==============================================================================
AVYAKT MURLI
02 / 07 / 70
=============================================================================
02-07-70 ओम शान्ति अव्यक्त बापदादा मधुबन
“साइलेंस बल का प्रयोग”
स्नेह और शक्ति रूप अपने को समझते हो? शक्तियों का कर्तव्य क्या होता है, मालूम है? शक्तियों के मुख्य दो गुण गाये जाते हैं। वह कौन से? आपकी यादगार में विशेष क्या देखते हैं? शक्तियों की मूर्त में मुख्य विशेषता क्या होती है? स्वयं शक्तियाँ हो और अपनी विशेषता मालूम नहीं है। शक्तियों की विशेषता यह होती है कि जितना ही प्रेममूर्त उतना ही संहारीमूर्त होती है। शक्तियों के नयन सदैव प्रेममूर्त होते हैं, लेकिन जितना ही प्रेममूर्त उतना ही विकराल रूप भी होते हैं। एक सेकंड में किसको भी प्रेममूर्त भी बना सकती तो एक सेकंड में किसका विनाश भी कर सकती हैं। तो ऐसे ही दोनों गुण अपने में देखती हो? दोनों गुण प्रत्यक्ष रूप में आते हैं व गुप्त रूप में? प्रेमरूप प्रत्यक्ष और शक्ति रूप गुप्त है। फिर वह विकराल रूप कब प्रत्यक्ष करेंगे? मालूम है? आजकल बापदादा विशेष स्लोगन कौन सा देते हैं? कब नहीं लेकिन अब करेंगे। कब शब्द कमज़ोर बोलते हैं। बहादुर शक्तियाँ तो बोलती हैं अब। जैसे स्वयं अविनाशी इम्पैरिशिबुल हैं वैसे ही इस माया में फँस कर विनाश को प्राप्त होना उन्हों के लिए इम्पॉसिबल है। जो इम्पैरिशिबुल हैं उनके लिए माया की कोई भी लहर में लहराना भी इम्पॉसिबल हैं। जो इम्पैरिशिबुल स्थिति में रहते हैं उन्हों के लिए माया के कोई भी स्वरुप से झुकाव में आना इम्पॉसिबल है जैसे बापदादा के लिए इम्पॉसिबल कहेंगे। जो स्वयं झुकाव में आते होंगे उन्हों के आगे और कैसे झुकेंगे। सारे विश्व को अपने आगे झुकानेवाले हो ना। शेरनी शक्तियों का एक भी संकल्प या एक भी बोल व्यर्थ नहीं जा सकता। जो कहा वह किया। संकल्प और कर्म में अंतर नहीं होता। क्योंकि संकल्प भी जीवन का अनमोल खज़ाना है। जैसे स्थूल खजाने को व्यर्थ नहीं करते हो वैसे शिव शक्तियाँ जिनकी मूर्त में दोनों गुण प्रत्यक्ष रूप में हैं उन्हों का एक भी संकल्प व्यर्थ नहीं होता। एक-एक संकल्प से स्वयं का और सर्व का कल्याण होता है। एक सेकंड में, एक सेकंड से भी कल्याण कर सकते हैं। इसलिए शक्तियों को कल्याणी कहते हैं। जैसे बापदादा कल्याणकारी है वैसे बच्चों का भी कल्याणकारी नाम प्रसिद्द है। अब तो इतना हिसाब देखना पड़े। हमारे कितने सेकंड में, कितने संकल्प सफल हुए, कितने असफल हुए। जैसे आजकल साइंस ने बहुत उन्नति की है जो एक स्थान पर बैठे हुए अपने अस्त्रों द्वारा एक सेकंड में विनाश कर सकते हैं। तो क्या शक्तियों का यह साइलेंस बल कहाँ भी बैठे एक सेकंड में काम नहीं कर सकता? कहाँ जाने की अथवा उन्हों को आने की भी आवश्यकता नहीं। अपने शुद्ध संकल्पों द्वारा आत्माओं को खींचकर सामने लायेगा। जाकर मेहनत करने की आवश्यकता नहीं। अब ऐसे प्रभाव देखेंगे। जैसे साकार में कहते रहते थे कि ऐसा तीर लगाओ जो तीर सहित आप के सामने पक्षी आ जाये। अब यह होगा अपनी विलपॉवर से।
सबसे जास्ती दूर लाइट कौन सी जाती है? लाइट हाउस की। तो अब लाइट हाउस, सर्च लाइट बनना है। रिवाजी बल्ब नहीं। सर्चलाइट वह बन सकेंगे जो स्वयं को सर्च कर सकते हैं। जितना स्वयं को सर्च कर सकेंगे उतना ही सर्चलाइट बनेंगे। अगर स्वयं को सर्च नहीं कर सकते तो सर्चलाइट भी नहीं बन सकेंगे। अब तो वह समय आ गया है। अभी पावरफुल भी नहीं लेकिन विलपावर वाला बनना है। विलपावर और वाइडपावर अर्थात् बेहद की तरफ दृष्टि वृत्ति। तो अब एडिशन क्या करेंगे? पावर तो है लेकिन अब विलपावर और वाइडपावर चाहिए। आज बापदादा किस रूप से देख रहे हैं? उम्मीदों के सितारे। अभी हैं उम्मीदों के सितारे फिर बनेंगे सफलता के सितारे। तो वर्तमान भी देखते हैं और भविष्य भी देख रहे हैं। सफलता आप के गले की माला है। अपने गले में सफलता की माला दिखाई देती है? संगम पर कौनसा श्रृंगार है? सफलता की माला यथायोग्य यथाशक्ति हर एक के गले में पड़ी हुई है। तो बापदादा बच्चों के श्रृंगार को देखते हैं। श्रृंगारे हुए बच्चे अच्छे लगते हैं। बापदादा का अभी क्या संकल्प चल रहा है? बापदादा आप से क्या बोलनेवाले हैं, कैच कर सकती हो? आजकल बाप बुद्धि की ड्रिल कराने आते हैं। अभी मैदान पर प्रत्यक्ष होना है, अब गुप्त रहने का समय नहीं है। जितना प्रत्यक्ष होंगे उतना बापदादा को प्रख्यात करेंगे। बेहद में चक्कर लगाकर चक्रवर्ती बन रहे हो? जो एक स्थान पर बैठा रहता है उसको क्या कहा जाता है? जो एक ही स्थान पर स्थित हो सर्विस भी कर रहे हैं लेकिन बेहद में चक्र नहीं लगाते हैं तो भविष्य में भी उन्हों को एक इंडिविजुअल राजाई मिल जाएगी। बाप भी सर्व के सहयोगी बने न। विश्व का राजा वह बनेंगे जो विश्व की हर आत्मा से सम्बन्ध जोड़ेंगे और सहयोगी बनेंगे। जैसे बापदादा विश्व के स्नेही सहयोगी बने वैसे बच्चों को भी फॉलो फादर करना है। तब विश्व महाराजन की जो पदवी है उसमें आने के अधिकारी बन सकते हो। हिसाब है ना। जैसा और जितना, वैसा और उतना मिलता है। अब प्रतिज्ञा करके विशेष प्रत्यक्ष होना है। औरों को नहीं प्रख्यात करना है, बाप को प्रत्यक्ष करना है। जब प्रत्यक्ष होंगे तो प्रख्यात होंगे। विश्व अधिकारी बनने का लक्ष्य रखा है ना। अभी यही तीव्र पुरुषार्थ करना है। इस पुरानी दुनिया से बहुत सहज बेहद का वैराग लाने का साधन क्या है? (कोई-कोई ने बताया) जिन्हों ने जो बात सुनाई वह सहज समझ सुनाई ना। अगर सहज ही है तो बेहद के वैरागी तो सहज बन गए। अगर अपने से ही न लगाया तो दूसरों से कैसे लगायेंगे। बेहद का वैराग्य कहते हैं। जो वैरागी होते हैं वह कहाँ निवास करते हैं? बहुत सरल युक्ति बताते हैं कि बेहद का वैरागी बनना है तो सदैव अपने को मधुबन निवासी समझो। लेकिन मधुबन को खाली नहीं देखना। मधुबन है ही मधुसूदन के साथ। तो मधुबन याद आने से बापदादा, दैवी परिवार, त्याग-तपस्या और सेवा भी याद आ जाते हैं। मधुबन तपस्या भूमि भी है। मधुबन एक सेकंड में सभी से त्याग कराता है। यहाँ बेहद के वैरागी बन गए हो ना। तो मधुबन है ही त्यागी वैरागी बनाने वाला। जब बेहद के वैरागी बनेंगे तब बेहद की सर्विस कर सकेंगे। कहाँ भी लगाव न हो। अपने आप से भी लगाव नहीं लगाना है तो औरों की तो बातही छोड़ो।
आज आपस में रुह-रुहान हो रही थी बापदादा की। आज सवेरे-सवेरे एक नज़ारा वतन से देख रहे थे कि हरेक बच्चा कहाँ तक बंधा हुआ है और हरेक का बंधन कहाँ तक टूटा है। कहाँ तक नहीं टूटा है? किसकी तो मोटी रस्सियाँ भी हैं, किसके कम भी हैं, कोई के कच्चे धागे भी हैं। यह नज़ारा देख रहे थे कि किसके कच्चे धागे रह गए हैं, किसकी मोटी रस्सियाँ हैं, किसकी पतली भी हैं। लेकिन फिर भी कहेंगे तो बंधन ना। कोई न कोई कच्चा वा पक्का धागा है। कच्चा धागा भी बंधन तो कहेंगे ना। सिर्फ उन्हों को देरी नहीं लगेगी। मोटी रस्सी वाले को देरी भी लगेगी और मेहनत भी लगेगी। तो आज वतन से यह नज़ारा देख रहे थे। हरेक अपने आप को तो जान सकते हैं। मोटा रस्सा है वा पतला। कच्चा धागा है वा पक्का। बांधेली हो या स्वतंत्र? स्वतंत्र का अर्थ है स्पष्ट। फिर भी बापदादा हर्षित होते हैं। कमाल तो करते हो, लेकिन बापदादा उससे भी आगे देखने चाहते हैं। जितना आपके मुख पर बापदादा का नाम होगा उतना ही सभी के मुख पर आपका नाम होगा। मधुबन है ही परिवर्तन भूमि। तो परिवर्तन क्या करके जाना है, वह तो समझते हो ना।
अच्छा !!!
=============================================================================
QUIZ QUESTIONS
============================================================================
प्रश्न 1 :- शक्तियों की मूर्त में मुख्य विशेषता, गुण क्या होते हैं?
प्रश्न 2 :- बेहद का वैरागी बनना है तो अपने को क्या समझना है? व्याख्या कीजिए।
प्रश्न 3 :- विश्व का राजा, चक्रवर्ती कौन बन सकते हैं? स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न 4 :- शक्तियों के संकल्प की महिमा में बाबा ने क्या कहा है?
प्रश्न 5 :- अब कौन सी लाइट बनना है और वह कौन बन सकेंगे?
FILL IN THE BLANKS:-
( इम्पैरिशिबुल, वाइड, सफलता, मैदान, कमजोर, माया, उम्मीदों, विशेष, प्रत्यक्ष, बहादुर, प्रख्यात, वर्तमान, विलपावर, बापदादा, बेहद )
1 जो ________ हैं उनके लिए माया की कोई भी लहर में लहराना भी इम्पासिबुल है। जो इम्पैरिशिबुल स्थिति में रहते हैं उनके लिए ________ की कोई भी स्वरुप से झुकाव में आना इम्पासिबुल है जैसे ________ के लिए इम्पासिबुल कहेंगे।
2 अभी पावरफुल भी नहीं लेकिन ________ वाला बनना है। विलपावर और ________ पावर चाहिए। विलपावर और वाइडपावर अर्थात ________ की तरफ दृष्टि वृत्ति।
3 आज बापदादा किस रुप से देख रहे हैं? ________ के सितारे। अभी हैं उम्मीदों कि सितारे फिर बनेंगे ________ के सितारे। तो ________ भी देखते हैं और भविष्य भी देख रहे हैं।
4 आजकल बापदादा ________ स्लोगन कौन सा देते हैं? कब नहीं लेकिन अब करेंगे। कब शब्द ________ बोलते हैं। ________ शक्तियां तो बोलती हैं अब।
5 अभी ________ पर प्रत्यक्ष होना है, अब गुप्त रहने का समय नहीं है। जितना ________ होंगे उतना बापदादा को ________ करेंगे।
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-【✔️】【✖️】
1 :- स्वतंत्र का अर्थ है स्पष्ट।
2 :- सफलता आपके गले की माला है। अपने गले में सफलता की माला दिखाई देती है?
3 :- जब हद के वैरागी बनेंगे तब बेहद की सर्विस कर सकेंगे।
4 :- जितना आपके मुख पर राम का नाम होगा उतना ही सभी के मुख पर आपका नाम होगा।
5 :- औरों को नहीं प्रख्यात करना है, बाप को प्रत्यक्ष करना है।
============================================================================
QUIZ ANSWERS
============================================================================
प्रश्न 1 :- सदा विजयी बनने के लिए कौन सी दो शक्तियों की आवश्यकता है?
उत्तर 1 :- सदा विजयी बनने के लिए यह दो शक्तियों की आवश्यकता रहती है...
..❶ एक तो संग्रह करने की शक्ति और दूसरी संग्राम करने की शक्ति।
..❷ संग्रह करने की शक्ति भी अति आवश्यक है। तो जो भट्ठी में ज्ञान-रत्नों की धारणा मिली है, उसको बुद्धि में संग्रह रखना और इस संग्रह करने से ही लोक-संग्रह कर सकेंगे।
..❸ संग्रह करने की और फिर संग्राम करने की शक्ति-दोनों ही जरूरी हैं। दोनों में कोई की भी कमी होगी तो कमी वाला कभी भी सदा विजयी नहीं बन सकता।
..❹ जिसमें जितनी संग्रह करने की शक्ति है उतनी ही संग्राम करने की भी शक्ति रहती है।
प्रश्न 2 :- बापदादा को प्रत्यक्ष करने के लिए कौन सी बातें धारण करनी है?
उत्तर 2 :- बापदादा को प्रत्यक्ष करने के लिए यह बातें धारण करनी है :-
..❶ स्टेज पर एक्टर को कौनसी मुख्य बातें ध्यान में रहती हैं? अटेन्शन और एक्यूरेसी - यह दोनों ही बातें याद रहती हैं।
..❷ ऐसे ही आप लोग भी अब स्टेज पर एक्ट करके बापदादा को प्रत्यक्ष करने के लिए जा रहे हो। तो यह दोनों ही बातें याद रखना।
..❸ हर सेकेण्ड, हर संकल्प में अटेन्शन और एक्यूरेट। नहीं तो बापदादा को प्रत्यक्ष करने का श्रेष्ठ पार्ट बजा नहीं सकेंगे।
..❹ बापदादा को प्रत्यक्ष करने का पार्ट प्ले करने जा रहे हो। यह लक्ष्य रखकर के जाना।
..❺ जो भी कर्म करो पहले यह देखो कि इस कर्म द्वारा बापदादा की प्रत्यक्षता होगी?
..❻ ऐसे भी नहीं कि सिर्फ वाणी द्वारा प्रत्यक्ष करना है। लेकिन हर समय के, हर कर्म द्वारा प्रत्यक्ष करना है।
..❼ ऐसे प्रत्यक्ष करो जो सभी आत्माओं के मुख से यह बोल निकले कि यह तो एक- एक जैसे साक्षात् बाप के समान हैं।
..❽ आपका हर कर्म दर्पण बन जाए, जिस दर्पण से बापदादा के गुणों और कर्त्तव्य का दिव्य रूप और रूहानियत का साक्षात्कार हो।
..❾ लेकिन दर्पण कौन बन सकेगा? जो न सिर्फ संकल्पों को लेकिन इस देहाभिमान को भी अर्पण करेगा।
प्रश्न 3 :- समर्पण होने वालों की निशानी क्या होगी?
उत्तर 3 :- समर्पण होने वालों की निशानियां होती है :-
..❶ एक तो सदा योगयुक्त और दूसरा सदा बन्धनमुक्त।
..❷ जो योगयुक्त होगा वह बन्धन- मुक्त ज़रूर होगा।
..❸ योगयुक्त का अर्थ ही है देह के आकर्षण के बन्धन से भी मुक्त।
..❹ जब देह के बन्धन से मुक्त हो गये तो सर्व बन्धन मुक्त बन ही जाते हैं।
..❺ तो समर्पण अर्थात् सदा योगयुक्त और सर्व बन्धन मुक्त।
..❻ अगर कोई भी बन्धनयुक्त होंगे तो योगयुक्त नहीं कहलायेंगे।
..❼ जो योगयुक्त होगा तो उनकी परख यह भी होगी - जो उनका हर संकल्प, हर कर्म योगयुक्त होगा।
..❽ क्योंकि जो भी युक्तियाँ सर्व प्रकार की मिली हैं उन युक्तियों की धारणाओं के कारण युक्तियुक्त और योगयुक्त रहेंगे।
प्रश्न 4 :- कौन से चार सर्टिफिकेट अपनी टीचर से लेकर जाना है?
उत्तर 4 :- यह चार सर्टिफिकेट अपनी टीचर से लेकर जाने है...
..❶ एक, अपने आप से सेटिस्फाइड होने का सर्टिफिकेट लेना है।
..❷ दूसरा, सर्व को सेटिस्फाइड करने का सर्टिफिकेट लेना है।
..❸ तीसरा, सम्पूर्ण समर्पण बनने का। समर्पण यह नहीं कि आबू में आकर बैठ जाएं। तो समर्पण होने का भी सर्टिफिकेट लेना है।
..❹ चौथा, जो भी ज्ञान की युक्तियाँ मिलीं उनको संग्रह करने की शक्ति का सर्टिफिकेट भी लेना हैं।
प्रश्न 5 :- हर एक को अपना स्थूल यादगार अचलघर क्यों याद रखना है?
उत्तर 5 :- हर एक को अपना स्थूल यादगार अचलघर याद रखना है क्योंकि :-
..❶ हरेक ने अपने आप से प्रतिज्ञा भी की है।
..❷ जो प्रतिज्ञा की जाती है उसको पूर्ण करने के लिए पावर भी अवश्य इकट्ठी करेंगे।
..❸ कितना भी सहन करना पड़े, सामना करना पड़े लेकिन प्रतिज्ञा को पूरा करना ही है।
..❹ भले सारे विश्व की आत्माएं मिलकर भी प्रतिज्ञा से हटाने की कोशिश करें, तो भी प्रतिज्ञा से नहीं हटेंगे लेकिन सामना करके सम्पूर्ण बनकर के ही दिखायेंगे।
..❺ ऐसी प्रतिज्ञा करने वालों का यादगार बना हुआ है - अचलघर। तो सदैव यह याद रखना कि जैसा हमारा यादगार है वैसा अब बनना ही है।
..❻ स्थूल निशानी को याद रखने से नशा और निशाना याद रहेगा।
FILL IN THE BLANKS:-
( स्टेज, अव्यक्त, अर्पण, दर्पण, योगयुक्त, विश्व, विशेष, वरदान, अभिमान, आत्मायें, शक्तिवान, विशेषता, प्रैक्टिकल, अपनी, देह )
1 एक वरदान मिला _____ भव, दूसरा _____ मिला सदैव _____ एकरस अवस्था का। इन दोनों वरदानों में दोनों ही बातें समाई हुई हैं।
.. शक्तिवान / वरदान / अव्यक्त
2 जो देहाभिमान को _____ करता है उसका हर कर्म _____ बन जाता है, जैसे कोई चीज अर्पण की जाती है तो फिर वह अर्पण की हुई चीज़ _____ नहीं समझी जाती है।
.. अर्पण / दर्पण / अपनी
3 योग अच्छा है लेकिन _____ बनना है। बन्धनमुक्त बनने की इच्छा है लेकिन पहले _____-_____ का बन्धन तोड़ना है।
.. योगयुक्त / देह / अभिमान
4 यह ज़रूर अपने को समझना है कि सारे विश्व से चुने हुए हम _____ _____ हैं। जितनी विशेष आत्मायें उतनी उनके हर कर्म में _____ होती है।
.. विशेष / आत्मायें / विशेषता
5 लेकिन जो शक्तियां वा वरदान लिये हैं उन्हों को _____ करने के लिए _____ _____ पर जा रहे हैं, ऐसे समझना है।
.. प्रैक्टिकल / विश्व / स्टेज
सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-
1 :- अभी यही कोशिश करना। सबूतमूर्त्त और सपूत बनना है। 【✔】
2 :- विशेष आत्मा हो ना। कम नहीं हो। 【✔】
3 :- बन्धनमुक्त बनने की इच्छा है लेकिन पहले देह-अभिमान का बन्धन जोडना है। 【✖】
.. बन्धनमुक्त बनने की इच्छा है लेकिन पहले देह-अभिमान का बन्धन तोड़ना है।
4 :- ऐसा ही लक्ष्य रखना कि करेंगे कम, लेकिन कहकर दिखायेंगे। 【✖】
.. ऐसा ही लक्ष्य रखना कि कहेंगे कम, लेकिन करके दिखायेंगे।
5 :- लेकिन उम्मीदें तब पूरी कर सकेंगे जब सदैव नम्रचित्त होकर चलेंगे। 【✔】