02-02-12 ओम शान्तिअव्यक्त बापदादामधुबन


‘‘अब स्मृति स्वरूप अनुभव की अथॉरिटी बनो, ज्वालामुखी योग द्वारा सबको लाइट माइट की किरणों का सहयोग दो’’

आज बापदादा अपने सामने या चारों तरफ के अपने छोटे से संसार को देख हर्षित हो रहे हैं क्योंकि यह संसार है छोटा लेकिन अति प्यारा है क्योंकि यह संसार की एक-एक आत्मा श्रेष्ठ आत्मा हैं। कोटों में कोई आत्मायें हैं। बाप के वर्से के अधिकारी आत्मायें हैं। बापदादा हर बच्चे को देख खुश होते हैं कि यह एक-एक बच्चा राजा बच्चा है। बापदादा ने हर एक बच्चे को स्वराज्य अधिकारी और विश्व राज्य अधिकारी बनाया है। इस समय सभी स्वराज्य अधिकारी हैं अर्थात् मन-बुद्धि, संस्कार, कर्मेन्द्रियों के राजा हैं। कर्मेन्द्रियों के वश नहीं हैं। मन के भी मालिक हैं। तो ऐसे ही आप हर एक बच्चा अपने को मन के मालिक, संस्कारों के भी मालिक समझते हो? ऐसे तो नहीं कभी आप मन के मालिक होते वा कभी मन आपका मालिक होता! क्योंकि कहते ही हो मेरा मन, मैं मन नहीं कहते हो। तो मेरे के आप मालिक हो। चेक करो कभी मन तो मालिक नहीं बन जाता? क्योंकि इस समय बापदादा ने हर एक को स्वराज्य अधिकारी के सीट पर बिठाया है। अब के स्वराज्यधारी हो और भविष्य का राज्य तो आपका है ही। डबल राज्य अधिकारी हो। बापदादा देखते हैं हर बच्चा स्वराज्य अधिकारी के साथ स्वमानधारी भी है। तो मैं स्वमानधारी आत्मा हूँ, इस स्मृति में बैठो तो देखो कितने स्वमानों की लिस्ट आपके सामने आती है। अनेक स्वमान की माला सामने आ जाती है ना!

बापदादा ने बच्चों के स्वमानों की माला हर बच्चे को डाली है। स्वमान सुनते ही आपके सामने भी अपने स्वमान स्मृति में आ गये! याद करो, अनादि स्वरूप में आपका स्वमान कितना बड़ा है! चले गये अनादि स्वरूप में? हर एक का स्वमान है एक तो बाप के साथ-साथ है चमकती हुई आत्मा, बाप के साथ के कारण विशेष चमकती हुई दिखाई दे रही है। देख रहे हो? जैसे आकाश में भी यहाँ कोई-कोई सितारा विशेष चमकता है, ऐसे बाप के साथ-साथ होने कारण चमकती हुई आत्मा हो। याद आया अपना अनादि स्वरूप? सेकण्ड में अपने अनादि स्वरूप में स्थित हो सकते हो? अभी एक सेकण्ड में उस अनादि स्वरूप में एक सेकण्ड के लिए स्थित हो जाओ। कितना नशा चढ़ता है! आगे बढ़ो, इस सृष्टि चक्र के आदि में आ गये! यह ड्रिल करो सतयुग आदि में अपना स्वरूप देखो, कितना श्रेष्ठ सुख स्वरूप है। कितना सर्व प्राप्ति स्वरूप है। दु:ख का नामनिशान नहीं है। प्रकृति कितनी सुन्दर सतोगुणी है। अनुभव करो अपने देवता स्वरूप का। देख रहे हो अपना स्वरूप? कोई भी राजा हो, महात्मा हो, नेता हो ऐसा सर्व प्राप्ति स्वरूप कोई देखा! तो एक सेकण्ड के लिए अपने देवता स्वरूप में स्थित हो जाओ। अपने स्वमान में मजा आता है ना! हम सो देवता ... बापदादा यह ड्रिल करा रहा है। फिर नीचे आओ कौन सा युग आ गया? द्वापर में भी आपका स्वमान पूज्य का है। पूज्य स्वरूप है। अपने पूज्य स्वरूप को देख रहे हो? कितने सभी भावना से कायदे प्रमाण पूजा करते हैं। ऐसे कायदे प्रमाण पूजा और किसी की भी नहीं होती। चाहे धर्म पितायें आये, चाहे गुरू बनें, नेतायें बनें, अभिनेतायें बनें लेकिन ऐसी कायदे प्रमाण पूजा किसकी नहीं होती। तो अपना स्वमान देखा, अनुभव किया? अब आओ संगम में, सब चक्र लगा रहे हो? पीछे वाले चक्र लगा रहे हो! हाथ उठाओ। देखो अपना स्वमान क्योंकि स्वराज्य अधिकारी हो ना! तो संगम पर स्वयं भगवान, आपकी जीवन में स्वयं मालिक आप बच्चों में पवित्रता की विशेषता भरता है। जो पवित्रता आपके सर्व अविनाशी सुखों की खान है। और बनाने वाला कौन? स्वयं भगवान। वह तो अभी भी प्रत्यक्ष प्रमाण आपको पवित्रता की जायदाद बाप से प्राप्त हो गई है। अब चेक करो - पवित्रता सर्व प्राप्तियों का आधार है, पवित्रता से आप सभी मास्टर सर्वशक्तिमान बन गये। तो चेक करो सर्वशक्तियां प्राप्त हैं? कोई-कोई बच्चे कहते हैं बाप ने तो सर्व शक्तियां दी लेकिन कोई-कोई समय जिस शक्ति की आवश्यकता होती है वह थोड़ा टाइम के बाद आती है। बात पूरी हो जाती है फिर आती है। इसका कारण क्या? वरदान में बाप ने दी फिर भी समय पर नहीं आती है उसका कारण क्या? अपने मास्टर सर्वशक्तिमान के स्मृति की सीट पर नहीं होते हो, कोई भी किसका आर्डर मानते हैं तो सीट वाले का आर्डर मानते हैं। तो जब भी आप कोई भी शक्ति का आर्डर करते हो, पहले यह देखो स्मृति की सीट पर हैं? स्वमान के सीट पर हैं? स्मृति की सीट पर स्थित हो जाओ तो सर्व शक्तियां आपके पास समय पर बंधी हुई हैं आने के लिए क्योंकि सर्वशक्तिमान बाप ने आपको मास्टर सर्वशक्तिमान बनाया है। तो इतने पावरफुल स्वमानधारी बन चल रहे हो ना? अपने स्वमान देखे? संगम के बाद कहाँ जायेंगे? रिटर्न जरनी करेंगे ना! इसलिए बापदादा यही चाहते हैं कि हर एक सारे दिन में यह एक्सरसाइज़ करते रहें। समय निकालो बार-बार यह स्वमान की माला पहनाने से, अनुभव करने से जो बापदादा ने स्वराज्य अधिकारी बनाया है, वह हो नहीं सकता कि स्वमान आपके आर्डर पर नहीं चले। सिर्फ सीट पर सेट रहो।

बापदादा ने देखा सभी अटेन्शन रखते हैं लेकिन नियमित रूप से अपनी दिनचर्या सेट करो। बीच-बीच में यह अपने स्वमान के स्मृति स्वरूप में स्थित रहो। जैसे ट्रैफिक कन्ट्रोल करते हो ऐसे यह स्वमान की स्मृति आदिकाल से रिटर्न जरनी तक की, बीच-बीच में टाइम फिक्स करो। यह चलते फिरते भी कर सकते हो क्योंकि मन को सीट पर बिठाना है। बापदादा ने देखा, पहले भी कहा है योग सब लगाते हो लेकिन अब आवश्यकता किसकी है? समय की हालतों को देख पहले भी सुनाया अब ज्वालामुखी योग की आवश्यकता है, जिससे डबल काम होगा। एक तो अपने पुराने संस्कार का संस्कार हो जायेगा, अभी संस्कारों को मारते हो लेकिन जलाते नहीं हो। मारने के बाद फिर भी कभी-कभी वह जाग जाते हैं। जैसे रावण को सिर्फ मारा नहीं, जलाया। ऐसे आप भी अपने पुराने संस्कारों को जो बीच-बीच में तीव्र पुरूषार्थ में कमी कर देते हैं, उसके लिए ज्वालामुखी योग की आवश्यकता है। एक स्वयं के लिए और दूसरा ज्वालामुखी योग द्वारा औरों को भी लाइट रूप होने के कारण, माइट रूप होने के कारण उन्हों को भी अपनी किरणों द्वारा सहयोग दे सकते हो। तो अभी सभी ने योग को ज्वालामुखी योग में परिवर्तन किया? समय अनुसार अभी आत्माओं को आपके सहयोग की आवश्यकता है। बाकी बापदादा तो अमृतवेले हर बच्चे को स्नेह देते हैं।

बापदादा देखते हैं लक्ष्य बहुत अच्छा रखते हैं, हिम्मत भी रखते हैं लेकिन सारा दिन उसी अटेन्शन में रहें, जैसे अमृतवेले रहता है, वह कम हो जाता है। कारण क्या होता है? यह जो कर्म में लगते हो, कर्मयोगी बन कर्म करना, इसमें अन्तर पड़ जाता है। आप सिर्फ योग लगाने वाले नहीं हो, योगी जीवन वाले हो। तो जीवन सदा रहती है, कभी-कभी नहीं। तो बापदादा अभी क्या चाहते हैं? प्यार में तो बहुत करके पास हैं, प्यार की सबजेक्ट में बाप ने देखा मैजारिटी बाप के साथ मेरा बाबा, मेरा बाबा कह प्यार का अनुभव करते हैं। प्यार में तो मैजारिटी पास हैं, अब किसमें पास होना है? बाप समान बनने में। सभी क्या चाहते हैं? बाप समान बनना है कि बाप बाप रहेगा आप बच्चे हैं, तो बाप समान तो बनना पड़ेगा। प्यार माना क्या? प्यार वाला जो कहे वह करना ही है। तो सभी बाप के प्यारे हो, बाप का प्यार आपसे है, इसमें हाथ उठाओ। प्यार है अच्छा, प्यार है? तो अभी बापदादा यही चाहते हैं कि जैसे प्यार है, ऐसे यह लक्ष्य रखो कि हमें बाप समान बनना ही है, इसमें हाथ उठाओ। तो निश्चय रखते हैं, हाथ तो बहुत अच्छा उठाते हैं। बापदादा देख रहे हैं।

बापदादा चाहता है एक-एक बच्चा ऐसा खुशनुमा, खुशनसीब दिखाई दे, चेहरे से चलन से क्योंकि समय प्रमाण अभी आपका चेहरा बहुत सेवा करेगा। आवश्यकता पड़ेगी। इसके लिए बापदादा चाहता है कि अभी से लक्ष्य रखो जैसे अभी यह 75 वर्ष के कारण सबको उमंग है सेवा करने का। ऐसे उमंग हो चेहरे से सेवा करने का क्योंकि दिनप्रतिदिन समय नाज़ुक आना ही है। तो ऐसे समय पर आपका चेहरा आत्माओं को चियरफुल बना दे।

बापदादा ने आज अमृतवेले चक्र लगाया, तो क्या देखा? बैठते सभी अपने रूचि से भी हैं लेकिन सबसे बड़ी अथॉरिटी है अनुभव की। तो देखा बैठते हैं लेकिन अनुभव की अथॉरिटी, स्मृति में बैठते हैं लेकिन स्मृति स्वरूप अनुभव हो। अनुभव की अथॉरिटी का आनंद वह थोड़ा समय होता है। सोचते हैं मैं बापदादा के तख्तनशीन हूँ लेकिन स्वरूप के स्मृति स्वरूप अनुभवी मूर्त, अनुभव में खो जाये उसका अभी और भी आगे बढ़ाना होगा क्योंकि अनुभव की अथॉरिटी सबसे बड़े ते बड़ी है। स्मृति स्वरूप रहना इसको कहा जाता है अनुभव। तो अनुभव में खो जाना जो स्वरूप की स्मृति रखते हैं उस स्वरूप की अनुभूति में रहना इसकी और आवश्यकता है क्योंकि अनुभव कभी भी भूलता नहीं है। किसी को भी आप किसी के अनुभव द्वारा सुनाने की कोशिश करते हो क्योंकि अनुभव का प्रभाव पड़ता है। तो स्वयं को जो स्वरूप स्मृति में रखते हो उसके स्वरूप की अनुभूति में खो जाये, अनुभव अपने पुरूषार्थ में भी बहुत मदद करता है। तो बापदादा ने देखा अनुभव की अथॉरिटी में नम्बरवार हैं। तो अभी इस अनुभव की अथॉरिटी के अभ्यास के ऊपर और अटेन्शन दो। अनुभव स्वरूप की स्थिति सदा समाई हुई रहती है, उसकी शक्ल, चलन सेवा करती है।

तो आज बापदादा बच्चों का रिकार्ड देख रहे थे। तो एक तो ज्वालामुखी योग के ऊपर और अटेन्शन दो जिससे स्वभाव संस्कार परिवर्तन में सहयोग मिलेगा। संस्कार अभी भी जिसको आप नेचर कहते हो वह अभी भी अपना कार्य बीच-बीच में कर लेती है। बाकी बापदादा खुश है, किस बात पर? जानते हो, किस बात पर बापदादा खुश है? जानते हो? आजकल की मुरलियां सुनते हुए बापदादा ने देखा अपने दिनचर्या में अटेन्शन ज्यादा गया है। अटेन्शन बढ़ा है तो टेन्शन संस्कारों का कम होता जायेगा। बापदादा ने पहले भी कहा जब भी टेन्शन आवे ना, ए लगा दो, एड कर दो ए अटेन्शन। चलना तो सबको है ही। यह तो वायदा है ही पक्का। साथ चलेंगे, साथ राज्य करेंगे। तो सभी खुश है? कि कभी-कभी खुश है? जो समझते हैं हम सदा खुश हैं, कभी-कभी नहीं, सदा खुश हैं, देखो सोचके हाथ उठाओ। अच्छा। हाथ भी सोचके उठा रहे हैं। खुशी अपनी चीज़ है। अपनी चीज़ क्यों जाये? तो अभी क्या करेंगे? आगे चलना तो है ही। तो अभी आगे क्या करेंगे?

हर सेन्टर निर्विघ्न, व्यर्थ संकल्प रहित हो सकता है? हो सकता है? कि इसके लिए समय चाहिए? अभी तक बापदादा के पास कोई सेन्टर ने यह रिपोर्ट नहीं दी है कि हमारा सेन्टर सदा निर्विघ्न है। साथी भी। सिर्फ स्वयं नहीं, साथी भी निर्विघ्न। वह भी टाइम आना है। हो जायेगा क्योंकि बनना तो बच्चों को ही है और कोई एक्जैम्पुल में आयेंगे जो पीछे तीव्र पुरुषार्थी बन आगे जायेंगे लेकिन मैजारिटी तो आपको ही आगे जाना है। बापदादा ने देखा मुरली से प्यार मैजारिटी का है लेकिन जैसे जगत अम्बा ने प्रत्यक्ष जीवन में दिखाया कि जो बाप ने कहा वह करना ही है, लक्ष्य रखा और पुरूषार्थ के तरफ अटेन्शन भी दिया। आपकी दीदी दादियां जो एडवांस पार्टी में भी गई हैं उन्होंने भी अटेन्शन दिया, अभी आप लोगों का इन्तजार कर रहे हैं। पूछती हैं वह कि समाप्ति का गेट कब खोलेंगे? एक दो तो नहीं खोलेगा ना! तो अभी पुरूषार्थ करो कि समय को, गेट खुलने के समय को समीप लाओ। सम्पन्न बनना अर्थात् समीप लाना।

अच्छा। सभी चारों ओर के बच्चों को बापदादा दिल का स्नेह दे रहे हैं। साथ-साथ जो बापदादा ने दो मास का कार्य दिया है, उसकी भी स्मृति दिला रहे हैं क्यों? बहुत करके यह व्यर्थ संकल्प पुरूषार्थ को तीव्र के बजाए साधारण कर देते हैं इसलिए चारों ओर के बच्चों को बापदादा यादप्यार के साथ यह भी स्मृति दिला रहे हैं कि अब संगम का समय कितना श्रेष्ठ सुहावना हैं, इस संगम के समय ही सर्व खज़ाने बाप द्वारा प्राप्त होते हैं, संगम का एक- एक सेकण्ड महान है इसलिए संगम के समय का मूल्य सदा अपने बुद्धि में रखो। संगम का एक सेकण्ड प्राप्ति कितना कराता है। आपसे कोई पूछे आपको क्या मिला है, तो क्या जवाब देंगे? अप्राप्त नहीं कोई वस्तु हम ब्राह्मणों के दिल में। पाना था वो पा लिया। अब उसको कार्य में लगाते हुए तीव्र पुरूषार्थी बन समय को समीप लाओ। अच्छा। बापदादा देखते हैं सभी को उमंग भी आता है और यह उमंग सदा आगे बढ़ाते रहो। अच्छा।

सेवा का टर्न पंजाब ज़ोन का है:- आधा हाल तो पंजाब है। अच्छा है। पंजाब वालों ने पंजाब में सेवा का चांस लेकरके सेवास्थान और स्टूडेन्ट अच्छे बनाये हैं। पंजाब में एक विशेषता यह है कि सभी को सन्देश पहुंचाने में अच्छा पुरूषार्थ किया है और पंजाब के जो वी.आई.पीज हैं उन्हों को भी सम्बन्ध-सम्पर्क में लाया है इसलिए बापदादा पंजाब की सेवा में सेवाधारी बच्चों के ऊपर खुश है। हिम्मत, टीचर्स भी हिम्मत वाली हैं। संख्या भी टीचर्स की बहुत है। अभी पंजाब वारिस क्वालिटी लायेगा। ठीक है ना! एक्जैम्पुल आप लाना। पहला नम्बर आप ले लो। कोई सहयोगी को, जिनका आवाज अनेकों को उमंग दिलाये, ऐसे वारिस क्वालिटी तैयार करके बाप के सामने लाना। ला सकते हैं। ऐसी कोई बात नहीं है मुश्किल, सहज है। तो अब क्या करेंगे? वारिस लायेंगे ना! लायेंगे? निमित्त टीचर्स अच्छी हैं, कर सकती हैं। अभी नम्बर ले लेना। पहले पंजाब वारिस लाये, सब देखेंगे। अभी और भी सीजन है आगे तो इस वर्ष की सीज़न में कोई ऐसा लाओ जो पंजाब नम्बरवन हो जाए। कोई बड़ी बात नहीं, सिर्फ संकल्प करने की बात है। तो अच्छे हैं, स्टूडेन्ट भी अच्छे हैं। बापदादा ने देखा कि स्टूडेन्ट भी उमंग-उत्साह वाले हैं। जहाँ उमंग-उत्साह है वहाँ सफलता है ही है। तो बापदादा पंजाब के शेर कहते हैं ना। तो पंजाब के शेर बच्चों पर खुश है। अभी जाके प्लैन बनाना कि नम्बरवन पंजाब वारिस लावे, यह अभी मार्जिन है। अच्छा है। यह चांस जो मिलता है इसमें भी शक्ति भर जाती है। बापदादा को खुशी होती है एक ही ज़ोन आलराउण्ड सेवा के निमित्त बनता है। चांस भी मिलता है और भाग्य भी बनता है। अभी तक जो भी ज़ोन सेवा करते हैं, बापदादा ने देखा बहुत करके सन्तुष्ट करके ही जाते हैं। ठीक है? रिपोर्ट ठीक है ना! अच्छा है। बापदादा खुश है। अच्छा।

चार विंग्स की मीटिंग है-: (स्पार्क, मीडिया, स्पोर्ट, रिलीजस):- अच्छा यह चार ही विंग सर्विस के लिए बहुत मददगार हैं भी और आगे भी बन सकते हैं क्योंकि चार ही विंग्स अनेकों को कनेक्शन में ला सकते हैं। चाहे मीडिया है तो मीडिया अभी तो घर-घर में सन्देश पहुंचाने का प्लैन अच्छा बना रहे हैं। बापदादा खुश है कि एक दो सहयोगी बन कर रहे हैं, आगे बढ़ गये हैं, बढ़ भी रहे हैं। तो बापदादा अभी मीडिया द्वारा यही चाहते हैं कि सन्देश यह मिले कि अब समय प्रमाण हर एक आत्मा को अपने बाप से वर्सा लेने की प्रेरणा आवे। सुनते तो हैं लेकिन कितने वारिस निकले, मीडिया द्वारा कितने वारिस अभी तक भी निकले हैं, वह लिस्ट आनी चाहिए। बापदादा ने सुना है प्रभाव अच्छा है और स्टूडेन्ट बढ़ते भी हैं लेकिन लिस्ट निकालो, हर एक सेन्टर पर, हर एक ज़ोन में कितने मीडिया सेवा से निकले हैं। ऐसे ही जो भी वर्ग हैं वह अभी लिस्ट निकालो, कईयों ने आज लिस्ट दी भी है कनेक्शन में आने वालों की, वी.आई.पी. हैं वह लिस्ट दी भी है लेकिन उन्हों का संगठन करके उन्हों को उमंग उत्साह देके आगे बढ़ाओ। कनेक्शन में तो आते हैं लेकिन आगे के लिए ऐसा प्रोग्राम बनाओ जो वह भी समझे तो हमको आगे क्या करना है। सुना, लेकिन आगे बढ़ना है उसका स्पष्टीकरण थोड़ा सुनाओ। और लिस्ट निकालो कितने इस वर्ग के तरफ से एड होते हैं। होते हैं लेकिन पता नहीं पड़ता है। बाकी बापदादा सभी विंग्स को मुबारक दे रहे हैं क्योंकि हर एक विंग यह कोशिश करती है कि सेवा की वृद्धि हो और वृद्धि के प्लैन भी अच्छे बनाती है। चार ही वर्ग अपनी-अपनी सेवा अच्छी कर रहे हैं क्योंकि विंग्स अभी समझते हैं हम जिम्मेवार हैं। कोशिश भी अच्छी करते हैं विंग्स इसीलिए बापदादा खुश है और इसी रीति से जैसे अटेन्शन देकरके विंग्स के कार्य में लगे हुए हो ऐसे और भी आगे बढ़ते रहो, मुबारक बापदादा देते हैं। बढ़ रहे हैं बढ़ते रहो। चार ही विंग्स के लिए बापदादा कह रहे हैं। कोई भी विंग कमज़ोर नहीं है अपने हिसाब से आगे ही बढ़ रही है। बाकी बापदादा ने जो काम दिया है वह तो ध्यान पर होगा ही। कोई ऐसे समझदार वी.आई.पी. हर विंग से आते हैं उन्हें तैयार करो। ऐसे समझदार हिम्मत वाले का एक ग्रुप बनाओ जो वह भिन्न-भिन्न वर्ग वाले ग्रुप मिल करके एक-एक बात को स्पष्ट करे। यह काम जरूर करो। यह काम आगे वाले कर सकते हैं, हिम्मत दिला सकते हैं। अभी प्रैक्टिकल में आवाज निकले कि ब्रहमाकुमारियां क्या चाहती हैं। इस 75 वर्ष की सर्विस ने सभी को ब्रह्माकुमारीज़ का महत्व स्पष्ट किया है। आवश्यक है, कर सकती हैं, यहाँ तक आये हैं, सब वर्ग का सहयोग है। लेकिन परमात्मा आया है, ब्रह्माकुमारियों तक पहुंचे हैं। परमात्मा आ गया अभी यह समझ में आता भी है जिस समय सुनते हैं उस समय नशा चढ़ता है लेकिन मैदान में आवे वह हिम्मत अभी आ रही है। आयेगी। आनी तो है ही। अभी आने की हिम्मत आई है, कोई भी प्रोग्राम आप देखेंगे डल नहीं जाता है, सक्सेस जाता है, पहले नाम सुनके ही भागते थे ना। अभी समझते हैं कि ब्रह्माकुमारियां कार्य अच्छा कर रही हैं और विधिपूर्वक करते हैं। इतना अटेन्शन गया है। बापदादा चार ही विंग के नाम भी देखे, जिन्होंने दिये हैं, कनेक्शन में तो अच्छे हैं लेकिन उन्हों को थोड़ा सामने लाओ। उन्हों का प्रोग्राम करो। प्लैन दो उन्हों को क्या कर सकते हैं हम। धरनी तैयार हुई है अभी फल निकलना है इसलिए बापदादा खुश हैं। मेहनत करते हो उस पर खुश हैं। तो चार ही विंग्स को मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। अच्छा पुरूषार्थ कर रहे हो। अच्छा।

डबल विदेशी सभी मुख्य भाई बहिनें आये हैं:- डबल विदेशियों को टाइटल दिया है मधुबन का श्रृंगार हैं। मधुबन में रौनक कर देते हैं और फर्क भी अच्छा लाया है। बापदादा पुरूषार्थ और परिवर्तन दोनों ही देख करके खुश है। पहले व्हाई व्हाई करते थे, अभी वाह! वाह! करते हैं। चेंज अच्छी लाई है। अभी कोई बात में मुश्किल नहीं लगता। कोई भी बात, नियम, बापदादा का जो मुरली में डायरेक्शन जाता है वह करने में एवररेडी हैं और सहयोग भी अच्छा है। स्नेही है लेकिन सहयोगी भी अच्छे हैं। बापदादा रिकार्ड देखते हैं तो गुप्त सहयोगी भी अच्छे- अच्छे निकले हैं। तो दिल के भी बड़े हैं। छोटी दिल वाले नहीं हैं। तो बापदादा खुश है, सेवा भी चारों ओर की अच्छी चल रही है। बापदादा को दो चीज़ चाहिए, एक सेवा की वृद्धि हो और दूसरा निर्विघ्न हो। तो देखा इन दोनों बातों में अभी काफी फर्क आ गया है। और यह तो बापदादा को बहुत अच्छा लगता है कि मधुबन में सब निमित्त बने हुए इकठ्ठे हो जाते हैं। एक तो मधुबन का श्रृंगार बन जाते हैं दूसरा जो परिवर्तन किया है वह कहाँ न कहाँ से आते हैं तो पता भी पड़ता है, अनुभव सुनते भी हैं उससे भी प्रभाव पड़ता है कि जब विदेशी कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं कर सकते हैं। उमंग आता है। अभी जो बापदादा चाहते हैं ज्वालामुखी योग हो, इसमें विदेशी नम्बरवन लो क्योंकि विदेशियों के संस्कार हैं जो लक्ष्य रखते हैं ना वह पूरा करते हैं। दो बातों में नम्बर लो - एक व्यर्थ समाप्ति और दूसरा सर्विस में निर्विघ्न। प्यार तो सारे परिवार का भी है। सिर्फ बापदादा का नहीं है लेकिन सारे परिवार का भी डबल विदेशियों से प्यार है। अभी दोनों बातों में विदेश नम्बरवन जाके दिखाये। जायेंगे। कोई बड़ी बात नहीं है। बापदादा चक्र भी लगाते हैं विदेश में। अमृतवेले भी चक्र लगाते हैं। इसमें अभी अनुभव स्वरूप बनके बैठना, इसमें और अटेन्शन क्योंकि अनुभव की अथॉरिटी बहुत बड़ी है। लक्ष्य अच्छा रखके बैठते हैं लेकिन उसका प्रभाव सुबह की ताकत का कर्मयोग में भी पड़े, सेन्टर के वायुमण्डल में भी पड़े, यह थोड़ा एडीशन चाहिए। बाकी बापदादा खुश है। हिम्मत नहीं छोड़ते हैं, हिम्मत रखते हैं और एक दो को भी हिम्मत देके चला रहे हैं और बाप भी मदद करते हैं। तो विदेश वाले नहीं लेकिन अपना जो देश है परमधाम, उसके अच्छे अनुभव करके बस समय को समीप करना है, इसमें पान का बीड़ा उठाओ। पहले हम करके दिखायेंगे। निमित्त बनके दिखायेंगे। अच्छा है। बापदादा खुश तो है, तो नहीं खुश है।

टीचर्स को देख करके खुश हो रहे हैं। हिम्मत रखके, हिम्मत रखाके आगे बढ़ाते हैं। और जो सभी विशेष टीचर्स इकठ्ठी होती हैं यह दृश्य बापदादा को बहुत अच्छा लगता है। सभी बातें स्पष्ट हो जाती हैं। उमंग-उत्साह भरके भी जाते हो और आपको देख करके यहाँ उमंग उत्साह आता है वह भी करते हैं। अच्छा है, एक-एक रत्न को बापदादा विशेष दिल का प्यार और साथ में प्यार के साथ में मन के उमंग-उत्साह की लहर भी दे रहे हैं। अच्छा।

सभी ने अपने लिए यादप्यार लिया कि सिर्फ वर्ग वाले या डबल विदेशियों ने लिया। सबको बापदादा देखता है, नज़र दौड़ाता है तो नज़र से यादप्यार देते हैं। अच्छा।

आज पहली बार आने वाले उठो। पहले बारी आये हो तो कमाल करो। क्या कमाल करो? पहले नम्बर का पुरूषार्थ करो। लास्ट से फास्ट और फर्स्ट होके दिखाओ। हो सकता है, कोई रत्न ऐसे भी निकलने हैं तो आप ही दिखाओ। बापदादा की मदद सभी को है। तीव्र पुरूषार्थ, आने से ही साधारण पुरूषार्थ नहीं, तीव्र पुरूषार्थ करो। करना ही है, बनना ही है। आगे जाना ही है। यह दृढ़ संकल्प रखो और ऐसे कोई एक्जैम्पुल निकलने भी हैं। बापदादा को खुशी है कि समय से पहले तो आ गये। वर्से के अधिकारी तो बन गये। अच्छा। बापदादा खुश है, आये, भले आये, आपका सीज़न था लेकिन अभी आगे से आगे जाके दिखाओ। हम पीछे आये हैं यह नहीं सोचो, आगे जा सकते हो। बापदादा की, ड्रामा की मदद मिलेगी। अच्छा है। देखो, कितने आते हैं। आधा क्लास तो पहले बारी का आता है। बापदादा को खुशी है कि बाप को पहचान तो लिया। वर्से के अधिकारी बन तो गये। अच्छा। सभी को बापदादा और सारे परिवार की मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो।

मोहिनी बहन से:- संगठन है ना उसमें थोड़ा उमंग आ जाता है। उमंग आने से थोड़ा जबरदस्ती भी कर लेती हो, वह थोड़ा नहीं करो। सम्भालो अपने को। बाकी मदद है, ऐसी कोई बात नहीं है। ठीक हो जायेंगी। अपनी तबियत को देख करके कदम उठाओ। निश्चिंत रहो।

दादी जानकी से:- बहुत अच्छा सभी को रिफ्रेश कर रही हो। करना ही है। (कराने वाला करा रहा है) वह तो है ही लेकिन आप कर रही हो, यह करना ही है। ठीक है। अच्छा पार्ट बजा रही है। (हंसा बहन से) यह भी अच्छा पार्ट बजा रही है, सभी खुश हैं।

परदादी से:- आप भी एक एक्जैम्पुल हो। आपको देख करके सबको ब्रह्मा बाप याद आ जाता है। ठीक है। तकलीफ तो नहीं है। ऐसे ही चलते चलो। ठीक है, ठीक रहेंगी।

रमेश भाई से:- अच्छा है लेकिन साथ में तबियत का भी ठीक रखो। टू मच में नहीं जाओ क्योंकि आगे बहुत काम करना है। सिर्फ स्टूडियो का काम नहीं है, और भी बहुत काम करने हैं इसीलिए तबियत का भी ध्यान रखो। (सोलार का काम चल रहा है) सोलार के लिए जैसे आप अखबार के लिए लेते हो, ऐसे इसके लिए नहीं ले सकते? जो बड़ी-बड़ी फर्म है, जैसे वह एडवरटाइज़ का लेते हो वैसे यह भी कई ऐसे कनेक्शन वाले हैं जिन्हों को पता ही नहीं है, उन्हों के पास जाके ले सकते हो क्योंकि यह सेवा है कोई खाने-पीने का तो काम नहीं है। कोई अपने खाने के लिए अपने रहने के लिए नहीं लेते, यह सेवा भाव है। तो यह करके देखो, जो परिचित हों।

निर्वैर भाई ने सुनाया कि किचन भी तैयार हो रहा है- हो जायेगा।

तीनों भाईयों से:- जिम्मेवारी समझके आपस में राय करके अगर कोई भी राय पर थोड़ा सा फर्क भी होता है तो एक-दो को स्पष्ट करके, मिलके एक राय करके इन्हों के (दादियों के) आगे रखो। यह जिम्मेवारी समझो।

मीटिंग में सेवा के लिए क्या लक्ष्य रखें:- सेवा के लिए अभी फर्क यह करो कि दूसरे आपको निमन्त्रण देवें। ऐसे कई लोग हैं जिनकी आप लोगों ने सेवा की है और वह कर सकते हैं। अभी यह समझो कि वह स्टेज देवे और आप जाके सेवा करो। अपनी स्टेज पर तो बहुत किया और रिजल्ट भी अच्छी है। अभी थोड़ा चेंज करके देखो।

(क्या घर घर में सन्देश पहुंचाने का साधन मीडिया ही है) वह तो मीडिया ही है। थोड़ा कायदेमुजीब हो, इतना जो टी. वी. का लिया है, उसमें इतना कर रहे हैं, उसका रिजल्ट क्या! (आधे नये भाई बहिनें टी.वी से ही आते हैं) अच्छा है वह सबको मालूम होना चाहिए। नहीं तो समझते हैं पता नहीं क्या हो रहा है। उसका समाचार थोड़ा होना चाहिए। वह रिजल्ट सबको पता पड़े। तो उमंग आयेगा ना। पता नहीं पड़ता है, चल रहे हैं, चल रहे हैं। (बृजमोहन भाई ने पूछा गीता के भगवान के लिए)- वह तो आपको काम दिया ना। पहले चार पांच जो विशेष हों, जिनका थोड़ा सा नाम हो, चार पांच को पहले इकठ्ठा करो, चार पांच निकल सकते हैं, उन्हों को तैयार करके उन्हों से मीटिंग करो कि आप क्या समझते हैं। हम जो चाहते हैं वह कैसे हो सकता है, उनको ही निमित्त बनाओ। चार पांच तो हैं अभी भी। तबियत का ध्यान रखो।

विदेश की बड़ी बहिनों से:- अच्छा है एक दो से उत्साह मिलता है, थोड़ा सा उन्हों के प्रति ध्यान देते हैं तो ठीक हो जाता है। चक्र लगाओ या लगवाओ। चक्र लगवाते रहो तो उन्हों को उमंग आयेगा और और आगे बढ़ेंगे। बाकी निर्विघ्न हैं यह समाचार अच्छा है। अभी इकठ्ठे भी होंगे, इकठ्ठे होंगे तो ऐसी-ऐसी जो खुशखबरी है ना वह सभी को सुनाओ। तो उन्हों को यह सुनाओ जैसे कहाँ के 8 सेन्टर हैं, वह सब अच्छे चल रहे हैं तो यह भी अच्छा है ना। हिम्मत है ना। यह समाचार सबको सुनाओ।

गायत्री ने फूल भेजे हैं, सारे परिवार ने याद भेजी है:- दो चार परिवार बहुत लकी हैं। जैसे वह (वजीहा बहन) बीमार है, लेकिन लास्ट आई है फास्ट जा रही है। ऐसे अच्छे निकले हैं। अच्छा है, आप सभी देखो इन्डियन ही हैं। सब इन्डिया के हैं। हेड तो आप ही हो ना।