31-03-11 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘दृढ़ संकल्प द्वारा टेन्शन फ्री का एक्जैम्पुल बन सबके आधारमूर्त बनो मन्सा शक्ति द्वारा दु:खी आत्माओं को खुशी का वरदान दो’’
आज ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ड फादर अपने कोटों में कोई कोई में भी कोई बच्चों के भाग्य की रेखायें देख रहे हैं। हर एक के मस्तक से चमकती हुई दिव्य चमकते हुए सितारे की चमक देख रहे हैं। नयनों से स्नेह की रेखा देख रहे हैं। मुख से ज्ञान की रेखा देख रहे हैं। दिल में दिलाराम के लवलीन की रेखा देख रहे हैं। हाथों में ज्ञान के खज़ानों की रेखा देख रहे हैं। पांव में हर कदम में पदम की रेखा देख रहे हैं। हर एक बच्चा इन रेखाओं में नम्बरवार सम्पन्न है। ऐसा भाग्य आपके बिना और किसका भी नहीं है। आपका इतना श्रेष्ठ भाग्य हर बच्चे से चमकता हुआ दिखाई दे रहा है। और यह भाग्य अविनाशी बन जाता है क्यों? क्योंकि देने वाला अविनाशी बाप है। इस संगमयुग पर ही ऐसा श्रेष्ठ भाग्य प्राप्त होता है जो भविष्य में भी चलता रहता है। यह संगमयुग सर्व प्राप्तियों का युग है जो जितना अपना भाग्य जमा करता है उतना अनेक जन्म भाग्य का फल होता रहता है। इस संगमयुग की महिमा आप बच्चे ही जानते हैं। संगमयुग की प्राप्तियां सारे कल्प में श्रेष्ठ से श्रेष्ठ हैं।
बापदादा देख रहे हैं हर एक बच्चा इस संगमयुग की प्राप्तियों से कितना सम्पन्न है। आप सभी भी सर्व प्राप्तियों के अनुभव में सदा रहते हो या कभी कभी? अविनाशी बाप है तो प्राप्तियां भी अविनाशी हैं बापदादा हर बच्चे को किस रूप में देखने चाहते हैं जानते हो ना! बापदादा यही चाहते हैं कि हर बच्चा स्वराज्य अधिकारी राजा बनें। स्व के ऊपर अर्थात् कर्मेन्द्रियों के ऊपर मन-बुद्धि-संस्कार के ऊपर राजा बन राज्य करे। भविष्य में तो राज्य अधिकारी बनेंगे लेकिन अभी स्वराज्य अधिकारी राजा बनें। कोई भी कर्मेन्द्रियां अपने कन्ट्रोल में हों क्योंकि बाप द्वारा सर्व शक्तियों का खज़ाना प्राप्त हुआ है। तो बापदादा हर एक बच्चे को स्वराज्य अधिकारी राजा रूप में देखने चाहते हैं। तो आप सभी स्वराज्य अधिकारी बने हो? मन बुद्धि के ऊपर रूलिंग पावर कन्ट्रोलिंग पावर आ गई है? अधीनता तो नहीं है? अधिकारी हैं। जब बापदादा को साथ में रखते हैं अकेले नहीं बनते हैं बाप को सदा साथी बनाके रखते हैं तो यह मन बुद्धि संस्कार किसी की भी ताकत नहीं जो कन्ट्रोल में नहीं रहे। इसीलिए बापदादा शक्तियों को सदा कहते हैं कि अपने कौन से स्वरूप को याद रखो जो कभी भी बाप का साथ भूल नहीं जाए? वह है हम शिवशक्ति हैं। शिव और शक्ति साथ है। यह स्मृति मायाजीत प्रकृतिजीत स्वत: बना देती हैं क्योंकि बापदादा ने सुना दिया है कि वर्तमान समय प्रकृति अपना कार्य करती रहती है क्योंकि प्रकृति को भी मनुष्य आत्मायें तंग करते हैं तो प्रकृति भी तंग करती है। आजकल देखते हो कि प्रकृति कहाँ न कहाँ अपना कार्य करती रहती है लेकिन आप प्रकृतिजीत बन प्रकृति को भी सतोप्रधान बना रहे हो। लोग तो प्रकृति की हलचल देख डरते हैं कि कल क्या होगा! लेकिन आप जानते हो कि अच्छे ते अच्छा होगा क्योंकि अभी यह संगमयुग सृष्टि चक्र का अमृतवेला चल रहा है। तो अमृतवेले के बाद क्या होता है? सवेरा। अंधकार खत्म हो रोशनी आ जाती तो आपको खुशी है कि अभी हमारा राज्य सुखमय संसार जहाँ प्रकृति भी सुखमई है वह राज्य आया कि आया। खुशी है ना! जिस राज्य में दु:ख अशान्ति का नामनिशान नहीं होगा क्योंकि अभी संगम पर आप प्रकृतिजीत बन रहे हो। तो सभी को खुशी है ना किसकी? बोलो हमारा राज्य आने वाला है। यह खुशी है? जो इस खुशी में रहते हैं वह हाथ उठाओ। बहुत अच्छा। आप तो खुश रहते हो इसकी मुबारक हो लेकिन ऐसी खुशी अपनी खुशी आपके भाई बहिन जो दु:खी अशान्त हैं उसको अपने बाप द्वारा ली हुई किरणों द्वारा खुशी की किरणें पहुंचाते हो? बापदादा ने कहा था कि ऐसी मन्सा सेवा करने का टाइम हर एक को अपने दिनचर्या में फिक्स करना है। जैसे और कार्य के लिए टाइम फिक्स किया हुआ है ऐसे अपनी खुशी की खुराक द्वारा दु:खी आत्माओं को मन्सा शक्ति द्वारा थाेडा बहुत वरदान देकरके उन्हों को भी खुश करो तो जिन्होंने अपना टाइम मन्सा सेवा के लिए फिक्स किया है वह हाथ उठाओ। अच्छा जिन्होंने भी नहीं किया है। हैं थोडे लेकिन इसका टाइम फिक्स करना है क्योंकि अपने ही भाई बहन हैं ना। तो तरस पड़ता है ना! कि तरस नहीं पड़ता है? पड़ता है ना! और बापदादा सभी को देखने चाहते हैं कि संगम की जो विशेष दो बातें हैं जो अमूल्य हैं एक संकल्प शक्ति और दूसरा संगम का समय क्योंकि संगम के समय में एक जन्म में अनेक जन्म की प्रालब्ध बनानी है।
तो आजकल बापदादा ने देखा है कि बहुतों के अशुद्ध संकल्प कम चलते हैं लेकिन व्यर्थ संकल्प आते जाते हैं। तो इस एक जन्म के मूल्य के अनुसार व्यर्थ संकल्प अभी फिनिश होने चाहिए क्योंकि संगमयुग के महत्व के हिसाब से एक सेकण्ड कई कीमती समय का अधिकार दिलाता है इसलिए हर एक को इन दोनों बातों का समय और संकल्प दोनों के मूल्य को जान समय को और संकल्प को सफल करो। जैसे स्थूल खज़ाने को सफल करते हो जानते हो कि एक जन्म में सफल करने से अनेक जन्म उनकी प्राप्ति जमा होती है। ऐसे इन दोनों बातों को अटेन्शन दे सफल कर सफलता मूर्त बनो।
बापदादा हर बच्चे को आज विशेष एक वरदान दे रहे हैं हर एक बच्चा आज से अपने को टेन्शन फ्री बना सकते हो? दृढ़ संकल्प करो कि आज से अटेन्शन नो टेन्शन। बापदादा बच्चों को जब टेन्शन में देखते हैं ना तो सोचते हैं अभी अभी इस बच्चे का फोटो निकालके भेजें। तो खुद ही समझ जायेगा कि मैं क्या बन गया! बापदादा मनजीत जगतजीत बनाने चाहते हैं। टेन्शन किसमें मन में ही तो आता है ना! तो आप तो राजा हो ना स्वराज्य अधिकारी हो ना! क्या मन आपका है या मन मालिक है? आप क्या कहते हो? सारा दिन मेरा मन कहते हो ना! मालिक तो नहीं है ना! कौन हिम्मत रखता है बाप का वरदान सहज मिलेगा लेकिन सिर्फ थाेडा अटेन्शन रखना पड़ेगा। बाप के वरदान की मदद का अनुभव करके देखना। सभी का चेहरा जब भी देखो तो कैसा दिखाई देगा? टेन्शन फ्री कमल पुष्प समान वा खिला हुआ गुलाब पुष्प मिसल।
बापदादा ने देखा कि जो पहले काम दिया था परसेन्टेज लिखने का। सभी स्थानों से कुछ कुछ समाचार आया है। यहाँ भी रिजल्ट निकाली है। अटेन्शन दिया उसकी मुबारक बापदादा दे रहे हैं लेकिन अभी बापदादा यही चाहते हैं कि समय प्रमाण अभी वाणी द्वारा सुनने का समय भी कम मिलेगा इसलिए मन्सा द्वारा और अपने चेहरे और चलन द्वारा सर्विस करो। अभी का अभ्यास आगे आने वाले समय में कार्य में आयेगा। तो आज से टेन्शन फ्री का संकल्प कर सकते हो? कर सकते हो? कर सकते हो? हाथ उठाओ। टेन्शन फ्री। अच्छा सभी का फोटो निकालो। बहुत अच्छा। तो जो आत्मायें सरकमस्टांश के प्रमाण बहुत टेन्शन में रहते हैं आजकल दुनिया में टेन्शन बहुत बढ़ रहा है तो आपका टेन्शन फ्री का अनुभव और टेन्शन फ्री की चलन और चेहरा उन्हों के आगे एक आधारमूर्त बनेगा। अगर आज दुनिया में चक्र लगाओ या समाचार सुनो तो क्या दिखाई देता है? टैम्प्रेरी अपने को खुश करने के साधन बनाते रहते हैं। तो टेन्शन वालों को टेन्शन फ्री का एक्जैम्पुल दिखाओ तो उनको भी सहारा दिखाई दे। तो संकल्प किया अपने मन में संकल्प किया कि टेन्शन फ्री रहेंगे? किया? दृढ़ किया या साधारण किया? जहाँ दृढ़ता होती है वहाँ सफलता हुई पड़ी है। करेंगे नहीं करना ही है। पसन्द है? इसमें हाथ उठाओ। बापदादा ने एक बात देखी है कि हाथ उठाके बहुत खुश कर देते हैं। हाथ उठाके खुश तो किया लेकिन अभी क्या करेंगे? दृढ़ संकल्प साधारण संकल्प उसमें रात दिन का फर्क है। करेंगे और करना ही है। तो इस सीजन का इस वर्ष की इस सीजन का आज लास्ट डे है लेकिन अगली सीजन में बापदादा हर एक छोटा बड़ा सेन्टर काफी टाइम है बीच में अगले वर्ष की सीजन में कारण नहीं लेकिन निवारण स्वरूप देखने चाहते हैं। तो कितना हिम्मत और उमंग है कि ब्राह्मण परिवार में टेन्शन का नामनिशान नहीं हो। हो सकता है? हर एक अपने से पूछे हो सकता है? यह खुशखबरी बापदादा सुनने चाहते हैं।
बापदादा ने देखा कि चाहना सब रखते हैं करेंगे लेकिन जब समस्या आती है तो समस्या अपना बना देती है। फिर बहुत मीठी बातें करते हैं यह हो जाता है ना यह तो होगा ना! यह तो चलता है ना! बापदादा को बहुत मीठी मीठी बातें सुनाते हैं। सबका कारण राजा बन जाओ बस। स्वराज्य अधिकारी बन जाओ। तो आज बापदादा सभी बच्चों को चाहे सामने बैठे हैं चाहे दूर बैठे दिल में बैठे हैं। आप तो आंखों के सामने हैं लेकिन बापदादा जो दूर बैठे हैं उनको दिल में देख रहे हैं।
बापदादा को पता है कि आज के दिन मधुबन में भी छोटी छोटी गीता पाठशालायें लग गई हैं। बच्चे आये हैं बापदादा बहुत बहुत बहुत नीचे बैठने वालों को कहाँ कहाँ बैठने वालों को सबसे पहले दिल का दुलार और यादप्यार दे रहे हैं। (आज शान्तिवन में 28 हजार से भी अधिक भाई बहिनें पहुंचे हुए हैं) बापदादा ने देखा कि बच्चों को थोड़ी तकलीफ तो देखनी पड़ी है लेकिन यह तकलीफ खुशी में अनुभव नहीं करते हैं। फिर भी आराम से सोने के लिए तीन पैर पृथ्वी तो मिली है ना। जो पटरानी बने हैं उन बच्चों को बापदादा विशेष यादप्यार दे रहे हैं। अच्छा जो आज पहले बारी मधुबन में आये हैं या बापदादा से मिलने आये हैं वह उठो। आज पहले बारी आने वाले बच्चों को बापदादा नये ब्राह्मण परिवार में आने की अपने तरफ से और ब्राह्मण परिवार की तरफ से बहुत-बहुत बधाई दे रहे हैं क्योंकि फिर भी टूलेट आये हो लेकिन आ तो गये। बापदादा और परिवार को देख तो लिया। बापदादा समझते हैं कि आप चाहो तो आज आने वालों को विशेष वरदान है कि अगर दिल से चाहो तो लास्ट सो फास्ट फास्ट सो आगे आ सकते हो। बापदादा और परिवार का आप सब आत्माओं से प्यार है। सहयोगी बनेंगे स्नेह देंगे और आपको आगे बढ़ायेंगे। चांस देंगे। इसीलिए आज आने वालों को आगे बढ़ने का चांस बहुत अच्छा ड्रामा में मिल सकता है। सारा परिवार जहाँ से भी आये हो तो वह परिवार आपका सहयोगी बनेगा आप सहज योगी बनना। अच्छा।
सेवा का टर्न राजस्थान और भोपाल जोन का है:- अच्छा बापदादा देख रहे हैं कि जो जोन सेवा पर आये हैं उनके ही ज्यादा नई आत्मायें भी आई हुई हैं। अच्छा है। राजस्थान वाले तो आधा क्लास है। राजस्थान की धरनी ब्रह्मा बाप को बहुत पसन्द आई जो राजस्थान में ही मधुबन बनाया है। राजस्थान की सेवा बापदादा ने देखा कि हर स्थान में अभी वृद्धि अच्छी हो रही है। नई नई आत्माओं को बाप का सन्देश देने के प्रोग्रामस भी अच्छे हो रहे हैं। लेकिन बापदादा सभी को यही कहते हैं हर एक सेवाकेन्द्र यज्ञ स्नेही वारिस ऐसा ग्रुप बनावे जो स्वयं भी आगे बढ़ते जायें औरों को भी यज्ञ स्नेही बनाये। अगले वारी भी बापदादा ने यह कहा यज्ञ स्नेही सेवा स्नेही और सफल करने में सदा आगे से आगे बढ़ने वाले वृद्धि हो रही है अच्छा है सन्देश देने का कार्य भी देने में हर एक उमंग उत्साह में है। अभी बापदादा यही देखने चाहते हैं कि स्व और सेवा दोनों का बैलेन्स करने वाले हर एक सेन्टर से ज्यादा में ज्यादा आगे आने चाहिए। सिर्फ सेवा नहीं स्व और सेवा क्योंकि अब स्व परिवर्तन का समय इतना ज्यादा नहीं है इसीलिए पहले स्व साथ में सेवा। हर एक सेवाकेन्द्र निर्विघ्न सब साथी निर्विघ्न सिर्फ टीचर नहीं लेकिन सारा क्लास निर्विघ्न और स्व परिवर्तन का अटेन्शन रखने वाले हो। तो यह वृद्धि करो। एक एक की बातों को सुनो और उनको उमंग-उत्साह के पंख लगाओ जो बापदादा को निर्विघ्न सेन्टर का समाचार दे सको। बाकी बापदादा ने देखा राजस्थान भी आगे बढ़ रहा है बढ़ता रहेगा। बापदादा हर एक बच्चे को आगे बढ़ने की मुबारक दे रहे हैं। अच्छा।
भोपाल जोन:- अच्छा यह भी जोन अपने परिवर्तन और सेवा की वृद्धि में अच्छा आगे बढ़ रहा है। बापदादा को खुशी है कि हर एक बच्चा स्व के प्रति भी प्लैन बना रहे हैं और प्रैक्टिकल में भी ला रहे हैं। और बाबा की शुभ आशा है कि सदा आगे बढ़ते रहेंगे। हर एक जोन में देखा जाता है कि अभी उमंग-उत्साह है इसलिए सेवा में अपने अपने स्थान में वृद्धि कर रहे हैं। बापदादा आगे के लिए भी मुबारक दे रहे हैं बढ़ते चलो उड़ते चलो उड़ाते चलो। अच्छा।
डबल विदेशी भाई बहिनें:- फॉरेनर्स को टाइटिल दिया है डबल फॉरेनर्स। फॉरेनर्स नहीं डबल फॉरेनर्स। तो प्रैक्टिकल में देखा जाता है कि जैसे टाइटिल दिया है ना डबल फॉरेनर्स ऐसे ही मैजारिटी को डबल नशा रहता है क्या डबल नशा रहता है? कि हम डबल उमंग उत्साह में रहने वाले हैं और बापदादा देखते हैं उमंग उत्साह अच्छा रहता है। बापदादा खुश है कि कहाँ एक लण्डन की स्थापना हुई और आज डबल फॉरेनर्स ने काफी स्थानों पर सेवा कर सभी को बापदादा का या ब्राह्मण परिवार का बनाया है और बनाने का लक्ष्य अच्छा है इसलिए प्रूफ है। पहले अपने टर्न में आते थे लेकिन अभी मैजारिटी हर टर्न में पहुंचते हैं और बापदादा को खुशी है कि फॉरेन के बच्चों को देख भारतवासियों को उमंग आता है कि यह भारतवासियों से आगे बढ़ रहे हैं। फॉरेन वाले आगे बढ़ रहे हैं और हम पीछे रह नहीं जाएं। भारतवासियों को भी उमंग आता है और पुरूषार्थ में भी देखा गया तो अभी पेपर्स तो आते हैं फॉरेन वालों के पास लेकिन एक विशेषता है कि वह सच्ची दिल से बोल देते हैं। अन्दर नहीं रखते हैं और उसका समाधान सच्ची दिल से करते रहते हैं। यह बापदादा को खुशी है कि साफ दिल तो हजूर हाजिर हो जाता है। अच्छी रिजल्ट देख बापदादा मुबारक भी दे रहे हैं और वरदान भी दे रहे हैं कि सदा आगे बढ़ते रहेंगे। टीचर्स भी अच्छी मेहनत कर रही हैं। बापदादा को खुशी होती है कि सबसे ज्यादा मधुबन का फायदा फारेन वाले उठा रहे हैं। तो बापदादा देखते हैं कि फॉरेन के छोटे छोटे स्थानों पर भी आवाज बुलन्द करने की सेवा करना आरम्भ कर दिया है। तो सेवा की मुबारक हो स्व परिवर्तन की मुबारक हो। उड़ते चलो और उड़ाते चलो। अच्छा।
चारों ओर के देश और विदेश के बच्चों को बापदादा पुरूषार्थ में सहज आगे बढ़ने और बढ़ाने की खास मुबारक दे रहे हैं। अभी जो समय आने वाला है उसके लिए बापदादा ने डायरेक्शन दे दिये हैं कि तीव्र पुरूषार्थी बन सेकण्ड में बिन्दु लगाने फुलस्टॉप लगाने का अभ्यास अति आवश्यक है। इस बात को हल्का नहीं करो। अचानक कुछ न कुछ होना ही है इसलिए बाप की शुभ आशा है कि हर एक बच्चा साथ है साथ चलेंगे साथ राज्य करेंगे ब्रह्मा बाप के साथ शिवबाबा साक्षी हो जायेगा। साथी बनने वाले हो तो बापदादा समान बनना ही है। अच्छा - हर एक बच्चे को बापदादा की तरफ से इस वर्ष की मुबारक है और आगे वर्ष की भी मुबारक है कि सदा बाप समान बनना ही है। अच्छा।
मोहिनी बहन से:- संकल्प किया मुझे करना है तो कर लिया यह आपकी ताकत है। समझ जाओ होना ही है।
दादी जानकी से:- प्यार है प्यार आपका पहुंचता है। (सभी दादियों से) बापदादा आप सभी को देख करके खुश होता है क्यों? क्यों खुश होता है? क्योंकि यज्ञ रक्षक बन यज्ञ को चलाने में आगे बढ़ रहे हो। सब निमित्त हैं ना। (निर्मला बहन से) अच्छा किया।
(रूकमणि दादी) बापदादा जानते हैं कि सभी अपनी तबियतों को चला रहे हैं लेकिन आप निमित्त हो ना। तो निमित्त तो चलायेंगे ही तो हर एक निमित्त समझ खुद भी चले और यज्ञ को भी चलाये। जिम्मेवार ग्रुप है। समझा। सब एक एक जिम्मेवार है।
परदादी से:- आपकी कमरे में बैठे बैठे सहयोग की किरणें यज्ञ में फैलती है। सदा खुश रहती है इसलिए चेहरा सदा खुशनुमा है। खुश है खुशनसीब है।
डा अशोक मेहता से:- अभी ठीक है! कमज़ोरी खत्म हो रही है? (अभी आपरेशन करना शुरू किया है) जितना चलेंगे ना उतना अच्छा होता जायेगा। और अच्छा पार्ट बजाया लेकिन एक बात ध्यान में रखना कि बुद्धि को सदैव बाप के साथ लगाके रखना। बुद्धि में और बातों का प्रभाव नहीं पड़े क्योंकि यह बुद्धियोग की ही कमाई है। एकदम जो बीता सो बीता उसका चिंतन वर्णन नहीं। उसमें से भी नुकसान से भी फायदा उठाना क्योंकि बाप की निमित्त आत्मा हो ना। तो आप में बाप दिखाई देवे। सब यही कहे कि जैसे बाप है यह बाप समान है। ऐसे हो सकता है? अपनी बुद्धि को बहुत खुश न्यारा और प्यारा तो कमाल हो जायेगी परिवार में एक्जैम्पुल बन जायेंगे। अच्छा है जो किया वह अच्छा अभी अच्छे ते अच्छा।
आचार्य प्रमोद क्रिष्णम जी से:- अपना परिवार देखा। अपना ही घर है अपना ही परिवार है। अपने घर में आये हो। बाप को खुशी है कि बच्चा अपने घर में पहुंच गया।
पुनीत इस्सर:- (महाभारत में दुर्योधन का पार्ट बजाया है) देखो आज अपने परिवार में पहुंच गये हो। यह परिवार अच्छा लगता है ना! (अद्भुत) तो ऐसा ही आपको बनके बनाना है। बहुत लक्की है जो मधुबन में पहुंच जाते हैं ना जो मधुबन पहुंचते हैं उनका लक सदा ही खुला हुआ रहता है। बहुत अच्छा। (महाभारत में दुर्योधन का पार्ट बजाया है) अभी बदल गये अभी दुर्योधन नहीं अभी बाप के कार्य का साथी बन गये। यह भी साथी बन गये।
बापदादा से अलग-अलग वी.आई पी मिल रहे हैं:- (भगवती प्रसाद मिनिस्टर उत्तरप्रदेश धनंजय मुण्डे एम.एल.ए.महाराष्ट्र तथा परिवार)
1) अपना घर लगता है तो अपने घर में आती रहो। बापदादा का वरदान यही है सदा खुश रहो और खुशी बांटों।
2) देखो जितना सहयोगी बनते जायेंगे उतना योगी बनते जायेंगे। सेवा में सहयोगी बनते जाओ तो योगी बन जायेंगे। पढ़ाई जरूर पढ़ो। ईश्वरीय पढ़ाई में एक्यूरेट।
3) जैसे चल रहे हो वैसे चलते आगे बढ़ते जाओ अच्छे हो बढ़ते रहो।
4) अपना घर समझकर सहयोगी हो सहयोगी योगी तो कर्मयोगी बन पार्ट बजा रहे हो और बजाते रहेंगे। कर्मयोगी यह शब्द याद रखो। कर्म कितना भी करो लेकिन योगी। योग नहीं छोड़ना। यह भी कर्मयोगी।
5) देखो मुरली से प्यार है इसका अर्थ है बाप से भी प्यार है। तो बाप से प्यार है वर्से के अधिकारी बनना। बनेंगी।
6) अभी इस कार्य को समझ तो गये हो अभी इसमें जितना सहयोगी बनेंगे उतना योग लगता रहेगा। मेहनत नहीं लगेगी क्योंकि सहयोग आगे बढ़ाता है। तो कर्मयोगी। सिर्फ कर्म नहीं योग भी। तो कर्मयोगी आत्मा हूँ यही याद रखना।
निरमा ग्रुप के करसन भाई और युगल से:- बापदादा ने देखा कि डबल पार्ट अच्छा बजा रहे हो। मुरली और याद इसको भी चला रहे हो और अपने कार्य में भी आगे बढ़ रहे हो। इसको कहा जाता है कर्मयोगी। कर्म भी योग भी अच्छा। कर्मयोगी बच्चा है।
टॉलीवुड (हैदराबाद) के मेगा स्टार - चिरंजीवी भाई और युगल सुरेखा बहन:- अभी यहाँ भी सेवा और योग इसमें भी हीरो बनना है। यहाँ हीरो के साथ जीरो भी बनना है। और यह साथी है। दोनों साथ हैं। एकमत हो गये ना। तो एकमत होने में बहुत सहज हो जाता है बहुत सुखी। यह याद रखो सिर्फ हीरो नहीं जीरो। बस आगे बढ़ेंगे सिर्फ यह शब्द नहीं भूलना ‘मेरा बाबा’। मेरा कहने से सारा वर्सा मिल जायेगा। तो एक दो से आगे आप अपनी रीति से यह अपनी रीति से।
आशीष गुप्ता अपना पीस आफ माइन्ड चैनल शुरू कर रहे हैं:- आप भी कराने वाले नहीं करने वाले बनना। साथी हो ना। जो भी शुभ कार्य होता है उसमें साथी बनना बड़ा पुण्य होता है। तो सिर्फ चलाने वाले नहीं आप भी साथी बन के सभी को उत्साह में लाना। आपका काम है उत्साह दिलाना। आप सिर्फ निमित्त हो। आप शुभ भावना रखो बस। शुभ भावना रखना तो आता है ना। आपकी शुभ भावना अनेकों को शुभ भावना बिठायेगी। अच्छा।