ओम् शान्ति 06-03-20 मधुबन


प्राणप्यारे अव्यक्त बापदादा के अति स्नेही, सदा विश्व कल्याणकारी बन सुख शान्तिमय दुनिया बनाने वाले, सदा एक राज्य, एक धर्म की स्थापना के निमित्त टीचर्स बहिनें तथा देश विदेश के सर्व ब्राह्मण कुल भूषण भाई बहिनें,

ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद के साथ होली के पावन पर्व की आप सबको बहुत-बहुत हार्दिक बधाईयां।

अभी तो होली का त्योहार सामने आ रहा है, मीठे बाबा ने हम सबकी जीवन ही होली बना दी। हर एक ने होली के अर्थ स्वरूप में स्थित हो, हो ली अर्थात् बीती को बीती कर, एक के हो लिये। पुराने संस्कारों की होली जलाकर होली बन गये। फिर एक दो से मंगल मिलन मनाते, संस्कार मिलन की रास करते, हर एक को अपने श्रेष्ठ संग का रंग लगाते स्वर्णिम दुनिया लाने की सेवा कर रहे हैं। ऐसे सुन्दर यादगार पर्व की सभी को पदमगुणा मुबारक हो। मुबारक हो।

आज तो प्यारे अव्यक्त बापदादा के दिव्य अवतरण का अव्यक्ति दिवस है। ईस्टर्न ज़ोन, (बंगाल, बिहार, उड़ीसा, आसाम) तथा नेपाल और तामिलनाडु के करीब 20-21 हजार भाई बहिनें बाबा के घर में पहुंचे हुए हैं। सभी प्यार के सागर में लवलीन हो, अपनी अव्यक्ति स्थिति द्वारा अव्यक्त मिलन की अनुभूतियां कर रहे हैं। डबल विदेशी भाई बहिनों की भी बहुत अच्छी रिमझिम है। इस बार 100 से भी अधिक देशों के भाई बहिनें बाबा के घर में पहुंच गये हैं। सभी देशों की मुख्य बड़ी बहिनें वा भाई भी आये हुए हैं। सभी ने पूरे वर्ष के लिए स्व-उन्नति और सेवाओं पर बहुत अच्छी रूहरिहान के साथ सेवाओं के नये-नये प्लैन्स बनाये हैं।

हम सबकी अति प्रिय दादी जानकी जी, (अहमदाबाद से) दादी गुल्जार जी (मुम्बई से) सूक्ष्म रूप में अपने शक्तिशाली वायब्रेशन द्वारा अपनी उपस्थिति की अनुभूतियां करा रहे हैं। अव्यक्त वतन से प्यारे बापदादा अपने बच्चों को दिव्य वरदानों एवं सूक्ष्म शक्तियों से सजा रहे हैं। सभी आने वाले भाई बहिनें बाबा के घर में आकर खूब रिफ्रेश हो, पूरा-पूरा सन्तुष्ट होकर बापदादा और दैवी परिवार को दिल की दुआयें देते हैं। यह भी मीठे बापदादा की कमाल है जो अव्यक्त वतन में होते भी बच्चों को अपनी पूरी भासना वा पालना दे रहे हैं। वीडियो द्वारा भी हर एक ऐसा ही अनुभव करते जैसे बापदादा हम सबके बीच में उपस्थित हो हमारे सभी प्रश्नों का हल दे रहे हैं। अभी तो नाज़ुक समय की परिस्थितियां भी विकराल रूप में आ रही हैं। बाबा कहते बच्चे ड्रामा की भावी सदा कल्याणकारी है। हमें तो समय प्रमाण योग की शक्तियों को बढ़ाना है और अपने पवित्र शुद्ध वायब्रेशन द्वारा भयभीत आत्माओं को शान्ति वा शक्ति की सकाश देनी है। अच्छा - सभी को बहुत-बहुत याद.... ओम् शान्ति।

06-03-20 ओम् शान्ति “अव्यक्त-महावाक्य” वीडियो 31-03-07 मधुबन

"सपूत बन अपनी सूरत से बाप की सूरत दिखाना , निर्माण (सेवा) के साथ निर्मल वाणी , निर्मान स्थिति का बैलेन्स रखना"

आज बापदादा चारों ओर के बच्चों के भाग्य की रेखायें देख हर्षित हो रहे हैं। सभी बच्चों के मस्तक में चमकती हुई ज्योति की रेखा चमक रही है। नयनों में रूहानियत की भाग्य रेखा दिखाई दे रही है। मुख में श्रेष्ठ वाणी के भाग्य की रेखा दिखाई दे रही है। होठों में रूहानी मुस्कराहट देख रहे हैं। हाथों में सर्व परमात्म खजाने की रेखा दिखाई दे रही है। हर याद के कदम में पदमों की रेखा देख रहे हैं। हर एक के हृदय में बाप के लव में लवलीन की रेखा देख रहे हैं। ऐसा श्रेष्ठ भाग्य हर एक बच्चा अनुभव कर रहे हैं ना! क्योंकि यह भाग्य की रेखायें स्वयं बाप ने हर एक के श्रेष्ठ कर्म की कलम से खींची है। ऐसा श्रेष्ठ भाग्य जो अविनाशी है, सिर्फ इस जन्म के लिए नहीं है लेकिन अनेक जन्मों की अविनाशी भाग्य रेखायें हैं। अविनाशी बाप है और अविनाशी भाग्य की रेखायें हैं। इस समय श्रेष्ठ कर्म के आधार पर सर्व रेखायें प्राप्त होती हैं। इस समय का पुरुषार्थ अनेक जन्म की प्रालब्ध बना देता है।

सभी बच्चों को जो प्रालब्ध अनेक जन्म मिलनी है, बापदादा वह अभी इस समय, इस जन्म में पुरुषार्थ के प्रालब्ध की प्राप्ति देखने चाहते हैं। सिर्फ भविष्य नहीं लेकिन अभी भी यह सब रेखायें सदा अनुभव में आयें क्योंकि अभी के यह दिव्य संस्कार आपका नया संसार बना रहा है। तो चेक करो, चेक करना आता है ना! स्वयं ही स्वयं के चेकर बनो। तो सर्व भाग्य की रेखायें अभी भी अनुभव होती हैं? ऐसे तो नहीं समझते कि यह प्रालब्ध अन्त में दिखाई देगी? प्राप्ति भी अब है तो प्रालब्ध का अनुभव भी अभी करना है। भविष्य संसार के संस्कार अभी प्रत्यक्ष जीवन में अनुभव होना है। तो क्या चेक करो? भविष्य संसार के संस्कारों का गायन करते हो कि भविष्य संसार में एक राज्य होगा। याद है ना वह संसार! कितने बार उस संसार में राज्य किया है? याद है कि याद दिलाने से याद आता है? क्या थे, वह स्मृति में है ना? लेकिन वही संस्कार अभी के जीवन में प्रत्यक्ष रूप में हैं? तो चेक करो अभी भी मन में, बुद्धि में, सम्बन्ध-सम्पर्क में, जीवन में एक राज्य है? वा कभी-कभी आत्मा के राज्य के साथ-साथ माया का राज्य भी तो नहीं है? जैसे भविष्य प्रालब्ध में एक ही राज्य है, दो नहीं है। तो अभी भी दो राज्य तो नहीं है? जैसे भविष्य राज्य में एक राज्य के साथ एक धर्म है, वह धर्म कौन सा है? सम्पूर्ण पवित्रता की धारणा का धर्म है। तो अभी चेक करो कि पवित्रता सम्पूर्ण है? स्वप्न में भी अपवित्रता का नामनिशान नहीं हो। पवित्रता अर्थात् संकल्प, बोल, कर्म और सम्बन्ध-सम्पर्क में एक ही धारणा सम्पूर्ण पवित्रता की हो। ब्रह्माचारी हो। अपनी चेकिंग करने आती है? जिसको अपनी चेकिंग करनी आती है वह हाथ उठाओ। आती है और करते भी हैं? करते हैं, करते हैं? टीचर्स को आता है? डबल फारेनर्स को आता है? क्यों? अभी की पवित्रता के कारण आपके जड़ चित्र से भी पवित्रता की मांग करते हैं। पवित्रता अर्थात् एक धर्म अब की स्थापना है जो भविष्य में भी चलती है। ऐसे ही भविष्य का क्या गायन है? एक राज्य, एक धर्म और साथ में सदा सुख-शान्ति, सम्पत्ति, अखण्ड सुख, अखण्ड शान्ति, अखण्ड सम्पत्ति। तो अब के आपके स्वराज्य के जीवन में, वह है विश्व राज्य और इस समय है स्वराज्य, तो चेक करो अविनाशी सुख, परमात्म सुख, अविनाशी अनुभव होता है? कोई साधन वा कोई सैलवेशन के आधार पर सुख का अनुभव तो नहीं होता? कभी किसी भी कारण से दु:ख की लहर अनुभव में नहीं आनी चाहिए। कोई नाम, मान-शान के आधार पर तो सुख अनुभव नहीं होता है? क्यों? यह नाम मान शान, साधन, सैलवेशन यह स्वयं ही विनाशी हैं, अल्पकाल के हैं। तो विनाशी आधार से अविनाशी सुख नहीं मिलता। चेक करते जाओ। अभी भी सुनते भी जाओ और अपने में चेक भी करते जाओ तो पता पड़ेगा कि अब के संस्कार और भविष्य संसार की प्रालब्ध में कितना अन्तर है! आप सबने जन्मते ही बापदादा से वायदा किया है, याद है वायदा कि भूल गया है? यही वायदा किया कि हम सभी बाप के साथी बन, विश्व कल्याणकारी बन नया सुख शान्तिमय संसार बनाने वाले हैं। याद है? अपना वायदा याद है? याद है तो हाथ उठाओ। पक्का वायदा है या थोड़ा गड़बड़ हो जाती है? नया संसार अब परमात्म संस्कार के आधार से बनाने वाले हैं। तो सिर्फ अभी पुरुषार्थ नहीं करना है लेकिन पुरुषार्थ की प्रालब्ध भी अभी अनुभव करनी है। सुख के साथ शान्ति को भी चेक करो - अशान्त सरकमस्टांश, अशान्त वायुमण्डल उसमें भी आप शान्ति सागर के बच्चे सदा कमल पुष्प समान अशान्ति को भी शान्ति के वायुमण्डल में परिवर्तन कर सकते हो? शान्त वायुमण्डल है, उसमें आपने शान्ति अनुभव की, यह कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन आपका वायदा है अशान्ति को शान्ति में परिवर्तन करने वाले हैं। तो चेक करो - चेक कर रहे हैं ना? परिवर्तक हो, परवश तो नहीं हो ना? परिवर्तक हो। परिवर्तक कभी परवश नहीं हो सकता। इसी प्रकार से सम्पत्ति, अखुट सम्पत्ति, वह स्वराज्य अधिकारी की क्या है? ज्ञान, गुण और शक्तियां स्वराज्य अधिकारी की सम्पत्तियां यह हैं। तो चेक करो - ज्ञान के सारे विस्तार के सार को स्पष्ट जान गये हो ना? ज्ञान का अर्थ यह नहीं है कि सिर्फ भाषण किया, कोर्स कराया, ज्ञान का अर्थ है समझ। तो हर संकल्प, हर कर्म बोल, ज्ञान अर्थात् समझदार, नॉलेजफुल बनके करते हैं? सर्वगुण प्रैक्टिकल जीवन में इमर्ज रहते हैं? सर्व हैं वा यथाशक्ति हैं? इसी प्रकार सर्व शक्तियां - आपका टाइटिल है - मास्टर सर्वशक्तिवान, शक्तिवान नहीं हैं। तो सर्व शक्तियां सम्पन्न हैं? और दूसरी बात सर्व शक्तियां समय पर कार्य करती हैं? समय पर हाज़िर होती हैं या समय बीत जाता है फिर याद आता है? तो चेक करो तीनों ही बातें एक राज्य, एक धर्म और अविनाशी सुख-शान्ति, सम्पत्ति क्योंकि नये संसार में यह बातें जो अभी स्वराज्य के समय का अनुभव है, वह नहीं हो सकेगा। अभी इन सभी बातों का अनुभव कर सकते हैं। अभी से यह संस्कार इमर्ज होंगे तब अनेक जन्म प्रालब्ध के रूप में चलेंगे। ऐसे तो नहीं समझते हैं कि धारण कर रहे हैं, हो जायेगा, अन्त तक तो हो ही जायेंगे!

बापदादा ने पहले से ही इशारा दे दिया है कि बहुतकाल का अभी का अभ्यास बहुतकाल की प्राप्ति का आधार है। अन्त में हो जायेगा नहीं सोचना, हो जायेगा नहीं, होना ही है। क्यों? स्वराज्य का जो अधिकार है वह अभी बहुतकाल का अभ्यास चाहिए। अगर एक जन्म में अधिकारी नहीं बन सकते, अधीन बन जाते तो अनेक जन्म कैसे होंगे! इसलिए बापदादा सभी चारों ओर के बच्चों को बार-बार इशारा दे रहे हैं कि अभी समय की रफ्तार तीव्रगति में जा रही है इसलिए सभी बच्चों को अभी सिर्फ पुरुषार्थी नहीं बनना है लेकिन तीव्र पुरुषार्थी बन, पुरुषार्थ की प्रालब्ध का अभी बहुतकाल से अनुभव करना है। तीव्र पुरुषार्थ की निशानियां बापदादा ने पहले भी सुनाई हैं। तीव्र पुरुषार्थी सदा मास्टर दाता होगा, लेवता नहीं देवता, देने वाला। यह हो तो मेरा पुरुषार्थ हो, यह करे तो मैं भी करूं, यह बदले तो मैं भी बदलूं, यह बदले, यह करे, यह दातापन की निशानी नहीं है। कोई करे न करे, लेकिन मैं बापदादा समान करूं, ब्रह्मा बाप समान भी, साकार में भी देखा, बच्चे करें तो मैं करूं - कभी नहीं कहा, मैं करके बच्चों से कराऊं। दूसरी निशानी है तीव्र पुरुषार्थ की, सदा निर्मान, कार्य करते भी निर्मान, निर्माण और निर्मान दोनों का बैलेन्स चाहिए। क्यों? निर्मान बनकर कार्य करने में सर्व द्वारा दिल का स्नेह और दुआयें मिलती हैं। बापदादा ने देखा कि निर्माण अर्थात् सेवा के क्षेत्र में आजकल सभी अच्छे उमंग-उत्साह से नये-नये प्लैन बना रहे हैं। इसकी बापदादा चारों ओर के बच्चों को मुबारक दे रहे हैं।

बापदादा के पास निर्माण के, सेवा के प्लैन बहुत अच्छे-अच्छे आये हैं। लेकिन बापदादा ने देखा कि निर्माण के कार्य तो बहुत अच्छे लेकिन जितना सेवा के कार्य में उमंग-उत्साह है उतना अगर निर्मान स्टेज का बैलेन्स हो तो निर्माण अर्थात् सेवा के कार्य में सफलता और ज्यादा प्रत्यक्ष रूप में हो सकती है। बापदादा ने पहले भी सुनाया है - निर्मान स्वभाव, निर्मान बोल और निर्मान स्थिति से सम्बन्ध-सम्पर्क में आना, देवताओं का गायन करते हैं लेकिन है ब्राह्मणों का गायन, देवताओं के लिए कहते हैं उनके मुख से जो बोल निकलते वह जैसे हीरे मोती, अमूल्य, निर्मल वाणी, निर्मल स्वभाव। तो बापदादा ने देखा कि निर्मल वाणी, निर्मान स्थिति उसमें अभी अटेन्शन चाहिए।

बापदादा ने खजाने के तीन खाते जमा करो, यह पहले बताया है। तो रिजल्ट में क्या देखा? तीन खाते कौन से हैं? वह तो याद होगा ना! फिर भी रिवाइज कर रहे हैं - एक है अपने पुरुषार्थ से जमा का खाता बढ़ाना। दूसरा है - सदा स्वयं भी सन्तुष्ट रहे और दूसरे को भी सन्तुष्ट करे, भिन्न-भिन्न संस्कार को जानते हुए भी सन्तुष्ट रहना और सन्तुष्ट करना, इससे दुआओं का खाता जमा होता है। अगर किसी भी कारण से सन्तुष्ट करने में कमी रह जाती है तो पुण्य के खाते में जमा नहीं होता। सन्तुष्टता पुण्य की चाबी है, चाहे रहना, चाहे करना। और तीसरा है - सेवा में भी सदा नि:स्वार्थ, मैं पन नहीं। मैंने किया, या मेरा होना चाहिए, यह मैं और मेरापन जहाँ सेवा में आ जाता है वहाँ पुण्य का खाता जमा नहीं होता। मेरापन, अनुभवी हो यह रॉयल रूप का भी मेरापन बहुत है। रॉयल रूप के मेरेपन की लिस्ट साधारण मेरेपन से लम्बी है। तो जहाँ भी मैं और मेरेपन का स्वार्थ आ जाता है, नि:स्वार्थ नहीं है वहाँ पुण्य का खाता कम जमा होता है। मेरेपन की लिस्ट फिर कभी सुनायेंगे, बड़ी लम्बी है और बड़ी सूक्ष्म है। तो बापदादा ने देखा कि अपने पुरुषार्थ से यथाशक्ति सभी अपना-अपना खाता जमा कर रहे हैं लेकिन दुआओं का खाता और पुण्य का खाता वह अभी भरने की आवश्यकता है। इसलिए तीनों खाते जमा करने का अटेन्शन। संस्कार वैरायटी अभी भी दिखाई देंगे, सबके संस्कार अभी सम्पन्न नहीं हुए हैं लेकिन हमारे ऊपर औरों के कमजोर स्वभाव, कमजोर संस्कारों का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। मैं मास्टर सर्वशक्तिवान हूँ, कमजोर संस्कार शक्तिशाली नहीं हैं। मुझ मास्टर सर्वशक्तिवान के ऊपर कमजोर संस्कार का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। सेफ्टी का साधन है बापदादा की छत्रछाया में रहना। बापदादा के साथ कम्बाइण्ड रहना। छत्रछाया है श्रीमत। अच्छा।

सेवा का टर्न ईस्टर्न ज़ोन का है , ( बंगाल-बिहार , उड़ीसा , आसाम , नेपाल , तामिलनाडु ज़ोन):- यह तो बहुत अच्छा, सभी ज़ोन वालों ने चांस लेने की विधि अच्छी बनाई है। अच्छा आप सबने कोई नई इन्वेन्शन निकाली है, सेवा की नवीनता सोची है? ज़ोन के सभी तरफ की विशेष टीचर्स हाथ उठाओ। भिन्न-भिन्न स्थान की हेड, एक ज़ोन हेड नहीं, लेकिन भिन्न-भिन्न स्थान की एक-एक हेड। अच्छा। तो आप सभी ने सेवा में नवीनता का प्लैन क्या बनाया? कोई बनाया है? आगे वाली टीचर्स बनाया है कि बना रहे हैं? बना रहे हैं क्योंकि आपका ज़ोन जो है उसमें विस्तार बहुत है, कितनी आत्मायें हैं, कितने राज्य हैं, कितने गांव हैं। तो ऐसा प्लैन बनाओ, जैसे बापदादा ने देखा तो फारेन में अफ्रीका वालों ने सिर्फ प्लैन नहीं बनाया, लेकिन प्रैक्टिकल में सब एरिया कवर की है, तो आपकी तरफ तो बहुत एरिया है तो कितने लोग समय समाप्त होने पर वंचित रह जायेंगे ना! तो मिल करके ऐसा कोई प्लैन बनाओ।

देखो, बापदादा ने सभी बच्चों को उमंग-उत्साह और हिम्मत का वरदान एक जैसा दिया है। किसको ज्यादा, किसको कम नहीं दिया है। तो जहाँ उमंग-उत्साह है, वहाँ हिम्मत है तो क्या नहीं हो सकता है। असम्भव भी सम्भव हो सकता है।

सभी पूछते हैं आगे क्या करना है? बापदादा का संकल्प है कि अभी ज्यादा में ज्यादा बनी बनाई स्टेज पर चांस लो। उन्हों को सहयोगी बनाओ और आप सकाश दो।

क्योंकि बापदादा ने देखा है कि स्नेही, सहयोगी हर ज़ोन में यथा शक्ति हैं लेकिन उन्हों को सेवा के साथी बनाओ। उन्हों को भी उमंग-उत्साह के पंख दो। हैं चारों ओर क्योंकि बापदादा चक्कर तो लगाते हैं ना! तो अपने बच्चों को भी देखते हैं और स्नेही-सहयोगी आत्माओं को भी देखते हैं। बापदादा की नज़र में हैं लेकिन चांस नहीं दिया है, प्रैक्टिकल चांस नहीं लिया है। तो यह वर्ष उन्हों को निमित्त बनाओ, स्नेही-सहयोगियों को उमंग-उत्साह में लाओ। लाना पड़ता है। नहीं तो वह भी आपको उल्हना देंगे कि हमको तो आपने बताया ही नहीं कि ऐसा भी कर सकते हैं इसलिए अभी चांस देने वाले बनो। अच्छा।

डबल विदेशी: बापदादा सदा कहता है कि डबल विदेशी मधुबन का विशेष श्रंगार हैं। जैसे देश अपने-अपने उमंग-उत्साह से बढ़ रहे हैं ऐसे विदेश भी कम नहीं है। विदेश ने भी थोड़े समय में विस्तार अच्छा किया है। अभी विदेश को सिर्फ एक ही इनाम लेना है, बतायें कौन सा इनाम लेना है, खास डबल विदेशियों को? चारों ओर स्व और सेवा के बैलेन्स का इनाम लेना है। पसन्द है? विदेशी पसन्द है? लेना है? हाथ उठाओ। वेलकम। मुबारक, इनएडवांस मुबारक।

अच्छा। अभी बापदादा ने जो ड्रिल बताई थी याद है? 5-5 मिनट सारे दिन में अनेक बार ड्रिल करनी है। वह किया है? जिसने वह ड्रिल की है, वह हाथ उठाओ। थोड़ों ने हाथ उठाया है। क्यों? थोड़ा टाइम किया है? बहुत टाइम नहीं किया है तो अभी क्या करेंगे? कम से कम बतायें, कम से कम 8 बारी सारे दिन में कर सकते हो? कर सकते हो? इसमें हाथ उठाओ। करेंगे? अच्छा है। फिर जब दूसरी सीजन शुरू होगी ना, तो उसमें बापदादा सभी से रिजल्ट मंगायेंगे। पीछे एक बात बतायेंगे, अभी नहीं बतायेंगे। पीछे बात बतायेंगे। मधुबन वाले तो करेंगे ना? पहला नम्बर। तो इस वर्ष का होमवर्क, इस सीजन का होमवर्क दूसरी सीजन तक कम से कम 8 बारी यह ड्रिल जरूर करनी है। जरूर, देखेंगे नहीं, करनी ही है। चाहे मिस हो जाए तो एक घण्टे में अनेक बार करके पूरा करना। नींद पीछे करना। सोना पीछे, पहले ड्रिल, आठ बारी पूरा करके पीछे सोना। ठीक है ना टीचर्स! बहुत अच्छा, टीचर्स का वायुमण्डल स्वत: ही फैलेगा।

आज बापदादा सभी को यह देखना चाहते हैं, अभी अभी देखना चाहते हैं कि एक सेकण्ड में स्वराज्य के सीट पर कन्ट्रोलिंग पावर, रूलिंग पावर के संस्कार में इमर्ज रूप से सेकण्ड में बैठ सकते हैं! तो एक सेकण्ड में दो तीन मिनट के लिए राज्य अधिकारी की सीट पर सेट हो जाओ। अच्छा। (ड्रिल)

चारों ओर के बच्चों की यादप्यार के पत्र और साथ-साथ जो भी साइंस के साधन हैं उन्हों द्वारा यादप्यार बापदादा के पास पहुंच गई है। अपने दिल का समाचार भी बहुत बच्चे लिखते भी हैं और रूहरिहान में भी सुनाते हैं। बापदादा उन सभी बच्चों को रेसपान्ड दे रहे हैं कि सदा सच्ची दिल पर साहेब राज़ी है। दिल की दुआयें और दिल का दुलार बापदादा का विशेष उन आत्माओं प्रति है। चारों ओर के जो भी समाचार देते हैं, सभी अच्छे-अच्छे उमंग-उत्साह के प्लैन जो भी बनाये हैं, उसकी बापदादा मुबारक भी दे रहे हैं और वरदान भी दे रहे हैं, बढ़ते चलो, बढ़ाते चलो।

चारों ओर के बापदादा के कोटों में कोई, कोई में भी कोई श्रेष्ठ भाग्यवान बच्चों को बापदादा का विशेष यादप्यार, बापदादा सभी बच्चों को हिम्मत और उमंग-उत्साह की मुबारक भी दे रहे हैं। आगे तीव्र पुरुषार्थी बनने की, बैलेन्स की पदमा-पदमगुणा ब्लैसिंग भी दे रहे हैं। सभी के भाग्य का सितारा सदा चमकता रहे और औरों का भाग्य बनवाते रहें इसकी भी दुआयें दे रहे हैं। चारों ओर के बच्चे अपने अपने स्थान पर सुन भी रहे हैं, देख भी रहे हैं और बापदादा भी सभी चारों ओर के दूर बैठे बच्चों को देख-देख खुश हो रहे हैं। देखते रहो और मधुबन की शोभा सदा बढ़ाते रहो। तो सभी बच्चों को दिल की दुआओं साथ नमस्ते।

दादी जानकी जी ने सभी को अहमदाबाद हॉस्पिटल से यादप्यार दी है।

दादी रतनमोहिनी:- हम सभी ने इतना समय शान्तिपूर्वक बाबा की अच्छी अच्छी बातें सुनी। अभी जो हम सभी ने सुना है उसको अपने अन्दर मनन करना है और मनन करते अपना कदम आगे बढ़ाते रहना है। बाबा ने तो हम सबको बहुत अच्छी शिक्षायें दी हैं, उन शिक्षाओं को हम और भी अपने अन्दर मनन करके स्वयं के अन्दर वह शक्ति जाग्रत कर सभी को सुख देते रहेंगे। जो बाबा ने कहा है उन बातों को अपने जीवन में धारण करते हुए सबको बाप का सन्देश पहुंचाते रहेंगे।