15-11-2019 Avyakt BapDada 15-11-2019


प्राणेश्वर अव्यक्त बापदादा के अति स्नेही, सदा तीव्र पुरुषार्थ द्वारा सम्पन्न और समान बन साथ चलने वाले, रूहानी फखुर में रह सदा बेफिक्र बादशाह की स्थिति का अनुभव करने वाले सर्व ब्राह्मण कुल भूषण भाई बहिनों प्रति,

ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद स्वीकार हो।

बाद समाचार - आज प्यारे अव्यक्त बापदादा के अवतरण की इस सीज़न का यह दूसरा टर्न इन्दौर-छत्तीसगढ़ (कमला बहन) का है। करीब 15-16 हजार भाई बहिनें प्यारे बापदादा से मंगल मिलन मनाने, अपनी झोली वरदानों से भरने के लिए पहुंचे हुए हैं। साथ में डबल विदेशी बाबा के बच्चों को तो हर ग्रुप में विशेष लाटरी है ही। उनके लिए ज्ञान सरोवर में कुछ दिन रिट्रीट एवं ज्ञान योग की गहरी क्लासेज़ होती हैं। बापदादा के अवतरण दिन पर सभी डायमण्ड हाल में संगठित रूप में शाम के समय विशेष योग तपस्या के साथ प्यारे बापदादा का आह्वान करते हैं फिर वीडियो द्वारा जब अव्यक्त महावाक्य सुनते हैं तो सभी ऐसे ही अनुभव करते जैसे बाबा हम सबके सम्मुख हाज़िर नाज़िर है और समय अनुसार वह हमारे संकल्पों को कैच कर विशेष वरदान देते शक्ति भर रहे हैं।

बाबा का मुस्कराता हुआ चेहरा, उनकी रूहानी दृष्टि हर बच्चे को नज़र से निहाल कर देती है। ऐसे लगता जैसे डायरेक्ट आकारी रूप द्वारा यह आकारी सो निराकारी मिलन हो रहा है। सभी तृप्त भरपूर होकर जाते हैं। यह भी उस प्यारे जादूगर बाबा की जादूगरी है जो साकार में न आते भी वतन से अपने बच्चों की पालना कर रहे हैं। साथ-साथ अनुभवी भाई बहिनों की क्लासेज़ भी मिलती हैं। हर एक गहन योग तपस्या भी करते हैं। बापदादा के अवतरण दिन पर तो बहुत शक्तिशाली वायुमण्डल बन जाता है। हमारी मीठी दादी जानकी जी भी रोज़ शाम के समय सबसे मिलन मनाती, सबमें उमंग-उत्साह भर देती हैं। संगम पर इन दादियों की पालना भी बहुत श्रेष्ठ और शक्तिशाली है, जो सभी भाग्यवान आत्माओं को मिल रही है। सभी अपनी प्यारी दादी गुल्जार जी को भी दिल से दुआयें देते हैं, कैसे बाबा ने दादी जी के द्वारा हम सबको अनमोल रत्नों का इतना श्रेष्ठ खजाना दिया है। दादी जी भल अभी तक मुम्बई में हैं लेकिन उनकी सूक्ष्म सकाश और शुभ भावनायें शान्तिवन के वायुमण्डल में चारों ओर फैल जाती हैं।

आज जो हम सबने वीडियो द्वारा महावाक्य सुने हैं, वह आपके पास भी भेज रहे हैं, पूरे क्लास को रिफ्रेश करना जी। अच्छा - सभी को याद.... ओम् शान्ति।

15-11-19 ओम् शान्ति रिवाइज - वीडियो 15-12-11 मधुबन

“सदा फखुर में रह बेफिक्र बादशाह बनो, तीव्र पुरुषार्थ द्वारा सम्पन्न और समान बन साथ चलने की तैयारी करो''

आज बापदादा बेफिक्र बादशाहों की सभा देख रहे हैं। यह सभा इस समय ही लगती है क्योंकि सभी बच्चों ने अपने फिकर बाप को देकर बाप से फखुर ले लिया है। यह सभा अभी ही लगती है। आप भी हर एक सवेरे से उठते कर्म करते भी बेफिक्र और बादशाह बन चलते हो ना! यह बेफिक्र का जीवन कितना प्यारा लगता है। बेफिक्र की निशानी क्या दिखाई देती है? हर एक के मस्तक में लाइट, आत्मा चमकती हुई दिखाई देती है। यह बेफिक्र जीवन कैसे बनी? बाप ने सभी बच्चों के जीवन से फिकर लेकर फखुर दे दिया है, जिनके जीवन में फखुर नहीं फिकर है उनके मस्तक में लाइट नहीं चमकती है। उनके मस्तक में बोझ की रेखायें देखने में आती हैं। तो बताओ आपको क्या पसन्द है? लाइट या बोझ? अगर कोई बोझ भी आता है तो बोझ अर्थात् फिकर बाप को देकर फखुर ले सकते हैं। आप सबको बेफिक्र लाइफ पसन्द है ना! देखने वाले भी बेफिक्र लाइफ पसन्द करते हैं।

तो बापदादा आज चारों ओर के बच्चों के चाहे सम्मुख हैं, चाहे जहाँ भी बैठे हैं, बच्चों के मस्तक बीच चमकती हुई लाइट ही देख रहे हैं। तो सदा बेफिक्र रहते हैं या कभी कोई फिक्र भी आता है? है कोई फिकर? जब बाप ने प्रकृतिजीत, विकारों जीत बना दिया तो फिकर कैसे आ सकता है? तो हाथ उठाओ बेफिकर बने हो? बने हो सदा? सदा बने हो या कभी-कभी? कभी-कभी वाले भी हैं? हाथ तो नहीं उठाते, बापदादा भी नहीं देखने चाहते हैं। बापदादा हर बच्चे को बेफिक्र बादशाह देखने चाहते हैं। अगर कभी-कभी वाले भी हैं तो बहुत सहज विधि है जो भी थोड़ा बहुत फिकर आता है तो मेरे को तेरे में बदल लो। यह हद के मेरेपन को, मेरे को तेरे में बदलने की बहुत सहज विधि है, आप तो कहते ही हो मेरा बाबा, तो अब मेरा क्या रहा? हद का मेरा तो समाप्त हुआ ना! मेरा बाबा हो गया। सभी दिल से कहते हो ना मेरा बाबा! प्यारा बाबा! मीठा बाबा! तो मेरे में तेरे को समाना मुश्किल है क्या? फर्क क्या है? ते और मे, इतना छोटा सा फर्क है। संकल्प कर लिया सब तेरा और मेरा क्या रहा? मेरा बाबा।

तो बापदादा ने देखा मैजारिटी बच्चों ने हद के मेरे को तेरा बनाया है इसलिए क्या बन गये? बेफिक्र बादशाह। तो आज बापदादा बच्चों को बेफिक्र बादशाह स्वरूप में देख रहे हैं। देखो, भक्ति मार्ग में भी आपके चित्र बनाते हैं तो डबल ताज दिखाते हैं। एक तो लाइट का ताज है ही क्योंकि बेफिक्र आत्मा की निशानी है मस्तक में लाइट चमकती है और दूसरा ताज विकारों पर विजयी बने हो इसलिए ताज दिखाया है इसलिए यह अटेन्शन रखो कि जब बापदादा ने फिकर लेकर फखुर दे दिया तो क्या बन गये? बेफिक्र बादशाह। बादशाह बने हैं तो तख्त भी चाहिए ना! तो बापदादा ने तीन तख्त के मालिक बनाया है। जानते हो तीन तख्त कौन से हैं? एक तख्त भृकुटी का, यह तो सबको है ही। दूसरा तख्त है बापदादा का दिलतख्त और तीसरा है विश्व का तख्त, राज्य का तख्त। तो आप सबको यह तीन तख्त प्राप्त हैं ना! सबसे श्रेष्ठ है बापदादा का दिलतख्त। तो चेक करो तख्त पर रहते हो? क्योंकि बापदादा के दिलतख्त पर कौन बैठता है? जिसने सदा स्वयं भी बापदादा को अपने दिलतख्त में बिठाया है, जो सदा श्रेष्ठ स्थिति में मास्टर सर्वशक्तिवान है। तो चेक करो कि सदा तख्तनशीन हैं? या कभी मिट्टी में भी आ जाते हैं। यह देहभान मिट्टी है। बहुत समय मिट्टी में रहे हैं तो कभी-कभी मिट्टी में तो नहीं चले जाते?

तो बापदादा सभी बच्चों को समय का ईशारा दे रहे हैं। अचानक का पाठ पक्का करा रहे हैं, इसके लिए इस संगम के समय का बहुत-बहुत महत्व रखना है क्योंकि इस एक जन्म में अनेक जन्मों की प्रालब्ध बनानी है इसलिए बापदादा ने इशारा दिया था तो संगम के समय में दो बातों का हर समय अटेन्शन देना है। वह दो बातें तो याद होंगी - समय और संकल्प। बापदादा को सभी ने व्यर्थ संकल्प, संकल्प द्वारा देने की हिम्मत रखी थी। तो चेक करो हिम्मत सदा कायम है? क्योंकि हिम्मते बच्चे एक बार तो बाप हजार बार मददगार है। तो अभी क्या समझते हो? व्यर्थ संकल्प का जो हिम्मत रख बाप के आगे संकल्प किया वह कायम है? क्योंकि इस व्यर्थ संकल्पों में समय बहुत जाता है और आपका इस समय के प्रमाण कार्य है विश्व की आत्माओं को सन्देश देने का। तो व्यर्थ संकल्प को समाप्त करना है तब दु:खी, अशान्त आत्माओं को सुख शान्ति का अनुभव करा सकेंगे। बापदादा को दु:खी बच्चों को देख तरस पड़ता है। आपको भी अपने भाई-बहिनों को देख तरस तो पड़ता है ना!

बापदादा ने देखा कि वर्तमान समय सभी को रूचि है, प्लैन बनाया भी है, प्रैक्टिकल किया भी है। बापदादा यही चाहते हैं, प्रोग्राम तो सब अच्छे किये हैं, इसकी मुबारक भी दे रहे हैं। लेकिन अभी समय के प्रमाण जल्दी-जल्दी उन्हों को वारिस बनाओ, जो कुछ न कुछ वर्से के अधिकारी बन जायें। अच्छा-अच्छा बहुत कहते हैं, बापदादा ने भी बच्चों के सेवा की यह रिजल्ट तो देखी है और बाप बच्चों पर खुश भी है। दिल से कर रहे हैं और अभी समय प्रमाण सुनते भी रूचि से हैं। इतना अन्तर तो आया है। अच्छा-अच्छा लगता है लेकिन अच्छा बनाके कुछ न कुछ वर्से के अधिकारी बनाओ। इसके लिए बापदादा ने पहले भी इशारा दिया है कि अभी समय अनुसार तीव्र पुरूषार्थी बनने की आवश्यकता है। तीव्र पुरुषार्थी बनने के लिए मुख्य पुरुषार्थ है सेकण्ड में बिन्दी लगाना। सेकण्ड और बिन्दी, दोनों समान। तो अब बापदादा बच्चों का तो बेफिक्र बादशाह का रूप देख रहा है। अभी इसी रूप को सदा अनुभव करो। कोई भी कुछ भी आवे तो मेरे को तेरे में समा दो।

बापदादा ने सभी बच्चों को साथ ले चलने का वायदा किया है। इसके लिए साथ चलने की तैयारी क्या करनी है? बाप तो सेकण्ड में अशरीरी बन जायेंगे लेकिन आपने जो वायदा किया है, बाप ने भी वायदा किया है साथ चलेंगे, तो चेक करो उसकी तैयारी है? सेकण्ड में बिन्दी लगाई, सम्पन्न और सम्पूर्ण बन चला। तो ऐसी तैयारी है? साथ तो चलना है ना! चलना है? कांध हिलाओ। चलना है, अच्छा। पक्का? हाथ में हाथ देना, इसका अर्थ है समान बनना। तो चेक करो समय तो अचानक आना है, तो इतनी तैयारी है जो साथ में चलें?

बाप का बच्चों से प्यार है ना! तो बाप एक को भी साथ चलने में पीछे छोड़ने नहीं चाहते। साथ है, साथ रहेंगे, साथ चलेंगे और साथ राजधानी में राज़ घराने में आयेंगे। मंजूर है ना! मंजूर है? तैयारी है? मंजूर है इसमें तो हाथ उठा लेंगे, यह हाथ नहीं उठाओ। तैयारी है, इसमें हाथ उठाओ। बड़ा हाथ उठाओ। अच्छा। कल भी विनाश हो जाए तो तैयार हो? लेकिन अपनी सेवा को समाप्त किया है? सेवा तो अभी रही हुई है या सेवा समाप्त हो गई है? सन्देश सबको पहुंच गया है? सिर्फ अपने मोहल्ले में ही देखो, आपने हर एक को बाप आ गया है, वर्सा लेना हो तो ले लो, यह सन्देश दिया है? तो पसन्द है कि घर-घर में यह उल्हना पूरा हो जाए। ऐसे न कहें कि हमको तो पता नहीं पड़ा, बाप आया और चला भी गया, हम वंचित रह गये! सभी को उमंग है ना! सबको उमंग है? सेवा करके उल्हना पूरा करना है। उमंग है तो बापदादा का सहयोग भी है। अच्छा।

तो बापदादा के दिल की आश को तो सभी जानते ही हो। समान और सम्पूर्ण, यह दो शब्द सदा चेक करो तो क्या बाप की यह आशा पूर्ण की? क्योंकि बापदादा हर बच्चे को बाप के आशाओं का सितारा समझते हैं। हर एक बच्चे का बाप से प्यार है, यह तो बापदादा भी जानते हैं। इन सभी को मधुबन में लाने वाला क्या है? यह प्यार की ट्रेन में आते हैं। प्यार के प्लेन में आते हैं। तो बाप भी बच्चों के प्यार की सबजेक्ट में बच्चों से खुश है। लेकिन जो दो शब्द बाप चाहते हैं समान और सम्पूर्ण, इसको भी सम्पन्न करना ही है। तो आज बापदादा चारों ओर के बच्चों को दिल से स्नेह से देख एक-एक बच्चे को दिल के प्यार की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

सेवा का टर्न इन्दौर ज़ोन का है:- यह भी चांस अच्छा लगता है ना! सेवा का भण्डार सहज मिल जाता है। बापदादा खुश होते हैं, यह चांस भी एक तो सेवा का फल भी मिलता है और बल भी मिलता है। सबकी नज़र कहाँ जाती है? अभी किस ज़ोन का टर्न है, वह नज़र जाती है और सेवा, मधुबन की सेवा अर्थात् सेवा का फल और बल मिलना। तो बहुत अच्छा किया। निर्विघ्न सेवा की, सबको सन्तुष्टता का फल खिलाया। बापदादा को खुशी होती है क्योंकि विशेष चांस मिलता है ना और बच्चे मधुबन में पहुंचते हैं, मधुबन में आना, इतने बड़े परिवार से मिलना और इतने बड़े परिवार की सेवा के निमित्त बनना, यह भी बहुत बड़ा भाग्य बन जाता है।

अच्छा है, हर एक के ऊपर बाप की भी नज़र जाती और परिवार की भी नज़र जाती। प्रत्यक्ष आत्माओं को खुशी भी मिलती, खुश करते भी और मिलती भी खुशी, दोनों ही है। मुबारक हो।

डबल विदेशी भाई बहिनों से:- डबल विदेशियों का यह संस्कार है कि जो करेंगे वह उमंग-उत्साह से करके पूरा करेंगे और पुरुषार्थ के तरफ भी अटेन्शन है। तो सभी हाथ उठाओ कि सभी तीव्र पुरुषार्थी हैं? तीव्र पुरुषार्थी हैं? अच्छा। सबके तरफ से भी बहुत-बहुत मुबारक है, क्यों? तीव्र पुरुषार्थी अर्थात् बापदादा की आशाओं को पूर्ण प्रैक्टिकल करने वाले। तो बापदादा तीव्र पुरुषार्थ की मुबारक दे रहे हैं। तीव्र पुरुषार्थी हैं और सदा तीव्र पुरुषार्थी बन औरों को भी तीव्र पुरुषार्थी बनायेंगे। तो सारा विदेश तीव्र पुरुषार्थी की लिस्ट में आ जाये। ऐसा रिकार्ड कुछ है और कुछ दिखाना है। लेकिन बापदादा पुरुषार्थ की मुबारक दे रहे हैं।

पहली बार आने वालों से:- बापदादा बच्चों को देख खुश हो रहे हैं। आये, भले पधारे और आगे के लिए अब तीव्र पुरुषार्थ कर आगे से भी आगे जाने का दृढ़ संकल्प करो। दृढ़ता सफलता की चाबी है। तो बापदादा जो भी आज बच्चे आये हैं उन्हों को विशेष दृढ़ता के चाबी की सौगात दे रहे हैं। दृढ़ता को कभी भी हल्का नहीं करना। दृढ़ता आपको सदा सहज आगे बढ़ाती रहेगी। तो बापदादा खुश है भले पधारे, अपना वर्सा लेने के लिए आये, इसकी बहुत-बहुत मुबारक। अच्छा।

चारों ओर के सर्व ब्राह्मणों को बापदादा दिल का प्यार और सदा आगे बढ़ने का श्रेष्ठ संकल्प दे रहे हैं। एक-एक बच्चे को बाप देख भी रहे हैं और देख-देख दिल में समा रहे हैं। नजदीक वाले तो बापदादा को सामने देख रहे हैं और आप सब साधन द्वारा सामने ही देख रहे हो। बापदादा भी आप सभी को जहाँ भी बैठे हो तो ऐसे ही देख रहा है जैसे सम्मुख ही बैठे हैं और एक-एक को दिल का प्यार दे रहे हैं। बढ़ते चलो, तीव्र पुरुषार्थ कर आगे से आगे बढ़ते चलो। अच्छा।

सम्मुख बैठने वालों को भी बापदादा का यादप्यार और सदा आगे बढ़ने की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा।

दादी जानकी:- आज सभी ने अच्छी भासना ले ली। वन्डरफुल बाबा और यह जो आज अभी बाबा के मुख से महावाक्य सुनते रहे, अब दिल से निकलता, मेरा बाबा। मीठा बाबा... बाबा मेरा, मैं बाबा की। मेरे में तेरा, तेरे में मेरा समा लिया। वन्डरफुल ड्रामा, वन्डरफुल बाबा, सभी ने बहुत अच्छा अनुभव किया। आज जो बापदादा के महावाक्य सुने, मैं समझती हूँ एक भी शब्द मिस नहीं हुआ, हम बाबा के लाडले बच्चे हैं ना। बाबा ने हमको लाइट बनाके माइट दी है। बाबा कहते बच्चे सदा लाइट रहो, माइट ले लो तो एवरीथिंग राइट होगा। मैं साक्षी होकर देख रही हूँ, आप भी अनुभव कर रहे हो। पहले हम सबने साकार में पालना ली, अच्छी तरह से, फिर अव्यक्त की पालना ली। आज जो बाबा के महावाक्य सुन रहे थे वह दिल को लग गये। बाबा ने दिल ले लिया, कुछ रहा ही नहीं है। बाबा कहता बच्चे सदा दिल में रहो, दिलाराम को अपना साथी बना लो और साक्षी होकर ड्रामा की हर सीन को देखते खुशी का पारा चढ़ा रहे। कोई भी बात हो जाए तो लगाओ बिन्दी। बिन्दी लगाने में कोई मेहनत नहीं है, मुहब्बत का अनुभव है, सेकण्ड में बिन्दी। क्वेश्चन मार्क लम्बा होता, कोई क्वेश्चन नहीं है, क्यू में खड़ा नहीं होना है। साथ चलने का कितना सहज पुरुषार्थ बाबा ने बता दिया है। अच्छा।