ओम् शान्ति 02-02-20 “दिनचर्या'' मधुबन


प्राणेश्वर अव्यक्त बापदादा के अति लाडले, सदा एक बाप को अपना संसार बनाने वाले, मन को रूहानी एक्सरसाइज़ में बिजी रख सर्व शक्तियों से सम्पन्न बनने वाली निमित्त टीचर्स बहिनें तथा सभी तीव्र पुरुषार्थी बाबा के नूरे रत्न, ब्राह्मण कुल भूषण भाई बहिनें,

ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद स्वीकार करना जी।

बाद समाचार - आप सभी ने अव्यक्त मास में बहुत अच्छी तपस्या की, सब तरफ के समाचार आते रहते हैं। हर एक ने अच्छी रेस की है, बहुत से स्थानों पर 108 घण्टे की अखण्ड भट्ठियाँ भी चली हैं। सभी ने बहुत सुन्दर अनुभव किये हैं। अभी बापदादा हम बच्चों को विशेष इशारा करते हैं, बच्चे समय प्रमाण परिस्थितियां अपना विकराल रूप लेती रहेंगी, अनेक पुराने हिसाब-किताब पेपर बनकर सामने आयेंगे। आप बच्चे स्वयं को इतना शक्तिशाली बना लो, जो किसी भी प्रकार के पेपर को सहज पार करके आगे बढ़ जाओ। इसके लिए बाबा कहते बच्चे अपने 5 स्वरूपों की रूहानी एक्सरसाइज़ दिन में बार-बार करते रहो तो शक्ति सम्पन्न बन जायेंगे। बोलो, आप सब रोज़ यह अभ्यास करते हो ना! तपस्या तो हमारी सदा के लिए है केवल अव्यक्ति मास के लिए नहीं। तो आओ, हम सब बेहद सेवाओं के साथ-साथ स्वयं को शक्तिशाली बनाने के लिए चलते फिरते कर्म करते इस रूहानी ड्रिल के अभ्यास द्वारा निरन्तर तपस्वी बनें।

अभी शिवजयन्ती का पावन पर्व समीप आ रहा है। सभी भाई बहिनें बहुत उमंग-उत्साह से इस यादगार पर्व को मनाते हैं, सेवाओं की धूम मचाते हैं। इस 84वीं त्रिमूर्ति शिव जयन्ती के यादगार दिन को सभी ऐसा मनाओ, जो हर एक के दिल पर शिवबाबा के अवतरण का ध्वज फहरा जाये और यही है, यही है.. का नारा गूंजने लगे। पहले प्रत्यक्षता हो फिर परिवर्तन होगा।

तो स्व-स्थिति और सेवा के बैलेन्स को ध्यान पर रखते हुए विशेष इस बार शक्तिशाली मन्सा की सूक्ष्म वृत्तियों द्वारा आत्माओं का आह्वान करना है, विशेष अन्तर्मुखी बन एकाग्रता के अभ्यास द्वारा मन्सा सेवा करनी है। स्व-परिवर्तन के लिए कोई न कोई दृढ़ संकल्प भी प्रतिज्ञा के रूप में अवश्य करने हैं। शिवजयन्ती के लिए विशेष बुलेटिन मधुबन से ईमेल द्वारा आपके पास भेजी जा चुकी है।

अभी तो प्यारे बापदादा का यह टर्न विशेष दिल्ली आगरा ज़ोन का है, लगभग 19 हजार भाई बहिनें बहुत उमंग-उत्साह से बाबा के घर में पहुंचे हुए हैं। डबल विदेशी भी हर टर्न में होते ही हैं। सभी मधुबन के शक्तिशाली वातावरण के साथ अनुभवी भाई बहिनों की क्लासेज़ से भी खूब भरपूर होकर जाते हैं। बापदादा भी अपने अव्यक्ति महावाक्यों द्वारा सबका बहुत सुन्दर शृंगार कर देते हैं। अच्छा - सभी को बहुत-बहुत याद... ओम् शान्ति।

02-02-20 ओम् शान्ति अव्यक्त महावाक्य - वीडियो 30-11-10 मधुबन

“हर घण्टे 5 स्वरूपों की एक्सरसाइज़ कर मन को शक्तिशाली बनाओ, जब बाबा ही संसार है तो संस्कार भी बाप जैसे बनाओ''

आज बापदादा सभी एक देशी बच्चों से मिलने आये हैं, जो ओरीज्नल सबका देश है। जानते हो ना एक देश कितना प्यारा है! बापदादा भी उसी देश से सर्व बच्चों से मिलने आये हैं। बच्चों को बाप से मिलने की खुशी है और बाप को बच्चों से मिलने की खुशी है। आज बापदादा सभी बच्चों के स्वरूपों को, विशेष 5 रूपों को देख रहे हैं इसलिए 5 मुखी ब्रह्मा का भी गायन है। तो अपने 5 रूपों को जानते हो ना! पहला सभी का ज्योति बिन्दु रूप, आ गया आपके सामने! कितना चमकता हुआ प्यारा रूप है। दूसरा देवता रूप, वह रूप भी कितना प्यारा और न्यारा है। तीसरा रूप मध्य में पूज्यनीय रूप, चौथा रूप ब्राह्मण रूप संगमवासी, वह भी कितना महान है और पांचवा रूप फरिश्ता रूप। यह 5 ही रूप कितने प्यारे हैं। बापदादा आज बच्चों को मन की एक्सरसाइज़ सिखाते हैं क्योंकि मन बच्चों को कभी-कभी अपने तरफ खींच लेता है। तो आज बापदादा मन को एकरस बनाने की एक्सरसाइज़ सिखा रहा है। सारे दिन में इन 5 रूपों की एक्सरसाइज़ करो और अनुभव करो जो रूप सोचो उसका मन में अनुभव करो। जैसे ज्योतिबिन्दू कहने से ही वह चमकता रूप सामने आ गया! ऐसे 5 ही रूप सामने लाओ और उस रूप का अनुभव करो। हर घण्टे में 5 सेकण्ड इस ड्रिल में लगाओ। अगर सेकण्ड नहीं तो 5 मिनट लगाओ। हर एक रूप सामने लाओ, अनुभव करो। मन को इस रूहानी एक्सरसाइज़ में बिजी करो तो मन एक्सरसाइज़ से सदा ठीक रहेगा। जैसे शरीर की एक्सरसाइज़ शरीर को तन्दरूस्त रखती है, ऐसे यह एक्सरसाइज़ मन को शक्तिशाली रखेगा। एक सेकण्ड भी मन में उस रूप को लाओ, समझते हो सहज है ना यह, कि मुश्किल लगता है? मुश्किल नहीं लगेगा क्योंकि यह एक्सरसाइज़ आपने अनेक बार की हुई है। हर कल्प की है। अपना ही रूप सामने लाना यह मुश्किल नहीं होता। एक-एक रूप के सामने आते ही हर रूप की विशेषता का अनुभव होगा। कभी-कभी कई बच्चे कहते हैं कि हम इन्हीं रूपों का अनुभव करने चाहते लेकिन मन दूसरे तरफ चला जाता है। जितना समय जहाँ मन लगाने चाहते हैं उतना समय के बजाए व्यर्थ, अयथार्थ संकल्प भी आ जाते हैं। कभी मन में अलबेलापन भी आ जाता, तो बापदादा हर घण्टे 5 सेकण्ड या 5 मिनट इस एक्सरसाइज में अनुभव कराने चाहते हैं। 5 मिनट करके मन को इस तरफ चलाओ। चलना तो अच्छा होता है ना! फिर अपने काम में लग जाओ क्योंकि कार्य तो करना ही है। कार्य के बिना तो चलना नहीं है। यज्ञ सेवा, विश्व सेवा तो सभी कर रहे हो और करनी ही है। यह 5 मिनट की ड्रिल करने के बाद जो अपना कार्य है उसमें लग जाओ। चाहे 5 सेकण्ड लगाओ, चाहे 5 मिनट लगाओ लेकिन कोई ऐसा है जिसको इतना टाइम भी नहीं मिलता है! है कोई हाथ उठाओ, जिसको 5 मिनट भी नहीं हैं। कोई नहीं है। है कोई? सब निकाल सकते हैं। तो बार-बार यह एक्सरसाइज़ करो तो कार्य करते भी यह नशा रहेगा क्योंकि बाप का मत्र भी है मनमनाभव। तो यही मत्र मन के अनुभव से मायाजीत बनने में यत्र बन जायेगा क्योंकि बापदादा ने बता दिया है कि जितना समय आगे बढ़ेगा, उस अनुसार एक सेकण्ड में स्टॉप लगाना होगा। तो यह एक्सरसाइज़ करने से मनमनाभव होने में मदद मिलेगी क्योंकि बापदादा ने देखा कि जो भी भाषण करते हो या किसको भी सन्देश देते हो तो क्या कहते हो? हम विश्व को परिवर्तन करने वाले हैं। तो जब विश्व को परिवर्तन करना है तो पहले अपने मन को ऐसा शक्तिशाली बनाओ जो जिस समय जो संकल्प करने चाहे वही मन संकल्प कर सकता है। सेकण्ड में आर्डर करो, जैसे इस शरीर की और कर्मेन्द्रियों को आर्डर करते हो, ऊपर हो, नीचे हो तो करती हैं ना! ऐसे मन व्यर्थ अयथार्थ से बच जाये, मन के मालिक हो, मेरा मन कहते हो ना! तो मेरा मन इतना आर्डर में रहे उसके लिए यह मन की एक्सरसाइज़ बताई।

बापदादा ने देखा हर एक बच्चा यही चाहता है कि हमें मन जीत जगतजीत बनना है इसलिए आने वाले समय के पहले यह अभ्यास जहाँ चाहें वहाँ मन सहज टिक जाए। तो आज बापदादा यही चाहते हैं कि हर बच्चा ऐसा शक्तिशाली बने जो जो संकल्प करे उसी अनुसार मन बुद्धि संस्कार आर्डर में हो। जिसका यह अभ्यास होगा वह जगतजीत अवश्य बनेगा। बापदादा से, परिवार से प्यार तो सबका है। जितना बच्चों का बाप से प्यार है उससे ज्यादा बाप का बच्चों से प्यार है। तो बच्चों ने चतुराई अच्छी की है, मेरा बाबा, मेरा बाबा कहकर मेरा बना लिया है। हर एक बच्चा यही निश्चय से कहता “मेरा बाबा''। और बाप भी कहता मेरा बच्चा। इस मेरे शब्द ने कमाल कर दिया। हर एक के दिल में कितना उमंग आता है मेरा बाबा, प्यारा बाबा और बाप भी बार-बार कहते मेरे बच्चे। कोई भी माया का वार हो क्योंकि आधाकल्प माया को अपना बनाया है ना! तो माया का भी आप लोगों से प्यार तो होगा ना! तो वह बार-बार आने की कोशिश करती है लेकिन जो दिल से मेरा बाबा कहता है तो बाप का सहयोग मिलता है। एक बार दिल से कहा मेरा बाबा तो हजार बार बाप बंधा हुआ है, शक्तिशाली सहयोग देने के लिए। अनुभव है ना! सिर्फ समय पर इस अनुभव को प्रैक्टिकल में लाओ।

बापदादा बच्चों की एक बात देखकर दिल में बच्चों के ऊपर मुस्कराता है। जानते हो कौन सी बात? सभी कहते हैं कि बाबा ही मेरा संसार है, कहते हैं ना बाप ही हमारा संसार है! कहते हो, जो कहता है बाप ही मेरा संसार है वह हाथ उठाओ। अच्छा, बाप ही संसार है। दूसरा तो कोई संसार नहीं है ना! संसार दूसरा नहीं है लेकिन दूसरा क्या है? संस्कार। जब बाप ही मेरा संसार है, दूसरा कोई संसार है ही नहीं। संसार नहीं है लेकिन संस्कार कैसे पैदा हो जाता है? आजकल बापदादा समय प्रमाण संस्कार शब्द को मिटाने चाहते हैं। मिट सकता है? मिट सकता है? जो समझते हैं कि संस्कार विघ्न रूप नहीं बन सकता, यह दृढ़ संकल्प कर सकते हैं, दृढ़ पुरुषार्थ द्वारा आज भी दृढ़ पुरुषार्थ कर सकते हैं कि खत्म करना ही है। करेंगे, सोचेंगे, देखेंगे.. यह नहीं। करना ही है। संस्कार का काम है आना और बच्चों का काम है समाप्त करना ही है। है हिम्मत? है हिम्मत? पहले भी हाथ उठाया था लेकिन चेक करो जो संकल्प किया वह हो रहा है? जो समझते हैं कि बाप ने कहा, बाप का कार्य है लक्ष्य देना और बच्चों का कार्य है जो बाप ने कहा वह करना ही है। इसकी भी एक डेट फिक्स करो, जैसे भक्त लोगों ने डेट फिक्स की है, शिवरात्रि, तो मनाते हैं ना! तो इसकी डेट भी फिक्स करो। अच्छा सबकी इकट्ठी डेट नहीं हो तो पहले एक-एक अपने लिए तो डेट फिक्स कर सकते हैं ना! कर सकते हैं! कर सकते हैं तो हाथ उठाओ। तो किया! कर सकते हैं तो किया? डबल विदेशियों ने डेट फिक्स किया! अच्छा सामने वाले, किया फिक्स? जो डेट फिक्स की ना, वह बापदादा को लिखके देना। बापदादा भी बच्चों को पेपर पास करने की बहादुरी तो देंगे ना। फिर गीत गायेंगे वाह बच्चे वाह! सेरीमनी मनायेंगे जिसने संकल्प किया और उसी अनुसार प्रैक्टिकल किया उसकी सेरीमनी मनायेंगे क्योंकि फर्क तो आता रहेगा ना! जो डेट फिक्स करेंगे उसमें आगे बढ़ने के लिए समीप तो आयेंगे ना। फर्क तो होना शुरू होगा। तो जिसका डेट अनुसार सम्पन्न होगा उसकी बापदादा सेरीमनी मनायेंगे। अन्तर जो करेंगे तो देखने वाले भी वेरीफाय करेंगे क्योंकि सम्पर्क में तो आयेंगे ना! संस्कार किसी न किसी के साथ निकलता है ना! क्योंकि बापदादा ने देखा कि हर एक बच्चे को यह शुद्ध नशा तो है कि मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ। मास्टर तो हो ना? जब सर्वशक्तिवान हैं तो संकल्प को पूरा करना यह भी शक्ति है ना! अच्छा।

जो आज पहली बारी आये हैं वह उठो। बापदादा मुबारक देते हैं। मधुबन में आने की मुबारक है, मुबारक है, मुबारक है। बापदादा फिर भी ऐसे समझते हैं कि टूलेट का बोर्ड लगने के पहले आ गये हो इसलिए सारे परिवार की, बापदादा की तो है सारे परिवार की भी आप सभी में यही शुभ आशा है कि सदा डबल पुरुषार्थ कर लास्ट आते हुए भी फास्ट जा सकते हो। है हिम्मत! जो आज आये हैं उन्हों में यह हिम्मत है! कि लास्ट आते भी फास्ट जाकर फर्स्ट आ जाओ। फर्स्ट नम्बर में। एक फर्स्ट नहीं, फर्स्टक्लास में फर्स्ट आओ, हो सकता है! जो समझते हैं हम फास्ट जाके फर्स्ट हो सकते हैं वह हाथ उठाओ। अपने में निश्चय है? अच्छा।

सेवा का टर्न दिल्ली और आगरा ज़ोन का है:- बापदादा ने सुना कि देहली शुरू से लेके सेवा की नई-नई बातें करती आई है। की है ना! देहली ने की है। तो अभी कोई नई इन्वेन्शन निकालो सेवा की। जो भाषण चलते हैं, प्रोग्राम चलते हैं वह भी अच्छे हैं क्योंकि उससे वृद्धि होती है और सम्बन्ध में आते हैं। जो अभी चल रहे हैं वह भी अच्छे हैं लेकिन अभी यह प्रोग्राम्स बहुत समय चले हैं। अभी कोई नई बात निकालो जो सेवा करने वालों को नया उमंग, नया उत्साह आये। करेंगे ना! अच्छा है। सभी को उत्साह में लाकर सभी को उसमें बिजी करो। अच्छा।

देहली वाले पुरुषार्थ में भी नम्बरवन लें। बापदादा ने बहुत समय से यह कहा है कि कोई भी सेन्टर चाहे देश, चाहे विदेश के सेन्टर और उसके कनेक्शन के सेन्टर 6 मास निर्विघ्न रहकर दिखाये, कोई भी विघ्न नहीं आये, निर्विघ्न। इसमें अगर नम्बरवन बनेगा तो उसका भी निर्विघ्न भव का डे (दिन) मनायेंगे। अभी 6 मास कह रहे हैं, 6 मास का अभ्यास होगा तो आगे भी आदत हो जायेगी। लेकिन इनाम लेने के लिए 6 मास का टाइम देते हैं। तो देहली क्या नम्बर लेगी? पहला नम्बर। बापदादा को खुशी है। सारे परिवार को भी खुशी है। सन्तुष्टता का बोलबाला हो। चाहे सेवा में, चाहे जो नियम बने हुए हैं उस नियम में, तो देखेंगे, बापदादा ने कहा है लेकिन अभी तक नाम नहीं आया है। ज़ोन नहीं तो जो भी बड़े सेन्टर हैं उसके कनेक्शन वाले सेन्टर इतना भी करेंगे तो बापदादा देखेंगे। अभी जल्दी जल्दी कदम को आगे करना, क्यों? अचानक क्या भी हो सकता है। तारीख नहीं बतायेंगे। अच्छा देहली वाले बैठ जाओ।

आगरा सबज़ोन:- आगरा को ऐसा कोई कार्य या सेवा करनी है जो जैसे गवर्मेन्ट की लिस्ट में आगरा मशहूर है, ऐसे आगरा वाले कोई न कोई ऐसी सेवा ढूंढो जो आलमाइटी गवर्मेन्ट में भी मशहूर हो जाओ। तो जैसे आगरा में ताज हैं, वैसे कुछ करो। है, उम्मींद है! उम्मींद है उसकी मुबारक हो। क्या करेंगे? लेकिन कितने समय में करेंगे? ऐसा कोई कार्य करो। सोचना, अमृतवेले बैठना और सोचना तो कोई न कोई टचिंग आ जायेगी। ठीक है, टीचर्स हाथ उठाओ। बहुत हैं। तो कमाल करना। बाकी बापदादा सभी बच्चों को यही कहते हैं कोई नवीनता करो अभी। जो चल रहा है, समय अनुसार वह नवीनता है लेकिन अभी और नवीनता इन्वेन्शन करो, कोई भी ज़ोन करे, लेकिन नया निकालो। बाकी बापदादा को हर एक बच्चा प्यारा भी है और बापदादा हर एक बच्चे की विशेषता भी जानते हैं। हर एक की विशेषता है जरूर लेकिन कोई कार्य में लगाते हैं, कोई की छिप जाती है इसलिए बाप कहते हैं हर बच्चा बाप को प्यारा है, सिकीलधा है और बाप यही चाहते कि उड़ते रहो, उड़ाते रहो।

डबल विदेशी भाई बहिनों से:- डबल विदेशी हमेशा अनुभव करते हैं कि हम ब्राह्मण परिवार और बापदादा के विशेष सिकीलधे हैं। क्यों! जितना ही देश के हिसाब से दूर हैं उतना ही बापदादा के दिल के नजदीक हैं। यह विशेषता है, बाबा जब कहते हैं तो बाबा कहने में ही सबकी शक्ल ऐसी प्यार में लवलीन हो जाती है जो बाप भी देख-देख हर्षित होते हैं और एक बात की विशेषता है कि जो भी भारत के नियम हैं उसको पालन करने में हिम्मत रखते हैं। शुरू में भारत का कलचर है यह फील करते थे लेकिन अभी बापदादा ने देखा कि अभी यह कहते हैं कि हम भी पहले भारत के थे। भारत का नशा, राजधानी है ना भारत, वह अच्छा दिल में बैठ गया है। सेवा भी अब तक अच्छी की है और आजकल देखा है कि अपने आसपास जहाँ सेवा नहीं है, वहाँ भी करने का लक्ष्य रखा है और रिजल्ट में कई जगह सक्सेस भी हुए हैं। ऐसे है ना! कर रहे हैं ना सेवा? हाथ उठाओ जो सेवा आसपास की कर रहे हैं, अच्छा है। बापदादा खुश है। अच्छा!

चारों ओर के बच्चे बाप के दिल के दुलारे हैं, हर एक बच्चा यही लक्ष्य बार-बार स्मृति में लाते हैं और लाना है कि हमें तीव्र पुरुषार्थ कर बाप को प्रत्यक्ष करना है। जो सबकी दिल कहे मेरा बाबा आ गया। ऐसा उमंग और उत्साह का संकल्प आजकल बापदादा के पास पहुंच रहा है। यह उमंग उत्साह मैजारिटी के दिल में आ गया है। बापदादा की यही आश है कि अभी जल्दी से जल्दी सबको यह सन्देश पहुंचाना है, कोई वंचित नहीं रहे। कुछ न कुछ वर्सा ले लें। चाहे जीवनमुक्ति का नहीं तो प्यार से मुक्ति का वर्सा तो ले ले क्योंकि बाप को सबको वर्सा देना है। जितनों को वर्सा दिलायेंगे उतना आपको भी अपने राज्य में राज्य अधिकारी बनने का वर्सा मिलेगा। सभी तरफ के हर बच्चे को बापदादा का बहुत-बहुत प्यार और दुआयें स्वीकार हो। अच्छा!

दादी रतनमोहिनी:- आज की सभा को देख करके ऐसे लगता है, अभी समय बहुत नजदीक है इसलिए दिनप्रतिदिन बाप भी हमको आगे के लिए पूरा पूरा तैयार कर रहे हैं और सभी के मन में यही इच्छा है कि अब जो कुछ हमें प्राप्तियां हुई हैं वह जल्दी से जल्दी उन सब बातों को समझ लें और बाप से हरेक अपना-अपना वर्सा ले लें। जितना हम बाबा की बातों को सुनकर अपने में भरते जायें और दूसरों को भी बाप का परिचय देकर उन्हों को बाप की प्राप्तियां कराते रहें तो उन्हें भी बहुत अनुभव होते रहेंगे।

अब तो लगता है कि जल्दी से जल्दी अब यह दुनिया बदल फिर से हमारी नई दुनिया इस सृष्टि पर आई कि आई। तो बाबा ने जो बातें सुनाई हैं उन पर मनन करते हम स्वयं को ऐसा योग्य बनायें तो जो हमें देखे उनको हमसे बाप का परिचय मिल जाए। आप सबको देखकर हमें बड़ी खुशी है कि बाबा के बच्चों को कितना उमंग है, और कैसे समय अनुसार अपना-अपना वर्सा लेने पहुंच जाते हैं। अच्छा। ओम् शान्ति।