ओम् शान्ति 31-12-18 मधुबन


प्राणप्यारे अव्यक्त बापदादा के अति स्नेही, सदा नये उमंग-उत्साह में रहने वाले विश्व परिवर्तन के निमित्त बने हुए, कारण व समस्या शब्द को सदा के लिए विदाई देकर समाधान स्वरूप बनने वाले निमित्त बेहद सेवाधारी टीचर्स बहिनें तथा देश विदेश के सर्व ब्रह्मण कुल भूषण भाई बहिनें,

ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद के साथ आज नये वर्ष की बहुत-बहुत मुबारक हो, मुबारक हो।
नया वर्ष नया उमंग-उत्साह लेकर आया है। सभी बहुत प्यार से एक दो को नये वर्ष की बधाईयां दे रहे हैं। प्यारे बापदादा ने भी सभी को नये वर्ष और नये युग की बधाई दी। प्यारे बापदादा की सभी बच्चों प्रति यही शुभ आश है कि पुराने वर्ष को विदाई देने के साथ-साथ बच्चे पुराने संस्कारों को भी सदा के लिए विदाई देकर स्व परिवर्तन और विश्व परिवर्तन के महान कार्य के निमित्त बनें। सभी का जो लक्ष्य है हमें बाप समान बनना है, तो इस वर्ष सभी मिलकर नवीनता सम्पन्न ऐसा तीव्र पुरुषार्थ करें जो सम्पन्नता और सम्पूर्णता की मंजिल को प्राप्त कर लेवें। देखो, प्यारे बापदादा कैसे सभी बच्चों को अपनी भासना देते सबकी अलौकिक पालना कर रहे हैं। इस बार सेवाओंका टर्न दिल्ली और आगरा ज़ोन का है। करीब 20 हजार भाई बहिनें इस ग्रुप में पहुंचे हैं। डबल विदेशी भी करीब 450 हैं। छोटे बच्चों की, युवाओंकी रिट्रीट भी बहुत अच्छी चली, सभी सभा में बैठे हैं। सभी बापदादा के साथ बहुत उमंग-उत्साह के साथ नया वर्ष मना रहे हैं। बापदादा ने सबको यही होम वर्क दिया है कि बच्चे अब दृढ़ता और परिवर्तन की शक्ति से कारण और समस्या शब्द को सदा के लिए समाप्त कर समाधान स्वरूप बनें। बापदादा के यह मधुर महावाक्य जो हम सबने वीडियो द्वारा सुने हैं, उन्हें आप भी अपनी क्लासेज़ में सुनाकर सबको रिफ्रेश करना जी। बापदादा के मधुर महावाक्य सुनने के पश्चात दादी जानकी जी ने सबको नये वर्ष की मुबारक दी। फिर सभी बड़े भाई बहिनों ने मिलकर मोमबत्ती जलाई तथा केक काटी। सबका मुख मीठा कराया। अच्छा - सभी को बहुत-बहुत याद। ओम् शान्ति।
ओम् शान्ति 31-12-18 ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज-वीडियो 31-12-06
“नये वर्ष की नवीनता - दृढ़ता और परिवर्तन शक्ति से कारण व समस्या शब्द को विदाई दे निवारण व समाधान स्वरूप बनो”
आज नवयुग रचता बापदादा अपने चारों ओर के बच्चों को नया वर्ष और नवयुग दोनों की मुबारक देने आये हैं। चारों ओर के बच्चे भी मुबारक देने पहुंच गये हैं। क्या सिर्फ नये वर्ष की मुबारक देने आये हो वा नवयुग की भी मुबारक देने आये हो? जैसे नये वर्ष की खुशी होती है और खुशियां देते हैं। तो आप ब्रह्मण आत्माओंको नवयुग भी इतना याद है? नवयुग नयनों के सामने आ गया है? जैसे नये वर्ष के लिए दिल में आ रहा है कि आया कि आया, ऐसे ही अपने नवयुग के लिए इतना अनुभव करते हो कि आया कि आया? उस नवयुग की स्मृति इतनी समीप आती है? वह शरीर रूपी अपनी ड्रेस चमकती हुई सामने नज़र आ रही है? बापदादा डबल मुबारक देते हैं। बच्चों के मन में, नयनों में नवयुग की सीन सीनरियां इमर्ज हैं, कितना अपने नवयुग में तन-मन-धन-जन श्रेष्ठ है, सर्व प्राप्तियों के भण्डार हैं। खुशी है कि आज पुरानी दुनिया में हैं और अभी-अभी अपने राज्य में होंगे! याद है अपना राज्य? जैसे आज डबल कार्य के लिए आये हो, पुराने को विदाई देने और नये वर्ष को बधाई देने आये हो। तो सिर्फ पुराने वर्ष को विदाई देने आये हो वा पुरानी दुनिया के पुराने संस्कार, पुराने स्वभाव, पुरानी चाल उसको भी विदाई देने आये हो? पुराने वर्ष को विदाई देना तो सहज है, लेकिन पुराने संस्कार को विदाई देना भी इतना सहज लगता है? क्या समझते हो? माया को भी विदाई देने आये हो वा वर्ष को विदाई देने आये हैं? विदाई देना है ना! या माया से थोड़ा प्यार है? थोड़ा-थोड़ा रखने चाहते हो?2 बापदादा आज चारों ओर के बच्चों से पुराने संस्कार स्वभाव से विदाई दिलाने चाहते हैं। दे सकते हो? हिम्मत है कि सोचते हो कि विदाई देने चाहते हैं लेकिन फिर माया आ जाती है! क्या आज के दिन दृढ़ संकल्प की शक्ति से पुराने संस्कार को विदाई दे नये युग के संस्कार को, जीवन को बधाई देने की हिम्मत है? है हिम्मत? जो समझते हैं हो सकता है, हो सकता है, वा होना ही है, है हिम्मत वाले? जो समझते हैं हिम्मत है वह हाथ उठाओ। हिम्मत है? अच्छा जिन्होंने नहीं उठाया है वह सोच रहे हैं? डबल फ़ौरेनर्स ने उठाया हाथ, जिसमें हिम्मत है वह हाथ उठाओ, सभी नहीं। अच्छा, डबल फ़ौरेनर्स तो होशियार हैं। डबल नशा है इसीलिए। देखना, बापदादा हर मास रिजल्ट देखेगा। बापदादा को खुशी है कि हिम्मत वाले बच्चे हैं। चतुराई से जवाब देने वाले बच्चे हैं। क्यों? क्योंकि जानते हैं कि एक कदम हमारी हिम्मत का और हजारों कदम बाप की मदद का तो मिलना ही है। अधिकारी हो। हजार कदम मदद के अधिकारी हो। सिर्फ हिम्मत को माया हिलाने की कोशिश करती है। बापदादा देखते हैं कि हिम्मत अच्छी रखते हैं, बापदादा दिल से मुबारक भी देते हैं लेकिन हिम्मत रखते फिर साथ में अपने अन्दर ही व्यर्थ संकल्प उत्पन्न कर लेते, कर तो रहे हैं, होना तो चाहिए, करेंगे तो जरूर, पता नहीं.... पता नहीं का संकल्प आना यह हिम्मत को कमजोर कर देता है। तो तो आ जाता है ना, करते तो हैं, करना तो है.. आगे उड़ना तो है..। यह हिम्मत को हिला देते हैं। तो नहीं सोचो, करना ही है। क्यों नहीं होगा! जब बाप साथ है, तो बाप के साथ में तो-तो नहीं आ सकता। तो इस नये वर्ष में नवीनता क्या करेंगे? हिम्मत के पांव को मजबूत बनाओ। ऐसी हिम्मत का पांव मजबूत बनाओ जो माया खुद हिल जाये लेकिन पांव नहीं हिलें। तो नये वर्ष में नवीनता करेंगे, या जैसे कभी हिलते कभी मजबूत रहते, ऐसे तो नहीं करेंगे ना! आप सभी का कर्तव्य वा आक्यूपेशन क्या है? अपने को क्या कहलाते हो? याद करो। विश्व कल्याणी, विश्व परिवर्तक, यह आपका आक्यूपेशन है ना! तो बापदादा को कभी-कभी मीठीमीठी हंसी आती है। विश्व परिवर्तक टाइटिल तो है ना! विश्व परिवर्तक हो? या लण्डन परिवर्तक, इण्डिया परिवर्तक? विश्व परिवर्तक हो ना, सभी? चाहे गांव में रहते हैं चाहे लण्डन या अमेरिका में रहते हैं लेकिन विश्व कल्याणकारी हो ना? हो तो कांध हिलाओ। पक्का ना! कि 75 परसेन्ट हो। 75 परसेन्ट विश्व कल्याणी और 25 परसेन्ट माफ है, ऐसे? आपकी चैलेन्ज क्या है? प्रकृति को भी चैलेन्ज की है कि प्रकृति को भी परिवर्तन करना ही है। तो अपना आक्यूपेशन याद करो। कभी-कभी अपने लिए भी सोचते हो - करना तो नहीं चाहिए लेकिन हो जाता है। तो विश्व परिवर्तक, प्रकृति परिवर्तक, स्व परिवर्तक नहीं बन सकते? शक्ति सेना क्या सोचते हो? इस वर्ष में अपना आक्यूपेशन विश्व परिवर्तक का याद रखना। स्व प्रति वा अपने ब्रह्मण परिवार प्रति भी परिवर्तक बनना क्योंकि पहले तो चैरिटी बिगन्स एट होम है ना! तो अपने आक्यूपेशन का प्रैक्टिकल स्वरूप प्रत्यक्ष करेंगे ना! स्व परिवर्तन जो स्वयं भी चाहते हो और बापदादा भी चाहते हैं, जानते तो हो ना! बापदादा पूछते हैं कि आप सभी बच्चों का लक्ष्य क्या है? तो मैजाॅरिटी एक ही जवाब देते हैं कि बाप समान बनना है। ठीक है ना! बाप समान बनना ही है ना, कि देखेंगे, सोचेंगे...! तो बाप भी यही चाहते हैं कि इस नये वर्ष में कोई कमाल करके दिखाओ। सब इतनी सेवा के उमंग में भिन्न-भिन्न प्रोग्राम बनाते रहते हैं, सफल भी होते रहते हैं, बापदादा को खुशी भी होती है कि मेहनत जो करते हैं उसकी सफलता मिलती है। व्यर्थ नहीं जाती है लेकिन सेवा किसलिए करते हो? तो क्या जवाब देते हैं? बाप को प्रत्यक्ष करने के लिए। तो बाप आज बच्चों से प्रश्न पूछते हैं, कि बाप को प्रत्यक्ष तो करना ही है, करेंगे ही। लेकिन बाप को प्रत्यक्ष करने के पहले स्व को प्रत्यक्ष करो। बोलो, शिव शक्तियां यह वर्ष शिव शक्ति के रूप में स्व को प्रत्यक्ष करेंगी? करेंगी? जनक बोलो? करेंगे? (करना ही है) साथी, पहली लाइन दूसरी लाइन में बैठी हुई टीचर्स हाथ उठाओ जो इस वर्ष में करके दिखायेंगे। करेंगे नहीं, करके दिखाना ही है। अच्छा - सभी टीचर्स ने उठाया या कोई ने नहीं उठाया। अच्छा - मधुबन वाले। करना ही है, करना पड़ेगा क्योंकि मधुबन तो नजदीक है ना। तारीख नोट कर देना, 31 तारीख है। टाइम भी नोट करना। और पाण्डव सेना, पाण्डवों को क्या दिखाना है? विजयी पाण्डव। कभी-कभी के विजयी नहीं, है ही विजयी पाण्डव। तो इस वर्ष में ऐसा बनकर दिखाना या कहेंगे क्या करें? माया आ गई ना, चाहते नहीं थे आ गई! बापदादा ने पहले भी कहा है - माया अपना लास्ट टाइम तक आना बन्द नहीं करेगी। लेकिन माया का काम है आना और आपका काम क्या है? विजयी बनना। बापदादा यही चाहते हैं कि इस वर्ष एक शब्द को सदा के लिए विदाई दो। वह कौन सा? बतायें, बोलें? देनी पड़ेगी। इस वर्ष बापदादा कारण शब्द को विदाई दिलाने चाहते हैं। निवारण हो, कारण खत्म। समस्या खत्म, समाधान स्वरूप। चाहे स्वयं का कारण हो, चाहे साथी का कारण हो, चाहे संगठन का कारण हो, चाहे कोई सरकमस्टांश का कारण हो, ब्रह्मणों की डिक्शनरी में कारण शब्द, समस्या शब्द परिवर्तन हो, समाधान और निवारण हो जाए क्योंकि बहुतों ने आज अमृतवेले भी बापदादा से रूहरिहान में यही बातें की, कि नये वर्ष में कुछ नवीनता करें। तो बापदादा चाहते हैं कि यह नया वर्ष ऐसा मनाओ जो यह दो शब्द समाप्त हो जाएं। पर-उपकारी बनो। स्वयं कारण बनते हैं या दूसरा कोई कारण बनता है, लेकिन पर-उपकारी आत्मा बन, रहमदिल आत्मा बन, शुभ भावना, शुभ कामना के दिल वाले बन सहयोग दो, स्नेह लो। नये वर्ष में नवीनता करनी ही है - स्व के, सहयोगियों के और विश्व के परिवर्तन की। पीछे वाले सुन रहे हैं? तो करना है ना, यह नहीं सोचना पहले तो बड़े करेंगे ना, हम तो छोटे हैं ना। छोटे समान बाप। हर एक बच्चा बाप के अधिकारी है, चाहे पहले बारी भी आये हो लेकिन मेरा बाबा कहा तो अधिकारी हो। श्रीमत पर चलने के भी अधिकारी और सर्व प्राप्तियों के भी अधिकारी। टीचर्स आपस में प्रोग्राम बनाना, फ़ौरेन वाले भी बनाना, भारत वाले भी मिलकर बनाना। ठीक है अच्छा - बापदादा देखेंगे, हर सप्ताह, हर ज़ोन, अपनी रिजल्ट ओ.के. या ओ.के. में लाइन लगाकर भेजे। अगर नहीं हैं ओ.के. तो, और कुछ नहीं लिखना, पत्र कोई नहीं पढ़ेगा। बहुत लम्बे पत्र भेजते हैं तो पढ़ने की फुर्सत नहीं होती है इसलिए सिर्फ ओ.के. लिखें और ओ.के. नहीं हैं, तो बीच में लाइन लगा दें, बस।उसी से पता पड़ जायेगा कि अभी मार्जिन है। ज़ोन नहीं तो हर एक सेन्टर लिखे, सभी सेवा में भक्तों की, दु:खियों की, ब्रह्मणों की आपसी, तीनों सेवा में ओ.के. या लाइन। परिवर्तन शक्ति, दृढ़ता की शक्ति अच्छी तरह से यूज़ करना। अच्छा।
सेवा का टर्न, दिल्ली, आगरा का है:- अच्छा है, देखो स्थापना के कार्य में निमित्त पहले दिल्ली बनी, बाम्बे भी साथ में थोड़ा-थोड़ा बनी, लेकिन दिल्ली स्थापना के कार्य में निमित्त बनी तो स्थापना वाले गोल्डन कप लेने में भी निमित्त बनेंगे? बनेंगे? इस बारी बापदादा गोल्डन कप बनवा रहे हैं, कितने लेते हैं, वह देखेंगे। लेकिन दिल्ली को नम्बरवन जाना ही है, ऐसे है ना! जायेंगे नहीं, जाना ही है राइट बोल रहे हैं तो हाथ उठाओ। जाना ही है कि देखेंगे, सोचेंगे, गे गे वाले तो नहीं हैं? बहादुर हैं। दिल्ली वालों में हिम्मत है लेकिन संगठित रूप में हिम्मत प्रत्यक्ष करके दिखाओ। सबकी नज़र दिल्ली के ऊपर जाती है। अच्छा है। सेवा का शौक रखा है, इसकी मुबारक है। अपने पुण्य का खाता जमा कर लिया है। अच्छा।
डबल विदेशी:- फारेनर्स वृद्धि भी कर रहे हैं और भिन्न-भिन्न देश जो रहे हुए हैं, उसमें उमंग-उत्साह से बढ़ रहे हैं। बापदादा को यह खुशी है कि प्रैक्टिकल रहमदिल बन आत्माओंके ऊपर रहम कर रहे हैं। सेवा का उमंग भी है और सेवा का प्रत्यक्ष रुप भी दिखा रहे हैं। अभी डबल तीव्र पुरुषार्थ कर गोल्डन कप फ़ौरेन वाले लेवें। ले सकते हैं। सभी की तरफ से ईमेल आयेगा आपके पास, ओ.के. ओ.के, ज्यादा नहीं आयेगा। पढ़ना पड़ता है ना आपको। (दादी जानकी को), बस सिर्फ ओ.के. बाप भी ओ.के. वालों को गुप्त में बहुत स्नेह की दुआओंकी वर्षा करते हैं। वाह! बच्चे वाह! का गीत गाते हैं। अच्छा। अभी हर एक अपने को मन के मालिक अनुभव कर एक सेकण्ड में मन को एकाग्र कर सकते हो? आर्डर कर सकते हो? एक सेकण्ड में अपने स्वीट होम में पहुंच जाओ। एक सेकण्ड में अपने राज्य स्वर्ग में पहुंच जाओ। मन आपका आर्डर मानता है वा हलचल करता है? मालिक अगर योग्य है, शक्तिवान है, तो मन नहीं माने, हो नहीं सकता। तो अभी अभ्यास करो एक सेकण्ड में सभी अपने स्वीट होम में पहुंच जाओ। यह अभ्यास सारे दिन में बीच-बीच में करने का अटेन्शन रखो। मन की एकाग्रता स्वयं को भी और वायुमण्डल को भी पावरफुल बनाती है। अच्छा। चारों ओर के अति सर्व के स्नेही, सर्व के सहयोगी श्रेष्ठ आत्माओंको, चारों ओर के विजयी बच्चों को, चारों ओर के परिवर्तन शक्तिवान बच्चों को, चारों ओर के सदा स्वयं को प्रत्यक्ष कर बाप को प्रत्यक्ष करने वाले बच्चों को, सदा समाधान स्वरूप विश्व परिवर्तक बच्चों को बापदादा का यादप्यार और दिल की दुआयें स्वीकार हों। साथ में सभी बच्चों को जो बाप के भी सिरताज हैं, ऐसे सिरताज बच्चों को बापदादा की नमस्ते।
दादी जानकी:- ओम् शान्ति। आप बहुत अच्छी तरह से शान्ति से बाबा के सामने बैठे थे। बाबा के एक एक बोल में क्या शक्ति भरी हुई थी! वन्डरफुल। एक मिनट भी शान्त रहने में कितना फायदा है। मुझे यह अच्छा लगता है थोड़ा समय भी सारे दिन में शान्त में रहना और स्वरूप बनना। अन्दर में शान्ति है और बाहर वायुमण्डल में शान्ति चारों ओर फैल रही है। इतने सब भाई बहनें यहाँ क्लास में हाज़िर हैं, मुझे अच्छा लगता है। बाबा हमारी भावना को जानता है कि बच्ची की क्या भावना है। एक तरफ है बाबा और दूसरे तरफ है हमारा भाग्य। बाबा मेरे साथ है, यह सदा खींच होती है। बाबा को यह सभी मीत बहुत प्यारे लगते हैं। बाबा हमारा है परन्तु हम उनके मित्र हैं यानी जो उनकी श्रीमत है वह सिरमाथे पर है इसलिए सिर कभी भारी नहीं होता है, यह भाग्य है। बाबा ऐसा मीठा है प्यारा है।
नया साल आज रात से शुरू होगा परन्तु एडवांस में बाबा ने ऐसी शक्ति भर दी है। हमको साक्षी होकर रहने में बाबा ने अच्छा साथ दिया है। बाबा कहता है मैं तुम्हारा साथी हूँ, तुम भाग्यवान हो जो साक्षी होकरके इतना वन्डरफुल पार्ट बजा रही हो। बाबा की हमारे ऊपर खास नज़र है, यह भी मैं अपना नाज़ समझती हूँ, बाबा मुझे क्या समझता है जो अच्छी भासना मुझे देता है। बाबा जैसा है वैसा हमको बनाने के लिए सदा हाज़िर रहता है। बाबा तेरा बनने में सुख मिलता इलाही है। इलाही शब्द के दो अर्थ हैं - एक है अल्लाह के तरफ से, दूसरा इतना है जिसका माप नहीं कर सकते, अथाह मिला है। मिलता रहेगा। समय का इतना कदर है। बाबा जो देता है उसको लेना माना नई दुनिया में चले जाना। पहले स्वीट होम में जाना है फिर सतयुग में आना है। सतयुग में आने की तैयारी अलग है, यहाँ से जाने की तैयारी पहले करनी है। शान्तिधाम, परमधाम, निर्वाणधाम में पहले जाना है फिर सतयुग में आना है, फिर वहाँ कैसे रहना है, वहाँ कितने जन्म होंगे।
बाबा देख रहा है बच्चे चारों ओर सच्चाई और प्रेम में मस्त हैं। कोई आवाज नहीं, हाँ हूँ नहीं। ताली भी बजाने की जरूरत नहीं। यह तालियां बजाते हैं, भले बजाओ। हैपी न्यु ईयर, यह शब्दों में भी आना मुझे नहीं आता है। बाकी शब्दों से पार जहाँ बाबा खींचता है वहाँ हम हाज़िर हैं बाबा के सामने। नवयुग, नव वर्ष की मुबारक यह शब्द भी सबके दिल से आपेही निकल रहा है। कल क्या होगा, नया साल आ रहा है। जहाँ भी हूँ जैसे भी हूँ, बाबा और परिवार मुझे प्यार करता है, यह भासना आती है। सिर्फ भावना नहीं हैपर भासना भी ऐसी मिली हुई है। तो सभी बोलो, हैपी न्यु ईयर। अच्छा - ओम् शान्ति।