब प्रश>> इसी विषय पर हैं या दूसरी कोई विषय सामने है? जैसे अभी का राज्य है, वैसे अभी इससे भी मजबूत राज्य आपका आ रहा है। हर एक उस भविष्य को देख खुश हो रहा है और आगे की प्रेरणा ले रहा है। बापदादा भी बच्चों को देख खुश है और समझते हैं कि बहुत कुछ मिल गया है और मिलना ही है।

सेवा का टर्न महाराष्ट्र, मुम्बई, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना का है, 15 हजार सेवाधारी आये हैं, टोटल 25 हजार हैं, 600 डबल विदेशी भाई बहिनें हैं:-
सब उमंग-उत्साह में हैं। बापदादा भी बच्चों को देख खुश है तो हर एक बच्चा पुरूषार्थ कर अपना या बाप का नाम प्रसिद्ध कर रहे हैं।
आज बाप देख रहा था कि कौन, कौन कहाँ तक पहुंचें हैं! पहुंचें हैं, पुरूषार्थ अच्छा किया है। आगे विजय भी है। बाबा ने देखा कि सबने जो लक्ष्य रखा है वह प्रैक्टिकल में करके दिखायेंगे। यही सबमें उमंग है। इसी उमंग से यह ग्रुप
आगे बढ़ता जाता है। हर एक बच्चे की विजय निश्चित है। विजय तो है लेकिन यह विजय अपने में आत्म विश्वास और परिवार में निश्चय को बढ़ा देती है। यही दोनों बातें अपने राज्य में काम में आयेंगी।

(संस्कार मिलन के लिए बहुत पुरूषार्थ करते हैं, फिर भी अभी सफल नहीं हैं, वह सफलता कैसे होगी, बुद्धि को बेहद में कैसे ले जायें, जो इन सब बातों से ऊपर चले जायें)
सभी के पास लक्ष्य है, प्लैन है, अभी उस प्लैन के ऊपर अटेन्शन थोड़ा ज्यादा रहे, और सबको उसकी भासना आवे। भासना आने के लिए थोड़ा सा अटेन्शन इसमें देवें कि हमारे अन्दर जो परिवार का प्यार है, परिवार का प्यार संगम पर ही ज्यादा अनुभव कर सकते हैं। फिर तो नेचरल हो जायेगा।

लक्ष्य यही रखें कि होना ही है। सभी यही सोच रहे हैं कि यह इस बात पर क्यों सोच रहे हैं। हमारी पढ़ाई ठीक है और पढ़ने वाले भी ठीक हैं तो फिर यह क्वेश्चन तो है ही नहीं। अभी यही लक्ष्य रखो कि हम बनने ही हैं। उसमें आपका पार्ट सिर्फ सहयोगी बनने का नहीं है लेकिन खुद अपने को लायक बनाना है। अटेन्शन अपने ऊपर देना, यह जरूरी है। और बाबा ने देखा कि सबको इसका बहुत ख्याल है कि बनना ही है। बन रहे हैं, पुरूषार्थ अनुसार नम्बर लेंगे लेकिन पहले यह ध्यान रखो। जैसे बाबा पूछते हैं वैसे आप भी आपस में रूहरिहान करके जो राजधानी की सीट है वह अवश्य लेंगे। तो अभी यह संकल्प रखो कि अब राजधानी में क्या सीट लेनी है!

(बृजमोहन भाई को देखकर बाबा बोले)
अभी दिल्ली की राजधानी में बैठे तो हैं लेकिन अभी दिल्ली राजधानी के साथ भविष्य की राजधानी भी ध्यान पर रखनी है। (बाबा इसमें बहिनें नम्बर आगे ले लेती हैं) हमेशा ही देखा गया है जब रेस होती है ना तब मातायें, कन्यायें यह नम्बर ले लेती हैं। जब फाइनल होता है तो यही रिजल्ट निकलती है लेकिन आपके पास भी लक्ष्य है कि हमको नम्बर लेना है और पास होना है। तो बापदादा आौर ड्रामा दोनों तरफ ध्यान रखता है।

(फालो फादर कैसे करें) फालो फादर का अगर अटेन्शन है तो फिर प्रैक्टिकल लाइफ में सब प्रैक्टिकल दिखाई देना
चाहिए। तो जैसे बाप अभी चाहता है वैसा ही हो रहा है, टाइम पर सब ठीक हो जाता है लेकिन सदा ही यह बात हो। वह भी हो रही है और होगी ही इसलिए यह भी फिक्र नहीं है। सभी पुरूषार्थ कर रहे हैं और अभी सभी की बुद्धि में यही है कि हम नम्बर जरूर लेंगे। हो जायेंगे। तैयारी हो गई है। यह तो हुआ ही पड़ा है बाकी सिर्फ बीच-बीच में थोड़ा सा रूप बदलता है, तो उस बदलते हुए रूप से किसी न किसी रीति से कोई बात होती है, फिर ठीक हो जाती है इसलिए बापदादा भी इतना नहीं कह सकता है क्योंकि पुरूषार्थ का स्वरूप दिखाई दे रहा है। ऐसा नहीं है कि नहीं दिखाई देता है। देता है लेकिन सदा नहीं दिखाई देता। कभी कैसे, कभी कैसे। अभी इसको स्थिर करो और सब जोश दिखाओ कि हम सब तैयार हैं पेपर देने के लिए। सभी पेपर देने के लिए तैयार हैं, सभी से पूछो? पेपर देने के लिए तैयार हैं और उम्मींद है तो प्राप्ति भी इतनी है। वह नशा सदा नहीं रहता है, बीच-बीच में थोड़ा टाइम रहता है क्योंकि पुरूषार्थ करते हैं लेकिन यह नशा सदा रहे, इसका अभी अभ्यास चाहिए। अटेन्शन थोड़ा देना पड़ेगा। पढ़ाई है ना। पढ़ाई में अटेन्शन दिया जाता है। तो सभी को नये साल की मुबारक भी हो और इस नये साल में कदम आगे बढ़ाने का वरदान है।

अपने को बाप समान भरपूर और सदा तैयार रखना। जो भी समय है उस समय में अपने को ऐसे ही तैयार करें जैसे बाप चाहते हैं, जैसे बाप सर्वगुण सम्पन्न है, ताज, तख्तधारी है, ऐसे यह विशेषतायें हर एक बच्चा अपने में अनुभव करे। अभी भी समय है, जो कुछ रहा हुआ है वह सब अपने में धारण करके, धारणा रूप का साक्षात्कार कराओ। अभी क्या करें, कैसे होगा... नहीं। इसका क्वेश्चन पूछने की बात ही नहीं है। अभी बाप ने सबको हिम्मत दी है, उमंग दिया है तो उसी हिम्मत और उमंग इन दोनों को साथ लेकर सभी जल्दी-जल्दी आगे बढ़ो। अच्छा।