अव्यक्त इशारे (August 2016)


 

मास्टर दयालु, कृपालु (मर्सिफुल) बनो

 

1. आजकल आपदाओं के समय दुखी, अशान्त आत्मायें परमात्मा के साथ-साथ शक्तिओं को, देवताओं को उसमें भी गणेश व हनुमान को ज्यादा याद करती है. रोज पुकारती है हे कृपालु, दयालु रहम करो, कृपा करो. सुख शांति की जरा सी बूंद दे दो. तो हे शक्तियां, हे देव, दुखियों का, प्यासी आत्माओं का आवाज सुनो. अपने बहन भाईओं पर रहम करो.

2. हे मास्टर मुक्तिदाता, अभी सबसे पहले स्व को मुक्ति दो फिर विश्व की सर्व आत्माओं को मुक्ति देने की अंचली दो. वह पुकार रहे है, बार बार गीत गा रहे है- *दुखियों पे कुछ रहम करो....* दुःख बढ़ता ही जा रहा है. तो उन पर रहम कर उन्हें मुक्तिधाम में भेजो, इसके लिए वाणी की सेवा के साथ मनसा सेवा भी बढाओ.

3. आपके जड़ चित्र भी रहमदिल है, कोई भी चित्र के आगे जाते है तो यही कहते है *मुज पर दया करो, कृपा करो, रहम करो, मर्सी,मर्सी....* जब चित्र इतने मर्सिफुलहै तो चैतन्य में क्या होंगे..!चैतन्य में तो रहम की खान हो. पहले अपने ऊपर रहम करो, फिर ब्राह्मण परिवार के ऊपर रहम करो, अगर कोई परवश है, संस्कार के वश है, कमजोर है, उस समय बेसमज हो जाता है, तो क्रोध नहीं करो. दयालु बनो, कृपालु बनो.

4. हे बापदादाके सिकिलधे, पदम् पदम् वरदानो के वरदानी बच्चे! अभी संकल्प को दृढ करो और द्रढ़ता की चाबी लगाओ, कर्मयोगी बनो. कर्मयोगी लाइफ वाले हो, लाइफ सदाकाल होती है, कभी कभी नहीं. तो अभी अपना कृपालु, दयालु, दुःखहर्ता, सुख दाता स्वरुप इमर्ज करो.

5. बापदादा ने अचानक का पाठ बहुतकाल से पढाया है. तो अचानक के पहले भक्तो की पुकार तो पूरी करो. दुखिओं के दुःख की आवाज़ तो सुनो. अभी हर एक छोटा बड़ा विश्व परिवर्तक, विश्व के दुःख परिवर्तन कर सुख की दुनिया लानेवाले जिम्मेवार समजो.

6. हे मेरे दिल तख़्त के अधिकारी प्यारे बच्चे! बापदादा के मन में समय प्रमाण यही आवश्यकता लगती है की अभी भक्त आत्माओं की प्यास बुजाओं. बिचारी आत्मायें आप पूज्य आत्माओं को याद कर रही है हमारे पूज्य,हमारे दयालु, कृपालु कहाँ हो! क्या हमारी पुकार सुनने नहीं आती? जरा सी ख़ुशी, जरा सी शान्ति की अंचली तो दे दो. तो अब पुकारने वालों को अंचली देने का, मनसा सेवा करने का समय आ गया है इसलिए सारे दिन में शक्तिशाली याद के परसेंटेज को बढाओ.

7. भिन्न भिन्न समस्याओं के कारन, अपने मन और बुद्धि का संतुलन न होने के कारन मर्सिफुल बाप को व अपनी अपनी मान्यता वालो को मर्सी के लिए बहुत दुःख से, परेशानी से पुकारते है. तो मर्सिफुल बाप बच्चों को कहते है की बाप के सहयोगी साथी भुजाएं आप ब्राह्मण मास्टर मर्सिफुल बनो.

8. सब आपके ही भाई बहने है, चाहे सगे है व लगे है लेकिन है तो आपके परिवार के. अपने परिवार के अंजान, परेशान आत्माओं के ऊपर रहमदिल बनो. दिल से रहम आये. विश्व की अंजान आत्माओं के लिए भी रहम चाहिए और साथ साथ ब्राह्मण परिवार के पुरुषार्थ की तीव्र गति के लिए व स्व-उन्नति के लिए रहमदिल की आवश्यक्यता है.

9. चेक करो की मर्सिफुल बाप का बच्चा बन मैंने कितनी आत्माओं पर रहम किया? सिर्फ वाणी से नहीं, मनसा अपनी वृत्ति से वायुमंडल द्वारा भी आत्माओं को बाप द्वारा मिली हुई शक्तियां दो. जब थोड़े समय में सारे विश्व की सेवा संपन्न करनी है तो तीव्र गति से सेवा करो. जितना स्वयं को सेवा में बिजी रखेंगे उतना स्वयं सहज मायाजीत बन जायेंगे.

10. समय प्रति समय प्रकृति अपना सिग्नल दिखा रही है. तो जितनी प्रकृति की हलचल उतनी आपकी अचल स्थिति प्रकृति को परिवर्तन करेंगी. समय प्रति समय कितनी आत्मायें दुःख की लहर में आती है. तो ऐसी दुखी आत्माओं का सहारा तो बाप और आप ही हो. तो रहम पड़ता है ना. जब प्रकृति की हलचल से आत्मायें चिल्लाती है, मर्सी अ रहम मांगती है तो आप लोगों को उनके ऊपर रहम की पुकार पहुँचती तो है ना ! ये छोटी छोटी आपदाएं और तडपाती है, इसके लिए आप ब्राह्मण आत्मायें संपन्न हो जाओं तो दुःख की दुनिया समाप्त हो जाये.

11. अब परिवर्तन की शुभ भावना को तीव्र करो. आप भी कभी कैसे, कभी कैसे होते हो तो प्रकृति भी कभी बहुत तीव्र गति से कार्य करती, कभी ठंडी हो जाती. इसलिए अब रहम की भावना इमर्ज करो, चाहे स्व प्रति, चाहे सर्व आत्माओं के प्रति. इस रहम की भावना से विघ्न भी सहज ख़त्म हो जायेंगे. जहाँ रहम होंगा, वहां तेरा मेरा की हलचल नहीं होंगी. तो अभी यह लहर फैलाओं. हर संकल्प में मर्सिफुल.

12. अपने भाई बहिनों के ऊपर भी रहमदिल बनो, रहम दिल बन सेवा करेंगे तो उसमे निमित्त भाव स्वतः ही होंगा. किसी पर भी चाहे कितना भी बुरा हो लेकिन अगर आपको उस आत्मा के प्रति रहम है, तो आपको उसके प्रति कभी भी धृणा या इर्ष्या या क्रोध की भावना नहीं आएँगी. रहम की भावना सहज निमित्त भाव इमर्ज कर देती है.

13. रहमदिल बाप के बच्चे अभी बेहद पर रहम करो. जब दुसरे पर रहम आयेंगा तो अपने ऊपर रहम पहले आएगा, फिर जो एक ही छोटी सी बात पर आपको पुरुषार्थ करना पड़ता है, वह करने की आवश्यकता नहीं होंगी. मास्टर रहमदिल, मास्टर दयालु, मास्टर मर्सिफुल बन जाओ. इस गुण को इमर्ज करो. तो औरो के ऊपर रहम करने से स्वयं पर रहम आपेही आएगा.

14. इस समय आप हर एक को, आत्माओं प्रति रहमदिल और दाता बन कुछ न कुछ देना ही है, चाहे मन्सा सेवा द्वारा दो, चाहे शुभ भावना से दो, श्रेष्ठ सकाश देने की वृति से दो, चाहे आध्यात्मिक शक्ति से संपन्न बोल से दो, चाहे अपने स्नेह संपन्न सम्बन्ध संपर्क से दो लेकिन कोई भी आत्मा वंचित नहीं रहे. दाता बनो, रहमदिल बनो.

15. बापदादा हर बच्चे का अभी मर्सिफुल रूप देखने चाहते है. अब अपनी हद की बाते छोड़ दो, मर्सिफुल बनो. मनसा सेवा में लग जाओ. सकाश दो, शांति दो, सहारा दो. अगर मर्सिफुल बन औरो को सहारा देने में बिजी रहेंगे तो हद की आकर्षणों से, हद की बातों से स्वतः ही दूर हो जायेंगे. महेनत से बच जायेंगे.

16. अब दुनिया की हालत तो देख रहे हो की कितने गिरावट की तरफ जा रही है. ऐसे समय में हर एक बच्चे को सदा मर्सिफुल स्थिति में स्थित हो आत्माओं प्रति शुभ भावना, शुभ कामना, स्नेह और रहम की भावना से सकाश देनी है तब सबका कल्याण होंगा. स्व की सेवा और विश्व की सेवा के बैलेंस द्वारा सबको मुक्ति की ब्लेसिंग दिलाओ. हे बच्चों, अब विधाता बनो, एक घडी भी सेवा के बिना न जाये, निरंतर सेवाधारी बनो.