17-02-11   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन


‘‘मन्सा सेवा द्वारा आत्माओं को अंचली देने की सेवा करते बहुतकाल से तीव्र पुरूषार्थ कर एवररेडी रहो तो माला का मणका बन जायेंगे’’

आज स्नेह के सागर अपने स्नेही बच्चों से मिलने आये हैं। बच्चों ने याद किया मेरे बाबा आ जाओ तो बाप कहते हैं मेरे स्नेही बच्चे स्नेह में ऐसा आकर्षण है जो हर बच्चे ने बाप को अपना बनाया और बाप ने हर बच्चे को मेरे बच्चे कहते अपने में समाया। कमाल है बच्चों ने कहा मेरे बाबा तो मेरे शब्द में इतना स्नेह भरा हुआ है जो बाप ने भी कहा मेरे बच्चे स्नेह क्या से क्या बना देता है। हर बच्चे के मस्तक में आज स्नेह की लहरें लहरा रही हैं यह देख बापदादा हर्षित हो रहे हैं। स्नेह ही दिल को अपना बनाने वाला साधन है। तो हर एक बच्चे के अन्दर आज स्नेह की लहरें लहराती हुई देख-देख बापदादा भी खुश हो रहे हैं।

अभी-अभी 5 मिनट के लिए एक ड्रिल बापदादा सबको करा रहे हैं। अपने मन्सा शक्ति से सृष्टि में जो भी आपके भक्त वा अनेक दु:खी अशान्त आत्मायें आपको याद कर रही हैं हे हमारे पूर्वज हमें थोड़े समय के लिए भी शान्ति दे दो जरा सा सुख की अंचली दे दो बचाओ ऐसी आत्माओं को यहाँ बैठे हुए इमर्ज करो आवाज सुनने आ रहा है! बचाओ बचाओ तो ऐसी आत्माओं को अपने मन्सा शक्ति द्वारा सुख शान्ति की किरणें पहुंचाओ। यह मन्सा सेवा सारे दिन में बार-बार करते रहो क्योंकि बाप के साथ आप बच्चे भी विश्व सेवक हो। सारा दिन वाणी द्वारा जैसे सेवा के निमित्त बनते हो ऐसे ही बीच-बीच में मन्सा सेवा का भी अभ्यास करते चलो। इसमें आपका अपना भी फायदा है क्योंकि अगर आपका मन सदा सेवा में बिजी रहेगा तो आपके पास जो बीच-बीच में माया फालतू संकल्प वा व्यर्थ संकल्प करती है उससे बच जायेंगे। मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। अभी बापदादा पूछते हैं कैसे हो? तो क्या जवाब देते हो? पुरूषार्थ है लेकिन कभी कभी...! सदा का पुरूषार्थ नहीं चल रहा है। तो बापदादा अभी सभी बच्चों का यह रिकार्ड देखने चाहते हैं यह कभी-कभी का शब्द समाप्त हो जाए। क्या यह हो सकता है कभी-कभी समाप्त हो जाये? समय पर तैयार हो जायेंगे? हो रहे हैं होना ही है.. इसके बजाए अभी एवररेडी बन सकते हैं? क्यों? एवररेडी रहने का अभ्यास मायाजीत मनजीत जगतजीत यह संस्कार भी बहुत समय से बनायेंगे तब अन्त समय भी यह बहुतकाल का अभ्यास विजयी बनाकर आपको विशेष माला का मणका बनायेगी। पास विद ऑनर बनेंगे। पास नहीं पास विद ऑनर। तो बोलो यह हिम्मत है ना! पास विद ऑनर तो होना है ना? जो द्वापर से लेके अब तक पूज्य बनते हैं अर्थात् माला के मणके बनते हैं तो अपने को माला के मणके बनाने का शुद्ध संकल्प है ना!

बापदादा भी रोज अमृतवेले अपने माला के मणकों को देखते और विशेष मिलन मनाते हैं। तो आप सभी अपने को माला के मणकों में समझते हो। है तो दूसरी माला भी 16 हजार की लेकिन फिर भी सेकण्ड माला हो गई। विशेष माला जो गायन और पूज्यनीय योग्य बनती है वह पहली माला है। तो आज बापदादा उन मणकों को देख रहे थे क्योंकि ब्रह्मा बाप के साथ विशेष राज्य अधिकारी साथी वही बनते हैं। तो आज ब्रह्मा बाप अपने अब के तीव्र पुरूषार्थी और भविष्य के राज्य अधिकारी तख्त पर तो दो ही बैठते हैं लेकिन राज्य के साथी उन्हों की पहली माला है। तो अपने को चेक किया है। बापदादा के साथ तो चलेंगे क्योंकि अभी आप सबकी रिटर्न जरनी है। जब जाना ही है बाप के साथ जाना है अकेला नहीं जाना है। तो साथ जाने वाले नजदीक के मणके कौन होंगे? जो बहुतकाल के तीव्र पुरूषार्थी होंगे। पुरूषार्थी नहीं कब-कब वाले नहीं। बहुतकाल के बाप समान ही राज्य अधिकारी बनेंगे। तो क्या समझते हो? तीव्र पुरूषार्थ है? जो समझते हैं मैं पुरूषार्थी की लाइन में हूँ वह हाथ उठायेंगे। तीव्र पुरूषार्थी बड़ा हाथ उठाओ छोटा हाथ उठाते हैं। अच्छा बहुत उठा रहे हैं। फिर लम्बा हाथ उठाओ ऐसे नहीं। अच्छा।

बापदादा तो रोज बच्चों का चार्ट देखते हैं। मैजारिटी तीव्र पुरूषार्थी भी हैं लेकिन कभी-कभी का शब्द भी साथ में लगा देते हैं। लेकिन बाप क्यों कह रहे हैं? अटेन्शन प्लीज सूक्ष्म संकल्प में भी हलचल नहीं हो। अचल अडोल शुद्ध संकल्पधारी बहुत समय से बनना ही है। कई बच्चे बहुत मीठी-मीठी रूहरिहान करते हैं कहते हैं बाबा हम तैयार हो ही जायेंगे। क्योंकि समय जितना नजदीक आयेगा हालतें हलचल में आयेंगी तो वैराग्य तो आटोमेटिकली आ जायेगा। लेकिन आपका टीचर कौन हुआ? समय या बाप? समय तो आपकी रचना है। तो बाप अभी इशारा दे रहा है कि बहुत समय का तीव्र पुरूषार्थ अन्त में पास विद ऑनर बनायेगा। पास तो सभी होंगे लेकिन पास विद ऑनर बनने वाला बहुत समय का लगातार तीव्र पुरूषार्थ करने वाला आवश्यक है। इसलिए आज की तारीख नोट कर दो अगर अब भी कभी-कभी समाथिंग हो जायेंगे कर ही लेंगे यह शब्द आगे भी चलते रहे... बाप का प्यार तो सदा ही है। लास्ट दाने पर भी बाप का प्यार है। क्यों? दिल से मेरा बाबा तो कहा आज की बड़ीब ड़ी आत्मायें मेरा बाबा नहीं कहती लेकिन वह मेरा बाबा तो मानता है इसलिए बाप का प्यार तो उससे भी है। बच्चों से प्यार तो बाप का सदा ही है लास्ट तक भी है लास्ट वाले तक भी है। स्नेह ने ही आपको बाप का बनाया है। बापदादा ने यह भी कहा है कि स्नेह मैजारिटी बच्चों का है और रहेगा लेकिन सिर्फ स्नेह नहीं शक्ति भी चाहिए। तीव्र पुरूषार्थ भी चाहिए। इसलिए अब तो शिवरात्रि भी आई कि आई बाप के अवतरण के साथ बच्चों का भी अवतरण है ही। तो बापदादा चाहते हैं कि इस शिवरात्रि पर हर बच्चा अपने को साधारण पुरूषार्थ के बजाए तीव्र पुरूषार्थी बनाने का बनने का संकल्प करे। हो सकता है? शिवरात्रि पर दृढ़ संकल्प अपने आपसे करे। लिखे नहीं क्लास में बताने की भी जरूरत नहीं लेकिन बाप से दिल में संकल्प करे कि शिवरात्रि पर हम कभी-कभी शब्द अपने पुरूषार्थ के डिकस्नरी से निकाल देंगे। हो सकता है? जो समझते हैं क्या बड़ी बात है। सोचा और हुआ हिम्मत रखते हैं वह हाथ उठाओ। अच्छा। खुश कर दिया।

बापदादा का तो बच्चों में फेथ है ना। तो अभी से ही पदम पदमगुणा ऐसे बच्चों को मुबारक दे रहे हैं। वाह बच्चे वाह! हिम्मत वाले हैं। आपकी हिम्मत और बाप की मदद तो होगी ही। अभी एक बात करना। जो अपने मन को बिजी रखने के लिए जैसे पहले बाप ने कहा सेकण्ड में स्टाप बिन्दू हूँ बिन्दू लगाना है और सबको बिन्दू रूप में देखना है। जब देखेंगे ही बिन्दू तो और कोई भी संकल्प नहीं चलेगा। मन्सा सेवा का अटेन्शन रखना इतनी दु:खी आत्माओं को चिल्ला रही हैं उन्हों को किरणें देने की सेवा में भी एकस्ट्रा मन को लगाना। मन्सा सेवा बहुत श्रेष्ठ सेवा है। दु:खियों का भी फायदा और आपका अपना भी फायदा। डबल फायदा है। जैसे वाचा से सेवा करते हो और सेवा बढ़ती भी जाती है दिल से करते हो संख्या भी बढ़ती जाती है सेन्टर भी बढ़ते जाते हैं वाचा की सेवा मैजारिटी की ठीक है। सभी की नहीं मैजारिटी की। ऐसे अभी मन से विशेष आत्माओं को अंचली देने की सेवा भी करते रहो। मन को फ्री नहीं छोड़ो। कोई न कोई सेवा में मन से शक्तियां देने की मुख से वाणी की सेवा कर्म में गुणों से सेवा सम्बन्ध सम्पर्क में खुशी देने की सेवा इस भिन्न-भिन्न सेवाओं में मन को बिजी रखो क्योंकि सारे विश्व में रिचेस्ट आत्मायें कौन सी हैं? आप ही हो ना! कितने खज़ाने मिले हैं? तो हर खज़ाने से सेवा करो। खज़ाने को जितना सेवा में लगायेंगे उतने खज़ाने बढ़ते जायेंगे इसलिए अभी जैसे स्व की सेवा का अटेन्शन देते हो ऐसे अपने दु:खी आत्मायें अपने भक्तों की मन्सा द्वारा किरणें देने की सेवा भी अटेन्शन देके सारे दिन में करो बहुत चिल्लाते हैं आपको सुनने नहीं आता। मैजारिटी हर घर में कोई न कोई दु:ख का कारण है। ऐसे दु:खियों को सुख देने वाला कौन? बोलो कौन है? आप ही तो हो। तो इस मन्सा सेवा को सारे दिन में चेक करो कितना समय जैसे स्व के प्रति देते हो वैसे मन्सा सेवा के प्रति कितना समय दिया? रहमदिल हो ना। तो दु:खियों पर रहम करो। आपका गीत भी है ना ओ माँ बाप दु:खियों पर रहम करो। बापदादा को बहुत आवाज सुनने पड़ते हैं। आप लोगों को कम सुनाई देते हैं लेकिन अभी सुनो। कहाँ जायेंगे वह। आपके ही तो भाई बहिन हैं। तो अपना भी फायदा करो मन को बिजी रखो और दु:खियों का दु:ख हरण करो। चिल्लाते हैं दिल चिल्लाती है। बापदादा तो सुनते हैं तो बच्चों को याद करते हैं ओ मेरे लाडले बच्चे सिकीलधे बच्चे अब रहमदिल धारण करो। अपने ब्राह्मणों में भी एक दो के सहयोगी बनो। चाहे कैसा भी संस्कार है लेकिन आपका काम क्या है? संस्कार से टक्कर खाना या उनको भी संस्कार के टक्कर से छुड़ाना। आपका भी टाइटल है ना दु:ख हर्ता सुख कर्ता। बाप के साथी हो ना। बाप के साथी क्या संकल्प किया है? इस विश्व को दु:ख अशान्ति से बदल सुख शान्ति स्थापन करनी ही है। करनी है ना! हाथ उठाओ। करनी है? कि सिर्फ देखना है हो रहा है लेकिन अभी बदलना है। चाहे ब्राह्मण आत्मा हो देखते नहीं रहो यह कर रहे हैं लेकिन उन्हों को भी वाणी और मन्सा संकल्प द्वारा परिवर्तन करो करना नहीं चाहिए! बापदादा सुनता रहता है बापदादा तक बात दे दी जब बात दे दी तो खुद बाप के डायरेक्शन पर चलो जिम्मेवार बापदादा है उनके साथी मुरब्बी बच्चे निमित्त बने हुए बच्चे। तो सदा अपने मन को व्यर्थ संकल्पों के बजाए अब दु:खी आत्माओं को चाहे ब्राह्मण हैं या कोई भी हैं ड्रिस्टर्ब आत्मा को सहयोग दो। सहयोगी बनो। अच्छा।

अभी आज जो पहले बारी आये हैं वह उठो। सभी ने देखा। बापदादा पहले बारी आने वालों का सभा के बीच बर्थ डे मना रहे हैं। फिर भी चाहे कनेक्शन में भी हो लेकिन बाप से मिलन मनाने आये हैं तो यहाँ ब्राह्मण परिवार में बर्थ डे मना रहे हैं। बापदादा को खुशी है जो पहले से कनेक्शन में हैं उनके लिए नहीं कहते लेकिन मधुबन में पहले बारी आये हैं इसके लिए ब्राह्मणों के बीच उन्हों की सेरीमनी कर रहे हैं। इतने सभी ब्राह्मणों की मुबारक मिल रही है। लेकिन आगे के लिए यह सोचना कि स्थापना के समय के बाद तो देरी से यहाँ पहुंचे हैं ना इसलिए बाकी जो समय बचा हुआ है उसमें तीव्र पुरूषार्थ कर समय को व्यर्थ नहीं करना लेकिन एक सेकण्ड में 10 मिनट का काम करना। अटेन्शन देना। अपना पुरूषार्थ तीव्र कर जितना आगे बढ़ने चाहो उतना बढ़ सकते हो। यह आप सभी को सभी ब्राह्मणों की तरफ से बाप की तरफ शुभ भावना शुभ कामना है। अच्छा।

सेवा का टर्न यू.पी. बनारस पश्चिम नेपाल का है:- अच्छा जो पहले बारी आये हैं वह बैठ जाओ। अच्छा। यू.पी. की टीचर्स आगे-आगे खड़ी हैं। अच्छा है। यू.पी. में चारों ओर के भगत बहुत आते हैं। तो यू.पी. वालों को जो भी हो सके भक्तों को सन्देश जरूर दो। सन्देश देना आपका काम है बाकी भाग्य बनाना कितना भाग्य बनाते हैं वह उनके हाथ में है लेकिन आपको उल्हना नहीं दें कि हमको आपने हमारा बाप आया और हमारा बाप वर्सा देने आये हैं यह सन्देश नहीं दिया। हमको कुछ तो वर्सा ले लेते। इसीलिए यू.पी. वालों को जब भी ऐसे करते भी हो बाप के पास समाचार आते हैं लेकिन फिर भी जहाँ तक हो सकता है वहाँ तक सन्देश देने का पाठ आप लोगों के लिए सहज है। और यू.पी. से ब्रह्मा बाप का जगत अम्बा का बहुत प्यार रहा है। जितना ब्रह्मा बाबा यू.पी. में आये हैं इतना बाम्बे में भी आये हैं लेकिन यू.पी. में भी आये हैं। तो जिस जगह ब्रह्मा बाप के पांव पड़े वह स्थान कितना भाग्यवान है। लखनऊ और कानपुर दोनों ही इस भाग्य के अधिकारी बने हैं। बाम्बे भी बना है लेकिन अभी यू.पी. का टर्न है। डायरेक्ट माँ और बाप के शिक्षा की बूंदे यू.पी. में पड़ी हैं। अभी यू.पी. को आगे क्या करना है? वाणी द्वारा मेलों में सेवा तो करते हो लेकिन अभी के समय अनुसार जो बापदादा कहता आया है पहले भी कि वारिस और नामीग्रामी माइक नामीग्रामी का अर्थ यह है कि उनके कहने का प्रभाव सुनने वालों का पड़ने वाला हो ऐसे माइक तैयार करो। ऐसे वारिसों का ग्रुप हर सेन्टर कितने सेन्टर हैं यू.पी. में बहुत हैं ना। तो इतने वारिस निकालने चाहिए। हिसाब करना कितने सेन्टर हैं और कितने वारिस बने हैं। और जितने बनने चाहिए उतने बने हैं या बनाने हैं। अगर बनाने हैं तो समय पर कोई भरोसा नहीं है जल्दी से जल्दी वारिस और माइक जिनकी आवाज से अनेक आत्माओं के भाग्य की रेखा खुल जाए क्योंकि आपने तो बहुत सेवा की जो पुराने हैं उन्होंने तो बहुत सेवा की। अभी सेवा कराओ। करने वाले तैयार करो। कर सकते हैं ना! हाथ उठाओ टीचर्स। अच्छा। टीचर्स भी बहुत हैं। तो इतने ही तैयार करो। हर एक सेन्टर चाहे छोटा चाहे बड़ा सेन्टर की लिस्ट में है उनको जरूर अपना सबूत देना है क्योंकि समय पर कोई भरोसा नहीं है। कब भी क्या भी हो सकता है। इसलिए बापदादा सभी जो भी जोन आते हैं नहीं भी आये हैं सभी जोन को यही कहते हैं कि अभी आगे बढ़ो। क्लासेज तो चलते रहते हैं संख्या भी बढ़ती रहती है लेकिन अभी निमित्त बनने वाले बनाओ और बनाने के लिए बापदादा ने देखा है हर जोन में ऐसी आत्मायें हैं जो निमित्त बन सकती हैं। तो यू.पी. एक तो भक्तों का कल्याण करो भक्त भक्त कहलाने वाले भले थोड़े हैं लेकिन भक्त भी हैं। उन्हों को भक्ति का फल दिलाओ। बहुत मेहनत करते हैं। बाकी अच्छा है। हर एक जोन बापदादा ने देखा कि अपने पुरूषार्थ में बढ़ भी रहे हैं लेकिन अभी भी बढ़ने की मार्जिन हैं। अच्छी- अच्छी बाप की लाडली बच्चियां हैं डायरेक्ट ब्रह्मा बाप की पालना लेने वाली हैं। कर रहे हो ऐसे नहीं नहीं कर रहे हो। कर भी रहे हो लेकिन थोड़ी और स्पीड बढ़ाओ। अच्छा सेवा का टर्न है यज्ञ सेवा अर्थात् अपने भाग्य बनाने की सेवा। क्योंकि आपके पास कितने भी स्टूडेन्ट आवें लेकिन यज्ञ में कितने इकठ्ठे होते हैं। इतने ब्राह्मणों की यज्ञ सेवा करना पुण्य कितना है। तो सेवा करने आते हो लेकिन वास्तव में कहें पुण्य जमा करने आते हो। बापदादा को खुशी होती है कि यह भी चांस पुण्य बनाने का साधन है। तो सेवा अच्छी कर रहे हो ना। वैसे सभी जोन अच्छी करते हैं बापदादा के पास कोई रिपोर्ट नहीं आती है। अच्छे हो और अच्छी सेवा करते हो। सहज हो जाता है। ठीक करते हैं ना सेवा। सभी दादियां भी आप लोगों को मुबारक देती हैं।

पाण्डव भी कितने आते हैं। पाण्डव भी कम नहीं हैं। कई ऐसी सेवायें हैं जो पाण्डव ही कर सकते हैं। इसलिए पाण्डवों को भी बापदादा और सर्व मधुबन निवासी मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।

10 विंग्स आई हैं:- अच्छा खड़े रहो। आपके झण्डे और बोर्ड बापदादा ने देखा इसलिए नीचे कर लो। बापदादा ने देखा है कि जो भी वर्ग आये हैं। जब से वर्ग बने हैं तब से सेवा का उमंग हर एक वर्ग में अच्छा है। हर एक ने अपनी जिम्मेवारी समझी है कि हमको करना ही है। इसलिए हर एक वर्ग सेवा करके अपनी संख्या सेन्टरों पर बढ़ा रहे हैं। रिपोर्ट तो बाप के पास आती ही हैं। अभी एक बात कि जो भी वर्ग हैं वह विशेष आत्मायें जो निमित्त बनी हैं जिसको विशेष निमित्त आत्मायें कहते हैं उसकी सेवा करके हर जोन में एक दिन स्थान फिक्स करके सब तरफ के जो निमित्त आत्मायें निकली हैं उनका संगठन करो। पहला जोन में संगठन करो फिर मधुबन में देखेंगे। लेकिन पहले जिस जोन के ज्यादा सेवाधारी करने वाले हैं उस जोन में सब जोन के दिन मुकरर करके विशेष आत्माओं का मिलन करो। एक दो को देख करके भी उत्साह आता है यह भी करते हैं हम भी करते हैं और सेवा को बढ़ायें। तो उमंग उत्साह दिलाने के लिए पहले जिस जोन में विशेष वर्ग की सेवा हो वहाँ हर कोई जहाँ भी राय करके फिक्स करो वहाँ पहले इकठ्ठे करो फिर मधुबन में बुलायेंगे। यह नहीं किया है। तो पता पड़े कितने माइक तैयार हुए हैं। कितने सहयोगी तैयार हुए हैं। और कितने आपस में एक दो को मदद कर सकते हैं। एक जोन वर्ग दूसरे वर्ग में भी सहयोगी बन सकता है। तो उमंग आयेगा एक दो को देख करके समाचार सुनते उमंग आयेगा। मधुबन के पहले वहाँ ही इकठ्ठे करो फिर देखेंगे। ठीक है। यह ठीक लगता है हाथ उठाओ। आप सभी को इकठ्ठा उठाया है बापदादा हर वर्ग को अलग-अलग मुबारक दे रहे हैं। बापदादा खुश है आपके उमंग उत्साह को देख बापदादा खुश है। ठीक है। अच्छा।

(हर वर्ग वालों से बापदादा ने हाथ उठवाये)

बिजनेस विंग:- बापदादा ने आपको देखा भी आपको और मुबारक भी दी और सर्विस का प्लैन भी दिया तो आप सबको स्पेशल मुबारक हो।

एज्युकेशन विंग:- तो खास आप लोगों को भी बापदादा उमंग उत्साह की मिठाई खिला रहा है।

यूथ विंग:- यूथ ऐसा ग्रुप तैयार करो यह बहिनें भी हैं ना। ऐसा ग्रुप तैयार करो जो कुछ समय से या जब से आये हैं तब से जो मर्यादायें हैं उसमें कायदे प्रमाण चले हैं कितने मर्यादाओं पर चले हैं वह एक-एक का रिकार्ड हो। ऐसा छोटा ग्रुप बनाओ जो सरकार के सामने उन्हों को हाजिर करें कि यह यूथ मर्यादा पूर्वक हैं। तो सेवा हो जाए।

धार्मिक विंग पोलिटीशियन विंग:- अच्छा यह भी आये हैं।

स्पोर्टस विंग:- आपने सुना अभी क्या करना है? तो वह करना। फिर बापदादा इसकी रिजल्ट देख फिर मधुबन में बुलायेंगे। बाकी सभी वर्ग बापदादा ने सुनाया कि अच्छी सेवा में आगे बढ़ रहा है और प्लैन अच्छे-अच्छे बना रहे हैं उसकी मुबारक हो।

महिला वर्ग:- महिला वर्ग में कितने कमल पुष्प घर गृहस्थ में रहते कमल पुष्प समान रहने वाले हैं वह कितने निकाले हैं शुरू से लेके। सेन्टर पर कितनी महिलायें सेवा से निकली हैं वह लिस्ट निकाली है? इसकी हेड कौन है? (चक्रधारी बहन) अच्छा। कितने परिवार निकले वह हर जोन से लिस्ट लेकर फिर बताना जरूर क्योंकि लोगों में तो अभी तक यही है कि पता नहीं घर छोड़ना पड़ेगा। अभी पहले से कम है लेकिन कहाँ-कहाँ अभी भी है। तो कितने सेवा से बने हैं उसकी रिजल्ट निकालना क्योंकि गवर्मेन्ट में हर एक वर्ग की अलग-अलग डिपार्टमेन्ट होती है तो वह पूछते भी हैं कि आपके वर्ग ने क्या रिजल्ट निकाली। इसलिए यह रिजल्ट होनी चाहिए निकालनी चाहिए। हर एक जोन अपने-अपने सेन्टर्स में जो भी निकले हैं वह इन्हों को इकठ्ठा करके दे तो इन्हों को मदद मिल जाए। ठीक है।

ग्राम विकास विंग:- ग्राम विकास सबसे अच्छी सेवा है क्योंकि ग्राम वाले इतना ऐश आराम में नहीं होते। अपने काम में ज्यादा बिजी रहते हैं तो आप लोग उन्हों को विशेष खुशी का अनुभव कराओ। भाषण तो करते ही हैं लेकिन ग्राम वाले अनुभव करें तो हमें जो भी ग्राम सेवा में हैं उन्होंने खुशी बहुत दी है। हम सुखी भी रहते और खुश भी रहते ऐसा रिकार्ड निकाले कितने गांव में सर्विस की उसमें कितनों ने अनुभव किया। क्योंकि अनुभव जो करते हैं वह भूलते नहीं हैं। अनुभव करो और कराओ तो यह रिजल्ट निकालना कितने गांव में कितनी आत्मायें खुश हुई और कनेक्शन में रहती हैं। अच्छा है।

कल्चरल विंग:- कल्चरल वाले अपने कल्चरल वालों की सेवा तो अच्छी कर रहे हैं। बापदादा ने देखा कि कई कल्चरल वाली आत्मायें यज्ञ के सहयोग में आई हैं और अपना सेवा का पार्ट भी बजा रही हैं। दूसरे लोगों को भी अपने अनुभवों से लाते रहते हैं। सेवा में आगे बढ़ रहे हैं। तो बहुत अच्छा है। जो बाप ने कहा था स्थापना के समय तो आपके पास कल्चरल वाले भी अनुभवी बन औरों को अनुभव सुनायेंगे। तो वह कर भी रहे हो और आगे भी करते रहना। जो आवाज फैल जाए तो ब्रह्माकुमार-कुमारियां सेवा कर कल्चरल वालों को कैरेक्टर बिल्डिंग बनाने का भी अनुभवी बनाते हैं। अच्छे-अच्छे आ रहे हैं जो आगे बढ़ रहे हैं और दूसरों को भी अनुभव सुनाके आगे बढ़ा रहे हैं इसलिए बढ़ते रहो बढ़ाते रहो।

स्पार्क:- स्पार्क विंग भी अपना-अपना कार्य कर रही है। बापदादा ने देखा कि हर एक अपने वर्ग की सेवा में आत्माओं को अनुभवी बना रहे हैं उनको अच्छे-अच्छे विचारों से उनकी बुद्धि बहुत अच्छी बना रहे हैं और धारणा भी लोगों को कराते हैं इसलिए हर एक विंग के लिए बाबा ने कहा तो सेवा कर रहे हो साथी बना रहे हो और और अधिक साथी बनाके ऐसा ग्रुप तैयार करो संगठन तैयार करो जो संगठन गवर्मेन्ट के सामने जाए और उनको अपना कार्य और रिजल्ट सुनाये। हर एक वर्ग की अपने-अपने गवर्मेन्ट की शाखा है तो उन्हों की भी सेवा हो और लोगों की भी सेवा हो।

अच्छा –

डबल विदेशी भाई बहिनें - 80 देशों के 750 भाई बहिनें हैं:- विदेशियों का बापदादा ने इस समय के प्रोग्रामस देखे तो बहुत एक एक ग्रुप से प्यार से मेहनत बहुत अच्छी की। और मधुबन के वायुमण्डल में कईयों के अनुभव भी अच्छे अपने तीव्र पुरूषार्थ की उमंग-उत्साह वाले थे इसलिए बापदादा ने इस समय का ग्रुप का जो ट्रेनिंग देने वाले और ट्रेनिंग लेने वाले दोनों में उमंग-उत्साह देखा और एक समय में कितने लाभ लिये। एक परिवार का मिलना और कहाँ भी इतने ग्रुप मिले कोई स्थान नहीं मधुबन के सिवाए। तो इन्होंने अच्छी चतुराई की मधुबन में ही प्रोग्राम बना दिया। तो बापदादा खुश है कईयों के परिवर्तन के अनुभव भी बापदादा ने सुनें। यहाँ की धरनी में जो भी कुछ शिक्षा मिलती है उनकी महसूसता जल्दी हो जाती है। वायुमण्डल है ना। तो वायुमण्डल भी मिला संगठन भी मिला कितने समय के बाद एक-एक ग्रुप मिलते हैं सारे। रहना संग बापदादा और अपनी रिफ्रेशमेंट तो यह बापदादा को बहुत अच्छा लगा। लेकिन जितने यहाँ फायदे मिले हैं लाभ मिले हैं उतना ही प्रैक्टिकल में करके आप निमित्त बनो औरों को भी उमंग-उत्साह बढ़ाने के लिए। बन सकते हो क्योंकि प्लैन जो बनाये हैं बापदादा ने थोड़े में सुने हैं अच्छे लगे हैं। करने का तरीक भी अच्छा है। तो बाप को खुशी है कि डबल फारेनर्स अच्छी अपने ऊपर भी अटेन्शन दे रहे हैं और अब तो एक चन्दन का वृक्ष हो गया है। भिन्न-भिन्न देश की टालियां मधुबन में आई लेकिन यहाँ आने से एक चन्दन का वृक्ष बन गये। तो बाप ने देखा जो भी आये हैं उनका ब्राह्मण कलचर बहुत अच्छा बना है चल रहा है और बनता रहेगा यह भी निश्चय है और निश्चित है। ड्रामा में भी निश्चित है ओम् शान्ति। जो मुख्य टीचर्स हैं उन्हों को बापदादा स्पेशल मुबारक दे रहे हैं। तो मुबारक हो मुबारक हो मुबारक हो।

आज मधुबन के जो भी हैं ऊपर वाले नीचे वाले और यह जो बाहर रहते हैं लेकिन मधुबन में पढ़ाई पढ़ते हैं वह सब उठो कितने आये हैं:-

(राजू भाई को मुरली टाइप करते हुए देखकर) आप भी उठो ना। इतना काम करते हैं देखो बड़े में बड़ी सेवा तो यह करते हैं सभी ब्राह्मणों को फौरन पहुंच जाता है। आपको मुबारक हो विशेष मुबारक हो।

मधुबन वाले अगर नहीं होते तो आपकी मेहमान निवाजी कौन करता। आराम से आते हो खाते हो पीते हो रिफ्रेश होते हो तो मधुबन वालों के लिए ताली बजाओ। बापदादा जानते हैं कि जगह कम होने के कारण मधुबन वालों को थोड़ा दूर बैठकर सुनना पड़ता है। यह भी सेवा है मधुबन वालों की यह भी सेवा है। दूसरों को सुख देना सुखदाता हो गये ना। तो मधुबन वालों का काम है सुख देना और सुख लेना। क्योंकि जो भी आते हैं उन्हों के अनुभवों से आप अनुभव सुनाते हो उस अनुभव से एक दो को फायदा हो जाता है। कई फायदे होते हैं लेकिन टाइम कम होने के कारण सुनाते कम हैं। लेकिन मधुबन वालों का टाइटल क्या हुआ? सुख देना और सुख लेना। सुखदाता के बच्चे फालो फादर करने वाले हैं। अच्छा-

मिलन तो सबका हुआ। बहुत तैयारी करके आते हैं। हर वर्ग बहुत तैयारी करके आते हैं बापदादा जानते हैं लेकिन टाइम को भी देखना पड़ता है। तो सभी को अभी तीव्र पुरूषार्थी बनने की एडवांस में बहुत बहुत पदम गुणा मुबारक पहले से दे रहे हैं। अभी शिव रात्रि पर चाहे यहाँ आने वाले चाहे घरों में बैठकर सेन्टर पर बैठ सुनने वाले या मुरली द्वारा सुनने वाले सभी मुरली तो सुनते होंगे ना। इस बारी जो आये हैं उसमें मुरली रेग्युलर जो सुनते हैं कोई हैं जो मुरली नहीं सुनते वह हाथ उठाओ। कोई नहीं। अच्छा। वह उठो जो नहीं पढ़ते या सुनते हैं। थोड़े हैं। कोई बात नहीं लेकिन अभी बाकी जो भी समय मिला है उसमें बाप का महावाक्य परमधाम से बापदादा आता है सूक्ष्मवतन से ब्रह्मा बाबा आता है और आके महावाक्य उच्चारण करते हैं इसलिए मुरली कभी भी एक दिन भी मिस नहीं करना। अपना बापदादा का दिलतख्त छूट जायेगा। इसलिए जो भी मुरली मिस करते हैं वह समझें हम तीन तख्त के मालिक नहीं दो तख्त के मालिक भी यथाशक्ति बनेंगे। इसलिए मुरली मुरली मुरली। क्योंकि मुरली में रोज के डायरेक्शन होते हैं चार ही सबजेक्ट के डायरेक्शन होते हैं तो रोज के डायरेक्शन लेने हैं ना। तो जो भी मिस करता हो कारणे-अकारणे वह अपना प्रोग्राम बनावे कि कैसे मुरली सुनें। कोई न कोई सैलवेशन बनायें। आजकल साइंस के साधन आपके लिए निकले हैं। ब्रह्मा बाप में प्रवेशता के 100 साल पहले यह साइंस निकली है आपके काम में भी आनी है इसलिए उसको यूज करो फायदा उठाओ।

अच्छा सामने बैठे हुए या कहाँ भी सुनने वाले बच्चों को बापदादा की दिल व जान सिक व प्रेम से यादप्यार और नमस्ते।

दादियों से:- (दादी जानकी जी से) सेवा दिल से करती हो विशेष सेवा करती हो। जहाँ दिल होती है ना वहाँ अनुभव होता है। ऊपर ऊपर से वाणी चलाई तो अनुभव दिल से लगना वह कम होता है। आपकी सेवा का फल भी निकलता है। तो यह वरदान है। (गुल्जार दादी बहुत अच्छी है) अच्छे तो हर एक हैं। यह सब अच्छे हैं।

मोहिनी बहन और उनके डाक्टर से:- बापदादा ने सुना। सोचो कम। हंसती हैं लेकिन सोचती भी है। चेहरा तो लाल है लेकिन सोचना थोड़ा-थोड़ा यह तबियत को इफेक्ट करता है। सिर्फ सोचो बाबा अच्छा कर लेगा। अभी डबल डाक्टर बनो। ासिंगल तो बहुत हैं। डबल डाक्टर। प्रेम तो है डबल डाक्टर बनें। आप कार्ड छपाते हो ना उसके पीछे खाली होता है तो आप मन की भी बीमारी का लिखके और उसमें एड्रेस लिखो जो सेन्टर नजदीक हो वहाँ मेडीटेशन वरके मन को दुरूस्त करो। क्योंकि डाक्टर का नाम पढ़के भी उन्हों को आता है कि डाक्टर कहता है तो करना है। तो आप घर बैठे सेवा कर सकते हो डबल डाक्टर बन जायेंगे। आप नहीं करेंगे करायेंगे दूसरे। तो बहुत सहज है। जो भी आवे एड्रेस पूछें तो दे देना। कार्ड छपाके रख दो ऐसे डबल डाक्टर। दवा और दुआ दोनों से अभी फर्क पड़ेगा। दोनों ही मिलेंगी बाबा की तरफ से।

यह डबल डाक्टर बनने की सौगात।

परदादी से:- आपकी विशेषता है जो शक्ल सदा हंसमुख रहती है। (बाबा की बेटी हूँ) डबल बेटी हो। लौकिक भी और अलौकिक भी पारलौकिक भी। तीनों हो।

(तीनों भाईयों से) आपस में तीनों मिलते रहते हो? (थोड़ा-थोड़ा) थोड़ा-थोड़ा नहीं। फोन में भी मुलाकात कर सकते हो। फारेन में यह अच्छा है कोई भी कार्य फोन में बहुत अच्छा मीटिंग पूरी हो जाती है। तो उन्हों की विधि देखो आपस में मिलते रहो। फोन में भी मीटिंग कर सकते हो।

भूपाल भाई से:- चारों तरफ यज्ञ की ठीक रखवाली हो रही है। ध्यान रखो चक्कर लगाते रहो।

इन्दौर के वी.आई पीज से:- अपने घर में आने में मजा आता है ना। अपने घर में आये हो दूसरी जगह नहीं आये हो। यह परमात्मा का घर है तो बच्चे का भी घर हुआ ना। तो अपने घर में आये हो। हमेशा अपने को बेफिकर बादशाह बनाके रखना। फिकर नहीं करना बेफिकर बादशाह। काम तो होते ही रहेंगे लेकिन खुद को बेफिकर बादशाह बनाना। सवेरे उठकर बाप को याद करेंगे ना तो सारा दिन अच्छा बीतेगा। उठते आंख खुलते मेरा बाबा याद करना।

धार्मिक नेताओं से:- आप लोगों को देख औरों में भी उमंग आयेगा। क्यों इन्हों को क्या मिला। और आपका अनुभव अनेकों को अनुभव करायेगा। निमित्त बनेंगे। (ट्रिनीडेड के ब्रह्मदेव स्वामी जी गीता का भगवान सिद्ध करेंगे) अभी मुरली पढ़ना।

सोलार प्रोजेक्ट का नक्शा बापदादा को दिखाया:- निश्चयबुद्धि होकर करो। सभी मिलकर एक ही संकल्प करो होना ही है। (रमेश भाई से) आपको कहा था ना कि यह सभी ब्राह्मणों को पता हो। आर्टिकल सब नहीं पढ़ते हैं।