ओम् शान्ति 18-03-2019 मधुबन


प्राणप्यारे अव्यक्त बापदादा के अति स्नेही, सदा होली हैपी मूड में रह, खुशियों के झूले में झूलने वाली निमित्त टीचर्स बहिनें तथा देश विदेश के सर्व बाबा के अमूल्य नूरे रत्नों प्रति

ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर यादप्यार स्वीकार हो।

बाद समाचार - आप सभी ने शिवबाबा के यादगार दिवस को खूब धूमधाम से मनाया, अनेकानेक स्थानों पर शिवबाबा के ध्वज फैहराये, प्रदर्शनिया की, बहुत सुन्दर समाचार फोटोज आदि मिल रहे हैं। अभी होली का पावन पर्व सामने है। कल हम सबने होलीएस्ट बाप के बहुत सुन्दर अनेक रहस्यों से भरे हुए अव्यक्त महावाक्य सुने। बाबा बोले बच्चे होली मनाना अर्थात् अपवित्रता वा बुराई को भस्म करना अथवा जलाना। जब अपवित्रता को सम्पर्णू समाप्त कर देते हो तब पवित्रता का रंग चढ़ता है। यह रंगो का उत्सव है। सभी अनेक प्रकार के भाव स्वभाव को भूलकर एक ही परिवार के, समान रूप से आपस में खेलते, खुशिया मनाते हैं। बाबा हम बच्चों को सदा इसके सुन्दर आध्यात्मिक अर्थ बताते बच्चे, तुम्हारी दिव्य बुद्धि रूपी पिचकारी में अविनाशी रंग भरा हुआ हो। अपनी बुद्धि की पिचकारी से किसी भी आत्मा को दृष्टि द्वारा, वृत्ति द्वारा, मुख द्वारा इस रंग में रंग दो। सिर्फ होली मनाओ नहीं लेकिन होली बनो। आपकी होली मूड सदा हल्की, सदा निश्चिन्त, सदा सर्व खजानों से सम्पन्न हो। सदा खुश रहो, हल्के रहो। कभी मूड आफ नहीं करना। ऐसे अनमोल महावाक्य आप सबने भी पढे वा सुने होंगे। मीठे बाबा ने तो हम सबकी मूड सदा होली, हैपी बना ही दी है। तो ऐसे पावन पर्व की सबको बहुत-बहुत दिल से हार्दिक बधाईया।

बापदादा के बेहद घर की रौनक तो आप सबने अनुभव की है। कैसे अव्यक्त वतन वासी बाबा साकार में न आते भी अपने देश विदेश के अनेकानेक बच्चों को मधुबन में बुलाकर उन्हें बहुत सुन्दर अनुभूतियां करा देते हैं। इस टर्न में भी देश विदेश के करीब 18 हजार भाई बहिनें पहुचे हुए हैं। पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तराखण्ड के भाई बहिनों की सेवा का टर्न है। साथ में अन्य कई जोन के भाई बहिनें तथा 5-6 सौ डबल विदेशी भाई बहिनें बाबा के घर में आकर बहुत अच्छी अनुभूतियां कर रहे हैं।

आज जो बापदादा के अवतरण के समय वीडियो द्वारा महावाक्य हम सभी ने सुने हैं, वह आपके पास भेज रहे हैं। अपने-अपने क्लास को रिफ्रेश करना जी। अच्छा - सभी को बहुत-बहुत याद ओम् शान्ति।

02-04-08 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन

“इस वर्ष चारों ही सबजेक्ट में अनुभव की अथॉरिटी बनो, लक्ष्य और लक्षण को समान बनाओ”

आज बापदादा अपने चारों ओर के सन्तुष्ट रहने वाले, सन्तुष्ट मणियों को देख रहे हैं। हर एक के चेहरे पर सन्तुष्टता की चमक दिखाई दे रही है। सन्तुष्ट मणियां स्वयं को भी प्रिय हैं, बाप को भी प्रिय हैं और परिवार को भी प्रिय हैं क्योंकि सन्तुष्टता महान शक्ति है। सन्तुष्टता तब धारण होती है जब सर्व प्राप्तियां प्राप्त होती हैं। अगर प्राप्तियां कम तो सन्तुष्टता भी कम होती है। सन्तुष्टता और शक्तियों को भी आह्वान करती है। सन्तुष्टता का वायुमण्डल औरों को भी यथा शक्ति सन्तुष्टता का वायब्रेशन देता है। जो सन्तुष्ट रहता है उसकी निशानी सदा प्रसन्नचित दिखाई देता है। सदा चेहरा हर्षितमुख स्वत: ही रहता है। सन्तुष्ट आत्मा के सामने कोई भी परिस्थिति स्व स्थिति को हिला नहीं सकती। कितनी भी बड़ी परिस्थिति हो लेकिन सन्तुष्ट आत्मा के लिए कार्टून शो का मनोरंजन दिखाई देता है।इसा लिए वह परिस्थिति में परेशान नहीं होता आरै परिस्तिथितियाँ उसके ऊपर वार नहीं कर सकती, हार जाती है। इसलिए अतीन्द्रिय सुखमय मनोरंजन की जीवन अनुभव करता है। मेहनत नहीं करनी पड़ती। मनोरंजन अनुभव होता है। तो हर एक अपने को चेक करे। चेक करना तो आता है ना! आता है? जिसको चेक करना आता है अपने को, दूसरे को नहीं अपने को चेक करना आता है, वह हाथ उठाओ। चेक करना आता है? अच्छा। मुबारक हो।

बापदादा का वरदान भी हर बच्चे को रोज अमृतवेले भिन्न-भिन्न रूपों से यही मिलता है, खुश रहो आबाद रहो। रोज का वरदान मिलता सभी को है, बापदादा सभी को एक ही जैसा एक ही साथ वरदान देता है। लेकिन फर्क क्या हो जाता है? नम्बरवार क्यों बन जाते? दाता एक है, और देन भी एक है, किसको थोड़ा किसको बहुत नहीं देते हैं, फ्राकदिली से देते हैं लेकिन फर्क क्या पड़ जाता है? इसका अनुभव भी सभी को है क्योंकि अभी तक बापदादा के पास यह आवाज पहुंचता है। जानते हो ना क्या? कभी-कभी थोड़ा-थोड़ा, यह आवाज अभी तक भी आता है - बापदादा ने कहा है कि ब्राह्मण आत्माओं के जीवन रूपी डिक्शनरी में यह दोनों शब्द निकल जाना चाहिए। अविनाशी बाप है, अविनाशी खज़ाने हैं, आप सब भी अविनाशी श्रेष्ठ आत्मायें हो। तो कौन सा शब्द होना चाहिए? कभी-कभी कि सदा? हर खज़ाने के आगे चेक करो - सर्व शक्तियां सदा है? सर्व गुण सदा है? आप सबके भक्त जब आपके गुण गाते तो क्या कहते हैं? कभी-कभी गुणदाता, ऐसे कहते हैं? बापदादा ने हर वरदान में सदा शब्द कहा है। सदा सर्वशक्तिवान, कभी शक्तिवान, कभी सर्वशक्तिवान नहीं कहा है। हर समय दो शब्द आप भी कहते हो, बाप भी कहते हैं, समान बनो। यह नहीं कहते थोड़ा-थोड़ा समान बनो। सम्पन्न और सम्पूर्ण, तो बच्चे कभी-कभी क्या करते हैं? बापदादा भी खेल तो देखते हैं ना! बच्चों का खेल तो देखते ही रहते हैं। बच्चे क्या करते, कोई-कोई, सब नहीं। जो वरदान मिला उस वरदान को सोचकर, वर्णन कर कापी में नोट करते, याद भी करते लेकिन वरदान रूपी बीज को फलीभूत नहीं करते। बीज से फल नहीं निकाल सकते। सिर्फ वर्णन करते खुश होते बहुत अच्छा वरदान है। वरदान है बीज लेकिन बीज को जितना फलीभूत करते हैं उतना ही वह वृद्धि को पाता है। फलीभूत करने का रहस्य क्या है? समय पर कार्य में लगाना। कार्य में लगाना भूल जाते, सिर्फ कापी में देख, वर्णन करते बहुत अच्छा, बहुत अच्छा। बाबा ने वरदान बहुत अच्छा दिया है। लेकिन किसलिए दिया है? उसको फलीभूत करने के लिए दिया है। बीज से फल का विस्तार होता है। वरदान को सिमरण करते हैं, लेकिन वरदान स्वरूप बनने में नम्बरवार बन जाते हैं। और बापदादा हर एक के भाग्य को देख हर्षित होते रहते हैं लेकिन बापदादा की दिल की आश पहले भी सुनाया है। सभी ने हाथ उठाया था, याद है कि हम कारण को समाप्त कर समाधान स्वरूप बनेंगे | याद है होमवर्क? कई बच्चों ने रूहारिहान में या पत्रों द्वारा, ईमेल द्वारा रिजल्ट लिखा भी है। अच्छा है, अटेन्शन गया है लेकिन जो बापदादा को शब्द अच्छा लगता है, सदा। वह है?

जब बापदादा पूछते हैं कि बापदादा से प्यार किसका है? और कितना है? तो क्या जवाब देते हैं? बाबा, इतना है जो कह नहीं सकते। जवाब बहुत अच्छा देते हैं | बापदादा भी खुश हो जाते हैं | लेकिन प्यार का सबूत क्या ? जिससे प्यार होता है, आजकल की दुनिया वालों का बॉडीकान्सेस का प्यार तो जान कुर्बान कर देते हैं। परमात्म प्यार उनके पीछे बाप ने कहा और बच्चों को करना मुश्किल क्यों? गीत बहुत अच्छे-अच्छे गाते हो। बाबा हम न्योछावर करने वाले परवाने हैं, शमा पर फिदा होने वाले हैं। तो यह कारण शब्द को स्वाहा नहीं कर सकते?

आपका टाइटल क्या है? आपका कर्तव्य क्या है? किस कर्तव्य के लिए ब्राह्मण बनें? विश्व परिवर्तक आपका टाइटल है। विश्व परिवर्तन आपका कार्य है और साथी कौन है? बापदादा के साथ-साथ इस कार्य में निमित्त बने हो। तो क्या करना है? अभी भी हाथ उठवायेंगे, करेंगे तो हाथ तो सभी उठा देते हैं। लक्ष्य रखा है, बापदादा ने देखा, टोटल इस वर्ष की सीजन में सभी ने संकल्प किया लेकिन सफलता की चाबी दृढ़ता - करना ही है, उसके बजाए कभी-कभी कर रहे हैं, चल रहे हैं, कर ही लेंगे। यह संकल्प दृढ़ता को साधारण बना देता है। दृढ़ता में कारण शब्द आता ही नहीं है। निवारण हो जाता है। कारण आते भी हैं लेकिन चेकिंग होने के कारण, कारण निवारण में बदल जाता है।

बापदादा ने रिजल्ट में चेक किया तो क्या देखा? ज्ञानी, योगी, धारणा स्वरूप, सेवाधारी, चार ही सबजेक्ट में हर एक यथाशक्ति ज्ञानी भी है, योगी भी है, धारणा भी कर रहा है, सेवा भी कर रहा है। लेकिन चार ही सबजेक्ट में अनुभव स्वरूप, अनुभव के अथॉरिटी - उसकी कमी दिखाई दी। अनुभवी स्वरूप, ज्ञान स्वरूप में भी अनुभवी स्वरूप अर्थात् ज्ञान को नॉलेज कहा जाता है तो अनुभवी मूर्त आत्मा में नॉलेज अर्थात् समझ क्या करना है, क्या नहीं करना है, नॉलेज की लाइट और माइट, तो अनुभवी स्वरूप का अर्थ ही है ज्ञानी तू आत्मा के हर कर्म में लाइट और माइट नेचुरल होना चाहिए। ज्ञानी माना ज्ञान, नॉलेज को जानना, वर्णन करना, उसके साथ-साथ हर कर्म में लाइट माइट हो। अनुभवी स्वरूप से हर कर्म नेचुरल श्रेष्ठ और सफल होगा। मेहनत नहीं करनी पड़ेगी क्योंकि ज्ञान के अनुभवीमूर्त हैं। अनुभव की अथॉरिटी सब अथॉरिटी से श्रेष्ठ है। ज्ञान को जानना और ज्ञान के अनुभव स्वरूप के अथारिटी में हर कर्म करना, उसमें अन्तर है | तो अनुभवी स्वरूप हैं ? चेक करो। चार ही सबजेक्ट में, आत्मा हूँ लेकिन अनुभवी स्वरूप होके हर कर्म करते हैं? अनुभव की अथॉरिटी की सीट पर सेट हैं तो श्रेष्ठ कर्म, सफलता स्वरूप कर्म अथॉरिटी के सामने नेचुरल नेचर दिखाई देगी। सोचते हैं लेकिन अनुभवी स्वरूप बनना, योगयुक्त राज़युक्त नेचर हो जाए, नेचुरल हो जाए। धारणा में भी सर्व गुण स्वत: ही हर कर्म में दिखाई दें। ऐसे अनुभवी स्वरूप में सदा रहना, अनुभव की सीट पर सेट होना इसकी आवश्यकता का अटेन्शन रखना, यह आवश्यक है | अनुभव के अथॉरिटी की सीट बहुत महान है। अनुभवी को माया भी मिटा नहीं सकती क्योंकी माया की अथॉरिटी से अनुभव की अथॉरिटी पदमगुणा ऊंची है। सोचना अलग है, मनन करना अलग है, स्वरूप अनुभवी स्वरूप बनकर चलना, अभी इसकी आवश्यकता है।

तो अभी इस वर्ष में क्या करेंगे? बापदादा ने देखा एक सबजेक्ट में मैजारिटी पास हैं। कौन सी सबजेक्ट? सेवा की सबजेक्ट। चारों ओर से बापदादा के पास सेवा के रिकार्ड बहुत अच्छे अच्छे आये हैं। और सेवा का उमंग उत्साह इस वर्ष के सेवा समाचारों के हिसाब से अच्छा दिखाई दिया। हर एक वर्ग ने, हर एक जोन ने भिन्न-भिन्न रूप से सेवा में सफलता प्राप्त की है। इसकी बापदादा हर एक जोन, हर एक वर्ग को पदम पदमगुणा मुबारक दे रहे हैं। मुबारक हो। प्लैन भी अच्छे-अच्छे बनाये हैं। लेकिन अभी समय के प्रमाण अचानक की सीजन है। आपने देखा सुना होगा कि इस वर्ष में कितने ब्राह्मण अचानक गये हैं। तो अचानक की घण्टी अभी तेज हो रही है। उसी अनुसार अभी इस वर्ष मैं चार ही सबजेक्ट में अनुभवी स्वरूप कहाँ तक बना हूँ, क्योंकि चार ही सबजेक्ट में अच्छी मार्क्स चाहिए, अगर एक भी सबजेक्ट में पास मार्क्स से कम होंगी तो पास विद ऑनर माला का मणका, बापदादा के गले का हार कैसे बनेगा! किसी भी रूप में हार खाने वाला बाप के गले का हार नहीं बन सकता। और यहाँ हाथ उठवाते हैं तो सभी क्या कहते हैं? लक्ष्मी नारायण बनेंगे। चलो लक्ष्मी-नारायण वा लक्ष्मी-नारायण के परिवार में साथी वह भी बनना श्रेष्ठ पद है। इसलिए बापदादा सिर्फ एक शब्द कहते हैं, अभी तीव्र गति से उड़ती कला में उड़ते रहो और अपने उड़ती कला के वायब्रेशन से वायुमण्डल में सहयोग का वायुमण्डल फैलाओ। क्या जब प्रकृति के लिए आप सबने चैलेन्ज की है, कि प्रकृति को भी परिवर्तन करके ही छोड़ेंगे। है ना वायदा? वायदा किया है? किया है। कांध हिलाओ, हाथ नहीं। तो क्या अपने हमजिन्स मनुष्यात्माओं को दु:ख और अशान्ति से परिवर्तन नहीं कर सकते? एक तो आपने चैलेन्ज किया है और दूसरा बापदादा को भी वायदा किया है, हम सभी अभी भी आपके कार्य में साथी हैं, परमधाम में भी साथी हैं और राज्य में भी ब्रह्मा बाप के साथी रहेंगे। यह वायदा किया है ना! तो साथ चलेंगे, साथ रहेंगे, और अभी भी साथ हैं। तो बाप का इशारा समय प्रति समय प्रैक्टिकल देख रहे हो - अचानक एवररेडी। क्या दादी के लिए सोचा था कि जा सकती है? अचानक का खेल देखा ना।

तो इस वर्ष एवररेडी। बाप के दिल की आशाओं को पूर्ण करने वाले आशाओं के दीपक बनना ही है। बाप की आशाओं को तो जानते ही हो। बनना है? कि बन जायेंगे, देख लेंगे... जो समझते हैं बनना ही है, वह हाथ उठाओ। देखो कैमरे में आ रहा है। बापदादा को खुश तो बहुत अच्छा करते हो। बापदादा भी बच्चों के बिना अकेला जा नहीं सकता। देखो ब्रह्मा बाबा भी आप बच्चों के लिए मुक्ति का गेट खोलने के लिए इन्तजार कर रहे हैं। एडवांस पार्टी भी इन्तजार कर रही है। आप इन्तजाम करने वाले हैं। आप इन्तजार करने वाले नहीं, इन्तजाम करने वाले हैं। तो इस वर्ष लक्ष्य रखो लेकिन लक्ष्य आरै लक्षण को समान रखना। ऐसे नहीं हो लक्ष्य बहुत ऊंचा और लक्षण में कमज़ोरी, नहीं। लक्ष्य और लक्षण समान हो। जो आपके दिल की आश है समान बनने की, वह तब पूर्ण होगी जब लक्ष्य और लक्षण समान होंगे। अभी थोड़ा-थोड़ा अन्तर पड़ जाता है, लक्ष्य और लक्षण में। प्लैन बहुत अच्छे बनाते हो, आपस में रूहरिहान भी बहुत अच्छी-अच्छी करते हो। एक दो को अटेन्शन भी दिलाते हो। अभी दृढ़ता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है, इस संकल्प को अनुभव के स्वरूप में लाओ। चेक करो - जो कहते हैं उसका अनुभव भी करते हैं? पहला शब्द मैं आत्मा हूँ, इसी को ही चेक करो। इस आत्मा स्वरूप के अनुभव की अथॉरिटी हूँ, क्योंकि अनुभव की अथॉरिटी नम्बरवन है।

अच्छा। अभी किसी भी परिस्थिति में स्व-स्थिति पर स्थित रह सकते हो? मन की एकाग्रता (ड्रिल) अच्छा। तीन बिन्दियों का स्मृति स्वरूप बन सकते हो ना! बस फुलस्टाप। अच्छा।

सेवा का टर्न पंजाब जोन का है, (पंजाब हिमाचल, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, उत्तराचंल):- अच्छा जो कहा हुआ है ना पंजाब शेर, वह संख्या भी बहुत अच्छी लाये हैं। सभी को मालूम पड़ गया तो पंजाब शेर है इसलिए सभी उमंग-उत्साह से पहुंच गये हैं और पंजाब का कितना बड़ा पुण्य बन गया। एक ब्राह्मण की सेवा करते वह भी कैसा ब्राह्मण, और आपने कितने ब्राह्मणों की, सच्चे ब्राह्मणों की सेवा की। रोज अपना पुण्य का खाता जमा किया। यह भी ड्रामा में एक पुण्य के खाते में सहज वृद्धि का साधन है। जो इस उमंग उत्साह से आता है वह थोडे दिनों में बहुत अपना पुण्य का खाता जमा कर सकता है। और अब संगमयुग के समय का पुण्य का खाता बहुत समय काम में आयेगा बाकी पंजाब के सेवा की रिपोर्ट भी देखी। बापदादा पहले ही मुबारक दे चुके हैं। सेवाकेन्द्र भी हैं, गीता पाठशालायें भी हैं, वृद्धि भी हो रही है और सभी के मन में इस बारी शिवरात्रि के समय की बहुत सेवा के उमंग उत्साह की लहर है। अभी जहाँ जहाँ भी चाहे मीडिया द्वारा, चाहे फंक्शन्स द्वारा सेवा का उमंग उत्साह अच्छा दिखाया है। अभी क्या करना है? अभी जो हर एक ने संकल्प किया है, बाप को प्रत्यक्ष करना ही है। उसकी डेट अपने परिवर्तन की कलम से सेट करो। पैन्सिल से सेट नहीं होगा, यह आपके परिवर्तन के तीव्र पुरूषार्थ की कलम से प्रत्यक्षता की डेट सहज ही फिक्स हो जायेगी।

अच्छा डबल विदेशी, बापदादा खुश है लेकिन खुश है एक और बात की खुशी लानी है, कभी भी अपने को कम्बाइण्ड रूप से अकेला नहीं करना। अकेला करना अर्थात् माया को वेलकम करना। इसलिए कम्बाइण्ड सर्वशक्तिवान का फायदा उठाना और समय पर ही माया अकेला करती है, यह अटेन्शन रखना। सदा कम्बाइण्ड, बापदादा ने पहले भी कहा है तो डबल विदेशियों को कम्पनी अच्छी लगती है, कम्पेनियन अच्छा लगता है। तो कभी भी अकेला नहीं बनना। जब बाप ऑफर कर रहा है, मैं साथ देने के लिए सदा साथ हूँ। अच्छी रिजल्ट है। रिजल्ट अच्छी है लेकिन और अच्छे ते अच्छी दिखानी ही है। अच्छा। हर टर्न में आना, यह बहुत अच्छी सिस्टम बनाई है। अभी तो विदेश ऐसे हो गया है जो इन्डिया और ही दूर लगता है, विदेश नजदीक लगता है।

जो पहले बारी आये हैं वह हाथ उठाओ। तो पहले बारी आने वाले सिकीलधे बच्चों को पहले बारी की मुबारक है। और सभी को बापदादा विशेष वरदान दे रहा है, वरदान है कि जैसे अभी पुरूषार्थ कर आने के पात्र बने हो, यह भाग्य लिया है ऐसे ही अमर भव रहना। माया आवे तो माया का गेट बन्द कर देना। माया का गेट जानते हो? बॉडीकान्सेस का मैं और मेरा। इस गेट को बन्द कर देंगे तो अमर रहेंगे। तो अमर हैं ना। अमर हैं? माया आयेगी तो क्या करेंगे? तीव्र पुरूषार्थ करेंगे? अमर रहना और औरों को भी अमर बनाना। अच्छा।

अभी एक सेकण्ड में अपने श्रेष्ठ स्वमान बापदादा के दिलतख्त नशीन हैं, इस रूहानी स्वमान के नशे में स्थित हो जाओ। तख्तनशीन आत्मा हूँ, इस अनुभव में लवलीन हो जाओ। अच्छा।

चारों ओर के अति लवली सदा बाप के लव में लीन रहने वाले, सदा स्वमानधारी, स्वराज्यधारी विशेष आत्माओं को चारों आरे के उमंग-उत्साह के पखों से उडने वाले आरै अपने मन के वायब्रेशन से वायुमण्डल को शान्त श्रेष्ठ बनाने वाले सभी को बाप का सन्देश दे दु:ख से छुड़ाए मुक्ति का वर्सा दिलाने वाले, सदा दृढ़ता द्वारा सफलता प्राप्त करने वाले ऐसे चारों ओर के दिल के समीप रहने वाले और सम्मुख आने वाले सभी बच्चों को दिल का दुलार और दिल की दुआयें, यादप्यार और नमस्ते।

दादी जानकी जी के वरदानी बोल:-

वंडरफुल बाबा, वंडरफुल हमारी दादी, देखो, यह सभी भाई बहिनें भी हाजिर हो गये हैं। बाबा ने कितना नजरों से निहाल किया है। जी चाहता है हम यहाँ बैठे रहें। बाबा की मुरली कितनी वंडरफुल है। परिवर्तन होना है तो हमको होना है। अब परिवर्तन होना है। हम परिवर्तन होंगे तब बाबा प्रत्यक्ष होगा। मीठा बाबा, प्यारा बाबा, वंडरफुल बाबा। कैसे यहाँ बैठकर बाबा हमको सुख शान्ति आनंद प्रेम में बिठा दिया है। मेरे बाबा को हमारे से कुछ नहीं चाहिए। सिर्फ कहता है बच्चे सदा खुश रहो, आबाद रहो। पुरानी कोई भी बातें हैं भूल जाओ और जो काम की बात है, वह ऐसे सबके साथ व्यवहार में आओ। अच्छा - ओ के ओम शान्ति।