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AVYAKT MURLI
21 / 05 / 70
26 / 06 / 70
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21-05-70 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
“भिन्नता को मिटाने की युक्ति”
आज हरेक बच्चे की दो बातें देख रहे हैं वह दो बातें कौन सी देख रहे हैं? बापदादा के देखने को भी देख रहे हो? ऐसी अवस्था अब आने वाली है। जो कोई के संकल्प को ऐसे ही स्पष्ट जान लेंगे जैसे वाणी द्वारा सुनने के बाद जाना जाता है। मास्टर जानी-जाननहार यह डिग्री भी यथायोग्य यथा शक्तिशाली को प्राप्त होती है ज़रूर। तो आज क्या देख रहे हैं? हरेक पुरुषार्थी के पुरुषार्थ में अभी तक मार्जिन क्या रही हुई है – एक तो उस मार्जिन को देख रहे हैं दूसरा हरेक की माईट को देख रहे हैं। मार्जिन कितनी है और माईट कितनी है। दोनों का एक दो से सम्बन्ध हैं। जितनी माईट है उतनी मार्जिन है। तो माईट और मार्जिन दोनों ही हरेक पुरुषार्थी की देख रहे हैं। कोई बहुत नजदीक तक पहुँच गए हैं। कोई बहुत दूर तक मंजिल को देख रहे हैं। तो भिन्न-भिन्न पुरुषार्थियों की भिन्न-भिन्न स्थिति देख क्या सोचते होंगे? भिन्नता को देख क्या सोचते होंगे?
बापदादा सभी को मास्टर नॉलेजफुल बनाने की पढ़ाई पढ़ाते हैं। प्रैक्टिकल में भगवान् के जितना साकार सम्बन्ध में नजदीक आएंगे उतना पुरुषार्थ में भी नजदीक आयेंगे। अपने पुरुषार्थ और औरों के पुरुषार्थ को देख क्या सोचते हो? बीज तो अविनाशी है। अविनाशी बीज को संग का जल देना है। तो फिर फल निकल आयेगा। तो अब फल स्वरुप दिखाना है। वृक्ष से मेहनत फल के लिए करते हैं ना। तो जो ज्ञान की परवरिश ली है उनकी रिजल्ट फलस्वरुप बनना है। तो यह जो भिन्नता वो कैसे मिटेगी? भिन्नता को मिटाने का सहज उपाय कौन सा है? जो अभी की भिन्नता है वह अंत तक रहेगी वा फर्क आएगा? सम्पूर्ण अवस्था की प्राप्ति के बाद अब के पुरुषार्थी जीवन की भिन्नता रहेगी? आजकल की जो भिन्नता है वह एकता में लानी है। एकता के लिए वर्तमान की भिन्नता को मिटाना ही पड़ेगा। बापदादा इस भिन्नता को देखते हुए भी एकता को देखते हैं। एकता होने का साधन है – दो बातें लानी पड़ें। एक तो एक्नामी बन सदैव हर बात में एक का ही नाम लो, एक्नामी और इकॉनमी वाले बनना है। इकॉनमी कौन सी? संकल्पों की भी इकॉनमी चाहिए और समय की भी और ज्ञान के खजाने की भी इकॉनमी चाहिए। सभी प्रकार की इकॉनमी जब सिख जायेंगे। फिर क्या हो जायेगा? फिर मैं समाकर एक बाप में सभी भिन्नता समा जाएगी। एक में समाने की शक्ति चाहिए। समझा। यह पुरुषार्थ अगर कम है तो इतना ही इसको ज्यादा करना है। कोई भी कार्य होता है उसमें कोई भी अपनापन न हो। एक ही नाम हो। तो फिर क्या होगा? बाबा-कहने से माया भाग जाती है। मैं-मैं कहने से माया मार देती है। इसलिए पहले भी सुनाया था कि हर बात में भाषा को बदली करो। बाबा-बाबा की ढाल सदा सदैव अपने साथ रखो। इस ढाल से फिर जो भी विघ्न हैं वह ख़त्म हो जायेंगे। साथ-साथ इकॉनमी करने से व्यर्थ संकल्प नहीं चलेंगे। और न व्यर्थ संकल्पों की टक्कर होगा। यह है स्पष्टीकरण। अच्छा। जो भी जानेवाले हैं वह क्या करके जायेंगे? जो कोई जहाँ से जाते हैं तो जहाँ से जाना होता है वहां अपना यादगार देकर जाना होता है। तो जो भी जाते हैं उन्हों को अपना कोई न कोई विशेष यादगार देकर जाना है।
सरल याद किसको रहती है? मालूम है? जितना जो स्वयं सरल होंगे उतना याद भी सरल रहती है। अपने में सरलता की कमी के कारण याद भी सरल नहीं रहती है। सरल चित्त कौन रह सकेगा? जितना हर बात में जो स्पष्ट होगा अर्थात् साफ़ होगा उतना सरल होगा। जितना सरल होगा उतना सरल याद भी होगी। और दूसरों को भी सरल पुरुषार्थी बना सकेंगे। जो जैसा स्वयं होता है वैसे ही उनकी रचना में भी वही संस्कार होते हैं तो हरेक को अपना विशेष यादगार देकर जाना है।
अच्छा !!!
26-06-70 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
“कामधेनु का अर्थ”
अपने को साक्षात्कार मूर्त समझती हो? मूर्ति के पास किसलिए जाते हैं? अपने मन की कामनाओं की पूर्ति के लिए। ऐसे साक्षात्कार मूर्त बने हो जो कोई आत्मा में किसी भी प्रकार की कामनाएं हों, उनकी पूर्ति कर सको। अल्पकाल की कामनाएं नहीं, सदाकाल की कामनाएं पूरी कर सकती हो? कामधेनु माताओं को कहा जाता है ना। कामधेनु का अर्थ ही है – सर्व की मनोकामनाएं पूरी करनेवाली। जिसकी अपनी सर्व कामनाएं पूरी होंगी, वही औरों की कामनाएं पूरी कर सकेंगी। सदैव यही लक्ष्य रखो कि हमको सर्व की कामनाएं पूर्ण करनेवाली मूर्ति बनना है। सर्व की इच्छाएं पूर्ण करने वाले स्वयं इच्छा मात्रं अविद्या होंगे। ऐसा अभ्यास करना है। प्राप्ति स्वरुप बनने से औरों को प्राप्ति करा सकते हो। तो सदैव अपने को दाता अथवा महादानी समझना है। महाज्ञानी बनने के बाद महादानी का कर्तव्य चलता है। महाज्ञानी की परख महादानी बनने से होती है। सैर करना अच्छा लगता है। जिन्हों को सैर करने की आदत होती है, वह सदैव सैर करते हैं। यहाँ भी ऐसे है। जितना स्वयं सैर करेंगे उतना औरों को भी बुद्धियोग से सैर कराएँगे। आप लोगों से साक्षात्कार होना है। जैसे साकार रूप के सामने आने से हरेक को भावना अनुसार साक्षात्कार वा अनुभव होता था। ऐसे आप लोगों द्वारा भी सेकंड बाई सेकंड अनेक अनुभव वा साक्षात्कार होंगे। ऐसे दर्शनीय मूर्त वा साक्षात्कार मूर्त तब बनेंगे जब अव्यक्त आकृति रूप दिखायेंगे। कोई भी सामने आये तो उसे शरीर न दिखाई दे लेकिन सूक्ष्मवतन में प्रकाशमय रूप दिखाई दे। सिर्फ मस्तक की लाइट नहीं लेकिन सारे शरीर द्वारा लाइट के साक्षात्कार होंगे। जब लाइट ही लाइट देखेंगे तो स्वयं भी लाइट रूप हो जायेंगे।
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QUIZ QUESTIONS
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प्रश्न 1 :- बापदादा बच्चों की किन दो अवस्थाओं को स्पष्ट देख रहे है ?
प्रश्न 2 :- बापदादा बच्चों को फलस्वरूप बनने का इशारा क्यों दे रहे है ?
प्रश्न 3 :- पुरुषार्थ जीवन की भिन्नता को मिटाने का सहज उपाय बापदादा ने क्या बताया है ?
प्रश्न 4 :- कामधेनु बनने का लक्ष्य रखने का इशारा बापदादा ने क्यों दिया है ?
प्रश्न 5 :- बापदादा साक्षात्कारमूर्त बनने का इशारा क्यों दे रहे है ? साक्षात्कारमूर्त आत्मा की निशानी क्या होगी ?
FILL IN THE BLANKS:-
( महाज्ञानी, प्राप्ति, चित्त, अवस्था, नॉलेजफुल, पुरुषार्थ, वाणी, पुरुषार्थी, महादानी, परख, भगवान्, संकल्प, स्पष्ट, दाता, कर्तव्य )
1 बापदादा सभी को मास्टर ________ बनाने की पढ़ाई पढ़ाते हैं। प्रैक्टिकल में ________ के जितना साकार सम्बन्ध में नजदीक आएंगे उतना ________ में भी नजदीक आयेंगे।
2 ऐसी ________ अब आने वाली है। जो कोई के ________ को ऐसे ही स्पष्ट जान लेंगे जैसे ________ द्वारा सुनने के बाद जाना जाता है।
3 सरल ________ कौन रह सकेगा? जितना हर बात में जो ________ होगा अर्थात् साफ़ होगा उतना सरल होगा। जितना सरल होगा उतना सरल याद भी होगी। और दूसरों को भी सरल ________ बना सकेंगे।
4 ________ स्वरुप बनने से औरों को प्राप्ति करा सकते हो। तो सदैव अपने को ________ अथवा ________ समझना है।
5 ________ बनने के बाद महादानी का ________ चलता है। महाज्ञानी की ________ महादानी बनने से होती है।
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-
1 :- भिन्नता के लिए वर्तमान की एकता को मिटाना ही पड़ेगा।
2 :- जो जैसा स्वयं होता है वैसे ही उनकी रचना में भी वही संस्कार होते हैं।
3 :- दर्शनीय मूर्त वा साक्षात्कार मूर्त तब बनेंगे जब व्यक्त आकृति रूप दिखायेंगे।
4 :- जिसकी अपनी सर्व कामनाएं पूरी होंगी, वही औरों की कामनाएं पूरी कर सकेंगी।
5 :- जितना जो स्वयं सरल होंगे उतना याद भी सरल रहती है।
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QUIZ ANSWERS
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प्रश्न 1 :- बापदादा बच्चों की किन दो अवस्थाओं को स्पष्ट देख रहे है ?
उत्तर 1 :- मास्टर जानी-जाननहार यह डिग्री भी यथायोग्य यथा शक्तिशाली को प्राप्त होती है। तो बापदादा हरेक पुरूषार्थी के जानी-जाननहार की डिग्री प्राप्त करने के पुरुषार्थ में, एक तो रहे हुए मार्जिन को देख रहे है। दूसरा- मार्जिन कितनी है और माईट कितनी है देख रहे है क्योंकि मार्जिन और माइट का एक दो से संबंध है।
प्रश्न 2 :- बापदादा बच्चो को फलस्वरूप बनने का इशारा क्यों दे रहे है ?
उत्तर 2 :- बापदादा बच्चो को फलस्वरूप बनने का इशारा इसलिए दे रहे है क्योंकि -
..❶ भिन्न-भिन्न पुरुषार्थियों की भिन्न-भिन्न स्थिति देख बापदादा सोचते है कि पुरूषार्थ में रही हुई मार्जिन को दूर करने के लिए अब फलस्वरूप दिखना है।
..❷ वृक्ष से मेहनत फल के लिए करते हैं ना। बीज (आत्मा )तो अविनाशी है। अविनाशी बीज को संग का जल देना है। तो जो ज्ञान की परवरिश ली है उनकी रिजल्ट फलस्वरुप बनना है।
प्रश्न 3 :- पुरुषार्थ जीवन की भिन्नता को मिटाने का सहज उपाय बापदादा ने क्या बताया है ?
उत्तर 3 :- पुरूषार्थी जीवन की भिन्नता को मिटाने का सहज उपाय है आजकल की जो भिन्नता है वह एकता में लानी है। एकता होने का साधन है – एकनामी और इकनॉमी वाले बनना। आगे इस संबंध में बाबा ने आगे बताया कि -
..❶ मैं-मैं कहने से माया मार देती है। बाबा-कहने से माया भाग जाती है। हर बात में भाषा को बदली करो। बाबा-बाबा की ढाल सदा सदैव अपने साथ रखो। इस ढाल से फिर जो भी विघ्न हैं वह ख़त्म हो जायेंगे। तो एकनामी बन सदैव हर बात में एक का ही नाम लो।
..❷ संकल्पों की भी इकॉनमी चाहिए और समय की भी और ज्ञान के खजाने की भी इकॉनमी चाहिए। इकॉनमी करने से व्यर्थ संकल्प नहीं चलेंगे। और न व्यर्थ संकल्पों की टक्कर होगा।
प्रश्न 4 :- कामधेनु बनने का लक्ष्य रखने का इशारा बापदादा ने क्यों दिया है ?
उत्तर 4 :- कामधेनु बनने का लक्ष्य रखने का इशारा देते बापदादा ने समझाया कि -
..❶ कामधेनु का अर्थ ही है – सर्व की मनोकामनाएं पूरी करनेवाली। इसलिए सदैव यही लक्ष्य रखो कि हमको सर्व की कामनाएं पूर्ण करनेवाली साक्षात्कार मूर्ति बनना है।
..❷ सर्व की इच्छाएं पूर्ण करने वाले स्वयं इच्छा मात्रं अविद्या होंगे।
प्रश्न 5 :- बापदादा साक्षात्कारमूर्त बनने का इशारा क्यों दे रहे है ? साक्षात्कारमूर्त आत्मा की निशानी क्या होगी ?
उत्तर 5 :- बापदादा साक्षात्कारमूर्त बनने का इशारा देते हुये हम बच्चो को समझाया कि आप लोगों से साक्षात्कार होना है। जैसे बाप के साकार रूप के सामने आने से हरेक को भावना अनुसार साक्षात्कार वा अनुभव होता था। ऐसे आप लोगों द्वारा भी सेकंड बाई सेकंड अनेक अनुभव वा साक्षात्कार होंगे।
साक्षात्कारमूर्त आत्मा की निशानी प्रति बापदादा ने बताया कि कोई भी सामने आये तो उसे शरीर न दिखाई दे लेकिन सूक्ष्मवतन में प्रकाशमय रूप दिखाई दे। सिर्फ मस्तक की लाइट नहीं लेकिन सारे शरीर द्वारा लाइट के साक्षात्कार होंगे। जब लाइट ही लाइट देखेंगे तो स्वयं भी लाइट रूप हो जायेंगे।
FILL IN THE BLANKS:-
( महाज्ञानी, प्राप्ति, चित्त, अवस्था, नॉलेजफुल, पुरुषार्थ, वाणी, पुरुषार्थी, महादानी, परख, भगवान्, संकल्प, स्पष्ट, दाता, कर्तव्य )
1 बापदादा सभी को मास्टर ________ बनाने की पढ़ाई पढ़ाते हैं। प्रैक्टिकल में ________ के जितना साकार सम्बन्ध में नजदीक आएंगे उतना ________ में भी नजदीक आयेंगे।
.. नॉलेजफुल / भगवान् / पुरुषार्थ
2 ऐसी ________ अब आने वाली है। जो कोई के ________ को ऐसे ही स्पष्ट जान लेंगे जैसे ________ द्वारा सुनने के बाद जाना जाता है।
.. अवस्था / संकल्प / वाणी
3 सरल ________ कौन रह सकेगा? जितना हर बात में जो ________ होगा अर्थात् साफ़ होगा उतना सरल होगा। जितना सरल होगा उतना सरल याद भी होगी। और दूसरों को भी सरल ________ बना सकेंगे।
.. चित्त / स्पष्ट / पुरुषार्थी
4 ________ स्वरुप बनने से औरों को प्राप्ति करा सकते हो। तो सदैव अपने को ________ अथवा ________ समझना है।
.. प्राप्ति / दाता / महादानी
5 ________ बनने के बाद महादानी का ________ चलता है। महाज्ञानी की ________ महादानी बनने से होती है।
.. महाज्ञानी / कर्तव्य / परख
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-【✔】 【✖】
1 :- भिन्नता के लिए वर्तमान की एकता को मिटाना ही पड़ेगा। 【✖】
.. एकता के लिए वर्तमान की भिन्नता को मिटाना ही पड़ेगा।
2 :- जो जैसा स्वयं होता है वैसे ही उनकी रचना में भी वही संस्कार होते हैं। 【✔】
3 :- दर्शनीय मूर्त वा साक्षात्कार मूर्त तब बनेंगे जब व्यक्त आकृति रूप दिखायेंगे। 【✖】
.. दर्शनीय मूर्त वा साक्षात्कार मूर्त तब बनेंगे जब अव्यक्त आकृति रूप दिखायेंगे।
4 :- जिसकी अपनी सर्व कामनाएं पूरी होंगी, वही औरों की कामनाएं पूरी कर सकेंगी। 【✔】
5 :- जितना जो स्वयं सरल होंगे उतना याद भी सरल रहती है। 【✔】