20-10-08 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
‘‘सन्तुष्टमणि बन विश्व में सन्तुष्टता की लाइट फैलाओ, सन्तुष्ट रहो और सबको सन्तुष्ट करो’’
आज बापदादा अपने सदा सन्तुष्ट रहने वाले सन्तुष्ट मणियों को देख रहे हैं। एक-एक सन्तुष्टमणि की चमक से चारों ओर कितनी सुन्दर चमक चमक रही है। हर एक सन्तुष्टमणि कितनी बाप की प्यारी हर एक की प्यारी अपनी भी प्यारी है। सन्तुष्टता सर्व को प्यारी है। सन्तुष्टता सदा सर्व प्राप्ति सम्पन्न है क्योंकि जहाँ सन्तुष्टता है वहाँ अप्राप्त कोई वस्तु नहीं। सन्तुष्ट आत्मा में सन्तुष्टता का नेचरल नेचर है। सन्तुष्टता की शक्ति स्वत: और सहज चारों ओर वायुमण्डल फैलाती है। उनका चेहरा उनके नयन वायुमण्डल में भी सन्तुष्टता की लहर फैलाते हैं। जहाँ सन्तुष्टता है वहाँ और विशेषतायें स्वत: ही आ जाती हैं। सन्तुष्टता संगम पर विशेष बाप की देन है। सन्तुष्टता की स्थिति परस्थिति के ऊपर सदा विजयी है। परस्थिति बदलती रहती है लेकिन सन्तुष्टता की शक्ति सदा प्रगति को प्राप्त करती रहती है। कितनी भी परिस्थिति सामने आये लेकिन सन्तुष्टमणि के आगे हर समय प्रकृति एक पपेटशो माफिक दिखाई देती है माया और प्रकृति का पपेट शो। इसलिए सन्तुष्ट आत्मा कभी परेशान नहीं होती। परिस्थिति का शो मनोरंजन अनुभव होता है। यह मनोरंजन अनुभव करने के लिए अपने स्थिति की सीट सदा साक्षीदृष्टा में स्थित रहने वाली यह मनोरंजन अनुभव करती है। दृष्य कितना भी बदलता लेकिन साक्षी दृष्टा की सीट पर स्थित रहने वाली सन्तुष्ट आत्मा साक्षी हो हर परिस्थिति को स्व स्थिति से बदल देती है। तो हर एक अपने को चेक करे कि मैं सदा सन्तुष्ट हूँ? सदा? सदा हैं वा कभी कभी हैं?
बापदादा हमेशा हर शक्ति के लिए खुशी के लिए डबल लाइट बन उड़ने के लिए यही बच्चों को कहते कि सदा शब्द सदा याद रहे। कभी-कभी शब्द ब्राह्मण जीवन के डिक्शनरी में है ही नहीं क्योंकि सन्तुष्टता का अर्थ ही है सर्व प्राप्ति। जहाँ सर्व प्राप्ति है वहाँ कभी-कभी शब्द है ही नहीं। तो सदा अनुभूति करने वाले हो वा पुरूषार्थ कर रहे हो? हर एक ने अपने आपसे पूछा चेक किया? क्योंकि आप सभी विशेष बाप के स्नेही सहयोगी लाडले मीठे मीठे स्व-परिवर्तक बच्चे हो। ऐसे हो ना? है ऐसे? जैसे बाप देख रहे हैं ऐसे ही अपने को अनुभव करते हो? हाथ उठाओ जो सदा कभी-कभी नहीं सदा सन्तुष्ट रहते हैं। सदा शब्द याद है ना। थोड़ा धीरे धीरे उठा रहे हैं। अच्छा। बहुत अच्छा। थोड़े थोड़े उठा रहे हैं और सोच-सोच के उठा रहे हैं। लेकिन बापदादा ने बार-बार अटेन्शन खिंचवाया है कि अब समय और स्वयं दोनों को देखो। समय की रफ्तार और स्वयं की रफ्तार दोनों को चेक करो। पास विद आनर तो होना ही है ना। हर एक सोचो कि मैं बाप की राजदुलारी या राजदुलारा हूँ। अपने को राजदुलारा समझते हो ना! रोज़ बापदादा आपको क्या याद प्यार देते हैं? लाडले। तो लाडला कौन होता है? लाडला वही होता है जो फॉलो फादर करता है और फॉलो करना बहुत बहुत बहुत सहज है कोई मुश्किल नहीं है। एक ही बात को फॉलो किया तो सहज सर्व बातों में फॉलो हो ही जायेगा। एक ही लाइन है जो बाप हर रोज़ याद दिलाते हैं। वह याद है ना? अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो। एक ही लाइन है ना और याद करने वाली आत्मा जिसको बाप का खज़ाना मिल गया वह सेवा के बिना रह ही नहीं सकता क्योंकि अथाह प्राप्ति है अखुट खज़ाने हैं। दाता के बच्चे हैं वह देने के बिना रह नहीं सकते और मैजॉरिटी आप सबको टाइटिल क्या मिला है? डबल फारेनर्स। तो टाइटिल ही डबल है। बापदादा को भी आप सबको देख खुशी होती है और सदा ऑटोमेटिक गीत गाते रहते कि वाह मेरे बच्चे वाह! अच्छा है भिन्न-भिन्न देश से कौन से विमान में आये हो? स्थूल में तो किसी भी विमान में आये हो लेकिन बापदादा कौन सा विमान देख रहे हैं? अति स्नेह के विमान में अपने प्यारे-प्यारे घर में पहुंच गये हो। बापदादा हर बच्चे को आज विशेष यही वरदान दे रहे हैं कि हे लाडले प्यारे बच्चे सदा सन्तुष्टमणि बन विश्व में सन्तुष्टता की लाइट फैलाओ। सन्तुष्ट रहना और सन्तुष्ट करना। कई बच्चे कहते हैं सन्तुष्ट रहना तो सहज है लेकिन सन्तुष्ट करना यह थोड़ा मुश्किल लगता है। बापदादा जानते हैं अगर हर एक आत्मा को सन्तुष्ट करना है तो उसकी विधि बहुत सहज साधन है अगर कोई आपसे असन्तुष्ट होता है या असन्तुष्ट रहता है तो वह भी असन्तुष्ट लेकिन आपको भी उसकी असन्तुष्टता का प्रभाव कुछ तो पड़ता है ना। व्यर्थ संकल्प तो चलता है ना। जो बापदादा ने शुभ भावना शुभ कामना का मन्त्र दिया है अगर अपने आपको इस मन्त्र में स्मृति स्वरूप रखो तो आपके व्यर्थ संकल्प नहीं चलेंगे। अपने को जानते हुए भी कि यह ऐसा है यह वैसा है लेकिन अपने को सदा न्यारा उसके वायब्रेशन से न्यारा और बाप का प्यारा अनुभव करो। तो आपके न्यारे और बाप के प्यारे पन की श्रेष्ठ स्थिति के वायब्रेशन अगर उस आत्मा को नहीं भी पहुंचे तो वायुमण्डल में फैलेगा जरूर। अगर कोई परिवर्तन नहीं होता और आपके अन्दर भी उसी आत्मा का प्रभाव पड़ता रहता व्यर्थ संकल्प के रूप में तो वायुमण्डल में सबके संकल्प फैलते हैं। इसलिए आप न्यारा बन बाप का प्यारा बन उस आत्मा के भी कल्याण के प्रति शुभ भावना शुभ कामना रखो। कई बार बच्चे कहते हैं कि उसने गलती की ना तो हमको भी फोर्स से कहना पड़ता है थोड़ा अपना स्वभाव भी मुख भी फोर्स वाला हो जाता है। तो उसने गलती की लेकिन आपने जो फोर्स दिखाया क्या वह गलती नहीं है? उसने और गलती की आपने अपने मुख से जो फोर्स से बोला जिसको क्रोध का अंश कहेंगे तो वह राइट है? क्या गलत गलत को ठीक कर सकता है? आजकल के समय अनुसार अपने बोल को फोर्सफुल बनाना यह भी विशेष अटेन्शन रखो क्योंकि जोर से बोलना या तंग होके बोलना वह तो बदलता नहीं लेकिन यह भी दूसरे नम्बर के विकार का अंश है। कहा जाता है - मुख से बोल ऐसे निकले जैसे फूलों की वर्षा हो रही है। मीठा बोल मुस्कराहट चेहरा मीठी वृत्ति मीठी दृष्टि मीठा सम्बन्ध-सम्पर्क यह भी सर्विस का साधन है। इसलिए रिजल्ट देखो अगर मानो कोई ने गलती की गलत है और आपने समझाने के लक्ष्य से और कोई लक्ष्य नहीं है लक्ष्य आपका बहुत अच्छा है कि इसको शिक्षा दे रहे हैं समझा रहे हैं लेकिन रिजल्ट में क्या देखा गया है? वह बदलता है? और ही आगे के लिए आगे आने से डरता है। तो जो लक्ष्य आपने रखा वह तो होता नहीं है इसलिए अपने मन्सा संकल्प और वाणी अर्थात् बोल और सम्बन्ध-सम्पर्क सदा मीठा मधुरता अर्थात् महान बनाओ क्योंकि वर्तमान समय लोग प्रैक्टिकल लाइफ देखने चाहते हैं अगर वाणी से सेवा करते हो तो वाणी की सेवा से प्रभावित हो नज़दीक तो आते हैं यह तो फायदा है लेकिन प्रैक्टिकल मधुरता महानता श्रेष्ठ भावना चलन और चेहरे को देख स्वयं भी परिवर्तन के लिए प्रेरणा ले लेते हैं और जैसे जैसे आगे समय की हालातें परिवर्तन होनी हैं तो ऐसे समय पर आप सबको चेहरे और चलन से ज्यादा सेवा करनी पड़ेगी। इसलिए अपने आपको चेक करो - आत्माओं के प्रति शुभ भावना शुभ कामना की वृत्ति और दृष्टि के संस्कार नेचर और नेचरल हैं?
बापदादा हर एक बच्चे को माला का मणका विजयी माला का मणका देखने चाहते हैं। तो आप सभी भी अपने को समझते हो कि हम माला के मणके बनने ही वाले हैं। कई बच्चे सोचते हैं कि 108 की माला में तो जो निमित्त बने हुए बच्चे हैं वही आयेंगे लेकिन बापदादा ने पहले भी कहा है यह तो 108 का गायन भक्ति की माला का है लेकिन अगर आप हर एक विजयी दाना बनेंगे तो बापदादा माला के अन्दर बहुत लड़ी लगा देगा। बाप के दिल की माला में आप हर एक विजयी बच्चों को स्थान है यह बाप की गैरन्टी है। सिर्फ स्वयं को मन्सा-वाचा-कर्मणा और चलन चेहरे में विजयी बनाओ। है पसन्द है, बनेंगे? बापदादा की गैरन्टी है विजय माला का मणका बनायेंगे। कौन बनेंगे? अच्छा तो बापदादा माला के अन्दर माला बनाने शुरू कर देंगे। डबल फारेनर्स को पसन्द है ना! विजयी माला में लाना बाप का काम है लेकिन आपका काम है विजयी बनना। सहज है ना! कि मुश्किल है? मुश्किल लगता है? जिसको मुश्किल लगता है वह हाथ उठाओ। लगता है? थोड़े-थोड़े कोई-कोई हैं। बापदादा कहता है - जब बापदादा कहते हो तो बाबा कहने से क्या बाप का वर्सा नहीं मिलेगा! जब सभी वर्से के अधिकारी हो और कितना सहज बाप ने वर्सा दिया सेकण्ड की बात है आपने माना जाना मेरा बाबा और बाप ने क्या कहा? मेरा बच्चा। तो बच्चा तो स्वत: ही वर्से के अधिकारी है। बाबा कहते हो ना सभी एक ही शब्द बोलते हो मेरा बाबा। है ऐसे? मेरा बाबा है? इसमें हाथ उठाओ। मेरा बाबा है तो मेरा वर्सा नहीं है? जब मेरा बाबा है तो मेरा वर्सा भी बंधा हुआ है और वर्सा क्या है? बाप समान बनना। विजयी बनना। बापदादा ने देखा कि डबल फारेनर्स में मैजारिटी हाथ में हाथ लेके चलेंगे। हाथ में हाथ देना चलना यह फैशन है। तो अभी भी बाप कहते हैं बाप शिवबाबा का हाथ क्या है? यह हाथ तो है नहीं तो शिवबाबा का हाथ पकड़ा तो हाथ कौन सा है? श्रीमत बाप का हाथ है। तो जैसे स्थूल में हाथ में हाथ देकर चलना पसन्द आता है तो श्रीमत के हाथ में हाथ देके चलना यह क्या मुश्किल है! ब्रह्मा बाप को देखा प्रैक्टिकल सबूत देखा कि हर कदम श्रीमत प्रमाण चलने से सम्पूर्ण फरिश्तेपन की मंज़िल में पहुंच गया ना! अव्यक्त फरिश्ता बन गया ना। तो फॉलो फादर हर एक श्रीमत उठने से लेकर रात तक हर कदम की श्रीमत बापदादा ने बता दी है। उठो कैसे चलो कैसे कर्म कैसे करो मन में संकल्प क्या-क्या करो और समय को कैसे श्रेष्ठ बिताओ। रात को सोने तक श्रीमत मिली हुई है। सोचने की भी जरूरत नहीं यह करूं या नहीं करूं फॉलो ब्रह्मा बाप। तो बापदादा का जिगरी प्यार है बापदादा एक बच्चे को भी विजयी नहीं बनें राजा नहीं बनें यह नहीं देखने चाहते। हर एक बच्चा राजा बच्चा है। स्वराज्य अधिकारी है। इसलिए अपना स्वराज्य भूल नहीं जाना। समझा।
बापदादा ने कई बार इशारा दिया है कि समय अचानक और नाज़ुक आ रहा है इसलिए एवररेडी अशरीरीपन का अनुभव आवश्यक है। कितना भी बिजी हो लेकिन बिजी होते हुए भी एक सेकण्ड अशरीरी बनने का अभ्यास अभी से करके देखो। आप कहेंगे हम बहुत बिजी रहते हैं अगर मानो कितने भी बिजी हो आपको प्यास लगती है क्या करेंगे? पानी पि्ायेंगे ना! क्योंकि समझते हो प्यास लगी है तो पानी पीना जरूरी है। ऐसे बीच-बीच में अशरीरी आत्मिक स्थिति में स्थित रहने का अभ्यास भी जरूरी है क्योंकि आने वाले समय में चारों ओर की हलचल में अचल स्थिति की आवश्यकता है। तो अभी से बहुतकाल का अभ्यास नहीं करेंगे तो अति हलचल समय अचल कैसे रहेंगे! सारे दिन में एक-दो मिनट निकालके भी चेक करो कि समय प्रमाण आत्मिक स्थिति द्वारा अशरीरी बन सकते हैं? चेक करो और चेंज करो। सिर्फ चेक नहीं करना चेंज भी करो। तो बार-बार इस अभ्यास को चेक करने से रिवाइज़ करने से नेचरल स्थिति बन जायेगी। बापदादा से स्नेह है इसमें तो सभी हाथ उठाते हैं। हैं ना स्नेह! फुल स्नेह है फुल कि अधूरा? अधूरा तो नहीं है ना। तो स्नेह है तो वायदा क्या है? क्या वायदा किया है? साथ चलेंगे? अशरीरी बन साथ चलेंगे कि पीछे-पीछे आयेंगे? साथ चलेंगे? और थोड़ा टाइम साथ रहेंगे भी वतन में थोड़ा। और फिर ब्रह्मा बाप के साथ फर्स्ट जन्म में आयेंगे। है यह वायदा? है ना? हाथ नहीं उठवाते हैं ऐसे सिर हिलाओ। हाथ उठाते थक जायेंगे ना। जब साथ चलना ही है पीछे नहीं रहना है तो बाप भी साथ किसको लेके जायेंगे? बाप समान को साथ लेके जायेंगे। बाप को भी अकेला जाना पसन्द नहीं है बच्चों के साथ जाना है। तो साथ चलने के लिए तैयार है ना! कांध हिलाओ। हैं? सभी चलेंगे? अच्छा सभी चलने के लिए तैयार हैं? जब बाप जायेंगे तब जायेंगे ना। अभी नहीं जायेंगे अभी तो फॉरेन में जाना है ना लौट के। बाप आर्डर करेगा नष्टोमोहा स्मृति लब्धा का बेल बजायेगा और साथ चल पड़ेंगे। तो तैयारी है ना! स्नेह की निशानी है साथ चलना। अच्छा।
बापदादा हर एक बच्चे को दूर से भी नजदीक अनुभव कर रहा है। जब साइंस के साधन दूर को नजदीक कर सकता है देख सकता है बोल सकता है तो बापदादा भी दूर बैठे हुए बच्चों को सबसे नजदीक देख रहे हैं। दूर नहीं हो दिल में समाये हुए हो। तो बापदादा विशेष टर्न के अनुसार आये हुए बच्चों को अपने दिल में नयनों में समाते हुए एक-एक को साथ चलने वाले साथ रहने वाले साथ राज्य करने वाले देख रहे हैं। तो आज से सारे दिन में बार-बार कौन सी ड्रिल करेंगे? अभी अभी एक सेकण्ड में आत्म-अभिमानी अपने शरीर को भी देखते हुए अशरीरी स्थिति में न्यारा और बाप का प्यारा अनुभव कर सकते हो ना! तो अभी एक सेकण्ड में अशरीरी भव! अच्छा। (ड्रिल) ऐसे ही बीच-बीच में सारे दिन में कैसे भी एक मिनट निकाल इस अभ्यास को पक्का करते चलो।
बाकी बच्चों ने चाहे विदेश वालों ने चाहे देश वालों ने दोनों ने मिलकर जो भी प्लैन प्रोग्राम बनाये तो बापदादा ने देखा भी सुना भी। बापदादा ने बीच-बीच में आपके प्रोग्रामस के बीच में चक्कर लगाकर देखा भी। तो बापदादा खुश है कि सभी ने मिलकर जो भविष्य तीव्र पुरूषार्थ परिवर्तन का प्लैन बनाया है वह बापदादा को पसन्द है। लेकिन जो प्लैन बनाये हैं वह दूसरे साल में उसको प्रैक्टिकल में लाने वालों को बापदादा विशेष एक गुप्त सौगात देंगे। तो आगे बढ़ो इस बारी के दोनों के संगठन में पर-उपकार सहयोगी बनने का उमंग अच्छा देखा गया। डबल विदेशियों को बापदादा ने पहले भी कहा है कि अभी डबल विदेशी के बजाए डबल तीव्र पुरूषार्थी कहो। बापदादा आप सब बच्चों को इस विश्व की स्टेज पर हीरो पार्ट बजाने वाला विश्व के आगे हीरो दिखाने चाहते हैं। सभी उमंग- उत्साह से आये भी हैं और पत्र भी बहुत आये हैं हर एक ग्रुप ने भी अपना याद निशानियां भेजी है। बापदादा ने देखा है जिन्होंने भी यादप्यार या ईमेल या पत्र भेजे हैं उन सबको बापदादा नाम सहित सम्मुख देख पदमगुणा यादप्यार दे रहे हैं। चाहे दूर हैं लेकिन दिल में समाये हुए हैं। और सभी ब्राह्मण परिवार को खुशी होती है कि एक ही समय 100 देशों के इकट्ठे हुए हैं। यह संगठन कितना अच्छा लगता है। कहाँ-कहाँ से आये और अपने घर और परिवार बापदादा से भी मिलन मनाया। इसलिए बापदादा डबल फॉरेनर्स का टर्न है विशेष देखो डबल फॉरेनर्स का अलग टर्न बनाया है तो विशेष उड़ना पड़ेगा। चलना नहीं उड़ना। और डबल तीव्र पुरूषार्थी नाम ही आपका यह है डबल तीव्र पुरूषार्थी ग्रुप। वैसे भी वैरायटी चीजे अच्छी लगती हैं तो यह भी वैरायटी देशों से एक स्थान में संगठन का दृश्य भी बहुत अच्छा लग रहा है। अभी आप तो देख नहीं सकते बाप तो देख रहे हैं ना। अच्छा टी.वी. में देख रहे हैं। साइंस आप लोगों की सेवा के लिए पुरूषार्थ के लिए निकली है और आप सम्पन्न हो जायेंगे तो साइंस समाप्त हो जायेगी। रिफाइन होके फिर हमारे राज्य में आयेगी। साइंस के साधन आप सबकी सेवा करेंगे लेकिन निर्विघ्न। जिन्होंने भी निमित्त बनके प्लैन बनाया प्रैक्टिकल लाये वह निमित्त टीचर्स उठके खड़े हो यहाँ ही। जो सेवा में फॉरेनर्स टीचर्स निमित्त बनें वह उठो। तो बापदादा निमित्त बने हुए सर्विसएबुल ग्रुप को विशेष यादप्यार दे रहे हैं। जी हाजिर किया उसके लिए बहुत-बहुत मुबारक है। अच्छा।
अभी जो भी डबल पुरूषार्थी फॉरेनर्स पाण्डव आये हैं पाण्डव सेना उठो। डबल फॉरेनर्स पाण्डव सेना। देखो पाण्डवों की विशेषता क्या गाई हुई है? पाण्डवों की विशेषता यही गाई हुई है कि वह विजयी तब बनें जब बाप का साथ लिया। पाण्डवपति का साथ लेने से विजयी बन गये। तो पाण्डव यही याद रखना कि हम पाण्डवपति के साथी हैं साथ भी हैं साथी भी हैं। तो आपका टाइटल क्या है? साधारण पाण्डव नहीं विजयी पाण्डव। कभी भी पाण्डवों का नाम लेंगे ना तो यही प्रसिद्ध है विजयी पाण्डव। तो वही हो ना। कितने बार विजय प्राप्त की है? अनेक बार विजयी बने हो और अनेक बार बनते रहेंगे। संगठन अच्छा है।
अभी सभी चाहे देश की चाहे विदेश की सभी शिव शक्तियां उठो। देखो शिव शक्तियों का झुण्ड बड़ा है और आपकी विशेषता क्या है? शिव शक्तियों की विशेषता क्या है? देखो आप लोगों का इतना बाप से सम्बन्ध है जो यादगार में भी शिव शक्ति कहते हैं। बाप से नाता सारा आधाकल्प भी शिव शक्ति के नाम से गाया जाता है और अब भी शिव बाप के साथ हो और साथी भी हो। बापदादा जब भी सर्विसएबुल बच्चों को या बच्चियों को देखते हैं तो फखुर आता है वाह! मेरे विश्व परिवर्तक साथी वाह! तो सबसे मिले ना। यह तो समय पर कुछ तो बदली होता ही है।
बापदादा को तन को भी चलाना तो पड़ेगा ना। देखना तो पड़ेगा। फिर भी बापदादा दोनों को समाने का पार्ट बच्ची ने भी अच्छा बजाया है। 40 वर्ष पार्ट बजाने को हो रहा है अभी 39 वर्ष हुए हैं कमाल है अव्यक्त पार्ट की। बापदादा इन दोनों को (आओ नीलू और हंसा) और साथी भी हैं लेकिन इन दोनों ने शरीरों की नब्ज को जानकर अच्छा शरीर को चलवाना सिखाया। और साथी भी हैं साथी भी हाथ उठाओ। शरीर के नब्ज को जानकर योगयुक्त होकर चलाने का बहुत अच्छा पार्ट बजाया और बजाते रहना। अच्छा। अभी भारत की जो विशेष निमन्त्रण पर आई वह उठो पाण्डव भी आये हैं जो पाण्डव विशेष निमन्त्रण पर आये वह भी उठो। अच्छा। भारत वाले तो अपने को भी और बाप भी समझते हैं कि इन आत्माओं का भी विशेष पार्ट है जो पालना ली भी है और पालना दे भी रहे हैं और जो भी पालना के निमित्त बनते हैं उन्हों को एकस्ट्रा भाग्य भी मिलता है चाहे पाण्डव हैं चाहे शक्तियां हैं लेकिन विशेष पार्ट बजाने वालों के विशेष भाग्य की लकीर मस्तक में चमकती है। बापदादा अब भारत की सीजन में होमवर्क पूछेगा कौन सा ज़ोन नम्बरवन हुआ? ज़ोन सेन्टर नहीं। कौन सा ज़ोन? चाहे मधुबन मधुबन भी इस रेस में है। नम्बरवन कौन है? यह होमवर्क जो दिया उसकी रिजल्ट पूछेंगे। चाहे अभी थोड़ा समय है लेकिन परिवर्तन आने में लाने में कोई देरी नहीं लगती। सिर्फ दृढ़ संकल्प हो मधुबन वालों को भी चांस है नम्बर लेने का। बाकी अच्छा है बापदादा खुश है डबल लॉटरी मिल गई। संगठन भी और इतने कहाँ कहाँ से 100 देशों से आये हुए हैं तो एक ही समय इतने परिवार से मिलना और बाप से भी मिलना प्रोग्रामस भी बनाना तो लकी हो। अच्छा। तो सबसे मिले ना। कहेंगे नहीं मिले? सबसे मिल लिया ना।
आप सबकी शुभ भावना और शुभ दुआओं से यह रथ भी चल रहा है। आप सबके स्नेह की जो खुराक है वह पार्ट को चला रही है। बच्ची चलते फिरते कहती है कि कहावत है - रास्ते चलते ब्राह्मण फंस गया। तो मैं भी फंस नहीं गई लेकिन निमित्त बन गई। लेकिन थोड़ा सा देखना भी पड़ता है। आप लोग तो सन्तुष्ट है ना। सन्तुष्ट हैं? सिर्फ ग्रुप-ग्रुप से नहीं मिल सकते। बापदादा भी इस पार्ट को देखके मुस्कराते रहते हैं दादी ने हिम्मत से निमित्त बनाया।
अच्छा। ड्रिल तो याद है ना। भूल तो नहीं गये हैं क्योंकि बापदादा जानते हैं आगे का समय अति हाहाकार का होगा। आप सबको सकाश देनी पड़ेगी और सकाश देने में ही आपका अपना तीव्र पुरूषार्थ हो जायेगा। थोड़े समय में सकाश द्वारा सर्व शक्तियां देनी पड़ेंगी और जो ऐसे नाजुक समय में सकाश देंगे जितनों को देंगे चाहे बहुतों को चाहे थोड़ों को उतने ही द्वापर और कलियुग के भक्त उनके बनेंगे। तो संगम पर हर एक भक्त भी बना रहे हैं क्योंकि दिया हुआ सुख और शान्ति उनके दिल में समा जायेगा और भक्ति के रूप में आपको रिटर्न करेंगे। अच्छा।
चारों ओर के बापदादा के नयनों के नूर विश्व के आधार और उद्धार करने वाली आत्मायें मास्टर दु:ख हर्ता सुख कर्ता विश्व परिवर्तक बच्चों को बहुत-बहुत दिल का स्नेह दिल का यादप्यार और पदम-पदम वरदान स्वीकार हो। अच्छा।
दादियों से:- सब खुश हुए ना। अच्छा। अभी करना क्या है?
अच्छा - साक्षी होके हिसाब किताब चुक्तू कर रही है।
परदादी से:- देखो सबकी प्यारी और न्यारी आत्मा हो। सभी आप लोगों को चाहे बेड पर भी हो तो भी आप सबके साथ दिल का स्नेह बहुत है। बेड पर नहीं हो सभी के दिल में हो। अच्छा।
विदेश की बड़ी बहिनों से:- (एक बुक बापदादा को दी) मेहनत अच्छी की है। अच्छा रॉयल बनाया है किसको भी देने के लिए अच्छी गिफ्ट बन गई। अच्छी मेहनत भी की है मुहब्बत भी दिखाई है। डबल विदेशियों को पालना दे रहे हो यह भी बहुत अच्छी हिम्मत रख करके आगे बढ़ रहे हो और बढ़ते रहेंगे। अच्छा संगठन भी आपस में अच्छा किया है। बापदादा खुश है। उमंग-उत्साह भरने का एक साधन है नवीनता चाहिए ना सबको। अच्छा है सिर्फ इसको पीठ करते रहना। जिससे सबमें उमंग आवे हम भी पार्ट लें हम भी करके दिखाये। हो जायेगा।
(सुदेश बहन ने लण्डन का समाचार सुनाया) बापदादा की मुबारक है, मुबारक है।
मनमोहिनी काम्पलेक्स विभाग के कन्ट्रक्शन के निमित्त भाई:- आप ब्राह्मणों के लिए बापदादा की तरफ से आप बच्चों की तरफ से परिवार के लिए मनमोहिनी वन में भवन बन रहे हैं बापदादा को खुशी है कि सबके सहयोग से ब्राह्मण आत्माओं को आराम से रहने अपने को रिफ्रेश करने के लिए सभी प्यार से बना भी रहे हैं और सहयोग भी दे रहे हैं तो कुछ बन गया है और कुछ बन रहा है तो सबके सहयोग से ब्राह्मणों के लिए जितना बनाओ उतना कम होता जाता है क्योंकि ब्राह्मण बढ़ते रहते हैं और बढ़ते ही रहने हैं। इसलिए आप सबके बूंद-बूंद से यह कम्पलीट हो रहा है। खुशी होती है ना हमारे भाई बहिन आयेंगे आराम से रहेंगे और सफलता को प्राप्त करेंगे। आप सबको खुशी है वाह हमारा घर बढ़ता जा रहा है। तो अपना घर देख करके कितनी खुशी होती है। अभी तो हद का वैराग्य होने दो फिर देखो आपके पास कितनी आत्मायें दुआयें लेने सुख शान्ति लेने के लिए आती हैं। तो आप सुख दाता उन्हों को शरीर के आराम का सुख भी देंगे ना तो यह तो बढ़ता रहेगा और आप बढ़ाते रहेंगे। वर्तमान समय यह है फिर और भी बढ़ेगा बनेगा कि बहुत हो गया? आप तो आवाहन कर रहे हो ना जो भी आवे अंचली तो ले ले। दुआयें कितनी निकलेंगी। खुशी है हमारा घर बन रहा है कि मधुबन का घर बन रहा है? आपका बन रहा है ना। बहुत अच्छा। मेहनत करने वाले भी अच्छी मेहनत प्यार से कर रहे हैं। अच्छा।
मनोहर दादी की याद दी:- आप सबको अपनी प्यारी दादी मनोहर इन्द्रा याद है ना। सदा अपना पार्ट अच्छे ते अच्छा बजाया है तो अभी भी सबके स्नेह और शुभ संकल्प से अपना पार्ट बजा रही है और बजाती रहेगी। हर एक का फिक्स पार्ट है। वह तो वतन में मौज मना रही है इस शरीर में नहीं है लेकिन वतन में मौज मना रही है। उसके दिल की आश पूरी हो रही है। अच्छा।