ओम् शान्ति 12-2-18 मधुबन


82वीं त्रिमूर्ति शिव जयन्ती की हार्दिक शुभ बधाईयां प्राणेश्वर अव्यक्त बापदादा के अति लाडले, सदा अपनी प्राप्ति सम्पन्न श्रेष्ठ जीवन द्वारा परमात्म प्रत्यक्षता के निमित्त बने हुए विश्व कल्याणकारी, बेहद सेवाधारी निमित्त टीचर्स बहिनें, देश विदेश के सभी सर्वोत्तम ब्रह्मण कुल भूषण भाई बहिनें,

ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद के साथ, 82 वीं त्रिमूर्ति शिव जयन्ती की बहुत-बहुत हार्दिक बधाईयां स्वीकार हों।
प्राणों से प्यारे हम सबको जीयदान देने वाले स्वयंभू निराकार परमपिता परमात्मा शिव के दिव्य अवतरण का यह यादगार पर्व सभी ब्रह्मा वत्स बड़े उमंग-उत्साह के साथ खूब धूमधाम से मनाते हैं। यह बाप और बच्चों का अलौकिक दिव्य जन्म अनेक उत्साह भरे उत्सवों को साथ-साथ लेकर आता है। हर वर्ष हम सभी इस पावन पर्व पर अनेक नवीनता सम्पन्न सेवाओंके कार्यक्रम ''महाशिवरात्रि मेला, प्रभात फेरियां, सर्व धर्म सम्मेलन, प्रदर्शनियां'' आदि आयोजित कर परमात्म अवतरण का दिव्य सन्देश देते हैं। इस वर्ष भी देश विदेश के कोने-कोने में बहुत-बहुत हर्षोल्लास के साथ यह पर्व मना रहे हैं। सभी स्थानों पर शिवबाबा का ध्वज फहराते, प्रतिज्ञायें करते सभी जन्म दिन की खुशियां मनाते हैं।
मधुबन महायज्ञ में भी यह त्योहार पूरा सप्ताह चलता है। इस वर्ष की विशेष नवीनता शान्तिवन के प्रांगण में बहुत सुन्दर भव्य ''महाशिवरात्रि मेला'' एक सप्ताह के लिए लगाया गया है। 11 फरवरी को इस मेले का विधिवत उद्घाटन दादियों वा वरिष्ठ भाई बहिनों के करकमलों द्वारा सम्पन्न हुआ। इस बार इस मेले में 12 ज्योर्तिलिंग दर्शन के साथ विशाल अमरनाथ गुफा में बर्फीले बाबा के दर्शन, योग कक्ष, तपस्वी रूप में विराजमान शिवशक्तियां एवं पाण्डवों का अद्भुत दृश्य अवलोकन करने के लिए आबू तथा उसके आस-पास के गांवों से हजारों भाई बहिनें पहुंच रहे हैं।
आज 12 फरवरी को प्यारे शिवबाबा के अवतरण का दिन है। सभी अमृतवेले से ही बाबा के प्यार में समाये हुए अपनी अव्यक्त स्थिति द्वारा अव्यक्त मिलन की अनुभूतियां कर रहे हैं। शाम के समय विधिवत योग अभ्यास तथा अव्यक्त मिलन की विधियों पर क्लास के पश्चात वीडियो द्वारा शिव जयन्ती के बहुत शिक्षाप्रद प्रेरणादाई महावाक्य सभी ने सुने। (वह महावाक्य आपके पास भेज रहे हैं) प्यारे बाबा को भोग भी लगाया गया। भोग के साथ दादियों एवं वरिष्ठ भाई बहनों ने डायमण्ड हाल की स्टेज पर शिवबाबा का ध्वज फहराया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम नेपाल के भाई बहिनों की सेवा का टर्न है। इनके साथ देश विदेश से पधारे हुए 21 हजार से भी अधिक भाई बहिनें डायमण्ड हाल में उपस्थित हैं।
हम सबकी अति स्नेही, सदा अपने नयनों में बापदादा को बसाने वाली, साकार मिलन की अनुभूति कराने वाली हमारी मीठी दादी गुल्जार जी तबियत के कारण मुम्बई में अपने हॉस्पिटल में हैं, डाक्टर्स ने उन्हें अभी मधुबन आने की छुट्टी नहीं दी है। आप सबकी स्नेह भरी सकाश उन्हें पहुंचती रहती है। दादी जी जल्द ही स्वस्थ होकर हम सबके बीच पहुंच जायेंगी। इस टर्न में तो सभी ने विशेष अव्यक्त स्थिति द्वारा अव्यक्त मिलन के बहुत अच्छे अनुभव किये है। प्राणप्यारे अव्यक्त बापदादा अपने स्नेही बच्चों को अव्यक्त-वतन से ही विशेष शक्तियों/वरदानों की सकाश देकर सन्तुष्ट कर रहे हैं। झण्डारोहण के पश्चात, केक कटिंग एवं मधुर गीत के साथ हमारी वरिष्ठ दादियों व भाईयों ने सभी को शिवजयन्ती के महान पर्व की खूब-खूब बधाईयां दी।
दादी जानकी जी ने सबको बधाई दी:- ओम् शान्ति। साकार के बाद अव्यक्त बापदादा ने गुल्जार दादी जी के द्वारा कितनी पालना दी है। अभी ड्रामा की नाॅलेज बहुत शान्त बना देती है, इससे शान्ति प्रेम मधुरता सब गुण सहज आ जाते हैं। अभी कलियुग की रात पूरी हो रही है, सतयुगी दिन आ रहा है। उसके पहले शान्तिधाम में जाकर हम बैठ नहीं जायेंगे, जल्दी स्वर्ग में आ जायेंगे। साक्षी होकर ड्रामा को देखो, बाबा हमारे साथ है। सारे क्लास को देख बहुत-बहुत खुशी हो रही है। सबको आज के शुभ दिन की, शिव जयन्ती की बहुत-बहुत बधाई।
12-2-18 - शिवरात्रि के टर्न में वीडियो द्वारा सुनाये गये अव्यक्त महावाक्य रिवाइज - 22-02-09
आज जीरो बाप अपने हीरो बच्चों से मिलने आये हैं। आज का दिन आप सभी भी बाप का और बाप के साथ अपना भी बर्थ डे मनाने आये हैं। तो बापदादा सर्व बच्चों को चाहे सम्मुख बैठे हैं, चाहे दूर बैठे दिल के नजदीक बैठे हैं, चारों ओर के बच्चों को सर्व सम्बन्ध से मुबारक दे रहे हैं। उसमें भी विशेष तीन मुबारक बाप, शिक्षक और सतगुरू के रूप की तीन बधाईयां पालना, पढ़ाई और वरदानों की चारों ओर के बच्चों को विशेष दे रहे हैं। सभी बच्चों को मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। आज इस विशेष जन्म को भक्त भी मनाते हैं लेकिन आप बच्चे जानते हो कि यह बर्थ डे बाप और बच्चों के अविनाशी स्नेह का जन्म दिन है। आदि से लेके बाप और बच्चे साथ हैं, साथ में विश्व परिवर्तन के कार्य में भी बाप बच्चों के साथ है, क्योंकि बाप और बच्चों का बहुत-बहुत स्नेह है। अभी भी साथ हैं और अपने घर जाना है तो भी साथ जाना है। बाप बच्चों के सिवाए नहीं जा सकता और बच्चे बाप के सिवाए नहीं जा सकते क्योंकि दिल के स्नेह का साथ है। घर के बाद ज्ाब राज्य में आयेंगे तो भी ब्रह्मा बाप के साथ-साथ राज्य करेंगे। तो सर्व जन्मों से यह जन्म सबसे प्यारा और न्यारा है। इस जन्म की जो वैल्यु है वह सारे कल्प में 84 जन्म में नहीं है, ऐसा स्नेही और साथ वाला विशेष यह हीरे तुल्य जन्म है। तो आप सभी अपना जन्म दिन मनाने आये हो या बाप का मनाने आये हो! कि बाप बच्चों का मनाने आये हैं और बच्चे बाप का मनाने आये हैं? चारों ओर भक्त भी शिव जयन्ती वा शिवरात्रि कहके मनाते हैं, बड़े प्यार से मनाते हैं, बापदादा भक्तों को देख करके भक्तों को भी भक्ति का फल देते हैं। लेकिन आपका मनाना और भक्तों का मनाना फर्क है। वह रात्रि मनाते हैं और आप अमृतवेला मनाते हैं, अमृतवेला श्रेष्ठ वेला है। अमृतवेले ही बापदादा हर एक बच्चे की झोली वरदानों से भर देते हैं। सभी की झोली वरदानों से भरी हुई है ना! रोज़ वरदाता बाप से वरदान मिलता ही है। कितने वरदान आप एक एक बच्चे को बापदादा द्वारा मिले हैं, वह वरदानों से झोली भरी हुई है ना। तो सभी बड़े उमंग-उत्साह से पहुंच गये हैं। बापदादा भी बच्चों को देख बहुत-बहुत खुश हो रहे हैं और गीत गाते रहते वाह बच्चे वाह! बच्चे कहते वाह बाबा वाह! और बाप कहते वाह बच्चे वाह! क्योंकि जो भी बाप के बच्चे बने हैं वह सभी कोटों में कोई आत्मायें हैं। विश्व में कितनी कोट आत्मायें हैं लेकिन उनमें से आप बच्चों ने जिसको बाप कहते हैं लक्की और लवली बच्चे हैं, उन कोटों में से कोई आप बच्चे हो। नशा है कि हम ही कल्प-कल्प के कोटों में कोई बच्चे हैं। कितने भी बड़े-बड़े मर्तबे वाली आत्मायें वर्तमान समय भी हैं लेकिन बाप को पहचान, बाप का बर्थ डे मनाने वाले चारों ओर के पहचानने वाले बच्चे कोटों में कोई हैं। तो यह खुशी है कि हम कोटों में भी कोई हैं! नशा है! हाथ उठाओ। अविनाशी नशा है ना! कभी कभी वाला तो नहीं? सदा है और सदा ही रहेगा। माया पेपर तो लेती है, अनुभव है ना! माया का भी परमात्म बच्चों से ज्यादा प्यार है। बच्चे जानते हैं कि माया का परमात्म बच्चों से आदि से अब तक सम्बन्ध है। माया और परमात्म बच्चे दोनों का आपस में कनेक्शन है, लेकिन माया का काम है आना और आप बच्चों का काम क्या है? माया को दूर से भगाना। आने नहीं देना कि आने भी देते हो? नहीं। दूर से ही भगाओ। आने देते तो फिर उसकी आदत पड़ जाती है आने की। वह भी समझती है आने तो देते हैं ना, चलो। लेकिन बाप देखते हैं कि कई कई बच्चे माया को आने तो देते लेकिन खातिरी भी कर लेते, चाय पानी भी पिला लेते, पता है, कौन सी खातिरी करते हैं? माया के प्रभाव में आके यही सोचते कि अभी तो टूलेट का बोर्ड नहीं लगा है, अभी तो समय पड़ा है। पुरुषार्थ कर रहे हैं, पहुंच जायेंगे। तो माया भी समझती है एक तो आने दिया, दूसरा यह तो हमारे को साथ दे रहे हैं, खातिरी कर रहे हैं। कोई-कोई बच्चे माया को पहचान लेते हैं, लेकिन कोई कोई बच्चे पहचानने में भी गलती कर लेते हैं, माया की मत है वा बाप की मत है, न पहचानने के कारण माया के प्रभाव में आ जाते हैं। लेकिन बापदादा अपने लक्की महावीर विजयी बच्चों को कहते हैं आने नहीं दो, अब आवे और फिर भगाओ, इसमें समय नहीं लगाओ क्योंकि समय कम है और आपका जो वायदा है, विश्व परिवर्तक बन, विश्व सेवक बन विश्व की आत्माओंको बाप का परिचय दे मुक्ति का वर्सा दिलायेंगे, वह कार्य अभी समाप्त नहीं हुआ है। उस कार्य को समाप्त करने में समय लगाना है, अगर माया को भगाने में समय लगायेंगे तो विश्व परिवर्तक का जो वायदा है वह पूरा कैसे करेंगे! बाप के साथी हैं ना, जन्म से ही वायदा किया है, अब भी साथ रहेंगे, साथ चलेंगे.. इसलिए अभी जो बाप से शक्तियां मिली हैं उस शक्तियों के आधार से माया को दूर से भगाओ। इसमें टाइम नहीं लगाओ। तो अभी शिवरात्रि, शिवजयन्ती मनाते हैं तो इसमें विशेष तीन बातें मनाते हैं। कमाल तो है जो यह विधियां, यह उत्सव मनाने वालों ने कापी की है, बापदादा उनको भी बधाईयां दे रहे हैं। विशेष 3 बातें मनाते हैं एक तो व्रत पालन करते हैं। आप लोगों को कापी किया है लेकिन अल्पकाल का। आप लोग भी जब से बाप के बने तो दो व्रत धारण किये। एक पवित्रता का, सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं ब्रह्माचारी। कई बच्चे क्या करते? मुख्य बड़े बड़े विकारों का व्रत तो रख देते लेकिन छोटे छोटे जो हैं ना उसको छोड़ देते हैं लेकिन छोटे महान बलि हो जायेंगे। छोटे कम नहीं होते। समय पर धोखा देने वाले छोटे होते हैं। जैसे चूहा होता है ना, है तो छोटा, लेकिन काटने में नम्बरवन है। फूंक भी देता है तो काटता भी है, जो पता ही नहीं पड़े। तो छोटे छोटे विकार, कई बच्चे क्रोध को समझते हैं यह तो होता ही है, करना ही पड़ता है। तो क्या उसको सम्पूर्ण आत्मा कहेंगे? बाल बच्चों सहित छोटे मोटे सहित व्रत धारण किया कि हम सदा के लिए पवित्र रहेंगे। किया है ना वायदा? या सिर्फ एक ब्रह्मचर्य का व्रत लिया है? आपका टाइटिल क्या है? सम्पूर्ण निर्विकारी, मर्यादा पुरुषोत्तम, यही टाइटिल है ना? या थोड़ी-थोड़ी मर्यादा कम। तो जो समझते हैं कि हमने मेरा बाबा कहा, मेरा बाबा में सबने हाथ उठाया, जब मेरा बाबा कहा तो बाप समान तो बनना पड़ेगा ना। बस एक मात्रा का फर्क करो, जहाँ मेरा आवे ना वहाँ तेरा याद रखो। एक शब्द का फर्क याद रखने से तीन तख्त के निवासी बनेंगे। तो एक व्रत सदा के लिए पवित्रता, मर्यादा पुरुषोत्तम का आपने सदा के लिए धारण किया, वह एक दिन के लिए करते हैं, कापी तो की है लेकिन आटे में नमक समान की है। फिर भी की तो है। बुद्धिवान तो हैं ना! और दूसरा व्रत रखते हैं खान-पान का। तो आप सबने भी शुद्ध भोजन का व्रत रखा है ना। कापी तो की है ना। आपने भी पूरा व्रत किया है, या कभी थक जाते तो कहते अच्छा कुछ खा लो। ऐसे तो नहीं? थक जाओ या तंग हो, यूथ क्या करते हैं? जो कुमार हैं, वह हाथ उठाओ। कुमार। अच्छा। बहुत अच्छा। कुमारियां हाथ उठाओ। कुमारों ने पूरा व्रत निभाया है कि कभी थक जाते हैं? कुमार जो आते ही अभी भी विधि पूर्वक खानपान का व्रत निभाते हैं, वह हाथ उठाओ। पास हैं, अच्छा मुबारक है। आपको पदमगुणा मुबारक है। मेहनत तो थोड़ी लगती है लेकिन बाप के प्यार में यह मेहनत नहीं मुहब्बत है। तो देखो कापी तो की है ना। वह व्रत रखते हैं एक दिन के लिए और आप व्रत रखते हो जीवन के लिए। एक जीवन का व्रत सदा आपेही चलता है, फिर मेहनत नहीं करनी पड़ती। एक जन्म छोटा सा इसमें मेहनत जरूर है, त्याग है। त्याग का भाग्य बनता है और साथ में क्या करते हैं? जागरण। आपने कौन सा जागरण किया है? वह नींद का त्याग करते हैं, आपने भी अज्ञान की नींद का त्याग किया है कि अज्ञान की नींद को, बिना समय की नींद को आने नहीं देंगे, झुटके नहीं खायेंगे। ऐसे ऐसे नहीं (झुटका खाने वालों की एक्शन), ऐसे। तो यह भी व्रत लिया है ना! कईयों की आदत होती है - ऐसे ऐसे करने की। बापदादा कहते हैं त्याग किया, दृढ़ संकल्प किया तो फिर दृढ़ संकल्प ढीला क्यों करते हो? स्क्रू टाइट करना नहीं आता है? इसको टाइट करने का स्क्रू ड्राइवर है प्रतिज्ञा। अभी जो कार्य रहा हुआ है, कौन सा रहा हुआ है? बोलो। प्रत्यक्षता का। इसका ही पुरुषार्थ कर रहे हो ना! मेरा बाबा आ गया, यह झण्डा क्यों लहराते हो? कोई भी कार्य करते हो, झण्डा लहराते हो। आज भी झण्डा लहरायेंगे ना। किसका झण्डा लहरायेंगे? बापदादा का, सेवा का, बर्थ डे का झण्डा लहरायेंगे। जैसे झण्डा लहराते हो तो जब तक पूरा खुले नहीं, तब तक खोलते रहते हो। समाप्ति झण्डे की तब तक होती है जब तक फूल नहीं बरसा है। तो आप भी प्रत्यक्षता क्या चाहते हो? बाप की प्रत्यक्षता हो। तो जितनी जागरण की, व्रत लेने की, प्रतिज्ञा पक्की करेंगे तो प्रत्यक्षता जल्दी से जल्दी होगी। तो प्रत्यक्षता चाहते हो ना! तो समय को समीप लाने वाले कौन? आप सब हो ना! समय को समीप लाने वाले आप सच्चे सेवाधारी बच्चे हो। विश्व परिवर्तक बच्चे हो। तो बर्थ डे की सौगात मंजूर है! देना भी लेना भी, दोनों बताई। सिर्फ देनी नहीं है, लेनी भी है। हाथ उठाओ जो दोनों करेंगे। जो दोनों करेंगे? अच्छा। बहुत अच्छा। अच्छा। आपका यह चित्र (हाथ उठाया हुआ) इसमें (टी.वी. में) आ रहा है। तो जो कुछ थोड़ा फेल होगा ना उसको यह चित्र भेज देंगे। फिर से हाथ उठाओ। यहाँ निकल रहा है। अच्छा। अच्छा है, तो मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। (डबल विदेशी भाई बहनें आये हैं) डबल फारेनर नहीं कहो, डबल तीव्र पुरुषार्थी। पसन्द है ना टाइटिल! डबल फारेनर्स तो कामन है। वह तो बहुत डबल फारेनर हैं। बापदादा को फारेनर्स के लिए खुशी होती है कि फारेनर्स मधुबन का श्रृंगार बन गये हैं। देखो, इण्डिया के भिन्न-भिन्न देशों से आते हैं तो फारेनर्स कम क्यों हो, इसमें भी अच्छी रेस की है। तो बापदादा एक बात में मैजारिटी को देख करके खुश है, कि जो भी आते हैं वह अभी एक कल्चर वाले हो गये हैं। सभी एक ब्रह्मण कल्चर वाले हैं। हैं ना! हाथ उठाओ। अभी विदेश की कल्चर वाले नहीं, सब ब्रह्मण कल्चर वाले। आये थे तो भिन्न-भिन्न कल्चर वाले आये थे लेकिन कल्चर को भी पार कर लिया, यह बड़ी दीवार थी लेकिन इस बड़ी दीवार को क्रास कर लिया है, अभी लगता ही नहीं है कि यह कोई अलग हैं। अभी उठके देखो टी.वी. में सब ब्रह्मण कल्चर वाले हैं। अच्छा लगता है ना - एक ही कल्चर। अच्छा। चारों ओर के बापदादा के दिलतख्तनशीन बच्चों को, चारों ओर के तीव्र पुरुषार्थी बच्चों को, चारों ओर के बापदादा ने जो गिफ्ट दी, उस गिफ्लाट को स्वीकार करने वाले और जो बच्चों ने संकल्प से बापदादा को गिपÌट दी, उस संकल्प को सदा दृढ़ करने वाले ऐसे दृढ़ पुरुषार्थी, प्रतिज्ञा कर प्रत्यक्षता करने वाले सर्व बच्चों को बापदादा का बहुत-बहुत दिल का दुलार और दिल का यादप्यार स्वीकार हो और सभी बच्चों को बार बार बधाई, बधाई, बधाई।
सेवा का टर्न यू.पी. बनारस और पश्चिम नेपाल का है:- अच्छा है यू.पी. ने विशेष ब्रह्मा बाप की पालना लेने का अधिकार प्राप्त किया है। यू.पी. में ब्रह्मा के नाम से यादगार भी है। तो यू.पी. का भाग्य है, जो जगत अम्बा, ब्रह्मा बाबा की पालना ली है। तो पालना की धरनी है। भाग्य का सितारा ब्रह्मा बाप और जगत अम्बा ने यू.पी. को वरदान में दिया। अच्छा है। अभी दिन प्रतिदिन बाप ने देखा कि सेवा स्थान और जो भी उपसेवाकेन्द्र वा गीता पाठशालायें हैं वह पहले से अभी वृद्धि अच्छी है इसीलिए बापदादा खास मुबारक दे रहे हैं कि बढ़ते चलो और नम्बर वृद्धि करने में, सन्देश देने में नम्बरवन बनो। अच्छा है, बापदादा खुश है और बढ़ाते चलना। टीचर्स को मुबारक है। वृद्धि कर रही हो और इससे भी ज्यादा में ज्यादा वृद्धि करते रहना। अच्छा।