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AVYAKT MURLI
29 / 05 / 70
11 / 06 / 70
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29-05-70 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
“समीप रत्नों की निशानियां”
समय कितना समीप पहुँचा हुआ दिखाई पड़ता है, हिसाब निकाल सकते हो? भविष्य लक्षण के साथ सम्पूर्ण स्वरूप का लक्षण भी सामने रहता है? समीप का लक्षण क्या होगा? जैसे कोई शरीर छोड़ने वाले होते हैं तो कई लोगों को मालूम पड़ता है। आप भी ऐसे अनुभव करेंगे कि यह शरीर जैसे कि अलग है। इसको हम धारण कर चला रहे हैं। समीप रत्न की समीप आने की निशानी यही होगी। सदैव अपना आकरी रूप और भविष्य रूप सामने देखते रहेंगे। प्रैक्टिकल में अनुभव होगा। लाइट का फ़रिश्ता स्वरूप सामने दिखाई देगा कि ऐसा बनना है और भविष्य रूप भी दिखाई देगा। अब यह छोड़ा और वह लिया। जब ऐसी अनुभूति हो तब समझो की सम्पूर्णता के समीप हैं। एक आँख में सम्पूर्ण स्वरुप और दूसरी आँख में भविष्य स्वरुप। ऐसा प्रत्यक्ष देखने में आएगा। जैसे अपना यह स्वरुप प्रत्यक्ष अनुभव होता है। बैठे-बैठे ऐसे अनुभव करेंगे जैसे कि यहाँ नहीं लेकिन उस सम्पूर्ण स्वरुप में बैठे हैं। यह पुरुषार्थी शरीर एकदम मर्ज हो जायेगा। वह दोनों इमर्ज होंगे। एक तरफ अव्यक्त दूसरी तरफ भविष्य। जब पहले ऐसा अनुभव आप लोग करेंगे तब दूसरों को भी अनुभव होगा। जैसे एक वस्त्र छोड़ कर दूसरा लिया जाता हैं। वैसे ही अनुभव करेंगे। यह मर्ज हो वह इमर्ज होगा। यह भूलता जायेगा। इस अवस्था में विल पॉवर भी होती है। जैसे विल किया जाता है ना ! तो विल करने के बाद ऐसा अनुभव होता है जैसे मेरापन सभी ख़त्म हो गया। जिम्मेवारी उतर गयी। विल पॉवर भी आती है और यह भी अनुभव होता है जैसे सभी कुछ विल कर चुके। संकल्प सहित सब विल हो जाये। शरीर का भान छोड़ना और संकल्प तब बिल्कुल विल करना – यह है माईट। फिर समानता की अवस्था होगी। समानता वा सम्पूर्णता एक बात ही है। अभी यह चार्ट रखना है। वह चार्ट तो कॉमन है। यह 5 तत्त्वों का शरीर होते हुए भी लाइट स्वरुप अनुभव करेंगे। सुनाया था ना कि लाइट शब्द के अर्थ में भी अन्तर होता है। लाइट अर्थात् हल्कापन भी होता है और लाइट अर्थात् ज्योति भी कहा जाता है। बिल्कुल हल्कापन अर्थात् लाइट रूप हो चल रहे हैं, हम तो निमित्त हैं। अव्यक्त रूप में तो हर बात में मदद मिलती है। अच्छा।
पार्टियों से –:
1 - सभी का पुरुषार्थ ठीक चल रहा है? किस नंबर का लक्ष्य रखा है? (फर्स्ट) फर्स्ट नंबर के लिए मालूम है क्या करना पड़ता है? फर्स्ट नंबर लेने के लिए विशेष फ़ास्ट रखना पड़ता है। फ़ास्ट के दो अर्थ होते हैं। एक फ़ास्ट व्रत को भी कहा जाता है। तो विशेष कौनसा व्रत रखना है?(पवित्रता का) यह व्रत तो कॉमन है। यह व्रत तो सभी रखते हैं। फर्स्ट आने के लिए विशेष व्रत रखना है कि एक बात दूसरा न कोई। हर बात में एक की ही स्मृति आये। जब यह फ़ास्ट रखेंगे तो फर्स्ट आ जायेंगे। दूसरा फ़ास्ट – जल्दी चलने को भी कहा जाता है अर्थात् तीव्र पुरुषार्थ।
महारथी उसको कहा जाता है जो सदैव माया पर विजय प्राप्त करे। माया को सदा के लिए विदाई दे दो। विघ्नों को हटाने की पूरी नॉलेज है? सर्वशक्तिमान के बच्चे मास्टर सर्वशक्तिमान हो। तो नॉलेज के आधार पर विघ्न हटाकर सदैव मगन अवस्था रहे। अगर विघ्न हटते नहीं हैं तो ज़रूर शक्ति प्राप्त करने में कमी है। नॉलेज ली है लेकिन उसको समाया नहीं है। नॉलेज को समाना अर्थात् स्वरुप बनना। जब समझ से कर्म होगा तो उसका फल सफलता अवश्य निकलेगी।
2 – तीव्र पुरुषार्थी के क्या लक्षण होते हैं? समझाया था ना कि फरमानबरदार किसको कहा जाता है? जिसका संकल्प भी बिगर फरमान के नहीं चलता। ऐसे फरमानबरदार को ही तीव्र पुरुषार्थी कहा जाता है। सर्वशक्तिमान बाप के बच्चे जो शक्तिमान हैं, उन्हों के आगे माया भी दूर से ही सलाम कर विदाई ले लेती है। वल्लभाचारी लोग अपने शिष्यों को छूने भी नहीं देते हैं। अछूत अगर छू लेता है तो स्नान किया जाता है। यहाँ भी ज्ञान स्नान कर ऐसी शक्ति धारण करो जो अछूत नजदीक न आयें। माया भी क्या है? अछूत।
अच्छा !!!
11-06-70 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
“विश्वपति बनने की सामग्री”
आज सतगुरुवार के दिवस किस लिए विशेष बुलाया है? आज कुमारियों का कौन-सा दिवस है? (समाप्ति समारोह) समाप्ति समारोह नहीं है लेकिन आज का सतगुरूवार का दिन विश्वपति बनने की शुभ अविनाशी दशा बैठने का दिवस है। समझा। तो आज बापदादा विश्वपति बनाने की क्या सामग्री लाये होंगे? जब कोई समारोह होता है तो उसमें सामग्री भी होती है। तो आज विश्वपति बनाने के समारोह में विशेष क्या सामग्री लाये हैं? ताज, तख़्त और तिलक। फिर इन तीनों को धारण करने की हिम्मत है? ताज को धारण करने लिए तख़्त पर विराज़मान होने के लिए और तिलक को धारण करने के लिए क्या करना पड़ेगा? अगर यह धारण करने की हिम्मत है तो उसके लिए क्या करना पड़ेगा? एक तो त्याग, दूसरा तपस्या और सेवा। तिलक को धारण करने के लिए तपस्या और ताज को धारण करने के लिए त्याग और तख़्त पर विराज़मान होने के लिए जितनी सेवा करेंगे उतना अब भी तख़्त नशीन और भविष्य में भी तख़्त नशीन बनेंगे। इन तीनों बातों से ही तीनों चीज़ें धारण कर सकेंगे। अगर एक भी धारणा कम है तो फिर विश्वपति नहीं बन सकेंगे। समझा। तो इन तीनों गुणों की अपने में सम्पूर्ण धारणा की है? तीनों में से एक भी छूटे नहीं तब शूरवीर का जो नाम दिया है वह कार्य कर सकेंगी? तीनों की प्रतिज्ञा की है? त्याग किसका करेंगे? सभी से बड़े से बड़ा त्याग क्या है? अब सर्विस पर उपस्थित हो रही हो तो उसके लिए मुख्य यही धारणा रखना है कि मैं पन का त्याग। मैंने किया, मैं यह जानती हूँ, मैं यह कर सकती हूँ, यह मैं पन का जो अभिमान है उसका त्याग करना है। मैं के बजाय बापदादा की सुनाई हुई ज्ञान की बातों को वर्णन करो। मैं यह जानती हूँ। नहीं। बापदादा द्वारा यह जाना है। ज्ञान में चलने के बाद जो स्व अभिमान आ जाता हैं, उसका भी त्याग। जब इतनी त्याग की वृत्ति और दृष्टि होगी तब सदैव स्मृति में बाप और दादा रहेगा और मुख पर भी यही बोल रहेंगे। समझा। तब विश्वपति बन सकेंगी। विश्व की सर्विस कर सकेंगी।
अपनी धारणा को अविनाशी बनाने के लिए वा सदा कायम रखने के लिए दो बातें याद रखनी है। कौन सी? विशेष कन्याओं के लिए हैं। एक तो सभी बातों में सिम्पल रहना और अपने को सैम्पल समझना। जैसे आप सैम्पल बन दिखायेंगे वैसे ही अनेक आत्माएं भी यह सौदा करने के लिए पात्र बनेंगी। इसलिए यह दो बातें सदैव याद रखो। अपने को ऐसा श्रेष्ठ सैम्पल बनाया है? जो अच्छा सैम्पल निकलता है उनको फिर छाप भी लगाई जाती है। आप कौन सी छाप लगाकर जाएँगी, जो कभी मिटे नहीं? शिवशक्तियां और ब्रह्माकुमारियाँ। साकार में दो निमित्त बनी हुई बड़ी अथॉरिटी यह छाप लगा रही हैं। इसलिए यह याद रखना कि मिटेंगे लेकिन कब हटेंगे नहीं। संस्कारों में, चाहे सर्विस में, चाहे सम्बन्ध में सर्व बातों में अपने को मिटायेंगे लेकिन हटेंगे नहीं। हटना कमजोरी का काम है। शिवशक्तियाँ अपने को मिटाती हैं न कि हटती हैं। तो यह बातें याद रखनी हैं। फिर इस ग्रुप का प्रैक्टिकल पेपर कब होगा? अभी का रिजल्ट फाइनल का नहीं हैं। अभी तो पेपर देने के लिए जा रहे हो। फिर उसकी रिजल्ट देखेंगे। यह ग्रुप आगे कदम बढ़ा सकता है। बापदादा ऐसी उम्मीद रखते हैं। इसलिए अब ऐसा समझो कि जो भी कर्मबन्धन हैं उसको बहुत जल्दी काटकर फिर मधुबन में सम्पूर्ण समर्पण का समारोह मनाने आना है। इस लक्ष्य से जाना है। फिर इस ग्रुप से कितनों का सम्पूर्ण समर्पण का समारोह होता है। आज तो महाबली बनने की बातें सुनाई हैं। फिर महाबली चढ़ने के लिए आयेंगे तो बाप-दादा खूब सजायेंगे।सजाकर फिर स्वाहा करना होता है। जितना बाप-दादा के स्नेही उतना फिर सहयोगी भी बनना है। सहयोगी तब बनेंगे जब अपने में सर्वशक्तियों को धारण करेंगे। फिर स्वाहा होना सहज होगा। जो भी कोई शक्ति की कमी हो तो वह आज के दिन ही अपने में भरकर जाना। कोई भी कमी साथ ले न जाना। अभी सिर्फ हिसाब-किताब चुक्तू करने जाते हो। सर्वशक्तियां अपने में भरकर जायेंगे तब चुक्तू कर सकेंगे ना। तो अब फाइनल पेपर के नंबर्स तो जब प्रैक्टिकल कर दिखायेंगे तब निकलेंगे।
अच्छा !!!
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QUIZ QUESTIONS
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प्रश्न 1 :- समीप रत्न की समीप आने की निशानी क्या होगा?
प्रश्न 2 :- विश्वपति बनाने के समारोह में विशेष क्या सामग्री चाहिए? वो धारण करने के संबन्ध आज बाबा के महावाक्य क्या हैं?
प्रश्न 3 :- सभी से बड़े से बड़ा त्याग क्या है? आज की मुरली द्वारा विस्तार कीजिए।
प्रश्न 4 :- अपनी धारणा को अविनाशी बनाने के लिए वा सदा कायम रखने के लिए कौन सी दो बातें याद रखनी है?
प्रश्न 5 :- फर्स्ट नंबर के लिए हमें क्या करना पड़ता है?
FILL IN THE BLANKS:-
( लाइट, संकल्प, हल्कापन, तीव्र, फरमानबरदार, ज्योति, अछूत, माया, बिल्कुल, सलाम, माईट, ज्ञान, शक्तिमान, पुरुषार्थी, नजदीक )
1 शरीर का भान छोड़ना और _____ तब _____ विल करना – यह है _____।
2 _____ अर्थात् _____ भी होता है और लाइट अर्थात् _____ भी कहा जाता है।
3 सर्वशक्तिमान बाप के बच्चे जो _____ हैं, उन्हों के आगे _____ भी दूर से ही _____ कर विदाई ले लेती है।
4 यहाँ भी _____ स्नान कर ऐसी शक्ति धारण करो जो _____ _____ न आयें।
5 जिसका संकल्प भी बिगर फरमान के नहीं चलता। ऐसे _____ को ही _____ _____ कहा जाता है।
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-
1 :- शिवशक्तियाँ अपने को मिटाती हैं न कि हटती हैं।
2 :- महारथी उसको कहा जाता है जो सदैव माया पर विजय प्राप्त करे।
3 :- समानता वा सम्पूर्णता एक बात ही नही।
4 :- सहयोगी तब बनेंगे जब अपने में सर्वशक्तियों को धारण करेंगे।
5 :- मिटाना कमजोरी का काम है।
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QUIZ ANSWERS
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प्रश्न 1 :- समीप रत्न की समीप आने की निशानी क्या होगा?
उत्तर 1 :- समीप रत्न की समीप आने की निशानी यही होगी कि -
..❶ जैसे कोई शरीर छोड़ने वाले होते हैं तो कई लोगों को मालूम पड़ता है। आप भी ऐसे अनुभव करेंगे कि यह शरीर जैसे कि अलग है। इसको हम धारण कर चला रहे हैं।
..❷ सदैव अपना आकरी रूप और भविष्य रूप सामने देखते रहेंगे। प्रैक्टिकल में अनुभव होगा।
..❸ लाइट का फ़रिश्ता स्वरूप सामने दिखाई देगा कि ऐसा बनना है और भविष्य रूप भी दिखाई देगा।
..❹ अब यह छोड़ा और वह लिया। जब ऐसी अनुभूति हो तब समझो की सम्पूर्णता के समीप हैं।
..❺ एक आँख में सम्पूर्ण स्वरुप और दूसरी आँख में भविष्य स्वरुप। ऐसा प्रत्यक्ष देखने में आएगा। जैसे अपना यह स्वरुप प्रत्यक्ष अनुभव होता है।
..❻ बैठे-बैठे ऐसे अनुभव करेंगे जैसे कि यहाँ नहीं लेकिन उस सम्पूर्ण स्वरुप में बैठे हैं। यह पुरुषार्थी शरीर एकदम मर्ज हो जायेगा।
..❼ वह दोनों इमर्ज होंगे। एक तरफ अव्यक्त दूसरी तरफ भविष्य। जब पहले ऐसा अनुभव आप लोग करेंगे तब दूसरों को भी अनुभव होगा।
..❽ जैसे एक वस्त्र छोड़ कर दूसरा लिया जाता हैं। वैसे ही अनुभव करेंगे। यह मर्ज हो वह इमर्ज होगा। यह भूलता जायेग।
प्रश्न 2 :- विश्वपति बनाने के समारोह में विशेष क्या सामग्री चाहिए? वो धारण करने के संबन्ध आज बाबा के महावाक्य क्या हैं?
उत्तर 2 :- विश्वपति बनाने के समारोह में विशेष ताज, तख़्त और तिलक चाहिए।
ये तीनों धारण करने के संबध बाबा के महावाक्य ऐसा है कि
..❶ तिलक को धारण करने के लिए तपस्या और ताज को धारण करने के लिए त्याग और तख़्त पर विराज़मान होने के लिए जितनी सेवा करेंगे उतना अब भी तख़्त नशीन और भविष्य में भी तख़्त नशीन बनेंगे।
..❷ इन तीनों बातों से ही तीनों चीज़ें धारण कर सकेंगे।
..❸ अगर एक भी धारणा कम है तो फिर विश्वपति नहीं बन सकेंगे।
प्रश्न 3 :- सभी से बड़े से बड़ा त्याग क्या है? आज की मुरली द्वारा विस्तार कीजिए।
उत्तर 3 :- बडे़ से बडे त्याग के संबन्ध बाबा कहते है कि
..❶ अब सर्विस पर उपस्थित हो रही हो तो उसके लिए मुख्य यही धारणा रखना है कि मैं पन का त्याग।
..❷ मैंने किया, मैं यह जानती हूँ, मैं यह कर सकती हूँ, यह मैं पन का जो अभिमान है उसका त्याग करना है।
..❸ मैं के बजाय बापदादा की सुनाई हुई ज्ञान की बातों को वर्णन करो। मैं यह जानती हूँ। नहीं। बापदादा द्वारा यह जाना है।
..❹ ज्ञान में चलने के बाद जो स्व अभिमान आ जाता हैं, उसका भी त्याग।
..❺ जब इतनी त्याग की वृत्ति और दृष्टि होगी तब सदैव स्मृति में बाप और दादा रहेगा और मुख पर भी यही बोल रहेंगे।
प्रश्न 4 :- अपनी धारणा को अविनाशी बनाने के लिए वा सदा कायम रखने के लिए कौन सी दो बातें याद रखनी है?
उत्तर 4 :- अपनी धारणा को अविनाशी बनाने के लिए वा सदा कायम रखने के लिए ये दो बातें याद रखनी है कि एक तो सभी बातों में सिम्पल रहना और अपने को सैम्पल समझना। जैसे आप सैम्पल बन दिखायेंगे वैसे ही अनेक आत्माएं भी यह सौदा करने के लिए पात्र बनेंगी। इसलिए यह दो बातें सदैव याद रखो।
प्रश्न 5 :- फर्स्ट नंबर के लिए हमें क्या करना पड़ता है?
उत्तर 5 :- फर्स्ट नंबर के लिए हमें ऐसा करना पड़ता है कि
..❶ फर्स्ट नंबर लेने के लिए विशेष फ़ास्ट रखना पड़ता है।
..❷ फ़ास्ट के दो अर्थ होते हैं। एक फ़ास्ट व्रत को भी कहा जाता है। तो विशेष कौनसा व्रत रखना है?(पवित्रता का) यह व्रत तो कॉमन है। यह व्रत तो सभी रखते हैं।
..❸ फर्स्ट आने के लिए विशेष व्रत रखना है कि एक बाप दूसरा न कोई। हर बात में एक की ही स्मृति आये। जब यह फ़ास्ट रखेंगे तो फर्स्ट आ जायेंगे।
..❹ दूसरा फ़ास्ट – जल्दी चलने को भी कहा जाता है अर्थात् तीव्र पुरुषार्थ।
FILL IN THE BLANKS:-
( लाइट, संकल्प, हल्कापन, तीव्र, फरमानबरदार, ज्योति, अछूत, माया, बिल्कुल, सलाम, माईट, ज्ञान, शक्तिमान, पुरुषार्थी, नजदीक )
1 शरीर का भान छोड़ना और _____ तब _____ विल करना – यह है _____।
.. संकल्प / बिल्कुल / माईट
2 _____ अर्थात् _____ भी होता है और लाइट अर्थात् _____ भी कहा जाता है।
.. लाइट / हल्कापन / ज्योति
3 सर्वशक्तिमान बाप के बच्चे जो _____ हैं, उन्हों के आगे _____ भी दूर से ही _____ कर विदाई ले लेती है।
.. शक्तिमान / माया / सलाम
4 यहाँ भी _____ स्नान कर ऐसी शक्ति धारण करो जो _____ _____ न आयें।
.. ज्ञान / अछूत / नजदीक
5 जिसका संकल्प भी बिगर फरमान के नहीं चलता। ऐसे _____ को ही _____ _____ कहा जाता है।
.. फरमानबरदार / तीव्र पुरुषार्थी
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-【✔】 【✖】
1 :- शिवशक्तियाँ अपने को मिटाती हैं न कि हटती हैं।【✔】
2 :- महारथी उसको कहा जाता है जो सदैव माया पर विजय प्राप्त करे।【✔】
3 :- समानता वा सम्पूर्णता एक बात ही नही।【✖】
.. समानता वा सम्पूर्णता एक बात ही है।
4 :- सहयोगी तब बनेंगे जब अपने में सर्वशक्तियों को धारण करेंगे।【✔】
5 :- मिटाना कमजोरी का काम है।【✖】
.. हटना कमजोरी का काम है।