==============================================================================

AVYAKT MURLI

18 / 07 / 72

=============================================================================

 

 

18-07-72   ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

 

कमजोरियों का समाप्ति समारोह करने वाले ही तीव्र पुरुषार्थी है

 

अपने को एवररेडी समझते हो? जो एवररेडी होंगे, उन्हों का प्रैक्टिकल स्वरूप एवर हैप्पी होगा। कोई भी परिस्थिति रूपी पेपर वा प्राकृतिक आपदा द्वारा आया हुआ पेपर वा कोई भी शारीरिक कर्म भोग रूपी पेपर आवे, तो भी सभी प्रकार के पेपर्स में फुल पास वा अच्छी मार्क्स में पास होंगे - ऐसे अपने को एवररेडी समझते हो? अथवा एवररेडी की निशानी जो एवर हैप्पी है, वह अनुभव करते हो? अपना इन्तजाम ऐसा किया है जो किस घड़ी में भी कोई पेपर हो जाये तो तैयारी हो? ऐसे एवररेडी हो? आप श्रेष्ठ आत्माओं के लिए, आप लोगों द्वारा जो अन्य आत्माएं नंबरवार वर्सा पाने वाली हैं उन्हों के लिए बाकी थोड़ा-सा समय रहा हुआ है। समय की रफ्तार तेज है। जैसे समय किसके लिए भी रूकावट में रूकता नहीं, चलता ही रहता है। वैसे ही अपने आपसे पूछो कि स्वयं भी कोई माया के रूकावट में रूकते तो नहीं हो? कोई भी माया के सूक्ष्म वा स्थूल विघ्न आते हैं वा माया का वार होता है तो एक सेकेण्ड में अपनी श्रेष्ठ शान में स्थित होंगे तो माया दुश्मन पर निशाना भी ठीक रहेगा, अगर श्रेष्ठ शान नहीं तो निशाना ना लगने के कारण परेशान हो जावेंगे। अभी परेशानी होती है? अगर अब तक किसी भी प्रकार की परेशानी होती है तो अन्य आत्माओं की परेशानी को कैसे मिटावेंगे? परेशानियों को मिटाने वाले हो वा स्वयं भी परेशान होने वाले हो? जैसे जो भी भट्ठी करते हो तो उसका समाप्ति-समारोह वा परिवर्तन-समारोह मनाते हो। तो यह जो बेहद की भट्ठी चल रही है उसमें कमजोरियों की समाप्ति का समारोह वा परिवर्तन-समारोह कब मनावेंगे? इसकी कोई फिक्स डेट है? ड्रामा करावेगा? ड्रामा तो सर्व आत्माओं का पुरानी दुनिया से समाप्ति-समारोह करावेगा लेकिन आप तीव्र पुरुषार्थी श्रेष्ठ आत्माओं को तो पहले ही कमजो- रियों के समाप्ति समारोह को मनाना है ना। कि आप भी अन्य आत्माओं के साथ अन्त में करेंगे? जैसे और सेमीनार आदि करते हो, उसकी डेट फिक्स करते हो, उसी प्रमाण तैयारी करते हो और उस कार्य को सफल कर सम्पन्न करते हो। ऐसे यह कमियों को मिटाने की सेमीनार की डेट फिक्स नहीं हो सकती? यह सेमीनार होना सम्भव है? जैसे कोई यज्ञ रचते हैं तो बीच-बीच में आहुति तो डालते ही रहते हैं। लेकिन अन्त में सभी मिल कर सम्पूर्ण आहुति डालते हैं तो क्या ऐसे सभी आपस में मिल कर सम्पूर्ण आहुति डाल सकते हैं? सर्व कमजोरियों को स्वाहा नहीं कर सकते हो? जब तक सभी मिलकर के सम्पूर्ण आहुति नहीं डालेंगे तो सारे विश्व का वायुमण्डल वा सर्व आत्माओं की वृतियां वा वायब्रेशन परिवर्तन में कैसे आवेंगे? और जो आप सभी ने जिम्मेवारी ली है विश्व-परिवर्तन की वा विश्व नव निर्माण की, वह कैसे होगी? तो अपनी जिम्मेवारी को पूरा करने के लिए वा अपने कार्य को पूरा सम्पन्न करने के लिए सम्पूर्ण आहुति ही डालनी पड़ेगी। इसके लिए अपने को एवररेडी बनाने के लिए कौन-सी युक्ति अपनाओ जो सहज ही कमजोरियों से मुक्ति हो जाये? युक्तियां तो बहुत मिली हैं, फिर भी आज और युक्ति बता रहे हैं। सबसे ज्यादा यादगार किसके बनते हैं? और अनेक प्रकार के यादगार किसके बनते हैं? बाप के वा बच्चों के? बाप की यादगार का एक ही रूप बनता है लेकिन आप लोगों के अर्थात् श्रेष्ठ आत्माओं के अनेक रूप और रीति-रस्म के अनुसार बने हुये हैं। आप श्रेष्ठ आत्माओं के भिन्न-भिन्न कर्म का भी यादगार बना हुआ है। तो जबकि बाप से भी ज्यादा अनेक प्रकार के यादगार बने हुए हैं, वह कैसे? आपके प्रैक्टिकल श्रेष्ठ कर्म के, श्रेष्ठ स्थिति के ही यादगार बने हैं ना। तो जो भी संकल्प वा कर्म करते हो वा वचन बोलते हो, उस हर वचन और कर्म को चेक करो कि वह वचन वा बोल ऐसा है जो हमारी यादगार बने? यादगार वह कर्म वा बोल होते हैं जो याद में रह कर के करते हो। जैसे कोई चीज़ गाड़ी जाती है, जैसे झण्डे को गाड़ते हो ना अर्थात् फाउंडेशन डालते हो। कहते हैं - इस चीज़ को अच्छी तरह से गाड़ लेना। ऐसे ही याद से किये हुये कर्म सदा के लिये यादगार बन जाता है। जैसे कोई चीज़ दुनिया के आगे रखनी होती है तो कितनी सुन्दर और स्पष्ट बनाई जाती है! साधारण चीज़ को किसी के आगे नहीं रखेंगे। कोई विशेषता होती है तब किसी के आगे रखी जाती है। तुम्हारे यह अभी के हर कर्म वा हर बोल विश्व के आगे यादगार के रूप में आने वाले हैं। ऐसा अटेन्शन रखते हुये व ऐसी स्मृति रखते हुये हर कर्म वा बोल बोलो जो कि यादगार बनने के योग्य हो। अगर यादगार बनने के योग्य नहीं है तो वह कर्म नहीं करो - यह स्मृति सदा रखो। जो व्यर्थ संकल्प वा व्यर्थ बोल वा साधारण कर्म होते हैं, उनका यादगार बनेगा क्या? यादगार बनने के लिये याद में रह कर कर्म करो। जैसे बाप को देखो कि याद में रहते हुये कर्म करने से ही कर्म आज आप सभी के दिल में यादगार बन गया है ना। ऐसे ही अपने कर्मों को भी विश्व के सामने यादगार रूप बनाओ। यह तो सहज है ना। जबकि निश्चय है कि यह सभी अनेक प्रकार के यादगार हमारे ही हैं; तो किये हुये अनेक बार के श्रेष्ठ कर्म वा यादगार स्वरूप अब फिर से रिपीट करने में मुश्किल होती है क्या? कल्प-कल्प के किये हुये को सिर्फ रिपीट करना है। तो मास्टर त्रिकालदर्शा बन अपने कल्प पहले के यादगार को सामने रख फिर से सिर्फ रिपीट करो। इस स्मृति के पुरूषार्थ में सदा रहते आये हो। तो अब क्या मुश्किल है? माया अब तक भी इस स्मृति में ताला लगाती है क्या? जब ताला लग जाता है तो क्या बना देती है? बेताला। सभी के ताले खोलने वाले भी बेताले बन जाते हैं। यह स्मृति को ताला क्यों लगता है? अपने लक्क को भूल जाते हो तो लॉक लग जाता है। अगर लक्क को देखो तो कब भी लॉक नहीं लग सकता है। तो लॉक की चाबी कौनसी है? अपने आपको लक्की समझो। लवली भी हो और लक्की भी हो। अगर लक्क को भूलकर के सिर्फ लवली बनते हो, तो भी अधूरे रह जाते हो। लवली भी हूँ और लक्की भी हूँ - यह दोनों ही स्मृति में रहने से कब माया का लॉक नहीं लग सकता। इसलिये अपने कल्प पहले के यादगारों को फिर से याद में रह कर रिपीट करें। अब भी देखो अगर कोई यादगार युक्तियुक्त नहीं बनाते हैं तो ऐसे यादगार को देख कर संकल्प आवेगा कि यह युक्तियुक्त नहीं बना हुआ है। कोई देवियों वा शक्तियों का चित्र युक्तियुक्त नहीं बनाते हैं तो देखते हुए सभी को संकल्प आता है कि यह ठीक नहीं है। ऐसे ही, अपने कर्मों को देखो, अपने हर समय के रूप वा रूहाब को देखो कि इस समय के मेरे रूप और रूहाब का यादगार क्या बनेगा? क्या युक्तियुक्त यादगार बनेगा? जब युक्तियुक्त यादगार चित्र होता है तो उस चित्र की भी कितनी वैल्यु होती है। तो ऐसे देखो हमारे हर समय के हर चरित्र की वैल्यु है? अगर नहीं तो यादगार चित्र भी वैल्युएबल भले नहीं बन सकता। समझा? तो ऐसा समय समीप आ गया है जो आपके हर संकल्प के चरित्र रूप में यादगार बनेंगे, आपके एक-एक बोल सर्व आत्माओं के मुख से गायन होंगे। तो अपने को ऐसे पूजनीय और गायन योग्य समझ कर हर कर्म करें। अच्छा।

हर कर्म याद में रह सदा यादगार बनाने वाले लवली और लक्की सितारों को बाप-दादा का यादप्यार और नमस्ते।

 

 

=============================================================================

QUIZ QUESTIONS

============================================================================

 

 प्रश्न 1 :- एवररेडी आत्मा की निशानी क्या है?

 प्रश्न 2 :- सारे विश्व का वायुमण्डल वा सर्व आत्माओं की वृत्तियां वा वायब्रेशन परिवर्तन में कैसे आवेंगे ?

 प्रश्न 3 :- सबसे ज्यादा और अनेक प्रकार के यादगार किसके बनते है ?

 प्रश्न 4 :- हर वचन व कर्म कैसे हो जो हमारी यादगार बने ?

 प्रश्न 5 :- स्मृति को माया का ताला क्यों लगता है ?

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

( कल्प-कल्प, कमजोरियों, शान, वार, त्रिकालदर्शी, सेकेंड, निशाना, परेशान, लक्की, समाप्ति, यादगार, परिवर्तन-समारोह, विघ्न, रिपीट, कर्मो लवली, यादगार, लक्क,   युक्तियुक्त )

 

 1   कोई भी माया के सूक्ष्म व स्थूल ______ आते है वा माया का ______ होता है तो एक ______ मे अपनी श्रेष्ठ ______ में स्थित होंगे तो माया दुश्मन पर ______ भी ठीक रहेगा, अगर श्रेष्ठ शान नही तो निशाना ना लगने के कारण ______ हो जावेंगे ।

 2  यह जो बेहद की भट्टी चल रही है उसमें ______ की ______ का समारोह वा ______ कब मनाएंगे ? इसकी कोई फिक्स डेट है ?

 3  ______ के किये हुए को सिर्फ ______ करना है। तो मास्टर ______ बन अपने कल्प पहले के ______ को सामने रख फिर से सिर्फ रिपीट करो ।

 4  ______ भी हो और ______ भी हो। अगर ______ को भूलकर के सिर्फ लवली बनते हो , तो भी अधूरे रह जाते हो ।

 5  अपने ______ को देखो , अपने हर समय के रूप और रुहाब को देखो कि इस समय के मेरे रूप और रुहाब का ______ क्या बनेगा? क्या ______ यादगार बनेगा ?

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :-  अगर अब तक किसी भी प्रकार की परेशानी होती है तो अन्य आत्माओं की परेशानी को कैसे मिटावेंगे ? परेशानियों को मिटाने वाले हो वा स्वयं भी परेशान होनेवाले हो ?

 2  :-  ड्रामा तो सर्व आत्माओं का पुरानी दुनिया से समाप्ति-समारोह करावेगा लेकिन आप तीव्र पुरुषार्थी श्रेष्ठ आत्माओं को तो अंत मे ही कमजोरियों के समाप्ति समारोह को मनाना है ना ।

 3  :-  यादगार वह कर्म वा बोल होते है जो खेलते हुए रहकर के करते हो ।

 4  :-  जबकि निश्चय है कि यह सभी अनेक प्रकार के यादगार हमारे ही है तो किये हुए अनेक बार के श्रेष्ठ कर्म वा यादगार स्वरूप अब फिर से रिपीट करने में मुश्किल होती है क्या ?

 5   :-  ऐसा समय समीप आ गया है जो आपके हर संकल्प के चरित्र रूप में यादगार बनेंगे, आपके एक-एक बोल सर्व आत्माओं के मुख से गायन होंगे।

 

 

============================================================================

QUIZ ANSWERS

============================================================================

 

 प्रश्न 1 :-  एवररेडी आत्मा की निशानी क्या है ?

उत्तर 1 :-  एवररेडी आत्मा की निशानी है :-

          जो एवररेडी होंगे, उन्हों का प्रैक्टिकल स्वरूप एवर हैपी होगा।

          कोई भी परिस्थिति रूपी पेपर वा प्राकृतिक आपदा द्वारा आया हुआ पेपर वा कोई भी शारीरिक कर्म भोग रूपी पेपर आवे, तो भी सभी प्रकार के पेपर्स में फुल पास वा अच्छी मार्क्स से पास होंगे।

          किस घड़ी में कोई भी पेपर हो जाये तो तैयार रहेंगे। माया के कोई रुकावट में रुकेंगे नही।

 

 प्रश्न 2 :- सारे विश्व का वायुमण्डल वा सर्व आत्माओं की वृत्तियां वा वायब्रेशन परिवर्तन में कैसे आवेंगे ?

उत्तर 2 :- सम्पूर्ण परिवर्तन के लिए बापदादा कहते हैं कि :-

          जब तक सभी मिलकर सम्पूर्ण आहुति नही डालेंगे।

          विश्व परिवर्तन की वा विश्व नव निर्माण की जिम्मेवारी को पूरा करने के लिए वा अपने कार्य को पूरा सम्पन्न करने के लिए सम्पूर्ण आहुति डालनी पड़ेगी।

          इसके लिए ऐसी युक्ति अपनाओ जो सहज ही कमजोरियों से मुक्ति हो जाये।

 

 प्रश्न 3 :- सबसे ज्यादा और अनेक प्रकार के यादगार किसके बनते है ?

उत्तर 3 :- सबसे ज्यादा और अनेक यादगार प्रति बापदादा कहते है कि :-

          बाप की यादगार का एक ही रूप बनता है लेकिन आप लोगों के अर्थात श्रेष्ठ आत्माओं के अनेक रूप और रीति रस्म के अनुसार बने हुए है।

          आप श्रेष्ठ आत्माओं के भिन्न भिन्न कर्म का भी यादगार बना हुआ है।

          बाप से भी ज्यादा अनेक प्रकार के यादगार बने है। आपके प्रैक्टिकल श्रेष्ठ कर्म के, श्रेष्ठ स्थिति के यादगार बने है।

 

 प्रश्न 4 :-  हर वचन व कर्म कैसे हो जो हमारी यादगार बने ?

 उत्तर 4 :-  हर वचन, हर कर्म हो :-

          याद से किये हुए कर्म सदा के लिए यादगार बन जाता है ।

          ऐसा अटेंशन रखते हुए व ऐसी स्मृति रखते हुए हर कर्म व बोल बोलो जो कि यादगार बनने योग्य हो।

          ❸  यादगार बनने के लिए याद में रहकर कर्म करो।

 

प्रश्न 5 :-  स्मृति को माया का ताला क्यों लगता है ?

उत्तर 5 :- स्मृति को माया का ताला इसलिए लगता है क्योंकि :-

          अपने लक्क को भूल जाते हो तो लॉक लग जाता है।

          अगर लक्क को देखो तो लॉक नही लग सकता। तो लॉक की चाबी है अपने आपको लक्की समझो।

          ❸  लवली भी हूं और लक्की भी हूं - यह दोनों स्मृति में रहने से माया का लॉक लग नही सकता।

 

       FILL IN THE BLANKS:-    

( कल्प-कल्प, कमजोरियों, शान, वार, त्रिकालदर्शी, सेकेंड, निशाना, परेशान, लक्की, समाप्ति, यादगार, परिवर्तन-समारोह, विघ्न, रिपीट, कर्मो लवली, यादगार, लक्क,   युक्तियुक्त )

 

 1   कोई भी माया के सूक्ष्म व स्थूल ______ आते है वा माया का ______ होता है तो एक ______ मे अपनी श्रेष्ठ ______ में स्थित होंगे तो माया दुश्मन पर ______ भी ठीक रहेगा, अगर श्रेष्ठ शान नही तो निशाना ना लगने के कारण ______ हो जावेंगे।

 विघ्न  / वार /  सेकेंड /  शान  / निशाना /  परेशान

 

 2  यह जो बेहद की भट्टी चल रही है उसमें ______ की ______ का समारोह वा ______ कब मनाएंगे ? इसकी कोई फिक्स डेट है ?

 कमजोरियों /  समाप्ति /  परिवर्तन-समारोह

 

 3   ______ के किये हुए को सिर्फ ______ करना है। तो मास्टर ______ बन अपने कल्प पहले के ______ को सामने रख फिर से सिर्फ रिपीट करो।

 कल्प-कल्प  / रिपीट /  त्रिकालदर्शी /  यादगार

 

 4  ______ भी हो और ______ भी हो। अगर ______ को भूलकर के सिर्फ लवली बनते हो , तो भी अधूरे रह जाते हो।

 लवली  / लक्की  / लक्क

 

 5  अपने ______ को देखो , अपने हर समय के रूप और रुहाब को देखो कि इस समय के मेरे रूप और रुहाब का ______ क्या बनेगा? क्या ______ यादगार बनेगा ?

 कर्मो /  यादगार /  युक्तियुक्त

 

सही गलत वाक्यो को चिन्हित करे:-

 

 1  :-  अगर अब तक किसी भी प्रकार की परेशानी होती है तो अन्य आत्माओं की परेशानी को कैसे मिटावेंगे ? परेशानियों को मिटाने वाले हो वा स्वयं भी परेशान होनेवाले हो।

 

 2  :-  ड्रामा तो सर्व आत्माओं का पुरानी दुनिया से समाप्ति-समारोह करावेगा लेकिन आप तीव्र पुरुषार्थी श्रेष्ठ आत्माओं को तो अंत मे ही कमजोरियों के समाप्ति समारोह को मनाना है ना।

ड्रामा तो सर्व आत्माओं का पुरानी दुनिया से समाप्ति-समारोह करावेगा लेकिन आप तीव्र पुरुषार्थी श्रेष्ठ आत्माओं को तो पहले ही कमजोरियों के समाप्ति समारोह को मनाना है ना।

 

3  :-  यादगार वह कर्म वा बोल होते है जो खेलते हुए रहकर के करते हो।

यादगार वह कर्म वा बोल होते है जो याद में रहकर के करते हो।

 

 4  :-  जबकि निश्चय है कि यह सभी अनेक प्रकार के यादगार हमारे ही है तो किये हुए अनेक बार के श्रेष्ठ कर्म वा यादगार स्वरूप अब फिर से रिपीट करने में मुश्किल होती है क्या?

 

 5   :-   ऐसा समय समीप आ गया है जो आपके हर संकल्प के चरित्र रूप में यादगार बनेंगे, आपके एक-एक बोल सर्व आत्माओं के मुख से गायन होंगे ।